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गणतंत्र दिवस पर दिल्ली पुलिस की व्यस्तता बढ़ जाना स्वाभाविक होता है, कारण इस अवसर पर दिल्ली आने वाले वीआईपी विदेशी मेहमानों, वीवीआईपी और वीआईपी की सुरक्षा की जिम्मेदारी तो दिल्ली पुलिस को संभालनी ही होती है, साथ ही आतंकवादी गतिविधियों का खतरा अलग से बना रहता है.

इस बार तो इस मौके पर आसियान सम्मेलन भी था. बहरहाल, कहने का अभिप्राय यह है कि 26 जनवरी को होने वाले गणतंत्र दिवस के आयोजन की वजह से दिल्ली पुलिस स्थानीय नागरिकों की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दे पाती. ऐसे में कई बार ऐसी वारदातें हो जाती हैं, जो पीडि़तों के लिए तो दुखदायी होती ही हैं, पुलिस के लिए भी परेशानियां खड़ी कर देती हैं.

ऐसी ही एक वारदात गणतंत्र दिवस से एक दिन पहले यानी बीती 25 जनवरी को पूर्वी दिल्ली के जीटीबी इनक्लेव में घटी. समय था सुबह के साढ़े 7 बजे का. विवेकानंद स्कूल की बस छोटे बच्चों को ले कर स्कूल जा रही थी. इसी बस में कृष्णा मार्ग, न्यू मौडर्न कालोनी, शाहदरा निवासी करोड़पति व्यवसाई सन्नी गुप्ता का 5 वर्षीय बेटा और 7 साल की बेटी भी थे, जो शिवम डेंटल क्लीनिक के सामने से बस में बैठे थे.

विवेकानंद स्कूल की यह बस बच्चों को लेते हुए जब इहबास इलाके में एक बच्चे को लेने के लिए रुकी थी, तभी मोटरसाइकिल पर 2 युवक आए और बाइक खड़ी कर के हेलमेट पहने बस में चढ़ने लगे.

बस के गेट के पास खड़ी मेड ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उन में से एक युवक ने गाली देते हुए उसे साइड कर दिया. ड्राइवर नरेश थापा ने उन्हें टोका तो एक युवक ने उस के पैर में गोली मार दी. यह देख सारे बच्चे घबरा गए. तभी एक युवक ने आवाज दी, ‘‘विहान.’’

विहान पीछे की सीट पर अपनी बहन के साथ बैठा था, अपना नाम सुन कर वह खड़ा हो गया. युवक ने उसे गोद में उठा लिया और बस से उतरने लगा. बच्चे रोने लगे तो उस ने धमकी दी, ‘‘कोई भी रोया तो गोली मार दूंगा.’’ उस समय बस में 22 बच्चे थे.

अगले ही कुछ पलों में दोनों युवक विहान को ले कर मोटरसाइकिल से भाग निकले. जहां वारदात हुई, वह जगह सुनसान थी. जब तक लोग वहां पहुंचे, तब तक दोनों युवक आनंद विहार की ओर निकल गए. लोगों ने घायल ड्राइवर को जीटीबी अस्पताल पहुंचाया. फोन कर के स्कूल से दूसरी बस मंगवाई गई. साथ ही पुलिस को भी सूचना दे दी गई. विहान की बहन से नंबर ले कर उस के घर भी फोन किया गया.

विहान के मातापिता और अन्य घर वाले तत्काल घटनास्थल पर पहुंच गए. उन का बुरा हाल था. थाना जीटीबी इनक्लेव से पुलिस भी आ गई थी. पुलिस ने विहान के अपहरण की सूचना दर्ज कर के तफ्तीश शुरू कर दी. पुलिस 3 दिनों तक हर तरह से कोशिश करती रही, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.

स्थानीय पुलिस की जांच के साथ जिला पुलिस का स्पैशल स्टाफ भी अपहर्त्ताओं की खोज में लगा था. पुलिस ने जिले के 125 मुखबिरों को अपराधियों की गतिविधियों का पता लगाने की जिम्मेदारी अलग से सौंप रखी थी.

तेजतर्रार पुलिस अधिकारियों को दी जिम्मेदारी

जब थाना पुलिस और स्पैशल स्टाफ कुछ नहीं कर सका तो 28 जनवरी को विहान के अपहरण का मामला क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया. जौइंट पुलिस कमिश्नर आलोक कुमार ने अपने अधीनस्थ क्राइम ब्रांच के डीसीपी डा. जी. रामगोपाल नाइक को एक पुलिस टीम गठित कर के जल्द से जल्द मामले को सुलझाने को कहा.

डा. नाइक अपहरण मामलों के एक्सपर्ट हैं. वह विशाखापट्टनम के एक मशहूर व्यापारी के बेटे को सकुशल रिहा कराने के बाद चर्चा में आए थे. उन्होंने करीब 500 पुलिसकर्मियों की टीम को लीड करते हुए बच्चे को सकुशल बरामद किया था, इसलिए संयुक्त आयुक्त आलोक कुमार ने विहान के केस की जिम्मेदारी इन्हें सौंपी.

डीसीपी डा. जी. रामगोपाल नाइक ने क्राइम ब्रांच के एसीपी ईश्वर सिंह और इंसपेक्टर विनय त्यागी के साथ मीटिंग कर के रणनीति तैयार की कि बच्चे को सहीसलामत कैसे बरामद किया जाए. ईश्वर सिंह और विनय त्यागी दोनों ही बड़ेबड़े मामलों को सुलझाने में माहिर रहे हैं.

ईश्वर सिंह ने सन 2000 में क्रिकेट मैच फिक्सिंग के मामले को उजागर किया था, जिस में दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट टीम के कैप्टन हैंसी क्रोनिए सहित दरजनों लोग शामिल थे. इस के अलावा इन्होंने किडनैपिंग के भी दरजनों मामले सुलझाए थे.

जबकि इंसपेक्टर विनय त्यागी एनकाउंटर स्पैशलिस्ट रहे राजबीर सिंह की टीम का हिस्सा तो थे ही, उन्होंने 1999 में हुए मशहूर कार्टूनिस्ट इरफान हुसैन के मर्डर की गुत्थी सुलझा कर हत्यारों को भी गिरफ्तार किया था. इस के साथ ही विनय त्यागी ने ‘इंडियाज मोस्ट वांटेड’ सीरियल के निर्माता और एंकर सुहेब इलियासी को भी पत्नी के कत्ल के मामले में गिरफ्तार किया था.

बच्चे का पता लगाने और उसे सहीसलामत बचाने की जिम्मेदारी मिलते ही ईश्वर सिंह और विनय त्यागी ने करीब 50 लोगों की टीम गठित की, जिस में सबइंसपेक्टर अर्जुन, दिनेश, हवा सिंह, सुशील, एएसआई राजकुमार, मोहम्मद सलीम, हवलदार शशिकांत और श्यामलाल को शामिल किया गया. इस औपरेशन को नाम दिया गया ‘सी रिवर’.

60 लाख की मांगी फिरौती

28 जनवरी को क्राइम ब्रांच को केस सौंपा गया और उसी दिन अपहृत विहान के पिता सन्नी गुप्ता के फोन पर फोन कर के लड़की की आवाज में 60 लाख रुपए की फिरौती मांगी गई. इतना ही नहीं, अपहर्त्ताओं ने वाट्सऐप काल कर के बच्चे से बात भी कराई. इस वाट्सऐप काल में एक अपहर्त्ता का चेहरा भी नजर आया, पर उसे पहचाना नहीं जा सका.

अपहर्त्ताओं ने फिरौती की रकम देने के लिए विहान के घर वालों से 4 फरवरी को दिल्ली से कड़कड़डूमा क्षेत्र स्थित क्रौस रिवर मौल आने को कहा था. साथ ही उन्होंने यह भी चेतावनी दी थी कि पुलिस के चक्कर में न पड़ें वरना बच्चे को नुकसान हो सकता है. पीडि़त परिवार चाहता था कि किसी भी तरह उन का बच्चा सुरक्षित मिल जाए. वह फिरौती की रकम देने को तैयार थे.

परिजनों ने यह बात पुलिस को बता दी थी, इस पर पुलिस अधिकारियों ने अपहर्त्ताओं को घेरने की पूरी योजना बना ली. चूंकि अपहर्त्ताओं ने पैसे ले कर क्रौस रिवर मौल बुलाया था, इसलिए पुलिस ने इस औपरेशन का नाम रखा ‘सी रिवर’. पुलिस टीम इस मौल के आसपास तैनात हो गई. विहान के पिता को एक बैग में नोट के आकार की कागज की गड्डियां भर कर भेजा गया पर अपहर्त्ता वहां नहीं पहुंचे. शायद उन्हें वहां पुलिस के मौजूद होने का शक हो गया था.

अपहरण के मामले बड़े ही संवेदनशील होते हैं. ऐसे मामलों में पुलिस की पहली प्राथमिकता अपहृत व्यक्ति को सहीसलामत बरामद करने की होती है. इस के बाद अपहर्त्ताओं को गिरफ्तार करने की सोची जाती है. अपहर्त्ताओं के फिरौती की रकम न लेने आने के बाद पुलिस पता लगाने की कोशिश करने लगी कि बच्चे का अपहर्त्ता कौन हो सकता है.

इस से पहले थाना पुलिस की 6 टीमें पीडि़त परिवार, बस चालक, मेड, पड़ोसियों और बस में मौजूद बच्चों से पूछताछ कर चुकी थीं. थाना पुलिस ने 3 संदिग्ध लोगों की तलाश में नोएडा में भी छापेमारी की थी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. इस के बाद ही यह मामला क्राइम ब्रांच को सौंपा गया था. इस की एक वजह यह भी थी कि क्राइम ब्रांच के पास पर्याप्त तकनीकी संसाधन होते हैं.

क्राइम ब्रांच भी यह बात मान कर चल रही थी कि बच्चे के अपहरण में किसी नजदीकी का हाथ हो सकता है, क्योंकि विहान के पिता ने हाल ही में किसी प्रौपर्टी का सौदा किया था, जिस की रकम उन के घर में मौजूद थी. यह बात उन के किसी करीबी को ही पता हो सकती थी, इसलिए पुलिस किसी नजदीकी पर शक कर रही थी.

क्राइम ब्रांच ने शुरू की अपने तरीके से जांच

पुलिस ने परिवार के सभी सदस्यों सहित वर्तमान नौकरों, पूर्व नौकरों व ऐसे लोगों का ब्यौरा बनाया, जिन्हें बच्चे के व्यापारी पिता सन्नी गुप्ता की उच्च आर्थिक स्थिति की जानकारी थी. पुलिस ने ऐसे 200 लोगों की एक लिस्ट बनाई, जिन से पूछताछ की जा सके. इस के अलावा ऐसे मामलों में शामिल रहे बदमाशों का ब्यौरा भी डोजियर सेल से निकलवाया गया. उन में से जो बदमाश जेल से बाहर थे, उन में से ज्यादातर को हिरासत में ले कर पूछताछ की गई, पर कोई नतीजा नहीं निकला.

विहान को ले कर घर के सभी लोग चिंतित थे. उस की मां शिखा का तो रोरो कर बुरा हाल था. रोतेरोते उन की आंखें सूज गई थीं. चूंकि विहान के पिता एक व्यापारी थे, इसलिए व्यापारी वर्ग भी इस बात को ले कर आक्रोश में था. बच्चे की शीघ्र बरामदगी के लिए व्यापारियों ने विरोध प्रदर्शन भी किया.

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