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फरजीवाड़े में इस्तेमाल हुए पुराने स्टांप पेपर

उन्हीं दिनों सालों से पुराने स्टांप इकट्ठा करने वाले एक माफिया के.पी. सिंह से जुड़ा मामला भी उजागर हो गया था. इस धंधे में उस ने करोड़ों रुपए कमाए थे और मालामाल बन गया था. सहारनपुर का एक भूमाफिया इस फरजीवाड़े के लिए लंबे समय से पुराने स्टांप इकट्ठा कर रहा था. वह इन स्टांपों को देहरादून और सहारनपुर के स्टांप वेंडरों से खरीदता था. इस के लिए एक स्टांप के लाखों रुपए तक अदा किए गए थे. जबकि, इन का इस्तेमाल कर वह करोड़ों कमा कर मालामाल हो गया था.

इन्हीं के आधार पर पुराने मूल बैनामों की प्रतियां जला कर नष्ट कर दी गई थीं और इन के बदले स्टांप को लगा कर नए दस्तावेज बना लिए गए थे. इतनी बड़ी संख्या में 1970 से 1990 के बीच प्रचलन में रहे ये स्टांप कहां से खरीदे थे, इस की जानकारी गिरफ्तार किए गए के.पी. सिंह से मिली थी.

के.पी. सिंह को कोतवाली ला कर पूछताछ की गई थी. पूछताछ में उस ने पुलिस को बताया कि उस ने किसी एक वेंडर से स्टांप नहीं खरीदे थे, बल्कि इस के लिए वह सालों से प्रयास करता रहा था. उसे जैसे ही पता चलता था कि किसी के पास पुराने स्टांप हैं, वह उस से ऊंचे दाम दे कर पुराने स्टांप को खरीद लेता था. ये स्टांप उसे आसानी से सहारनपुर में भी मिल गए थे.

इस के अलावा उस ने देहरादून के स्टांप वेंडरों से भी ये स्टांप खरीदे थे. हालांकि, पुलिस अब भी यह मान कर चल रही है कि कहीं न कहीं स्टांप को फरजी तरीके से बनवाया भी गया होगा. हो सकता है उस ने फरजी स्टांप घोटाले के सरगना अब्दुल करीम तेलगी के नकली स्टांप भी इस्तेमाल किए हों. लेकिन के.पी. सिंह से इस बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई थी.

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