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इस टीम ने उदयभान के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. इस काल डिटेल्स में एक नंबर ऐसा था, जिस पर उदयभान की बहुत ज्यादा और लंबीलंबी बातें होती थीं. जिस दिन वह गायब हुआ था, उस दिन भी एक बार उस नंबर से संदेश आया था. थानाप्रभारी ने उस नंबर पर फोन किया. घंटी गई और जल्दी ही दूसरी ओर से फोन रिसीव भी कर लिया गया.

पूछने पर पता चला कि वह नंबर विप्रावली गांव के रहने वाले पवन सिंह का था, जिस का उपयोग उस की पत्नी सुमन करती थी. पवन ने जब इस पूछताछ की वजह पूछी तो थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह ने बताया कि उस की पत्नी की इस नंबर से एक लड़के की लगातार बात होती रहती थी और वह जिस लड़के से बात होती थी, उस की हत्या हो चुकी है.

हत्या की बात सुन कर पवन सन्न रह गया. उस ने तुरंत अपने ससुर राममूर्ति को फोन कर के थानाप्रभारी से हुई बातचीत के बारे में बताया तो उस ने दामाद से कहा कि वह परेशान न हो, वह अभी जा कर थानाप्रभारी से मिलता है. इस के बाद उस ने यह बात अपने भाइयों, पप्पू और राजाराम को बताई. सब ने कोई सलाह की और अपनीअपनी मोटरसाइकिलें निकाल कर कहीं जाने के लिए तैयार हो गए.

एक मोटरसाइकिल पर राममूर्ति ने अपनी पत्नी और बेटे मुकेश को बैठाया तो दूसरी पर पप्पू और राजाराम सवार हुए. इस के बाद दोनों मोटरसाइकिलें चल पड़ीं. गांववालों ने जब उन के इस तरह जाने की वजह पूछी तो उन्होंने बताया कि अचानक सुमन की तबीयत खराब हो गई है, इसलिए सभी उसे देखने उस की ससुराल विप्रावली जा रहे हैं.

वे गुरावली गांव के बाहर निकले ही थे कि पुलिस की जीप आ पहुंची. जब पुलिस को पता चला कि राममूर्ति भाइयों के साथ घर में ताला लगा कर बेटी की ससुराल गया है तो पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि वह बेटी के यहां नहीं, बल्कि घर वालों के साथ पुलिस से बचने के लिए घर छोड़ कर भागा है. इस से पुलिस का शक गहरा गया कि उदयभान की हत्या में इन लोगों की कोई न कोई भूमिका अवश्य है.

गांव वालों ने बताया था कि वे गांव विप्रावली जाने की बात कह कर निकले थे. पुलिस वहां से सीधे विप्रावली जा पहुंची. लेकिन वहां कोई नहीं मिला. इस का मतलब वे सभी फरार हो चुके थे. पुलिस पवन और सुमन को थाने ले आई. थाने में जब उन दोनों से पूछताछ की गई तो पता चला कि पवन का पिता मुन्नालाल भी किसी को बिना कुछ बताए आधे घंटे पहले हड़बड़ी में घर से निकला था. यह संयोग था या वह भी उदयभान की हत्या में शामिल था, पुलिस इस बात की भी जांच करने लगी.

पुलिस ने मुन्नालाल के फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि उदयभान की हत्या से एक दिन पहले और हत्या वाले दिन राममूर्ति और मुन्नालाल में कई बार बातें हुई थीं. इस तरह मुन्नालाल भी शक के दायरे में आ गया. अब पुलिस राममूर्ति और उस के परिवार वालों के साथ मुन्नालाल भी तलाश में लग गई.

आखिर हत्या के पूरे सप्ताह भर बाद 6 अगस्त, 2013 को मुखबिर की सूचना पर थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह ने यमुना और उटंगन नदी पर बने पुल के उस पार बीहड़ में बने एक कच्चे मकान को घेर कर 6 लोगों को हिरासत में ले लिया. उस के बाद पुलिस सभी को ले कर थाना बसई अरेला आ गई.

पुलिस ने राममूर्ति के साथ उस के दोनों भाइयों, राजाराम, पप्पू, समधी मुन्नालाल, मुन्नालाल के भाई भावसिंह और राममूर्ति के फुफेरे भाई वीर बहादुर सिंह को भी गिरफ्तार किया था. पुलिस ने सभी से अलगअलग पूछताछ की तो उदयभान की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह कुछ इस प्रकार थी.

जिला आगरा के मुख्यालय से यही कोई 50 किलोमीटर की दूरी पर बसा है गांव गुरावली. जाटव बाहुल्य इस गांव में किसान आसाराम का परिवार काफी संपन्न था. उस के परिवार में पत्नी के अलावा तीन बेटे, राममूर्ति, राजाराम और पप्पू थे. दबंग और रसूखदार व्यक्तित्व वाले राममूर्ति के परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटा मुकेश और एक ही बेटी सुमन थी.

राममूर्ति के पास भले ही सब कुछ था, लेकिन उस के बच्चे ज्यादा पढ़लिख नहीं सके थे. मुकेश ने आठवीं पास कर के पढ़ाई छोड़ दी थी तो सुमन ने पांचवीं पास कर के. गुरावली में ही छोटेलाल का परिवार रहता था. उस के परिवार में केवल 2 बेटे, पप्पू और उदयभान के अलावा पप्पू की पत्नी थी. छोटेलाल की पत्नी 5 साल पहले मर गई थी. उस के दोनों ही बेटे मेहनती और ईमानदार थे.

पप्पू अपने पिता के साथ खेती करता था तो उदयभान ने मोबाइल रिपेयरिंग का काम सीख कर गांव के चौराहे पर किराए की दुकान ले कर अपना मोबाइल रिपेयरिंग का काम शुरू कर दिया था. इसी के साथ वह मोबाइल एसेसरीज के साथ रिचार्ज कूपन भी बेचता था. व्यवहारकुशल और ईमानदारी से पैसे लेने वाले उदयभान का काम बढि़या चल रहा था. उस की कमाई ठीकठाक थी, इसलिए वह ठीकठाक कपड़े पहन कर बनठन कर रहता था. इस से गांव के अन्य लड़कों की अपेक्षा वह स्मार्ट लगता था.

एक दिन दोपहर को वह दुकान पर बैठा अपना काम कर रहा था, तभी गांव के ही राममूर्ति की 20 वर्षीया बेटी सुमन उस के सामने आ कर खड़ी हो गई और अपना मोबाइल रख कर कहा कि देखो इस में क्या खराबी आ गई है. सुमन को उस के न जाने कितनी बार देखा था, लेकिन बात करने का मौका कभी नहीं मिला था. आज पहली बार उसे इतने नजदीक से देखा तो देखता ही रह गया. न जाने क्यों उस दिन सुमन उसे बहुत अच्छी लगी थी.

उस ने हाथ में लिया मोबाइल किनारे रख कर सुमन का मोबाइल उठा लिया. 5 मिनट का काम था, लेकिन सुमन को बैठाए रखने के लिए उस ने आधे घंटे से ज्यादा समय लगा दिया. इस बीच वह काम कम कर रहा था, सुमन को ज्यादा देख रहा था. सुमन भी भोली नहीं थी. उस ने भी उदयभान के मन की बात ताड़ ली थी. इसलिए जब भी उदयभान उस की ओर देखता, वह मुसकरा देती.

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