कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

रविवार 28 जुलाई, 2013 की सुबह ही राममूर्ति ने दामाद पवन को फोन किया, वह सुमन को ले कर गुरावली आ जाए. उस ने बहाना बनाया कि मुकेश को देखने वाले आ रहे हैं. पवन सुमन को ले कर 12 बजे के आसपास ससुराल जा पहुंचा. लेकिन उसे वहां कोई लड़की वाला नहीं दिखाई दिया. फिर भी वह शाम तक रुका रहा. शाम 6 बजे के आसपास वह अपने गांव के लिए निकल पड़ा.

लेकिन इस बीच राममूर्ति ने जिस काम के लिए सुमन और पवन को बुलाया था, वह हो गया था. दरअसल उसे सुमन के मोबाइल से उदयभान को संदेश भेजना था कि वह गुरावती आई है. रात 10 बजे वह उस से मिलने उस के घर आ जाए. उस समय वह छत पर रहेगी.

राममूर्ति ने सुमन का मोबाइल ले कर यह काम कब किया, उसे पता ही नहीं चला. वह खुशीखुशी पति के साथ आई और खुशीखुशी चली गई.

शाम को ही राममूर्ति अपने दोनों भाइयों, राजाराम, पप्पू, समधी मुन्नालाल और उस के भाई भावसिंह के साथ शराब की बोतल ले कर छत पर बैठ गया और खानापीना होने लगा. उस ने पत्नी को पहले ही राजाराम के घर सोने के लिए भेज दिया था.

दूसरी ओर सुमन का संदेश पा कर उदयभान उस से मिलने के लिए बेचैन था. प्रेमिका से मिलने के लिए ही वह घर में पिनाहट जाने का बहाना बना कर शाम को ही निकल गया. जैसे ही रात के 10 बजे, वह राममूर्ति के घर के सामने जा पहुंचा.

घर का दरवाजा खुला था, इसलिए वह दबे पांव अंदर घुस गया. उसे लगा कि सुमन ने ही दरवाजा खोल रखा है. उस ने छत पर आने को कहा था, इसलिए सीढि़यां चढ़ कर वह सीधे छत पर जा पहुंचा. लेकिन छत पर उस ने राममूर्ति, उस के भाइयों और रिश्तेदारों को देखा तो उसे काटो तो खून नहीं. वह पलट कर भागता, उस के पहले ही राममूर्ति ने लपक कर उसे पकड़ लिया.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 12 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...