शहर के आउटस्कर्ट पर लगा यह पुलिस थाना है. यहां पर हलचल शहर के और थानों की अपेक्षा कम ही रहती है. कारण स्पष्ट है कि आसपास ग्रामीण इलाका है, कुछ इलाका घना जंगली भी है. इस शांत जंगली इलाके में अकसर शराबी लोग पार्टियां करने के लिए आया करते हैं.

जनवरी की शुरुआत है और मौसम की ठंडक अपने शबाब पर. थाने के पूरे स्टाफ की नए वर्ष के सेलिब्रेशन की खुमारी अभी तक टूटी नहीं थी. शाम के लगभग 4 बजे थे.

''साहब पास के जंगल में एक लाश पड़ी है,’’ थाने के अंदर घुसता हुआ 20-21 साल का एक युवक बोला.

''तो मैं क्या करूं?’’ स्वागत डेस्क पर बैठा जवान, जो रिपोर्ट लिखने का भी काम करता था, अधखुली आंखों से बोला.

''साहब, आप मेरा यकीन कीजिए. चाहे तो आप उस जगह पर चल कर देख लो,’’ वह युवक बोला.

''तू कौन है? तुझे पता चला कि वह लाश ही है? हो सकता है कोई आदमी दारू पी कर बेसुध पड़ा हो.’’ जवान उसी अवस्था में बोला.

''साहब, मेरा नाम राधेश्याम है और मैं मवेशी चराता हूं. मवेशियों को वापस गांव में लाते समय मुझे वह लाश दिखाई दी थी. वह कोई शराबी या कोई सोया हुआ आदमी नहीं था. उस के शरीर पर कुछ अजीब तरह से जलने के निशान थे,’’ उस युवक ने बताया.

''जा... जा कर जंगल के चौकीदार को यह बात बता. नियमों के अनुसार चौकीदार की रिपोर्ट पर ही पुलिस तस्दीक करने जाएगी.’’ वह पुलिस वाला उस युवक को टरकाने के मकसद से बोला.

''साहब, मुझे मवेशियों को उन के मालिकों को सौंपना है. इसी वजह से मैं ने चौकीदार को नहीं खोजा.’’ युवक ने साफसाफ बता दिया.

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