Short Kahani in Hindi : कुछ जख्म ऐसे होते हैं जो कभी नहीं भरते. डा. पारुल के साथ भी ऐसा ही था. जब वह डा. पारुल के सामने आया तो उन के जख्म हरे हो गए. लेकिन एक तरफ उन का फर्ज था और दूसरी तरफ...
नर्स स्नेहा बहुत घबराई हुई थी. डा. पारुल के कक्ष में प्रवेश करते ही उस ने जल्दबाजी में कहा, ‘‘डाक्टर जल्दी चलिए. उसे गोलियां लगी हैं, तुरंत औपरेशन करना होगा.’’
‘‘ठीक है, फौरमैलिटी पूरी कराओ और औपरेशन थिएटर में ले चलो. मैं आती हूं.’’
‘‘उस के साथ कोई नहीं है डाक्टर, 2 आदमी आटोरिक्शा से लाए थे. छोड़ कर चले गए. फौरमैलिटी किस से पूरी कराएं?’’
‘‘पुलिस को इनफार्म कर के औपरेशन की तैयारी करो.’’
डा. पारुल औपरेशन थिएटर में पहुंचीं तो तो घायल व्यक्ति को औपरेशन टेबल पर लिटाया जा चुका था. उस के दाएं हाथ में गोली और चेहरे व छाती पर छर्रे लगे थे. पूरा चेहरा खून में डूबा था. वार्डबौय और नर्सें खून साफ कर रही थीं. डाक्टर पारुल ने उसे इंजेक्शन दिया, फिर उस के चेहरे की ओर देखते हुए बोलीं, ‘‘हो सकता है, कोई सी आंख डैमेज हुई हो. मदद करो, मैं देखती हूं.’’
गनीमत थी, आंखें बच गई थीं. छर्रे माथे और चेहरे पर लगे थे. उस का चेहरा देख डा. पारुल पलभर के लिए सकपकाई. उन के चेहरे पर कई भाव आ कर चले गए, जिन्हें उन के स्टाफ ने नहीं देखा. तभी एक नर्स ने कहा, ‘‘डाक्टर, इस के हाथ का खून नहीं रुक रहा. गोली अभी बांह में है. जहर फैलने का डर है.’’