हारुन 36 साल का स्मार्ट, खूबसूरत और कसरती बदन का मालिक था. रूमाना बेहद हसीन नाजुक सी 25-26 साल की युवती थी. हारुन ने उसे एक तसवीर दिखाते हुए कहा, ‘‘रूमाना, यह एक बड़ा आसामी है. इस से काफी माल मिल सकता है. इस के बाद हम मुल्क छोड़ कर बाहर चले जाएंगे. यह मेरा वादा है.’’
रूमाना ने निर्णायक स्वर में कहा, ‘‘याद रखना, यह आखिरी बार है. अब मैं थक चुकी हूं. इस का नाम क्या है?’’
‘‘करीमभाई. उम्र 55 साल. सीधासादा शरीफ बंदा है. बहुत बड़ा बिजनैसमैन है. सब से बड़ी बात यह है कि यह एकदम अकेला है. ग्रे बालों के साथ काफी स्मार्ट और सोबर लगता है. तंदुरुस्त और चाकचौबंद रहने वाला यह आदमी अपनी उम्र से 10 साल कम लगता है.’’
‘‘ठीक है,’’ रूमाना ने कहा.
करीम भाई काफी अमीर और मशहूर बिजनैसमैन थे. 15-16 साल की उम्र में मैट्रिक कर के उन्होंने अपना कारोबार शुरू किया था. उन के पिता भी बड़े कारोबारी थे, पर उन्होंने बेटे की कोई मदद नहीं की थी. करीमभाई ने अपनी पहली डील मां से रुपए उधार ले कर की थी.
जब वह कमाने लगे थे तो उन्होंने मां के रुपए वापस कर कर दिए थे, लेकिन वह अपने वालिद के शुक्रगुजार थे कि उन्होंने अपने आप कारोबार जमाने का उन्हें आत्मविश्वास दिया. उन्होंने अपने आप अपना बिजनैस खड़ा किया था. बाद में यही सबक उन्होंने अपने बेटों को दिया. उन्होंने अपने बेटों को रकम तो दी, पर बिजनैस सेट हो जाने पर उन्हें उन का कारोबार, घर सब अलग कर दिया था. अब वे अपनाअपना कारोबार अलग चला रहे थे.
करीमभाई ने शुरू से ही उसूल बना रखा था कि औफिस में औरत को नौकरी पर नहीं रखेंगे. उन का खयाल था कि औरत घर की मलिका है, उसे औफिस के धक्के नहीं खाना चाहिए. शायद इसीलिए उन की बीवी हाजरा घर की रानी थीं. घर के सारे फैसले वही करती थीं.
उम्र में करीमभाई से 5 साल छोटी थीं, पर उम्र बढ़ने पर भी बहुत खूबूसरत थीं. 2 जवान बेटों और एक बेटी की मां थीं. सब की शादियां हो चुकी थीं. सब अपनेअपने घरों में खुश थे. हाजरा बेटों को अलग नहीं करना चाहती थीं, लेकिन करीमभाई ने समझाया था कि दूरी से मोहब्बत बढ़ेगी, आनाजाना मिलनाजुलना होता रहेगा. इस घर की मलिका सिर्फ हाजरा रहेगी, हंसीखुशी राज करेगी.
बात उन की समझ में आ गई थी. लेकिन वह ज्यादा दिनों तक राज नहीं कर सकीं. एक साल पहले कैंसर से उन की मौत हो गई. बहुत इलाज हुए, पर जान न बच सकी. तब से करीमभाई अकेले हो गए थे. अब लंच वह घर पर करते थे, जबकि रात का खाना बाहर खा कर आते थे.
उस रात भी वह होटल में डिनर करने गए थे. लौन उन की पसंदीदा जगह थी, जहां समुद्र से आने वाले नम हवा के झोंके अलग ही मजा देते थे. डिनर के बाद वह पार्किंग में आए और अपनी कार के करीब पहुंचे तो देखा एक औरत बोनट पर झुकी सिसकियां ले रही थी.
उस ने अपना बायां पैर थाम रखा था. उस ने खूबसूरत रेशमी अनारकली सूट पहन रखा था. लंबे बालों ने गोरा खूबसूरत चेहरा आधा ढंक रखा था. करीमभाई ने आगे बढ़ कर पूछा, ‘‘मैडम, कोई प्रौब्लम है क्या?’’
उस ने अपना चेहरा ऊपर उठाया. करीमभाई आंसुओं से भीगा हसीन चेहरा देखते रह गए. उस की उम्र करीब 26 साल रही होगी. उस ने बेहद सुरीली आवाज में धीरे से कहा, ‘‘मेरे पैर में मोच आ गई है, बहुत दर्द हो रहा है.’’
करीमभाई ने उस का पैर देखा. दूधिया टखने के पास सूजन नजर आ रही थी. वह बेहद नाजुक लग रही थी.
‘‘डाक्टर को दिखाना पड़ेगा. आप के साथ कोई है?’’ करीमभाई ने पूछा.
‘‘नहीं, मैं अकेली ही आई हूं. यह सामने मेरी कार है, लेकिन अब मैं ड्राइव कैसे करूं?’’ उस ने नए मौडल की कार की तरफ इशारा कर के कहा.
करीमभाई ने सकुचाते हुए कहा, ‘‘आप को ऐतराज न हो तो मैं आप को डाक्टर के पास ले चलूं? मेरा नाम करीमभाई है. मेरा छोटा सा बिजनैस है. यह रहा मेरा कार्ड?’’
‘‘मैं आप को जानती हूं. आप अकसर यहां आते हैं.’’
करीमभाई ने उसे सहारा दे कर आगे की सीट पर बिठाया. हाजरा के बाद वह पहली औरत थी, जो उन के साथ बैठी थी. उस की खुशबू और खूबसूरती से करीमभाई प्रभावित हो रहे थे. उन्होंने पूछा, ‘‘आप का नाम क्या है?’’
‘‘मैं रूमाना अनीस.’’
‘‘अनीस आप के हसबैंड हैं?’’
‘‘नहीं, अनीस मेरे वालिद का नाम है. अब वह इस दुनिया में नहीं हैं.’’
न जाने क्यों उन्हें यह जान कर खुशी हुई कि रूमाना शादीशुदा नहीं है. वह उसे एक बड़े अस्पताल की ओपीडी में ले गए, जहां पट्टी कर के दवाएं और क्रीम दे दी गईं. दवा देते हुए डाक्टर ने कहा, ‘‘आप की मिसेज बहुत नाजुक हैं, खयाल रखा करें.’’
दोनों बुरी तरह झेंप गए.
सहारा दे कर वापस आते समय करीमभाई के दिल की धड़कन बढ़ गई थी. रूमाना का फ्लैट पहली मंजिल पर था. एक बार फिर उन्हें खुशी हुई. वह उसे सहारा दे कर ऊपर ले गए. उस ने करीमभाई का शुक्रिया अदा किया, लेकिन अंदर आने को नहीं कहा. इस हालत में वह वैसे भी उन्हें अंदर नहीं बुला सकती थी. जाते हुए करीमभाई ने कहा, ‘‘कार्ड पर मेरा मोबाइल नंबर है. जरूरत पड़ने पर बेहिचक फोन कर दीजिएगा.’’
रूमाना ने पर्स से चाबी निकाल कर देते हुए कहा, ‘‘मेरी कार अपने ड्राइवर से भिजवा दें तो मेहरबानी होगी.’’
इसी के साथ उस ने अपना मोबाइल नंबर भी दे दिया था.
उस रात करीमभाई बहुत खुश थे. उन की तनहाई खूबसूरत खयालों और ख्वाबों से सज गई थी. उन्हें हाजरा का खयाल नहीं आया. अगली सुबह दफ्तर जाते हुए उन्होंने रूमाना को फोन किया, ‘‘आप की तबीयत कैसी है?’’
‘‘अब काफी बेहतर है. गरम पानी से काफी आराम मिला है. मुझे लग रहा था कि आप का फोन आएगा.’’ उस ने धीमे से कहा.
‘‘आप को ऐसा क्यों लग रहा था?’’
‘‘मेरे दिल ने कहा था. यह मुझे अच्छा नहीं लगा कि आप को मैंने कल बाहर से ही जाने दिया. मैं चाहती हूं कि आप मेरे घर आएं, ताकि मैं आप का शुक्रिया अदा कर सकूं.’’
करीमभाई के दिल में घंटियां बजने लगीं. उन्होंने कहा, ‘‘वैसे शुक्रिया अदा करने की जरूरत नहीं है. मैं आप को देखने कल शाम को आऊंगा.’’
अगले दिन की शाम तक का समय करीमभाई ने बड़ी बेचैनी से गुजारा. औफिस से वह सीधे होटल गए. वहां पार्किंग में अपनी गाड़ी छोड़ी और रूमाना की गाड़ी ले कर उस के फ्लैट पर पहुंचे. रास्ते से फूल और केक भी ले लिया था. रूमाना उन्हें देख कर खिल उठी. उस ने गुलाबी अनारकली जोड़ा पहन रखा था, जिस में वह गजब ढा रही थी.
घर बेहद सलीके से सजा हुआ था. सारा सामान बहुत कीमती था. केक व फूल देख कर उस ने कहा, ‘‘इस की क्या जरूरत थी.’’
उस का पैर काफी ठीक था. उस ने उन्हें इसरार कर डिनर के लिए रोक लिया. अंधा क्या चाहे, दो आंखें. उस की बातें सीधीसादी थीं. उस ने बताया कि उस की एक बार शादी हो चुकी थी, पर चली नहीं. उस की शादी उस के डैडी ने हारुन से की थी. पता नहीं वह कैसे धोखा खा गए. वह अच्छा इंसान नहीं था.