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रात के 2 बज गए थे. बहुत कोशिश के बाद भी प्रोफेसर मुकुल बनर्जी को नींद नहीं आई. पत्नी सुचित्रा नींद के आगोश में थी. मुकुल ने उसे नींद से जगा कर फिर से अनुनयविनय करने का विचार किया. उन्हें लग रहा था कि जब तक संबंध नहीं बनाएंगे, नींद नहीं आएगी. इस के लिए वह शाम से ही बेकल थे.

सोने से पहले उसे अपनी भावना से अवगत भी कराया था. लेकिन उस ने साफ मना कर दिया था.  बोली, ‘‘बहुत थकी हूं. आप को तो पता है कल कंपनी के काम से 10 दिन के लिए इटली जा रही हूं. सुबह 6 बजे तक नहीं उठूंगी तो फ्लाइट नहीं पकड़ पाऊंगी. प्लीज सोने दीजिए.’’

उन्होंने उसे समझाने और मनाने की कोशिश की, पर कोई फायदा नहीं हुआ. वह सो गई. बाद में उन्होंने भी सोने की कोशिश की किंतु नींद नहीं आई.  26 वर्ष पहले जब उन्होंने सुचित्रा से विवाह किया था तो वह 24 वर्ष की थी. उन से 2 साल छोटी. तब वह ऐसी न थी. जब भी अपनी इच्छा बताते थे, झट से राजी हो जाती थी. उत्साह से साथ भी देती थी.

उस के साथ हंसतेखेलते कैसे वर्षों गुजर गए, पता ही नहीं चला. इस बीच उन की जिंदगी में बेटा गौरांग और बेटी काकुली आए.

गौरांग 2 साल पहले पढ़ाई के लिए अमेरिका चला गया था. 4 साल का कोर्स था. काकुली उस से 4 वर्ष छोटी थी. मां को छोड़ कर कहीं नहीं गई, वह कोलकाता में ही पढ़ रही थी.

सुचित्रा में बदलाव साल भर पहले से शुरू हुआ था. तब तक वह कंपनी में वाइस प्रेसीडेंट बन चुकी थी.

वाइस प्रेसीडेंट बनने से पहले औफिस से शाम के 6 बजे तक घर आ जाती थी. अब रात के 10 बजे से पहले शायद ही कभी आई हो.  कपड़े चेंज करने के बाद बिस्तर पर ऐसे गिर पड़ती थी जैसे सारा रक्त निचुड़ गया हो.

ऐसी बात नहीं थी कि वह उसे सिर्फ रात में ही मनाने की कोशिश करते थे. छुट्टियों में दिन में भी राजी करने की कोशिश करते थे, पर वह बहाने बना कर बात खत्म कर देती थी.

कभी बेटी का भय दिखाती तो कभी नौकरानी का. कभीकभी कोई और बहाना बना देती थी.  ऐसे में कभीकभी उन्हें शक होता था कि उस ने कहीं औफिस में कोई सैक्स पार्टनर तो नहीं बना लिया है.

ऐसे विचार पर घिन भी आती थी. क्योंकि उस पर उन का पूरा भरोसा था.  कई बार यह खयाल भी आया कि सुचित्रा उन की पत्नी है. उस के साथ जबरदस्ती कर सकते हैं, लेकिन कभी ऐसा किया नहीं.

लेकिन आज उन की बेकरारी इतनी बढ़ गई थी कि उन्होंने सीमा लांघ जाने का मन बना लिया.  उन्होंने सोचा, ‘एक बार फिर से मनाने की कोशिश करता हूं. इस बार भी राजी नहीं हुई तो जबरदस्ती पर उतर जाऊंगा.’

उन्होंने नींद में गाफिल सुचित्रा को झकझोर कर उठाया और कहा, ‘‘नींद नहीं आ रही है. प्लीज मान जाओ.’’  सुचित्रा को गुस्सा आया. दोचार सुनाने का मन किया. पर ऐसा करना ठीक नहीं लगा. उस ने उन्हें समझाते हुए कहा, ‘‘दिल पर काबू रखने की आदत डाल लीजिए, प्रोफेसर साहब. जबतब दिल का मचलना ठीक नहीं है.’’

‘‘तुम्हें पाने के लिए मेरा दिल हर पल उतावला रहता है तो मैं क्या करूं? ऐसा लगता है कि अब तुम्हें मेरा साथ अच्छा नहीं लगता…’’   ‘‘यह आप का भ्रम है. सच यह है कि औफिस से आतेआते बुरी तरह थक जाती हूं.’’

‘‘रात के 10 बजे घर आओगी तो थकोगी ही. पहले की तरह शाम के 6 बजे तक क्यों नहीं आ जातीं?’’

‘‘आप समझते हैं कि मैं अपनी मरजी से देर से आती हूं. बात यह है कि पहले वाइस प्रेसीडेंट नहीं थी. इसलिए काम कम था. जब से यह जिम्मेदारी मिली है, काम बढ़ गया है.’’

‘‘जिंदगी भर ऐसा चलता रहेगा तो मैं कहां जाऊंगा. मेरे बारे में तो तुम्हें सोचना ही होगा.’’ उन की आवाज में झल्लाहट थी.

स्थिति खराब होते देख सुचित्रा ने झट से उन का हाथ अपने हाथ में लिया और प्यार से कहा, ‘‘नाराज मत होइए. वादा करती हूं कि इटली से लौट कर आऊंगी तो पहले आप की सुनूंगी, फिर औफिस जाऊंगी. फिलहाल आप सोने दीजिए.’’

सुचित्रा फिर सो गई. वह झुंझलाते हुए करवटें बदलने लगे. चाह कर भी जबरदस्ती न कर सके. जबरदस्ती करना उन के खून में था ही नहीं.

तन की ज्वाला शांत हुए बिना मन शांत होने वाला नहीं था. इसलिए उन्होंने सुचित्रा से बेवफाई करने का मन बना लिया.  वह समझ गए थे कि कारण जो भी हो, सुचित्रा अब पहले की तरह साथ नहीं देगी. कुछ न कुछ बहाना बनाती रहेगी.

उन्होंने जब ऐसी स्त्रियों को याद किया जो बिना शर्त, बिना हिचक संबंध बना सकती थी तो पहला नाम रूना का आया. उस से पहली मुलाकात शादी समारोह में हुई थी. 4 महीना पहले सुचित्रा की सहेली की बेटी की शादी थी. वह उस के साथ समारोह में गए थे.

पार्टी में काफी भीड़ थी. 10-15 मिनट बाद सुचित्रा बिछड़ गई. उस के बिना मन नहीं लगा तो बेचैन हो कर उसे ढूंढने लगे. 20-25 मिनट बाद मिली तो उन्होंने उलाहना दिया, ‘‘कहां चली गई थीं? ढूंढढूंढ कर परेशान हो गया हूं.’’

उस के साथ एक महिला भी थी. उस की परवाह किए बिना उन्हें झिड़कते हुए बोली, ‘‘मैं क्या 18-20 की हूं कि किसी के डोरे डालने पर उस के साथ चली जाऊंगी. आप भी अब 53 के हो गए हैं. इस उम्र में 18-20 वाली बेताबी मत दिखाइए, नहीं तो लोग हंसेंगे.’’

उस के बाद वह उस महिला के साथ चली गई. वह ठगे से खड़े रह गए. सुचित्रा ने उन के वजूद को उस ने पूरी तरह नकार दिया था.

अपनी बेइज्जती महसूस की तो वह भीड़ से अलग अकेले में जा कर बैठ गए. पत्नी से अपमानित होने के दर्द ने मन को भिगो दिया, आंखों से आंसू छलक आए.  आंसू पोंछने के लिए जेब से रुमाल निकालने की सोच ही रहे थे कि अचानक एक युवती अपना रुमाल बढ़ाती हुई बोली, ‘‘आंसू पोंछ लीजिए, प्रोफेसर साहब.’’

युवती की उम्र 30 वर्ष के आसपास थी. सलवार सूट से सुसज्जित लंबी कदकाठी थी. सुंदरता कूटकूट कर भरी थी.  उन्होंने कहा, ‘‘आप को तो मैं जानता तक नहीं. रुमाल कैसे ले लूं?’’

‘‘पहली बात यह कि मुझे आप मत कहिए. आप से छोटी हूं. दूसरी बात यह कि यह सच है कि आप मुझे नहीं जानते, पर मैं आप को खूब अच्छी तरह से जानती हूं.’’

युवती ने बात जारी रखते हुए कहा, ‘‘आप की पत्नी ने कुछ देर पहले आप के साथ जो व्यवहार किया था, वह किसी भी तरह से ठीक नहीं था. इस से पता चल गया कि प्यार तो दूर, वह आप की इज्जत भी नहीं करती.’’  उन्हें लगा कि वह 50 हजार के सूटबूट, 1 लाख की हीरे की अंगूठी, गले में सोने की कीमती चेन और विदेशी कलाई घड़ी से अवश्य सुसज्जित हैं, पर उस युवती की सूक्ष्म दृष्टि ने भांप लिया है कि वजूद का तमाम हिस्सा जहांतहां से रफू किया हुआ है.

युवती से किसी भी तरह की घनिष्ठता नहीं करना चाहते थे. इसलिए झटके से उठ कर खड़े हो गए.

भीड़ की तरफ बढ़ने को उद्यत ही हुए थे कि युवती ने हाथ पकड़ कर फिर से बैठा दिया और कहा, ‘‘आप का दर्द समझती हूं. पत्नी को बहुत प्यार करते हैं, इसीलिए उस की बुराई नहीं सुनना चाहते. पर सच तो सच होता है. देरसबेर सामना करना ही पड़ता है.’’

युवती की छुअन से 53 साल की उम्र में भी उन के दिल की घंटी बज उठी. युवती खुद उन से आकर्षित थी, अत: उस का दिल तोड़ना ठीक नहीं लगा. न चाहते हुए भी उन्होंने उस का परिचय पूछ ही लिया.

उस ने अपना नाम रूना बताया. मल्टीनैशनल कंपनी में जौब करती थी. ग्रैजुएट थी. अब तक अविवाहित थी.  मातापिता, भाईबहन गांव में रहते थे. शहर में अकेली रहती थी. पार्कस्ट्रीट में 2 कमरे का फ्लैट ले रखा था.

रूना ने बताया, ‘‘पहली बार आप को पार्क में मार्निंग वाक करते देखा था. आप की पर्सनैलिटी पर मुग्ध हुए बिना न रह सकी थी. लगा था कि आप अधिक से अधिक 40 के होंगे. आप की पत्नी ने आज आप को उम्र का अहसास कराया तो पता चला कि 53 के हैं. पर देखने में आप 40 से अधिक के नहीं लगते.’’

रूना आगे बोली, ‘‘रोजाना पार्क में वाक के लिए जाती थी, उस दिन के बाद आप को छिपछिप कर देखने लगी थी. आप से बात करने का मन होता था पर हिम्मत नहीं होती थी.  ‘‘एक दिन पार्क में आप को कोई परिचित मिल गया था. उस के साथ आप की जो बात हुई, उस से पता चला कि आप प्रोफेसर हैं. शादीशुदा तो हैं ही, 2 बड़ेबड़े बच्चों के पिता भी हैं.

‘‘किस कालेज में पढ़ाते हैं और कहां रहते हैं, इस का पता भी चल गया था. इस के बावजूद आप के प्रति मेरा झुकाव कम नहीं हुआ.  ‘‘आज इस पार्टी देने वाले की कृपा से आप से बात करने का मौका मिला है.यहां आते ही आप पर मेरी नजर पड़ी थी. मिलूं या न मिलूं, इसी उधेड़बुन में थी कि पत्नी से अपमानित हो कर आप इधर आ गए.

‘‘दुख में आप का साथ देना मुनासिब समझा और आप के पीछे आ गई. मेरी दोस्ती कबूल करें या न करें, पर जीवन भर आप को याद रखूंगी’’  उन्हें समझते देर नहीं लगी कि रूना उन के शानदार व्यक्तित्व की कायल है.

इसी तरह कालेज लाइफ में भी कई लड़कियां उन पर घायल थीं. कुछ ने शादी का प्रस्ताव भी दिया था. लेकिन उन्होंने किसी का प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया था. उस समय कैरियर ही सब कुछ था.

शिक्षा क्षेत्र में जाना चाहते थे, इसीलिए एमए के बाद पीएचडी की. फिर थोड़े से प्रयास के बाद कालेज में नियुक्ति हो गई.  एक वर्ष बाद शादी की सोची तो सुचित्रा  से परिचय हुआ. शादी का प्रस्ताव उसी ने दिया था. वह उन से बहुत प्रभावित थी.

काफी सोचने के बाद सुचित्रा का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था. कारण यह कि वह अपने मातापिता की एकलौती बेटी थी. उस के पिता शहर के नामी अमीरों में थे. उन का कई तरह का बिजनैस था. उस का बड़ा भाई राजनीति में था, बहुत रुतबे वाला. उस के परिवार के सामने उन की कोई हैसियत नहीं थी.

उन का परिवार सामान्य था. पिता शिक्षक थे. मां हाउसवाइफ थी. कुछ दिन पहले ही कुछ अंतराल पर दोनों का देहांत हुआ था.  संपत्ति के नाम पर पार्कस्ट्रीट पर 6 कट्ठा में बना 4 मंजिला मकान था. दूसरी मंजिल उन के पास थी. बाकी किराए पर दे रखा था. अच्छाखासा किराया आता था. कुछ बैंक बैलेंस भी था.

सुचित्रा सुंदर थी और स्मार्ट भी. सीए के बाद भी उस ने कई डिग्रियां हासिल की थीं. उस के घर वाले भी उन से प्रभावित थे. फलस्वरूप जल्दी ही धूमधाम से दोनों की शादी हो गई.

उन के मना करने पर भी सुचित्रा के पापा ने दोनों के नाम एक आलीशान मकान खरीद दिया तो उन्होंने अपना घर किराए पर दे दिया और सुचित्रा के साथ नए मकान में आ गए.

सुचित्रा के पिता के पास बाकुड़ा और मिदनापुर में 3 फार्महाउस थे. मिदनापुर वाला फार्महाउस 20 एकड़ का था. उसे उन्होंने सुचित्रा को दे दिया था. जबकि सुचित्रा कोलकाता में ही रह कर जौब करना चाहती थी. इसलिए फार्महाउस में मैनेजर रख दिया गया.

शादी के कुछ महीने बाद सुचित्रा ने जौब करने की बात कही तो उन्होंने इजाजत दे दी. वह होनहार थी ही. जल्दी ही एक बड़ी मल्टीनैशनल कंपनी में उच्च पद पर जौब मिल गया.

एकदूसरे की मोहब्बत से लबरेज जिंदगी समय की धारा के साथ दौड़ती चली गई. उन्हें लगा था कि सुचित्रा जीवन भर अपने प्यार के झूले पर झुलाती रहेगी, पर ऐसा नहीं हुआ. पिछले एक साल से न जाने क्यों वह उन से कतराने लगी थी.

कभी पराई स्त्री से संबंध बनाने के बारे में सोचना पड़ेगा, उन्होंने सोचा तक नहीं था. लेकिन सुचित्रा की अवहेलना से वह ऐसा करने पर मजबूर हो गए थे.

रूना से दोस्ती करने के बाद उस से बराबर मिलते रहे. उस के साथ मौल में 2 बार रोमांटिक मूवी भी देख आए थे. कालेज से छुट्टी ले कर पिकनिक भी मना चुके थे.

एक बार रूना उन्हें घर ले गई थी. बातोंबातों में वह अचानक उन से लिपट गई और बोली, ‘‘यदि आप की पत्नी नहीं होती तो आप से शादी कर लेती. आप को प्यार जो करने लगी हूं.’’

उन्होंने भी रूना को एकाएक बांहों में कस लिया था. सीमाएं लांघ पाते, उस से पहले ही उन का विवेक लौट आया.

रूना को अपने से अलग कर के उन्होंने कहा, ‘‘दोस्ती की एक सीमा होती है. मैं हमेशा तुम्हें दोस्त बनाए रखना चाहता हूं.’’

फिर रूना के कुछ कहने से पहले ही वहां से चले गए थे.  इस के बावजूद रूना ने उन से मिलना बंद नहीं किया था. वह नियमित मिलती रही थी.

इस तरह 4 महीने में ही रूना ने उन के वजूद को कोहरे की चादर की तरह ढंक लिया था. इसीलिए सुचित्रा से बेवफाई करने का मन हुआ तो उस से ही संबंध बनाने का फैसला किया.  अगले दिन सुचित्रा सुबह 8 बजे एयरपोर्ट चली गई तो उन्होंने रूना को फोन किया. वह चहकती हुई बोली, ‘‘सुबहसुबह कैसे याद किया प्रोफेसर साहब? सब खैरियत है न?’’

‘‘खैरियत नहीं है. अकेला हूं और तनहाई में तुम्हारा साथ चाहता हूं.’’

‘‘मतलब?’’ रूना ने चौंक कर पूछा.   ‘‘एक बार मैं ने मना कर दिया था. पर अब मैं तुम्हें पाने के लिए बेचैन हूं. तुम मिलोगी न?’’ उन्होंने बगैर कोई संकोच के अपने मन की बात कह दी.

‘‘आप को इतना प्यार करती हूं कि जान भी दे सकती हूं. शाम को कालेज से छुट्टी होते ही मेरे घर आ जाइए. पलकें बिछा कर आप की प्रतीक्षा करूंगी.’’

वह खुशी से झूम उठे. सारा दिन कैसे बीता, पता ही नहीं चला. रूना से मिलने की कल्पना से पुलकित होते रहे थे.  छुट्टी हुई तो बिना देर किए उस के घर चले गए. रूना ने उन का भरपूर स्वागत किया.

रात के 11 बजे अपने घर वापस लौट रहे थे तो जैसे हवा में उड़ रहे थे. पहली बार महसूस किया कि कभीकभी अपनों से अधिक परायों से सुख मिलता है. रूना से उन्होंने भरपूर सुख महसूस किया था.

अचानक मोबाइल पर रूना का मैसेज आया, ‘‘आप को मैं अच्छी लगी तो जब जी चाहे, आ सकते हैं. आप मेरे रोमरोम में बस गए हैं. आप को नजरअंदाज कर जी नहीं सकती.’’

रूना का प्यार देख कर मन मयूर नाच उठा. फिर उन्होंने भी मैसेज किया, ‘‘तुम मेरी धड़कन बन चुकी हो. मैं भी अब तुम्हारे बिना नहीं रह सकता.’’  अगले दिन से ही वह प्रतिदिन बेटी से कोई न कोई बहाना बना कर रूना के घर जाने लगे.

कहावत है कि सच्चाई जानते हुए भी आंखें मूंद लेने में दिल को बहुत सुकून मिलता है. उन्होंने भी ऐसा ही किया.  वह अच्छी तरह जानते थे कि जो हो रहा है, वह मृगतृष्णा है, जहां रेत को पानी समझ कर मीलों दौड़ते रहना पड़ता है.

इस के बावजूद शबनम की बूंदों सी बरसती प्यार की तपिश को महसूस करने के लिए उन्होंने शतुरमुर्ग की तरह रेत में अपना मुंह छिपा लिया था.  जिस दिन सुचित्रा इटली से लौट कर आई, उस दिन वह रूना के घर नहीं गए. कुछ दिनों तक उस से न मिलने का फैसला लिया था.

मुकुल रूना को अपना फैसला फोन पर बताने की सोच ही रहे थे कि उस का ही फोन आ गया, बोली, ‘‘जानती हूं, आप की पत्नी इटली से वापस आ गई है. अब आप नहीं आ पाएंगे. आएंगे भी तो कभीकभी. कोई बात नहीं. आप आएं या न आएं, मैं तो सदैव आप को याद रखूंगी.

‘‘आप भी मुझे हमेशा याद रखेंगे. इस के लिए कुछ उपाय मैं ने किए हैं. फोन पर भेज रही हूं. अच्छे से देख लीजिए और सोचसमझ कर कदम उठाइए.’’

फिर मोबाइल पर रूना के मैसेज पर मैसेज आने लगे. उन्होंने मैसेज खोलना शुरू किया तो दिल की धड़कन बेतरह बढ़ गई. आंखों के आगे अंधेरा छा गया.

मैसेज में कई एक फोटो थे. सारे के सारे रूना और उन के अंतरंग क्षणों के थे. जाहिर था रूना ने कैमरा लगा रखा था या फिर उस के किसी साथी ने छिप कर फोटो खींचे थे.

उन की समझ में आ गया कि सारा कुछ सुनियोजित था. उन के हाथपैर कांपने लगे. घबराहट में भय से रुलाई छूट गई.

ऐसे फोटो देखने के बाद समाज में उन की इज्जत राईरत्ती भी नहीं रहती. पत्नी की नजर में भी सदैव के लिए गिर जाते. वह उन्हें तलाक भी दे सकती थी.

कुछ देर बाद अपने आप को काबू में कर रूना को फोन किया, ‘‘तुम ने ऐसा क्यों किया? तुम तो मुझे प्यार करती थी.’’  ‘‘प्यार तो अब भी करती हूं प्रोफेसर साहब, पर प्यार से पेट थोड़े भरता है. इस के लिए रुपए की जरूरत होती है. मांगने से तो देते नहीं, इसीलिए ऐसा करना पड़ा.

‘‘लेकिन आप डरिए मत. बेफिक्र हो कर मेरे घर आ जाइए. मेरी बात मान लेंगे तो सब कुछ ठीक हो जाएगा.’’ अगले दिन वह रूना के घर गए तो उस का रूप देख कर दंग रह गए. पहले तो उस ने 30 करोड़ रुपए मांगे. उन के गिड़गिड़ाने पर 25 करोड़ पर रुक गई, जबकि वह उसे 5 लाख से अधिक नहीं देना चाहते थे.

दोनों में बहुत देर तक गरमागरम बहस हुई. कोई समझौता नहीं हुआ तो रूना बोली, ‘‘आज एक सच बताती हूं. वह यह कि मैं किसी कंपनी में जौब नहीं करती. एक आश्रम के लिए काम करती हूं.

‘‘उस आश्रम के मालिक स्वामी सच्चिदानंद हैं. उन के कहने पर ही आप को अपने जाल में फंसा कर फोटो और वीडियो बनाया था. अंतिम फैसला स्वामीजी ही करेंगे.’’

उन्होंने आश्रम में जा कर स्वामीजी से बात की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. वह 30 करोड़ से कम पर राजी नहीं हुए.

उन्होंने कैश न होने की बात की तो स्वामीजी ने कहा, ‘‘आप के पास कैश है कि नहीं, मैं नहीं जानता. पर इतना जानता हूं कि आप के पास एक पुश्तैनी मकान है जो आज की तारीख में 30-35 करोड़ का है. उसे आश्रम के नाम कर दीजिए. बात खत्म हो जाएगी.’’

वह समझ गए कि रोनेगिड़गिड़ाने से कोई फायदा नहीं होगा. इस के लिए कोई योजना बना कर उन के जाल से निकलना होगा.

सोचनेसमझने के नाम पर उन्होंने स्वामीजी  से 10 दिन का समय मांग लिया और घर आ कर उन्हें कानूनी चंगुल में फंसाने की योजना बनाई.

2 दिन बाद उन्होंने रूना को फोन पर कहा, ‘‘तुम से एक समझौता करना चाहता हूं, जिस में तुम्हें बहुत बड़ा फायदा होगा.’’

रूना ने अपने घर बुला लिया तो उन्होंने उसे समझाते हुए कहा, ‘‘मुझे अपना मकान किसी को देना ही है तो स्वामीजी को क्यों दूं? तुम्हें क्यों न दूं? सुख तो मुझे तुम से मिला है.   ‘‘इस के बदले में तुम्हें मेरे मोबाइल में स्वामीजी के खिलाफ अपना बयान रिकौर्ड करा देना है. तुम्हें कुछ नहीं होगा, स्वामीजी जेल चले जाएंगे.’’

‘‘स्वामीजी को कानून के जाल में फंसाना इतना आसान नहीं है. आप मेरे बयान पर पुलिस की मदद लेंगे तो वह आप की पत्नी को अपना हथियार बना कर आप को सरेंडर करने पर मजबूर कर देंगे.’’

उन्होंने चौंक कर पूछा, ‘‘मैं कुछ समझा नहीं. मेरे और स्वामीजी के बीच मेरी पत्नी कहां से आ गई?’’

‘‘बात यह है कि आप की पत्नी स्वामीजी पर फिदा है. वह साल भर से उन की गुलामी कर रही है. स्वामीजी ने आप की पत्नी की कई तरह की पोर्न फिल्में बना रखी हैं.‘‘आप समझते हैं कि रात के 9 बजे तक वह औफिस में रहती है इसीलिए रात 10 बजे घर आती है. जबकि सच्चाई यह नहीं है. सच्चाई यह है कि रोज औफिस से शाम 5 बजे फ्री हो जाती है. फिर स्वामीजी के आश्रम जा कर स्वामीजी के साथ मौजमस्ती करती है, फिर घर जाती है.

‘‘10 दिनों के लिए आप की पत्नी कंपनी के काम से इटली नहीं गई थी. वह स्वामीजी के साथ मौजमस्ती करने इटली गई थी.’’

प्रमाणस्वरूप रूना ने अपने मोबाइल में उन की पत्नी और स्वामीजी का अंतरंग क्षणों का वीडियो दिखा कर कहा, ‘‘इसे मैं ने स्वामीजी से छिप कर इसलिए शूट किया था ताकि जरूरत पड़ने पर उन के खिलाफ इस्तेमाल कर सकूं.’’

सुन कर वह सकते में आ गए. जिस पत्नी को वह चरित्रवान समझ रहे थे, वह बदचलन निकली. बहुत देर बाद उन्होंने अपने आप को समझाया.

रूना से रिक्वेस्ट कर के उन्होंने अपने मोबाइल में वीडियो सेंड करवाया और यह कह कर चले गए कि 2-3 दिन में अच्छी योजना के साथ उस से मिलेंगे. उन्होंने उसे यह भी कहा कि वह हर हाल में अपना मकान उसे ही देंगे.

3 दिन बाद जबरदस्त योजना ले कर वह रूना के घर आ भी गए. योजना सुन कर वह खुशी से उछल पड़ी. वाकई जबरदस्त योजना थी.  ‘‘मेरी जान भले चली जाए, लेकिन मैं आप की योजना सफल बना कर रहूंगी. मगर आप अपना मकान मेरे नाम कब करेंगे?’’ रूना ने पूछा.

‘‘मैं मकान के पेपर तैयार कर के साथ लाया हूं. योजना सफल होते ही उस पर दस्तखत कर दूंगा. इतना ही नहीं, मैं ने तुम से शादी करने का भी फैसला किया है.’’  ‘‘यह कैसे होगा? आप की पत्नी जो है?’’

‘‘अब मैं उसे अपने साथ नहीं रखना चाहता. वह भी मुझे तलाक देने के लिए राजी है.’’

रूना खुशी के मारे उन से लिपट गई.  रूना को हर तरह से खुश करने के बाद उन्होंने सब से पहले पूरे कमरे में सीसीटीवी कैमरे लगाए. उस के बाद स्वामीजी के खिलाफ रूना का बयान अपने मोबाइल में रिकौर्ड किया.  जरूरी काम कर के स्वामीजी को फोन किया, ‘‘आप के आश्रम के नाम मैं ने मकान के पेपर बनवा लिए हैं. शाम के 6 बजे रूना के घर आ जाइए. पेपर पर आप दोनों के सामने दस्तखत कर दूंगा.’’

स्वामीजी ने उन्हें पेपर ले कर आश्रम आने के लिए कहा. वह आश्रम में जाने के लिए राजी नहीं हुए तो स्वामी साढे़ 6 बजे अपने 2 सहयोगी के साथ रूना के घर आ गया.

आते ही स्वामी ने मकान के पेपर मांगे तो उन्होंने कहा, ‘‘पेपर तो दूंगा ही. पहले आप यह बताइए कि मेरी पत्नी पर आप ने कौन सा जादू कर रखा है कि आप की गुलाम बन गई है. खुशीखुशी अपना सर्वस्व तक सौंप देती है? उस से आप चाहते क्या हैं?’’

‘‘मेरी शिष्या नमिता जिस कंपनी में चेयरमैन है, उसी में आप की पत्नी है. नमिता से ही पता चला कि आप की पत्नी के पास एक फार्महाउस है और आप के पास पुश्तैनी मकान है.

‘‘नमिता को आप की पत्नी के पीछे लगा दिया. वह वाइस चेयरमैन बनना चाहती थी, सो मेरे इशारे पर चलने लगी. बाद में मैं ने रूना को आप के पीछे लगा दिया था.’’  स्वामीजी आगे कुछ कहते, उस से पहले दरवाजे की घंटी बजी. रूना ने दरवाजा खोला तो सुचित्रा थी.

वह कुछ कहती, उससे पहले सुचित्रा यह कहते हुए अंदर आ गई, ‘‘मैं जानती हूं, स्वामीजी और मेरे पति अंदर हैं. मुझे तुम लोगों के बारे में सब कुछ मालूम हो गया है. स्वामीजी से बात कर के चली जाऊंगी.’’

रूना दरवाजा बंद करने लगी तो सुचित्रा ने मना कर दिया. कहा, ‘‘2 मिनट में लौट जाऊंगी. दरवाजा बंद करने की जरूरत नहीं है.’’

सुचित्रा के आ जाने से सभी सकते में थे. रूना भी परेशान हो गई थी. वह कुछ समझ नहीं पा रही थी कि अब उसे क्या करना चाहिए.

सुचित्रा स्वामीजी से बोली, ‘‘आप को एक सच बताने आई हूं.’’ ‘‘क्या?’’ स्वामीजी ने पूछा.

‘‘मेरे पति रूना को प्यार करते हैं. मुझे तलाक दे कर उस से शादी करना चाहते हैं. अपना मकान भी उसी को देना चाहते हैं. इसलिए मैं ने भी अपना फार्महाउस आप के आश्रम को दे कर अपनी शेष जिंदगी आप के साथ बिताने का फैसला किया है.’’

सुचित्रा के चुप होते ही स्वामीजी दहाड़ उठे, ‘‘तुम तो अपनी संपत्ति दोगी ही. तुम्हारे पति को भी देनी होगी. अपनी संपत्ति रूना को देने वाला वह कौन होता है. यदि वह मेरी बात नहीं मानेगा तो मेरे लोग यहीं पर उस का कत्ल कर देंगे.’’

स्वामीजी प्रोफेसर साहब से कुछ कहते, उस से पहले खुले दरवाजे से पुलिस आ गई.  स्वामीजी और उन के दोनों सहयोगियों को गिरफ्तार कर लिया गया. रूना को भी गिरफ्तार कर लिया.

इंसपेक्टर ने स्वामीजी से कहा, ‘‘आप पर बहुत दिनों से पुलिस की नजर थी. सबूत के अभाव में गिरफ्तार नहीं कर पा रहे थे. आज पक्का सबूत मिल गया. कमरे में आप लोगों के बीच जो बातें हुई हैं, वे सब सीसीटीवी कैमरे में कैद हो चुकी हैं.’’

बात यह थी कि प्रोफेसर साहब को जब रूना से यह पता चला कि उन की पत्नी सुचित्रा दुश्चरित्र है, स्वामीजी के साथ उस का अवैध संबंध है तो उन का दिल टूट गया.

पहले तो उन्होंने उस से शादी तोड़ लेने का विचार किया. पर तुरंत अपने विचार को दरकिनार कर उसे एक मौका देने का फैसला कर लिया. वह वाकई पत्नी को बहुत प्यार करते थे.

उन्होंने सुचित्रा से स्वामीजी के बाबत पूछा तो वह फफकफफक कर रोने लगी. उन्होंने उसे आश्वस्त किया तो बोली, ‘‘आप को सब कुछ बताना चाह रही थी, पर हिम्मत नहीं जुटा पाई. अब आप को सब कुछ पता चल ही गया है तो मैं अपनी गलती स्वीकार करती हूं. प्लीज मुझे माफ कर दीजिए.’’

फिर उस ने सब कुछ सचसच बता दिया.  दरअसल, सुचित्रा कंपनी का चेयरमैन बनना चाहती थी, पर वह बन नहीं सकी. उस से 2 साल जूनियर नमिता भट्टाचार्य चेयरमैन बन गई. वह किसी की सिफारिश पर बनी थी.

इस से वह दुखी थी और जौब से त्यागपत्र देने का मन बना लिया था.  त्यागपत्र देती उस से पहले नमिता भट्टाचार्य ने उस से कहा, ‘‘जानती हूं, तुम चेयरमैन नहीं बन सकी इसलिए दुखी हो. तुम त्यागपत्र मत दो. मुझ पर भरोसा रखो. जल्दी ही तुम्हें वाइस चेयरमैन बनवा दूंगी.’’

‘‘वह कैसे?’’   ‘‘तुम्हारे जूनियर रहते हुए भी जिस ने मुझे अपने पावर से चेयरमैन बनवाया है, वही तुम्हें वाइस चेयरमैन बनवा देंगे. 3-4 महीने बाद वाइस चेयरमैन का पद खाली होने वाला है.’’

‘‘कौन है वह?’’ सुचित्रा ने पूछा.  ‘‘2 दिन बाद उन के पास ले चलूंगी. सब कुछ जान जाओगी.’’

वाइस चेयरमैन का पद सुचित्रा को खराब नहीं लगा. 2 दिन बाद नमिता भट्टाचार्य उसे एक आश्रम में ले गई. स्वामीजी से पहली बार उस का परिचय हुआ. वहीं पर उसे पता चला कि वह सर्वशक्तिमान हैं. कुछ भी कर सकते हैं.

स्वामीजी 40-45 साल के थे. बड़े ही हैंडसम और स्मार्ट. वाकपटुता में दक्ष थे. सुचित्रा उन से बहुत प्रभावित हुई.

स्वामीजी ने उसे कहा, ‘‘3 महीने बाद मैं तुम्हें हर हाल में वाइस चेयरमैन बना दूंगा. पर याद रखना किसी को कभी भी बताना मत कि तुम्हें किस ने वाइस चेयरमैन बनवाया है. दूसरी बात यह कि इस के लिए तुम्हें 3 महीने तक रोज आश्रम में आ कर साधना करनी होगी. पर घर वालों को इस के बारे में कुछ पता नहीं चलना चाहिए.’’

सुचित्रा उन की बात मान गई. अगले दिन औफिस से छुट्टी होते ही आश्रम जा कर साधना करने लगी. इस के लिए उसे घर में तरहतरह के बहाने बनाने पड़ते थे.

2 महीने में ही वह स्वामीजी से घुलमिल गई. स्वामी उसे अच्छा और सच्चा इंसान लगा. लेकिन उन की सच्चाई जल्दी ही सामने आ गई.  हुआ यह कि एक दिन स्वामीजी ने चरणामृत के नाम पर उसे कुछ ऐसी चीज पिलाई कि अचेत हो गई.

एक घंटे बाद होश आया तो अपने आप को स्वामीजी के बिस्तर पर पाया.  वह चिंता में पड़ गई. सोचने लगी कि स्वामीजी ने कहीं उस की इज्जत तो नहीं लूट ली?  तभी स्वामीजी बोले, ‘‘तुम चिंता मत करो. तुम्हारी इज्जत सलामत है. हालांकि चाहता तो आराम से सब कुछ कर सकता था. लेकिन जो आनंद स्वेच्छा में है, वह जबरदस्ती या धोखे में नहीं.

‘‘यह सच है कि मैं तुम्हें पाना चाहता हूं लेकिन तुम्हें राजी कर के, जबरदस्ती नहीं. मैं तुम्हारा काम करूंगा तो क्या तुम मुझे खुश नहीं कर सकतीं? बेहतर यही है कि तुम मुझे खुश कर दो. वैसे भी ताली दोनों हाथों से बजती है.’’

वह हर हाल में वाइस चेयरमैन बनना चाहती थी, अत: पतिव्रता धर्म को दरकिनार कर यह सोच कर अपने आप को स्वामीजी के हवाले कर दिया कि सिर्फ एक दिन की बात है.

पति से बेवफाई करते समय उसे बहुत बुरा लगा था. लेकिन स्वामीजी से अथाह सुख पा कर बेवफाई की भावना को मन से निकाल फेंका.  वैसा सुख उसे पति से कभी नहीं मिला था. इसलिए चाह कर भी स्वामीजी से नफरत नहीं कर सकी. उन के द्वारा दिए गए जिस्मानी सुख को दिल से लगा बैठी.

इसी कारण 2 दिन बाद स्वामीजी ने उसे फिर से बांहों में भरा तो सुचित्रा ने कोई विरोध नहीं किया. फिर तो सिलसिला बन गया.  स्वामीजी खिलाड़ी थे, औरतों के रसिया. उन्हें ऐसी मुद्राएं आती थीं, जिन्हें समझ पाना और अमल में लाना आम आदमी के वश की बात नहीं थी. उन की इस कला से औरतें खुश रहती थीं.  स्वामीजी से तरहतरह का सुख पा कर सुचित्रा आत्मविभोर हो उठती थी. इसी वजह से पति से विमुख हो कर उस ने पूरा ध्यान स्वामीजी पर केंद्रित कर दिया था.

वाइस चेयरमैन बनने के बाद स्वामीजी की सलाह पर वह प्रतिदिन औफिस से छूटते ही आश्रम में जा कर उन के साथ मौजमस्ती करने लगी थी.

स्वामीजी से उस का भ्रम तब टूटा जब उन के साथ इटली में 10 दिनों तक भरपूर आनंद लेने के बाद कोलकाता आई.

बातोंबातों में उस ने स्वामीजी से कहा, ‘‘आप मेरी जिंदगी में नहीं आते तो कुएं का मेंढक ही बनी रहती. पता ही नहीं चलता कि समुद्र क्या होता है. उस की लहरें क्या होती हैं. लहरों से कितना सुख मिलता है. मैं आप को कभी नहीं भूल सकती. जरूरत पड़ी तो आप पर अपनी जान भी न्यौछावर कर दूंगी.’’

ठीक मौका देख कर स्वामीजी ने कहा, ‘‘ऐसी बात है तो यह बताओ, अगर मैं कुछ मांगू तो दोगी?’’

‘‘क्यों नहीं दूंगी? मांग कर देखिए.’’  ‘‘तुम्हारा फार्महाउस चाहिए. उस पर एक नया आश्रम बनाना चाहता हूं.’’

अब स्वामीजी की चाल उस की समझ में आ गई. इस में कोई शक नहीं था कि उसे उन से अथाह सुख मिला था. आगे भी मिलने रहने की संभावना थी. परंतु इस के लिए बच्चों का अधिकार किसी और को देना उसे मुनासिब नहीं लगा. नतीजतन उस ने स्वामीजी को फार्महाउस देने से मना कर दिया.

स्वामीजी ने उसे बहुत समझाया पर वह नहीं मानी. तब उन्होंने अपने मोबाइल में ऐसा फोटो दिखाया कि उस के होश उड़ गए.  उस ने अब तक पति के अलावा सिर्फ स्वामीजी से संबंध बनाया था, जबकि फोटो में उसे अलगअलग 4 अजनबियों से 4 लोकेशन में संबंध बनाते हुए दिखाया गया था.

उसे समझते देर नहीं लगी कि स्वामीजी ने यह सब उस का फार्महाउस लेने के लिए षडयंत्र के तहत किया था. वह उन के षडयंत्र में बुरी तरह फंस गई थी.

वह बहुत रोईगिड़गिड़ाई. लेकिन स्वामीजी पर कोई असर नहीं हुआ. अंतत: उस ने सोचने के लिए कुछ दिन का समय ले लिया.

4 दिन बीत गए, लेकिन उसे स्वामीजी के चक्रव्यूह से निकलने का कोई रास्ता दिखाई नहीं दिया तो उस ने सब कुछ पति को बता देने का निश्चय किया.

पति पर उसे भरोसा था कि माफ कर देंगे और स्वामीजी के चंगुल से निकलने का कोई रास्ता भी निकाल लेंगे.  सुचित्रा से सच जानने के बाद उन्होंने भी अपनी और रूना की बात बता कर माफी मांगी.

एकदूसरे को माफ करने के बाद दोनों ने मिल कर स्वामीजी और रूना को जेल भेजने की योजना बनाई.

सुचित्रा की सहेली का पति पुलिस में उच्च अधिकारी था. उन्हें सच्चाई बता कर मदद की गुहार की तो पुलिस की तरफ से भरपूर मदद मिल गई.

सादे लिबास में कुछ पुलिस वालों को रूना के घर के बाहर तैनात कर दिया गया. उन्हें बता दिया गया था कि घर के अंदर क्या होने वाला है और उन्हें अंदर कब आना है.

स्वामीजी और रूना को पुलिस गिरफ्तार कर ले गई तो पतिपत्नी दोनों अपनी योजना की सफलता पर खुश हो कर एकदूसरे से लिपट गए.  अपनों को छोड़ कर दूसरों में सुख ढूंढने के अंजाम से दोनों वाकिफ हो गए थे.

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