Family Dispute : निकिता और रेखाबेन का आए दिन का झगड़ा आम सास बहू के झगड़ों और कहासुनी से अलग नहीं था. लेकिन यह झगड़ा तब सीमाएं लांघ गया जब सास रेखाबेन ने गर्भवती बहू के गर्भ में ससुर का बच्चा होने का इलजाम लगाया. जाहिर है कोई भी औरत ऐसा झूठा आरोप नहीं सह सकती. निकिता भी नहीं…
परिवार में सासबहू के झगड़े सैकड़ों सालों से चले आ रहे हैं. ये विवाद कभी खत्म नहीं हुए और न ही हो सकते हैं. सासबहू की लड़ाई को टीवी की महारानी एकता कपूर ने सीरियल के रूप में घरघर तक नए रूप में पहुंचाया. संपन्न परिवारों में सास और बहू एकदूसरे को मात देने के लिए कुटिल चालों का तानाबाना बुनती रहती थीं, जिस के चलते टीवी सीरियल की कहानियां लंबी खिंचती जाती थीं. अब इन सीरियलों का दौर भले ही खत्म हो गया, लेकिन वास्तविक जीवन में सासबहू के झगड़े जारी हैं. आज भी कोई इक्कादुक्का परिवार ही ऐसे होंगे, जहां सास और बहू में आपस में प्रेमप्यार बना हुआ हो. आमतौर पर सास अपनी बहू पर मनमर्जी थोपना चाहती है और बहू आजादी चाहती है.
विवाद यहीं से शुरू होता है. यह विवाद कभीकभी इतना बढ़ जाता है कि या तो परिवार टूटने की नौबत आ जाती है या फिर अपराध की. कई बार ऐसे किस्से भी सुनने को मिलते हैं जब सास ने अपनी बहू को मार डाला. कभी इस के उलट कहानी भी सामने आती है. यह कहानी गुजरात की राजधानी अहमदाबाद शहर की है. अहमदाबाद के गोता इलाके में स्थित पौश आवासीय सोसायटी रौयल होम्स में फर्स्ट फ्लोर पर बने फ्लैट में रामनिवास अग्रवाल का परिवार रहता है. उन का शहर में पत्थर, टाइल्स का बड़ा कारोबार है. बेटा दीपक भी उनके साथ व्यापार में हाथ बंटाता है.
घरपरिवार में मौज थी. केवल 4 सदस्यों के इस परिवार में किसी चीज की कोई कमी नहीं थी. खुद रामनिवास अग्रवाल, उन की पत्नी रेखा बेन, बेटा दीपक और बहू निकिता उर्फ नायरा. रामनिवास की उम्र कोई 55 साल है. उन की पत्नी रेखा करीब 52 साल की थी. बेटा दीपक लगभग 30-32 साल का और बहू निकिता करीब 29 साल की. दीपक की शादी इसी साल 16 जनवरी को निकिता से हुई थी. निकिता राजस्थान के जिला अजमेर के ब्यावर निवासी सुरेशचंद्र अग्रवाल की बेटी है. रामनिवास भी मूलरूप से राजस्थान के रहने वाले हैं. उन का परिवार पहले पाली जिले में सुमेरपुर के पास जवाई बांध इलाके में रहता था. बाद में रामनिवास व्यापार के सिलसिले में अहमदाबाद चले गए. वहां उन का कारोबार अच्छा चल गया.
रामनिवास भले ही गुजरात में बस गए थे, लेकिन राजस्थान की माटी से उन का मोह नहीं छूटा था. इसलिए बेटे दीपक के लिए जब राजस्थान के ब्यावर से निकिता का रिश्ता आया, तो उन्होंने घरपरिवार देख कर हामी भर दी. वैसे भी ब्यावर के रहने वाले सुरेशचंद्र अग्रवाल साधन संपन्न थे. उन का भी अच्छा कारोबार था. पैसों की कोई कमी नहीं थी. निकिता में भी कोई कमी नहीं थी. तीखे नाकनक्श वाली निकिता ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से एमकौम तक की पढ़ाई करने के बाद सिक्किम यूनिवर्सिटी से फायनेंस में एमबीए की डिगरी भी हासिल की थी. दीपक और निकिता की शादी हो गई. शादी में सुरेशचंद्र अग्रवाल ने दिल खोल कर पैसा खर्च किया. किसी बात की कमी नहीं छोड़ी. पत्नी के रूप में सुंदर और पढ़ीलिखी निकिता को पा कर दीपक भी निहाल हो गया.
दीपक भी हैंडसम था. निकिता भी पति के रूप में दीपक को पा कर खुद पर अभिमान करती थी. दोनों का दांपत्य जीवन खुशी से चलने लगा. निकिता की भले ही शादी हो गई थी, लेकिन पीहर से उस का मोह नहीं छूटा था. वह पीहर जाती, तो महीनेबीस दिन में आती. हालांकि इस बीच मार्च में लौकडाउन हो गया था. लौकडाउन के दौरान निकिता को करीब 3-4 महीने पीहर में ही गुजारने पड़े. उस का कहना था कि ट्रेन और बसें बंद होने तथा एक से दूसरे राज्य में लोगों की आवाजाही पर रोक होने से वह अहमदाबाद नहीं जा सकी थी. पढ़ीलिखी बहू और गृहिणी सास की नोंकझोंक बहू निकिता के ज्यादा समय पीहर में रहने से सास रेखा बेन को कोई सुख नहीं मिल पा रहा था. वैसे तो घर में कामकाज के लिए बाई आती थी. फिर भी रेखा बेन चाहती थी कि कोई उस की भी देखभाल करने वाला हो.
बहू उस के कामकाज में हाथ बंटाए. इस बात को ले कर रेखा और निकिता में कई बार खटपट हो जाती थी. दहेज को ले कर भी रेखा उसे ताने मारती और उस के कामकाज में मीनमेख निकालती रहती थी. वैसे भी आमतौर पर बढ़ती उम्र के लिहाज से हर महिला चाहती है कि जैसे उस ने घर को संवारा है, वैसे ही बहू भी घरपरिवार की जिम्मेदारी संभाले, लेकिन निकिता शादी के बाद आधे से ज्यादा समय पीहर में ही रही थी. ऐसी हालत में रेखा बेन को ही घरपरिवार में खटना पड़ता था. उसी पर पति की जिम्मेदारी थी और बेटे की भी. इसी बीच, अक्तूबर के महीने में निकिता के दादा का निधन हो गया, तो वह फिर अपने मायके चली गई. इस बार भी वह मायके में कुछ ज्यादा दिन रुक गई. ससुर और पति ने कई बार फोन किए, तो वह 21 अक्तूबर को अहमदाबाद लौट आई.
ससुराल आ कर निकिता ने पति और सास को अपने गर्भवती होने की बात बताई. यह सुन कर दीपक तो खुशी से झूम उठा, लेकिन रेखा बेन के माथे पर सिलवटें पड़ गई. रेखा बेन को बहू के गर्भवती होने से कोई खुशी नहीं हुई. उसे शक था कि निकिता के पेट में बेटे दीपक का नहीं बल्कि ससुर रामनिवास का गर्भ है. रेखा बेन को अपने पति पर भी शक था. उस का शक इसलिए भी था कि ससुर और बहू खूब हंसबोल कर बातें करते थे. मोबाइल पर चैटिंग भी करते थे. हालांकि रेखा बेन ने कभी ससुर और बहू को गलत हरकत करते हुए नहीं देखा, लेकिन उस के दिमाग में शक का कीड़ा कुलबुलाता रहता था. रेखा पहले से ही बहू से खुश नहीं थी. अब उसे उस के चरित्र पर भी शक होने लगा था.
शक ऐसा कीड़ा है, जिस का कोई इलाज नहीं है. रेखा पहले तो दहेज को ले कर और उस के कामकाज तथा पीहर में ज्यादा समय रहने पर ऐतराज उठाती थी. अब वह उस के चरित्र पर भी अंगुली उठाने लगी. इस से सासबहू के झगड़े बढ़ गए. रेखा को जब भी मौका मिलता, वह निकिता को ताने मारने से नहीं चूकती. रोजाना दिन में 2-4 बार किसी न किसी बात पर रेखा और निकिता में कहासुनी हो ही जाती थी. रेखा बहू की शिकायत अपने बेटे और पति से करती, तो वह हंस कर टाल देते थे. इस बीच, रामनिवास कोरोना से संक्रमित हो गया. उसे 24 अक्तूबर को निजी अस्पताल में भरती करा दिया गया. पति के कोरोना संक्रमित होने से रेखा बेन चिड़चिड़ी हो गई.
इस के बाद 27 अक्तूबर की रात करीब 8 बजे की बात है. घर पर केवल रेखा और निकिता ही थी. दीपक अपने टाइल्स, पत्थर के औफिस गया हुआ था. रेखा उस समय रसोई में रात के भोजन की तैयारी कर रही थी. इसी दौरान रेखा अपनी बहू को ताने मारने लगी. रेखा के हाथ में लोहे का एक पाइप था. वह उस पाइप को निकिता के पेट पर धंसा कर कहने लगी, तेरे पेट में ये जो बच्चा है, वह मेरे बेटे का नहीं बल्कि मेरे पति का है. निकिता बर्दाश्त नहीं कर पाई सास के मुंह से ऐसी बातें सुन कर निकिता को गुस्सा आ गया. उस ने रेखा के हाथ से वह पाइप छीन लिया और बिना सोचेसमझे उस के सिर में दे मारा.
50-52 साल की रेखा बेन जवान बहू का विरोध नहीं कर सकी. उस के सिर से खून बहने लगा. वह फर्श पर गिर पड़ी. इस के बाद भी निकिता का गुस्सा शांत नहीं हुआ. उस ने पाइप से सास के सीने, पेट और चेहरे पर कई वार किए. पाइप के लगातार हमलों को रेखा सहन नहीं कर सकी. उस के शरीर से कई जगह से खून रिसने लगा और थोड़ी ही देर में उस के प्राण निकल गए. जब निकिता का गुस्सा शांत हुआ, तो वह घबरा गई. उस की सोचनेसमझने की शक्ति जवाब दे गई थी. कुछ देर बैठ कर वह सोचती रही कि अब क्या करे? कुछ देर विचार करने के बाद उस ने सास की हत्या को आत्महत्या का रूप देने की योजना बनाई.
उस ने फ्लैट में ही रेखा के शव पर चादर डाल कर उसे जलाने का प्रयास किया. उसे यह नहीं पता था कि इंसान का शव इतनी आसानी से नहीं जलता. शव नहीं जला, तो वह हताश हो कर अपना सिर पकड़ कर बैडरूम में जा बैठी. इस बीच, पड़ोसियों ने सासबहू के बीच झगड़े और मारपीट की तेज आवाजें सुनीं, तो उन्होंने रामनिवास के फ्लैट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन निकिता ने दरवाजा नहीं खोला. कई बार घंटी बजाने और कुंडी खटखटाने के बाद भी जब दरवाजा नहीं खुला, तो पड़ोसियों ने रामनिवास को फोन किया. रामनिवास अस्पताल में थे. पड़ोसी की बात सुन कर वे चिंतित हो उठे. उन्होंने बेटे दीपक को तुरंत घर जाने को कहा. दीपक उस समय अपना औफिस बंद कर चाणक्यपुरी ब्रिज स्थित मंदिर में हनुमानजी के दर्शन करने गया हुआ था. वह रात करीब साढ़े 9 बजे फ्लैट पर पहुंचा.
उस ने घंटी बजाई, लेकिन निकिता ने गेट नहीं खोला. उस ने गेट की कुंडी भी खटखटाई, लेकिन फिर भी दरवाजा नहीं खुला, तो उस ने मां और बीवी के मोबाइल पर फोन किया, लेकिन दोनों ने ही फोन नहीं उठाया. उसे लगा कि निकिता ने मां से झगड़े के बाद गेट बंद कर लिया होगा और अब वह गुस्से में गेट नहीं खोल रही है. मां की लाश देख होश उड़े थकहार कर उस ने पड़ोसियों की सीढि़यों के रास्ते अपने फ्लैट में जाने की कोशिश की, लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली. बाद में उस ने पड़ोसियों से पाइप की बनी सीढ़ी का इंतजाम किया. इस सीढ़ी पर चढ़ कर वह रसोई के रास्ते अपने फ्लैट में पहुंचा. उस की मां का कमरा बंद था. उस ने कमरा खोला, तो मां की खून से लथपथ अधजली लाश देख कर दीपक सहम गया.
मां की लाश के पास ही खून से सना लोहे का एक पाइप पड़ा था. निकिता अपने बैडरूम में चुपचाप बैठी थी. उस ने उस से पूछा कि यह सब क्या और कैसे हुआ? निकिता ने दीपक को बताया कि मम्मीजी ने पहले उस से झगड़ा किया. फिर वे अपने कमरे में चली गईं. पता नहीं उन्होंने खुद कैसे अपना यह हाल बना लिया? शायद उन्होंने सुसाइड कर लिया. दीपक को निकिता की बातें गले नहीं उतर रही थीं. अगर रेखा बेन सुसाइड करतीं, तो खून से लथपथ कैसे हो जातीं और फिर उन का शव कैसे जलता? दीपक ने निकिता से पूछा कि घर में कोई और आदमी आया था क्या? निकिता ने मना कर दिया.
दीपक ने रात को ही फोन नंबर 108 पर एंबुलेंस सेवा को फोन किया. एंबुलेंस के साथ आए डाक्टर और चिकित्साकर्मियों ने रेखा बेन की जांच कर उसे मृत घोषित कर दिया. इस के बाद दीपक ने पुलिस को फोन किया. पुलिस उस के फ्लैट में पहुंच गई. पुलिस ने दीपक से पूछताछ की. दीपक ने पिता का फोन आने से ले कर सीढ़ी के रास्ते फ्लैट में चढ़ने और मां का लहूलुहान शव पड़ा होने की सारे बातें बता दीं. पुलिस ने निकिता से पूछताछ की, तो उस ने वही बातें कहीं, जो दीपक को बताई थीं. मौके के हालात देख कर पुलिस को भी निकिता की कहानी पर भरोसा नहीं हुआ. रात ज्यादा हो गई थी. फिर भी पुलिस ने रात को ही घर के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी.
फुटेज में इस बात के कोई सबूत नहीं मिले कि दीपक के फ्लैट में बाहर से कोई आदमी आया था. पुलिस ने पंचनामा बना कर शव पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भिजवा दिया. मामला संदिग्ध था. इस के लिए निकिता से पूछताछ जरूरी थी. पुलिस उसे थाने ले गई. दीपक की शिकायत पर सोला थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया. पुलिस ने मौके से खून से सना लोहे का पाइप बरामद कर लिया था. पुलिस ने थाने में निकिता से पूछताछ की. वह कहती रही कि सास और उस का झगड़ा हुआ था. इस के बाद सास अपने कमरे में चली गई और अंदर से कमरा बंद कर लिया. बाद में कैसे और क्या हुआ, इस का उसे कुछ पता नहीं है.
निकिता ने पुलिस को बताया कि उस की सास पिछले कुछ सालों से ऐसी बीमारी से पीडि़त थी कि कोई उसे छू ले, तो वह तुरंत नहाती थीं. मैडिकल की भाषा में इस बीमारी को औब्सेसिव कंपजिव डिसऔर्डर (ओसीडी) कहा जाता है. दीपक ने भी अपनी मां के ऐसी बीमारी से ग्रस्त होने की बात मानी. पुलिस ने दीपक से उस के घरपरिवार और सासबहू के रिश्तों के बारे में पूछा. इस में पता चला कि रेखा बेन और निकिता में दहेज और घरेलू कामकाज को ले कर झगड़े होते रहते थे. इस पर पुलिस अधिकारियों ने निकिता से मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ की.
आखिर दूसरे दिन 28 अक्तूबर को सुबह निकिता ने जो बताया, उसे सुन कर पुलिस के अधिकारी भी हैरान रह गए. निकिता ने बताया कि उस की सास पुराने खयालों की थी. वह उसे कभी दहेज पर तो कभी किसी दूसरी बात पर ताने मारती थी. शादी के बाद से ही सास से उस की पटरी नहीं बैठी थी. अभी जब वह पीहर से ससुराल आई और मम्मीजी को अपने गर्भवती होने की बात बताई, तो उन की त्यौरियां चढ़ गईं. उस दिन तो उन्होंने कुछ नहीं कहा. ससुरजी के अस्पताल में भरती होने के बाद मम्मीजी मेरे गर्भ को ले कर अनापशनाप बातें कहने लगीं. उस दिन जब उन्होंने उस से गर्भ ससुर का होने की बात कही, तो गुस्से में वह अपना आपा खो बैठी और उन के हाथ से पाइप छीन कर ताबड़तोड़ हमले किए. इस से उन की मौत हो गई. निकिता ने सास की हत्या करने की बात कबूल कर ली थी.
उस ने पुलिस को बताया कि सास की हत्या को आत्महत्या का रूप देने के लिए उस ने वहां फैले खून को चादर से साफ किया. फिर शव पर चादर डाल कर आग लगा दी ताकि शव जल जाए, लेकिन शव नहीं जला. इस के बाद उस ने अपने मोबाइल से ससुर के वाट्सएप चैट और मैसेज डिलीट किए. मोबाइल से मैसेज डिलीट करने की बात सामने आने पर पुलिस ने निकिता के साथ परिवार के चारों लोगों के मोबाइल जब्त कर लिए. इन की जांच की, तो निकिता के मोबाइल में एक मैसेज मिला. 24 अक्तूबर के इस मैसेज में ससुर रामनिवास ने लिखा था कि तुम अभी दीपक से दूर ही रहना.
स्वीकारोक्ति के बाद निकिता की स्वीकारोक्ति के बाद पुलिस ने निकिता और उस की सास के खून से सने कपड़े भी जब्त कर लिए. मोबाइल फोन के साथ इन कपड़ों को भी जांच के लिए विधिविज्ञान प्रयोगशाला भेज दिया गया. एफएसएल टीम ने भी मौके से साक्ष्य जुटाए. पुलिस ने दूसरे दिन डाक्टरों के मैडिकल बोर्ड से रेखा बेन के शव का पोस्टमार्टम कराया. बाद में दीपक को शव सौंप दिया गया. घर वालों ने रेखा बेन का अंतिम संस्कार कर दिया. कोरोना जांच में निकिता निगेटिव मिली. इस के बाद पुलिस ने उसे अदालत में पेश कर रिमांड पर लिया. पुलिस ने निकिता को उस के फ्लैट पर ले जा कर वारदात का सीन रिक्रिएट किया.
इस दौरान पुलिस ने यह पता लगाने की कोशिश की कि निकिता और रेखा बेन के बीच झगड़ा कैसे शुरू हुआ होगा. इस के बाद निकिता ने कैसे उस की हत्या की होगी. सीन रिक्रिएट के जरिए पुलिस ने यह बात जानने की भी कोशिश की कि क्या निकिता ने अकेले ही सास की हत्या की या इस में किसी दूसरे आदमी ने भी उस की मदद की? हालांकि पुलिस को इस बात का कोई सबूत नहीं मिला. बेटी के हाथों सास की हत्या की सूचना मिलने पर राजस्थान के ब्यावर शहर से निकिता के मातापिता अहमदाबाद पहुंचे. पहले वे समधन रेखा बेन की अंतिम क्रिया में शरीक हुए. बाद में वे सोला पुलिस स्टेशन जा कर हत्या आरोपी बेटी निकिता से मिले.
उसे पुलिस हिरासत में देख कर मांबाप के आंसू बह निकले. निकिता भी रो पड़ी. सुबकते हुए उस ने अपने मातापिता से केवल इतना ही कहा, ‘मुझ से बहुत बड़ी गलती हो गई.’ पुलिस ने जांचपड़ताल के दौरान पड़ोसियों से भी पूछताछ की. उन्होंने बताया कि रेखा और निकिता के बीच आमतौर पर रोजाना ही किसी ना किसी बात पर झगड़ा होता था. उस दिन भी उन्होंने दोनों के बीच झगड़े और मारपीट की तेज आवाजें सुनी थीं. इस के बाद ही रामनिवास को फोन किया था.
कथा लिखे जाने तक पुलिस ने निकिता को जेल भिजवा दिया था. पुलिस यह जानने का प्रयास कर रही थी कि क्या निकिता के अपने ससुर से किसी तरह के संबंध थे? हालांकि पुलिस को एक मोबाइल चैटिंग के अलावा इस बारे में दूसरा कोई प्रमाण नहीं मिला. मोबाइल चैटिंग से भी यह बात साफ नहीं होती कि निकिता के ससुर से किसी तरह के संबंध थे. बहरहाल, 2 महीने की गर्भवती निकिता अपनी सास की हत्या के आरोप में जेल पहुंच गई. ससुर रामनिवास पर बहू से संबंधों का आरोप लग गया. पति दीपक बीच मंझधार में फंस गया.
उस के सामने संकट आ खड़ा हुआ कि वह पिता पर शक करे या पत्नी पर. निकिता के पेट में किस का गर्भ है, यह तो वही जाने. शक की बुनियाद पर एक खातेपीते संपन्न परिवार के रिश्तों में ऐसी दरार आ गई, जो जिंदगी भर नहीं पाटी जा सकती.