Love Crime : पति से विश्वासघात कर प्रियंका प्रेमी देवेंद्र के साथ रहने लगी. लेकिन जब उस ने देवेंद्र को धोखा देने की कोशिश की तो देवेंद्र ने एक दिन…

उस दिन अक्तूबर, 2020 की 6 तारीख थी. शाम के 5 बज रहे थे. कानपुर के बर्रा थानाप्रभारी हरमीत सिंह गश्त पर निकलने वाले थे, तभी उन्हें मोबाइल फोन पर किसी अज्ञात व्यक्ति ने सूचना दी कि जरौली फेस-1 के मकान नंबर 34 में एक महिला की हत्या हो गई है. मामला हत्या का था, अत: उन्होंने सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी फिर मातहतों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उस समय वहां मकान के बाहर भीड़ जुटी थी. भीड़ को हटाते हुए थानाप्रभारी कमरे में पहुंचे, जहां महिला का शव अर्धनग्न अवस्था में पड़ा था. उस की हत्या ईंट से सिर कूंच कर की गई थी.

पूछने से पता चला कि मृतका का नाम प्रियंका बाजपेई है. वह 2 साल से अपने बच्चों के साथ किराए के मकान में रह रही थी. मृतका की उम्र 35 वर्ष के आसपास थी. कमरे के अंदर खून फैला था और खून सनी ईंट शव के पास पड़ी थी. पुलिस ने ईंट साक्ष्य के तौर पर सुरक्षित कर ली. थानाप्रभारी हरमीत सिंह अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसएसपी प्रीतिंदर सिंह तथा एसपी (साउथ) दीपक भूकर भी आ गए. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया तथा घटना के संबंध में जानकारी जुटाई. मृतका का 10 वर्षीय बेटा अमर शव के पास सुबक रहा था. एसपी दीपक भूकर ने उस से सहानुभूतिपूर्वक पूछताछ की.

उस ने बताया कि घटना के समय वह घर पर नहीं था. कुछ देर बाद जब वह घर पर आया तो मां कमरे में मृत पड़ी थी. उन के सिर से खून बह रहा था. वह घबरा गया और शोर मचाता हुआ घर के बाहर आया. फिर पड़ोसियों को जानकारी दी. मृतका की मासूम बेटी आशा तथा 5 वर्षीय बेटा प्रतीक घटना के समय घर पर थे. प्रतीक ने बताया कि मां का झगड़ा लोहा अंकल से हुआ था. उन्होंने मां के सिर पर ईंट मारी और फिर चले गए. हम मां को बुलाते रहे, वह बोल नहीं रही थी. पुलिस अधिकारी बच्चों से जानकारी जुटा ही रहे थे कि मृतका का पति मनोज बाजपेई आ गया.

उस ने दीपक भूकर को बताया कि उस की पत्नी प्रियंका बाजपेई के नाजायज संबंध देवेंद्र सिंह यादव उर्फ लोहा सिंह से थे, जो कानपुर देहात के ग्रहणपुर गांव का रहने वाला है. वह शहर में आटो चलाता है. नाजायज रिश्तों का विरोध करने पर प्रियंका उस से लड़झगड़ कर बच्चों के साथ जरौली फेस-1 में छात्र नेता विमलेश पांडे के मकान में किराए पर रहने लगी थी. यहां उस के प्रेमी लोहा सिंह का आनाजाना था. प्रियंका मनचली औरत थी. लोहा सिंह को शक था कि उस के अन्य किसी युवक से भी संबंध हैं. इसी कारण उस ने प्रियंका को मौत के घाट उतार दिया और फरार हो गया.

चूंकि पुलिस अधिकरियों को प्रियंका बाजपेई की हत्या और उस के कातिल का पता चल चुका था, अत: उन्होंने थानाप्रभारी हरमीत सिंह को आदेश दिया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजें तथा कातिल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे जल्द से जल्द गिरफ्तार करें. आदेश पा कर हरमीत सिंह ने मृतका के शव को पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपतराय चिकित्सालय भेज दिया. फिर मृतका के पति मनोज बाजपेई की तरफ से भादंवि की धारा 302 के तहत देवेंद्र सिंह यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया और उसे गिरफ्तार करने की कोशिश में जुट गए. हरमीत सिंह ने अपनी टीम के साथ सब से पहले नौबस्ता स्थित उस के किराए के मकान पर पहुंचे. लेकिन वह वहां से फरार था. फिर उन्होंने उस के गांव ग्रहणपुर में दबिश डाली. लेकिन वह वहां भी नहीं मिला.

उस के बाद टीम गजनेर, घाटमपुर तथा अकबरपुर में उस के संभावित ठिकानों पर गई. लेकिन वह चकमा दे गया. पुलिस हताश हो कर लौट आई. इस के बाद थानाप्रभारी ने मुखबिरों का जाल फैला दिया. 15 अक्तूबर को पुलिस टीम ने मुखबिर की सूचना पर हत्यारोपी देवेंद्र सिंह को बर्रा बाइपास पुल के पास से गिरफ्तार कर लिया. थाने में जब उस से प्रियंका की हत्या के संबंध में पूछा गया तो वह साफ मुकर गया. लेकिन जब उस पर सख्ती की गई तो वह टूट गया और उस ने हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया. पुलिस पूछताछ में एक ऐसी मनचली औरत की कहानी सामने आई, जिस ने पति और प्रेमी दोनों से विश्वासघात किया था.

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले का एक कस्बा है जहानाबाद. इसी कस्बे में मनोज बाजपेई रहता था. 3 भाइयों में वह सब से बड़ा था. लगभग 14 साल पहले उस का विवाह हमीरपुर के मौदहा निवासी जगदीश तिवारी की बेटी प्रियंका के साथ हुआ था. मनोज ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था. वह छिटपुट काम कर के अपना गुजारा करता था. शादी के 3 साल बाद प्रियंका ने बेटे अमर को जन्म दिया. परिवार बढ़ा तो घर के खर्च बढ़ गए. हाड़तोड़ मशक्कत करने के बावजूद मनोज उतना पैसा नहीं कमा पाता था, जितने की उसे जरूरत थी. मनोज का एक दोस्त संतोष कानपुर में आवासविकास, नौबस्ता में रहता था और हार्डवेयर की दुकान पर करता था.

पत्नी के कहने पर एक दिन मनोज ने संतोष को फोन किया, ‘‘संतोष भाई यहां कस्बे में काम ज्यादा करना पड़ता है और आमदनी बहुत कम है. ऐसा करो मेरे लायक कानपुर में कोई काम तलाश कर दो.’’

मनोज संतोष का पक्का दोस्त था, अत: उस ने बोल दिया, ‘‘तुम बेझिझक कानपुर आ जाओ. यहां काम की कमी नहीं है और पैसा भी अच्छा मिलता है. तुम आ जाओगे तो कहीं न कहीं काम मिल ही जाएगा.’’

दोस्त के बुलावे पर मनोज कानपुर पहुंच गया. संतोष ने उसे अपने ही घर ठहराया और खानेपीने की व्यवस्था की. उस के बाद दौड़धूप कर हार्डवेयर की एक दुकान पर उसे काम दिलवा दिया. मनोज ठीकठाक कमाने लगा तो उस ने दामोदर नगर में एक कमरा किराए पर ले लिया. उस के बाद वह पत्नी प्रियंका व बच्चे को भी ले आया. मनोज की गृहस्थी की गाड़ी ठीक से चलने लगी. हालांकि नौकरी में उसे ज्यादा पैसा नहीं मिलता था. लेकिन इतना जरूर मिल जाता था कि अभावों में जीना न पड़े. कानपुर में रहते प्रियंका ने एक और बेटे को जन्म दिया. उस का नाम रखा गया राहुल.

तब तक प्रियंका को शहर की हवा लग चुकी थी. वह अभावों में नहीं बल्कि मौज की जिंदगी जीना चाहती थी. प्रियंका चाहती थी कि उस के भी शरीर पर कीमती कपड़े हों और हाथ में महंगा मोबाइल फोन. गहनों की भी कमी न हो, पर्स नोटों से हमेशा भरा रहे. बड़े होते बच्चों के साथ घर के खर्च लगातार बढ़ रहे थे. बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी सिर पर आ गया था, जबकि मनोज की आय सीमित थी. अत: वह अपनी इच्छाएं कैसे पूरी करती. प्रियंका के शौक तभी पूरे हो सकते थे, जब आमदनी बढ़ती. अत: उस ने आमदनी बढ़ाने की संभावनाओं पर विचार करना शुरू कर दिया.

इसी दौरान प्रियंका की मुलाकात मोहल्ले की कुछ महिलाओं से हुई, जो दादानगर की बिसकुट कंपनी में काम करती थीं. उन महिलाओं को खासा वेतन मिलता था. प्रियंका को उन से यह भी मालूम पड़ा कि बिसकुट फैक्ट्री में पैकिंग का काम आसानी से मिल जाएगा. उस ने अपने मन की बात पति से कही तो थोड़ी नानुकुर के बाद उस ने काम करने की इजाजत दे दी. उस के बाद वह अन्य महिलाओं के साथ काम पर जाने लगी. इस के बाद तो उस की दिनचर्या ही बदल गई. वह सुबह उठ कर खाना बनाती, शाम को वापस आती तो फिर चूल्हाचौका करती. प्रियंका खुद कमाने लगी तो निश्चिंतता भी आ गई. इस से उस का रूप निखर आया, वह खूब बनसंवर कर रहने लगी. उस ने अपने लिए एक मोबाइल फोन भी खरीद लिया.

इस के बाद प्रियंका की सोच में बदलाव आने लगा, वह सोचती, ‘मैं किसी की मोहताज नही हूं. घर खर्च में पति की कमाई से ज्यादा मेरा पैसा लगता है, तो मैं क्यों किसी की गुलामी करूं. मेरी किस्मत फूटी थी, जो मनोज जैसे निठल्ले आदमी से शादी हुई.’ प्रियंका के ये विचार विषबेल की तरह बढ़ते गए. नतीजतन मनोज उस के मन से उतर गया. सुबहशाम वह जब भी उसे देखती, कुढ़ जाती, ‘पति ऐसे होते हैं. यह तो बीवी की कमाई के सहारे जिंदा रहने वाला आदमी है. 2 बेटे क्या पैदा कर दिए, खुद को मर्द समझने लगा. अरे, मर्द तो वे होते हैं, जो बीवी की जिंदगी और जरूरतों का बोझ उठाएं.’

इस के बाद प्रियंका के मन में वही एक बात शोर मचाने लगती, ‘मेरी किस्मत फूटी थी, जो मनोज से शादी हुई.’

अब तक प्रियंका तीसरे बेटे प्रतीक की भी मां बन चुकी थी. बीतते समय के साथ प्रियंका के मन में मनोज के लिए कोई जगह नहीं रह गई. हसरतों को दुलहन बनाने के लिए उस ने किसी नए और मनपसंद साथी की तलाश शुरू कर दी. इसी बीच एक दिन काम से घर लौटते हुए प्रियंका की मुलाकात देवेंद्र सिंह उर्फ लोहा सिंह से हुई. वह मूलरूप से कानपुर देहात जिले के गांव ग्रहणपुर का रहने वाला था और कानपुर में किराए पर आटो चलाता था. वह शादीशुदा और एक बेटे का बाप था. पत्नी सरला के साथ वह नौबस्ता में किराए के मकान में रहता था. पहली मुलाकात ही दोनों के दिलों में प्यार का जादू जगा गई. लिहाजा उन्होंने एकदूसरे को अपने फोन नंबर दे दिए. मोबाइल फोन पर बातें करने के अलावा वे मिलने भी लगे. इन्हीं मेलमुलाकातों में प्यार का इजहार हुआ और दोनों के बीच शारीरिक संबंध बन गए.

लोहा सिंह मनोज की गैरमौजूदगी में उस के घर भी आने लगा. न लोहा सिंह को अपनी पत्नी सरला की फिक्र रह गई, न प्रियंका को पति व बच्चों के प्रति अपना धर्म याद रहा. देवेंद्र उर्फ लोहा सिंह का मनोज की गैरमौजूदगी में प्रियंका के घर आना आसपड़ोस के लोगों में शक पैदा करने लगा. वह जान गए कि प्रियंका काम करने के बहाने घर से बाहर जा कर कैसे गुलछर्रे उड़ाती है. घर में भी दरवाजा बंद कर गुल खिलाती है. पड़ोसियों से प्रियंका की आशनाई की खबर मनोज को हुई, तो उस ने जवाबतलब किया. प्रियंका ने पति की आंखों में आंखें डाल कर सब बोल दिया, ‘‘तुम हो किस लायक, जो मैं तुम्हारी वफादार बनी रहती. न तुम्हें बीवी रखने का शऊर है, न उस के जज्बात छूना आता है.

औरत का दिल कैसे जीता जाता है, यह भी तुम नहीं जानते. इंसान की 2 भूख होती है, एक जिस्म की और दूसरे रुह की. यह दोनों ही भूख तुम कभी नहीं मिटा पाए. इसलिए मेरा हक बनता था कि किसी दूसरे से अपनी जरूरत पूरी करूं और मैं ने साथी ढूंढ भी लिया और जरूरत भी पूरी कर ली.’’

पत्नी की बात सुन कर मनोज सन्न रह गया. कुछ देर बाद हवास बहाल हुए तो उस ने प्रियंका को समझाया कि वह जो कर रही है, सरासर गलत है. उसे अपनी आशिकी से बाज आना चाहिए. लेकिन प्रियंका किसी भी कीमत पर देवेंद्र उर्फ लोहा सिंह से नाता तोड़ने को राजी नहीं हुई. इन्हीं दिनों प्रियंका ने बेटी आशा को जन्म दिया. मनोज ने आशा को अपनी बेटी मानने से इनकार कर दिया. उस ने प्रियंका से साफ कह दिया कि यह उस के पे्रमी लोहा सिंह की निशानी है. इस के बाद तो आशा को ले कर दोनों में झगड़ा होने लगा. झगड़ा ज्यादा बढ़ा तो प्रियंका ने पति का घर छोड़ दिया और चारों बच्चों के साथ जरौली फेस-1 में किराए के मकान में रहने लगी. यह बात मार्च, 2018 की है.

पत्नी के विश्वासघात से मनोज आहत तो हुआ. लेकिन विचलित नहीं हुआ. न प्रियंका ने घर वापसी की पहल की न मनोज उसे मनाने आया. हां, इतना जरूर था कि मनोज जबतब बच्चों से मिलने आ जाता था और बच्चों को घर के बाहर बुला कर उन से मिल कर चला जाता था. बच्चों को वह खानेपीने का सामान भी दे जाता था. मनोज ने अब दामोदर नगर वाला किराए का मकान खाली कर दिया था और आवासविकास नौबस्ता में दोस्त संतोष के साथ रहने लगा था. प्रियंका पति से अलग रहने लगी तो देवेंद्र उर्फ लोहा सिंह का उस के घर आनाजाना शुरू हो गया. प्रियंका ने अड़ोसपड़ोस वालों को बताया था कि लोहा सिंह उस का पति है.

प्रियंका को अब कोई रोकनेटोकने वाला नहीं था, सो वह खुल कर रंगरलियां मनाने लगी थी. लोहा सिंह अपनी कमाई प्रियंका व उस के बच्चों पर खर्च करने लगा था. इधर जब लोहा सिंह रात को भी घर से गायब रहने लगा, तो उस की पत्नी सरला को उस पर शक हुआ. उस ने गुप्त रूप से जानकारी जुटाई तो उसे जल्द ही प्रियंका और लोहा सिंह की रासलीला का पता चल गया. कोई भी औरत भूख और गरीबी तो सहन कर सकती है, लेकिन पति को पराई बांहों में नहीं सहन कर सकती. सरला को भी सहन नहीं हुआ. अत: एक रोज वह प्रियंका के घर जा पहुंची. सरला ने उसे अपना परिचय दिया फिर आंखें तरेरते हुए बोली, ‘‘तुम क्यों मेरा घर बरबाद करने पर तुली हो. मेरे पति को अपने चंगुल से मुक्त कर दो.’’

‘‘मैं तुम्हारे पति को बुलाने नहीं जाती,’’ प्रियंका बेहयाई से बोली, ‘‘जैसे मक्खी गुड़ पर मंडराती है, लोहा सिंह भी मेरे पीछे मंडराता है. मेरे पास क्यों आईं, उसे रोको.’’

प्रियंका की दोटूक बात सुन कर सरला चली गई. उस ने पति को बहुत समझाया, जान तक देने की धमकी दी. लेकिन लोहा सिंह नहीं माना. उस ने प्रियंका का साथ नहीं छोड़ा. वह उस के साथ रंगरलियां मनाता रहा. दोनों के अवैध रिश्तों की सभी को जानकारी हो गई थी. इधर कुछ समय से देवेंद्र सिंह उर्फ लोहा सिंह महसूस कर रहा था कि प्रियंका उसे कम लिफ्ट दे रही है. वह जब भी मिलन की इच्छा जताता, वह मना कर देती. बात भी ठीक से नहीं करती और रूखा व्यवहार करती. उस ने प्रियंका के इस रूखे व्यवहार के बारे में गुप्तरूप से जानकारी जुटाई तो पता चला कि प्रियंका के घर 2 युवक आते हैं, जिन के साथ वह हंसीठिठोली करती है और घूमने भी जाती है.

लोहा सिंह समझ गया कि प्रियंका ने उन के साथ अवैध रिश्ते बना लिए हैं. जिस से वह उस से दूर भागने लगी है. उस ने प्रियंका को सबक सिखाने की ठान ली. 6 अक्तूबर, 2020 की शाम 4 बजे देवेंद्र उर्फ लोहा सिंह प्रियंका के घर पहुंचा. उस समय प्रियंका का बड़ा बेटा अमर व राहुल घर पर नहीं थे. दोनों सब्जी लेने गए थे. 2 वर्षीय आशा और 5 वर्षीय प्रतीक कमरे में खेल रहे थे. लोहा सिंह ने आते ही प्रणय निवेदन किया, जिसे प्रियंका ने ठुकरा दिया. तब लोहा सिंह उस के साथ जबरदस्ती करने लगा. लेकिन प्रियंका विरोध पर उतर आई.

इस पर लोहा सिंह बोला, ‘‘बदचलन औरत, तूने पहले पति के साथ विश्वासघात किया और अब मुझ से विश्वासघात कर किसी और की बांहों में खेलने लगी. विश्वासघातिनी, आज मैं तुझे सबक सिखा कर ही रहूंगा.’’

कह कर लोहा सिंह ने प्रियंका को दबोच लिया. दोनों में झगड़ा होने लगा. इसी बीच लोहा सिंह की निगाह पास पड़ी ईंट पर पड़ी. उस ने लपक कर ईंट उठाई और प्रियंका के सिर पर कई प्रहार किए. प्रियंका का सिर फट गया और वह जमीन पर गिर कर तड़पने लगी. कुछ देर बाद प्रियंका ने दम तोड़ दिया. हत्या करने के बाद लोहा सिंह फरार हो गया. इधर सब्जी ले कर अमर घर आया तो उस ने कमरे में मां की लाश देखी. वह शोर मचाता घर से बाहर आया और पड़ोसियों को मां की हत्या की जानकारी दी. तब किसी ने हत्या की सूचना थाना बर्रा पुलिस को दे दी.

सूचना पाते ही इंसपेक्टर हरमीत सिंह घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने शव को कब्जे में ले कर जांच शुरू की तो हत्या का परदाफाश हुआ और कातिल पकड़ा गया. 16 अक्तूबर, 2020 को थाना बर्रा पुलिस ने अभियुक्त देवेंद्र सिंह उर्फ लोहा सिंह को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. कथा संकलन तक उस की जमानत नहीं हुई थी. प्रियंका के बच्चे अब पिता मनोज के संरक्षण में रह रहे थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

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