Uttar Pradesh Crime : सेजल मिश्रा और हिमांशु एकदूसरे को इतना चाहते थे कि उन्होंने शादी करने का फैसला कर लिया था. इसी दौरान सेजल की मां प्रतिभा उपाध्याय ने सेजल के ऐसे कान भरे कि वह प्रेमी की जान लेने को आमादा हो गई. इस के बाद जो हुआ..
21 वर्षीय हिमांशु सिंह सुलतानपुर पीडब्लूडी कालोनी में अपनी मां प्रतिमा सिंह और बड़े भाई शिवेंद्र के साथ रहता था. 3 दिसंबर, 2020 की शाम साढ़े 6 बजे किसी का फोन आया तो वह घर से निकल गया. देर रात तक जब वह नहीं लौटा तो शिवेंद्र ने उस का फोन लगाया, लेकिन उस का फोन स्विच्ड औफ मिला. हर बार फोन बंद ही मिला तो वह परेशान हो गया. मां प्रतिमा सिंह भी चिंतित हो गईं कि पता नहीं वह कहां है जो उस का फोन भी नहीं लग रहा. अगले दिन भी हिमांशु की तलाश की गई, लेकिन उस का कुछ पता न चला. मोबाइल भी लगातार बंद आ रहा था. जब कुछ पता न चला तो 5 दिसंबर को शिवेंद्र अपने मामा विवेक सिंह के साथ शहर कोतवाली पहुंचा.
कोतवाली में मौजूद इंसपेक्टर भूपेंद्र सिंह को उन्होंने हिमांशु के लापता होने की बात बताई. पूरी बात जानने के बाद इंसपेक्टर सिंह ने हिमांशु की गुमशुदगी दर्ज कर ली. इस के बाद पुलिस अपने स्तर से हिमांशु को खोजने लगी. 8 दिसंबर को इंसपेक्टर भूपेंद्र सिंह को जानकारी मिली कि बाराबंकी के लोनी कटरा थाना पुलिस ने 4 दिसंबर को अखैयापुर गांव के पास नाले से एक युवक की नग्न लाश बरामद की थी. जिस की शिनाख्त नहीं हो पाई थी. इंसपेक्टर सिंह ने कटरा थाने से लाश के फोटो मंगवा कर हिमांशु के भाई व मामा को दिखाए तो उन्होंने लाश की शिनाख्त हिमांशु के रूप में कर दी.
इंसपेक्टर भूपेंद्र सिंह ने हिमांशु के भाई शिवेंद्र से पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि हिमांशु की किसी से दुश्मनी नहीं थी, लेकिन उस के प्रेम संबंध 18 वर्षीय सेजल मिश्रा नाम की युवती से थे. वह डा. प्रदीप मिश्रा और प्रतिभा उपाध्याय की बेटी है और शास्त्रीनगर मोहल्ले में रहती है. प्रतिभा का तलाक हो चुका है. इसलिए वह पति से अलग रह रही है. इस से हिमांशु की हत्या का शक सेजल के परिजनों पर गया. लिहाजा पुलिस ने प्रतिभा के घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी. इस से पता चला कि डा. प्रदीप घटना के दिन शाम 6 बजे से ले कर रात साढे़ 8 बजे तक प्रतिभा के घर पर थे.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी उसी समय के बीच हत्या किए जाने की पुष्टि हुई थी. हिमांशु के नंबर की काल डिटेल्स और लोकेशन की जांच की गई तो शक और पुख्ता हो गया. हिमांशु की आखिरी लोकेशन प्रतिभा के घर की थी. असरोगा टोल प्लाजा पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज में घटना की रात 12:05 बजे महाराष्ट्र नंबर की एक स्कोडा कार जाते हुए दिखी. पुलिस ने हिमांशु के दोस्तों से पूछताछ की तो पता चला कि हिमांशु अपने एक दोस्त के साथ घटना की शाम प्रतिभा के घर गया था. हिमांशु दोस्त को बाहर छोड़ कर अंदर चला गया था. हिमांशु काफी समय तक वापस नहीं लौटा तो दोस्त उस के मोबाइल पर मैसेज भेज कर वापस आ गया. हिमांशु 6:40 बजे प्रतिभा के घर में घुसा था. 8:22 बजे वह प्रतिभा के घर से निकलते देखा गया.
हिमांशु के परिजनों ने भी उस के हिमांशु के आने की पुष्टि कर दी. अब यह बात समझ नहीं आ रही थी कि जब हिमांशु प्रतिभा के घर से निकल आया तो गया कहां. लेकिन शक की गुंजाइश अभी थी कि फोटो में निकलते समय हिमांशु का चेहरा नहीं दिख रहा था. हिमांशु के साथ गए दोस्त और अन्य दोस्तों को युवक का फोटो दिखाया गया तो उन्होंने फोटो में दिख रहे युवक की पहचान हिमांशु के रूप में नहीं की. वह युवक कपड़े जरूर हिमांशु के पहने था, लेकिन चालढाल उस की अलग थी. इस का मतलब यह था कि किसी और को हिमांशु के कपड़े पहना कर गुमराह करने के लिए घर से निकाला गया था. तमाम सुबूत प्रदीप मिश्रा और उन की तलाकशुदा पत्नी प्रतिभा की ओर इशारा कर रहे थे.
इंसपेक्टर भूपेंद्र सिंह ने 14 दिसंबर को डा. प्रदीप मिश्रा को हिरासत में ले कर पूछताछ की तो थोड़ी सख्ती में ही वह टूट गए और उन्होंने घटना के पीछे की पूरी कहानी बयां कर दी. हिमांशु की हत्या करने में प्रदीप के अलावा प्रतिभा, उस की बेटी सेजल और उन का नौकर सद्दाम शामिल थे. हत्या के लिए बाकायदा एक प्रौपर्टी डीलर गुफरान अख्तर के जरिए 50 हजार रुपए की सुपारी दी गई थी. गुफरान ने अपने हिस्ट्रीशीटर दोस्त वाहिद खान को हत्या के लिए तैयार किया था. वाहिद ने सब के सामने घटना को अंजाम दिया था. पूछताछ के बाद इंसपेक्टर भूपेंद्र सिंह ने शिवेंद्र सिंह की तरफ से प्रदीप मिश्रा, प्रतिभा उपाध्याय, सेजल मिश्रा, गुफरान अख्तर, वाहिद खान और सद्दाम के खिलाफ भादंवि की धारा 364/302/201/34/120बी के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया.
आरोपियों से पूछताछ के बाद हिमांशु की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह अवैध संबंधों की बुनियाद पर रचीबसी निकली—
उत्तर प्रदेश के जिला सुलतानपुर की शहर कोतवाली के शास्त्रीनगर मोहल्ले में रहती थी प्रतिभा उपाध्याय. प्रतिभा का विवाह 19 साल पहले बडि़यावीर में रहने वाले प्रदीप मिश्रा से हुआ था. प्रदीप मिश्रा होम्योपैथी के डाक्टर थे. विवाह के साल भर बाद ही प्रतिभा ने एक खूबसूरत बेटी सेजल को जन्म दिया. समय अपनी गति से आगे बढ़ता गया. सन 2007 में प्रतिभा ने प्रदीप से किसी बात से खफा हो कर तलाक ले लिया और बेटी सेजल के साथ शास्त्रीनगर मोहल्ले में रहने लगी. प्रतिभा ब्याज पर पैसे देने का काम करती थी. इस पर उसे अच्छी कमाई होती थी. मांबेटी का रहनसहन काफी अच्छा था. प्रतिभा हाई सोसायटी की महिलाओं की तरह ही जींस टीशर्ट पहनती थी, हाथ में महंगा मोबाइल होता था.
रहनसहन और काम के चलते प्रतिभा का हर तरह के लोगों से संपर्क रहता था. वह किसी के दबाव में नहीं आती थी. समय के साथ सेजल जवान हो गई. उस ने इंटर तक पढ़ाई कर ली थी और आगे पढ़ने की तैयारी कर रही थी. गोरे रंग की सेजल बेहद खूबसूरत थी. गलीमोहल्ले का हर युवक उस से नजदीकी बढ़ाने को बेकरार रहता था. पिता के बिना मां के साथ रहते हुए सेजल भी काफी खुले मिजाज की हो गई थी. मां के तौरतरीके और रंगढंग देख कर वह भी उसी रंग में ढल गई थी. उस के जो मन में आता, करती. वह अपने सपनों के राजकुमार के इंतजार में पलकें बिछाए बैठी थी. हिमांशु सिंह बाराबंकी के गांव जंगरा बसावनपुर का रहने वाला था.
उस का एक बड़ा भाई था शिवेंद्र. हिमांशु के पिता का नाम प्रदीप सिंह और मां का नाम प्रतिभा सिंह था. प्रदीप खेतीकिसानी का काम करते थे. लेकिन किसी वजह से उन की मानसिक स्थिति ठीक नहीं रही. भाई बना सहारा पति की मानसिक स्थिति ठीक न होने पर प्रतिभा सिंह अपने दोनों बेटों को साथ ले कर सुलतानपुर अपने भाई विवेक सिंह के पास आ गई. विवेक सिंह सरकारी नौकरी करते थे और गोलाघाट क्षेत्र में रहते थे. उन्होंने अपनी बहन और भांजों को सहारा दिया. उन की परवरिश में मदद की. शिवेंद्र ने मुरादाबाद स्थित एक इंस्टीट्यूट से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया था. वह काफी स्मार्ट था. खूबसूरत युवतियों में उस का काफी लगाव था.
जब हिमांशु और उस का भाई शिवेंद्र अपने दम पर कुछ करने के काबिल हुए तो विवेक सिंह ने उन्हें पीडब्लूडी कालोनी में एक मकान रहने के लिए दिला दिया. उन का सारा खर्चा विवेक सिंह ही उठा रहे थे. हिमांशु की सेजल से मुलाकात मार्केट में शौपिंग करते समय हुई थी. पहली ही नजर में सेजल उसे दिल दे बैठी. उधर हिमांशु भी उसे देखते ही उस पर फिदा हो गया था. उस पहली मुलाकात में दोनों के बीच कोई संवाद शुरू नहीं हो सका. मगर सेजल मार्केट से घर लौट कर भी हिमांशु को भुला नहीं पाई. उस रात वह हिमांशु के बारे में ही सोचती रही. हिमांशु से हुई उस पहली मुलाकात के बाद सेजल खोईखोई सी रहने लगी थी. अब उसे बेसब्री से इंतजार था हिमांशु से अपनी मुलाकात होने का, ताकि वह अपना हाले दिल बयां कर सके.
पहली मुलाकात के 2 हफ्ते बाद एक दिन उसी मार्केट में उसे हिमांशु दिखाई दे गया. हिमांशु को देखते ही उस के दिल के तार झनझना उठे, चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई. अब तक हिमांशु की निगाह भी उस पर पड़ चुकी थी. वह धड़कते दिल से बस सेजल को ही घूरे जा रहा था. कुछ पलों तक यह घूरने का सिलसिला चलता रहा. फिर हिमांशु सेजल के पास आया और बेहद मीठे लहजे में झिझकते हुए बोला, ‘‘माफ कीजिए, क्या मैं आप से कुछ बातें कर सकता हूं?’’
‘‘जी हां कीजिए, क्या बात करना चाहते हैं?’’
‘‘सामने रेस्टोरेंट में चल कर एकएक कप चाय पीते हैं, वहीं बातें भी हो जाएंगी.’’
‘‘अच्छा आइडिया है, चलिए.’’ सेजल ने उतावले मन से कहा.
दोनों कुछ कदमों की दूरी पर स्थित रेस्टोरेंट में दाखिल हो गए. उस दिन दोनों ने एकदूसरे के बारे में बहुत कुछ जान लिया. दोस्ती हुई तो फोन पर बात करने का सिलसिला शुरू हो गया. सेजल के मोबाइल पर हिमांशु के फोन काल्स आने लगे. दोनों कईकई घंटे बात करते, मगर फिर भी दिल नहीं भरता. अब हिमांशु प्रतिभा की गैरमौजूदगी में सेजल के घर भी आनेजाने लगा. एक दिन जब हिमांशु सेजल के घर आया तो हिमांशु ने सेजल को बांहों में भर कर उस के होंठोें को चूम लिया, ‘‘अब ये दूरियां बरदाश्त नहीं होतीं, तुम से एक पल भी अलग होने को दिल नहीं करता.’’
‘‘तो फिर मुझ से शादी क्यों नहीं कर
लेते हो?’’
‘‘वह तो मैं करूंगा ही यार, मगर शादी के बाद रोमांस का मजा किरकिरा हो जाता है. इसलिए सोचता हूं कि पहले जी भर कर सैरसपाटा और मस्ती कर ली जाए. फिर शादी की बात सोचेंगे.’’
प्रेमी हिमांशु के मनोभावों को जान कर सेजल प्रसन्नता से खिल उठी. उसे हिमांशु दुनिया का सब से अच्छा इंसान नजर आने लगा. कुछ दिनों बाद सेजल का जन्मदिन था. उस दिन सेजल ने हिमांशु के सिवाय किसी को इनवाइट नहीं किया. यहां तक कि अपनी खास सहेली हिमानी को भी नहीं बुलाया. मिल गए हिमांशु और सेजल तन्हा कमरे में दो जवां दिल, कोई रोकनेटोकने वाला भी नहीं था, ऐसे में मन भटकते कितनी देर लगती है. फिर हिमांशु ने सेजल को बांहों में भींच कर प्यार करना शुरू कर दिया. लेकिन सेजल ने किसी तरह खुद पर काबू किया और हिमांशु को भी बेकाबू होने से रोक लिया.
दोनों ही सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते थे. सोशल मीडिया ऐप ‘इंस्टाग्राम’ पर सेजल ने हिमांशु के साथ अपनी रिलेशनशिप को ले कर एक पोस्ट डाली, जिस में वह हिमांशु के साथ एक सेल्फी में दिख रही थी. उस में उस ने हिमांशु से अपने प्यार का इजहार किया था और अपने रिलेशनशिप के 2 साल 7 महीने पूरे होने पर खुशी जताई थी. ये पोस्ट सेजल के मित्रों के अलावा और अन्य लोगों ने भी देखी. यह बात सेजल की मां प्रतिभा तक भी पहुंच गई. प्रतिभा ने सेजल से बात की और उसे गुस्से में डांटा भी. लेकिन कुछ सोचने के बाद प्रतिभा ने सेजल को समझाया,
‘‘मानती हूं कि तू उम्र के उस दौर से गुजर रही है, जहां किसी भी लड़के के प्रति आकर्षित हो सकती है. लेकिन एक सच यह भी है कि उम्र के इस दौर में दिमाग से ज्यादा दिल से काम लिया जाता है. जैसे तूने सिर्फ अपने दिल की सुनी, दिमाग की नहीं. दिमाग की सुनती तो तू उसे अपने लिए नहीं चुनती.’’
‘‘मौम, हिमांशु में क्या खराबी है. गुड लुकिंग है, हैंडसम है, मेरी उस की जोड़ी बहुत अच्छी लगती है.’’ सेजल ने खुश होते हुए अपने दिल की बात बता दी.
‘‘बेटा, केवल खूबसूरती और प्यार से जिंदगी में काम नहीं चलता. अच्छी तरह से जिंदगी गुजारने के लिए आमदनी का अच्छा जरिया होना चाहिए, जो उस के पास नहीं है. न नौकरी न कामधंधा और न ही रहने का खुद का कोई ठिकाना. ऐसे में वह तुझे क्या खुश रखेगा.’’
पहले नहीं सोचा था मां की बात सुन कर सेजल सोच में पड़ गई. वह सोचने लगी कि उस की मां कह तो सही रही हैं. प्यार के रंग और जोश में वह यह कुछ सोच ही न सकी कि आगे कैसे उस के साथ जिंदगी कटेगी. ऐसे में उस ने हिमांशु से दूर होने का फैसला कर लिया. अब वह हिमांशु से कटने लगी. जबकि हिमांशु उस से शादी करने का दबाव बना रहा था. सेजल उस से दूर होने की कोशिश कर रही थी, लेकिन हिमांशु उस का पीछा छोड़ने को ही तैयार न था. तब प्रतिभा एक दिन हिमांशु के घर पहुंच गई. उस ने हिमांशु की मां को न सिर्फ अपने बेटे को समझाने की हिदायत दी बल्कि काफी भलाबुरा भी कहा. इसी दिन हिमांशु के घर वालों को उस के प्रेम संबंधों का पता चला.
मां ने हिमांशु को समझाया भी कि वह सेजल से दूर रहे. लेकिन प्यार में आकंठ डूबा हिमांशु सेजल से दूर होने की सपने में भी नहीं सोच सकता था. हिमांशु के पीछा न छोड़ने पर मांबेटी उस से छुटकारा पाने का उपाय सोचने को मजबूर हो गईं. डा. प्रदीप ने प्रतिभा से तलाक के बाद दूसरी शादी कर ली थी, एक बेटा भी था. लेकिन इधर कुछ समय से वह फिर से प्रतिभा से मिलने उस के घर आने लगा था. रोजाना एकडेढ़ घंटे वह प्रतिभा के घर रुकता था. प्रदीप को भी हिमांशु के बारे में पता था, वह भी उस से काफी गुस्सा था. प्रदीप और प्रतिभा का एक प्रौपर्टी डीलर काफी करीबी था. उस का नाम गुफरान अख्तर था और शहर कोतवाली के चौक मोहल्ले में रहता था.
दोनों ने गुफरान से बात की और उस से हिमांशु को ठिकाने लगाने में मदद मांगी. गुफरान का एक साथी था वाहिद खान. वाहिद चांदा थाने के अंतर्गत कोथरा गांव में रहता था. वह चांदा थाने का हिस्ट्रीशीटर था. गुफरान ने वाहिद से बात की और उसे प्रदीप और प्रतिभा से मिला कर पूरी डील फाइनल करा दी. हत्या की सुपारी की रकम 50 हजार रुपए तय हुई जो काम होने के बाद दी जानी थी. हिमांशु की हत्या करने का पूरा तानाबाना बुना गया. इस में प्रतिभा ने अपने नौकर सद्दाम को भी शामिल कर लिया. 3 दिसंबर, 2020 की शाम सेजल ने फोन कर के हिमांशु को अपने घर बुलाया कि उस के मम्मीपापा उस से बात करना चाहते हैं. हिमांशु अपने दोस्त के साथ प्रतिभा के घर पहुंचा.
करीब पौने 7 बजे वह दोस्त को बाहर खड़ा कर के अंदर चला गया. वहां प्रदीप, प्रतिभा, सेजल, नौकर सद्दाम के साथ गुफरान और वाहिद मौजूद थे. बातचीत शुरू हुई. बातचीत के दौरान ही वाहिद ने पीछे से लोहे के पाइप से हिमांशु के सिर पर प्रहार किया. प्रहार इतना तेज था कि हिमांशु के मुंह से चीख भी न निकल सकी. फिर ताबड़तोड़ सिर व शरीर पर कई प्रहार कर के वाहिद ने हिमांशु की हत्या कर दी. बाकी सभी उस की हत्या अपनी आंखों के सामने होते देखते रहे. हिमांशु को मारने के बाद उस के कपड़े उतार कर सद्दाम को पहनाए गए. हिमांशु की तरह ही वेशभूषा बना कर उस की ही तरह सद्दाम रात 8:22 बजे घर से निकला, जिस से लगे कि हिमांशु घर से निकला है.
सभी को पता था कि बाहर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. उन में हिमांशु की घर में आते हुए फोटो कैद हुई होगी. ऐसे में उन पर ही पुलिस का शक जाएगा. इस से बचने के लिए ही यह रास्ता अपनाया गया. देर रात वाहिद ने अपनी स्कोडा कार में हिमांशु की नग्न लाश डाली. फिर गुफरान के साथ कार से बाराबंकी के लोनी कटरा थाना क्षेत्र के अखैयापुर गांव के पास एक नाले में हिमांशु की लाश फेंक दी और वापस आ गए. वाहिद को मिल गई रकम अगले दिन वाहिद को अपनी तय सुपारी की रकम भी मिल गई. लेकिन तमाम होशियारी के बाद भी उन सब का गुनाह कानून की नजर में आ ही गया. आवश्यक पूछताछ के बाद पुलिस ने डा. प्रदीप को न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.
19 दिसंबर को इंसपेक्टर भूपेंद्र सिंह ने गुफरान अख्तर और वाहिद खान को नगर कोतवाली के पयागीपुर चौराहे से उस समय गिरफ्तार कर लिया, जब दोनों स्कोडा कार से कहीं भागने की फिराक में थे. उन के पास से हत्या में प्रयुक्त लोहे का पाइप और स्कोडा कार बरामद हो गई. उन दोनों ने हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया. आवश्यक पूछताछ के बाद गुफरान और वाहिद को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक प्रतिभा, सेजल और नौकर सद्दाम पुलिस की पकड़ से दूर थे. पुलिस सरगर्मी से उन की तलाश कर रही थी. उन तीनों पर पुलिस ने ईंनाम भी घोषित कर दिया था.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित