parivarik kahani in hindi : एक भाई डाक्टर, दूसरा इंजीनियर. साधनसंपन्न परिवार के. लेकिन लालच सिर चढ़ कर बोल रहा था, जिस के लिए 2 हत्याएं कर डालीं. दोनों ने सोचा भी नहीं था कि संपत्ति की जगह जेल तक..

करीब 10 साल पहले नेहा की शादी छत्तीसगढ़ के पूर्व वन मंत्री डी.पी. घृतलहरे के बेटे तरुण के साथ हुई थी. 30 जनवरी, 2021 को रात करीब साढ़े 9 बजे आकाश ने बहन नेहा को फोन लगाया. नेहा के फोन की घंटी तो बज रही थी, लेकिन वह काल रिसीव नहीं कर रही थी. आकाश ने कई बार ट्राई किया, लेकिन उस के फोन की घंटी तो बजती रही, लेकिन नेहा ने फोन रिसीव नहीं किया. आकाश परेशान हो गया कि पता नहीं नेहा इस समय कहां है जो फोन नहीं उठा रही. तब आकाश ने अपने बहनोई तरुण को फोन मिलाया. तरुण ने आकाश को बताया कि वह तो अपने गांव आया है और उस का छोटा भाई इंद्रजीत कहीं बाहर गया हुआ है.

घर पर इस समय नेहा और अनन्या ही हैं. 9 वर्षीय अनन्या उर्फ पिहू नेहा की बेटी थी. आकाश ने सोचा कि जब नेहा घर पर है तो वह फोन क्यों नहीं उठा रही. आकाश ने कोई एकदो बार नहीं बल्कि कई बार फोन किया था पर उस के फोन की घंटी तो बज रही थी लेकिन वह फोन उठा नहीं रही थी. यह बात उस ने अपने घर वालों को बताई तो घर के सभी लोग परेशान हो गए. आकाश का घर रायपुर जिले के खरोड़ा गांव में था, जबकि उस की बहन की ससुराल रायपुर के ही खम्हारडी कस्बे में थी. खम्हारडी उस के घर से कोई 40 किलोमीटर दूर था. आकाश ने तय किया कि वह अभी नेहा की ससुराल जाएगा. वह अपनी छोटी बहन को कार में बिठा कर खम्हारडी के लिए रवाना हो गया. करीब एक घंटे में वह नेहा की ससुराल पहुंच गया.

नेहा ऊंचा राजनीतिक रसूख वाले परिवार में ब्याही थी, उन का वहां आलीशान बंगला था. आकाश जब बंगले पर पहुंचा तो मेनगेट का ताला बंद था. उस ने मन ही मन सोचा कि बंगले के गेट का ताला क्यों बंद है, उस ने बंगले के बाहर से नेहा के फोन पर फिर से काल की. अब भी उस के फोन की घंटी बज रही थी लेकिन उस ने काल रिसीव नहीं की. आकाश को उस के बहनोई तरुण ने बता दिया था कि बंगले पर केवल नेहा और अनन्या ही हैं. लेकिन गेट पर लगे ताले से लग रहा था कि बंगले में कोई नहीं है. आकाश ने आसपास रहने वाले लोगों से मालूम किया कि नेहा कहीं गई हुई है क्या? लेकिन पड़ोसियों ने अनभिज्ञता जाहिर की.

आकाश ने उन्हें बताया कि वह साढ़े 9 बजे से नेहा को फोन लगा रहा है, फोन की घंटी तो जा रही है पर वह फोन रिसीव नहीं कर रही. पता नहीं इस समय वह कहां है. पड़ोसियों ने भी बताया कि नेहा इस तरह बंगले से अकेली कभी नहीं जाती. जब वह फोन नहीं उठा रही तो जरूर कुछ न कुछ गड़बड़ है. कुछ ही देर में बंगले के बाहर तमाम लोग जमा हो गए. आकाश को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. तभी कुछ लोगों ने सलाह दी कि क्यों न गेट का ताला तोड़ कर बंगले के अंदर देखा जाए. तब आकाश ने लोगों के सहयोग से बंगले के मेनगेट का ताला तोड़ दिया. लोगों के साथ जब वह बंगले में पहुंचा तो उसे नेहा के बैडरूम का भी ताला बंद मिला.

यह देख कर वह आश्चर्यचकित रह गया कि बंगले के बाकी सब कमरे खुले हुए हैं तो नेहा के कमरे का ही ताला क्यों बंद है. आकाश ने नेहा के कमरे का ताला भी तोड़ दिया. ताला तोड़ कर जैसे ही आकाश और अन्य लोग कमरे में घुसे तो वहां पर 2 लोग बैठे हुए मिले. उन में से एक नेहा का ननदोई डा. आनंद राय था. उस के साथ एक और व्यक्ति था. आकाश और अन्य लोग उस व्यक्ति को नहीं जानते थे. यह बात किसी की समझ में नहीं आई कि 2 तालों में बंद हो कर लोग नेहा के बैडरूम में क्यों बैठे हैं. आकाश और अन्य लोगों को देख कर आनंद राय और उस के साथी के चेहरे का रंग उड़ गया. आकाश ने जब उन से कमरे में बंद रहने की वजह पूछी तो वे कुछ जवाब नहीं दे पाए, बल्कि वहां से भागने की कोशिश करने लगे.

शक होने पर लोगों ने दोनों को पकड़ लिया. उन्हें शक होने लगा कि जरूर कुछ न कुछ गड़बड़ है. उन्होंने कमरे की तलाशी लेनी शुरू कर दी. जब उन्होंने बैड का बौक्स खोला तो बौक्स में नेहा और उस की बेटी अनन्या की लाशें औंधे मुंह पड़ी मिलीं. दोनों की लाशें देखने के बाद लोग समझ गए कि जरूर दोनों के मर्डर के पीछे इन  का ही हाथ है. लिहाजा लोगों ने उन्हें पकड़ लिया. इसी दौरान किसी ने खम्हारडी थाने में फोन कर के बता दिया कि किसी ने बंगले में पूर्व मंत्री डी.पी. घृतलहरे की बहू और नातिन की हत्या कर दी है.

मामला एक हाईप्रोफाइल परिवार से जुड़ा हुआ था, इसलिए सूचना पाते ही थानाप्रभारी ममता शर्मा हैडकांस्टेबल वेदव्यास दीवान, बच्चन सिंह ठाकुर, टीकम सिंह आदि को साथ ले कर घटनास्थल की तरफ रवाना हो गईं. थाने से घटनास्थल करीब एक किलोमीटर दूर था इसलिए वह कुछ देर में ही वहां पहुंच गईं.

इस दोहरे हत्याकांड की जानकारी उन्होंने  एसपी अजय यादव को भी दे दी. थानाप्रभारी जब मौके पर पहुंचीं तो देखा कि कुछ लोग 2 लोगों को पकड़े हुए थे और नेहा व उस की बेटी की लाश बैड के बौक्स में पड़ी थीं.  लोगों ने पुलिस को बताया कि जब उन्होंने इस कमरे का ताला तोड़ा था तो ये दोनों इन लाशों के पास ही बैठे मिले थे. ये ही इन के कातिल हैं. पति भी संदेह के दायरे में पुलिस को पूछताछ में पता चला कि उन दोनों में से एक मृतका का सगा ननदोई डा. आनंद राय है. इस के बाद पुलिस के सामने ही लोग उन दोनों की पिटाई करने लगे. लोगों में आक्रोश भरा हुआ था. गुस्से में लोग कहीं दोनों को मार न डालें, इसलिए थानाप्रभारी ने बड़ी मुश्किल से उन्हें भीड़ के चंगुल से छुड़ा कर अपने कब्जे में लिया और उन्हें तुरंत थाने भिजवा दिया.

कुछ ही देर में फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट, पुलिस फोटोग्राफर और एसपी अजय यादव भी वहां पहुंच गए. आक्रोशित लोगों को एसपी साहब ने समझाया. मौकामुआयना करने से यह स्पष्ट पता चल रहा था कि मृत्यु से पहले नेहा ने अपने बचाव में जीजान लगा कर संघर्ष किया था. क्योंकि उस के चेहरे व शरीर पर खरोंचों के निशान थे. फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट ने मौके से सुबूत जुटाए. पुलिस अधिकारियों ने भी मौके का बारीकी से मुआयना किया.

पुलिस अधिकारियों ने वहां मौजूद आकाश से बात की तो उस ने बताया कि जब वह यहां आया तो बंगले के बाहर वाले गेट पर ताला लगा हुआ था. जब वह ताला तोड़ कर अंदर आया तो नेहा के बैडरूम का ताला भी बाहर से बंद था. कमरे का ताला तोड़ा तो कमरे में  नेहा का ननदोई डा. आनंद राय और उस के साथ एक अन्य व्यक्ति बैठा हुआ मिला. उसे शक है कि बहन और भांजी की हत्या में इन दोनों का हाथ है.

उस समय मृतका नेहा का पति तरुण घर पर नहीं था, इसलिए पुलिस को इस बात का शक था कि कहीं पत्नी की हत्या में उस का हाथ तो नहीं है. आकाश इस दोहरे हत्याकांड की जानकारी अपने बहनोई तरुण को फोन द्वारा दे चुका था. वह थोड़ी देर में घर आ गया. जब तरुण को पता चला कि नेहा की लाश के पास आनंद राय और एक अन्य व्यक्ति बैठा मिला था, तो उसे भी विश्वास हो गया कि उस की पत्नी और बेटी की हत्या जरूर आनंद राय ने ही की होगी. यह शक उस ने पुलिस के सामने जाहिर भी कर दिया.

तरुण भले ही पत्नी की हत्या का आरोप अपने बहनोई आनंद राय पर लगा रहा था, लेकिन पुलिस की नजरों में तरुण भी संदिग्ध था. इसलिए एसपी अजय यादव ने थानाप्रभारी को आदेश दिया कि वह है तरुण पर नजर रखें, वह फरार न होने पाए. पूर्व वन मंत्री की बहू और नातिन की हत्या की खबर थोड़ी ही देर में रायपुर शहर में फैल गई. लोग तरुण के बंगले के बाहर पहुंच गए. ऐहतियात के तौर पर पुलिस ने वहां भारी सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम कर दिया. दोनों लाशों के गले पर पड़े निशानों को देख कर लग रहा था कि दोनों की हत्या गला घोंट कर की गई है. हत्या किस ने और क्यों की, यह बात तो जांच के बाद ही पता चल सकती थी.

मौके की जरूरी काररवाई पूरी कर के पुलिस ने दोनों लाशें पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भिजवा दीं. इस के बाद पुलिस पूछताछ के लिए उन दोनों व्यक्तियों सहित मृतका के पति तरुण को भी अपने साथ थाने ले गई. पुलिस ने लोगों के चंगुल से छुड़ा कर जिन 2 लोगों को कस्टडी में लिया था, उन में से एक मृतका का ननदोई डा. आनंद राय था जबकि दूसरा युवक आनंद राय का भतीजा दीपक सायतोडे था. तलाश अजय राय की इन दोनों से पुलिस ने नेहा और उस की बेटी की हत्या के बारे में पूछताछ की तो दोनों खुद को बेकसूर बताते रहे, लेकिन पुलिस की सख्ती के आगे उन्होंने स्वीकार कर लिया कि उन दोनों की हत्या उन्होंने नहीं बल्कि अजय राय ने की है.

अजय राय तरुण का दूसरा बहनोई था, आनंद राय का सगा भाई. पेशे से वह इंजीनियर था. पुलिस ने जब उसे तलाशा तो अजय घर पर नहीं मिला. एसपी अजय यादव के निर्देशन में पुलिस टीमें अपनेअपने स्तर से उसे तलाशने में जुट गईं. डा. आनंद राय और दीपक सायतोडे  पूछताछ में पुलिस को बारबार यही बयान देते रहे कि वह तो अजय राय के कहने पर साथ आए थे. इन दोनों की हत्या तो इंजीनियर अजय राय ने की है. पुलिस को लग रहा था कि वे दोनों अभी भी झूठ बोल रहे हैं. उन से विस्तार से पूछताछ के लिए पुलिस ने दोनों को पहली फरवरी, 2021 को कोर्ट में पेश कर के 5 दिन के लिए पुलिस रिमांड पर ले लिया.

उधर पुलिस की कई टीमें फरार इंजीनियर अजय राय की तलाश में जुटी हुई थीं.  सर्विलांस टीम भी अपने स्तर से जांच कर रही थी. इसी बीच जांच टीम को पता चला कि अजय ने उत्तर प्रदेश के शहर प्रयागराज से पहले बाईपास के नजदीक अपना मोबाइल फोन औन किया था. इसी क्लू के आधार पर क्राइम ब्रांच की एक टीम रायपुर से प्रयागराज पहुंच गई. जिस जगह पर अजय के फोन की लोकेशन मिली थी, वहां हाइवे पर एक पंक्चर वाले की दुकान थी. पुलिस ने उसे अजय का फोटो दिखा कर उस से पूछताछ की.

फोटो देखते ही पंक्चर वाला पहचान गया. क्योंकि 1-2 दिन पहले उसी शक्ल के एक व्यक्ति ने उस के फोन से किसी को फोन किया था. इस से रायपुर पुलिस को जांच में सफलता के कुछ आसार दिखाई देने लगे. पंक्चर वाले ने अपने मोबाइल में देख कर पुलिस को वह नंबर बता दिया, जिस पर उस ने बात की थी. पुलिस ने जांच की तो वह नंबर उत्तर प्रदेश के जिला अयोध्या स्थित सुलतानगंज के रहने वाले शिवप्रकाश का निकला. पुलिस टीम वहां से अयोध्या की तरफ रवाना हो गई. स्थानीय पुलिस के सहयोग से रायपुर पुलिस अयोध्या के सुलतानगंज में रहने वाले शिवप्रकाश के घर पहुंच गई. वहां से पुलिस ने अजय राय को गिरफ्तार कर लिया.

पता चला कि शिवप्रकाश अजय राय का गहरा दोस्त था. शिवप्रकाश आपराधिक प्रवृत्ति का था. कुछ दिनों पहले ही वह गांजे की तसकरी में जेल की सजा काट कर घर आया था. शिवप्रकाश घर पर नहीं मिला. यह बात 4 फरवरी, 2021 की है. इंजीनियर अजय राय को गिरफ्तार कर पुलिस रायपुर लौट आई. वहां उस ने अपने भाई डा. आनंद राय और भतीजे दीपक को पुलिस हिरासत में देखा तो समझ गया कि दोनों ने पुलिस को सब कुछ बता दिया होगा. पुलिस ने जब अजय राय से नेहा और उस की बेटी अनन्या की हत्या के बारे में पूछताछ की तो उस ने हत्या का आरोप अपने भाई आनंद व भतीजे दीपक पर लगाया.

कुछ देर तक वे एकदूसरे पर हत्या का आरोप मढ़ते रहे. लेकिन जब उन के साथ थोड़ी सख्ती बरती गई तो सभी सच बोलने लगे. पता चला कि इन तीनों ने ही सुनियोजित योजना के तहत नेहा और उस की बेटी की हत्याएं की थीं. उन तीनों से पूछताछ के बाद इस दोहरे हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, वह चौंकाने वाली थी—

छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले का कस्बा खम्हारडी. इसी कस्बे के सतनाम चौक के पास एक बड़े राजनीतिज्ञ डी.पी. घृतलहरे का बंगला है. डी.पी. घृतलहरे छत्तीसगढ़ सरकार में वन मंत्री थे. वह जानीमानी शख्सियत थे. उन की 2 बीवियां थीं. पहली पत्नी वसंता से एक बेटी थी शशिप्रभा और दूसरी पत्नी प्रभादेवी से 4 बच्चे थे. जिन में 2 बेटियां थीं और 2 बेटे तरुण व इंद्रजीत.

दोनों बेटियों की वह शादी कर चुके थे. एक बेटी की शादी उन्होंने शहर के ही जानेमाने डाक्टर आनंद राय से की थी और दूसरी बेटी की शादी उन्होंने आनंद राय के भाई अजय राय के साथ की थी. अजय राय इंजीनियर था. दोनों बेटियां संपन्न परिवार में ब्याही थीं, इसलिए दोनों ही खुश थीं. बेटा तरुण शादी के योग्य हुआ तो उन्होंने उस की शादी जिले के ही खरोरागांव की रहने वाली नेहा से कर दी. नेहा भी एक संपन्न परिवार से थी. उस के पिता जमींदार थे. नेहा उच्चशिक्षित और समझदार थी. ससुराल आते ही उस ने घर की सारी जिम्मेदारियां संभाल ली थीं.

डी.पी. घृतलहरे के दोनों दामाद उच्चशिक्षित और संपन्न जरूर थे, लेकिन वे लालची प्रवृत्ति के थे. किसी न किसी बहाने वे ससुराल से पैसे या अन्य महंगा सामान ऐंठते रहते थे. मंत्रीजी के पास अकूत संपत्ति थी इसलिए दोनों दामादों की नजर उन की संपत्ति पर लगी रहती थी. इसी दौरान 19 अप्रैल, 2020 को डी.पी. घृतलहरे का देहांत हो गया. उन की मौत के बाद घर के सभी लोग तो दुखी थे ही, लेकिन सब से ज्यादा परेशान तरुण की बुआ कुन्नीबाई थीं. इस की वजह यह थी कि तरुण के दोनों बहनोइयों की गिद्धदृष्टि उन की संपत्ति पर थी.

कुन्नीबाई को यह आशंका लगी रहती थी कि दोनों दामाद भाई की जुटाई संपत्ति को नोचखसोट न लें. कुन्नीबाई के पास खेती की करीब 17 एकड़ जमीन थी. उन्होंने इस संपत्ति का मुख्तियार तरुण को बना दिया था. तरुण की पत्नी नेहा अपनी दोनों ननदों और ननदोइयों की बहुत सेवा करती थी. जितना उस से बन पड़ता, वह  उन्हें गिफ्ट आदि दिया  करती थी. लेकिन वे लोग उस के द्वारा दिए गए सामान से कभी खुश नहीं होते थे. लालची जीजाओं का जाल डा. आनंद राय और इंजीनियर अजय राय इस की चर्चा अकसर अपनी पत्नियों से करते थे. दोनों उलाहना देते हुए कहा करते थे कि तुम्हारे पिता के घर में इतना सब कुछ होने के बावजूद तुम्हारे भाई और भाभी हम लोगों के बारे में तनिक भी नहीं सोचते.

यह तो सभी जानते हैं कि पिता की संपत्ति में बेटियों का भी अधिकार होता है. फिर तुम्हारे साथ यह दोहरा बरताव क्यों होता है. दोनों बहनें भी समझती थीं कि उन के पति जो कह रहे हैं वह बिलकुल सही है. एक तरह से वे अपनेअपने पतियों को मूक समर्थन देती थीं. संपत्ति को ले कर आनंद राय और अजय राय के मन में लालच ने अपना घर बना लिया था. नेहा अपने दोनों ननदोई की लालची नीयत से वाकिफ थी. अजय और आनंद ने कई बार नेहा को अपनी बातों के जाल में फंसाने की कोशिश की, लेकिन नेहा उन की बातों में नहीं आई. वह अपनी बुआ कुन्नीबाई को सारी बात बता देती थी. नेहा ने तय कर लिया था कि वह अपने ननदोइयों को संपत्ति हड़पने की चाल में नहीं फंसेगी.

नेहा के साथ दाल न गलने पर आनंद और अजय परेशान हो गए. तब उन के मन में खयाल आया कि जब नेहा नहीं फंस रही तो क्यों न तरुण को अपने जाल में फंसा कर इस संपत्ति को बेचने के लिए मजबूर किया जाए. तरुण अपने दोनों बहनोइयों की चाल में फंस गया. उन के बहकावे में आ कर वह अपनी प्रौपर्टी का सौदा करने को तैयार हो गया. इस के बाद अजय राय, आनंद राय और तरुण तीनों की आपस में खूब पटने लगी तो नेहा समझ गई कि उन्होंने तरुण को अपने जाल में फंसा लिया है. लिहाजा वह उन पर नजर रखने लगी.

एक दिन कमरे में बैठे तीनों जब संपत्ति  को बेचने के बारे में बातें कर रहे थे, तब नेहा परदे की ओट में उन की बातें सुन रही थी. नेहा को लगा कि यदि अब वह खामोश रही तो सारी संपत्ति हाथ से निकल जाएगी. वह उसी समय दरवाजे की ओट से निकल कर ड्राइंगरूम में पहुंच गई. उन तीनों के सामने अचानक नेहा के पहुंचते ही ड्राइंगरूम में सन्नाटा छा गया. नेहा को देखते ही अजय राय ने तुरंत टौपिक बदल दिया, लेकिन उन तीनों के चेहरों पर जो हवाइयां उड़ रही थीं, उस से नेहा समझ गई. फिर भी अनजान बनते हुए वह बोली, ‘‘आप तीनों के चेहरों पर हवाइयां कैसे उड़ रही हैं. आजकल तरुण से आप लोगों की बहुत ज्यादा पट रही है, आखिर इस की वजह क्या है?’’

‘‘ऐसी कोई बात नहीं है. दरअसल, काफी दिनों बाद साले साहब से रूबरू हुए तो घुलमिल कर बातें कर रहे थे.’’ आनंद

राय बोला.

‘‘लेकिन मुझे तो बात कुछ और ही नजर आ रही है. मेरे आने से पहले आप लोग प्रौपर्टी बेचने के बारे में कुछ बातें कर रहे थे,’’ नेहा कहा, ‘‘यदि मेरी बात गलत हो तो आप लोग बता दीजिए.’’

नेहा की बात सुन कर तीनों समझ गए कि उसे पूरी बात पता चल गई है. इसलिए वह हक्केबक्के हो कर एकदूसरे की तरफ देखने लगे. तभी अजय बोला, ‘‘दरअसल नेहा, जब तुम पूछ रही हो तो बताए देता हूं कि हमें बड़ी मुश्किल से इस बंगले का खरीदार मिला है, जो बंगले की अच्छी कीमत देने को तैयार है.

‘‘बारबार हमें ऐसा मौका नहीं मिलेगा. समझदारी इसी में है कि हम इसे बेच दें. हम लोग सोच रहे हैं कि इस बंगले को बेच कर जो रकम मिलेगी, उस से हम जमीन खरीद कर उस पर आलीशान फ्लैट्स बना कर

उन्हें बेच देंगे. इस से हमें करोड़ों रुपए का फायदा होगा.’’

‘‘जीजाजी, नेक सलाह के लिए हम आप के शुक्रगुजार हैं. लेकिन एक सलाह मेरी भी है कि आप दोनों जो स्कीम बता रहे हैं, उस की जगह अपनीअपनी संपत्ति बेच कर खुद कर लें. आप को लाखोंकरोड़ों का फायदा मिल जाएगा.’’ नेहा ने दोनों ननदोइयों से कहा.

‘‘देखो दामाद होने के नाते मैं आप दोनों का बड़ा सम्मान करती हूं लेकिन भविष्य में इस तरह की स्कीम और संपत्ति खरीदनेबेचने की बातें यहां कहने मत आना. आप मेरे पति को भी अपनी बातों में ले कर अपना उल्लू सीधा करने में लगे हुए हैं.’’ नेहा ने कहा और अपने पति से वहां से उठने का इशारा किया. नेहा की बात सुन कर आनंद राय और अजय के चेहरे सुर्ख हो गए. इस से उन्हें अपमान महसूस हुआ. उस समय रात हो गई थी. उन्होंने दीवार घड़ी की ओर देखा फिर दोनों भाई बंगले से बाहर निकल गए. तरुण या नेहा ने उन दोनों को रोकने की कोशिश नहीं की.

घर पहुंच कर दोनों भाइयों ने इस की शिकायत अपनीअपनी पत्नियों से की कि उन की भाभी नेहा ने किस तरह से उन का अनादर किया है. दोनों बहनों ने इस की शिकायत नेहा भाभी से की. जवाब में नेहा ने ननदों को पूरी बात बता दी. पर इतनी बेइज्जती होने के बाद भी अजय राय और आनंद राय ने तरुण के बंगले पर जाना बंद नहीं किया. सपत्ति का विवाद दिन प्रतिदिन बढ़ता गया. लालच में अंधे हो कर वे अपमान की गठरी सिर पर लिए घूमते रहे. जब बात नहीं बनी तो दोनों भाइयों ने एक दिन यहां तक कह दिया कि पिता की संपत्ति में बेटियों का भी हक होता है

इस पर नेहा बोली, ‘‘मैं कब मना कर रही हूं कि संपत्ति में बेटियों का हक नहीं होता, लेकिन जो संपत्ति ससुर की है वह उसी में से हिस्सा ले सकती हैं. पर तुम तो सास और बुआ की संपत्ति पर अपनी नजरें गड़ाए बैठे हो. यह बात सरासर गलत है. ऐसा मैं हरगिज नहीं होने दूंगी. बताओ, कानून की कौन सी किताब में यह बात लिखी है कि बुआ की संपत्ति पर दामादों का हिस्सा बनता है.

‘‘जब कुन्नीबाई बुआ ने अपनी मरजी से 17 एकड़ भूमि का मुख्तियार तरुण को बनाया है तो आप लोगों को क्यों जलन हो रही है. आप को हिस्सा लेना ही था तो ससुर के सामने मांग लेते. उस समय तो आप लोग नहीं बोले. अब वह नहीं हैं तो उन की संपत्ति पर नजरें गड़ाए हुए हो.’’

नेहा अपने दोनों ननदोइयों को इसी तरह बेइज्जत कर दिया करती थी. जिस से दोनों भाई नेहा से नफरत करने लगे थे. लालच में अंधा हुआ इंसान विवेकशून्य हो जाता है. दोनों भाइयों डा. आनंद राय और इंजीनियर अजय राय का भी यही हाल था. कोई रास्ता नहीं मिला तो अपनी मंशा पूरी करने के लिए उन्होंने एक आपराधिक योजना तैयार कर ली. उन्होंने सोचा कि क्यों न तरुण को ही रास्ते से हटा दिया जाए. लेकिन इस योजना पर उन्होंने विराम लगा दिया. इस की वजह यह थी कि तरुण की पत्नी नेहा साधनसंपन्न और दबंग परिवार से थी. उन्होंने सोचा कि तरुण के साथ कुछ भी किया तो वह उन्हें जीने नहीं देगी. वह कोई दूसरी योजना बनाने लगे.

नेहा ने अपने पति तरुण को भी समझा दिया था कि दोनों बहनोई लालची प्रवृत्ति के हैं. वे लालच में कुछ अहित भी कर सकते हैं. तरुण पत्नी की बात अच्छी तरह समझ गया था. लिहाजा उस ने अपनी बहनोइयों की बातों पर तवज्जो देनी बंद कर दी. जब कभी नेहा के ननदोई प्रौपर्टी को ले कर तरुण से बात करते तो नेहा खुद ही बीच में आ जाती और पति के बोलने से पहले ननदोइयों की बात काट देती थी. वह उन लोगों की निगाह में पति को अच्छा इंसान बनाना चाहती थी.

आनंद और अजय का लालच विकराल होता गया. नेहा उन के रास्ते का पत्थर बन गई थी. इस पत्थर को हटाए बिना उन्हें अपनी चाहत पूरी होती दिखाई नहीं दे रही थी. नेहा को रास्ते से हटाने के लिए ये लोग उचित अवसर की तलाश में रहने लगे. सोचविचार कर दोनों भाइयों ने एक खौफनाक साजिश रच डाली. इस साजिश में उन्होंने अपने भतीजे दीपक सायतोडे को भी शामिल कर लिया. योजना को दिया अंजाम आखिरकार 30 जनवरी, 2021 को उन्हें सही मौका मिल गया. इस के लिए उन्होंने कुछ दिनों तक रेकी भी की. जब उन लोगों को पता चला कि तरुण अपने गांव गया है और उस का छोटा भाई इंद्रजीत भी घर पर नहीं है, तो  मौका पा कर आनंद और अजय दीपक को ले कर खम्हारडी स्थित उन के बंगले पर पहुंच गए.

उस समय रात के करीब साढ़े 9 बजे थे. तीनों बेरोकटोक बंगले के मुख्य दरवाजे पर पहुंच गए. उस वक्त नेहा अपनी 9 साल की बेटी अनन्या उर्फ पीहू के साथ खेल रही थी. घंटी बजी तो अनन्या बोली, ‘‘देखो मम्मी, लगता है पापा आ गए हैं.’’

नेहा दरवाजा खोलने के लिए चली, तभी दोबारा घंटी बजी तो नेहा बोली, ‘‘रुको, आ रही हूं.’’

नेहा ने जैसे ही दरवाजा खोला. दोनों ननदोई और एक अपरिचित व्यक्ति सामने खड़े थे. उन्हें देखते ही वह बोली, ‘‘इस वक्त, खैरियत तो हैं?’’

‘‘हां, सब ठीक हैं. क्या हमें अंदर आने को नहीं कहोगी,’’ आनंद बोला.

नेहा एक तरफ होती हुई बोली, ‘‘आइए.’’

तीनों को वह ड्राइंगरूम में ले गई. तीनों सोफे पर बैठ गए. कुछ देर वह उन से औपचारिक बातें करती रही. फिर उन लोगों ने बातचीत का रुख संपत्ति और रुपयों की ओर मोड़ दिया. नेहा ने उस वक्त संयम से काम लिया, लेकिन वे तीनों योजना के तहत उस से झगड़ा करने लगे.

नेहा गुस्से में ड्राइंगरूप से उठ कर अपने बैडरूम में चली गई. उस के पीछेपीछे अजय राय, आनंद राय और दीपक भी पहुंच गए. उन तीनों को अपने पीछे आया देख कर नेहा बोली, ‘‘मैं इस समय आप लोगों से कोई बात नहीं करना चाहती. इस बारे में जो कुछ कहना हो तरुण से कहना.’’

तभी अजय दांत पीसते हुए बोला, ‘‘वह हमारी सुनता कहां है.’’

‘‘तो मैं क्या करूं. मेहरबानी कर के आप लोग यहां से चले जाइए.’’

यह सुन कर उन तीनों ने आंखों ही आंखों में इशारा किया. तभी दीपक ने पास बैठी अनन्या को उठा लिया और जूते का फीता निकाल कर उस के गले में कसने लगा. बेटी की जान बचाने के लिए नेहा उन से भिड़ गई. यह देख अजय और आनंद ने नेहा को काबू में करने का प्रयास किया. उन के बीच 15 मिनट तक हाथापाई होती रही. मौका पा कर आनंद ने नेहा के पैर जकड़ लिए और अजय ने अपने दोनों हाथों से नेहा का गला घोंट दिया. कुछ ही देर में उस की मौत हो गई. उधर दीपक ने अनन्या के गले को जूतों के फीते से कस दिया. बच्ची की भी मौत हो गई. दीपक ने अपनी संतुष्टि के लिए उसी फीते से एक बार फिर नेहा के गले को जोर से कसा.

वे लोग पूरी तसल्ली चाहते थे कि उन दोनों में से कोई जिंदा न रहे. इस की पुष्टि के लिए उन्होंने दोनों लाशों को उठा कर बाथरूम के टब में डाल कर यह देखा कि नाक या मुंह से पानी में बुलबुले तो नहीं निकल रहे. 5 मिनट तक पानी में कोई बुलबुला नहीं उठा तो उन्हें संतुष्टि हो गई कि दोनों की मौत हो चुकी है. इस के बाद तीनों ने चैन की सांस ली. फिर वे लाशों को उठा कर नेहा के बैडरूम में ले गए और दोनों लाशें औंधे मुंह दीवान के बौक्स में डाल दीं. इस के बाद तीनों ने सलाह  की कि इन्हें ठिकाने कैसे लगाया जाए. कुछ देर विचार करने के बाद उन्होंने तय किया कि दोनों लाशों को मंदिर हसौद नया रायपुर के सुनसान इलाके में ले जा कर ठिकाने लगा दिया जाए.

अजय राय यह कहता हुआ वहां से अपनी कार से चला गया कि वह उपयुक्त जगह ढूंढ कर आता है. तब तक रात भी गहरा जाएगी. वह नेहा के बैडरूम और बंगले का ताला बंद कर के चला गया. आनंद राय और दीपक दोनों ताले में बंद लाशों के पास ही बैठे रहे. उधर नेहा के भाई आकाश ने नेहा को फोन किया तो नेहा के फोन की घंटी तो बजती रही, लेकिन वह फोन नहीं उठा रही थी. कई बार काल करने के बाद भी जब नेहा ने फोन नहीं उठाया तो वह अपनी छोटी बहन को साथ ले कर कार से रात करीब साढ़े 11 बजे नेहा के बंगले पर  पहुंच गया.

दोनों लाशों को ठिकाने लगाने के लिए अजय राय भी एक सुनसान जगह देख कर लौट आया था. जब वह बंगले के पास पहुंचा तो उसे वहां भीड़ दिखाई दी. उस का माथा ठनका. उसे समझते देर नहीं लगी कि बंगले के बाहर लोगों का हुजूम क्यों लगा है. भाग गया अजय राय उस समय उस की कार बंगले से करीब आधा फर्लांग दूर थी. माजरा समझते ही उस ने यू टर्न लिया और वहां से  निकल गया. वह समझ गया कि हत्या का मामला खुल चुका है और पुलिस उस तक पहुंच जाएगी. ऐसे में उस ने शहर से बाहर भागने में ही अपनी भलाई समझी. वह कार से भंडारपुरी, कसडोल, बिलाईगढ़ होता हुआ बिलासपुर बसस्टैंड पहुंचा.

उस ने अपनी कार लौक कर के एक जगह छोड़ दी और फिर बस से प्रयागराज के लिए निकल गया. प्रयागराज में वह अपने एक परिचित के यहां रुका. कुछ दिन प्रयागराज में रुकने के बाद वह अयोध्या चला गया. अयोध्या में उस का एक दोस्त शिवप्रकाश रहता था. वह आपराधिक प्रवृत्ति का था. अयोध्या जाने से पहले उस ने प्रयागराज हाइवे पर पहुंच कर शिवप्रकाश से फोन पर बात करनी चाही. इस के लिए उस ने अपना मोबाइल औन किया. तभी उसे ध्यान आया कि अगर उस ने अपने मोबाइल से बात की तो वह पुलिस की पकड़ में आ जाएगा. इसलिए उस ने वहां मौजूद एक पंक्चर बनाने वाले से बात की. अजय ने उस से कहा कि उस का मोबाइल खराब हो गया है और उसे किसी से अर्जेंट बात करनी है.

यदि वह अपने फोन से उस की बात करा दे तो मेहरबानी होगी. बदले में वह 100 रुपए दे देगा. पंक्चर वाला तैयार हो गया और उस ने अपना मोबाइल अजय को दे दिया. अजय ने उस के मोबाइल से अपने दोस्त शिवप्रकाश से बात की. वह शिवप्रकाश का नंबर डिलीट करना भूल गया था. इस के बाद अजय अयोध्या में अपने दोस्त शिवप्रकाश के पास चला गया और वहीं पर रहने लगा. लेकिन वह वहां भी सुरक्षित नहीं रह सका और रायपुर पुलिस के चंगुल में फंस गया. पुलिस उसे अयोध्या से गिरफ्तार कर के ले आई. पुलिस ने बिलासपुर बसस्टैंड से उस की कार भी बरामद कर ली.

तीनों अभियुक्त पुलिस की गिरफ्त में आ चुके थे. पुलिस ने तीनों को 5 फरवरी, 2021 को कोर्ट में पेश कर 10 दिन की पुलिस रिमांड मांगी. पुलिस के अनुरोध पर कोर्ट ने तीनों आरोपियों को 15 फरवरी, 2021 तक के पुलिस रिमांड पर सौंप दिया. रिमांड अवधि में विस्तृत पूछताछ के बाद पुलिस ने तीनों को अदालत पर पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. parivarik kahani in hindi

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

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