real crime stories in hindi : पूजा शुक्ला ने अपने घर वालों की मरजी के खिलाफ अपने भाई के दोस्त विजेत कश्यप से मंदिर में शादी कर ली. लेकिन उस की शादी के 3 महीने बाद ही ऐसा क्या हुआ कि विजेत और पूजा को अपनी जान गंवानी पड़ी?

मध्य प्रदेश की संस्कारधानी कहे जाने वाले जबलपुर शहर से लगा हुआ एक देहाती इलाका है तिलवारा. नर्मदा नदी की गोद में बसे तिलवारा के बर्मन मोहल्ले में सुरेंद्र कश्यप का परिवार रहता था. उन के परिवार में पत्नी के अलावा 3 बेटियां व एक बेटा विजेत था. 38 साल का विजेत अपनी पढ़ाईलिखाई पूरी करने के बाद कोई कामधंधा करने के बजाय फालतू इधरउधर घूमता रहता था. इस बात को ले कर उस के पिता उसे समझाते रहते कि कुछ कामधंधा देख ले, इधरउधर आवारागर्दी करता रहता है. मगर विजेत पर पिता की नसीहतों का कोई असर नहीं पड़ता. वह दिन भर दोस्तों के साथ मटरगश्ती करता और देर रात घर लौटता था.

करीब 3 साल पहले की बात है, बेरोजगारी के दिन काट रहे विजेत की मुलाकात एक दिन धीरज शुक्ला उर्फ मिंटू नाम के युवक से हुई. रामनगर इलाके के शंकरघाट में रहने वाले धीरज के पिता शिवराम शुक्ला का नाम शराब के अवैध कारोबार से जुड़ा हुआ है. पिता के इस गोरखधंधे में धीरज भी बराबर का साथ दे रहा था. शिवराम के परिवार में उस की पत्नी, 35 साल का बड़ा बेटा धीरज उर्फ मिंटू, 30 साल का छोटा लड़का लवकेश और 19 साल की बेटी पूजा थी. विजेत और धीरज के रहवासी इलाकों में कोई खास फासला नहीं था. इस वजह से उन की मुलाकात आए दिन होती रहती थी. विजेत धीरज की लाइफस्टाइल देख कर काफी प्रभावित रहता था.

जब विजेत और धीरज में दोस्ती पक्की हो गई तो धीरज ने विजेत को भी अवैध शराब बेचने के धंधे में शामिल कर लिया. धीरज ने जब विजेत को बताया कि इस कारोबार में खूब पैसा मिलता है तो विजेत धीरज के साथ मिल कर जबलपुर के कई इलाकों में शराब की सप्लाई का काम करने लगा. इस से विजेत को रोजगार के साथ अच्छीखासी कमाई होने लगी. विजेत के पास पैसा आते ही उस का रहनसहन भी बदल गया. विजेत और धीरज का काम के सिलसिले में एकदूसरे के घर आनाजाना शुरू हो गया. धीरज के घर वाले भी विजेत से इस तरह घुलमिल गए थे कि धीरज के घर पर न होने की सूरत में भी वह उन से घंटों बैठ कर बातचीत करता रहता था.

एक दिन सुबह विजेत धीरज से मिलने उस के घर पहुंच गया. जैसे ही उस ने दरवाजे पर दस्तक दी तो धीरज की बहन पूजा ने दरवाजा खोला. खूबसूरत पूजा शुक्ला को सामने देख कर विजेत बस देखता ही रह गया. उस समय पूजा की उम्र 16 साल थी. उस की खूबसूरती ने विजेत को पहली नजर में ही उस का दीवाना बना दिया था. पूजा ने अपनी मधुर मुसकान के साथ विजेत से कहा, ‘‘आइए, आप बैठिए. भैया अभी नहा रहे हैं.’’

पूजा की मुसकान ने विजेत पर जैसे जादू सा कर दिया. वह मुसकराता हुआ पूजा के पीछेपीछे कमरे में आ कर सोफे पर बैठ गया. इसी दौरान पूजा विजेत के लिए चाय बना कर ले आई. विजेत की नजरें अब पूजा को ही घूर रही थीं. उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह किस मोहपाश में बंधा जा रहा है. चाय की चुस्की लेते हुए उस ने पूजा की तरफ जी भर देखा और बोला, ‘‘तुम्हारे हाथों की बनी चाय में जादू है.’’

अपनी तारीफ सुन पूजा ने शरमाते हुए कहा ‘‘ऐसा क्या जादू कर दिया मैं ने?’’

‘‘तुम्हारी खूबसूरती की तरह चाय भी बहुत टेस्टी है,’’ विजेत बोला. विजेत से अपनी तारीफ सुन पूजा उस से कुछ बोल पाती, इस के पहले ही धीरज बाथरूम से निकल कर कमरे में आ चुका था. धीरज को आता देख पूजा विजेत को आंखों ही आंखों में इशारे कर वहां से चली गई. उस दिन के बाद से तो विजेत पूजा का आशिक बन चुका था. अब वह अकसर ही धीरज से मिलने के बहाने पूजा के घर आने लगा. पूजा का इस नाजुक उम्र में किसी लड़के के प्रति झुकाव स्वाभाविक था. विजेत दिखने में हैंडसम था. उस के पहनावे, स्टाइलिश लुक और महंगे मोबाहल रखने की वजह से पूजा भी उसे मन ही मन चाहने लगी थी.

जब भी विजेत घर आता तो पूजा भी चायपानी के बहाने उस के आगेपीछे होने लगती. पूजा का भाई धीरज इस बात से अंजान था कि उस का दोस्त दोस्ती में विश्वासघात कर के उस की बहन पर बुरी नजर रख रहा है. विजेत को जब भी मौका मिलता, धीरज की गैरमौजूदगी में पूजा से मिलने आने लगा. पूजा के मम्मीपापा धीरज का दोस्त होने के नाते उसे भी अपने बेटे के समान समझते थे. उन्हें इस बात का जरा भी इल्म नहीं था कि धीरज से भी उम्र में बड़ा उस का दोस्त उन की मासूम बेटी को प्यार के जाल में फंसा रहा है. पूजा और विजेत का प्यार आंखों ही आंखों में परवान चढ़ रहा था. सितंबर, 2019 की बात है. पूजा के मम्मीपापा और छोटा भाई लवकेश किसी काम से अपने रिश्तेदार के यहां गए हुए थे.

विजेत को पता था कि पूजा का भाई धीरज काम के सिलसिले में एक पार्टी से मिलने शहर से बाहर गया है. मौका देख कर वह पूजा के घर पहुंच गया. फिर वह उसे अपनी बाइक पर बैठा कर शहर घुमाने ले गया. शहर में घूमने के बाद दोनों ने एक पार्क में बैठ कर जी भर कर बातें कीं. प्यार मनुहार भरी बातें करते हुए विजेत ने पूजा को अपनी बांहों में भर लिया. जवानी की दहलीज पर कदम रख रही पूजा को पहली बार किसी लड़के के साथ इतने नजदीक आने का मौका मिला था. इश्कमोहब्बत की इस फिसलन भरी राह पर वह अपने आप को संभाल न सकी. पार्क में झाडि़यों की ओट में उस दिन पहली बार दोनों ने प्यार के समंदर की अथाह गहराई में गोता लगाया.

विजेत ने पूजा को किस करते हुए कहा, ‘‘पूजा मैं तुम्हें दिलोजान से चाहता हूं और तुम से ही शादी करना चाहता हूं.’’

‘‘मगर विजेत ये काम इतना आसान नहीं है. हम दोनों अलगअलग जाति के हैं, इसलिए दुनिया हमारे प्यार की दुश्मन हो जाएगी. समाज और परिवार हमारी शादी की इजाजत कैसे देगा.’’ पूजा के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आईं.

‘‘प्यार किसी बंधन में बंध कर नहीं रह सकता पूजा.’’ विजेत ने उसे कस कर गले लगाते हुए कहा.

‘‘विजेत तुम नहीं जानते, धीरज भैया को हमारे प्यार के बारे में उन्हें पता चल गया तो वे तो मेरी जान ही ले लेंगे.’’ पूजा ने विजेत से अपने आप को छुड़ाते हुए कहा.

‘‘पूजा, दुनिया की कोई भी ताकत मुझे तुम से जुदा नहीं कर सकती.’’ विजेत ने पूजा को सीने से चिपकाते हुए कहा.

प्यार की दुनिया में खोए यह दो प्रेमी यह अच्छी तरह जानते थे कि प्यार की राह भले ही आसान हो, मगर शादी की राह कांटों की सेज से कम नहीं होगी. उस दिन खूब मौजमस्ती कर वे वापस अपनेअपने घर आ गए थे. विजेत का मन पूजा से शादी करने के लिए उतावला हुए जा रहा था, मगर पूजा अभी 18 साल की नहीं हुई थी. विजेत जानता था कि नाबालिग उम्र में वह पूजा से शादी नहीं कर सकता. ऐसे में इंतजार करने के अलावा उस के सामने कोई दूसरा रास्ता नहीं था. अगले साल जैसे ही पूजा शुक्ला ने अपने जीवन के 18 साल पूरे किए तो विजेत कश्यप ने हिम्मत कर के पूजा के घरवालों के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया.

विजेत के इस प्रस्ताव से पूजा के घर में हड़कंप मच गया. धीरज का तो जैसे खून खौल गया. उस ने विजेत को भलाबुरा कहते हुए साफतौर पर कह दिया था कि ये शादी हरगिज नहीं हो सकती. गांवदेहात के इलाकों में आज भी दूसरी जाति में शादी करना सामाजिक परंपराओं का उल्लंघन माना जाता है. समाज में बदनामी का डर भी था. उस दिन के बाद से विजेत की धीरज के घर आने पर पाबंदी भी लगा दी गई और घर वाले पूजा पर सख्त नजर रखने लगे. पूजा और विजेत के प्यार पर जब पहरा लगा तो प्यार के पंछी बैचेन हो उठे. कभीकभार मोबाइल पर छिपछिप कर बातचीत कर के वह अपने मन की तसल्ली कर लेते.

जब एकदूजे के बगैर रहना उन्हें नागवार लगने लगा तो आखिरकार काफी सोचविचार करने के बाद दोनों ने निर्णय कर लिया कि प्रेम के पंछी किसी पिंजरे में कैद हो कर ज्यादा दिन नहीं रहेंगे. दिसंबर, 2020 में सर्दियों की एक रात विजेत अपनी प्रेमिका पूजा को घर से भगा ले गया. दूसरे दिन सुबह देर तक जब पूजा अपने कमरे से बाहर नहीं निकली तो उस की मां ने अंदर जा कर देखा तो पूजा अपने बिस्तर पर नहीं थी. पूरे दिन पूजा का भाई धीरज और उस के पिता उस की तलाश करते रहे. जब उन्हें पूजा की कोई खोजखबर नहीं मिली तो थकहार  कर तिलवारा थाने में उन्होंने पूजा के गायब होने की रिपोर्ट करा दी.

पुलिस रिपोर्ट में घर वालों ने यह अंदेशा भी व्यक्त किया कि विजेत ही पूजा को बहलाफुसला कर ले गया है. पूजा के विजेत के साथ भागने की खबर पूरे मोहल्ले में फैल गई तो उस के परिवार की बदनामी होने लगी. मोहल्ले के लोग चटखारे ले कर पूजा और विजेत के प्रेम प्रसंग की चर्चा करने लगे. सब से ज्यादा जिल्लत का सामना पूजा के भाई धीरज को करना पड़ा. बदनामी के डर से उस का घर से निकलना ही दूभर हो गया. उधर घर से भाग कर विजेत और पूजा ने जबलपुर के मातेश्वरी मंदिर में जा कर शादी कर ली. विजेत ने जीवन भर पूजा का साथ निभाने का वादा किया. इस के बाद दोनों हनीमून के लिए दिल्ली चले गए.

कुछ दिनों तक दिल्ली और आसपास के इलाकों में मौजमस्ती करने के बाद जबलपुर आ कर गढा के गंगानगर में विजेत अपने चाचा के मकान में पूजा के साथ रहने लगा. कुछ दिन प्यारमोहब्बत का नशा दोनों पर छाया रहा. लेकिन समय गुजरते वे आर्थिक तंगी का सामना करने लगे. इस बीच 27 फरवरी, 2021 को पुलिस ने एक दिन विजेत और पूजा को खोज निकाला. तब थाने में घर वालों के सामने पूजा ने लिखित बयान दे कर साफ कह दिया कि उस ने अपनी मरजी से विजेत से शादी की है और वह उसी के साथ रहना चाहती है. उस दिन पूजा के घर वाले उसे उस के हाल पर छोड़ कर घर वापस आ गए.

विजेत ने शादी के पहले पूजा को जो सब्जबाग दिखाए थे, वे धीरेधीरे झूठ साबित होने लगे. विजेत के संग 3 महीने में ही पूजा जान चुकी थी कि विजेत रंगीनमिजाज का युवक है. उसे यह भी पता चला कि इसी रंगीनमिजाजी की वजह से उस के खिलाफ 2018 में नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ के मामले में पोक्सो ऐक्ट का मामला थाने में कायम हुआ था. इस बात को ले कर दोनों के बीच मनमुटाव भी बढ़ने लगा. दोनों के बीच होने वाले झगड़े में नौबत मारपीट तक आ चुकी थी. पूजा के अरमानों का गला घोंटा जा रहा था. जब विजेत आए दिन पूजा के साथ मारपीट करने लगा तो परेशान हो कर 7 मार्च, 2021 को पूजा ने फोन कर के अपने भाई को बुला लिया.

धीरज पहले ही विजेत से खार खाए हुआ था, ऊपर से उस की बहन से वह मारपीट करने लगा तो गुस्से में आगबबूला हो कर वह पूजा को अपने घर शंकराघाट ले आया. पूजा के मायके आने के बाद विजेत बेचैन रहने लगा. अपने किए पर वह शर्मिंदा था, मगर धीरज के डर से वह उस के घर जा कर पूजा से नहीं मिल पा रहा था. विजेत पूजा से मिलने के लिए धीरज के घर के आसपास ही चक्कर लगाता रहता. 11 मार्च, 2021 की सुबह धीरज तिलवारा की ओर जा रहा था. इस दौरान उस ने देखा कि उस का जीजा विजेत उस के घर की ओर ही जा रहा है. उसे शक हुआ कि विजेत उस के घर जा कर पूजा को फिर से अपने साथ ले जा सकता है.

इसलिए वह घर वापस आ गया और छत पर बैठ कर निगरानी करने लगा. इसी दौरान उस ने देखा कि विजेत उस के घर के पीछे की झाडि़यों में खड़ा है. विजेत को वहां देख कर धीरज को गुस्सा आ गया. उस ने घर से धारदार हंसिया उठाया और विजेत के पीछे दौड़ा. धीरज को देख कर विजेत भागने लगा. विजेत बमुश्किल 500 मीटर ही भाग पाया होगा और खेतों के बीच मेड़ पर बेर के पेड़ के पास गिर गया. विजेत के जमीन पर गिरते ही धीरज ने उस पर हंसिया से ताबड़तोड़ 15 से 16 वार कर दिए. कुछ देर तक विजेत छटपटाता रहा. धीरज के सिर पर खून सवार था. उस ने विजेत कश्यप की गरदन हंसिया द्वारा धड़ से अलग कर दी.

इतने पर भी जब उस का गुस्सा शांत नहीं हुआ तो उस ने विजेत के हाथ का एक पंजा काट दिया. दूसरे पंजे को भी उस ने काटने का प्रयास किया, मगर वह कामयाब नहीं हुआ. इस के बाद विजेत के कटे सिर को ले कर पहले अपने घर आया. घर के एक कोने में कटे सिर को रखते हुए वह घर के अंदर दाखिल हुआ. उस ने अपनी बहन पूजा के पैर छूते हुए हुए कहा, ‘‘बहन मुझे माफ कर देना, विजेत तुझे भगा कर ले गया था, उस अपमान को तो मैं बरदाश्त कर गया. मगर कोई मेरी लाडली बहन के साथ मारपीट करे, यह बरदाश्त नहीं कर सकता. आज मैं ने उस का खेल खत्म कर दिया है.’’

पूजा धीरज की बातें सुन कर अवाक रह गई. जैसे ही उस की नजर बाहर की तरफ कोने में रखे कटे सिर की तरफ गई तो उस के मुंह से चीख निकल पड़ी. करीब जा कर उस ने अपने पति विजेत का कटा हुआ सिर देखा तो जमीन पर सिर पटकने लगी और पल भर में बेहोश हो गई. धीरज ने विजेत के कटे सिर व हंसिया को बोरीनुमा एक थैले में रख लिया और बाइक स्टार्ट कर 7 किलोमीटर दूर तिलवारा थाने पहुंच गया. 11 मार्च, 2021 को महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जा रहा था. त्यौहार के मद्देनजर तिलवारा थाने के टीआई सतीश पटेल और ज्यादातर स्टाफ मंदिरों के आसपास सुरक्षा के लिए तैनात थे.

दोपहर के समय अचानक एक बाइक सवार युवक हाथ में एक थैला लिए थाने में दाखिल हुआ तो थाने में मौजूद एक पुलिसकर्मी की नजर उस पर पड़ी. बाइक पर आए युवक के कपड़े खून से सने हुए थे. पुलिसकर्मी ने उसे दूर से देखते ही पूछा, ‘‘कौन हो तुम? यहां किसलिए आए हो?’’

उस युवक ने अपने साथ लाए थैले को जमीन पर रखते हुए कहा, ‘‘साब, मेरा नाम धीरज शुक्ला है. बर्मन मोहल्ले का विजेत कश्यप मेरी बहन को भगा कर ले गया था. आज मैं ने उस का मर्डर कर दिया है. मुझे गिरफ्तार कर लीजिए. इस थैले में उस का सिर और हाथ का पंजा काट कर लाया हूं.’’

युवक की बात सुन कर थाने में मौजूद पुलिसकर्मी सकते में आ गए. उन्होंने देखा कि थैले में से खून की बूंदें टपक रही थीं. धीरज के हाथ से थैला लेते हुए जब पुलिसकर्मी ने देखा तो वह सकपका गया. तत्काल ही घटना की सूचना वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी गई. टीआई सतीश पटेल को जैसे ही मामले की खबर मिली, वह तत्काल थाने आ गए. थाने में जब धीरज से पूछताछ की गई तो धीरज ने बताया कि विजेत ने दोस्ती में विश्वासघात कर के मेरी बहन को बहलाफुसला कर शादी की थी. इस अपमान का बदला लेने के लिए मैं ने उस की हत्या की है. मैं ठान चुका था कि या तो वो जीवित रहेगा या मैं.

टीआई तिलवारा पुलिस ने आरोपी धीरज की निशानदेही पर हत्या में इस्तेमाल हंसिया और खून से सने उस के कपड़े आदि जब्त कर लिए. आरोपी की सूचना पर जब रामनगर इलाके के एक खेत में पहुंची तो वहां विजेत का धड़ पड़ा हुआ था. वहां पर विजेत के घर वाले और रिश्तेदारों की भीड़ लगी हुई थी. तिलवारा पुलिस ने लाश का पंचनामा तैयार कर उसे पोस्टमार्टम के लिए मैडिकल कालेज भिजवा दिया. इधर धीरज के घर से जाने के बाद उस की बहन पूजा को जैसे ही होश आया, वह दौड़ कर खेत की तरफ गई थी. वहां विजेत के बिना सिर के धड़ को देख कर उस के सब्र का बांध टूट चुका था.

उसे यकीन नहीं हो रहा था कि शादी के 3 महीने के भीतर ही उस के सारे ख्वाब किसी रेत के महल की तरह ढह गए हैं. शोक से व्याकुल वह अपने घर आई और एक कमरे में जा कर जोरजोर से रोने लगी. चीखपुकार सुन कर आसपास की महिलाएं उस के घर आ गईं तो पूजा की मां रोरो कर सब को घटना की जानकारी देने लगी. घंटे दो घंटे के बाद जब पूजा के रोने की आवाज कमरे से आनी बंद हुई तो उस की मां ने कमरे के अंदर जा कर देखा तो जोर से चीख पड़ी. चीख सुन कर पूजा के पिता दौड़ कर आए तो देखा कि पूजा पंखे से लटकी हुई थी. पूजा ने अपनी ओढ़नी का फंदा बना कर पंखे से लटक कर फांसी लगा ली थी.

पुलिस टीम को जैसे ही पूजा के फांसी लगाने की खबर मिली वह शंकराघाट में धीरज के घर पहुंच गई. पूजा को पंखे से उतार कर पुलिस जांचपड़ताल में लग गई . पुलिस को इस बात का शक हो रहा था कि कहीं धीरज ने विजेत से पहले पूजा की हत्या कर के पंखे से तो नहीं लटका दिया. फूटाताल में रहने वाले मृतक विजेत के ममेरे भाई और दूसरे रिश्तेदारों ने पुलिस के सामने यह आरोप लगाया कि पूजा ने आत्महत्या नहीं की, बल्कि उस की हत्या की गई है. उन का कहना था कि विजेत की हत्या करने के बाद धीरज ने पूजा को फांसी पर लटका दिया.

यह हत्या पूरी योजना बना कर की गई है, ताकि किसी को संदेह न हो. वह नहीं चाहते थे कि पूजा अपने भाई और अन्य रिश्तेदारों के खिलाफ गवाही दे. महाशिवरात्रि के धार्मिक उत्सव पर इस तरह की घटना होने से पूरे क्षेत्र में तनाव का माहौल बन गया था. जबलपुर रेंज के डीआईजी भगवत सिंह चौहान और एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा पूरी घटना पर नजर रखे हुए थे. वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर तिलवारा टीआई सतीश पटेल ने दोनों पक्षों को समझा कर पहले दोनों शवों का पोस्टमार्टम कराया, फिर शाम को पुलिस की मौजूदगी में पूजा और विजेत का अंतिम संस्कार अलगअलग स्थानों पर कराया. आईजी जबलपुर रेंज की ओर से तिलवारा थाने के टीआई सतीश पटेल की सूझबूझ के लिए पुरस्कृत किया गया.

पूजा और विजेत की प्रेम कहानी का दुखद अंत हो चुका था. पुलिस ने धीरज शुक्ला के इकबालिया बयान के आधार पर आईपीसी की धारा 302 के तहत विजेत की हत्या का मुकदमा कायम कर उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. रक्षा बंधन के दिन जिस भाई की कलाई पर राखी बांध कर बहन अपनी रक्षा का जिम्मा सौंपती थी, वही भाई बहन के प्यार का जानी दुश्मन बन गया. जातपांत की संकुचित विचारों की बेडि़यों में जकड़े भाई ने बहन की मांग का सिंदूर उजाड़ दिया, जिस के चलते बहन को मौत को गले लगाने मजबूर होना पड़ा. real crime stories in hindi

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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