love stories in hindi short : 22 वर्षीय नेहा और 24 वर्षीय प्रशांत अलगअलग जाति के थे. दोनों ही एकदूसरे को दिलोजान से चाहते थे, इसलिए नेहा ने फेमिली की मरजी के खिलाफ जा कर प्रशांत से लवमैरिज की थी. इन की गृहस्थी 6 सालों तक हंसीखुशी से चलती रही. फिर बाद में ऐसा क्या हुआ कि प्रशांत ने ससुराल में जा कर नेहा का गला रेत दिया? पढ़ें, लव क्राइम की दिलचस्प कहानी.
शाम के 7 बज चुके थे और 28 वर्षीय नेहा अभी तक शोरूम से वापस नहीं लौटी थी. 30 वर्षीय प्रशांत वह अपने 4 साल के बेटे के साथ कैरम बोर्ड खेल रहा था.
”बेटा, निशाना ठीक से लगाया करो.’’ प्रशांत समझाते हुए स्ट्राइकर पर अंगुली रखने का तरीका बताने लगा.
”पापा, मम्मी कब आएगी? बोली थी कि शाम होते ही आ जाऊंगी?’’ बेटा शिकायती लहजे में बोला.
”हां बेटा, बोली तो मुझे भी थी, लेकिन 8 बजने वाले हैं और अभी तक नहीं लौटी है. आने दो, आज उस की अच्छी खबर लेता हूं.’’ प्रशांत बोला.
रोटी बेल रही प्रशांत की मम्मी बीच में ही बोल पड़ी थीं. उन्होंने एक तरह से अपनी बहू की शिकायत करते हुए कहा, ”हां बेटा, उसे अच्छे से समझा देना. जब से शोरूम में काम करने लगी है, तब से वह बहुत बदल गई है.’’
”देखना मम्मी, आज सब ठीक कर दूंगा. बहुत पंख निकल आए हैं न!’’ प्रशांत बोला.
”पंख? परी वाले…मम्मी परी बन गई!’’ बेटा बोला और हैरानी से प्रशांत की ओर देखने लगा. तभी नेहा कान से फोन सटाए कमरे में घुसी, ”चलो, फोन रखो…घर पहुंच गई हूं. बाद में बात करूंगी.’’
”कौन है? किस से बातें कर रही थी?’’ प्रशांत बोला.
”तु…तुम! कब आए? कोई तो नहीं.’’ नेहा अचानक प्रशांत को सामने देख कर चौंक गई. सकपकाती हुई बोलने लगी, ”तुम आज जल्दी आ गए?’’
”हां…हां, जल्दी आ गया, तुम्हारी वजह से! 300 रुपए की सवारी छोड़ कर आया हूं.’’ प्रशांत बोला.
दरअसल, आटो ड्राइवर प्रशांत किराए पर आटो चलाता था. कई दिनों से उसे नेहा के बारे में शिकायत मिल रही थी कि वह घर देर से लौटती है, जिस से कई घरेलू काम फैले रहते थे या उस की मम्मी कर रही होती थी. नेहा पहले घर पर ही ब्यूटीपार्लर चलाती थी, लेकिन कुछ महीनों से वह एक शोरूम में सेल्सगर्ल का भी काम करने लगी थी. वह घर पर फोन से ही चिपकी रहती थी. कभी धीमेधीमे बातें करती रहती या फिर वाट्सऐप पर मैसेज भेजती रहती थी.
नेहा कुछ बोले बगैर अपने कमरे में जाने लगी. उसी वक्त उस के मोबाइल पर मैसेज आने की हल्की सी रिंगटोन हुई और स्क्रीन चमक उठा. नेहा मोबाइल पर मैसेज पढऩे लगी. पीछे से प्रशांत भी आ गया. गरदन घुसा कर वह भी मैसेज पढऩे लगा. तब तक नेहा ने मोबाइल बंद कर दिया था. प्रशांत ने उस के हाथ से मोबाइल छीन लिया. उस ने मोबाइल औन कर दिया, लेकिन मोबाइल के लौक होने के कारण वाट्सऐप मैसेज को नहीं खोल पाया. चीखता हुआ बोला, ”लौक लगा कर रखती है, दिखाओ किस का मैसेज है?’’
”नहीं दिखाऊंगी…लाओ मेरा मोबाइल!’’ नेहा भी उसी अंदाज में चीखती हुई प्रशांत के हाथ से मोबाइल छीनने लगी.
छीनाझपटी की नौबत आ गई. आखिरकार मोबाइल हाथ से छूट कर स्टूल पर जा गिरा. वहीं पानी रखा गिलास उस पर लुढ़क गया. मोबाइल पर पानी फैल गया.
”कर दिया न मोबाइल खराब. बहुत मुश्किल से पैसे जुटा कर खरीदा था…’’ चीखती हुई नेहा बोली.
प्रशांत को मोबाइल के खराब हो जाने की जरा भी चिंता नहीं हुई. उल्टे नेहा पर ही अनापशनाप बोलते हुए उस पर गैरमर्द से संबंध रखने का आरोप लगा दिया. यह सुन कर नेहा और भी तिलमिला गई. गुस्से में पैर पटकती हुई अपने कमरे में घुस गई. अपना बैग निकाला, अपने कपड़े ठूंसने शुरू कर दिए. प्रशांत दरवाजे से ही देखता रहा. किसी तरह उस वक्त प्रशांत की मम्मी ने मामले को शांत किया. अगले रोज सुबह होते ही नेहा अपने बेटे को ले कर मायके चली गई. सहारनपुर के गंगोह मोहल्ले की रहने वाली नेहा ने 6 साल पहले प्रशांत से लव मैरिज की थी. दोनों अलगअलग जाति के थे.
नेहा के पापा विनोद दिव्यांग हैं. वह न तो चलफिर सकते हैं. नेहा की मम्मी रंजीता पति के साथ बागपत के ठाकुरद्वारा मोहल्ले में किराए पर रहने लगी थी. जबकि प्रशांत बागपत के ही जैन मोहल्ले में रहता था. शादी के बाद दोनों एक बेटे के मम्मीपापा बन गए. जिंदगी सही से चल रही थी. घरगृहस्थी को अच्छी तरह चलाने के लिए नेहा भी अपने पति का सहयोग करने लगी थी. उस ने घर में ब्यूटीपार्लर का काम शुरू कर दिया था. जैसेजैसे समय बीता, घर की जरूरतें भी बढऩे लगीं. महंगाई बढऩे से घरेलू खर्च पूरे नहीं हो पा रहे थे. इस से निपटने के लिए नेहा ने किसी शोरूम में काम करने का मन बना लिया.
इस की प्रशांत ने परमिशन भी दे दी थी. नेहा के शोरूम में काम करने का रुटीन बन गया था. वहां कई दूसरी लड़कियां और 23 लड़के भी काम करते थे. उन से वह जल्द ही घुलमिल गई थी. उन से घर पर भी मोबाइल से बातें करती रहती थी. वाट्सऐप मैसेज भेजती रहती थी. यही बात प्रशांत को पसंद नहीं थी और उसे समझाता था. वह घर में घर की जरूरतों पर, बच्चे पर ध्यान देने को कहता था. गुस्से में बिफरी नेहा ने सारी बात अपनी मम्मी रंजीता को बता दी. वह रोने लगी. मम्मी ने उसे शांत किया और ढांढस बंधाते हुए कुछ दिनों तक अपने पास ठाकुरद्वारा में ही रहने की सलाह दी. उस के मायके के लोग किराए के मकान में रहते थे.
कुछ दिनों बाद ही होली का त्यौहार था. नेहा अपनी मम्मी के साथ ठाकुरद्वारा मोहल्ले में रह रही थी और प्रशांत अपने घर में अपनी मम्मी के साथ था. उसे नेहा की याद सताने लगी तो वह उस के पास चला गया. उस ने अपनी गलती मान ली और पिछले झगड़े की बात को भूल जाने के लिए कहा. साथ चलने का अग्रह किया, लेकिन नेहा ने उस के साथ जाने से इनकार कर दिया. उस ने कहा, ”हमें यहीं रहने दो, जब तक तुम्हारी मम्मी हैं, मैं यहीं ठीक हूं.’’
नेहा के इस फैसले में उस की मम्मी रंजीता ने भी हां में हां मिला दी. उन की ओर से प्रशांत को सिर्फ इतनी छूट मिली कि वह यहां आनाजाना कर सकता है. अपनी पत्नी और बच्चे से मिल सकता है. उस के बेटे का यहीं स्कूल में नाम लिखवा चुकी है. अपनी सास रंजीता और पत्नी की जिद के आगे प्रशांत की एक नहीं चली. वह मन मसोस कर अपने घर नेहा के बगैर तन्हाई की जिंदगी गुजारने लगा. काम में उस का मन नहीं लगता. कमाई कम हो गई. घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया. दूसरी तरफ नेहा को प्रशांत की रोजरोज की चिकचिक और सास के ताने से छुटकारा मिल गया था. वह आजादी से काम पर जाती थी. घर और बच्चे की देखभाल करने लगी थी. बच्चा स्कूल जाने लगा था.
बीचबीच में प्रशांत उस से मिलने आ जाता था. जब भी नेहा से उस के मायके में मिलता, साथ चलने को कहता, लेकिन वह उस के प्रस्ताव को कोई न कोई बहाना बना कर ठुकरा देती. बातोंबातों में प्रशांत अपना काम ठीक से नहीं चलने के बारे में भी बताता था. आर्थिक तंगी का रोना रोता था. नेहा उस की हालत पर तरस खा कर कुछ पैसे दे देती थी. कुछ महीने तक ऐसे ही चलता रहा. प्रशांत जब भी नेहा से मिलता, कोई न कोई समस्या ले कर आता. पैसे मांगता. नहीं मिलने पर झगडऩे लगता. इस से नेहा तंग आने लगी थी. फिर भी प्रशांत की पैसे की मांग पूरी करने को वह मजबूर थी.
दूसरी तरफ प्रशांत के दिमाग में भी अस्थिरता और मन में बेचैनी बनी हुई थी. नेहा के बदलते स्वभाव और विचार से वह बुरी तरह आहत था. उस के दिल को मानो गहरी चोट पहुंची थी. उस के मन में नेहा के बारे में जानने की भी बेचैनी थी. वह जानना चाहता था कि आखिर नेहा वाट्सऐप पर किस के साथ चैटिंग करती है? वह कौन है, जिसे नेहा चाहती है? पहले तो वह उस के साथ में रहती थी, तब वह उस का वाट्सऐप चैक कर लेता था, किंतु अब कैसे पता लगाए. इसी उधेड़बुन में उस ने वाट्सऐप हैक करने के बारे में पता करने लगा. इन सब में उलझा प्रशांत का ध्यान अपने काम पर से ध्यान हट गया था.
वह इसी चिंता में घुला जा रहा था कि उस की पत्नी गैरमर्द से क्यों बातें करती है, जबकि उस ने उस से प्रेम किया था. जाति बंधन को तोड़ कर शादी रचाई थी. दोनों की जातियां अलगअलग थीं. उसे इस बात की भी तकलीफ थी कि नेहा शादी के वक्त किया गया वादा तोड़ दिया. दोनों के दिल में एकदूसरे के प्रति काफी कटुता भर चुके थे. कई बार तो उन के बीच काफी तेज और तीखी बहस होने लगती थी, जिसे घर के लोगों के अलावा पासपड़ोस के लोग भी सुनते थे. कोई उन्हें समझाने की हिम्मत नहीं करता था. पतिपत्नी के बीच का सामान्य झगड़ा समझ कर नजरअंदाज कर देते थे.
नेहा के मायके में इसी बात को ले कर चिंता थी कि दोनों के बीच सुलह हो जाए. वे साथसाथ हंसीखुशी जीवन गुजारें. बच्चे का भविष्य बनाने पर ध्यान दें. किंतु, दिनप्रतिदिन उन के बीच मनमुटाव बढ़ता ही जा रहा था. वे जब भी मिलते, तब किसी न किसी बात को ले कर झगड़ पड़ते थे. बात 7 मई, 2025 की है. प्रशांत सुबहसुबह नेहा के मायके जा धमका था. नेहा अपने काम पर जाने के लिए तैयार हो रही थी. घर में भी सारा काम पसरा पड़ा था, जिसे उस की मम्मी निपटाने में लगी हुई थी. वैसे तो प्रशांत का आना कोई नया नहीं था, लेकिन नेहा के लिए परेशानी की बात यह थी कि उसे काम पर निकलना था.
उस ने एक बार दीवार घड़ी पर नजर डाली और तपाक से पूछ लिया, ”आज इतना सवेरे क्यों आए? मुझे काम पर जाना है. कुछ जरूरी था तो फोन कर लेते!’’
”मैं जब चाहे तब आ सकता हूं. तुम्हारा पति हूं, कोई गैर नहीं!’’ प्रशांत कड़े लहजे में बोला.
”अपने काम पर ध्यान देते नहीं और मुंह उठाए यहां चले आते हो… शर्म नहीं आती! न खुद चैन से रहते हो और न मुझे रहने देते हो. मैं एकदम तंग आ चुकी हूं तुम से.’’ नेहा बोले जा रही थी. धीरेधीरे उस के तेवर रूखे होने लगे थे.
उन के बीच शुरू हुई बहस को नजरअंदाज करती हुई नेहा की मां रंजीता राशन का कुछ सामान खरीदने के लिए पास के मार्केट में चली गई. उन के जाते ही नेहा और प्रशांत के बीच बहस और तेज हो गई. उन की आवाज घर में आंगन के ऊपर लगे जाल से उसी मकान में रहने वाले दूसरे लोगों तक साफसाफ पहुंचने लगी थी. कुछ लोग वहां झांकने भी लगे थे. वह सब उन के लिए एक तमाशे की तरह ही था. नीचे प्रशांत और नेहा हाथ नचानचा कर बहस किए जा रहे थे. उन की बहस का अंत होने का नाम नहीं ले रहा था. वे आखिर चाहते क्या थे, यह किसी के भी समझ में नहीं आ रहा था.
उन के बीच झगड़े में सिर्फ एक ही बात स्पष्ट सुनाई दे रही थी. प्रशांत जोर दे कर बोल रहा था, ”तुम्हें आज हर हाल में ले कर जाऊंगा, देखता हूं आज मुझे कौन रोकता है.’’
”मैं भी देखती हूं…तुम मुझे किस दम पर ले कर जाते हो. जाओ यहां से मुझे ड्यूटी पर जाना है.’’
”तुम को आज पहले मेरे साथ चलना होगा, उस के बाद ड्यूटी कल से जाना.’’ प्रशांत बोला.
”नहीं, यह नहीं हो सकता है.’’
”तुम्हें तो ले कर ही जाऊंगा.’’ कहता हुआ प्रशांत कमरे में बैड पर जा बैठा. नेहा भी रसोई में जा कर बरतन साफ करने लगी. थोड़ी देर शांति रही. फिर अचानक उन के बीच झगड़ा शुरू हो गया. इस बार नेहा चीखने लगी. प्रशांत भी बहुत गुस्से में था. उस के हाथ में एक लंबा चाकू देख कर नेहा गुस्से में आ गई. बोली, ”चाकू दिखा कर धमकी दे रहा है.’’
”इसी चाकू की नोंक पर तुम्हें ले जाऊंगा यहां से.’’
”अरे जाजा! भाग जा यहां से… तुझ से कुछ नहीं हो सकता. कमाई तो करता नहीं है और चला है औरत के पैसे के बल पर ले जाने वाला.’’ ताना मारते हुए नेहा बोली.
नेहा का यह कहना था कि प्रशांत और भी तैश में आ गया. तुरंत चाकू से उस पर हमला कर दिया. नेहा ने बचाव में प्रशांत का हाथ पकडऩा चाहा, लेकिन चाकू की तेज धार से उस की अंगुली कट गई. उस ने हाथ पीछे खींच लिया. खून रिसने लगा. नेहा और भी तिलमिला उठी. निहत्थे ही उस पर हाथ से हमला करने लगी. देखते ही देखते दोनों के बीच हाथापाई होने लगी. प्रशांत के हाथ में चाकू था. आक्रामक बना हुआ था. चाकू चला रहा था. वार से नेहा बचाव कर रही थी, जबकि कई जगह चाकू लग चुका था.
नेहा और प्रशांत के बीच चल रहे झगड़े का आभास नेहा के दिव्यांग पिता विनोद कुमार को भी हो गया था. वह घर के एक कोने में पड़े रहते थे. न बोल सकते थे, न चलफिर सकते थे. रेंगते हुए किसी तरह से वहां पहुंच गए थे, जहां प्रशांत उन की बेटी पर चाकू से हमला कर रहा था. उन से 3 कदम की दूरी पर ही उन का दामाद बेटी का गला रेतने को तैयार था और वह एकदम लाचार थे. बोले जा रहा था, ”नया आशिक ढूंढ लिया है, उस के साथ मजे करना चाहती है… मेरी पत्नी हो कर.’’
”तुम बिलकुल गलत बोल रहे हो… मैं बच्चे की सौगंध खाती हूं.’’ नेहा बोली.
”गलत नहीं, सही बोल रहा हूं. बच्चा भी पता नहीं किसी और का होगा.’’
”मुझ पर इस तरह से बदचलनी का लांछन नहीं लगा सकते. क्या तुम दूसरी लड़कियों से नहीं मिलते हो?’’ नेहा ने जवाबी हमला किया.
इस के जवाब में प्रशांत बोला, ”मैं ने शादी के वक्त ही बोला था, मेरी हो कर रहना, किसी से बात मत करना. तू नहीं मानी तो अब भुगत.’’
इसी के साथ प्रशांत ने नेहा की गरदन पर चाकू का तेज वार कर दिया. इस वार को नेहा बरदाश्त नहीं कर पाई और वहीं जमीन पर गिर पड़ी. चीखने की तेज आवाज हुई. इस आवाज को सुन कर कुछ लोग घर की जाली के पास आ गए. नीचे देखने लगे. देखा, प्रशांत जमीन पर गिरी निशा पर चाकू से वार पर वार किए जा रहा था. कई वार करने के बाद उस ने घर के मेन गेट को जा कर बंद कर दिया और बेसुध पड़ी खून से सनी नेहा के पास जा कर तेज आवाज में बोलने लगा, ”मैं ने कहा था, किसी और से संबंध मत रखना. नहीं मानी तो देखा कर दिया न तेरा काम तमाम!’’
उस वक्त वहां का दृश्य भयावह था. जमीन पर गरदन कटी नेहा की लाश पड़ी थी और उस के हाथ में खून से सना चिकन काटने वाला चाकू था. वह वहीं इधरउधर टहलता रहा. एक ही बात को बोलता रहा. पास में ही नेहा के दिव्यांग पापा विनोद बैठे आंसू बहा रहे थे. उस वारदात के कई चश्मदीद गवाह थे. उन्हीं में से एक ने तुरंत पुलिस को सूचना दे दी. करीब 15 मिनट बाद शहर की कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंच गई. घर का दरवाजा तोड़ कर घर में घुसी. दरवाजा तोड़ कर प्रशांत को बाहर निकाला गया.
इंसपेक्टर वीरेंद्र सिंह राणा ने घटनास्थल की बारीकी से जांचपड़ताल की और मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया. सूचना पा कर एएसपी एन.पी. सिंह भी वहां पहुंच गए. फिर मौके की काररवाई पूरी कर नेहा की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. थाने पहुंच कर हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया. जांच की जिम्मेदारी इंसपेक्टर वीरेंद्र सिंह राणा के पास थी. प्रशांत को गिरफ्तार कर वहां मौजूद पड़ोसियों के अलावा नेहा की मम्मी रंजीता से भी गहन पूछताछ की गई. घटनास्थल से चाकू भी बरामद कर लिया गया. घटनास्थल पर ही प्रशांत के ससुर विनोद भी जख्मी हालत में मिले. उन्हें अधिक चोट नहीं आई थी. उन्हें प्राथमिक उपचार के लिए अस्पताल भेज दिया गया.
प्रशांत ने पूछताछ में अपना जुर्म कुबूल कर लिया. इस हत्याकांड के पीछे के कारणों की जानकारी के लिए नेहा की मम्मी रंजीता से भी पूछताछ की गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नेहा के शव पर चाकू के 19 जख्म मिले. प्रशांत ने स्वीकार कर लिया कि नेहा की चाकू से गले पर वार करने के बाद दिव्यांग ससुर विनोद को भी घायल कर दिया था. उस का बयान दर्ज कर पुलिस ने न्यायालय में पेश किया, वहां से उसे जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक उस का 4 वर्षीय बेटा अपनी नानी के पास था. उसे लेने के लिए प्रशांत की मम्मी गई थी, लेकिन रंजीता ने परवरिश के लिए उसे अपने पास रख लिया. love stories in hindi short