Hindi Social Stories : मोटी सैलरी की नौकरी दिलाने का झांसा दे कर यूट्यूबर फैसल खान ने अनेक भारतीयों को रूस भेजा. वहां ले जा कर भारतीय युवकों को रूसी सेना के हवाले कर दिया गया. सेना ने उन नवयुवकों को 15 दिन की ट्रेनिंग देने के बाद वरदी पहना कर यूक्रेन से चल रहे युद्ध के मोरचे पर लगा दिया. इन में कई युवकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. कहानी में पढ़ें कि अन्य युवक किस तरह वहां से अपनी जान बचा कर लौटे?
रूस ने 24 फरवरी, 2022 को यूक्रेन पर हमला किया था. इस लड़ाई को लगभग साढ़े 3 साल हो चुके हैं. दूसरे विश्वयुद्ध के बाद रूस का यह सब से बड़ा युद्ध है. हालांकि रूस इसे युद्ध नहीं, बल्कि स्पैशल सैन्य औपरेशन कहता है. दोनों तरफ से अब तक हजारों लोग मारे जा चुके हैं. लगभग 2 करोड़ लोग अब तक यूक्रेन छोड़ कर जा चुके हैं. युद्ध की वजह से पूरे यूरोप में ऊर्जा संकट और सामानों की कीमतें आसमान छू रही हैं. अब रूस और यूक्रेन के युद्ध के बीच फंसे भारतीयों को धोखे से रूस भेजने का खुलासा हुआ है. इस बड़े षडयंत्र में यूट्यूबर फैसल खान का नाम सामने आया है.
आरोप है कि यूट्यूबर फैसल खान ने भारतीयों को अच्छी नौकरी और सुविधाओं का सुनहरा ख्वाब और लालच दे कर रूसी सेना में शामिल होने के लिए उकसाया था. फैसल खान ने सितंबर 2023 में सेंट पीटर्सबर्ग की सड़कों पर चलते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किया था, जिस में वह रूसी सेना में शामिल होने के फायदे बताता दिखाई दे रहा था. यह खबर जब मीडिया के माध्यम से देशवासियों को पता चली तो चारों तरफ हंगामा मच गया था. भारतीय जांच एजेंसी सीबीआई ने दावा किया है कि उस ने नौकरी देने के बहाने भारतीय नागरिकों को रूस जाने और उन्हें वहां की सेना की ओर से लडऩे को मजबूर करने वाले एजेंटों के नेटवर्क का पता लगाया है.
सीबीआई के अधिकारियों ने दावा किया है कि भारतीय लोगों को रूसी सेना में नौकरी के नाम पर फंसाने वाला नेटवर्क भारत के कई राज्यों में फैला हुआ है और अब तक 35 भारतीय इन के झांसे में फंस चुके हैं. भारतीय अधिकारियों ने इस नेटवर्क को पकडऩे की काररवाई रूसयूक्रेन युद्ध के दौरान 2 भारतीयों की मौत के बाद की है. इन दोनों भारतीयों को रूसी सेना के लिए सहायक की नौकरी देने के नाम पर रूस भेजा गया था. सीबीआई के अनुसार भारतीय युवाओं को बेहतर नौकरी के नाम पर रूस भेजने वाले एजेंट एक बेहद संगठित नेटवर्क के तहत काम कर रहे थे.
सीबीआई ने इस मामले में कई वीजा कंसलटेंसी कंपनियों और एजेंटों के खिलाफ मामला दर्ज किया. सीबीआई ने दिल्ली और मुंबई समेत 13 ठिकानों पर छापेमारी भी की है. छापेमारी के दौरान कैश और भर्तियों से जुड़े दस्तावेज व कुछ इलेक्ट्रौनिक, उपकरण भी बरामद हुए हैं. इस सिलसिले में कुछ लोगों को हिरासत में ले कर पूछताछ भी की जा रही है. हैदराबाद के रहने वाले मोहम्मद असफान के साथसाथ उत्तर प्रदेश और जम्मूकश्मीर के 2 अन्य युवक पिछले साल नवंबर 2023 में रूस पहुंचे थे. उन्हें एजेंटों द्वारा रूसी सरकारी कार्यालय में सहायक के रूप में नौकरी देने का वादा किया गया था.
हैदराबाद के मोहम्मद असफान ने आखिरी बार अपने परिवार से 31 दिसंबर, 2023 को बातचीत की थी. इस के बाद 6 मार्च, 2024 को मास्को स्थित भारतीय दूतावास ने उस की मौत की आधिकारिक पुष्टि की. मास्को स्थित भारतीय दूतावास ने कहा, ”हमें एक भारतीय नागरिक मोहम्मद असफान की दुखद मौत के बारे में पता चला है. हम पीडि़त पक्ष के परिवार और रूसी अधिकारियों के संपर्क में हैं.’’
मोहम्मद असफान की दुखद मौत पर उन के भाई मोहम्मद इमरान ने अपने भाई की मौत की पुष्टि पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, ”जो एजेंट और एजेंसियां मेरे भाई असफान को फंसाने में शामिल थे, उन्हें गिरफ्तार कर उचित सजा मिलनी चाहिए.’’
वाणिज्य स्नातक मोहम्मद असफान हैदराबाद के बाजार घाट के रहने वाला था. नौकरी घोटाले का शिकार होने के बाद 30 वर्षीय मोहम्मद असफान को रूसी सेना में धोखे से शामिल किया गया था. वह पहले कपड़े की दुकान में काम करता था. उस के परिवार में पत्नी अस्मा शिरीन के अलावा 2 छोटे बच्चे थे. मोहम्मद असफान को अन्य युवाओं की तरह बड़े लुभावने वादे किए गए थे. जिस के अनुसार शुरुआती 3 महीनों के लिए प्रतिमाह 45 हजार रुपए वेतन देने का वादा किया गया था, जो धीरेधीरे 6 महीने और एक साल के बाद 1.5 लाख रुपए प्रतिमाह होने वाला था.
इस के अतिरिक्त उसे एक साल तक लगातार रूस में काम करने के बाद पासपोर्ट और नागरिकता प्राप्त करने का अधिकार भी दिया गया. यह एक बहुत आकर्षक प्रस्ताव था, जिस के झांसे में आ कर मोहम्मद असफान 9 नवंबर, 2023 को मास्को के लिए रवाना हो गया था. वह चेन्नै और शारजाह के रास्ते मास्को गया था.
युद्ध में मरने वाला दूसरा युवक था हेमिल अश्विन
मोहम्मद इमरान ने मीडिया को बताया कि मेरे भाई को सरासर धोखा दिया गया. ट्रैवल एजेंट जिस का नाम फैसल खान है, उस का ‘बाबा ब्लौग्स’ के नाम का यूट्यूब चैनल है, उस ने हमें वादा किया था कि असफान अग्रिम मोरचे पर लडऩे नहीं जाएगा, मास्को में ही रह कर काम करेगा. इस के बावजूद असफान को 15 दिनों का प्रशिक्षण दिया गया और बाद में रूसी सैनिकों के साथ लडऩे के लिए अग्रिम मोरचे पर भेज दिया गया. 13 नवंबर, 2023 को मेरे भाई असफान को एक साल के समझौते पर हस्ताक्षर करने को कहा गया था, जोकि रूसी भाषा में था. एक ऐसी भाषा जिसे मेरा भाई नहीं जानता था.
एजेंट फैसल खान पर विश्वास करते हुए असफान ने उस समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए थे, लेकिन मास्को पहुंचने के असफान को यूक्रेन सीमा से 100 किलोमीटर दूर रास्तोव औन डौन भेज दिया गया था. रूस में भारतीय मूल के 21 वर्षीय युवक हेमिल अश्विन भाई मंगूकिया की मौत का दूसरा मामला सामने आया है. यूक्रेन के मिसाइल हमले में युवक की मौत हुई थी. अश्विन गुजरात के सूरत का रहने वाला था. चौंकाने वाली बात यह है कि वह रूस में हेल्पर के तौर पर काम करने गया था. उस के फेमिली वालों का आरोप है कि उसे धोखे से रूसी सेना में भरती कर लिया गया. उसे फायरिंग की ट्रेनिंग दी जा रही थी, इसी दौरान यूक्रेन ने मिसाइल से हमला कर दिया, जिस में उस की दर्दनाक मौत हो गई.
मृतक युवक हेमिल के रिश्तेदार ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि उस का काम दिन में कुछ घंटों के लिए मिट्टी खोदना और बंकर बनाना था और बाद में अग्रिम मोरचे पर रूसी सैनिकों को हथियार और गोलाबारूद की आपूर्ति करना था. उसे मशीनगन और अन्य हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया गया. पूरे एक महीने तक हेमिल को सेना का प्रशिक्षण दिया गया था. यूक्रेन के हवाई हमले के दौरान भारतीयों का एक समूह भी वहां पर मौजूद था, जिस में हेमिल के साथ कर्नाटक के गुलबर्गा निवासी समीर अहमद भी था. समीर अहमद ने मीडिया को बताया, ”मैं उस समय एक बंकर को खोदने का काम कर रहा था, जबकि हेमिल गोली चलाने का अभ्यास कर रहा था.
कुछ समय के बाद हम ने अपने ऊपर एक ड्रोन को मंडराते हुए देखा. तभी हम ने कुछ शोर सुना. कुछ रूसी सैनिकों के साथ 2 अन्य भारतीय बंकरों में छिप गए.
”तभी मिसाइल गिरने का बड़ा सा शोर सुनाई पड़ा. मिसाइल गिरी तो ऐसा लगा मानो धरती हिल गई. कुछ समय के बाद जब धुआं छटा, हम बंकर से बाहर निकले तो मैं ने देखा कि हमारा हमवतन हेमिल मर चुका था. उस के बाद मैं ने अपने दोस्त हेमिल के शव को ट्रक में लोड किया था.’’
हेमिल अश्विन मंगूकिया की मौत 21 फरवरी 2024 को हुई थी. हेमिल की मौत रूस की सीमा के पास डोनेटस्क इलाके में हुई. मीडिया की जानकारी के अनुसार यूक्रेन ने ड्रोन से रूसी सीमा के पास 21 फरवरी, 2024 को हमला किया था, जिस में हेमिल सहित कुछ अन्य लोगों की मौत हो गई थी. हेमिल दिसंबर 2023 को रूस में हेल्पर की नौकरी करने गया था. 20 फरवरी, 2024 को हेमिल ने आखिरी बार अपने फेमिली वालों से बात की थी.
पंजाब और हरियाणा के 7 युवकों के एक ग्रुप ने भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई कि उन्हें रूस में सैन्य सेवा के लिए धोखे से ले जाया गया और यूक्रेन संघर्ष में लडऩे के लिए भेज दिया गया. हरियाणा और पंजाब के युवकों ने बाकायदा अपने नाम और उम्र भी वीडियो में बताई थी. जिन में गगनदीप सिंह (24 वर्ष), लवप्रीत सिंह (24 वर्ष), नारायण सिंह (22 वर्ष), गुरप्रीत सिंह (21 वर्ष), गुरप्रीत सिंह (23 वर्ष), हर्ष कुमार (20 वर्ष) और अभिषेक कुमार (21 वर्ष) हैं. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में इन सभी सातों युवक एक मंद रोशनी वाले कमरे में दिख रहे थे. इस वीडियो में इन सभी युवकों ने सैन्यकर्मियों की जैकेट और सिर पर टोपी भी पहनी हुई थी.
यह वीडियो हरियाणा के करनाल जिले के 20 वर्षीय हर्ष कुमार ने रिकौर्ड की थी, जिन में उन की खस्ताहाल स्थिति का विवरण दिया गया. वीडियो के माध्यम से उस ने सहायता की अपील की. वीडियो में उस ने कहा कि वे सब नए साल का जश्न मनाने के लिए 27 दिसंबर, 2023 को 90 दिनों के वैध वीजा के साथ रूस गए थे. उन्हें एक एजेंट ने बेलारूस ले जाने का वादा किया था, लेकिन वीजा की आवश्यकता के बारे में सूचित नहीं किया था. जब वे सभी बेलारूस पहुंचे तो एजेंट ने उन से और पैसे की मांग की. उन्होंने उसे पैसे भी दे दिए, लेकिन वह एजेंट पैसे ले कर भी उन सभी को वहीं पर छोड़ कर चला गया. इस के बाद बेलारूस की पुलिस ने उन सभी को पकड़ लिया और रूसी अधिकारियों को सौंप दिया.
वीडियो में हर्ष कुमार ने आरोप लगाया कि उन्हें रूस में कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया. हस्ताक्षर करने के बाद अब उन्हें यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में लडऩे के लिए मजबूर किया जा रहा है. इस मामले में हर्ष कुमार के परिवार ने खुलासा किया है कि हर्ष विदेश में नौकरी करना चाहता था. उसे एजेंट के द्वारा बताया गया था कि रूस के रास्ते जाना, दूसरे देश में प्रवास करना आसान बना देगा. वहीं गुरप्रीत सिंह के भाई अमृत सिंह ने कहा कि बेलारूस में उन के द्वारा हस्ताक्षर किए गए दस्तावेज रूसी भाषा में होने के कारण सभी युवकों को सैन्य सेवा में काम करने के लिए मजबूर किया गया था. उन्हें 10 साल की कैद या रूसी सेना में शामिल होने का विकल्प दिया गया था.
नेमाराम ने वीडियो से बताई अपनी दास्तान
मीडिया यह भी पता चला है कि रूसी सेना द्वारा लगभग 100 भारतीय नागरिकों को सहायक कर्मचारी के रूप में भरती किया गया था. दरजनों को यूक्रेन सीमा पर लडऩे के लिए मजबूर किया गया. रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग में भारत के बेकुसूर युवाओं की जान दिनबदिन फंसती जा रही है. रूस में एक राजस्थानी युवक ने भी वीडियो भेज अपनी कहानी बताई. डीडवाना राजस्थान के नेमाराम ने अपने वीडियो में बताया कि मुझे महेंद्र बिजारनिया, मनोज विश्नोई और विशाल ने कंप्यूटर औपरेटर के काम के लिए रूस भेजा था. मगर वहां मुझे कंप्यूटर का काम नहीं मिला और यहां पर रूसी सेना में भरती करवा दिया गया.
यहां से ट्रेनिंग करने के बाद सीधे बौर्डर पर भेज रहे हैं, जहां यूक्रेन से जंग चल रही है. बौर्डर पर बम बरस रहे हैं. मेरे भी एक हाथ में और एक पैर में गोली लग चुकी है. मुझे यहां की रूसी सेना में आए हुए एक महीना हो चुका है. हम सब लोग यहां बुरी तरह से फंस गए हैं. सब यहां पर घायल हैं, किसी को गोली लगी है तो कोई चोटिल हुआ है. जिस महेंद्र नाम के एजेंट ने मुझे यहां भेजा था, उस ने यहां के बारे में कोई जानकारी नहीं दी थी.
यहां पर आने से पहले मुझे कंप्यूटर औपरेटर का काम करने को कहा गया था. यहां की भाषा भी अलग है, किसी को भी यहां की भाषा नहीं आती, न ही किसी दूसरे से संपर्क हो पाता है. एजेंट ने सब को बेवकूफ बना कर यहां आर्मी जौइन करा दी. मेरे जैसे यहां पर अनेक लोग हैं, जो फंसे हुए हैं. रिक्शा का बास, डीडवाना निवासी नेमाराम की पत्नी ने राजस्थान के मौलासर पुलिस थाने में मामला भी दर्ज कराया, जिस में उस ने बताया कि महेंद्र बिजारनिया नामक एजेंट ने उस के पति नेमाराम को रूस में कंप्यूटर औपरेटर की नौकरी का झांसा दे कर 25 जनवरी, 2024 को रूस भेजा था.
इस के लिए एजेंट महेंद्र ने मेरे पति नेमाराम से 5 लाख रुपए भी लिए थे और प्रतिमाह 2 लाख रुपए का वेतन दिलाने की बात कही थी, लेकिन रूस पहुंचने के बाद पति को रूसी सेना में शामिल कर युद्ध लडऩे भेज दिया गया. इसी प्रकार राजस्थान में मौलासर थाने में 3 अन्य युवक सुनील, जितेंद्र कुमार और रणजीत के परिजन भी पहुंचे और उन के बच्चों के साथ धोखाधड़ी कर विदेश भेजने, युद्ध में शामिल होने पर एजेंट के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है. इस मामले को ले कर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. रूसी सेना में शामिल किए एक अन्य युवक रणजीत के पिता चेनाराम ने बताया कि मेरे बेटे रणजीत को रूस में बिजनैस के सिलसिले में भेजा गया था, जहां पर उसे धोखाधड़ी कर रूसी सेना में भरती करवा दिया गया.
रूस में मेरे बेटे का मोबाइल छीन लिया गया है. मेरा बेटा रणजीत 25 जनवरी को नेमाराम के साथ रूस गया था. जबकि लादडिय़ा, राजस्थान निवासी सुनील और सबलपुरा, राजस्थान निवासी जितेंद्र कुमार 6 फरवरी, 2024 को रूप भेजे गए थे, लेकिन इन्हें भी रूसी सेना में शामिल कर लडऩे के लिए फ्रंट में भेज दिया गया. नेमाराम के पिता ने कहा कि यह सब एजेंटों का झांसा है, जो अच्छे पैसों का लालच दे कर लड़कों को विदेश भेज देते हैं और अपना प्रौफिट ले लेते हैं.
जान बचा कर लौटा अहमदाबाद का ताहिर
अहमदाबाद का 24 वर्षीय शेख मोहम्मद ताहिर याद करते हुए बताता है कि उस के दोस्त हेमिल मंगूकिया ने उसे रूसी सेना के प्रशिक्षण शिविर से वापस भारत लौटने को कहा था, जिस के कारण आज उस की जान बच गई है. हेमिल अश्विन मंगूकिया की 21 फरवरी, 2024 को यूक्रेनी ड्रोन हमले से मौत हो गई थी. हेमिल मंगूकिया और शेख ताहिर मोहम्मद दोनों एक भारतीय समूह से थे, जिन्हें भरती एजेंटों ने सुरक्षा सहायक के रूप में उच्च वेतन वाली नौकरियों का आश्वासन दे कर रूस भेजा था. हालांकि उन की उम्मीदें तब टूट गईं, जब उन्हें पता चला कि उन्हें रूसी सैनिकों के साथ अनुभवहीन पैदल सैनिक के रूप में यूक्रेनी सीमा पर भेजा जा रहा था.
अपने दोस्त हेमिल मंगूकिया की दुखद मौत की खबर से सदमे में आए शेख ताहिर मोहम्मद ने कहा कि जब वह नौकरी की तलाश कर रहे थे तो उन की नजर ‘बाबा ब्लौग्स’ नामक एक यूट्यूब चैनल पर पड़ी. बीएससी करने के बाद ताहिर ने पहले अहमदाबाद के एक मौल के खुदरा स्टोर में नौकरी की थी. विज्ञापन में जब ताहिर ने रूसी सेना में सुरक्षा सहायकों के रूप में 2 लाख के मासिक वेतन की पेशकश देखी तो उस ने फैसल खान से स्पष्ट पूछा कि क्या नौकरी में केवल सेना की सहायता करनी शामिल है और युद्ध लडऩा नहीं है तो फैसल खान ने स्पष्ट आश्वासन दिया कि सीमा पर लडऩे के लिए नहीं जाना होगा.
ताहिर ने आगे बताया कि उस ने रूस जाने के लिए वीजा, फ्लाइट टिकट और अन्य खर्चों पर पूरे 4 लाख रुपए से अधिक का खर्चा किया था. ताहिर ने आगे बताया कि पिछले साल 13 दिसंबर, 2023 को उन के पास एक काल आया, जिस में उसे चेन्नै जाने का निर्देश दिया गया, जहां पर उस ने गुजरात के हेमिल और रूस के लिए सुरक्षा सहायक के रूप में चुने गए 9 अन्य भारतीयों से मुलाकात की. 2 दिन के बाद ताहिर मोहम्मद ने अन्य 9 भारतीय युवकों के साथ बहरीन के रास्ते चेन्नै से मास्को के लिए उड़ान भरी. मास्को में पहुंचते ही उन के मोबाइल और सिमकार्ड छीन लिए गए और उन्हें नए सिम कार्ड जारी कर दिए गए. उन्हें टेलीग्राम सहित केवल कुछ चुनिंदा ऐप्स का उपयोग करने का निर्देश दिया गया.
हम एक रात के लिए एक फ्लैट में रुके और अगले दिन हम सभी को मास्को से लगभग 200 किलोमीटर दूर रियाजान नामक स्थान पर ले जाया गया. वहां पर हमें बताया गया कि यह एक प्रशिक्षण शिविर था, जहां पर सैनिकों को युद्ध के लिए तैयार और प्रशिक्षित किया जाना था. फिर सेना की वरदी दी गई और बैरकों में रखा गया. तब क्रिसमस का समय था. तभी अचानक सारी गतिविधियां रुक गईं. मेरे दोस्त हेमिल मंगूकिया सहित हम में से अधिकतर लोग अपनेअपने पास एक और फोन रखने में कामयाब रहे, जिस के इस्तेमाल से हम एकदूसरे से संपर्क कर लिया करते थे.
भारतीय रंगरूटों को 15 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम दिया गया, जिस में राइफल शूटिंग, ग्रैनेड फेंकना और राइफल मरम्मत सहित बुनियादी बातें सिखाई गईं. हमें पहले भी इस प्रशिक्षण के बारे में बताया गया था, लेकिन किसी ने भी हमें यह बात नहीं बताई कि हमें इन कौशलों का प्रयोग सीमा पर जा कर करना होगा. ताहिर ने बताया कि मेरे बैच में हम 4 लोग थे, जिन में जम्मू से सुरेंद्र पाल, दार्जिलिंग से प्रवीण लांबा और कोलकाता से सरफराज शेख शामिल थे. हेमिल और कुछ अन्य लोग ताहिर से पहले के बैच में थे और उन्होंने पहले ही अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया था. इन सभी को अलगअलग रखा गया.
ताहिर ने बताया कि फरवरी माह में एक बार रात के समय मुझे हेमिल मंगूकिया का फोन आया. उस ने मुझ से कहा कि हमारे साथ धोखाधड़ी हुई है, इसलिए वह मुझ से आगे न बढऩे और किसी भी तरह भारत वापस लौटने के लिए जोर देने लगा. हेमिल ने मुझे बताया कि वह लुहान्स्क के पास जिस अग्रिम मोरचे पर था, वहां रोज 2-4 लोग मर रहे थे. अब ताहिर समझ गया था कि खुद ही अब कुछ न कुछ करना पड़ेगा, तभी जान बच सकती है. उस के बाद ताहिर ने मोइनुद्ïदीन से संपर्क किया तो उस ने उसे आश्वस्त किया कि उन्हें सीमा पर नहीं भेजा जाएगा. उस के बाद ताहिर ने मौके पर ही अपने कमांडर से संपर्क किया और कहा कि उन्हें सुरक्षा सहायक के रूप में भरती किया गया था, न कि एक सैनिक के रूप में अग्रिम पंक्ति पर लड़ाई करने के लिए.
ताहिर ने उसे अपनी पारिवारिक समस्या के बारे में बताया कि वह कुछ दिनों की छुट्टी ले कर अपने देश वापस जाना चाहता है. ताहिर ने आगे बताया कि उस दौरान मैं ने एक ईमेल भेजा और एक यूट्यूबर से संपर्क किया, जिस ने इस पर एक वीडियो बनाया कि अगर आप खुद को इस तरह के प्रौब्लम में फंसते हुए पाते हैं तो रूस से वापस कैसे लौट सकते हैं. ताहिर ने बताया कि चूंकि मैं रियाजान में था और उस समय तक रूसी सेना की अग्रिम पंक्ति में नहीं था, इसलिए मेरी वापसी संभव हो सकती थी. मैं अपने स्तर पर अपने प्रयास करता रहा, उस के बाद मुझे कुछ रूसी अधिकारियों को ईमेल भेजने का निर्देश दिया गया, जिन्होंने मेरे पासपोर्ट की वापसी की व्यवस्था की.
उस ने आगे बताया कि मेरे लिए मास्को जाने के लिए एक टैक्सी रूसी अधिकारियों द्वारा बुक की गई थी, जहां से मैं ने दिल्ली के लिए आखिरकार उड़ान भरी और अपने घर अहमदाबाद लौट आया.
कौन है फैसल खान जिस ने युद्ध में भेजे भारतीय
ताहिर ने आगे बताया कि उसे हेमिल मंजूकिया की मौत के बारे में समीर अहमद से पता चला था, जिसे हेमिल के साथ अग्रिम पंक्ति में भेजा गया था. समीर ने ताहिर को बताया कि हेमिल की ड्रोन हमले में मौत हो चुकी है और समीर सहित उस के साथ आए 3 भारतीय केवल 200 मीटर की दूरी पर थे. वे सभी बंकर के लिए गहरेगहरे गड्ïढे खोद रहे थे और उस दिन बालबाल बच गए थे. समीर ने यह भी बताया था उस दिन ड्रोन हमले में उन के कमांडर की मौत भी हो गई थी. समीर ने ताहिर को यह भी बताया था कि ड्रोन हमले में हेमिल के साथ अन्य 22 लोगों की मौत भी हुई थी.
इस गंभीर आरोप में फैसल अब्दुल मुतल्लिब खान नाम के शख्स की भूमिका सामने आई है. फैसल खान की उम्र 50 वर्ष है और वह मुंबई के दादर का रहने वाला है. फैसल खान वर्ष 2008 में दुबई चला गया था और वह वहां पर सेल्समैन का काम करता था. वर्ष 2016 में फैसल खान ने अपनी कंसलटेंसी एजेंसी ‘बाबा ब्लौग्स’ शुरू की थी. साल 2018 में भारतीय अधिकारियों द्वारा फैसल खान से पूछताछ की गई थी, जब उस की ओर से दुबई भेजे गए एक व्यक्ति ने दावा किया था कि उसे इसलाम धर्म में परिवर्तित कर दिया गया है. यूट्यूब पर फैसल खान के 3 लाख से अधिक फालोअर्स हैं. उस ने यूट्यूब पर अपना आखिरी वीडियो 8 जनवरी, 2024 को पोस्ट किया था, जिस में वह न्यूजीलैंड के विजिट वीजा के बारे में बात करता दिखाई दिया.
मीडिया के अनुसार फैसल खान जुलाई 2023 से रूस में नौकरियों के लिए लोगों को भेजने लगा था. उस ने अपने वीडियो में कहा था कि रूसी सेना में काम करने वालों को 3 महीने की ट्रेनिंग के बाद 40 हजार रुपए से ले कर एक लाख रुपए तक सैलरी मिलेगी. फैसल खान ने अपने वीडियो में कहा था कि रूस की सेना को इमारतों को हटाने, हथियारों और गोलाबारूद की देखभाल करने के लिए लोगों की जरूरत है. वीडियो में फैसल खान ने अपनी कंपनी के लिए 3 लाख रुपए की शुरुआती फीस की मांग भी की थी. हालांकि इन सभी आरोपों के बारे में आरोपी फैसल खान ने मीडिया में अपनी सफाई दी है.
मीडिया से बातचीत में फैसल खान ने कहा कि मैं इस तथ्य से आहत हूं कि भारत के कई युवक रूस के रेड जोन में फंस गए हैं, जो मेरे द्वारा भरती करिअर में पहले कभी नहीं हुआ था. फैसल ने कहा कि मैं नौकरी के अवसरों की जांच करने के लिए रूस गया और एजेंट मोइन से मिला, जो राजस्थान का रहने वाला था. मोइन ने मुझे रूस में सेना के सहायकों और सुरक्षाकर्मियों के बारे में बताया. हालांकि कई उम्मीदवारों को भेजने के बाद मुझे शिकायतें मिलने लगी थीं कि उन्हें अग्रिम पंक्ति यानी कि रेड जोन में भेजा गया था और हथगोले के इस्तेमाल सहित अन्य हथियारों का प्रशिक्षण दिया गया था.
फैसल ने मीडिया से कहा कि उन्होंने किसी को धोखा नहीं दिया है और पिछले एक महीने से सभी भारतीय युवकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए वह अथक प्रयास कर रहा है. फैसल ने आगे बताया कि मैं ने मुंबई से लगभग 25 युवकों को रूस भेजा और मैं उन के परिवारों के साथ लगातार संपर्क में हूं. वास्तव में मैं ने हैदराबाद में परिवारों को शिकायत दर्ज करने की सलाह भी दी है. भले ही वे शिकायतें मेरे खिलाफ ही दर्ज क्यों न हों. मैं चाहता हूं कि यह मुद्ïदा मीडिया में उजागर हो ताकि भारत सरकार दूतावास के माध्यम से इन भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए काम कर सके.
विदेश मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी
इस बीच उन के फेमिली वालों ने विदेश मंत्रालय (एमईए) से सहायता मांगी, वे अपने प्रियजनों की भलाई के बारे में किसी भी अपडेट का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. गुजरात का एक युवक घर लौटने में कामयाब भी हुआ है, लेकिन कई लोग रूस में फंसे या लापता हैं, जिस से उन के फेमिली वाले पीड़ा और अनिश्चितता की स्थिति में हैं. इस बीच 25 फरवरी, 2024 को भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस गंभीर मसले पर अपना बयान दिया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत सरकार इस मसले पर रूस से बातचीत कर रही है. हमारी एंबेसी भी इस मामले को गंभीरता से देख रही है. हमारी जानकारी के मुताबिक रूस में इस वक्त 20 भारतीय फंसे हुए हैं. हम अपनी ओर से पूरी कोशिश करने में जुटे हुए हैं.
उन्होंने आगे कहा कि हम ने भारतीय लोगों से कहा है कि रूस यूक्रेन जंग के मोरचे पर हालात बेहद खराब हैं और लोगों को वहां नहीं जाना चाहिए. भारतीयों की हिफाजत और वापसी को ले कर नई दिल्ली और मास्को मिल कर काम कर रहे हैं. इस मामले में जो भी जानकारी हमारे पास आ रही है, हम उसे रूसी एंबेसी के साथ साझा कर रहे हैं. इसी पहल का नतीजा है कि अब तक कई भारतीय छुड़ाए जा चुके हैं. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 4 बड़े मानव तस्करी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है. यह गिरोह विदेश में नौकरी दिलाने की आड़ में भारतीयों को रूसी सेना में भरती करने के बाद रूस यूक्रेन युद्धक्षेत्र में ले जाता था.
जांच एजेंसी सीबीआई ने 7 शहरों के 13 स्थानों पर काररवाई कर 50 लाख रुपए नकद सहित कई डिजिटल उपकरण जब्त किए. एजेंसी ने कुछ संदिग्धों को भी हिरासत में लिया है, जिन से पूछताछ की गई. जिन शहरों में छापेमारी हुई, उन में दिल्ली, मुंबई, चेन्नै, तिरुवनंतपुरम, अंबाला, चंडीगढ़ और मदुरै शामिल हैं. सीबीआई जांच में पता चला कि ये एजेंट नौकरी का झांसा दे कर अभी तक 35 भारतीय युवकों को रूस और यूक्रेन भेज चुके हैं. सीबीआई ने इस के तरीके के बारे में खुलासा करते हुए कहा कि ये लोग विदेश में आकर्षक नौकरी दिलाने का वादा करते थे.
ये तस्कर एक संगठित नेटवर्क के रूप में काम कर रहे थे और यूट्यूब आदि जैसे सोशल मीडिया चैनलों और अपने स्थानीय संपर्कों/एजेंटों के माध्यम से भारतीय नागरिकों को रूस में उच्च वेतन वाली नौकरियों के लिए झांसा दे रहे थे. एजेंटों ने युवाओं से रूस में मोटी तनख्वाह के नाम पर प्रति व्यक्ति साढ़े 3 लाख रुपए वसूले और बाद में उन्हें यूक्रेन युद्ध में सीमा पर लडऩे के लिए भेज दिया गया था. सीबीआई की यह काररवाई रूसयूक्रेन युद्ध में हैदराबाद के मोहम्मद असफान और गुजरात के हेमिल अश्विन मंगूकिया के मारे जाने के बाद की गई.
सीबीआई जांच में दुबई में रहने वाले मुंबई के फैसल खान नाम के एक शख्स की संलिप्तता का पता भी चला है. बताया जा रहा है कि आरोपी को बाबा के नाम से भी जाना जाता है. फैसल खान ‘बाबा ब्लौग्स’ नाम से एक यूट्यूब चैनल चलाता है. Hindi Social Stories
(कथा विभिन्न पीडि़तों के परिजनों, विभिन्न एजेंसियों द्वारा दिए गए तथ्यों पर आधारित है)