Hindi Crime Story : 21 वर्षीय राज कुशवाहा इंदौर में स्थित सोनम रघुवंशी (24 वर्ष) के भाई की प्लाईवुड फैक्ट्री में नौकरी करता था. वहीं पर सोनम को राज कुशवाहा से प्यार हो गया. दोनों ने जीवन भर साथ रहने का वादा कर लिया. इसी दौरान फेमिली वालों ने सोनम की शादी राजा रघुवंशी से कर दी. फिर प्रेमी राज कुशवाहा के साथ मिल कर सोनम ने हनीमून के बहाने पति राजा रघुवंशी को ठिकाने लगाने की ऐसी योजना बनाई, जिस की गूंज पूरे देश में फैल गई.
सोनम रघुवंशी नहीं चाहती थी कि उस की शादी उस के प्रेमी राज कुशवाहा के अलावा किसी और के साथ हो, लेकिन उस के न चाहते हुए भी पेरेंट्स ने उस की शादी राजा रघुवंशी के साथ तय कर दी थी. शादी तय हो जाने के बाद वह बहुत परेशान थी, क्योंकि तनमन से वह प्रेमी राज की थी. इसलिए वह ताउम्र उसी के साथ रहना चाहती थी. उस ने प्रेमी को फोन कर कहा, ”राज, पापा ने मेरी शादी तय कर दी है. और मालूम है शादी की तारीख क्या है, 11 मई 2025.’’
”शादी से क्या होता है सोनम, कागज के एक टुकड़े और कुछ मंत्र पढ़ देने से कोई रिश्ता नहीं बनता.’’ राज ने उसे आश्वस्त करते हुए कहा.
”राज, मैं किसी और की नहीं हो सकती. मैं सिर्फ तुम्हारी हूं और अगर तुम ने मुझे नहीं अपनाया तो मैं सच कह रही हूं, मैं मर जाऊंगी. आज वो जो लड़का मुझे देखने आया था राजा रघुवंशी, वो मुझे देख कर मुसकरा रहा था. जिसे देख कर मेरे अंदर ऐसी आग लग रही थी कि एक घूंसा मार कर उस की वो मुसकान वहीं दबा दूं. पर पापा वहीं थे, इसलिए कुछ कर नहीं पाई. लेकिन मेरी बात ध्यान से सुन लो राज, अगर तुम ने मेरा साथ नहीं दिया तो मैं दुनिया में ऐसा तूफान ला दूंगी कि लोग मेरे नाम से भी डरेंगे. मैं सब कुछ जला दूंगी खुद को, इस दुनिया को और हर रिश्ते को.’’
”तुम मेरी थी, मेरी हो और मेरी ही रहोगी सोनम,’’ राज ने कहा.
”मैं सिर्फ तुम्हारे लिए बनी हूं राज, किसी और के लिए नहीं.’’
”चिंता मत करो और विश्वास रखो सोनम, अगर उस की परछाई भी तुम्हें छुएगी तो मैं उसे जिंदा नहीं छोड़ूंगा.’’
”मैं तुम्हें पहले ही बता चुकी हूं, पापा हार्ट के पेशेंट हैं. मैं ऐसा कोई भी कदम नहीं उठा सकती, जिस का उन की सेहत पर असर हो. घर से भाग कर कहीं और जा कर रहने का खयाल तो दिल से निकाल दो.’’
”फिर तुम ही कुछ बताओ कि क्या किया जाए?’’
”मेरा आइडिया यह है कि मेरी कदकाठी की कोई लड़की तलाश की जाए. उस की हत्या कर के जला दिया जाए. मेरी स्कूटी में भी वहीं आग लगा दी जाए. यह काम किसी ऐसी सुनसान जगह पर किया जाए, जिस से कि कोई देख न सके. तब यह साबित हो जाएगा कि सोनम मर गई. फिर हम दोनों किसी और शहर में जा कर अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करेंगे.’’
सोनम ने कहा कि घरों में काम करने वाली किसी लड़की की तलाश आसानी से हो सकती है. लेकिन काफी तलाश के बाद भी घर में साफसफाई चौकाबरतन करने के लिए ऐसी कोई लड़की हाथ नहीं लगी, जिस की कदकाठी सोनम जैसी हो. इस से राज ने राहत की सांस ली. इस की वजह यह थी कि इस से राज और उस के परिवार की जिंदगी ही तबाह हो जाती. घर में आर्थिक साधन जुटाने के लिए वह अकेला ही था. घर का खर्च उस के वेतन में मुश्किल से चल पाता था. सोनम अगर अपने घर वालों के लिए मर गई होती तो नई परेशानी ही खड़ी हो जाती. यदि वह घर से 30 या 40 लाख रुपए ले कर भी आ जाती तो भी कब तक उस से गुजारा होता.
सेफ गेम खेलना चाहता था राज कुशवाहा
दूसरी जगह दोनों को नौकरी मिलना भी आसान नहीं था. कोई बिजनैस करने के लिए बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता. इस तरह राज भी अपने परिवार के लिए एक तरह से मर ही चुका होता. राज कुशवाहा ने सोनम को समझाया कि इस तरह की दुर्घटना से तुम्हारे पापा तुम्हारी मौत का सदमा शायद बरदाश्त नहीं कर पाएंगे. अगर हार्टअटैक से बच भी जाएं तो जीते जी भी उन की मौत हो जाएगी. उस की पहली योजना घर से भागने की भी मेरी समझ से परे थी, क्योंकि उस का अंजाम भी वही होता. आर्थिक संकट से राज का परिवार ही नहीं, बल्कि राज और सोनम भी जूझ रहे होते.
यह सोच कर राज ने उस की दोनों ही योजनाओं को फेल करने में पूरा दिमाग लगा दिया. वह चाहता था कि सोनम से शादी कर के फैक्ट्री का मालिक बन जाएगा, जिस में अब तक नौकरी करता था. वह ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहता था, जिस से कि सोने के अंडे देती मुरगी उस के हाथ से निकल जाए.
सोनम की शादी की तारीख करीब आ चुकी थी. उस की चिंता बढ़ती जा रही थी. सोनम की चिंता दूर करने के लिए राज ने एक ऐसा प्लान तैयार किया, जिसे सुन कर सोनम खुशी से उछल पड़ी. उस ने कहा, ”इस का मतलब यह है कि मैं विधवा हो जाऊंगी और बिरादरी का कोई व्यक्ति विधवा से शादी करने के लिए आसानी से तैयार नहीं होगा. फिर विधवा से शादी किसी और बिरादरी के युवक से करने के लिए मेरे पापा भी राजी हो जाएंगे. यानी हम दोनों पतिपत्नी के रूप में जिंदगी बिता कर अपने सपनों को साकार कर सकेंगे. बहुत बढिय़ा.’’
”लेकिन एक वादा करो,’’ राज ने कहा.
”क्या?’’
”शादी के बाद उस दुष्ट को सुहागरात की रस्म अदा करने नहीं दोगी.’’
”इस का मतलब यह कि मुझे सुहागन बनते ही यानी सुहागरात मनाने से पहले विधवा करना चाहते हो.’’ सोनम ने मुसकराते हुए कहा, ”यह पक्का वादा है, मुझे चाहे जो भी जतन करना पड़े, मैं उसे सुहागरात को हाथ नहीं लगाने दूंगी.’’
इंदौर मध्य प्रदेश का सब से बड़ा और सब से व्यस्त शहर है. यह ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक और व्यावसायिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है. यह शहर एक तरफ अपने गौरवशाली अतीत की गवाही देता है तो दूसरी ओर आधुनिकता और प्रगति का प्रतीक भी है. इस शहर का नाम इंद्रेश्वर महादेव मंदिर से लिया गया है, जो अब भी शहर के मध्य में स्थित है.
राजवाड़ा, इंदौर की 7 मंजिला ऐतिहासिक इमारत मराठा, मुगल और फ्रांसीसी वास्तुकला का अद्भुत संगम है. यह शहर के दिल में स्थित है. यह महल होलकर शासकों की विलासिता और कलात्मक रुचि का प्रतीक है. यूरोपीय शैली में बना यह महल अपने भव्य फरनीचर, दीवारों पर सुंदर चित्रों और विशाल गार्डन के लिए प्रसिद्ध है. इंदौर केवल एक शहर नहीं, बल्कि अनुभवों का संगम है, जहां इतिहास बोलता है, स्वाद महकता है, शिक्षा ऊंचाइयां छूती है और स्वच्छता संस्कृति बन जाती है.
इतनी खूबियों वाले इसी शहर में देवी सिंह नाम के एक व्यक्ति निवास करते हैं. उन का एक बेटा गोविंद रघुवंशी और बेटी सोनम रघुवंशी है. उन की पत्नी संगीता रघुवंशी घरेलू काम संभालती हैं. दरअसल, सोनम रघुवंशी का मूल निवास गुना जिला है. सोनम अपने भाई गोविंद से उम्र में छोटी है. गोविंद की शादी करीब 8 साल पहले विदिशा से हुई थी और उस के 2 बच्चे हैं. सोनम का परिवार पिछले कुछ सालों से इंदौर में रह रहा है. बताया जाता है कि उन्होंने गुना से इंदौर आने का फैसला उस वक्त लिया, जब गोविंद ने व्यापार में कदम रखा. शुरुआत में गोविंद एक निजी कंपनी में नौकरी करता था. लेकिन साल 2020 के आसपास उस ने माइका (सनमाइका) के व्यापार में कदम रखा और खुद की कंपनी खड़ी की.
शुरुआत में गोविंद केवल तैयार माल खरीद कर बेचने का काम करता था, लेकिन बाद में उस ने मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने का फैसला लिया. अब उस की एक माइका मैन्युफैक्चरिंग यूनिट गुजरात में स्थापित है, जहां से वह माल तैयार कर विभिन्न शहरों में सप्लाई करता है. सोनम के परिवार का बिजनैस अग्रणी कारोबार में से एक था. परिवार की इंदौर में एक सनमाइका बनाने की यूनिट है. देवी सिंह को पैरालाइसिस का अटैक हुआ था, जिस के कारण वह फैक्ट्री में सक्रिय भूमिका नहीं निभा पाते. सोनम रघुवंशी और गोविंद रघुवंशी दोनों भाईबहन मिल कर कारोबार संभालते हैं. सोनम अपने ही पिता की कंपनी में बतौर एचआर काम करती थी.
इसी शहर में अशोक रघुवंशी का एक परिवार है. इन के 3 बेटे और एक बेटी है. एक बेटे का नाम सचिन रघुवंशी, दूसरे का विपिन रघुवंशी, तीसरा सब से छोटा 28 वर्षीय बेटा राजा रघुवंशी और बेटी सृष्टि है. उन का ट्रांसपोर्ट का प्रमुख व्यवसाय है. राजा रघुवंशी व 2 बड़े भाई सचिन और विपिन भी संयुक्त परिवार के रूप में रहते हैं. ‘रघुवंशी ट्रांसपोर्ट’ नामक कंपनी परिवार के सभी लोग 2007 से संयुक्त रूप से चलाते थे. इस कंपनी का मुख्य काम स्कूलों और कोचिंग संस्थानों को किराए पर बसें उपलब्ध कराना है. सोनम रघुवंशी और राजा रघुवंशी दोनों के परिवार का आपस में कोई रिश्ता नहीं था. इन में से कोई एकदूसरे को जानता तक नहीं था. दोनों परिवारों की मुलाकात बहुत ही रोचक तरीके से हुई.
पहली अक्तूबर, 2024 को हर साल की तरह रामनवमी के दिन रघुवंशी समाज का सामूहिक भंडारा आयोजित हुआ था. यह कार्यक्रम इंदौर के रघुवंशी बिरादरी के लिए अपनेअपने बच्चे के लिए अपने ही समाज में लड़का और लड़की के विवाह के लिए रिश्ता तलाशने का एक बेहतरीन माध्यम है.
सामाजिक रीतिरिवाज से हुई शादी
रघुवंशी समाज के लोग रामनवमी के दिन एक स्थान पर एकत्रित होते हैं और यहां पर अपनेअपने बच्चों की जानकारी एक परची में लिख कर रख दिया करते हैं. इस में लड़के या लड़की का नाम, उम्र, पढ़ाई और काम के बारे में जानकारी लिखी होती है. एक तरह से इसे बायोडाटा कहा जा सकता है. रघुवंशी संस्थान बायोडाटा के आधार पर रजिस्ट्रैशन कर लेता है. इस डाटा को व्यवस्थित कर के रघुवंशी समाज की एक पत्रिका जारी की जाती है, जिस में रघुवंशी परिवारों द्वारा रजिस्ट्रैशन में दी गई जानकारी को प्रकाशित किया जाता है. इस पत्रिका में जिसे लड़की की तलाश है तो वो लड़की का बायोडाटा देखता है और जिसे लड़के की तलाश है, वो लड़के का.
यहां सोनम और राजा रघुवंशी के परिवार के लोगों ने भी इन दोनों का रजिस्ट्रैशन कराया था. यहीं से ही इन दोनों का परिवार आपस में मिला. दोनों के परिवार वालों को सब सही लगा. दोनों ही मांगलिक थे. कुंडली भी मिल गई, इसलिए बात शादी तक जा पहुंची. राजा रघुवंशी का एक संपन्न परिवार है. घर में सब से छोटा होने के कारण राजा रघुवंशी की शादी का सब को बहुत अरमान था. शादी समारोह को भव्य बनाने के लिए काफी तैयारी की गई. जम कर पैसा खर्च किया गया.
उधर सोनम का परिवार राजा की टक्कर का परिवार था. सोनम की शादी के भी उस के परिवारजनों को बहुत अरमान थे, लेकिन खर्च करने में काफी कंजूसी की गई और वह उत्साह सोनम की शादी में नजर नहीं आया, जिस की अपेक्षाएं की जा रही थीं. बहरहाल, 11 मई को एक भव्य शादी समारोह हुआ. सात फेरे हुए. सभी सामाजिक और धार्मिक रस्में पूरी की गईं. 12 मई, 2025 को सोनम दुलहन बन कर राजा रघुवंशी के घर आ गई. दोनों परिवार और पतिपत्नी सभी खुश थे. किसी तरह का कोई भी विवाद नहीं था. राजा रघुवंशी की ओर से दहेज की कोई मांग की ही नहीं गई थी.
सोनम 4 दिन ससुराल में रहने के बाद मायके चली गई. मायके से ही सोनम रघुवंशी ने हनीमून का कार्यक्रम भी अचानक बना लिया. सोनम ने अपने पति राजा रघुवंशी को इस बात के लिए राजी किया कि शारीरिक संबंधों के जरिए शादी को परिपूर्ण करने से पहले उन्हें कामाख्या देवी मंदिर में पूजाअर्चना करनी चाहिए. पहले तय हुआ कि दोनों असम के कामाख्या देवी मंदिर जाएंगे. फिर वहीं से कश्मीर के लिए निकल जाएंगे. सोनम अपने मातापिता के घर से सीधे एयरपोर्ट गई, जबकि राजा रघुवंशी अपने घर से 10 लाख रुपए से अधिक के गहने पहन कर निकला था. इस में एक हीरे की अंगूठी, एक चेन और एक ब्रेसलेट शामिल था.
दोनों 20 मई को पहले असम के कामाख्या देवी मंदिर पहुंचे. यह असम के गुवाहाटी शहर में नीलांचल पहाड़ी पर स्थित है. कामाख्या मंदिर से उन्होंने कश्मीर की जगह मेघालय जाने का प्रोग्राम बनाया. 20 मई, 2025 को ही दोनों मेघालय पहुंचे. 21 मई को राजा और सोनम रघुवंशी शिलांग पहुंचे थे और एक होमस्टे में रुके थे. 22 मई को उन्होंने एक स्कूटी किराए पर ली और सोहरारिम चले गए. शाम तक वे मावलखियात पहुंचे और एक गाइड लिया. गाइड की मदद से वे शिप्रा होमस्टे में रुके. इस के बाद गाइड को उन्होंने छोड़ दिया.
अगले दिन यानी 23 मई को सोनम और राजा रघुवंशी से उन के फेमिली वालों का कांटेक्ट बंद हो गया. दोनों के परिजन चिंतित हो गए और उन के लापता होने की खबरें आम हो गईं. सोनम का भाई गोविंद रघुवंशी और राजा का भाई विपिन रघुवंशी लापता पतिपत्नी की तलाश करने मेघालय पहुंचे. उन्होंने शिलांग की पुलिस से कांटेक्ट किया. उम्मीद के मुताबिक रिस्पौंस न मिलने पर दोनों वापस इंदौर लौट आए. इंदौर के एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया से शिकायत की और बात मुख्यमंत्री तक भी पहुंच गई. यहां की सरकार ने मेघालय की सरकार से संपर्क साधा. इस बीच मामला बहुत तूल पड़ चुका था.
मेघालय सरकार की बदनामी होने लगी. यहां की अर्थव्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत पर्यटकों से है. इस घटना से पर्यटकों में दहशत का माहौल हो गया. पर्यटक देर शाम अपने होटल के कमरों से निकलने में डरने लगे. अफवाह यह थी कि कपल का अपहरण कर के बांग्लादेश ले जाया गया है और उन के सारे पैसे और ज्वैलरी लूट ली गई है. मध्य प्रदेश सरकार ने तो केंद्र सरकार को पत्र लिख कर मामले की सीबीआई जांच करने की सिफारिश भी कर दी. 2 जून, 2025 को फिर राजा रघुवंशी का शव वेईसावडांग झरने के पास गहरी खाई में मिला. शव बुरी तरह सड़ चुका था. राजा के भाई विपिन ने ही शव की पहचान की. वह भी उन के हाथ पर बने ‘राजा’ टैटू से. लेकिन सोनम नहीं मिली.
शुरुआत में लगा कि दोनों का एक्सीडेंट हुआ होगा, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि राजा की हत्या धारदार हथियार से की गई थी. इंदौर शहर के हर घर में इस घटना को ले कर अफसोस जताया जा रहा था, सब लोग सोनम के जिंदा मिल जाने की कामना कर रहे थे. मेघालय पुलिस सोनम को बरामद करने और मामले की गुत्थी सुलझाने के लिए औपरेशन चला रही थी, जिस का नाम ‘औपरेशन हनीमून’ रखा गया. मेघालय सरकार ने एसआईटी गठित कर पुलिस की कई टीमें मामले का राज फाश करने के लिए लगा दीं.
पुलिस को जांच में पता चला कि 22 मई को राजा और सोनम शिलांग के मावलखियात गांव पहुंचे और वहां से नोंग्रियाट गांव में मशहूर ‘लिविंग रूट ब्रिज’ देखने गए. दोनों ने रात एक होमस्टे में बिताई. 23 मई की सुबह 6 बजे दोनों होटल से बाहर निकल आए. किराए की स्कूटी पर सैर के लिए निकले. इस के बाद दोनों रहस्यमय ढंग से लापता हो गए.
टूर गाइडों से मिली खास जानकारी
24 मई की रात को उन की स्कूटी ओसारा हिल्स की पार्किंग में लावारिस हालत में मिली, जो होमस्टे से 25 किलोमीटर दूर थी. 28 मई को जंगल में 2 बैग मिले. मावलाखियात से नोंग्रियात तक की यात्रा पर उन्हें ले जाने वाले गाइड भकुपर वानशाई थे. पुलिस को उन से महत्त्वपूर्ण सुराग हाथ लगे. गाइड ने पुलिस को बताया कि कपल ने 22 मई को फोन किया. उस समय शाम के करीब साढ़े 3 बजे थे, लेकिन मैं ने मना नहीं किया और उन्हें नोंग्रियात तक गाइड करने का फैसला किया. उन्हें शिपारा होमस्टे पर छोडऩे के बाद हम वहां से निकल पड़े.
एक अन्य गाइड अल्बर्ट पीडी भी उन के साथ थे. गाइड ने यह भी बताया कि 3 व्यक्ति इस कपल के साथ और थे. वे तीनों हिंदी में बात कर रहे थे. वह हिंदी कम जानता है, इसलिए समझ नहीं पाया. वानशाई ने कहा कि हम ने अगले दिन (23 मई) के लिए अपनी सेवा की पेशकश की, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि उन्हें रास्ता पता है. वानशाई ने अपने पुलिस बयान में कहा कि सोनम ने उन से ज्यादातर बातचीत अंगरेजी में की. केस को खोलने के लिए पुलिस पर बहुत दबाव था, पुलिस की टीमें अपना काम कर रही थीं. वह हत्यारों तक पहुंच गई थी. हत्या के 3 आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया था. इस से पहले 8 मई की रात करीब 11 बजे मेघालय पुलिस पूरे लावलश्कर के साथ कोतवाली महरौनी के ग्राम चौकी पहुंची थी.
यहां राजा रघुवंशी हत्याकांड का आरोपी आकाश कमरे में सोते हुए मिला था. मेघालय पुलिस ने आकाश से पूछा कि सोनम रघुवंशी कहां है? उसे कहां छिपाया है. आकाश ने सोनम के बारे में कोई जानकारी होने से मना कर दिया था. तब परिजनों से सोनम के बारे में पूछताछ की. उन्होंने भी इंकार कर दिया था. आकाश राजपूत (19 वर्ष) और उस के परिजन के इंकार करने के बाद भी मेघालय और जनपद की पुलिस ने मकान का चप्पाचप्पा छाना. यहां तक कि मकान के टपरे में रखे भूसे के ढेर के अंदर तक सोनम को तलाशा था.
पुलिस की यह काररवाई करीब एक घंटे तक चलती रही. जब पुलिस को यकीन हुआ कि सोनम यहां नहीं है, तब वह आकाश राजपूत और उस के 3 साथियों को अपने साथ ले गई थी. मध्य प्रदेश की पुलिस के सहयोग से मेघालय पुलिस ने इस हत्या में शामिल 3 हमलावरों आकाश राजपूत (19 वर्ष) के बाद विशाल सिंह चौहान (22 वर्ष) और राज सिंह कुशवाह (21 वर्ष) को भी गिरफ्तार कर लिया. इन की गिरफ्तारी के बाद ही नाटकीय ढंग से सोनम ने सरेंडर किया. आधी रात के बाद सोनम उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में स्थित काशी चाय जायका होटल पर पहुंची. यह होटल रात भर खुलता है.
गाजीपुर के नंदगंज थाने के अंतर्गत आता है. होटल संचालक साहिल यादव उस समय मौजूद थे. साहिल यादव से उस ने मोबाइल मांगा. अपने भाई को फोन मिलाया, लेकिन रोती रही बात नहीं कर पाई. साहिल यादव ने सोनम के भाई गोविंद से बात की, उस ने इस होटल का पता बताया. आधे घंटे के भीतर नंदगंज थाना पुलिस वहां पहुंच गई. सोनम को हिरासत में ले लिया गया. मध्य प्रदेश और मेघालय पुलिस को इस की सूचना दी गई. सोनम ने दावा किया कि उसे अगवा करने के बाद उस के साथ क्या हुआ, इस बारे में उसे कुछ याद नहीं है. उस ने कहा कि उसे अंधेरे कमरे में रखा गया था, बाहर की दुनिया से उस का कोई संपर्क नहीं था. वह जैसेतैसे वहां से निकली.
सोनम से पूछताछ के बाद पुलिस ने आनंद कुर्मी को भी पकडऩे में सफलता हासिल की. आरोपी आनंद कुर्मी (23) खिमलासा थाना क्षेत्र के बसाहरी गांव में अपने चाचा भगवानदास कुर्मी के घर में छिपा हुआ था. मेघालय से आई पुलिस टीम ने स्थानीय पुलिस की मदद से आरोपी को पकड़ा. डीएसपी एस.ए. संगमा के नेतृत्व में आई टीम ने आगासौद, खिमलासा और बीना थाना पुलिस के साथ मिल कर घेराबंदी की. आरोपी को पकडऩे के बाद खिमलासा थाने में पूछताछ की गई. एसडीओपी नितेश पटेल ने बताया कि आरोपी का पिता दौलतराम कुर्मी करीब 20-22 साल पहले परिवार के साथ इंदौर चला गया था. आनंद वहां जियोमार्ट में काम करता था. वह मुख्य आरोपी राज कुशवाहा के संपर्क में था. आनंद मूलरूप से भानगढ़ थाना क्षेत्र के मिर्जापुर गांव का रहने वाला है.
पूछताछ में पता चला कि उस के पिता 4 भाई हैं. बड़े भाई हरिशंकर कुर्मी मिर्जापुर में रहते हैं. वहां 5 एकड़ जमीन पर खेती करते हैं. देवाराम और दौलतराम इंदौर चले गए थे. भगवानदास अपनी ससुराल बसाहरी में रह रहे थे. मेघालय पुलिस यहां से कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद पांचों को मेघालय ले गई. शिलांग में ही एफआईआर दर्ज कराई गई. इंदौर से शुरू हो कर शिलांग और फिर गाजीपुर तक राजा रघुवंशी हत्या कांड फैल गया. शिलांग की अदालत से आरोपियों का 8 दिन का रिमांड मिल गया तो फिर प्याज के छिलकों की तरह परतदरपरत मामला खुलता गया.
सोनम और राजा रघंवुशी चेरापूंजी में झरना देखने जा रहे थे. वक्त बीतने के साथ ही सोनम की बेचैनी बढऩे लगी, योजना के अनुसार वह जल्द से जल्द राजा को ठिकाने लगाना चाहती थी, लेकिन सही जगह नहीं मिल पा रही थी. दोपहर 12 बजते ही पीछे से तेजी से आए तीनों किलर्स राजा से अच्छे से बातचीत करने लगे, ऐसे में राजा को भी कोई शक नहीं हुआ. दोपहर करीब डेढ़ बजे सोनम ने राजा की हत्या के लिए अपना प्लान ऐक्टिव किया. इस के तहत उस ने सब से पहले अपनी सास यानी कि राजा की मम्मी को फोन लगाया. उन के साथ मीठीमीठी बातें कीं. इस का मकसद यही था कि वह परिवार को भरोसा दिला रही थी कि सब कुछ ठीक है.
फोन पर बातचीत के दौरान सोनम ने अपने उपवास की भी चर्चा की. सास के कहने पर उन के बेटे राजा से भी कुछ देर बाद बात कराई. चेरापूंजी की करीब 10 किलोमीटर ऊंची चढ़ाई पर एक सेल्फी स्पौट बना था. उस से पहले पार्किंग स्थल था, सोनम राजा एक स्कूटी से गए थे. तीनों किलर्स ने 2 दुपहिया वाहन किराए पर लिए थे. तीनों गाडिय़ां पार्किंग में खड़ी की गई थीं. उस के बाद किलर्स राजा के पीछे चल दिए. वहां पहुंच कर पतिपत्नी मौसम का नजारा कर रहे थे. तभी सोनम ने मौका पाते ही किलर्स को इशारा किया और अपने पति राजा रघुवंशी को सेल्फी के लिए तैयार करने लगी. इतने में पीछे से एक किलर ने कुल्हाड़ीनुमा एक तेज धार वाले हथियार से पूरी ताकत से राजा पर वार कर दिया. राजा नीचे गिर गया. राजा ने उठने की कोशिश की. तभी दूसरे ने दूसरे हथियार से सामने से उस के सिर पर जोरदार वार किया.
योजना के अनुसार की थी राजा की हत्या
राजा वहीं ढेर हो गया, उस के बाद भी मिनी कुल्हाड़ी से एक वार उस पर और किया गया. उस का काम तमाम हो जाने पर और शरीर का सारा खून निकल जाने पर तीनों ने सेल्फी पौइंट पर उसे उठा कर रखा. वहां करीब 3 फीट ऊंची ग्रिल लगी हुई थी. राजा की लाश को उठा कर नीचे गहरी खाई में फेंकने की तीनों ने कोशिश की, मगर सफलता नहीं मिली. तब सोनम ने आगे बढ़ कर लाश को ऊपर उठा कर खाई में फेंकने के लिए मदद की. ऐसा करने से उन के कपड़ों पर खून लग गया तो उन्होंने खून में सने कपड़े उतार कर वहीं फेंक दिए. उस के बाद तीनों पार्किंग स्थल पर पहुंचे. वहां से तीनों किलर्स वाली 2 स्कूटियों पर बैठ कर चारों निकल लिए.
पुलिस को जांच में यह भी पता चला कि एक बुरका, जो विशाल ले कर आया था, सोनम को दिया. सोनम वह बुरका पहन कर अकेले वहां से निकली, ताकि बीच में जो टोल आते हैं या सीसीटीवी में उस का चेहरा कैद न होने पाए. उस के बाद सोनम वहां से गुवाहाटी पहुंची. वहां के आईएसबीटी से वह बस ले कर पटना के लिए और फिर पटना से वह आरा पहुंच गई. आरा से वह लखनऊ पहुंची और लखनऊ से 26 तारीख को इंदौर पहुंच गई. इंदौर में राज कुशवाहा से उस की मुलाकात हुई. देवास नाके के पास एक किराए के फ्लैट में वह 8 जून तक इंदौर में रही. इस बीच राज कुशवाहा ने सोनम की सहूलियत का पूरा खयाल रखा था.
4 जून, 2025 को राजा के शव को इंदौर लाया गया. सोनम ने अपने पति राजा की अर्थी के लिए कफन और फूल मालाओं का इंतजाम कर के अपने प्रेमी राज के हाथ अपनी ससुराल भिजवाया. राजा के परिवार में सब से ज्यादा उस की मम्मी और बहन सृष्टि का रोरो कर बुरा हाल था. पूरे इंदौर में रघुवंशी समाज में रोष व्याप्त था. शोक की लहर दौड़ गई थी. इस के लिए एक दिन कैंडल मार्च का आयोजन हुआ. इस में बड़ी संख्या में समाज के लोग उपस्थित हुए.
शिलांग के एसपी विवेक सिएम ने प्रैस कौन्फ्रेंस कर कहा कि पहले राजा के कत्ल करने का प्लान गुवाहाटी में था, लेकिन यह प्लान फेल होने पर शिलांग में राजा रघुवंशी मारा गया. 3 बार कत्ल करने का प्रयास किया गया, लेकिन किलर्स असफल हो गए और चौथी बार में हत्या कर पाए. उन्होंने बताया कि राजा मर्डर केस का मास्टरमाइंड राज कुशवाहा है, सोनम ने उस का साथ दिया. पहले दिन की पूछताछ में आरोपियों ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. तीनों आरोपी राज कुशवाहा और सोनम के दोस्त हैं, जिस में एक राज का चचेरा भाई था. दोस्ती के कारण तीनों आरोपी हत्या में शामिल हुए. शिलांग एसपी विवेक सिएम ने आगे कहा कि यह मामला सुपारी का नहीं है. तीनों आरोपी भी 19 मई को गुवाहाटी आ गए थे.
पुलिस की जांच में यह भी पता चला कि सोनम रघुवंशी और राज कुशवाहा राजा रघुवंशी की हर हालत में हत्या करना चाहते थे. उन्होंने इस के लिए एक पिस्टल खरीदी थी. यदि कुछ भी नहीं हो पाता तो सोनम सेल्फी देने के बहाने राजा को सेल्फी पौइंट से नीचे गहरी खाई में जिंदा ही धकेल देती. पुलिस को यह भी पता चला कि राज और सोनम ने हीराबाग के फ्लैट में एक बैग छिपाया था. इस बैग में कपड़ों के बीच देसी पिस्टल, 5 लाख रुपए, सोने की चेन, अंगूठी और राजा की हत्या से संबंधित कुछ अन्य सबूत वाली चीजें थीं. मेघालय पुलिस ने पांचों अपराधियों से पूछताछ कर उन्हें जेल भिजवा दिया.
अभी इंदौर में मेघालय पुलिस की टीम एक बैग की तलाश कर रही है. यह ट्रौली बैग मेघालय से विशाल चौहान ने देवास नाका के उस फ्लैट पर पहुंचाया था, जहां पर सोनम हत्या के बाद रुकी थी. अब एक प्रौपर्टी डीलर, जिस का नाम है सिलोन जेम्स, की गिरफ्तारी हुई है. यह वही प्रौपर्टी डीलर है, जिस ने सोनम को राजा रघुवंशी की हत्या के बाद जब सोनम इंदौर लौटी थी तो इंदौर में रेंट पर फ्लैट दिलाया था. गुना का एक सिक्योरिटी गार्ड भी अब शिलांग पुलिस के शक के घेरे में है. पुलिस सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा गार्ड बलबीर अहिरवार उर्फ बल्लू को गिरफ्तार कर लिया गया है. इसी मामले में आठवें आरोपी की भी गिरफ्तारी हुई है.
प्रौपर्टी डीलर ने पुलिस को बताया कि किसी स्थान पर बैग जला दिया है. पुलिस ने उस स्थान की भी जांच की. कुछ नमूने लिए हैं. पुलिस ने उसे मेघालय ले जा कर अदालत में पेश किया. आठवें आरोपी ग्वालियर निवासी लोकेंद्र सिंह तोमर को मेघालय पुलिस ने गिरफ्तार किया है, जो उस फ्लैट का मालिक है जिस में हत्या के बाद फरार हुई सोनम रघुवंशी इंदौर में छिपी थी.
सोनम की फैक्ट्री में एंप्लाई था राज
राज कुशवाहा गाजीपुर थाना क्षेत्र के रामपुर गांव का निवासी है. राज कुशवाहा के पापा 3 भाई थे. 2 भाई रामपुर सुकेति गांव में अभी भी रहते हैं. 15 साल पहले राज कुशवाहा के पिता की स्थिति अच्छी नहीं थी. वह इंदौर चले गए थे. वहां फल की दुकान लगाने लगे. परिवार की हालत सुधरने पर करीब 10 साल पहले परिवार को वहीं बुला लिया. राज कुशवाहा की मम्मी चुन्नीबाई, बड़ी बहन सुहानी और छोटी बहन प्रिया और राज कुशवाहा अपने पापा के पास इंदौर चले आए. कोरोना काल में उस के पापा परिवार के साथ गांव आ गए. उस समय राज कुशवाहा भी आ गया.
कोरोना काल में ही राज के पापा की मौत हो गई. राज कुशवाहा परिवार के साथ फिर इंदौर आ गया. यहां राज कुशवाहा प्लाईवुड की एक कंपनी में काम करने लगा. यह कंपनी सोनम रघुवंशी की थी. सोनम के यहां पर राज प्लाईवुड का काम करता था. उस ने ज्यादा तो नहीं, लेकिन हाईस्कूल परीक्षा पास कर रखी थी. इस कंपनी में उसे अकाउंट के काम पर लगा लिया गया. एक दिन राज कुशवाहा सोनम रघुवंशी के केबिन में पहुंचा. उसे देखते ही सोनम रघुवंशी ने पूछा, ”हां बताओ, कैसे आना हुआ?’’
”मैडम, मुझे 5 हजार रुपए की जरूरत है.’’
सोनम मलिकाना तेवर में बोली, ”अभी एक हफ्ता पहले ही तो वेतन मिला है. अभी से एडवांस लेने आ गए.’’
कुछ और खरीखोटी सुनाई. राज कुशवाहा बड़ा निराश हुआ, उस की आंखें डबडबा गईं. औफिस से बाहर जाने के लिए राज कुशवाहा जैसे ही मुड़ा, सोनम की आवाज आई, ”रुपए किस काम के लिए चाहिए?’’
राज कुशवाहा ने कहा, ”मम्मी की तबीयत खराब है. उन के इलाज के लिए जरूरत है.’’ मासूम चेहरे पर बड़ीबड़ी आंखों में छलकते आंसू देख कर सोनम का दिल पसीज गया. सोनम ने दराज से 5 हजार रुपए निकाल कर राज को दे दिए. सोनम के अहसान के बोझ को सिर पर लिए डगमगाते कदमों से राज औफिस से बाहर आ गया. यहीं से उम्र में करीब 5 साल छोटे अपने कर्मचारी राज के लिए सोनम के दिल में हमदर्दी का बीज अंकुरित हो गया. दूसरे दिन फैक्ट्री की साप्ताहिक छुट्टी थी.
अगले दिन राज अपनी ड्यूटी पर समय से फैक्ट्री आ गया और अपने काम में जुट गया. अचानक कदमों की आहट उसे सुनाई दी. उस के टेबल के पास तक कोई आया. इस से पहले कि वह सिर उठा कर देखता, तभी उस के कानों में एक मधुर आवाज सुनाई दी, ”ये लो एक हजार रुपए. यह एडवांस में नहीं जुड़ेंगे. यह मेरी तरफ से अपनी मम्मी की दवाई में खर्च कर लेना. और हां, अब उन की तबीयत कैसी है?’’
इतना सुन कर राज अपनी सीट से उठ कर खड़ा हो गया. नजरें नीची रहीं. अपनी मम्मी की तबीयत के बारे में जानकारी दी. राज ने कहा, ”मैम, आप का दिल कितना बड़ा है, आप जैसे लोग समाज में अब कम ही मिलते हैं. यह एहसान मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकता.’’
एक दिन इंदौर के खूबसूरत मार्केट में राज गया था, तभी अचानक किसी ने उसे आवाज दी. उस ने मुड़ कर देखा तो सोनम स्कूटी रोके खड़ी थी. उस ने पास की ही एक कौफी हाउस की तरफ इशारा करते हुए कहा कि यहां आओ, मैं भी पहुंच रही हूं.
उस दिन फैक्ट्री का साप्ताहिक अवकाश था. कौफी हाउस पहुंच कर दोनों आमनेसामने की सीट पर बैठे. सोनम ने कोई बात नहीं की, बल्कि अपने मोबाइल में मगन रही. वेटर 2 कौफी टेबल पर रख गया. राज नजरें नीचे किए हुए बैठा था. राज को सोनम की उस बात का इंतजार था, जिस के लिए उसे यहां कौफी हाउस में बुलाया था.
अचानक सोनम ने कहा, ”हां राज, बताओ मम्मी की कैसी तबीयत है?’’
सिर झुकाए बैठे राज ने कहा, ”अब तो काफी ठीक है.’’
”चलो, कौफी पियो!’’
राज ने कौफी का कप उठाया. उस की नजर सोनम की तरफ गई तो उस के हाथ कांप गए. बड़ी मुश्किल से कप को गिरने से रोक पाया. फिर भी थोड़ी सी कौफी छलक कर गिरी. सोनम की नजरें उस पर गड़ी थीं, उस प्यार भरी नजरों को कोई भी आसानी से समझ सकता था. कातिलाना नजरें और जादुई मुसकराहट उस के दिल में उतर गई. राज ने बड़ी मुश्किल से अपने आप को संभाला. इस तरह हमदर्दी के साथ प्रेम के बीज की भी बुवाई हो गई.
रातें अब ख्वाबों में और दिन उस की यादों में गुजरने लगे. प्रेम का ये अंकुर धीरेधीरे एक विशाल वृक्ष बनने को बेताब था. उस की बातें जैसे ठंडी हवा की तरह गर्म दुपहरी में सुकून दे रही हों. आंखों ही आंखों में जो बातें होतीं, वो लफ्जों से परे थीं. राज का दिल अब हर धड़कन में उस का नाम लेने लगा. वह साथ हो या न हो, उस की मौजूदगी हर पल महसूस होती. राज को अब समझ आने लगा कि ये सिर्फ आकर्षण नहीं, कुछ गहरा ताल्लुक है.
इस तरह हमदर्दी से शुरू हुआ रिश्ता अब इश्क की दहलीज पर दस्तक दे रहा था. राज के दिन अब मस्ती में गुजरने लगे. आर्थिक संकट भी दूर हो गया था, क्योंकि 20 हजार रुपए महीने की नौकरी में उस के परिवार का गुजारा करना मुश्किल होता था. अब तो ठाट ही ठाट थे. दिन गुजरते गए, प्यार की पींगें बढ़ती रहीं और फिर 2 जिस्म एक जान हो गए. साथ जीनेमरने की कसमें खाई गईं और एकदूसरे का साथ न छोडऩे का वादा किया गया.
राजा रघुवंशी हत्याकांड खुल जाने के बाद मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने कहा कि जिन लोगों ने मेघालय को बदनाम किया है, उन्हें माफी मांगनी चाहिए, नहीं तो उन के खिलाफ काररवाई की जाएगी. मेघालय के गृहमंत्री बोले, ”हमारी पुलिस को बेवजह बदनाम किया गया.’’
पुलिस के गले की फांस बन गया था यह केस
मेघालय के गृहमंत्री प्रेस्टोन टेनसांग ने अपने बयान में कहा कि मेघालय पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए. ये बात शुरू से हजम नहीं हो रही थी कि यहां के स्थानीय लोग लूटपाट के लिए किसी पर्यटक की हत्या कर दें. अब हमारी पुलिस ने सब दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया. इस केस में जल्दी से जल्दी तसवीर साफ होना इसलिए भी जरूरी था कि मेघालय में हर साल 11 लाख टूरिस्ट आते हैं. उन के भरोसे के लिए भी ये जरूरी था कि जल्द से जल्द इस केस का खुलासा हो. उधर सोनम रघुवंशी अपने प्रेमी राज कुशवाहा और अन्य लोगों के पकड़े जाने पर इंदौर से गाजीपुर कैसे गई, उस रहस्य का भी पुलिस ने परदाफाश कर दिया. जिस टैक्सी से सोनम इंदौर से उत्तर प्रदेश रवाना हुई थी, उस के ड्राइवर पीयूष तक भी पुलिस पहुंच गई है.
टैक्सी ड्राइवर पीयूष से भी एक घंटे तक क्राइम ब्रांच थाने में पूछताछ की गई. उधर उजाला यादव ने यह दावा किया था सोनम मुझे वाराणसी कैंट स्टेशन पर मिली थी. एक ड्राइवर और एक व्यक्ति उसे वहां तक छोडऩे आए थे. तुरंत ट्रेन न होने पर सोनम वाराणसी के बस अड्डे पर आई और उसी बस में बैठ गई, जिस में वह बैठी थी. उजाला ने बताया कि वह गोरखपुर जाने के लिए कह रही थी. उस ने एक लड़के से फोन करने के लिए मोबाइल मांगा. उस ने नहीं दिया. मुझ से भी उस ने मोबाइल मांगा, मैं ने दिया. एक नंबर डायल कर के डिलीट कर दिया. काल नहीं की.
ऐसा हो सकता है कि उस के पास कोई मोबाइल होगा. कहीं बीच में उस के पास काल आई होगी कि सभी लोग पकड़े गए हैं. गाजीपुर ही उतर जाए. गाजीपुर उतर कर उस ने वह छोटा मोबाइल नष्ट कर दिया होगा. तभी वह रात के 2 बजे चाय की दुकान पर पहुंच गई. वरना राज और सोनम का इरादा गोरखपुर से नेपाल भाग जाने का था. राज इतना शातिरदिमाग होगा, यह अंदाजा किसी को नहीं था. ऐसा प्लान पेशेवर अपराधी भी नहीं बना पाते. यदि मामला हाईप्रोफाइल नहीं बनता तो सोनम और राज अपनी योजना में सफल हो जाते. वह तो मेघालय की पुलिस ने ड्रोन कैमरे से रघुवंशी की डेडबौडी तलाश कर ली थी.
एक तरफ राजा की मम्मी हैं, जिन्होंने अपने जिगर के टुकड़े को खोया है, उन पर क्या बीत रही होगी. दूसरी तरफ सोनम की मम्मी का दर्द है, जिसे मर्डर की मास्टरमाइंड बताया जा रहा है. तीसरी मां उस आरोपी राज की है, जिसे सोनम का बौयफ्रेंड बताया जा रहा है. तीनों मां का अपना अलगअलग दर्द है. राज कुशवाह की मम्मी चुन्नीबाई, बड़ी बहन सुहानी और छोटी बहन प्रिया मानने को तैयार नहीं हैं कि राज कुशवाहा राजा रघुवंशी की हत्या कर सकता है. सुहानी ने कहा, ”मेरा भाई ऐसा कर ही नहीं सकता. वह तो सोनम को दीदी कहता था.’’
जहां मृतक राजा की बहन सृष्टि अपने भाई के खोने का दर्द बयां कर रही है, वहीं आरोपी सोनम के प्रेमी राज कुशवाहा की बहन अपने भाई को बेगुनाह बताते हुए साजिश का आरोप लगा रही है. दोनों बहनों का दर्द, एक भाई की हत्या और दूसरे की गिरफ्तारी ने इस हनीमून मर्डर को और मार्मिक बना दिया है. Hindi Crime Story