UP Crime News : 55 साल की उम्र में अपनी जवान हसरतों के कारण पति की हत्या करने वाली सुशीला जीवन में किसी भी मर्द से वफा नहीं कर सकी. पहले पति को उस ने जिस लिए छोड़ा था, उन्हीं कारणों से उस ने तीसरे मर्द के लिए दूसरे पति की हत्या करा दी.नोएडा के ककराला गांव की पुस्ता कालोनी में रात के ढाई बजे सायरन बजाती पुलिस की गाडि़यों और एक घर के बाहर जमा कालोनी के लोगों की भीड़ इस बात की ओर इशारा कर रही थी कि वहां कोई अनहोनी हुई है. दरअसल, 7 मई 2021 की दरमियानी रात को पुस्ता कालोनी में रामचंद्र सिंह के मकान में किराए पर रहने वाले 52 वर्षीय संतराम की घर में घुस कर कुछ बदमाशों ने हत्या कर दी थी.

जिस वक्त ये वारदात हुई, रात के करीब एक बजे का वक्त था. पुलिस घटनास्थल पर सूचना मिलने के बाद करीब ढाई बजे पहुंची. ककराला गांव गौतमबुद्ध नगर कमिश्नरेट के फेज-2 थानाक्षेत्र के अंर्तगत आता है. फेज-2 थाने के प्रभारी सुजीत कुमार उपाध्याय उस समय कुछ सिपाहियों के साथ गश्त कर रहे थे. जब कंट्रोलरूम ने उन्हें ककराला में रहने वाले संतराम की उस के घर में हुई हत्या की खबर दी. थानाप्रभारी सुजीत उपाध्याय अगले कुछ ही मिनटों में बताए गए घटनास्थल पर पहुंच गए. घटनास्थल पर तब तक मकान में रहने वाले कुछ दूसरे किराएदारों और आसपड़ोस के लोगों की काफी भीड़ जमा हो चुकी थी. संतराम की हत्या उस के सिर व चेहरे पर ईंटों के वार कर के की गई थी.

 

पास ही खून से लथपथ एक ईंट इस बात की पुष्टि कर रही थी. कमरे का सारा सामान इधरउधर फैला पड़ा था. मृतक की पत्नी सुशीला जिस की उम्र करीब 55 साल थी, पति के शव के साथ लिपटलिपट कर रो रही थी. किसी तरह पुलिस ने सुशीला को दिलासा दी तो उस ने सुबकते हुए बताया कि रात करीब साढे़ 12 बजे किसी ने हमारे कमरे का दरवाजा खटखटाया. मैं ने जैसे ही दरवाजा खोला तो 3 लोग जबरदस्ती कमरे में घुस आए. कमरे में घुसते ही उन्होंने मुझे दबोच लिया और पूछा घर में कितने लोग हैं, जेवर और नकदी कहां रखे हैं. पूछताछ करते हुए उन्होंने मुझे एक के बाद एक साथ 3-4 थप्पड़ मारे और लातघूंसों की बारिश करते हुए मुझे जोर से जमीन पर धक्का दे दिया.

दीवार से सिर टकराने के कारण मैं उसी वक्त बेहोश हो गई. इस के बाद बदमाशों ने क्या किया, मुझे नहीं मालूम. जब कुछ देर बाद मुझे होश आया तो मैं ने अपने पति का शव इसी अवस्था में देखा जैसा इस समय आप देख रहे हैं. इस के बाद मैं ने शोर मचा कर अपने मकान के दूसरे किराएदारों और आसपड़ोस के लोगों को एकत्र किया. बाद में अपने जेठ लालूराम को फोन किया. वह गौतमबुद्ध नगर के गांव धूममानिकपुर में रहता था. वह भी एक घंटे में सूचना पा कर आ गया. थानाप्रभारी सुजीत उपाध्याय को घटना का निरीक्षण करने और सुशीला के बयान से साफ लग रहा था कि संभवत: कुछ बदमाश लूटपाट के इरादे से घर में घुसे होंगे.

घटना का जो खाका तैयार हुआ था उस की पुष्टि के लिए थानाप्रभारी उपाध्याय ने एकएक कर उस मकान में रहने वाले सभी किराएदारों, आसपड़ोस के लोगों और संतराम के बड़े भाई लालूराम से पूछताछ की तो पता चला कि संतराम घरों का निर्माण करने वाला छोटामोटा ठेकेदार था. ठेकेदारी में वह राजमिस्त्रियों की टीम ले कर निर्माण का काम करता था. इस काम में वहीं आसपास रहने वाले उस के जानकार उस की टीम में शामिल होते थे. संतराम के बारे में एक अहम जानकारी यह मिली कि वह बेहद सरल स्वभाव का इंसान था. आज तक उस का किसी से झगड़ा या दुश्मनी की बात भी किसी को पता नहीं चली थी.

पुलिस को पूछताछ में किसी से भी ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली जिस से हत्याकांड के बारे में तत्काल कोई सुराग मिल पाता. सुशीला इस घटना की एकमात्र चश्मदीद थी, लेकिन उस ने पूछताछ में बताया कि उस ने आज से पहले कभी उन हमलावरों को नहीं देखा था, वह उन के चेहरे और हुलिए के बारे में भी कोई खास जानकारी नहीं दे सकी. अलबत्ता उस ने यह जरूर कहा कि अगर वे लोग दोबारा उस के सामने आए तो वह उन्हें पहचान सकती है. चूंकि जिस तरह बदमाशों ने घर में घुसते ही सुशीला के ऊपर हमला किया था, उस से जाहिर तौर पर कोई भी इंसान इतना घबरा जाता है कि वह किसी के चेहरेमोहरे को देखने की जगह पहले अपना बचाव और जान बचाने की कोशिश करता है.

लेकिन 2 ऐसी बातें थीं जो अब तक की जांच व पूछताछ में थानाप्रभारी सुजीत उपाध्याय को परेशान कर रही थीं. एक तो यह बात कि सुशीला के शरीर के सभी हिस्सों  का निरीक्षण करने के बाद भी उन्हें ऐसी कोई गुम या खुली हुई चोट नहीं मिली, जिस से साबित हो कि वह बेहोश हो गई थी. मतलब उस के शरीर पर खरोंच तक के निशान नहीं थे. दूसरे वह पुलिस को घर में लूटपाट होने वाले सामान की जानकारी नहीं दे सकी. दरअसल, जिन बदमाशों ने घर में घुस कर एक आदमी की विरोध करने पर हत्या कर दी हो, क्या वह बिना कोई लूटपाट किए चले गए होंगे.

दूसरे संतराम जिस हैसियत का इंसान था और किराए के मकान में जिस तरह का सामान मौजूद था, उसे देख कर कहीं से भी नहीं लग रहा था कि उस घर में लूटपाट करने के लिए बदमाश किसी की हत्या भी कर सकते हैं. ऐसे तमाम सवाल थे जिन के कारण सुशीला पुलिस की निगाहों में संदिग्ध हो चुकी थी. लेकिन उस के पति की हत्या हुई थी इसलिए तत्काल उस से पूछताछ करना उपाध्याय ने उचित नहीं समझा. इस वारदात की सूचना मध्य क्षेत्र के डीसीपी हरीश चंदर व एडीशनल डीसीपी अंकुर अग्रवाल व इलाके के एसीपी योगेंद्र सिंह को भी लग चुकी थी. सूचना मिलने के बाद वे भी मौके पर पहुंच गए. क्राइम इनवैस्टीगेशन व फोरैंसिक टीम के अफसर भी मौके पर पहुंच गए थे.

घटनास्थल से जरूरी साक्ष्य एकत्र किए गए. उस के बाद शव पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया. मृतक संतराम के भाई लालूराम जो धूममानिकपुर थाना बादलपुर जिला गौतमबुद्ध नगर में रहता है, की शिकायत पर पुलिस ने 7 मई की सुबह भादंसं की धारा 302 के तहत मुकदमा पंजीकृत कर लिया, जिस की जांच का जिम्मा खुद थानाप्रभारी सुजीत उपाध्याय ने अपने हाथों में ले लिया. डीसीपी हरीश चंदर ने एसीपी योगेंद्र सिंह की निगरानी में हत्याकांड का खुलासा करने के लिए एक टीम गठित कर दी, जिस में थानाप्रभारी सुजीत उपाध्याय के साथ एसएसआई राजकुमार चौहान, एसआई रामचंद्र सिंह, नीरज शर्मा, हैडकांस्टेबल फिरोज, कांस्टेबल आकाश, जुबैर, विकुल तोमर, गौरव कुमार तथा महिला कांस्टेबल नीलम को शामिल किया गया.

पूरे केस में पुलिस काररवाई पर नजर रखने के लिए एडीशनल डीसीपी अंकुर अग्रवाल को जिम्मेदारी सौंपी गई. हत्या का मुकदमा दर्ज करने के बाद पुलिस ने सब से पहले संतराम के शव का पोस्टमार्टम कर शव को उस के परिजनों को सौंपा, जिन्होंने उसी शाम उस का अंतिम संस्कार कर दिया. इस दौरान दिल्ली व आसपास रहने वाले संतराम के काफी रिश्तेदार उस के घर पहुंच चुके थे. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह बात साफ हो चुकी थी कि संतराम की मौत उस के सिर व चेहरे पर लगी चोटों के कारण हुई थी. पुलिस टीम ने सभी बिंदुओं को ध्यान में रख क र अपनी  जांच शुरू कर दी. टीम ने सुशीला, उस के पति मृतक संतराम और उन के परिवार की कुंडली को खंगालना शुरू कर दिया.

इतना ही नहीं, पुलिस ने वारदात वाली रात को घटनास्थल के आसपास सक्रिय रहे मोबाइल नंबरों का डंप डाटा भी उठा लिया और उन सभी मोबाइल नंबरों की जांचपड़ताल शुरू की जाने लगी, जो वहां सक्रिय थे. पुलिस ने संतराम व सुशीला के फोन नंबरों की काल डिटेल्स भी निकलवा ली. इस के अलावा गांव में अपने मुखबिरों को सक्रिय कर दिया. संतराम पुत्र शंकर राम मूलरूप से उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के कस्बा व थाना रोजा का रहने वाला था. उस के परिवार में एक भाई लालू राम के अलावा 4 बहनें थी. यह बात करीब 18-19 साल पहले की है. उन दिनों संतराम अपने गांव व आसपास के इलाकों में राजमिस्त्री का काम करता था.

उम्र बढ़ रही थी और उस ने शादी की नहीं थी, इसलिए जो भी कमाता उसे अपने ऊपर खर्च करता था. इंसान के ऊपर जिम्मेदारियां न हों तो शराब ही अधिकांश लोगों की जिंदगी का हिस्सा बन जाती है. उसी के गांव में बालकराम भी रहता था, जो उसी की बिरादरी का होने के साथ पेशे से राजमिस्त्री का ही काम करता था. यही कारण था कि संतराम की बालकराम से खासी गहरी दोस्ती थी. संतराम का उस के घर भी आनाजाना था. बालकराम विवाहित था परिवार में पत्नी सुशीला और 5 बच्चे थे. 3 बेटे व 2 बेटियों में सब से बड़ा बेटा था. संतराम बालकराम के साथ उस के घर में बैठ कर शराब भी पीता था. बालकराम की पत्नी सुशीला 5 बच्चे होने के बाद भी गेहुएं रंग और छरहरे बदन की इतनी आकर्षक महिला थी कि पहली ही नजर में कोई भी उस की तरफ आकर्षित हो जाता था.

सुशीला थोड़ा चंचल स्वभाव की महिला थी. बालकराम के घर आतेजाते संतराम कब सुशीला की तरफ आकर्षित हो गया, उसे पता ही नहीं चला. बात तब बढ़नी शुरू हुई, जब सुशीला ने उस के कुंआरेपन को ले कर 1-2 बार ऐसे मजाक कर डाले जो एक औरत की मर्यादा से बाहर के थे. जाहिर है जब सुशीला खुली तो संतराम ने उसी खुलेपन से उस के साथ हंसीमजाक शुरू कर दिया. इस दौरान दोनों एकदूसरे की तरफ इस कदर आकर्षित हो गए कि बालकराम की गैरमौजूदगी में भी संतराम उस के घर आनेजाने लगा और सुशीला के साथ उस के नाजायज संबध बन गए. गांवदेहात में ऐसी बातें किसी से छिपती नहीं हैं. लिहाजा जल्द ही गांव में दोनों के संबधों की चर्चा चौपाल तक पर होने लगी.

बालकराम को इस की भनक लगी तो उस ने सुशीला के साथ मारपीट की और संतराम का अपने घर आनाजाना बंद करा दिया. कहते हैं कुंआरे इंसान को एक बार औरत के शरीर की गंध लग जाए तो फिर वह बहुत दिनों तक उस का स्वाद चखे बिना रह नहीं पाता. संतराम ने अब चोरीछिपे सुशीला से मिलनाजुलना शुरू कर दिया. लेकिन यह बात भी जल्द ही बालकराम को पता चल गई. इस के बाद तो उस के घर में आए दिन का क्लेश रहने लगा. सुशीला चंचल स्वभाव ही नहीं, जिस्मानी रूप से एक मर्द से खुश रहने वाली औरत नहीं थी. 5 बच्चे पैदा करने के बाद उस ने ख्वाहिशों की उड़ान भरनी नहीं छोड़ी.

संतराम भी अब उस के प्यार में बुरी तरह पागल हो चुका था. लिहाजा सुशीला व संतराम ने फैसला किया कि वह बालकराम को छोड़ कर बच्चों को ले कर संतराम के साथ शाहजहांपुर से चली जाएगी. आए दिन के झगड़ों से तंग आ कर जब बालकराम ने सुशीला से इस झगड़े के समाधान का उपाय पूछा तो सुशीला ने साफ कह दिया कि अब वह संतराम के साथ रहना चाहती है. लिहाजा यह तय हुआ कि बालकराम का बड़ा बेटा उसी के पास रहेगा जबकि बाकी के 4 बच्चों को ले कर सुशीला गांव से संतराम के साथ चली जाएगी. यह बात करीब 18 साल पहले की है. संतराम सुशीला व उस के 4 बच्चों को ले कर नोएडा आ गया. यहां आ कर उस ने राजमिस्त्री का काम शुरू कर दिया.

संयोग से यहां उसे अच्छी आमदनी होने लगी. कुछ साल बाद उस ने सुशीला की बड़ी बेटी मंजू की शादी कर दी. जिस की उम्र इस वक्त करीब 32 साल है और वह 2 बच्चों की मां है. बाद में संतराम ने सुशीला के बड़े बेटे राजू की भी शादी कर दी, जो शादी के बाद अपनी पत्नी व छोटे बहनभाई के साथ गाजियाबाद में रहने लगा. राजू भी राजमिस्त्री  का काम करता है. पिछले 5 साल से संतराम सुशीला के साथ ककराला गांव में किराए का मकान ले कर रहता था. अब वह राजमिस्त्री के काम के साथ मकानों को बनाने के लिए छोटेमोटे ठेके भी लेने लगा था. संतराम व सुशीला की कुंडली खंगालने के बाद पुलिस को अब तक जो जानकारी मिली थी, उस से यह बात तो साफ थी कि सुशीला एक चंचल स्वभाव की महिला थी, जिस के चरित्र पर भरोसा नहीं किया जा सकता था.

वैसे भी पहले ही दिन से पुलिस की नजर में वह संदिग्ध थी. गांव में सक्रिय मुखबिरों के जरिए 2 अहम जानकारी जांच अधिकारी उपाध्याय को लगीं. पहली यह कि संतराम के पड़ोस में रहने वाला मनोज, जो अपने भाई आकाश व राजेश के साथ किराए पर रहता था, संतराम की हत्या के अगले ही दिन अपना कमरा छोड़ कर कहीं दूसरी जगह चला गया. वह कहां है, इस का किसी को कुछ नहीं पता. दूसरे यह कि मनोज का संतराम के घर जरूरत से ज्यादा आनाजाना था. उस के घर में आने को ले कर अकसर सुशीला व संतराम के बीच झगड़ा होता था. कई बार संतराम ने सुशीला के साथ मारपीट भी की थी.

दोनों ही जानकारियां बेहद काम की थीं. पुलिस ने सुशीला के मोबाइल की काल डिटेल्स निकाल कर जब उस की पड़ताल की तो उस में एक ऐसा नंबर था, जिस पर सब से अधिक काल होती थी. उस नंबर को खंगाला गया तो पता चला कि वह मनोज का नंबर है. पुलिस ने उस नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया. सर्विलांस की मदद से आखिरकार 27 मई, 2021 को पुलिस टीम ने दादरी कट के पास छापा मार कर मनोज, उस के भाई आकाश व उस के रिश्तेदार राजेश को हिरासत में ले लिया. वे तीनों शहर छोड़ कर भागने की तैयारी कर रहे थे. दादरी कट के पास उन्होंने किराए की एक कार मंगाई थी, लेकिन कार के आने से पहले ही पुलिस ने उन्हें दबोच लिया.

थाने ला कर जब पुलिसिया अंदाज में मनोज से पूछताछ की तो उस ने सच उगल दिया. मनोज कोई शातिर अपराधी तो था नहीं, इसलिए थोड़ी सख्ती के बाद ही उस ने संतराम की हत्या का गुनाह कबूल कर लिया और हत्याकांड की पूरी कहानी सुनाता चला गया. मनोज मूलरूप से गुलाबगंज गनपाई थाना कादरचौक, जिला बदायूं, उत्तर प्रदेश का रहने वाला था. 23 साल का मनोज अपने छोटे भाई आकाश व मौसेरे भाई राजेश के साथ पिछले 2 साल से गौतमबुद्ध नगर के ककराला गांव में रहता था. तीनों भाई संतराम के मकान के पास ही किराए का कमरा ले कर एक साथ रहते थे. मनोज जहां राजमिस्त्री का काम करता था तो उस के दोनों भाई दिहाड़ी मजदूरी का काम करते थे.

पड़ोस में रहने वाला संतराम चूंकि ठेकेदारी का काम करता था, इसलिए वह अकसर दिहाड़ी मजदूर या दूसरे राजमिस्त्री  की जरूरत पड़ने पर तीनों भाइयों को बुला लेता था. संतराम को पीनेखाने का शौक था. तीनों भाई भी शराब पीने के आदी थे. इसलिए कुछ समय बाद संतराम के साथ उन की खानेपीने की बैठकें भी होने लगीं. कई बार मनोज संतराम के घर पर ही बैठा था. इसलिए जल्द ही संतराम की पत्नी सुशीला से भी उस की बोलचाल हो गई. सुशीला की 20 साल पहले जो चंचल स्वभाव की आदत थी, आज भी वह बरकरार थी. सुशीला की नजर मनोज पर पड़ी तो उसे संतराम भी उस के सामने फीका लगने लगा.

मनोज ने पहली ही नजर में सुशीला की आखों से उस के मन की बात भांप ली. एक कुंआरे नौजवान को अगर कोई स्त्री आमंत्रण दे तो भला वह कैसे ठुकरा सकता है. सुशीला के जीवन में एक बार फिर वही कहानी दोहराई जाने लगी, जो उस ने 18 साल पहले दोहराई थी. जल्द ही मनोज से सुशीला के जिस्मानी संबंध बन गए. सुशीला की उम्र भले ही 55 साल हो चुकी थी, लेकिन उस के हसरतें आज भी उतनी ही जवान थीं जितनी जवानी की दहलीज पर कदम रखने वाली एक लड़की के होती हैं. इधर, पिछले कुछ सालों में संतराम के अंदर एक बुरी प्रवृत्ति ने जन्म ले लिया था. वह शराब पीने के बाद अकसर सुशीला के साथ किसी न किसी बात पर मारपीट कर देता था. इस कारण सुशीला और संतराम के संबंधों में एक दरार भी पैदा हो गई थी.

जब 6 महीने पहले मनोज सुशीला की जिदंगी में आया तो उसे जिंदगी में रोशनी की एक नई किरण दिखाई देने लगी. लेकिन इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते. कुछ दिन पहले संतराम को इस बात का शक हो गया कि सुशीला फिर से अपने पुराने ढर्रे पर चलने लगी है. उसे मनोज के साथ उस के संबध होने का शक हो गया था. वैसे भी सुशीला को संतराम से कोई बच्चा तो था नहीं, इसलिए उसे वैसे भी उस से बहुत लगाव नहीं था. जब संतराम ने उस के साथ कई बार मारपीट की तो सुशीला ने एक दिन मनोज से कहा कि अगर वह उसे संतराम से छुटकारा दिला दे तो वह पूरी तरह उस की हो कर रहेगी. इतना ही नहीं, उस के घर में जो कुछ भी है और बैंक में जो पैसा या जेवर है, सब उस के हो जाएंगे.

मनोज भी उस के चक्कर में अविवेकी बन गया था. लिहाजा उस ने सुशीला से वादा कर लिया कि वह उसे संतराम से मुक्ति दिलाएगा. मनोज ने अपनी माशूका से वादा तो कर लिया लेकिन इस काम को अकेले अंजाम देना उस के बस की बात नहीं थी. इसीलिए उस ने सगे भाई आकाश व मौसेरे भाई राजेश को संतराम की हत्या करने में मदद करने के लिए तैयार कर लिया. आकाश व राजेश कम उम्र के जवान लड़के थे, वे बस इसी से खुश हो गए कि चलो मनोज घर बसा लेगा तो उन्हें पकापकाया खाना मिलना शुरू हो जाएगा. लिहाजा उन्होंने मनोज का साथ देने की हामी भर दी. जब तीनों ने इरादा बना लिया तो सुशीला के साथ मिल कर उन्होंने संतराम की हत्या को अंजाम देने के लिए योजना बनाई.

6 और 7 मई की रात को उन्होंने संतराम की हत्या के लिए चुना. योजना के मुताबिक रात करीब साढ़े 12 बजे मनोज ने जब दरवाजा खटखटाया तो पहले से उन के इंतजार में जाग रही सुशीला ने दरवाजा खोल दिया और वे कमरे के भीतर घुस आए. संतराम शराब के नशे में बिस्तर पर पड़ा खर्राटे ले रहा था. इस के बाद उन्होंने कमरे में रखी एक ईंट से संतराम के चेहरे व सिर पर इतने वार किए कि बिस्तर पर ही उस की छटपटाते हुए मौत हो गई. घर में लूटपाट की वारदात को दर्शाया जा सके, इसलिए सब ने मिल कर घर का सामान भी इधरउधर बिखेर दिया. हालांकि मनोज वारदात के बाद संतराम की मोटरसाइकिल ले जाना चाहता था, लेकिन उस की चाबी उसे नहीं मिली.

बाद में जब मनोज अपने भाइयों के साथ वहां से चला गया तो सुशीला ने अपने कपड़े अस्तव्यस्त कर थोड़े फाड़ लिए और घर से बाहर निकल कर शोर मचा दिया कि बदमाशों ने उस के पति की हत्या कर दी है. मनोज से जब हत्याकांड की सारी जानकारी मिल गई तो पुलिस ने उसी दिन सुशीला को भी गिरफ्तार कर लिया. थोड़ी नानुकुर के बाद उस ने भी अपना अपराध कबूल कर लिया. जांच अधिकारी सुजीत उपाध्याय ने हत्या के मामले में आईपीसी की धारा 120बी व 34 जोड़ कर उन चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. सभी को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. UP Crime News

—कहानी पुलिस की जांच व आरोपियों से पूछताछ पर आधारित है

 

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