Crime Story : पूर्व उपमुख्यमंत्री प्यारेलाल कंवर ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि जो करोड़ों रुपए की संपत्ति उन्होंने अपने बच्चों के लिए जुटाई है, वही उन के परिवार में खून बहाने का जरिया बनेगी. काश! अपने जीते जी वह संपत्ति का बंटवारा कर जाते तो शायद…

छत्तीसगढ़ के औद्योगिक कोरबा जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है गांव भैंसमा. यह गांव छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री स्वर्गीय प्यारेलाल कंवर के गृहग्राम के रूप में जाना जाता है. कांग्रेस के महत्त्वपूर्ण आदिवासी क्षत्रप होने के कारण प्यारेलाल कंवर अविभाजित मध्य प्रदेश के दौरान सत्तर के दशक में पहली बार कांग्रेस सरकार में आदिम जाति कल्याण विभाग मंत्री बने. आगे राजस्व मंत्री के अलावा अस्सी के दशक में मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष और 90 के दशक में वह दिग्विजय सिंह मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री भी रहे. 21 अप्रैल, 2021 की सुबह की बात है. कोरबा के एसपी अभिषेक सिंह मीणा अभी सोए हुए ही थे कि उन का मोबाइल फोन बारबार बजने लगा.

उन्होंने फोन रिसीव किया तो देखा कोई अज्ञात नंबर था. उधर से आवाज आई, ‘‘सर, मैं गांव भैंसमा से बोल रहा हूं. यहां प्यारेलाल कंवर जी के बेटे और उन के परिवार के सदस्यों का मर्डर कर दिया गया है.’’

और फोन कट गया. एसपी अभिषेक सिंह मीणा को कोरबा जिले में पदस्थ हुए लगभग 2 साल हो चुके थे, इसलिए वह कोरबा के राजनीतिक और सामाजिक वातावरण को भलीभांति जानतेसमझते थे. वह जानते थे कि स्वर्गीय प्यारेलाल कंवर अविभाजित मध्य प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा नाम हुआ करते थे. उन के परिवार में हत्या की बात सुन उन्होंने मामले की गंभीरता को समझ कर अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों को फोन किया. सारी जानकारी ले कर तत्काल घटनास्थल पर पहुंचने की हिदायत देते हुए कहा कि वह स्वयं भी 15 मिनट में घटनास्थल पर पहुंच रहे हैं. देखते ही देखते कोरबा जिले से निकल कर संपूर्ण छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश  में यह खबर आग की तरह फैल गई कि प्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेता प्यारेलाल कंवर के बेटे हरीश कंवर (36), उन की पत्नी सुमित्रा कंवर (32) और बेटी आशी (4 वर्ष) की अज्ञात लोगों ने नृशंस हत्या कर दी है.

पुलिस विभाग के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे. इसी समय लोगों का हुजूम घटनास्थल के मकान के बाहर लगा हुआ था और लोग बड़े ही चिंतित घटना के संदर्भ में कयास लगा रहे थे. सूचना मिलते ही सुबह करीब 6 बजे राजनीति में प्यारेलाल कंवर के शिष्य रहे जय सिंह अग्रवाल,जो वर्तमान में कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार में राजस्व एवं आपदा कैबिनेट मंत्री हैं, घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने परिजनों से बातचीत कर के मामले की गंभीरता को समझने के बाद पुलिस अधिकारियों से बातचीत की. एसपी अभिषेक सिंह मीणा घटनास्थल पर आ चुके थे. उन्होंने तत्काल डौग स्क्वायड टीम बुलवाई और पुलिस टीम को निर्देश दिया  कि जितनी जल्दी हो सके इस संवेदनशील हत्याकांड के दोषियों को पकड़ कर कानून के हवाले करना होगा.

एडिशनल एसपी कीर्तन राठौड़ की अगुवाई में एक पुलिस टीम बनाई  गई, जो मामले की जांच में जुट गई.  मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया गया. पुलिस ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. हत्यारों ने हरीश कंवर, उन की पत्नी सुमित्रा और बेटी आशी की हत्या किसी धारदार हथियार से की थी, इसलिए घर में खून ही खून बिखरा था. पुलिस अधिकारियों ने हरीश कंवर के भाइयों व परिवार के अन्य सदस्यों से बात की. परिवार के सभी लोग राजनीति में ऊंची पहुंच रखते थे और समाज में उन की प्रतिष्ठा थी, इसलिए पुलिस अधिकारियों को इस बात का भी अंदेशा था कि कहीं इस घटना को ले कर लोगों का आक्रोश न फूट जाए. इसलिए पुलिस अधिकारी बड़ी ही तत्परता से इस तिहरे हत्याकांड की जांच में जुट गए.

पुलिस ने मौके की काररवाई करनी शुरू की. एसपी अभिषेक सिंह मीणा के निर्देश पर कई पुलिस टीमें अलगअलग ऐंगल से इस मामले की जांच में जुट गईं. जांच के दौरान खोजी कुत्ता घटनास्थल से करीब 100 मीटर दूर भैंसमा बाजार स्थल पर मौजूद एक पेड़ के पास जा कर ठहरा और वहां से चीतापाली की ओर जाने वाले मार्ग की ओर आगे बढ़ा. सीसीटीवी से मिला सुराग इस संकेत का पुलिस ने पीछा किया और कुत्ते का पीछा करते हुए पुलिस गांव ढोंगदरहा होते हुए सलिहाभाठा-नोनबिर्रा मार्ग तक पहुंची. आगे सलिहाभाठा डैम के पास जले हुए कपड़ों के अवशेष के पास जा कर कुत्ता रुक गया. पुलिस ने वह अवशेष जब्त कर लिए. पुलिस की एक टीम घटनास्थल के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरों को तलाशने लगी.

पड़ोसी के घर के बाहर लगे सीसीटीवी की फुटेज देखी तो उस में 2 संदिग्ध लोग हरीश कंवर के घर में घुसते दिखाई दिए. पुलिस की दूसरी टीम को जांच में यह भी पता चला कि आज ही किसी ने डायल 112 नंबर पर फोन कर के इस मार्ग पर सड़क दुर्घटना की सूचना दी थी. मौके पर पहुंची एंबुलेंस ने परमेश्वर कंवर नामक युवक को करतला अस्पताल में भरती कराया है. यह जानकारी मिलने पर पुलिस ने आसपास के लोगों से पूछताछ की तो पुलिस को वहां कोई सड़क हादसा न होने की जानकारी मिली. इस के बाद पुलिस अस्पताल में भरती परमेश्वर कंवर के पास पहुंची. पमेश्वर कंवर मृतक हरीश कंवर के बड़े भाई हरभजन कंवर का साला था, जो ग्रैजुएशन की पढ़ाई कर रहा था.

जांच में पुलिस को उस की आंख और चेहरे के आसपास जख्म दिखे, जो दुर्घटना के नहीं लग रहे थे. लग रहा था जैसे वह किसी धारदार हथियार के हों. पुलिस ने उस से पूछताछ की तो वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सका. इस से पुलिस को उस पर शक हो गया. उस से तिहरे हत्याकांड के बारे में पूछताछ की तो वह पुलिस को इधरउधर की बातें कर के खुद को बचाने की कोशिश करता रहा, मगर जब कड़ी पूछताछ हुई तो उस ने सच स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि अपने दोस्त सुरेंद्र कंवर की सलाह पर रामप्रसाद के साथ मिल कर उस ने यह वारदात की. उस से पूछताछ में पता चला कि यह कांड किसी और ने नहीं बल्कि हरीश कंवर के बड़े भाई हरभजन कंवर और उस की पत्नी धनकंवर ने कराया है.

पुलिस जांच में यह स्पष्ट हो गया कि हत्या हरीश के बड़े भाई हरभजन के सहयोग से  उस के साले मुख्य अभियुक्त परमेश्वर कंवर द्वारा अंजाम दी गई है. धीरेधीरे सारे तथ्य एकदूसरे से मिलते चले गए और उसी रोज शाम होतेहोते हरीश कंवर परिवार हत्याकांड से परदा उठ गया. परमेश्वर कंवर से पूछताछ करने के बाद पुलिस टीम ने उसी समय मृतक के भाई हरभजन कंवर, उस की पत्नी धनकंवर व नाबालिग बेटी रंजना को भी हिरासत में ले लिया. इन सभी से पूछताछ के बाद इस तिहरे हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली—

स्वर्गीय प्यारेलाल कंवर के 4 बेटे और 3 बेटियां थीं. सब से बड़े बेटे हरबंश कंवर, दूसरे हरदयाल कंवर, तीसरे हरभजन कंवर और चौथे सब से छोटे थे हरीश कंवर. एक बेटी हरेश कंवर वर्तमान में जिला पंचायत, कोरबा की अध्यक्ष हैं. बाकी 2 बड़ी बेटियां शासकीय नौकरी में हैं. प्यारेलाल कंवर के दूसरे नंबर के पुत्र हरदयाल कंवर जो अधिवक्ता थे, का लगभग 5 साल पहले निधन हो चुका है. वर्तमान में हरवंश, हरभजन और हरीश कंवर प्यारेलाल के 3 बेटे जीवित थे. हरीश कंवर प्यारेलाल कंवर के रहते उन की विरासत को संभालते हुए कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हुए और सन 2010 में जिला पंचायत का चुनाव लड़ा मगर पराजित हो गए.

उन्होंने प्यारेलाल कंवर के संरक्षण में राजनीति की शुरुआत की. आगे पूर्व मुख्यमंत्री अजीत कुमार जोगी के साथ अपनी तालमेल बिठा ली. अजीत जोगी का हरीश को पुत्रवत स्नेह मिलता था और हरीश ने अपने रामपुर विधानसभा क्षेत्र में अजीत जोगी और उन के बेटे अमित जोगी को बुला कर कुछ राजनीतिक कार्यक्रम किए थे. उन्होंने एक बहुचर्चित लैंको पावर प्लांट के खिलाफ आंदोलन कर स्थानीय भूविस्थापितों के लिए बिगुल फूंका था. आगे स्थितियां ऐसी बनती चली गईं कि कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर पहुंच गई थी. ऐसे में जहां अजीत जोगी ने अपना एक अलग खेमा पूरे प्रदेश में तैयार कर लिया था, वहीं उन के 36 के संबंध स्थानीय बड़े नेताओं के साथ बने हुए थे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डा. चरणदास महंत, भूपेश बघेल, जयसिंह अग्रवाल वगैरह अपने एक अलग खेमे में थे.

ऐसे में कांग्रेस के इस खेमे से हरीश कंवर की दूरी बनती चली गई और हरीश कंवर खुल कर छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रहे अजीत कुमार जोगी के स्थानीय झंडाबरदार बन गए. दूसरे खेमे ने हरीश कंवर को तवज्जो देनी बंद कर दी. आगे चल कर जब अजीत जोगी ने ‘जनता कांग्रेस जोगी’ पार्टी का गठन किया तो हरीश कंवर इस पार्टी में ग्रामीण अध्यक्ष, कोरबा बन कर शामिल हो गए और क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने लगे. पूरे परिवार की धमक थी राजनीति में दूसरी तरफ प्यारेलाल कंवर के अनुज श्यामलाल कंवर जो पुलिस में डीएसपी पद से सेवानिवृत्त हो चुके थे, वह कांग्रेस नेता डा. चरणदास महंत के क्षेत्रीय खेमे से जुड़ गए थे. इस तरह परिवार में भी खेमेबाजी सामने आ चुकी थी.

श्यामलाल कंवर सन 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी से विधायक निर्वाचित हुए थे. इधर हरीश कंवर अजीत जोगी के पक्ष में चले गए और उन्होंने उन का झंडा थाम लिया था. सन 2018 के विधानसभा चुनाव में श्यामलाल कंवर को फिर विधानसभा का प्रत्याशी कांग्रेस पार्टी ने बनाया. दूसरी तरफ अजीत प्रमोद कुमार जोगी ने भी अपना प्रत्याशी फूल सिंह राठिया को खड़ा कर दिया. कांग्रेस के इस झंझावात में श्यामलाल कंवर चारों खाने चित हो गए और तीसरे नंबर में आ कर ठहर गए. प्यारेलाल कंवर का परिवार राजनीति से अब दूर हो चुका था और सामान्य जीवन व्यतीत कर रहा था. अजीत कुमार जोगी की पार्टी के धराशाई होने के बाद हरीश कंवर राजनीति के हाशिए पर आ गए थे और अपने गांव भैंसमा में उन्होंने खाद, बीज की एक दुकान खोल ली थी.

मूलरूप से काश्तकार परिवार प्यारेलाल कंवर के वंशज अपना जीवनयापन शांतिपूर्वक कर रहे थे. इसी बीच भैंसमा में एक ऐसा नृशंस हत्याकांड हुआ, जिसे कोरबा के इतिहास में कभी भी भुलाया नहीं जा सकेगा. धनकंवर को थी धन की लालसा दरअसल, हरभजन कंवर की पत्नी धनकंवर ने जब सुना कि हरीश कंवर ने पैतृक संपत्ति पर लगभग अपना कब्जा स्थापित कर लिया है तो उस ने पति हरभजन के कान भरने शुरू कर दिए. एक दिन वह मौका देख कर बोली, ‘‘ऐसे कैसे चलेगा, तुम क्या सब कुछ छोटे (हरीश) को दे दोगे, क्या हमारा उस पर कोई हक नहीं है.’’

हरभजन ने हंसते हुए कहा, ‘‘तुम्हें किस बात की कमी है, मैं तो किसान हूं. हमें चाहिए क्या, 2 वक्त की रोटी मिल ही जाती है. हमारे 2 बेटे हैं, फिर हमें क्या चिंता है.’’

पत्नी ने यह सुन कर कहा, ‘‘आप बहुत भोलेभाले हो. भोपाल की, यहां की करोड़ों रुपए की संपत्ति क्या अकेले हरीश की हो जाएगी, हमारा भी तो उस पर अधिकार है.’’

हरभजन ने समझाया, ‘‘अभी संपत्ति का कोई बंटवारा तो पिताजी ने किया नहीं था, सब कुछ हरीश की देखरेख में है, कहां कुछ कोई ले जाएगा.’’

पत्नी धनकंवर तड़प कर बोली, ‘‘ सचमुच आप बहुत ही भोले हो. वह सारी धान की  पैदावार को भी बेच देता है. लाखों रुपए का बोनस अपनी तिजोरी में भर रहा है और तुम भोलेभंडारी बन कर बैठे रहो. एक दिन हम लोगों को यह हरीश धक्के मार के घर से भी निकाल देगा, तब तुम पछताओगे.’’

यह सुन कर हरभजन ने नाराज होते हुए कहा, ‘‘तो मैं क्या करूं, तुम ही बताओ, हम ने उसे गोद में खिलाया है, मेरा सगा भाई है वह. उसे मैं क्या बोलूं और कैसे बोलूं.’’

पत्नी धनकुंवर ने कहा, ‘‘पैसों और जमीन जायजाद के मामले में मैं ने देखा है कि कोई किसी का नहीं होता, बड़े भैया के निधन के बाद क्या उन के परिवार वालों को मानसम्मान की जिंदगी मिल रही है? तुम खुद देखो हरीश सिर्फ अपने बीवीबच्चों की खुशी में ही लगा रहता है. अगर उसे अपने भाई के परिवार के प्रति जरा भी संवेदना होती तो क्या उस के परिवार की हालत इतनी खराब होती? अभी भी समय है बंटवारा कर लो…’’

‘‘मैं क्या छोटे को बंटवारे के बारे में कहूंगा. उस का रंगढंग तो तुम जानती ही हो, वह किसी की बात कहां सुनता है और सुन कर दूसरे कान से निकाल देता है.’’ हरभजन कंवर ने कहा.

‘‘मगर यह कैसे चल सकता है, मैं यह सब बरदाश्त नहीं कर सकती,’’ उफनती नदी की धारा की तरह कहती धनकुंवर अपने रोजाना के कामकाज में लग गई.

इधर रोजरोज के वादविवाद से त्रस्त  अंतत: हरभजन कंवर ने हथियार डाल दिए और कहा, ‘‘ठीक है, तुम्हें जैसा अच्छा लगे बताओ.’’

धनकंवर ने अपने भाई परमेश्वर कंवर, जोकि पास ही के गांव फत्तेगंज में रहता था और अकसर भैंसमा आया करता था, से धीरेधीरे बातचीत कर के उसे अपने मन मुताबिक बना लिया. भाई के साथ रची साजिश  धनकंवर ने एक दिन उस से कहा, ‘‘भाई, तुम बहन की कोई मदद नहीं कर रहे, ऐसा भाई भी किस काम का.’’

इस पर परमेश्वर ने कहा, ‘‘बहन आखिर तुम क्या चाहती हो, मुझे बताओ.’’

परमेश्वर की जानकारी में जमीनजायदाद का विवाद पहले ही आ चुका था. उसे लगता था कि जरूर यही कोई बात होगी जो बहन कहने वाली है.

…और हुआ भी यही. बहन धनकुंवर ने कहा, ‘‘छोटे (हरीश) ने सारी संपत्ति पर अधिकार जमा लिया है. क्या कुछ ऐसा करें कि बात बन जाए. तुम कोई ऐसा वकील देखो, जो हमें न्याय दिला सके.’’

परमेश्वर ने कहा, ‘‘वकील और कोर्ट कचहरी के चक्कर में तो न जाने कितना समय लग जाएगा. क्यों न हम…’’ कह कर परमेश्वर चुप हो गया. बहन धनकंवर ने परमेश्वर के मौन होने पर कहा, ‘‘चुप क्यों हो गए? क्या कहना चाहते हो?’’

परमेश्वर ने धीरे से कहा, ‘‘क्यों न हम हरीश को ही रास्ते से हटा दें.’’

‘‘क्या मतलब… क्या कहना चाहते हो?’’ वह बोली.

‘‘सीधी सी बात है, मैं कहना चाहता हूं हरीश का खात्मा.’’ उस ने बात स्पष्ट की.

सोच कर के धनकंवर ने कहा, ‘‘वाह, यह तो बहुत अच्छा होगा, मगर यह कैसे संभव होगा?’’

‘‘उस की फिक्र मत करो. हां, कुछ पैसा लगेगा, मैं अपने एक दोस्त को तैयार करता हूं, उसे मैं जैसे कहूंगा वह करेगा. तुम बस जीजाजी को संभाल लेना.’’

बहन ने कहा, ‘‘भाई, तुम उन की चिंता मत करो, मैं उन्हें समझाने की कोशिश करती हूं. मैं तो बारबार उन्हें कहती रहती हूं. मगर वह मेरी सुनते ही नहीं, अब मैं कोशिश करूंगी कि ठीक से उन्हें मना ही लूं.’’

इस चर्चा और घटनाक्रम के बाद परमेश्वर और बहन धनकंवर दोनों ने मिल कर हरीश कंवर की कहानी का पटाक्षेप करने की योजना बनानी शुरू कर दी. हरीश कुंवर के परिवार को खत्म करने की जो योजना बनी, उसे 21 अप्रैल 2021  दिन बुधवार सुबहसवेरे 4 बजे अमलीजामा पहनाया गया. हरीश (36 वर्ष), पत्नी सुमित्रा ( 32 ) अपनी 4 वर्षीय बेटी आशी के साथ अभी नींद में ही थे कि भाई हरभजन परिवार सहित सुबह हमेशा की तरह अपने कमरे से सुबह की सैर के लिए निकल गया. पिता हरभजन के निकलते ही उस की 16 वर्षीय बेटी रंजना (काल्पनिक नाम) ने अपने मामा परमेश्वर कंवर को मोबाइल पर मैसेज किया कि पापा सैर पर निकल गए हैं.

यह मैसेज मिलते ही परमेश्वर ने अपने दोस्त रामप्रसाद मन्नेवार को फोन किया और दोनों थोड़ी ही देर में भैंसमा स्थित हरीश कंवर के पैतृक आवास के पास आ गए. बेरहमी से किए 3 कत्ल यहां उन्हें खबर नहीं थी कि चौराहे पर एक दुकान पर सीसीटीवी कैमरा लगा है, जिस में दोनों के आने का वीडियो फुटेज रिकौर्ड हो गया है. दोनों हरीश कंवर के कमरे में चले गए और बकरी को रेतने का हथियार (कत्ता) निकाल कर हरीश पर हमला कर दिया. दोनों के एक साथ धारदार हथियार से हमला करने से हरीश कंवर हड़बड़ा कर खून से लथपथ उठ खड़े हुए. उन्होंने अपना बचाव करने की कोशिश की, मगर दोनों ने उन पर लगातार हमले किए.

हरीश ने साहस के साथ अपने आप को बचाने का खूब प्रयास किया और हमलावरों से हथियार छीनने की कोशिश की, मगर सफल नहीं हो पाए. अंतत: दोनों ने मिल कर हरीश को वहीं मौत की नींद सुला दिया. होहल्ला सुन कर हरीश कंवर की पत्नी सुमित्रा उठ खड़ी हुई और पति का बचाव करने आगे बढ़ी कि उन्हें भी दोनों ने मिल कर धारदार हथियार से हमला कर मार डाला. 4 साल की आशी चिल्लाहट सुन कर के उठ कर रो रही थी. दोनों हत्यारों ने बच्ची आशी की भी वहीं नृशंस हत्या कर दी. इस के बाद वे कमरे से बाहर निकले तो शोरगुल सुन कर हरीश की 82 वर्षीय मां जीवनबाई वहां पहुंचीं. उन्हें बहुत कम दिखाई देता था. वह चिल्लाहट सुन कर ‘क्या है…क्या हो गया’ पूछने लगीं तो उन्हें कोई जवाब न दिया. दोनों ने उन्हें धक्का देते हुए नीचे गिरा दिया और वहां से भाग खड़े हुए.

हत्याकांड को अंजाम दे कर दोनों बाहर आए तो सुबह के लगभग साढ़े 4 बज रहे थे. अभी चारों ओर अंधेरा ही था. परमेश्वर और रामप्रसाद घर के बाहर आए और दोनों ने यह योजना बनाई कि जब तक मामला शांत नहीं हो जाता, दोनों अलगअलग हो जाएं और जब स्थितियां ठीक होंगी तो मुलाकात की जाएगी. परमेश्वर आगे बढ़ा तो उसे यह खयाल आया कि उस के कपड़े खून से सन गए हैं और उस के चेहरे पर चोट आई है, जहां से खून बह रहा है. मगर वह आगे गांव सलिहाभाठा की ओर बढ़ गया. आगे सिंचाई विभाग के डैम के पास  उस ने अपने रक्तरंजित कपड़ों को जला दिया और डैम में नहाधो कर उस ने डायल 112 नंबर पर फोन कर के खुद का एक्सीडेंट होने की सूचना दे दी. फिर वह करतला अस्पताल में भरती हो गया.

दूसरी तरफ रामप्रसाद कोरबा जिला के समीप जिला चांपा जांजगीर के एक गांव में अपने रिश्तेदार के यहां चला गया. जहां से नगरदा थाना पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर उरगा पुलिस के हवाले कर दिया. देर शाम को एसपी अभिषेक सिंह मीणा ने एसपी औफिस में एक पत्रकार वार्ता आयोजित कर सभी आरोपियों को प्रैस के समक्ष उपस्थित कर सारे घटनाक्रम से परदा उठा दिया. पुलिस ने हरीश कंवर, उन की सुमित्रा और बेटी आशी की हत्या के आरोप में आरोपियों हरभजन कंवर, पत्नी धनकंवर, बेटी रंजना, साले परमेश्वर कंवर और उस के दोस्त रामप्रसाद मन्नेवार और सुरेंद्र कंवर के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201, 120बी के तहत गिरफ्तार कर कोरबा के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष पेश किया, जहां से रंजना के अलावा सभी आरोपियों को जेल भेज दिया गया. रंजना को बाल सुधार गृह भेजा गया. Crime Story

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

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