Hindi love Story in Short : बेंगलुरु के रहने वाले 28 वर्षीय शंकर और 24 वर्षीय मानसा ने 5 साल पहले लव मैरिज की थी. उन के एक बेटी भी थी. फिर एक दिन ऐसा क्या हुआ कि पत्नी को दिलोजान से चाहने वाला शंकर पत्नी की हत्या कर सिर थाने ले गया?

शंकर बस से अपने किराए के घर की तरफ लौट रहा था. शाम का वक्त था. वह एक कंपनी में काम करता था. उस रोज उस की स्कूटी खराब हो गई थी. उसे ठीक करवाने के लिए वह उसे सुबह ही मैकेनिक के पास छोड़ आया था. पहले उसे स्कूटी लेनी थी, फिर घर जाना था. वह थका हुआ था और परेशान भी था. भीड़भाड़ वाली बस में उसे बैठने की सीट नहीं मिली थी. किसी तरह सीट मिली तो बैठ गया था. दिमाग में कई बातें चल रही थीं. पत्नी मानसा के ताने, बढ़ा हुआ खर्च, ऊपर से अचानक स्कूटी ठीक कराने का खर्च…

वह अपने उलझे हुए विचारों में खोया था. मन में ही अचानक आए खर्च का हिसाबकिताब लगा रहा था. इसी साल किराए का कमरा लेने और बेटी को स्कूल में दाखिले पर भी काफी खर्च आ गया था. ऊपर से पत्नी की फरमाइशें कम होने का नाम ही नहीं ले रही थीं. अब नया खर्च स्कूटी मरम्मत का आ गया था. कंपनी से कर्ज भी ले चुका था. उस के पीछे सीट पर बैठी 2 औरतों की बातें सीधे उस के कानों तक आ रही थीं, जिस से उस का ध्यान पैसे का हिसाब लगाने में बंट रहा था. तभी बस में ब्रेक का झटका लगा. शंकर ने खुद को संभाला, लेकिन दोनों औरतें अपनी बातों में मशगूल थीं.

”अपने बच्चे को अकेली छोड़ कर गांव गई थी?’’ एक औरत बोली.

”हां, तो क्या हुआ? मैं अपनी बड़ी बेटी को अच्छी तरह समझा कर गई थी. कहीं इधरउधर मत जाना. जरूरत पडऩे पर आंटी से मदद मांग लेना.’’ दूसरी औरत बोली.

”कौन आंटी?’’ पहली औरत ने पूछा.

”अरे, वो हम लोगों की उम्र की है. आंटी तो मैं ने अपने बच्चों के लिए कहा. नई किराएदार है. पतिपत्नी दोनों ही सुबहसुबह काम पर जाते हैं. उस की भी एक बेटी है. मेरे बच्चों से घुलीमिली है.’’ दूसरी औरत समझाती हुई बोली.

”अरे, वह औरत! उसे कई बार मैं ने दिन में कमरे पर एक मर्द के साथ देखा है. पहली बार जब वह आया था, तब उस ने मुझ से ही उस औरत का पता पूछा था.’’

”तुम उस से मिल चुकी हो?’’

”हां, उसी रोज मिली थी पहली बार. पूछने पर उस ने बताया था कि वह उस के रिश्ते का भाई है.’’ पहली औरत बोली.

”अरे नहीं, वह कोई भाईवाई नहीं है.ऐसे ही उस के गांव का है. छोड़ो न, क्या करना उस के बारे में जान कर? क्या करना हमें दूसरों की जिंदगी में झांक कर?’’ दूसरी औरत बोली.

”मैं तो उस के मरद को पहचानती भी नहीं हूं.’’ पहली औरत बोली.

”मैं ने भी उसे कहां कभी देखा है.’’

शंकर को पत्नी पर हो गया शक

शंकर उन की बातों से इतना तो समझ ही गया था कि ये दोनों औरतें उस की पड़ोसी हैं. वे उस की और पत्नी मानसा के बारे में ही बातें कर रही हैं. शायद उसे नहीं पहचानती हैं या फिर वे उस की पीठ पीछे बैठी हैं, इसलिए पहचान न पाई हों. जो भी हो, उन की बातों से शंकर और भी विचलित हो गया था, यह सुन कर कि उस के पीछे पत्नी से मिलने कोई मर्द भी आता है. पड़ोसी उसे दूर का भाई समझते हैं. जल्द ही उस का बस स्टाप आ गया, जहां उस ने बाइक मरम्मत के लिए दी थी. वह बस से उतर गया.

उस रोज उसे कमरे पर पहुंचने में काफी देर हो गई थी. मनसा मुंह फुलाए बैठी थी. उसे देखते ही उस पर बरस पड़ी. दूध,चीनी, चाय, सब्जी के घर में नहीं होने से बात शुरू हुई और घरगृहस्थी की समस्याओं की शंकर पर बौछार होने लगी. बात बढ़तेबढ़ते तीखी बहस में बदल गई. काफी देर तक उन के बीच तूतूमैंमैं चलती रही. अंत में बात मनसा के मायके जाने पर रुक गई. शंकर के लिए उस के मायके जाने का मतलब था एक और खर्च. उस वक्त वह चुप लगा गया. मनसा से मिलने आने वाले किसी मर्द के बारे में जानने की शंका का समाधान नहीं निकल पाया.

घर में जो कुछ पका था, खा कर सोने चला गया. बैड के पास में अपनी बिछावन बिछा ली थी. काफी थका था, फिर भी नींद नहीं आ रही थी. दिमाग में एक ही बात घूम रही थी कि आखिर उस के घर में नहीं रहने पर कौन पत्नी मनसा से मिलने आता है?

28 वर्षीय शंकर बेंगलुरु जिले के हेन्नागारा गांव का निवासी था, जिस ने करीब 5 साल पहले 24 साल की मनसा से लव मैरिज की थी. वह उस के साथ कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के बाहरी इलाके हीलालिगे गांव, चंदापुरा (अनेकल तालुक) में किराए के मकान में रहता था. उस की एक 4 वर्षीय बेटी थी. घरपरिवार का खर्च चलाने के लिए दोनों पतिपत्नी अलगअलग कंपनियों में काम करते थे. शंकर को कुछ समय से पत्नी मनसा पर शक था कि उस के किसी और पुरुष से अवैध संबंध हैं. बस में 2 महिला यात्रियों की बातों से उस का शक और भी गहरा गया. इसी बात को ले कर दोनों के बीच अकसर झगड़ा होने लगा.

इस का पता लगाने के लिए शंकर ने एक योजना बनाई. वह झूठ बोल कर अपने काम पर चला गया कि रात को घर नहीं लौटेगा. किंतु रात को ही वापस लौट आया. उस रोज तारीख थी 3 जून. वहां उस ने मनसा को एक ही कमरे में गैरमर्द के साथ पकड़ लिया. उस वक्त मनसा ने उसे अपने दूर के रिश्तेदार का भाई बता कर उस के साथ के अवैध संबंध को सिरे से इनकार कर दिया. अगले रोज गुस्से में मनसा अपने मायके चली गई. किंतु 2 दिनों के बाद ही 6 जून की दोपहर को वह अपनी बेटी के साथ वापस शंकर के पास लौट आई. शाम को जब शंकर अपनी ड्यूटी से लौटा, तब मनसा को घर पर देख कर चौंक गया.

उस ने समझा कि मानसा अपनी गलती मान लेगी. किंतु उन के बीच तो फिर बहस होने लगी. मनसा ने अपनी बेटी का हवाला दे कर समझौता करने की कोशिश की और उस की कसम भी खाने लगी. जैसे ही मनसा ने खुद को दूध का धुला साबित करने के लिए अपनी बेटी के सिर पर हाथ रखा, शंकर आगबबूला हो गया. उस ने आव न देखा ताव, तुरंत घर में छिपा कर रखी दरांती निकाल लाया. शंकर के हाथ में दरांती देख कर मनसा सहम गई, लेकिन अगले पल अकड़ती हुई उस के सामने आ कर खड़ी हो गई. चीखती हुई बोली, ”तुम मुझे मार डालोगे क्या…मैं तुम्हारी बीवी हूं…हम ने इसी दिन के लिए अपनी मरजी से शादी की थी? मैं…मैं बेटी की कसम खा रही हूं, फिर भी मुझ पर शक करते हो!’’

पत्नी की हत्या कर सिर ले कर पहुंचा थाने

यह सुन कर शंकर आपे से बाहर हो गया था. उस ने तेजी से दरांती उस की गरदन पर चला दी. अगले पल मनसा का धड़ जमीन पर था और उस का सिर दूर जा गिरा था. उस का शक और गुस्सा मनसा पर भारी पड़ा था. कुछ समय तक हाथ में पकड़ी दरांती से टपकते खून को देखता रहा. उस वक्त वहां का माहौल ठीक दक्षिण भारतीय फिल्म के किसी भयावह हिंसक दृश्य की तरह बन गया था. जमीन पर खून ही खून फैला पड़ा था. एक कोने में उस का औंधा पड़ा सिर था. शंकर ने दोनों पर एक नजर डाली.

उस ने दरांती को एक किनारे फेंका और दूसरे हाथ से सिर के लंबे बालों को पकड़ कर कटा सिर उठा लिया. उसे एक थैले में रखा, फिर एक झटके में घर से बाहर निकला. उस की स्कूटी वहीं बाहर खड़ी थी, जिसे ले कर वह चल पड़ा. उस ने पत्नी की लाश को घर में ही छोड़ दिया. थोड़ी देर में ही वह सूर्य नगर थाने में था. सिर के थैले को थानेदार के सामने टेबल पर रख दिया और धीमी आवाज में बोला, ”साहब, मैं ने अपनी पत्नी का खून कर दिया है. यह है उस का कटा सिर.’’

उस वक्त रात के 11 बज चुके थे. थाने में मौजूद तमाम पुलिसकर्मी शंकर को आश्चर्य से देखने लगे थे.

सभी हैरान थे कि अपनी पत्नी का सिर काट कर वह आत्मसमर्पण करने आया था. उस के चेहरे पर उस वक्त भी आक्रोश की रेखाएं खिंची हुई थीं. अफसोस या पश्चाताप नाम की जरा भी झलक नहीं थी. पुलिस अधिकारी ने शंकर के आत्मसमर्पण के आधार पर उस के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया. साथ ही मनसा के फेमिली वालों को इस की सूचना दे दी. अगले दिन 7 जून की सुबह मनसा की मम्मी थाने आई. पुलिस की प्रारंभिक जांच से पता चला है कि शंकर ने इस हत्या की पहले से ही योजना बना ली थी. हत्या से पहले ही उस ने पास की एक दुकान से दरांती खरीदी थी.

पूरे इलाके में दिल दहला देने वाली इस घटना की चर्चा होने लगी थी कि एक व्यक्ति ने प्रेम प्रसंग और शक के चलते अपनी पत्नी का सिर कलम कर दिया था. चौंकाने वाली चर्चा यह भी होने लगी थी कि हत्यारे ने कटा हुआ सिर पुलिस के पास ले जा कर आत्मसमर्पण कर दिया था. सूर्य नगर थाने की पुलिस ने घटनास्थल पर जा कर गहन जांच की. वहीं हत्या में इस्तेमाल दरांती भी बरामद कर ली गई. पासपड़ोस से पूछताछ पर मालूम हुआ कि उन के घर से अकसर झगडऩे की आवाजें आती रहती थीं, जिसे वे पतिपत्नी के बीच का निजी मामला समझ कर नजरंदाज कर दिया करते थे. इस पूरे मामले के संबंध में बेंगलुरु (ग्रामीण) के एसपी सी.के. बाबा ने मीडिया को विस्तार से जानकारी दी.

मनसा की मम्मी ने पुलिस को बताया कि शंकर हमेशा उन की बेटी से झगड़ता रहता था. वह शराब के नशे में गालियां देता था. मारतापीटता था. हत्या के 2 दिन पहले झगड़ कर मनसा उस के पास आई थी. उस ने अपने पति की बहुत शिकायत की थी. फिर भी उन्होंने उसे समझाबुझा कर वापस भेज दिया था.

कथा लिखे जाने तक शंकर से पूछताछ करने के बाद जेल भेज दिया था. उस की बेटी को मनसा की मम्मी अपने साथ ले गई थी. Hindi love Story in Short

 

 

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