MP Crime News : शादीशुदा 25 वर्षीय कविता गुप्ता के कदम पड़ोसी 25 वर्षीय नमन विश्वकर्मा की तरफ बहक गए. इस के बाद वह कविता को अपनी बाइक पर न सिर्फ घुमाता, बल्कि उस पर दिल खोल कर पैसे भी खर्च करने लगा. वह कविता पर शादी का दबाव बनाने लगा, लेकिन कविता इस के लिए तैयार नहीं थी. इसी जिद में नमन एक दिन ऐसा कांड कर बैठा कि उसे जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ा. आखिर क्या किया नमन ने?

25 मई, 2025 शाम का वक्त था, जब जबलपुर में बरगी डैम के किनारे बसे गांव बरबटी के लोगों ने डैम की तरफ से किसी बच्चे के रोने की आवाज सुनी. पहले तो लोगों ने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब बच्चे के रोने की आवाज लगातार आती रही तो कुछ लोग डैम की तरफ यह देखने चले गए कि पता नहीं कोई बच्चा इतनी देर से क्यों रो रहा है.

जब गांव वाले वहां पहुंचे तो वहां का नजारा देख कर चौंक गए. डैम के किनारे एक युवती पड़ी थी. वह खून से लथपथ थी. उस घायल युवती के पास खड़ी 3-4 साल की बच्ची रो रही थी. इसी दौरान किसी ने इस की सूचना बरगी चौकी में फोन द्वारा दे दी. सूचना मिलते ही चौकी इंचार्ज एसआई सरिता पटेल मौके पर पहुंच गईं. उन्होंने देखा कि वहां लगभग 25 साल की निहायत ही खूबसूरत युवती गंभीर रूप से घायल पड़ी थी. जिस के पास खड़ी कोई 3-4 साल की एक बच्ची लगातार ‘मम्मी…मम्मी’ कहते हुए रोए जा रही थी.

एसआई पटेल ने बिना वक्त जाया किए घायल युवती को इलाज के लिए मैडिकल कालेज, जबलपुर भेज दिया. डाक्टरों ने तुरंत उस का इलाज शुरू कर दिया, लेकिन 27 मई को 2 दिन के उपचार के बाद घायल युवती ने दम तोड़ दिया. दम तोडऩे से पहले पुलिस को युवती अपना नाम कविता गुप्ता निवासी बलदेव बाग, जबलपुर बता चुकी थी. उस ने पुलिस को यह भी बताया कि उस के ऊपर हमला उस के पड़ोस में रहने वाले युवक नमन विश्वकर्मा ने किया था.

कविता गुप्ता की मौत के बाद पुलिस ने बलदेव बाग के ही रहने वाले नमन विश्वकर्मा के खिलाफ हत्या का मामला बीएनएस की धारा 109, 109 (1) के तहत दर्ज कर लिया. नमन आपराधिक प्रवृत्ति का युवक था. उस के खिलाफ थाने में कई मामले दर्ज थे. आरोपी नमन को गिरफ्तार करने के लिए एसपी (जबलपुर) संपत उपाध्याय ने एडिशनल एसपी (ग्रामीण) समर वर्मा के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई. टीम में एसपी (सिटी) अंजुल अयंक मिश्रा, थाना बरगी के एसएचओ कमलेश चौरिया, बरगी नगर चौकी इंचार्ज सरिता पटेल, एसआई मुनेश लाल कोल, एएसआई भैयालाल वर्मा, हैडकांस्टेबल उदय प्रताप सिंह, कांस्टेबल अरविंद सनोडिया, मिथलेश जायसवाल, शेर सिंह बघेल, सतन मरावी, राजेश वरकडे, सत्येंद्र मरावी, सुखदेव अहाके, रवि शर्मा आदि को शामिल किया गया.

पुलिस के पास आरोपी का मोबाइल नंबर पहले से मौजूद था. उस घटना के बाद से वह बंद था, इसलिए पुलिस मुखबिरों की मदद से नमन की तलाश में जुटी थी. हफ्ते भर बाद पहली जून को पुलिस को खबर मिली कि नमन घटनास्थल के पास जंगल में छिपा कर रखी अपनी बाइक लेने बरगी डैम आया है. इस सूचना पर पुलिस ने घेराबंदी कर उसे गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस चौकी में 25 वर्षीय नमन विश्वकर्मा से पूछताछ की तो वह कविता गुप्ता की हत्या में अपना हाथ होने से इंकार करता रहा, लेकिन पुलिस ने उस के मोबाइल की लोकेशन और घटना वाले दिन के कुछ सीसीटीवी फुटेज उस के सामने रखे, जिन में वह कविता गुप्ता को बाइक पर बैठा कर बरगी डैम की तरफ आता दिखाई दे रहा था. ये सारे सबूत देख कर उस ने कविता की हत्या करने का अपराध स्वीकार कर लिया. इस के बाद उस ने हत्या के पीछे की सारी कहानी पुलिस के सामने बयां कर दी. पुलिस ने आरोपी नमन विश्वकर्मा के पास से हत्या में प्रयुक्त चाकू और बाइक बरामद कर ली.

मध्य प्रदेश के जिला जबलपुर के कोतवाली थाना इलाके में स्थित संगम कालोनी, बलदेव बाग में रहने वाली कविता गुप्ता का पति पुनीत गुप्ता सिविक सेंटर चौपाटी पर पावभाजी का ठेला लगाता था. पति का सुबह का समय दुकान के लिए माल तैयार करने में निकल जाता था, जिस के बाद शाम को वह अपना ठेला ले कर सिविक सेंटर निकल जाता था. उस के बाद वह देर रात वापस आता था. कविता गुप्ता पढ़ीलिखी और खूबसूरत होने के अलावा माडर्न खयालों की युवती थी. वह जब जींसटौप पहन कर बाजार में निकलती तो न तो कोई उसे शादीशुदा कह सकता था और न किसी खोमचे वाले की पत्नी.

पति खूब प्यार करता था, कमाता भी अच्छा था, इसलिए कविता गुप्ता को पति से केवल एक ही शिकायत थी कि वह उस के लिए उतना समय नहीं निकाल पाता था, जितना वह चाहती थी. शहर में मनाए जाने वाले त्यौहार, उत्सव और दूसरे ऐसे मौकों पर जब लोग परिवार को ले कर घरों से बाहर निकलते थे, तब कविता गुप्ता को अकेले ही बेटी को ले कर उसे शहर की रौनक दिखाने जाना पड़ता था, क्योंकि ऐसे मौकों पर पति का धंधा ज्यादा चलने के कारण वह फ्री होने के बजाए और ज्यादा बिजी रहता था.

कोई 2 साल पुरानी बात है. एक रोज कविता गुप्ता अपनी बेटी को ले कर ग्वारी घाट जाने के लिए निकली, तभी पीछे से बाइक ले कर उस के पड़ोस में रहने वाला युवक नमन विश्वकर्मा आ कर उस से नमस्ते करते हुए बोला, ”भाभीजी, कहां जा रही हैं आप?’’

कविता गुप्ता उसे जानती थी. इसलिए उस ने छोटा सा जबाव दिया, ”ग्वारी घाट.’’

”मैं उसी तरफ जा रहा हूं. चलिए, मैं छोड़ देता हूं आप को.’’

कविता गुप्ता को नमन के साथ बाइक पर बैठने में कोई बुराई नजर नहीं आई, इसलिए अपनी 3 वर्षीय बेटी को गोद में लिए हुए वह नमन के साथ बाइक पर बैठ गई. ग्वारी घाट पर उतर कर उस ने नमन को धन्यवाद दिया. नमन बोला, ”अभी अपना धन्यवाद बचा कर रखिए. मैं 2 घंटे बाद इसी जगह मिलूंगा. आप को वापस ले चलूंगा, तभी धन्यवाद दे देना.’’ कहते हुए वह कविता गुप्ता का जवाब सुने बिना वहां से चला गया.

फिर 2 घंटे बाद नमन वहां आया तो कविता बेटी के साथ वहीं मिली. नमन ने उसे बाइक पर बिठाया और उसे वापस घर छोड़ दिया. उसी समय उस ने कविता को अपना फोन नंबर देते हुए कहा, ”जब भी कहीं जाना हो फोन कर दीजिए, आप की मदद कर के मुझे खुशी होगी.’’

कविता गुप्ता ने उस का नंबर घर जा कर मोबाइल में सेव कर लिया. लेकिन यह बात उसे परेशान कर रही थी कि आखिर नमन उस का इतना ध्यान क्यों रखना चाहता है. इसलिए घंटे भर बाद ही उस ने नमन को फोन लगा कर उस रोज की मदद के लिए धन्यवाद देते हुए उस की इस मेहरबानी का कारण भी पूछा.

नमन बोला, ”अरे, कोई खास कारण नहीं है भाभीजी. मैं जानता हूं कि भैया बिजी रहते हैं, इसलिए आप को अकेले परेशान होते देख कर मुझे अच्छा नहीं लगता.’’

कविता गुप्ता हाजिरजवाब थी, सो तुरंत बोली, ”इस अच्छा न लगने का कारण?’’

”कारण तो कई हो सकते हैं. वक्त आने पर बता भी दूंगा, लेकिन फिलहाल तो इसे पड़ोसी धर्म मान लो.’’

कविता गुप्ता को नमन का जवाब अच्छा लगा, जिस से दोनों काफी देर तक बातें करते रहे. इसी बीच कविता गुप्ता को मालूम चला कि नमन के खिलाफ मारपीट आदि के कई मामले थाने में दर्ज हैं. इस से उस ने सोच लिया कि वह नमन को समझाबुझा कर सही रास्ते पर चलने को प्रेरित करेगी. उसे भरोसा था कि नमन उस की बात नहीं टाल सकता.

इस के बाद एक रोज कविता गुप्ता ने उस से कहा, ”नमन, मैं ने सुना है कि तुम्हारे खिलाफ थाने में कुछ मामले दर्ज हैं. क्यों लड़तेझगड़ते हो? मेरी बात सुनो, आज से तुम अच्छे आदमी बनोगे.’’

”भाभीजी, मैं किस के लिए अच्छा बनूं, कोई तो ऐसा नहीं, जिस के लिए मैं खुद को बदलूं.’’

”मेरे लिए बदल लो खुद को, यह समझो कि आज से मैं तुम्हारी दोस्त हूं.’’

”ठीक है, इस बात पर भाभीजी आप को मेरे साथ कौफी पीने भेड़ाघाट चलना होगा.’’ नमन ने कहा.

कविता गुप्ता ने नमन की बात मान ली. जिस के बाद दोनों शाम तक भेड़ाघाट में घूमते रहे, फिर नमन ने उसे घर छोड़ दिया.

वास्तव में कविता गुप्ता उस रोज काफी खुश थी क्योंकि कोई था, जो उस के घूमनेफिरने का शौक पूरा करवाने को तैयार था. लेकिन रोजरोज नमन के साथ घूमने जाने का नतीजा यह हुआ कि दोनों एकदूसरे के बेहद करीब आ गए. पहली मुलाकात के 2 माह बीततेबीतते उन के बीच पनपा प्यार यहां तक पहुंच गया कि उन के बीच शारीरिक संबंध भी कायम हो गए. कविता गुप्ता के लिए यह कोई प्लानिंग का हिस्सा नहीं था, बल्कि बस सब कुछ यूं ही अचानक होता गया. फिर जैसा कि होता है, वक्त के साथ यह रिश्ता उस के मन को भाने भी लगा, जिस से वह नमन के साथ लगभग रोज ही एकांत में समय बिताने लगी.

बीचबीच में वह नमन को लड़ाईझगड़े से दूर रहने की हिदायत भी देती रहती, लेकिन वक्त के साथ नमन कविता गुप्ता के साथ शादी करने के सपने देखने लगा था. इसलिए साल भर के प्यार के बाद एक रोज नमन ने कविता के सामने प्रस्ताव रखा कि वह पति को छोड़ कर उस से शादी कर ले. यह सुन कर कविता गुप्ता चौंक गई. उस ने नमन को टालने के लिए बोल दिया कि ठीक है, मुझे सोचने का समय दो.

इसी बीच एक रोज वह शादी समारोह में शामिल होने गई थी. इसी दौरान नमन ने उसे फोन किया, लेकिन समारोह में शोरगुल होने की वजह से वह उस की काल रिसीव नहीं कर पाई तो नमन उस के घर आ धमका, जहां कविता का पति पुनीत गुप्ता मिला. नमन ने पुनीत से कविता के बारे में पूछा. इसी बात को ले कर उस का पुनीत से झगड़ा हो गया. तब नमन ने उस के पति के साथ मारपीट की और घर में तोडफ़ोड़ कर दी. कविता जब घर लौटी तो पुनीत ने उसे सारी बात बता दी कि यह सब नमन विश्वकर्मा ने किया है. इस घटना के बाद कविता गुप्ता समझ गई कि कितना भी घी गुड़ के साथ नीम खाओ वह कभी मीठा नहीं हो सकता, इसलिए उस ने नमन से फोन पर बात करना पूरी तरह बंद कर दी.

इस से नमन चिढ़ गया और कविता गुप्ता से आरपार का फैसला करने की बात सोच वह 25 मई, 2025 को उस के घर जा पहुंचा. उस समय पुनीत गुप्ता घर पर नहीं था. आखिरी बार बैठ कर बात करने की बात कह कर वह कविता गुप्ता को ले कर पल्सर बाइक से बरगी डैम पर बरबटी गांव के पास पहुंचा. उस ने कविता गुप्ता से शादी करने वाली बात दोहराई और उस से साथ में भाग चलने को कहा, लेकिन कविता गुप्ता ने साफ मना कर दिया कि वह पति को छोड़ कर नहीं जा सकती.

तब नमन उस से झगडऩे लगा और उस ने बटन वाला चाकू निकाल कर उस के ऊपर लगातार कई वार किए. उसे मरा जान कर वह वहां से भाग गया. जाते समय उस ने अपनी बाइक रमनपुर घाटी के पास जंगल में छिपा दी और कपड़े बदल कर बस से सिवनी, फिर रायपुर चला गया. 2 दिन बाद वह अपनी छिपाई हुई बाइक लेने आया, तभी पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने आरोपी नमन विश्वकर्मा की निशानदेही पर कत्ल में प्रयुक्त चाकू, खून सने कपड़े, बाइक बरामद करने के बाद उसे कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. MP Crime News

 

 

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