UP Crime News : पति को छोडऩे के बाद 28 वर्षीय पूजा को कल्याण राजपूत से प्यार हो गया. उस के साथ वह लिवइन रिलेशन में रहने लगी. एक्सीडेंट में कल्याण की मृत्यु हो जाने के बाद पूजा ने जेठ संतोष राजपूत को फांस लिया. खूबसूरत पूजा से शादी करने के बाद संतोष की पहली पत्नी रागिनी उपेक्षा के चलते मायके चली गई. इसी बीच पूजा की 55 वर्षीय सास सुशीला की हत्या हो गई. किस ने की यह हत्या और इस की क्या वजह रही?
पूजा अपनी मासूम बेटी रूबी के साथ बड़ी बहन कमला उर्फ कामिनी के घर ग्वालियर पहुंची तो कमला ने उसे हाथोंहाथ लिया और खूब खातिरदारी की. पूजा को बहन के घर रहते कई दिन बीत चुके थे, लेकिन वह खुश नहीं थी. वह हमेशा चिंता में डूबी रहती. न ढंग से खाना खाती और न ही चेहरे पर मुसकान होती.
कमला उर्फ कामिनी ने छोटी बहन को इस हाल में देखा तो एक रोज शाम को चाय पीने के दौरान उस ने पूछा, ”पूजा, तुम दिनरात किस चिंता में डूबी रहती हो. न ढंग से बात करती हो और न ही हंसतीमुसकराती हो. क्या पति से झगड़ कर आई हो या फिर ससुर ने कुछ कहा है. जो भी बात हो मुझे खुल कर बताओ.’’
”दीदी, ऐसी कोई बात नहीं है. न मैं पति से झगड़ कर आई हूं और न ही ससुर ने कुछ कहा है. वे दोनों तो मुझे खूब प्यार करते हैं और हर बात मानते हैं. उन से हमें कोई शिकवाशिकायत नहीं है.’’ पूजा बोली.
”फिर इतनी परेशान क्यों है?’’ कमला ने पूजा को बीच में ही टोका.
”दीदी, मेरी परेशानी की वजह मेरी सास सुशीला देवी है.’’
”वह कैसे?’’ कमला ने पूजा के चेहरे पर नजरें गड़ा दीं.
”दीदी, मैं अपने हिस्से की 8 बीघा जमीन बेच कर ग्वालियर शहर में बसना चाहती हूं. मेरी बेटी अब सयानी हो रही है. उसे शहर में पढ़ालिखा कर उस का जीवन संवारना चाहती हूं. मेरे पति व ससुर तो जमीन बेचने को राजी हैं, लेकिन सास सुशीला देवी अड़चन बनी है.’’
कमला और पूजा अभी आपस में बातें कर ही रही थीं कि तभी कमला का प्रेमी अनिल वर्मा वहां आ गया. वह भी उन की बातों में शामिल हो गया. पूजा की समस्या को समझने के बाद अनिल वर्मा बोला, ”पूजा, यदि सासरूपी तुम्हारी बाधा को मैं दूर कर दूं तो मुझे और कमला को क्या हासिल होगा?’’
पूजा को बाधा यानी यह समस्या दूर होने की उम्मीद जागी तो वह बोली, ”जमीन बिकने पर जो पैसा मिलेगा, उस में से तुम दोनों को भी हिस्सा दूंगी. बस किसी तरह इस प्रौब्लम दूर कर दो.’’
पैसा मिलने के लालच में अनिल वर्मा व उस की प्रेमिका कमला उर्फ कामिनी, पूजा की सास सुशीला देवी की हत्या करने को राजी हो गए. इस के बाद पूजा, कमला व अनिल वर्मा ने कान से कान जोड़ कर सुशीला देवी की हत्या की योजना बनाई. साथ ही प्लान ए और बी भी बनाया. प्लान ए के तहत हत्या के आरोप में पूजा के ससुर को जेल भिजवाना तथा प्लान बी के तहत पुलिस से बचाव करना.
22 मई 2025 को पूजा की बेटी रूबी का जन्मदिन था. पूजा ने योजना के तहत अपने पति संतोष राजपूत व ससुर अजय प्रताप राजपूत से फोन पर बात की और उन्हें बेटी के जन्मदिन पर आने का न्योता दिया और ग्वालियर आने को कहा. उस ने ऐसा इसलिए किया ताकि घर में सास सुशीला अकेली पड़ जाए और उस की हत्या आसानी से की जा सके.
पूजा के बुलाने पर संतोष और उस के पापा अजय प्रताप राजपूत ग्वालियर आ गए. रूबी का जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया. जश्न में कमला का प्रेमी अनिल वर्मा भी शामिल हुआ. दूसरे रोज पूजा ने पति संतोष को यह कह कर रोक लिया कि वह पेट से है, लेकिन दूसरा बच्चा अभी नहीं चाहती. अत: अस्पताल चल कर गर्भपात कराना है. ससुर अजय प्रताप को भी पूजा ने बहाने से रोक लिया. ससुर ने उसे 5 हजार रुपए भी खर्च के लिए दिए. अजय प्रताप को क्या पता था कि उस की शातिर बहू उसी के साथ छल कर रही है और उस की पत्नी का काल बनने जा रही है.
पूजा का पति व ससुर ग्वालियर में थे और पूजा की सास सुशीला देवी गांव में अकेली थी, अत: उचित मौका देख कर योजना के तहत कमला और अनिल वर्मा 24 जून, 2025 की सुबह 5 बजे बाइक से कुम्हरिया गांव स्थित सुशीला देवी के घर पहुंचे.
सुशीला घर पर ही थी. पूजा की बहन कमला को सुशीला जानती थी. अत: उस ने उसे घर के अंदर आदर भाव से बिठाया और चायनाश्ता कराया. दोनों ने आधेआधे कप चाय पी. फिर अनिल और कमला ने सुशीला को अचानक दबोच लिया और बैड पर गिरा कर रस्सी से उस के हाथपैर बांध कर बेहोशी का इंजेक्शन लगा दिया.
सुशीला चीख न सके, इस के लिए उन दोनों ने उस के मुंह में कपड़ा ठूूंस दिया, फिर उसी की चुनरी से उसे गला घोंट कर मार डाला. हत्या करने के बाद कमला व अनिल ने घर में लूटपाट की और नकदी तथा सोनेचांदी के गहने ले कर फरार हो गए.
24 जून, 2025 को दोपहर बाद अजय प्रताप राजपूत ग्वालियर से कुम्हरिया गांव स्थित अपने घर पहुंचे तो घर के मुख्य दरवाजे की कुंडी बाहर से बंद थी. वह कुंडी खोल कर घर के अंदर कमरे में पहुंचे तो कमरे का नजारा देख कर चौंक गए. बैड पर उन की पत्नी सुशीला देवी की लाश पड़ी थी. वह चीखते हुए बाहर आए.
चाचा की चीख सुन कर सौरभ राजपूत आ गया. उस ने चाची की हत्या की बात सुनी तो वह भी दंग रह गया. इस के बाद तो पूरे गांव में कोहराम मच गया और लोगों की भीड़ अजय प्रताप के घर जुटने लगी. इसी बीच सौरभ ने चाची सुशीला की हत्या की सूचना थाना टहरौली पुलिस तथा डायल 112 पर दे दी.
हत्या की सूचना पाते ही एसएचओ सुरेश कुमार पुलिस टीम के साथ कुम्हरिया गांव पहुंच गए. उन की सूचना पर एसएसपी बी.बी.जी.टी.एस. मूर्ति, सीओ अरुण कुमार राय तथा एसपी (सिटी) ज्ञानेंद्र कुमार सिंह भी घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने बड़ी बारीकी से घटनास्थल का निरीक्षण किया.
मृतका सुशीला का शव बैड पर पड़ा था. बैड के एक सिरे से उस के हाथ तथा दूसरे सिरे से रस्सी से उस के पैर बंधे थे. मुंह में कपड़ा ठूंसा गया था.
मृतका की उम्र 55 वर्ष के आसपास थी. उस की हत्या बेहोश कर गला घोंट कर की गई थी. बेहोशी का इंजेक्शन बेड के नीचे पड़ा था. साक्ष्य के तौर पर पुलिस ने उस खाली पड़े इंजेक्शन को सुरक्षित कर लिया.
एक कमरे का ताला टूटा पड़ा था और बक्से का ताला भी टूटा पड़ा था. उस में रखा सामान कमरे में फैला था. जिस कमरे में बैड पर लाश पड़ी थी, उसी कमरे में छोटी सी मेज पर चाय के 2 कप तथा नमकीन, बिसकुट की प्लेटें रखी थीं. आधाआधा कप ही चाय पी गई थी.
निरीक्षण के बाद एसएसपी ने शव को झांसी के जिला अस्पताल पोस्टमार्टम हेतु भिजवा दिया और एसपी (सिटी) ज्ञानेंद्र कुमार सिंह को हत्या के खुलासे की जिम्मेदारी सौंपी. ज्ञानेंद्र कुमार सिंह ने तब एक स्पैशल टीम बनाई, जिस में एसएचओ के अलावा सर्विलांस तथा एसओजी के तेजतर्रार पुलिसकर्मियों को शामिल किया गया. साथ ही खास खबरियों को भी लगा दिया.
पुलिस की इस स्पैशल टीम ने सब से पहले घर के मुखिया अजय प्रताप से पूछताछ की. उन्होंने बताया कि हत्यारे एक लाख नकद तथा 8 लाख के जेवर भी लूट ले गए थे.
”तुम्हें किसी पर शक है?’’ एसपी ज्ञानेंद्र सिंह ने अजय राजपूत से पूछा.
”हां सर, मुझे बड़ी बहू रागिनी और उस के भाई आकाश पर शक है. रागिनी सुशीला से खुन्नस रखती थी. इसी खुन्नस में दोनों ने मिल कर मेरी पत्नी की हत्या की होगी.’’
अजय राजपूत के अलावा पुलिस टीम ने उस के बेटे संतोष व भतीजे सौरभ राजपूत से भी पूछताछ की.
ससुर को क्यों फंसाना चाहती थी पूजा
अजय के भतीजे सौरभ राजपूत ने बताया कि चाचा की चीख सुन कर वह घर आया तो चाची बैड पर मृत पड़ी थीं. उस ने ही पुलिस को सूचना दी थी. उस ने बताया कि सुबह 5 बजे एक युवक व एक युवती चाची के घर बाइक से आए थे. वे दोनों मुंह पर कपड़ा बांधे थे. उन्होंने घर से करीब 100 मीटर दूर अपनी बाइक खड़ी की थी. लगभग डेढ़ घंटा बाद वे चले गए थे.
उस समय भी दोनों के मुंह पर कपड़ा बंधा था, इसलिए वह उन दोनों को पहचान नहीं पाया था. बाइक दूर खड़ी थी, इसलिए नंबर भी नोट नहीं कर पाया.
सौरभ ने यह भी बताया कि 3:10 बजे उस की पत्नी के मोबाइल फोन पर एक काल आई थी. यह काल पूजा ने अपने नंबर से न कर के दूसरे के मोबाइल नंबर से की थी और चाची का हालचाल पूछा था. सौरभ ने वह नंबर पुलिस को दे दिया.
इधर संदेह के आधार पर पुलिस ने अजय प्रताप की तहरीर पर दतिया निवासी आकाश व उस की बहन रागिनी के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर ली और जांच में जुट गई.
पुलिस टीम दूसरे रोज रागिनी व आकाश की तलाश में दतिया को निकलने ही वाली थी कि आकाश और रागिनी स्वयं ही थाना टहरौली आ गए. उन्होंने बताया कि जब उन्हें पता चला कि सुशीला देवी की हत्या हो गई है और रिपोर्ट उन के खिलाफ दर्ज की गई है तो वे घबरा गए और थाने आ गए.
रागिनी ने पुलिस के सामने कहा कि यह बात सही है कि वह पूरे परिवार से नफरत करती है, क्योंकि पति संतोष राजपूत ने विधवा देवरानी पूजा से शादी रचा कर उस के साथ छल किया तो दूसरी ओर सासससुर ने पूजा को जरूरत से ज्यादा प्यारदुलार दे कर उस के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाई. वह सौतन को कब तक बरदाश्त करती. इसलिए ससुराल छोड़ कर मायके में आ कर रहने लगी.
रागिनी ने कहा कि उस ने सास की हत्या नहीं की. उसे और उस के भाई को हत्या के मामले में झूठा फंसाया जा रहा है. सास की हत्या का राज ससुर अजय व उस की बहू पूजा के पेट में ही छिपा है.
रागिनी ने जिस बेबाकी से अपनी बात पुलिस को बताई, उस से पुलिस को लगा कि रागिनी व उस का भाई आकाश निर्दोष हैं. उन्हें थाने से जाने दिया. हां, इतना जरूर कहा कि सहयोग के लिए जब भी उन्हें बुलाया जाए, वे थाने पर जरूर आएं.
रागिनी के बयान के आधार पर अजय प्रताप की बहू पूजा शक के दायरे में आ गई थी. शक का दूसरा कारण यह भी था कि सास सुशीला की हत्या को 3 दिन बीत गए थे, लेकिन पूजा ग्वालियर से ससुराल नहीं आई थी. मोबाइल फोन के जरिए ही वह पति व ससुर के संपर्क में थी और पुलिस की हर गतिविधि की जानकारी ले रही थी. जबकि सास की मौत की खबर पाते ही उसे ससुराल आ जाना चाहिए था.
27 जून, 2025 को पुलिस टीम ने शक के आधार पर पूजा को उस के पति संतोष के सहयोग से ग्वालियर स्थित घर से हिरासत में ले लिया और थाना टहरौली ले आई. थाने में उस से सास सुशीला की हत्या के बारे में पूछा गया तो वह साफ मुकर गई. बोली, ”साहब, मैं तो ग्वालियर में थी. पति व ससुर भी मेरे साथ थे. मुझे क्या पता कि सास को किस ने मारा?’’
”तुम ने सुशाीला की हत्या नहीं की तो फिर किस ने की?’’ टीम के एक दरोगा ने उस से पूछा.
”साहब, मुझे तो अपने ससुर अजय प्रताप राजपूत पर ही शक है. वह सास से खुन्नस रखते थे. सास को शक था कि ससुर मुझे चाहते हैं और संबंध बनाना चाहते हैं.’’
पूजा के बयान के आधार पर पुलिस टीम कुम्हरिया गांव पहुंची और अजय प्रताप राजपूत को पकड़ कर थाने ले आई. रात भर उन से सख्ती से पूछताछ की गई, लेकिन वह अपनी बेगुनाही के सबूत पेश करते रहे.
सुबह पुलिस टीम ने पूजा व अजय प्रताप राजपूत को आमनेसामने बैठा कर पूछताछ की. पूजा ने अपनी बात दोहराई और ससुर अजय प्रताप से कहा कि वह सास की हत्या का जुर्म कुबूल कर लें. वह उन्हें जल्द ही जमानत पर छुड़ा लेगी.
पूजा की बात सुन कर अजय प्रताप सन्न रह गए. वह सोचने लगे जिस बहू को उन्होंने ससम्मान घर में रखा, लाड़प्यार दिया, वही बहू उसे हत्या जैसे मामले में फंसाना चाहती है. उन के दिमाग में विचार कौंधा कि कहीं पूजा ने ही तो सुशीला की हत्या नहीं कराई. क्योंकि पूजा जमीन बेचना चाहती थी और सुशीला विरोध करती थी.
अजय ने तब सारी बात पुलिस को बताई और अब हत्या का शक पूजा पर जताया. पूजा अब पूरी तरह से शक के घेरे में आ गई थी. अत: पुलिस टीम ने पूजा से सख्ती से पूछताछ की. पूजा ने तब सास की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया.
पूजा ने बताया कि मैं अपने हिस्से की 8 बीघा जमीन बेच कर ग्वालियर में बसना चाहती थी. लेकिन सास सुशीला बाधक बन गई थी. इसी जमीन के लिए मैं ने सास की हत्या करवाई. हत्या के लिए मैं ने रुपयों का लालच दे कर बड़ी बहन कमला उर्फ कामिनी व उस के प्रेमी अनिल वर्मा को तैयार किया. ससुर को फंसाना भी साजिश का हिस्सा था. ससुर जेल चले जाते तो जमीन बिकने में कोई अड़चन नहीं आती. कमला व उस के प्रेमी अनिल वर्मा ने ही प्लान के तहत सास की हत्या की और घर में लूटपाट भी की.
पूजा ने गुनाह कुबूल किया तो पूजा की मदद से पुलिस टीम ने पूजा की बड़ी बहन कमला उर्फ कामिनी को भी ग्वालियर से गिरफ्तार कर लिया. लेकिन अनिल वर्मा पुलिस को चकमा दे गया.
कमला उर्फ कामिनी को थाना टहरौली लाया गया. एसपी (सिटी) ज्ञानेंद्र कुमार सिंह व सीओ (टहरौली) अरुण कुमार राय ने जब कमला से सुशीला की हत्या के बारे में पूछताछ की तो उस ने सहज ही हत्या व लूटपाट का जुर्म कुबूल कर लिया, लेकिन उस के पास से लूटपाट की ज्वैलरी बरामद नहीं हुई.
जेवर के बारे में पूछने पर कमला ने बताया कि लूटपाट के जेवर उस के प्रेमी अनिल वर्मा के पास हैं. वह जेवर को बेचने की फिराक में किसी ज्वैलर के संपर्क में है.
चूंकि पूजा और उस की बहन कमला उर्फ कामिनी ने सुशीला देवी की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया था, अत: पुलिस ने मृतका के पति अजय प्रताप की तहरीर पर बीएनएस की धारा 103(1) व (61) के तहत आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. दूसरे रोज (29 जून) को उन्हें झांसी की कोर्ट में पेश कर जिला जेल भेज दिया गया.
चूंकि लूट का माल कमला के प्रेमी अनिल वर्मा के पास था. उस की खोज में पुलिस टीम जुट गई. पुलिस ने उस की टोह में खास खबरियों को भी लगा दिया.
30 जून, 2025 की रात 9 बजे एक खास मुखबिर से थाना टहरौली के एसएचओ सुरेश कुमार को सूचना मिली कि वांछित अपराधी अनिल वर्मा किसी रिश्तेदार के यहां लूटी गई ज्वैलरी पहुंचाने के इरादे से बघौरा के घुरैया तिराहे से निकलने वाला है.
इस सूचना पर सीओ (टहरौली) अरुण कुमार राय, इंसपेक्टर सुरेश कुमार तथा उल्दन थाने के एसएचओ दिनेश कुमार पुलिस टीम के साथ घुरैया तिराहे पहुंचे और चैकिंग शुरू कर दी.
रात 10 बजे के लगभग पुलिस को एक संदिग्ध बाइक सवार आता दिखा. पुलिस ने रुकने का इशारा किया, लेकिन उस ने बाइक दौड़ा दी और पुलिस पर फायर झोंक दिया. जवाबी काररवाई में पुलिस ने भी गोली चलाई. गोली अनिल वर्मा के पैर में लगी और वह घायल हो गया. पुलिस ने तब अनिल वर्मा को दबोच लिया. पुलिस को उस के पास से 8 लाख रुपए कीमत के आभूषण बरामद हो गए, जो उस ने सुशीला देवी हत्या के बाद लूटे थे. पुलिस ने हत्या में प्रयोग उस की बाइक तथा तमंचा भी अपने कब्जे में ले लिया. उस ने हत्या में प्रयुक्त सीरिंज भी बरामद करा दी, जो उस ने बाइक की डिक्की में छिपा दी थी.
पुलिस जांच, आरोपियों के बयानों एवं मृतका के फेमिली वालों द्वारा दी गई जानकारी के तहत झांसी की कातिल हसीना की दिल को झकझोर देने वाली कहानी प्रकाश में आई.
उत्तर प्रदेश के झांसी शहर के थाना प्रेमनगर अंतर्गत एक मोहल्ला है— नगरा महावीरन. इसी मोहल्ले में बोधराम जाटव परिवार सहित रहता था. उस के परिवार में पत्नी सरला के अलावा 2 बेटे निरपत, गणपत तथा 2 बेटियां कमला तथा पूजा थीं. बोधराम रेलवे में लोको पायलट थे. बड़ी बेटी कमला उर्फ कामिनी सयानी हुई तो उन्होंने उस का विवाह हजीरा (ग्वालियर) निवासी सूरज जाटव से कर दिया.
बोधराम की बेटी पूजा अपने भाईबहनों में सब से छोटी थी. जब वह 7 साल की थी, तभी उस की मम्मी सरला की मौत हो गई थी. पूजा की भाभी लीलावती ने उसे पालपोस कर बड़ा किया था. यौवन की दहलीज पर आते ही उस की खूबसूरती में और भी निखार आ गया था. जो भी उसे देखता, मंत्रमुग्ध सा हो जाता. घर के सभी लोग उसे बेहद प्यार करते थे. इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद पूजा की पढ़ाई पर विराम लग गया था.
पूजा सयानी हुई तो बोधराम को उस के विवाह की चिंता सताने लगी. उस ने बेटी के लिए योग्य वर की खोज शुरू की तो उसे रमेश जाटव पसंद आ गया. रमेश जाटव रेलवे में नौकरी करता था और संयुक्त परिवार के साथ ओरछा में रहता था. रमेश पसंद आया तो बोधराम ने 4 मई, 2014 को पूजा का विवाह रमेश के साथ धूमधाम से कर दिया.
शादी के बाद कुछ माह तक दोनों का जीवन हंसीखुशी से बीता. उस के बाद दोनों के बीच कलह होने लगी. कलह का पहला कारण था संयुक्त परिवार में रहना. पूजा अपने सासससुर के साथ रहने के बजाय अलग रहना चाहती थी. लेकिन रमेश को अलग रहना पसंद न था. दूसरा कारण था पूजा की फैशनपरस्ती.
वर्ष 2016 के जुलाई माह में रमेश पर किसी ने जानलेवा हमला किया. उस पर गोली चला दी, लेकिन उस की जान बच गई. उस रोज वह पूजा को मायके से ले कर अपने घर ओरछा जा रहा था. रमेश को शक हुआ कि गोली पूजा ने चलवाई थी, अत: उस ने थाना प्रेमनगर में पूजा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी.
पुलिस ने पूजा को आम्र्स एक्ट की धारा 25/4 व आईपीसी की धारा 506 के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. इस के बाद पूजा व रमेश के बीच अलगाव हो गया. पूजा लगभग 6 माह तक जेल में रही. उस के बाद बोधराम ने पूजा की जमानत करा ली और वह मायके में रहने लगी.
मुकदमे की पैरवी के लिए पूजा झांसी कोर्ट जाती थी. कोर्ट में ही एक रोज पूजा की मुलाकात कल्याण उर्फ लाखन राजपूत से हुई. कल्याण पर भी चोरी, लूट व मारपीट के लगभग आधा दरजन मुकदमे दर्ज थे. इन्हीं की पैरवी के लिए वह भी कोर्ट आता था.
कोर्ट की हुई मुलाकात ऐसे बदली प्यार में
कल्याण उर्फ लाखन के पापा अजय प्रताप राजपूत झांसी जिले के कुम्हरिया गांव के रहने वाले थे. परिवार में पत्नी सुशीला देवी के अलावा 2 बेटे संतोष व कल्याण थे. उन के पास खेती की 16 बीघा भूमि थी.
बड़े बेटे संतोष की शादी हो चुकी थी. उस की पत्नी रागिनी सुंदर व सुशील थी. घरगृहस्थी वही संभालती थी.
उन का छोटा बेटा कल्याण उर्फ लाखन अपराधी प्रवृत्ति का था, इसलिए उस का विवाह नहीं हुआ था. पूजा और कल्याण राजपूत पहली ही मुलाकात में एकदूसरे के प्रति आकर्षित हो गए थे. उन के बीच दोस्ती हो गई और खुल कर बातचीत होने लगी. मोबाइल फोन पर भी वे घंटों बतियाने लगे. धीरेधीरे उन की दोस्ती प्यार में बदल गई.
प्यार परवान चढ़ा तो पूजा झांसी के गुमनावारा में किराए के मकान में कल्याण के साथ लिवइन रिलेशन में रहने लगी. पूजा के भाई निरपत को कल्याण के साथ रहना अच्छा न लगा, इसलिए उस ने पूजा से रिश्ता खत्म कर लिया.
बोधराम भी चिंता में लकवाग्रस्त हो गए. उन्होंने भी पूजा से नाता तोड़ दिया. 25 मई, 2019 को कोंछा झाबर के पास सड़क दुर्घटना में कल्याण की मौत हो गई. पूजा विधवा हो गई और उस पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा. बेटे की मौत का अजय व उन की पत्नी सुशीला को भी गहरा सदमा लगा.
कल्याण की तेरहवीं वाले दिन पूजा कुम्हरिया गांव ससुराल आ गई. वह सुशीला देवी की गोद में सिर रख कर रोने लगी और बोली, ”मम्मी, अब मैं कहां जाऊं. मेरा कोई नहीं है. बचपन में मम्मी मर गई और भाई व पापा ने भी नाता तोड़ लिया. अब मैं एक तरह से अनाथ हूं.’’
पूजा के आंसुओं ने सुशीला देवी का दिल पिघला दिया. उस ने पूजा को गले लगा कर उसे बहू के रूप में स्वीकार कर लिया. हालांकि फेमिली के लोगों ने विरोध किया और कहा कि वह छोटी जाति की है. लेकिन सुशीला के आगे किसी की नहीं चली.
पूजा अब ससुराल में खुशीखुशी रहने लगी. रागिनी ने भी पूजा को अपनी देवरानी के रूप में स्वीकार कर लिया. देवरानीजेठानी घर का काम मिलजुल कर करतीं और हंसीखुशी से रहतीं. पूजा ने अपनी सेवा से सासससुर का भी दिल जीत लिया था.
पूजा खूबसूरत व जवान थी. उस ने जेठ संतोष पर नजरें गड़ानी शुरू कर दीं. संतोष भी पूजा की खूबसूरती का कायल था और मन ही मन उसे चाहता था.
संतोष रंगीनमिजाज था. रिश्तेनाते उस के लिए कोई मायने नहीं रखते थे. बहू और जेठ का रिश्ता होने के बावजूद वह पूजा के जिस्म को पाने के लिए लालायित रहने लगा. पूजा को रिझाने के लिए उस ने तरहतरह के हथकंडे अपनाने शुरू कर दिए.
मर्द जिस नजर से औरत को देखता है, उस से वह उस के मन का भाव समझ जाती है. संतोष जिस तरह से ललचाई नजरों से उस के शबाब को निहारता था, उस से पूजा समझ गई कि जेठ की नीयत ठीक नहीं है. पूजा भी जेठ को अपना बनाना चाहती थी, इसलिए उस ने कभी टोकाटाकी नहीं की.
जेठ को फांस कर जेठानी को किया दूर
संतोष अब पूजा से बतियाने भी लगा था. बातचीत में वह पूजा के रूप की प्रशंसा तो करता ही, उस के व्यवहार की भी खूब तारीफ करता. पूजा भी उस की बातों में रस लेने लगी थी. धीरेधीरे दोनों के बीच का परदा हटता गया और फिर एक दिन उन के बीच नाजायज रिश्ता बन गया.
रागिनी मायके से वापस आई तो उसे पूजा की चालढाल पर शक हुआ. उस ने निगरानी शुरू की तो एक रात उस ने पति को पूजा की बांहों में झूलते देख लिया. वह समझ गई कि पूजा उस की सौतन बन गई है.
उस ने इस नाजायज रिश्ते का विरोध किया तो संतोष और पूजा उसी पर हावी हो गए. सास और ससुर ने भी चुप्पी साध ली. उन दोनों ने रागिनी को समझाया कि घर की बात है, घर में ही रहने दो. मजबूरन रागिनी ने पूजा को सौतन के रूप में स्वीकार कर लिया.
कुछ दिनों बाद मामला ठंडा पड़ा तो संतोष ने पूजा के साथ शादी रचा ली और उसे पत्नी का दरजा दे दिया. शादी के एक साल बाद पूजा ने एक बेटी को जन्म दिया. बेटी के जन्म से घर में खुशियां छा गईं. सभी उसे बेहद चाहते थे.
पूजा से शादी करने के बाद संतोष ज्यादा समय उसी के साथ बिताता था. वह पूजा की हर बात मानता था और उसे भरपूर प्यार देता था. जबकि रागिनी पति के प्यार के लिए तरसती रहती थी. संतोष उस की कोई बात नहीं मानता था और अकसर उसे अपमानित करता रहता था.
वक्त के साथ पूजा की बेटी 3 साल की हो गई थी. पूजा को गांव में अच्छा नहीं लगता था. वह ग्वालियर शहर में बसना चाहती थी. एक रोज उस ने पति व ससुर के सामने इच्छा जताई कि वह अपने हिस्से की 8 बीघा जमीन बेचना चाहती है. इस पर थोड़ा नानुकुर के बाद संतोष व अजय प्रताप राजी हो गए, लेकिन जब सास सुशीला को जमीन बेचने की बात पता चली तो उस ने पूजा को आड़े हाथों लिया और जमीन बेचने का विरोध किया.
इस के बाद तो यह सिलसिला ही चल पड़ा. पूजा जब भी जमीन बेचने की बात करती, सास सुशीला विरोध करती. इस विरोध के कारण पूजा मन ही मन सास से नफरत करने लगी थी. हालांकि पूजा अपने लाड़प्यार तथा सेवा भाव से सास को पटाने की पूरी कोशिश करती थी.
इधर घर में रागिनी की हैसियत एक दासी जैसी थी. उसे न कोई प्यार देता था न सम्मान. सास ने मंगलसूत्र भी उस से छीन लिया था. हताश रागिनी का ससुराल में जीना दूभर हो गया तो पिछले साल से वह अपने मायके दतिया में आ कर रहने लगी.
मई, 2025 के पहले सप्ताह में पूजा ने फिर से जमीन बेचने की बात चलाई तो सास सुशीला बाधा बन गई. उस ने पूजा को डांटफटकार भी लगाई. पूजा तब सास से लड़झगड़ कर 16 मई, 2025 को अपनी बड़ी बहन कमला उर्फ कामिनी के घर हजीरा (ग्वालियर) आ गई. बहन के घर रह कर पूजा ने सास सुशीला की हत्या की योजना बनाई.
3 जुलाई, 2025 को पुलिस ने आरोपी अनिल वर्मा को झांसी कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. पूजा व कमला पहले ही जेल जा चुकी थीं.पूजा के जेल जाने के बाद उस की बेटी संतोष के घर पलबढ़ रही थी. UP Crime News