Social Stories : रोहतक का रहने वाला 20 साल का अभिषेक जब दिल्ली में स्किल कोर्स करने गया तो उस की दोस्ती समलैंगिक कार्तिक से हुई. यह दोस्ती प्यार में बदल गई. कार्तिक से शादी करने के लिए अभिषेक ने अपना लिंग चेंज कराने की ठान ली. लेकिन उस के मातापिता ने अपने इकलौते बेटे को इस की इजाजत नहीं दी. तब समलैंगिक प्यार में अंधे हो चुके अभिषेक ने अपने घर वालों को कुछ इस तरह से सजा दी कि सब की रूह कांप गई.
हरियाणा में रोहतक के विजय नगर में रहने वाला मलिक परिवार, इलाके के संपन्न परिवारों में से एक था. घर के मुखिया प्रदीप मलिक को रोहतक का हर इंसान जानता था. पेशे से वह प्रौपर्टी डीलिंग का काम किया करते थे और हर कोई उन्हें बबलू पहलवान के नाम से जानता था. उन के छोटे से हंसतेमुसकराते परिवार में उन की पत्नी संतोष देवी उर्फ बबली, उन का एकलौता बेटा अभिषेक मलिक उर्फ मोनू और एकलौती बेटी तमन्ना उर्फ नेहा ही थी. मलिक परिवार में कभी भी किसी भी सदस्य को किसी भी चीज की कमी नहीं थी. घर के दरवाजे पर एक गाड़ी खड़ी रहती, बच्चों के हाथों में उन के मनमुताबिक एप्पल के मोबाइल फोन और तो और दोनों बच्चों के पास एप्पल के ही लैपटौप थे.
इतना संपन्न परिवार होने के बावजूद मलिक परिवार में बीते कुछ समय से अशांति बनी हुई थी. बीते कुछ समय से अभिषेक घर में अपने घर वालों से 5 लाख रुपयों की मांग कर रहा था. हालांकि उस के पिता बबलू पहलवान ने उसे पैसे देने से इंकार नहीं किया था, लेकिन घर में अशांति तब पैदा हुई जब घर वालों को अभिषेक के 5 लाख रुपयों की मांग करने की असली वजह पता चली. घर वालों के लिए ये बात इतनी गंभीर थी कि उन्होंने अभिषेक पर घर में कई तरह की पाबंदियां तक लगा दीं. आखिर वह वजह क्या थी? 27 अगस्त, 2021 के दिन जब अभिषेक को लगा कि उस पर घर वालों के द्वारा लगाई गई पाबंदियां कुछ ढीली पड़ी हैं, तो उस ने तय किया कि वह बाहर घूम कर आएगा.
आखिर वह पिछले 20 दिनों से घर में किसी कैदी की तरह रहने को मजबूर था जिस के साथ कोई भी ढंग से बात करने को राजी नहीं था. यहां तक कि उस की मां और बहन भी उस से नजरें नहीं मिलाते थे. घर में अभिषेक को समझानेबुझाने के लिए उस की नानी रोशनी देवी भी आई थीं. सिर्फ उस की नानी ही उस से इन दिनों बात किया करतीं और उस का खयाल रखा करती थीं. 27 अगस्त को घर में हर कोई मौजूद था. उस के पापा भी उस दिन काम से नहीं निकले थे. करीब सुबह 11 बजे के आसपास अभिषेक ने घर में किसी को कुछ नहीं बताया और घर से थोड़ा टहलने के लिए निकल गया.
विजय नगर के पास ही एक जगह पर उस का दोस्त कार्तिक दिल्ली से उस से मिलने आया था तो अभिषेक वहीं चला गया. जब वह अपने पक्के यार कार्तिक से मिल कर दोपहर को ढाई बजे के करीब घर पर लौटा तो उस ने देखा कि घर में सभी कमरे बाहर से बंद थे. उस ने कमरा खटखटाया लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. उस ने अपनी बहन नेहा को फोन मिलाया लेकिन घंटी बजती रही. अभिषेक ने उस के बाद अपनी मां के नंबर पर फोन किया. इस बार रिंगटोन जोर से बजी और ये समझ आया कि फोन घर पर ही है लेकिन किसी ने भी नहीं उठाया. हार मान कर उस ने अपने पिता के नंबर पर फोन किया लेकिन वही हुआ जो अभी तक होता आ रहा था, किसी ने फोन नहीं उठाया और कोई जवाब नहीं मिला.
घर के सदस्यों को लगातार फोन करने का सिलसिला काफी देर तक चलता रहा लेकिन जब अभिषेक को कुछ गड़बड़ होने का अंदेशा हुआ तो उस के दिल में घबराहट पैदा हो गई. अभिषेक ने बिना किसी देरी के अपने पापा के साथ प्रौपर्टी डीलिंग में पार्टनर और उस के मामा प्रवीण, जोकि सांपला के रहने वाले थे, को फोन मिलाया. उस ने हड़बड़ाते हुए कहा, ‘‘मामा, घर पर कोई फोन नहीं उठा रहा, दरवाजा भी लौक हो रखा है. मुझे समझ नहीं आ रहा है कि क्या हुआ है. अंदर से किसी की आवाज नहीं आ रही है..’’
उस के मामा प्रवीण ने उसे हौसला रखने को कहा, ‘‘अरे चिंता मत कर, मैं देखता हूं एक बार.’’ घर के बाहर जुट गई भीड़ यह कहते हुए प्रवीण ने भी एक एक कर सब के नंबर पर फोन किया. जब उन का फोन भी किसी ने नहीं उठाया तो बिना देरी किए प्रवीण ने अपनी गाड़ी निकाली, उस से तुरंत ही अभिषेक के घर के लिए निकल गए और रास्ते में उन्होंने अभिषेक को फोन किया. प्रवीण ने अभिषेक से कहा, ‘‘सुन अभिषेक, मैं अपने घर से निकल गया हूं वहां आने के लिए. तू घबरा मत. मैं 15 मिनट में पहुंच जाऊंगा. तब तक मैं कुछ जानकारों को फोन कर के वहां पहुंचने के लिए कहता हूं.’’
प्रवीण ने ये कह कर फोन काट दिया और अपनी कार में बैठेबैठे उन्होंने उसी इलाके में अपने जानकारों को फोन कर जल्द से जल्द अभिषेक के घर पर पहुंचने को कहा. उधर देखते ही देखते मलिक परिवार के घर के आगे लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी. अभिषेक के साथ मिल कर कुछ लोग घर का दरवाजा तोड़ने में लगे थे, जोकि आसान काम बिलकुल भी नहीं था. अभिषेक के घर से लग कर साथ वाले मकान से तमाशा देख रहे लोगों ने उसे अपनी छत से उस के घर में प्रवेश करने के लिए कहा तो अभिषेक भाग कर उन की छत पर जा पहुंचा और छत फांद कर वह अपने घर में जा घुसा.
घर में घुसते ही उस ने सब से पहले नीचे आ कर मकान का मेन गेट खोला और एकएक कर बाकी लोग उस के घर में आ घुसे. ग्राउंड फ्लोर में जिस कमरे में अभिषेक ने आखिरी बार अपने पापा को देखा था उस के नीचे से खून बह रहा था. ये देख कर अभिषेक की आंखों से आंसू बहने शुरू हो गए और बाकी लोग दंग रह गए. सब लोगों ने मिल कर कमरे का दरवाजा तोड़ा और अंदर प्रदीप मलिक उर्फ बबलू पहलवान की लाश सोफे पर बैठी हालत में मिली. यह देख कर अभिषेक खुद को रोक नहीं पाया और वह जोरजोर से ‘पापा…पापा’ कहते हुए चिल्लाने लगा. इतने में उस के मामा प्रवीण आ पहुंचे और वह अपने बहनोई प्रदीप की लाश देख कर टूट गए.
लेकिन हिम्मत जुटाते हुए उन्होंने अभिषेक को ले कर ऊपर कमरे की ओर जाने को कहा, जहां घर के अन्य सदस्य मौजूद हो सकते थे. अभिषेक ने भी अचानक से अपने आंसू पोंछे और ‘नेहा…नेहा’ चीखतेचिल्लाते हुए वह घर की पहली मंजिल पर बने कमरे में जा पहुंचा.
यह कमरा भी बाहर से बंद था तो सब ने मिल कर दरवाजा तोड़ा और कमरे में घुसते के साथ अभिषेक और प्रवीण समेत बाकी सभी ने जो देखा उसे देख कर सभी के पैरों के नीचे से जैसे जमीन खिसक गई. पहली मंजिल के कमरे का दरवाजा टूटा तो अभिषेक ने सब से पहले अपनी मां संतोष देवी, उस के बाद अपनी नानी रोशनी देवी और अंत में अपनी बहन नेहा की लाश देखी. यह देख कर अभिषेक पागलों की तरह रोनेपीटने लगा. प्रवीण समेत मकान में मौजूद कुछ लोग अभिषेक को संभालने में लगे थे. अभिषेक का पूरा परिवार ही उजड़ गया था. वक्त बरबाद न करते हुए प्रवीण ने भीड़ से हटते हुए बाहर निकल कर पुलिस को फोन कर इस घटना की सूचना दी और पलक झपकते ही रोहतक के थाना शिवाजी कालोनी के थानाप्रभारी सुरेश कुमार टीम के साथ वहां पहुंच गए.
पुलिस की टीम के आते ही सब से पहले सभी लोगों को बाहर निकाला गया ताकि वहां से कुछ सबूत जुटाए जा सकें. घटनास्थल की जांच की गई. एकएक कर मृतकों के शरीर को लपेटते हुए बाहर निकाला गया और एक टीम ने इस हत्याकांड में एकमात्र बचे शख्स, अभिषेक का बयान लिया. शुरुआती पूछताछ में अभिषेक ने पुलिस को दिए अपने बयान में बताया कि प्रौपर्टी डीलर होने की वजह से उस के पिता की लोगों से दुश्मनी थी. उस ने एकदो लोगों के नाम भी पुलिस टीम को दिए. जानकारी मिलते ही शिवाजी कालोनी पुलिस थाने के थानाप्रभारी एसआई सुरेश कुमार ने मामले की जांच तुरंत शुरू कर दी. सभी की हत्या गोली मार कर की गई थी. घटनास्थल की काररवाई पूरी कर लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.
टैक्निकल टीम की मदद ले कर घर के सभी लोगों की लोकेशन का पता लगाया गया और लाश की पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया गया. इस केस के जांच अधिकारी इंसपेक्टर बलवंत सिंह ने बारीकी से इस केस के संबंधित हर व्यक्ति की आखिरी लोकेशन का पता लगाया. लेकिन अभिषेक की लोकेशन और उस के द्वारा दिए गए बयान आपस में मेल नहीं खा रहे थे. इस बिंदु को संज्ञान में लेते हुए इंसपेक्टर बलवंत सिंह ने फिर से अभिषेक से पूछताछ की और अभिषेक ने अपना बयान बदल दिया. थानाप्रभारी को अभिषेक पर शक गहराता गया. उसी दौरान जब मृतकों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई तो अभिषेक पर शक की सुई और गहराती चली गई.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार पीडि़तों को गोली मारने का टाइम उस समय का था, जब अभिषेक अपने घर पर ही था. अंत में जब शक की सभी सुई अभिषेक पर आ रुकीं तो अभिषेक को हिरासत में लेते हुए इंसपेक्टर बलवंत सिंह से कड़ाई से पूछताछ की. इस पूछताछ के दौरान भी अभिषेक ने पुलिस टीम को गुमराह करने का प्रयास किया लेकिन उस का यह प्रयास व्यर्थ गया. इंसपेक्टर बलवंत सिंह और थानाप्रभारी रमेश कुमार ने अभिषेक को सब कुछ सचसच बताने को कहा. उन्होंने अभिषेक को बताया कि इस हत्याकांड के सारे सबूत उसी की ओर इशारा कर रहे हैं, बेहतर है की वह अब सच बता दे.
अभिषेक ने भी अंत में हार मान ली और जांच अधिकारी बलवंत सिंह को बताया कि उस ने अपने घर के 4 जनों को गोली मारी थी. इस चौहरे हत्याकांड की जो वजह सामने आई, वह इस प्रकार निकली. बात 3 साल पहले की है. अभिषेक ने जब 12वीं क्लास पास की तो उस के पिता प्रदीप मलिक ने उसे कोई भी एक स्किल कोर्स करने की सलाह दी. वैसे उन के पास पैसों की कभी कोई किल्लत नहीं थी. फिर भी प्रदीप रोहतक में प्रौपर्टी डीलिंग करते थे. वह चाहते थे कि अभिषेक भी खाली न बैठे. इसलिए उन्होंने उसे कुछ भी करने की छूट दे दी थी. तब अभिषेक ने जानबूझ कर रोहतक से दूर दिल्ली में स्थित एक इंस्टीट्यूट में एयरप्लेन कैबिन क्रू का कोर्स करने की जिद की.
प्रदीप मलिक ने अपने इकलौते बेटे की इच्छा का ध्यान रखते हुए उसे कोर्स करने के लिए दिल्ली जाने की इजाजत दे दी. तब अभिषेक ने दिल्ली जा कर एक इंस्टीट्यूट में दाखिला ले लिया और उस के एक हफ्ते बाद ही उस की क्लासेज शुरू हो गईं. अभिषेक को उस दौरान पहली बार आजादी महसूस हुई थी. नए लोगों से मिलना उन से बातें करना उसे बेहद अच्छा लगने लगा. इंस्टीट्यूट में उस के बैच में सिर्फ 10-12 स्टूडेंट्स ही थे. सब से उस की अच्छी जानपहचान हो गई थी, लेकिन उन में से कार्तिक उस का करीबी दोस्त बन गया था. वह उत्तराखंड का रहने वाला था और दिल्ली में अपने रिश्तेदार के साथ रहता था.
अलग तरह की होती थी फीलिंग कार्तिक उस के सब से अच्छे दोस्तों में से एक बन गया था. उसे उस के साथ वक्त गुजारना अच्छा लगने लगा. दोनों मिल कर क्लास के बाद दिल्ली के अलगअलग जगहों पर घूमने निकल जाते, अच्छे होटल में खाना खाते. कभी स्टारबक्स, कभी मैकडोनल्डस, कभी केएफसी, कभी बर्गर किंग तरह तरह की जगहों पर अकसर वक्त गुजारते. वह जब कभी भी कार्तिक के साथ मिलता तो उस के शरीर में एक अलग तरह की सिहरन दौड़ जाती थी. उस का चेहरा और उस की बातें, उस की आंखों और दिल को सुकून देती थीं. कार्तिक के लिए उस के मन में एक अजीब तरह की फीलिंग महसूस होने लगी थी.
अभिषेक मन में कार्तिक को छूने की, उस के करीब रहने की बातें घूमती रहती थीं. वह भी उसे एक अच्छा दोस्त समझता था. लेकिन उसे यह नहीं पता था कि जो फीलिंग्स वह कार्तिक के लिए अपने मन में रखता है, क्या वह भी उसे उसी तरह से देखता है या नहीं. 2 सालों तक वह दिल्ली में कार्तिक के साथ इसी तरह से मिला करता था. लेकिन एक दिन अभिषेक ने कार्तिक को अपने घर पर आने का न्यौता दिया. वह उस के घर पर आया. उस के पूरे परिवार से मिला. उस के घर पर सभी को पता था कि वे दोनों बेहद अच्छे दोस्त हैं. ऐसे ही एक दिन जब कार्तिक उस के घर पर आया तो वह दोनों लैपटोप पर फिल्म देख रहे थे. वह अभिषेक से चिपक कर बैठा था. उस का ध्यान फिल्म पर बिलकुल भी नहीं था.
न जाने उसी वक्त उसे क्या हुआ कि उस ने कार्तिक को उस की गरदन पर चूम लिया. खुद को लड़की मानता था अभिषेक अभिषेक की इस हरकत का कार्तिक ने बुरा नहीं माना बल्कि उस ने उस का हाथ पकड़ लिया और उस ने भी अभिषेक की गरदन पर चूम लिया. इस अहसास को अभिषेक ने इस से पहले कभी महसूस नहीं किया था. कुछ इस तरह से उस के और कार्तिक के बीच संबंध बनने शुरू हुए. जिस के बाद वे दोनों अकसर होटल में मिलते और अपनी जरूरतों को पूरा करते. 3 साल का उन का कैबिन क्रू का कोर्स खत्म हुआ तो अभिषेक अपने घर आ गया. तब उस का दिल्ली जा पाना और कार्तिक से मिलना मुश्किल हो गया. तब वह कार्तिक को मिलने के लिए अकसर रोहतक में बुला लिया करता था.
पहले के मुकाबले उन की मुलाकात अब ज्यादा दिनों में होती. बढ़ते गैप के साथसाथ उन दोनों के मन में एकदूसरे के लिए फीलिंग्स और भी ज्यादा बढ़ने लगीं. कार्तिक के बिना उस के लिए एक पल भी गुजारना मुश्किल होने लगा था. अगर वह नहीं मिल पाते तो घंटों फोन पर एकदूसरे से बातें करते. कार्तिक से मिलने के बाद अभिषेक ने खुद को अन्य लोगों से अलग महसूस किया. अकसर उस के मन में आता कि बेशक वह लड़का है, लेकिन अंदर से वह खुद को लड़की मानने लगा था. घर में अकेले होता था तो वह अपनी बहन नेहा के कपड़े पहन कर और मेकअप कर के देखता कि कैसा दिखाई देता है. वह पूरी तरह से खूद को बदलाबदला सा महसूस करता. अभिषेक की अब हलके और चटक रंग के कपड़ों में दिलचस्पी बढ़ने लगी थी. उस की पसंद में पूरी तरह से बदलाव आ गया था.
ऐसे ही साल 2020 के अगस्त के महीने में अभिषेक ने यह तय कर लिया था कि वह खुद को अंदर से जैसा महसूस करता है, वैसा ही वह हकीकत में बनेगा. यानी वह लड़की बनना चाहता था. इस संबंध में उस ने इंटरनेट पर सर्च करना शुरू कर दिया. उसे पता चला कि औपरेशन के जरिए एक इंसान अपना लिंग बदल सकता है. अभिषेक इस बारे में पूरी जानकारी हासिल करना चाहता था, इसीलिए वह घंटों इंटरनेट पर इसी के संबंध में सर्च करता रहता, पढ़ता रहता और वीडियोज देखता. वह भारत में सैक्स चेंज का औपरेशन करने वाले क्लिनिक या हौस्पिटल के बारे में पता करने लगा. धीरेधीरे उस ने इस औपरेशन में आने वाला खर्चा, सारी सावधानियां, सभी ऐहतियात सब के बारे में पता कर लिया.
अब वह अपने जीवन में एक अहम पड़ाव पर आ कर फंस गया था, उसे एक ऐसा फैसला करना था जिस के बाद उस की पूरी जिंदगी बदल जाती. उस ने दिनरात इस के बारे में सोचा. उस ने इस की भनक कार्तिक को बिलकुल भी नहीं होने दी, क्योंकि वह उस के साथ रिश्ते में बंधने के लिए उसे सरप्राइज देना चाहता था. अंत में उस ने फैसला कर ही लिया कि उसे क्या चाहिए. उस ने अपने लिए खुद को चुना, कार्तिक को चुना क्योंकि वही उस की खुशियां बनने वाला था. उस ने औपरेशन के लिए खुद को तैयार कर लिया, लेकिन उस के लिए उसे पैसों की जरुरत थी.
नए साल 2021 की शुरुआत में ही अभिषेक ने अपने पापा से 5 लाख रुपए मांगे. उसे लगा कि हर बार की तरह वह इस बार भी नहीं पूछेंगे कि उसे इतने पैसे किसलिए चाहिए. लेकिन इस बार इतनी बड़ी रकम मांगने पर उन्होंने उस से पूछ ही लिया कि उसे ये पैसे किसलिए चाहिए. तब अभिषेक ने उन से झूठ बोला कि उसे किसी काम के लिए चाहिए तो उन्होंने साफ मना कर दिया. फिर अभिषेक ने पैसों के लिए अपनी मम्मी के पास जा कर एप्रोच किया. मम्मी उसे पैसों के लिए कभी भी मना नहीं करती थीं, लेकिन इतनी बड़ी रकम सुन कर उन्होंने भी मना कर दिया था. बहन को बता दी मन की बात वह पैसों का जुगाड़ नहीं कर पा रहा था. उसे इस औपरेशन के लिए जल्द से जल्द पैसे चाहिए थे.
कार्तिक से दूरी वह अब बरदाश्त नहीं कर पा रहा था. हार मान कर उस ने यह बात अपनी बहन नेहा को बता दी कि उसे किसलिए पैसों की जरूरत है. अभिषेक को लगा कि एक लड़की और मेरी बहन होने के नाते वह उस की फीलिंग्स की कदर करेगी और उस की बातों को समझेगी. लेकिन अफसोस ऐसा नहीं हुआ. जिस रात उस ने नेहा को पैसे मांगने का कारण बताया उस के अगले दिन नेहा ने उस की गैरमौजूदगी में पापा और मम्मी को ये बात बता दी कि अभिषेक पैसे किसलिए मांग रहा है. उस दिन अभिषेक बाहर किसी काम से निकला था, लेकिन जब वह घर लौटा तो पापा और मम्मी का चेहरा देख कर उसे अंदाजा हो गया था कि नेहा ने इन्हें सब कुछ बता दिया है. पापा और मम्मी ने उसे अपने कमरे में बुलाया और उन्होंने उसे यह खयाल अपने दिमाग से निकाल देने की नसीहत दी.
लेकिन अभिषेक नहीं माना. उस ने उन के सामने ही उन की बातों को मानने से इंकार कर दिया. गुस्से में मम्मी तो कमरे से निकल गईं, लेकिन पापा ने उस दिन उसे बहुत मारा. इस के साथ ही उन्होंने अपनी सारी प्रौपर्टी नेहा के नाम कर देने की धमकी भी दे डाली. पापा ने कभी भी अभिषेक पर हाथ नहीं उठाया था लेकिन जब उन्होंने उस दिन उसे पीटा तो उस ने उसी दिन यह तय कर लिया था कि उसे अब किसी भी हालत में अपना सैक्स बदलना है. उस दिन के बाद अभिषेक पर घर में हर काम के लिए बंदिशें लगने लगीं. उसे अपने कमरे के दरवाजे को अंदर से बंद करने के लिए मना कर दिया गया. कुछ दिनों के लिए उस का फोन छीन लिया गया. घर में इंटरनेट कनेक्शन भी कटवा दिया गया.
इतना ही नहीं, उस ने सारे दोस्तों को घर पर आनेजाने के लिए मना कर दिया गया. उसे घर पर हर कोई अजीब नजरों से देखने लगा. यहां तक कि नानी को भी इसलिए बुलाया गया था ताकि वह उसे इस के लिए समझाए कि सैक्स चेंज कराना अच्छी बात नहीं है. अभिषेक को उस के ही घर में ऐसी पैनी और शक भरे अंदाज में देखा जाता था जैसे उस ने यह सोच कर ही कोई बहुत बड़ा गुनाह कर लिया हो. उसे अपने ही घर में घुटन होने लगी थी. उसे लगता था जैसे वह किसी जेल में फंसा है. वह जानता था कि लोग लड़के से लड़के का प्यार करना बरदाश्त नहीं करते, इसलिए उस ने यह सोच रखा था कि वह सैक्स चेंज करवाने के बाद कार्तिक के साथ भारत में नहीं तो किसी दूसरे देश में रह लेगा. क्योंकि भारतीय समाज में समलैंगिकों को अच्छी नजरों से नहीं देखा जाता.
7 अगस्त के दिन अभिषेक ने यह तय कर लिया था कि अगर उस के घर वाले उसे पैसे नहीं देंगे तो वह उन्हें जान से मार देगा. उस ने इस के लिए प्लानिंग कर ली थी. जब उसे उस का फोन दोबारा से दिया गया तो वह अपने घर वालों को जान से मारने के लिए तरह तरह के तरीके इंटरनेट पर सर्च करने लगा. उस ने देखा कि ऐसी चीजें इंटरनेट पर नहीं मिलतीं तो उस ने टीवी पर आने वाले क्राइम शो के एपिसोड गौर से देखने शुरू किए. उस ने कुछ दिनों तक उन शोज को देखा और अंत में उसे आइडिया मिल ही गया कि इस काम को कैसे अंजाम देना है. पिता की पिस्तौल ही बनी कालदूत चूंकि प्रदीप मलिक प्रौपर्टी डीलर थे तो इस धंधे में दुश्मनी होना आम बात थी. उन्होंने अपने पास बिना लाइसैंस वाली पिस्तौल रखी थी.
15-16 साल की उम्र में उन्होंने अपने दोनों बच्चों को पिस्तौल चलाने की ट्रेनिंग भी दे दी थी. अभिषेक किसी तरह उस पिस्तौल को ढूंढना चाहता था. ऐसे ही एक दिन जब प्रदीप मलिक घर पर नहीं थे, मम्मी अपने काम में बिजी थीं और नेहा सो रही थी तब अभिषेक ने स्टोर रूम में उस पिस्तौल को ढूंढ निकाला. उसे उस की गोलियां भी उसी डब्बे में रखी मिल गई जिस में वह पिस्तौल छिपाई गई थी. इस के बाद अभिषेक ने वह पिस्तौल अपने पास रख ली और सही मौके का इंतजार करने लगा. 25 अगस्त, 2021 को उस ने कार्तिक को मिलने के लिए रोहतक बुला लिया और अपने घर वालों से काम का बहाना कर उस से मिलने चला गया.
उस दिन कार्तिक से मिल कर अभिषेक ने अपने दिल के सारे अरमान पूरे कर लिए. उस ने उसे बीते कुछ दिनों में उस के साथ क्याक्या हुआ, उस की भनक तक नहीं लगने दी. कार्तिक को तो अंदाजा भी नहीं था कि वह उस के साथ इस रिश्ते में बंधने के लिए कितना बड़ा कदम उठाने जा रहा है. 26 अगस्त, 2021 को जब वह उस से मिल कर अपने घर वापस आया तो रात को उस ने अंतिम फैसला ले लिया कि उसे क्या करना है. वह अगले दिन का इंतजार करने लगा. 27 अगस्त की सुबह करीब साढ़े 11 बजे उस ने सब से पहले अपने कमरे में म्यूजिक सिस्टम को फुल वौल्यूम में किया.
उस के बाद निर्दयी बन चुका अभिषेक सब से पहले नेहा के कमरे में गया. वह गहरी नींद सोई हुई थी. उस ने पिस्तौल अपनी कमर में खोंस रखी थी. उस ने अंदर से नेहा के कमरे का गेट बंद किया, मोटा तकिया लिया और पिस्तौल को पूरी तरह से ढंक लिया ताकि आवाज बाहर न निकल सके. उस के सर के सामने जा कर उस ने उस के भेजे में एक गोली दाग दी. अभिषेक को लगा था कि शायद गोली चलने की आवाज घर में गूंज गई होगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. उस के बाद वह नानी के पास गया और उन्हें बोला कि नेहा उन्हें बुला रही है. नानी थोड़ी देर रुकीं और उस के कमरे की ओर चल पड़ीं.
पीछेपीछे वह भी उन के साथ गया. पहली मंजिल पर कमरे में घुसते के साथ ही उस ने नानी को धक्का दे दिया और दोबारा से तकिया ले कर उन के सर पर उसी तरह से गोली चला दी जैसे नेहा पर चलाई थी. गोली मारने के बाद उसे लगा कि मम्मी उस का नाम ले कर उसे आवाज लगा रही हैं. वह नीचे गया तो मम्मी ने उस से पूछा कि नानी कहां हैं तो अभिषेक ने ऊपर नेहा के कमरे का इशारा कर दिया. उस की मम्मी भी बिना देरी के नेहा के कमरे की ओर चल पड़ीं. मम्मी को भी उस ने नानी की तरह पीछे से धक्का दिया और तकिए का इस्तेमाल कर उन के सर में एक गोली दाग दी.
उस के बाद सिर्फ पापा ही बचे थे. पापा ग्राउंड फ्लोर पर अपने कमरे में दरवाजा लगा कर अपने फोन में यूट्यूब देख रहे थे. वह उन के कमरे में दाखिल हुआ. उन्होंने उसे अंदर आते हुए देखा लेकिन कुछ नहीं कहा. वह चुपचाप उन के पीछे गया. टीवी का रिमोट लेने के बहाने उन के पीछे से सर पर 2 गोलियां दाग दीं. उस ने देखा कि 2 गोलियां लगने के बाद भी पापा का शरीर हरकत कर रहा है तो उस ने एक और गोली उन के सर पर दाग दी. अभिषेक ने क्राइम शो में देखा था कि हत्या करने वाला अकसर घटनास्थल को बिगाड़ देता है ताकि मामला लूट का लगे. उस ने भी वही किया. उस ने पापा के कमरे में सारे सामान को इधरउधर बिखेर दिया.
उस के बाद वह ऊपर गया और नेहा के कमरे में भी ऐसा ही किया. उसी बीच उस ने मां के कानों और गले में पहनी हुई सोने की ज्वैलरी निकाल ली. फिर दरवाजा बंद किया. वह दरवाजा दोनों तरफ से बंद हो जाता था. इस के बाद जिस होटल में कार्तिक रुका हुआ था वहां चला गया. कमरे में कार्तिक के साथ वह हमबिस्तर हुआ और उस के बाद उस ने खाना मंगवाया. लेकिन अभिषेक को भूख नहीं थी, इसलिए उस ने कुछ भी नहीं खाया. दोपहर को करीब दोढाई बजे के आसपास वह घर गया. और दरवाजा न खुलने का नाटक कर के उस ने सोनीपत में रहने वाले मामा प्रवीण को फोन मिलाया. उस ने उन्हें बताया कि घर पर कोई भी फोन नहीं उठा रहा और दरवाजा भी बंद है. बाद में दरवाजा तोड़ा गया तो घटना सामने आई.
कुछ ही देर में पुलिस आई और जब पुलिस ने अभिषेक से पूछताछ की तो विरोधाभासी बयानों से उस की पोल खुल गई. तब अभिषेक ने अपना गुनाह पुलिस के सामने कुबूल कर लिया. पुलिस की टीम ने आरोपी अभिषेक मलिक से विस्तार से पूछताछ कर अस्पताल में उस की जांच कराई तो मनोचिकित्सक ने अपनी प्राथमिक जांच में पाया कि अभिषेक उर्फ मोनू ने अपने पिता प्रदीप मलिक उर्फ बबलू पहलवान, मां बबली, बहन तमन्ना और नानी रोशनी देवी की हत्या पूरे होशोहवास में रहते हुए की थी. इस के बाद पुलिस ने हत्यारोपी अभिषेक को कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. Social Stories.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित