Hindi Best Stories : फेमिली वालों की मरजी से अपने प्रेमी बैंक मैनेजर आशुतोष वर्मा से शादी कर के सुधा खुश थी. पति का मुंबई ट्रांसफर हो जाने के बाद सुधा एक एनजीओ खोल कर गरीबों व जरूरतमंदों की सेवा करने लगी. एनजीओ के सहयोग से पुलिस ने रेडलाइट एरिया में छापा मारा तो कोठे से बरामद नाबालिग लड़कियों के साथ माधुरी को देख कर सुधा चौंक गई. माधुरी कालेज में साथ पढऩे वाली उस की पक्की सहेली थी. माधुरी वेश्यावृत्ति के अड्डे तक आखिर कैसे पहुंची? पढ़ें, यह सस्पेंस से भरी रोमांटिक कहानी.

सुबह का सूरज आसमान में फैली लालिमा से निकल कर बाहर आया तो सुनहरी धूप खिल गई. सुधा 4 बजे ही बिस्तर से उठ कर स्नान आदि .से निवृत्त हो जाती थी. फिर घर के मंदिर में वह पूजा की थाली ले कर पहुंच जाती थी. यह उस का रोज का नियम था. उस के फेमिली वाले जानते थे कि सुधा संस्कारी लड़की है. मंदिर में उस का साथ देने के लिए वे सब भी नहाधो कर उपस्थित होते थे. उस दिन भी मंदिर की घंटी जैसे ही बजी, सुधा के दादा दीनानाथ, मम्मी जानकी और छोटी बहन कुसुम मंदिर में आ कर खड़े हो गए.

सुधा ने बड़े श्रद्धा भाव से राधाकृष्ण की पूजा की, आरती गाई, फिर मूर्ति के चरणों में नमन करने के बाद वह आरती की थाली ले कर दादाजी के पास आ गई. उस ने झुक कर एक हाथ से दादाजी के चरण स्पर्श किए, फिर पूजा की थाली उन के सामने बढ़ा दी.

दादाजी ने पूजा की थाली में जल रहे आशुतोष पर दोनों हथेलियां घुमा कर हथेलियों को आंखों से स्पर्श किया और सुधा के सिर पर हाथ रख कर प्यार से बोले, ”बेटी, सुबहसुबह तुम्हारी मधुर वाणी से आरती सुन कर मन को बहुत शांति मिलती है, मेरी आत्मा प्रसन्न हो जाती है.’’

सुधा मुसकरा कर मम्मी जानकी के करीब आ गई. पहले उस ने मम्मी के चरण छुए, फिर पूजा की थाली उन के सामने करते हुए बोली, ”आरती लो मम्मी.’’

जानकी ने आरती ली और दादाजी से बोली, ”सुधा में आप के ही संस्कार हैं पिताजी, आज अगर इस के डैडी जीवित होते तो वह अपनी संस्कारी बेटी को देख कर फूले नहीं समाते.’’

दीनानाथ की आंखें सजल हो आईं, वह ठंडी सांस भर कर बोले, ”हां बहू! इस तेजी से बदल रहे समाज में ऐसे बच्चे हर किसी को कहां नसीब होते हैं. तुम भाग्यवान हो जो इस प्यारी बेटी ने तुम्हारी कोख से जन्म लिया.’’

दीनानाथ कुछ और कहते कि तभी सुधा की सहेली माधुरी ने वहां प्रवेश किया. सुधा उसे देख कर चौंक गई. पूजा की थाली मेज पर रखते हुए पूछा, ”माधुरी, तुम इतनी सुबह यहां! सब ठीक तो है न?’’

”सब ठीक है,’’ माधुरी मुसकराई, ”तुम ने एक वादा किया था, कहो तो दादाजी के सामने बता दूं.’’ कहते हुए माधुरी ने अपनी दाईं आंख दबाई.

सुधा ने जल्दी से कहा, ”बता दो. तुम ने साथ में लाइब्रेरी चलने का वादा ही तो लिया था.’’

माधुरी हंसी, ”जल्दी से तैयार हो जाओ, मैं तुम्हारे कमरे में बैठती हूं जा कर.’’

” ठीक है, मैं तुरंत तैयार होकर आती हूं.’’ कहते हुए सुधा ड्रेसिंग रूम की तरफ बढ़ गई. माधुरी उस के कमरे में चली गई.

थोड़ी देर में सुधा तैयार हो गई. मम्मी और दादाजी को बता कर वह माधुरी के साथ घर से निकल आई. थोड़ी दूर आने पर माधुरी ने सुधा की कमर में चिकोटी काटी, ”तुम ने मुझे आज अपने ‘वो’ से मिलवाने का वादा किया था और दादाजी के सामने लाइब्रेरी जाने की बात गढऩे लगी.’’

”तो क्या दादाजी के आगे कह देती कि मैं तुम्हें आशुतोष से मिलवाने वाली हूं.’’ अपनी कमर सहलाते हुए सुधा बोली.

मुसकरा पड़ी माधुरी, ”वाह! दादाजी की संस्कारी पोती, दादाजी से ही फ्लर्ट.’’

सुधा गंभीर हो गई, ”माधुरी, दादाजी से आशुतोष से मुलाकात करने की बात छिपा कर मुझे अच्छा नहीं लग रहा है, लेकिन मैं पहले आशुतोष को अच्छे से परख लेना चाहती हूं, फिर मैं दादाजी को सब कुछ बता दूंगी.’’

माधुरी हैरत से सुधा को देखने लगी, ”प्यार में परखना कैसा सुधा, जिसे चाहो उस की तनमन से प्रेयसी बन आओ, यही तो प्यार होता है.’’

”वाह! यह जाने बगैर कि उस के और हमारे विचार मिलते हैं या नहीं, वह हमें सुखी रख पाएगा, हम उसे मन में बसा लें. नहीं माधुरी, यह प्यार नहीं, यह तो प्रेमी को जबरन अपने ऊपर थोप लेने जैसा हुआ.’’

”तुम्हारा कहना है जिस से दिल लगाओ, पहले उसे मटके की तरह ठोंकबजा कर देख लो.’’

”हर्ज क्या है इस में. माधुरी, आखिर हम उसे जीवनसाथी के रूप में चुनने जा रहे हैं. आंख बंद कर के प्यार के फैसले नहीं लिए जा सकते.’’

”यह तुम्हारी सोच है सुधा.’’ माधुरी गंभीर हो गई, ”मैं प्यार में रोमांटिक हो कर जीना चाहती हूं, मरना नहीं.’’

सुधा ने हैरानी से माधुरी को घूरा, ”मैं समझी नहीं.’’

”सीधी सी बात है यार, प्यार इंजौय करने के लिए है, इसे दिल की गहराई से लगा कर आह! उफ!! करने और प्यार में आत्महत्या करने का समय नहीं है मेरे पास.’’

”ऐसी सोच वाली लड़कियों को एक दिन पछताना पड़ता है माधुरी.’’

”मैं पछताने वालों में से नहीं हूं सुधा. तू साथी को परखते हुए परेशान होती रहना, मैं प्यार में मौजमस्ती करती हुई बहुत आगे चली जाऊंगी.’’ माधुरी ने कहा और हंसने लगी. सुधा उस की बेफिक्री पर उसे देखती रह गई. कानपुर के महक रेस्टोरेंट में आशुतोष वर्मा नाम का युवक टेबल के सामने बैठा किसी का इंतजार कर रहा था. वह स्मार्ट था और देखने में किसी अच्छे घर का लगता था. आशुतोष के सामने टेबल पर कांच की नक्काशीदार प्लेट रखी थी, उस प्लेट में गुलाब का ताजा फूल रखा हुआ था.

तभी रेस्टोरेंट में एक अन्य युवक ने प्रवेश किया. उस ने लाल टी शर्ट और आसमानी रंग की जींस पहनी हुई थी. वह शक्ल से ही आवारा किस्म का लगता था, नाम था रोशन. उस ने दरवाजे पर खड़े हो कर अंदर हाल में नजर दौड़ाई. उस की नजर उस आशुतोष वर्मा पर चली गई, जो प्लेट सजाए किसी का इंतजार करता प्रतीत हो रहा था. रोशन के होंठों पर शरारती मुसकान फैल गई. वह लंबेलंबे कदम रखता हुआ आशुतोष की टेबल की तरफ बढ़ गया. टेबल के पास आ कर उस ने प्लेट में सजा कर रखे गुलाब के फूल को उठा लिया और नाक के पास ले जा कर संूघते हुए बोला, ”वाह! कितनी अच्छी खुशबू है इस गुलाब में.’’

आशुतोष गुस्से में बोला, ”यह क्या बदतमीजी है रोशन?’’

”मैं ने क्या बदतमीजी की यार, कहीं तुम गुलाब का फूल उठा लेने से तो खफा नहीं हो गए हो?’’

”यह फूल मैं ने किसी को देने के लिए खरीदा था रोशन.’’

”ओह, तो तुम्हें भी प्यार का रोग लग गया है.’’ रोशन कहते हुए शरारत से आगे झुका, ”कौन है वह बेबकूफ लड़की, जिस ने तुम जैसे गधे से दिल लगाया है.’’

”तुम्हारी जुबान बहक रही है रोशन.’’ युवक तीखे स्वर में बोला.

”बहकेगी ही आशुतोष बाबू,’’ रोशन लापरवाही से बोला, ”तुम ठहरे किताबी कीड़े, किताबों के अलावा तुम्हें कुछ नजर नहीं आता, फिर लड़की कैसे नजर आ गई तुम्हें. क्या मैं नाम जान सकता हूं उस का?’’

आशुतोष झल्ला कर बोला, ”तुम से मतलब.’’

”मत बता यार, यहां आ रही है, देख ही लूंगा.’’ रोशन मुसकरा कर बोला.

वह एक खाली टेबल पर टांग पसार कर बैठ गया. आशुतोष उसे फाड़ खाने वाली नजरों से देखने लगा. उसी समय एक वेटर रोशन के पास आ कर बोला, ”सर, आप को बार काउंटर पर कोई याद कर रहा है.’’

रोशन उठ खड़ा हुआ, ”चलो!’’

वेटर आगे बढ़ा, तब रोशन आशुतोष की टेबल पर झुक गया, ”घूरो मत यार, माना कि लड़कियां मेरी कमजोरी हैं, लेकिन मैं इतना भी कमाधुरी नहीं हूं कि यारों का माल ही डकार जाऊं. तुम्हारा फूल तुम्हें ही मुबारक.’’

कहने के बाद गुलाब का फूल टेबल पर रखी प्लेट में फेंक कर रोशन तेजी से बार काउंटर की तरफ चला गया. आशुतोष ने गहरी सांस ली, ”बला टली!’’

प्लेट में रखा गुलाब का फूल उठा कर आशुतोष ने डस्टबिन में डाल दिया और खाली पड़ी दूसरी टेबल पर जा कर बैठ गया. उस का मूड खराब हो गया था.

सुधा अपनी सहेली माधुरी के साथ महक रेस्टोरेंट में आई तो आशुतोष वर्मा को अपना इंतजार करते देख कर उस के होंठों पर मीठी मुसकान उभर आई. वह आशुतोष की तरफ बढ़ी. तभी पीछे आ रही माधुरी बार काउंटर की तरफ जा रहे रोशन से टकरा गई. उस के हाथ से पर्स छिटक कर फर्श पर जा गिरा. माधुरी पर्स उठाने के लिए झुकने को हुई तो रोशन भी झुक गया. माधुरी का पर्स उठा कर वह मुसकराता हुआ खड़ा हो गया.

”सौरी मिस… मैं जरा जल्दी में था, यह रहा आप का पर्स.’’

”कोई बात नहीं, ऐसा हो जाता है.’’ माधुरी मुसकरा कर बोली, ”मैं मिस माधुरी हूं.’’ कहने के बाद वह पर्स हिलाती हुई सुधा के पीछे लपकी. उस के कानों में उस युवक (रोशन) के शब्द सुनाई पड़े, ”वाह! क्या मस्त जवानी है.’’

माधुरी ने पलट कर युवक की तरफ कातिल मुसकान बिखेरते हुए हाथ की अंगुलियां नचाईं. फिर सुधा के पीछे उस टेबल पर आ गई, जहां सुधा का दोस्त आशुतोष बैठा हुआ था.

”गुड मार्निंग आशुतोष.’’ सुधा ने

मुसकरा कर अभिवादन करते हुए माधुरी की तरफ इशारा किया, ”यह मेरी सहेली

माधुरी है और माधुरी, यह हैं मेरे दोस्त आशुतोष वर्मा.’’

”हैलो!’’ माधुरी ने बड़ी अदा से हैलो कहते हुए आशुतोष की तरफ अपना हाथ बढ़ाया.

आशुतोष ने तुरंत दोनों हाथ सादगी से जोड़ते हुए कहा, ”नमस्ते जी, बैठिए.’’

माधुरी ने मुंह बनाया, ”आप एडवांस नहीं हैं. शायद आप नहीं जानते कि अब हाथ जोड़े नहीं जाते, पकड़े जाते हैं.’’

आशुतोष ने सुधा की तरफ देख कर बड़े शांत भाव से कहा, ”जिस का हाथ पकडऩा था, मैं पकड़ चुका हूं माधुरीजी. अब सुधा ही मेरी जीवनसंगिनी बनेगी. मैं इसे दिल की गहराई से सच्चा प्यार करता हूं.’’

”लेकिन यह तो आप को इस प्रेम कहानी में ठोंकबजा कर परखना चाहती है मिस्टर आशुतोष.’’ माधुरी ने कटाक्ष किया.

”अच्छी बात है.’’ आशुतोष इत्माधुरीन से बोला, ”मैं इस की कसौटी पर खरा उतरूंगा तभी तो यह मुझे अपना जीवनसाथी बनाएगी. यह तो हर लड़की को करना चाहिए.’’

”आशुतोष बाबू, मान लीजिए, यदि आप इस की कसौटी पर खरे नहीं उतरे तो..?’’ माधुरी ने कनखियों से सुधा की तरफ देखते हुए प्रश्न किया.

सुधा ने आशुतोष से पूछे गए सवाल का जवाब खुद दिया, ”अगर ऐसा हुआ तो हम लाइफ पार्टनर नहीं बनेंगे, किंतु एक अच्छे दोस्त बने रहेंगे हमेशा. यह अपनी पसंद की पत्नी के साथ खुश, मैं अपने पति के साथ खुश.’’

माधुरी ने मुंह बिगाड़ा, ”ऊंह! तुम दोनों घिसेपिटे लोगों में से हो. काश! मेरा कोई बौयफ्रेंड होता तो मैं तुम को दिखाती. ये जवानी दूरदूर बैठ कर आहें भरने के लिए नहीं मिली है. यह तो एकदूसरे से लिपट कर प्यार करने के लिए मिली है.’’

सुधा मुसकराई, ”तो बना लो किसी

को अपना और मिटा लो अपने मन की हसरतें.’’

”कोई मिले तो यार.’’ माधुरी ने हाथ उठा कर अंगड़ाई ली. फिर एकाएक जैसे उसे कुछ याद आया, ”यार सुधा, अभी यहां आते हुए मैं जिस युवक से टकराई थी, वह कैसा रहेगा मेरे लिए?’’

”उस का नाम रोशन है, हमारे

कालेज का स्टूडेंट है, निकम्मा और फरेबी.’’ आशुतोष ने बताया. उस ने सुधा के पीछे आ रही माधुरी को रोशन से टकराते हुए देख लिया था.

माधुरी कुछ कहती, तभी रोशन वहां आ टपका. उस ने आशुतोष के आखिरी शब्दों को सुन लिया था. मुसकरा कर बोला, ”मुझ से जलने वाले मेरी तारीफ इसी तरह करते हैं माधुरीजी. अगर मैं तुम्हारी नजर में अच्छा हूं तो क्या तुम मुझ से दोस्ती करोगी?’’

माधुरी ने झट अपना हाथ रोशन की तरफ बढ़ाया और चहक कर बोली, ”तुम से दोस्ती करूंगी रोशन. सिर्फ दोस्ती ही नहीं, मैं दोस्ती के आगे की हदें भी पार कर के दिखाना चाहती है. मैं सुधा को दिखाना चाहती हूं कि प्यार रोनेतड़पने के लिए नहीं बना है, यह मौजमस्ती करने के लिए बना है.’’

रोशन ने माधुरी की नाजुक कलाई पकड़ कर अपनी ओर खींची और उस की पतली कमर में हाथ डाल कर लरजते स्वर में बोला, ”आओ माधुरी, इस पहली मुलाकात को हसीन और रंगीन बनाते हैं.’’

रोशन माधुरी को ले कर बार की तरफ बढ़ गया. सुधा ठगी सी खड़ी उसे देखती रह गई. आशुतोष ने गहरी सांस भर कर सुधा से कहा, ”तुम्हारी सहेली ने इस शैतान की तरफ हाथ बढ़ा कर अच्छा नहीं किया है सुधा.’’

सुधा ने सिर हिलाया, ”हां आशुतोष! यह लड़की अपनी बरबादी की पहली सीढ़ी पर पांव रख चुकी है. इस का अंजाम ठीक नहीं होगा.’’

एक होटल के कमरे में रोशन सोफे पर बैठा हुआ था. रोशन के सामने शराब की बोतल रखी थी, जिस में से बना कर वह 2 पैग गले से नीचे उतार चुका था. अब वह तीसरा पैग बना रहा था. सोफे के पास ही पलंग बिछा था, जिस पर माधुरी सिर पकड़ कर बैठी हुई थी. वह अपने पूरे होशोहवास में नहीं थी. नशे से उस की पलकें मुंदी हुई थीं. वह बड़बड़ा रही थी, ”यह तुम ने मुझे क्या पिला दिया रोशन, मेरा सिर घूम रहा है.’’

रोशन कुटिलता से मुसकराया, ”व्हिस्की पीने के बाद सिर घूमता ही है जान, कुछ देर सो जाओ…’’

”लेकिन तुम ने तो मुझे बीयर पिलाने की बात की थी…’’

”बीयर बच्चे पीते हैं माधुरी डार्लिंग, तुम तो अब जवान हो गई हो रानी.’’

”रानी!’’ माधुरी ने जबरन अपनी आंखें खोलीं, ”तुम ने मुझ को रानी कहा?’’

”हां डार्लिंग, तुम मेरी रानी हो और मैं तुम्हारा राजा हूं. हम इस समय अपने राजमहल में जश्न मनाने के लिए बैठे हैं.’’

”जश्न! कैसा जश्न?’’ माधुरी लडख़ड़ाती आवाज में इतना ही बोली. उसे जोर का चक्कर आया तो वह पलंग पर लुढ़क गई.

तभी दरवाजे की बेल बजी. रोशन ने तीसरा पैग जल्दी से पी लिया और उठ कर दरवाजा खोल दिया. दरवाजे पर उस के 3 दोस्त खड़े थे. दरवाजा खुलते ही तीनों अंदर आ गए. रोशन दरवाजा लौक कर के सोफे पर आया तो उस ने तीनों को माधुरी की तरफ ललचाई नजरों से देखते हुए पाया. उस का एक दोस्त जयपाल जीभ होंठों पर फिराते हुए बोला, ”गजब की मछली फंसाई है रोशन, इस का जायका तो बहुत स्वादिष्ट होगा.’’

”रोशन नाम है मेरा, मेरी मक्कारी के जाल में ऐसी ही मछलियां खुद आ फंसती हैं.’’ रोशन बेहयाई से हंसते हुए बोला, ”एकदम ताजा माल है, कांटा एक भी नहीं है इस में. मांसल मास बहुत लजीज होगा खाने में.’’ तीनों दोस्त हंसने लगे.

अद्र्धबेहोशी में पड़ी माधुरी फिर बड़बड़ाई, ”कौन हंस रहा है यहां?’’

”मेरे दोस्त हैं जान. 3 हैं, यह जश्न में शामिल होने आए हैं.’’ रोशन दोस्तों की तरफ आंख दबा कर बोला, ”मैं ने इन्हें तुम्हारी जवानी की दावत दी है. लो दोस्तो, पहले मूड बना लो.’’

माधुरी कुछ समझ नहीं पाई. रोशन के दोस्त रोशन के साथ बैठ कर शराब के जाम छलकाने लगे. जब उन के हलक अच्छी तरह तर हो गए, तब उन्होंने पलंग पर बेसुध सी पड़ी माधुरी को घेर लिया और उस के बदन से छेड़छाड़ करने लगे. माधुरी को नशे में भी यह एहसास होने लगा कि उस की आबरू खतरे में है. वह सिर झटक कर आंखें खोलने का प्रयास करती हुई चिल्लाई, ”यह क्या कर रहे हो रोशन..?’’

रोशन बेहयाई से हंसा, ”तुम दोस्ती के आगे की हदें पार करने की बात कर रही थी जान, मेरे दोस्त और मैं तुम्हें उसी हद से आगे ले कर जा रहे हैं.’’

माधुरी के जिस्म से छेड़छाड़ बढ़ती चली गई. वह 4 पुरुष थे और वह नशे में डूबी बेबस नारी. कब तक उन का विरोध करती, कितना चीखपुकार मचाती. उन्होंने उसे बारीबारी से अपनी हवस का शिकार बनाना शुरू कर दिया. उधर सुधा का ग्रैजुएशन कंपलीट हो गया था. अब वह कालेज नहीं जाती थी. घर पर ही रहती थी. माधुरी 2 साल से लापता थी. जिस दिन सुधा उसे अपने दोस्त आशुतोष से मिलवाने के लिए महक रेस्टोरेंट में ले कर गई थी और वहां माधुरी ने रोशन की बाजू थाम ली थी, तभी से वह न घर लौटी थी, न कालेज में ही आई थी. आशुतोष से सुधा को मालूम हुआ था कि उस दिन से रोशन भी कानपुर शहर में नजर नहीं आया था.

फेमिली वालों ने माधुरी के गुम होने की पुलिस में सूचना भी दर्ज करवाई थी, किंतु पुलिस भी उस का पता नहीं निकाल पाई थी. यह मान कर कि माधुरी ने रोशन के साथ भाग कर किसी शहर में शादी कर ली है और वह उसी प्रेमी के साथ प्रेमपूर्वक रह रही है. फेमिली वाले और पुलिस चुप लगा कर बैठ गई थी. हकीकत से सभी अंजान थे. इधर आशुतोष भी अपना ग्रैजुएशन पूरा कर के सरकारी जौब की कोशिश करने लगा था. अभी तक सुधा ने घर में किसी को आशुतोष से प्रेम होने और उसी के साथ सात फेरे लेने का निश्चय करने की बात नहीं बताई थी. वह सही मौके का इंतजार कर रही थी.

एक दिन उसे यह मौका मिल गया. रात को आशुतोष ने उसे मैसेज कर के खुशखबरी दे दी थी कि उसे भारतीय स्टेट बैंक में मैनेजर के पद की नियुक्ति मिल गई है. वह 2 दिन बाद ही ड्यूटी जौइन कर लेगा. दूसरी सुबह नित्य की तरह जब घर के लोग मंदिर में आरती के लिए एकत्र हुए तो पूजाअर्चना के बाद नाश्ते की मेज पर सुधा ने धीरे से दादाजी से कहा, ”एक बात कहूं दादाजी, आप बुरा तो नहीं मानेंगे?’’

”तुम हमारी समझदार बेटी हो, तुम ऐसी कोई बात ही नहीं कहोगी जो हमें बुरी लगे. निस्संकोच कहो, क्या कहना चाहती हो?’’ दादाजी ने स्नेह से कहा.

”दादाजी, मैं 3 साल से एक युवक से दोस्ती निभाती आ रही हूं, युवक अच्छे घर का है और नेकनीयत वाला है. मैं अब उस से शादी करने का आप लोगों से आशीर्वाद लेना चाहती हूं.’’

”यह हमारी बेटी का फैसला है तो हम इंकार नहीं करेंगे. हमारी बेटी किसी गलत जीवनसाथी का चुनाव अपने लिए नहीं करेगी, यह मैं जानता हूं.’’

”लेकिन पिताजी, इस से पूछिए 3 साल से यह उस युवक से दोस्ती करती रही है, हमें यह सस्पेंस पहले क्यों नहीं बताया?’’ सुधा की मम्मी जानकी ने पूछा.

”मम्मी, आशुतोष को मैं किसी अच्छी पोस्ट मिलने का इंतजार कर रही थी, अब उन्हें भारतीय स्टेट बैंक में मैनेजर की नौकरी मिल गई है.’’

”वाह! यह हुई न सोने पर सुहागे वाली बात.’’ दादाजी हंस कर बोले, ”तुम आज ही हमें आशुतोष से मिलवाओ. कल हम तुम्हारा रिश्ता ले कर खुद उस के घर जाएंगे. सुधा ने बहुत दिन इस घर के मंदिर में घंटी बजा ली है.’’ दादा दीनानाथ की बात पर सभी खुल कर हंस पड़े.

उसी दिन सुधा ने आशुतोष को घर बुला कर सभी से मिलवा दिया. आशुतोष सभी को पसंद आना था, क्योंकि यह सुधा की अपनी पंसद थी. दूसरे दिन जानकी और दीनानाथजी ने आ कर आशुतोष के मम्मीपापा से मुलाकात की और उन से सुधा के रिश्ते की बात की. आशुतोष के पापा ने यह रिश्ता स्वीकार कर लिया. फिर शादी की तारीख तय हुई और निश्चित दिन आशुतोष और सुधा की बड़ी धूमधाम से शादी संपन्न हो गई. शादी के 6 माह बाद ही आशुतोष को मुंबई की एसबीआई ब्रांच में भेज दिया गया. वहां उस के रहने के लिए फ्लैट भी दिया गया. आशुतोष जिद कर के सुधा को भी मुंबई ले आया. दिन गुजरते रहे.

आशुतोष सुबह जाता तो शाम को ही घर लौटता था. सुधा बोर हो जाती थी, इसलिए उस ने अपना ‘सहारा’ नाम से एनजीओ खोल लिया और गरीब, असहाय लोगों के लिए हर प्रकार की मदद करने लगी. उस के एनजीओ में कई पढ़ीलिखी युवतियां और बुद्धिजीवी, समाजसेवी लोग भी जुड़ते चले गए. थोड़े समय में ही ‘सहारा’ एनजीओ मुंबई भर में मशहूर हो गया. सहारा एनजीओ मुंबई के मालाबार हिल के क्षेत्र में था. एक दिन एक समाजसेवी विष्णु दत्ता ने सुधा को जानकारी दी कि पीला हाउस के रेडलाइट्स एरिया में कुछ नाबालिग लड़कियों से जबरन धंधा करवाया जा रहा है. जहां ये नाबालिग लड़कियां लाई गई हैं, वह रेशमा बाई का कोठा है.

सुधा यह सूचना पाते ही पीला हाउस के पुलिस स्टेशन में पहुंच गई. वहां का इंचार्ज एकनाथ कांबले था. सुधा ने उस से मिल कर अपना परिचय देते हुए रेशमा बाई के कोठे की सच्चाई बताई. इंचार्ज एकनाथ कांबले ने उस क्षेत्र के डीसीपी से रेशमा बाई के कोठे की हकीकत बताते हुए वहां रेड डालने की इजाजत मांगी तो उन्हें इजाजत मिल गई. आधी रात को इंचार्ज एकनाथ कांबले ने 15 महिला और पुरुष सिपाहियों के साथ रेशमा बाई के कोठे पर छापा मारा. उस वक्त सुधा और समाजसेवी विष्णु दत्ता उस पुलिस दल के साथ थे. कोठे पर पुलिस का छापा पड़ा तो कोठे पर बने छोटेछोटे केबिनों से देहबालाएं और उन के साथ हमबिस्तरी कर रहे पुरुष निर्वस्त्र ही निकल कर भागे. पुलिस ने उन्हें दबोच लिया.

कोठे की संचालिका रेशमा बाई और 2 दलाल भी इन के हाथ आ गए. कोठे की तलाशी ली गई तो एक बंद कोठरी से, जिस पर ताला लगा कर रखा गया था, 3 नाबालिग लड़कियां और एक युवती को आजाद किया गया. जो युवती उस कोठरी में से मिली, उस पर नजर पड़ते ही सुधा बुरी तरह चौंक पड़ी. यह कोई और नहीं माधुरी थी, जो 3 साल पहले कानपुर से लापता हो गई थी. सुधा को पहचान कर माधुरी उस के गले से लिपट गई और फूटफूट कर रोने लगी. सुधा की भी आंखें भर आईं. वह माधुरी की पीठ सहलाते हुए बोली, ”तुझे मैं ने कहांकहां तलाश नहीं किया माधुरी. तू यहां कोठे पर कैसे पहुंच गई?’’

”सब बताऊंगी मैं, पहले मुझे सुरक्षित इस नरक से मुक्ति दिलवा दो सुधा. यहां यह रेशमा नाम की डायन मुझे मांस का लोथड़ा समझ कर रोज जिस्म के भूखे कुत्तों के आगे फेंकती है. ये हवस के दङ्क्षरदे मुझे पूरी बात भभोड़ते हैं, मेरे जिस्म को नोंचते हैं…’’

”अब तुम्हें कोई छुएगा भी नहीं. तुम पुलिस और मेरी ‘सहारा’ एनजीओ के संरक्षण में हो. आओ, थाने चल कर बात करेंगे.’’ पुलिस दल सभी को साथ ले कर पीला हाउस पुलिस स्टेशन में लौट आया.

सुधा भी माधुरी को साथ ले कर पुलिस स्टेशन आ गई. यहां माधुरी की कोठे से बरामदगी के कागजात पूरे करा कर सुधा माधुरी को साथ ले कर अपने एनजीओ वापस लौट आई. सुबह होने वाली थी. सुधा ने आशुतोष को फोन कर के एनजीओ बुला लिया. नाश्ता लाने के लिए भी उस ने पति आशुतोष को कह दिया था. आशुतोष एनजीओ नाश्ता ले कर 7 बजे पहुंचा, तब तक सुधा ने माधुरी को फ्रेश करवा कर नए कपड़े पहनवा दिए थे. आशुतोष रास्ते भर हैरान था कि आज सुबहसुबह सुधा ने उसे नाश्ता ले कर एनजीओ क्यों बुलाया है. जब उस ने सुधा के औफिस में प्रवेश किया तो वहां बैठी माधुरी को देख कर वह बहुत हैरान हो गया.

”यह माधुरी मुंबई कब आ गई सुधा, तुम ने तो मुझे फोन पर बताया ही नहीं कुछ.’’ आशुतोष शिकायती लहजे में बोला.

”यह मुंबई कैसे पहुंची, मैं भी जानना चाहती हूं आशुतोष. फिलहाल तो यह जान लो मैं ने रात को इसे पीला हाउस के रेड लाइट्स एरिया से छुड़वाया है. माधुरी रेशमा बाई के कोठे में पुलिस छापा डालने के दौरान मुझे मिली है.’’

”ओह!’’ आशुतोष ने गहरी सांस ली, ”इसे बरबादी के नरक में उसी कमीने रोशन ने झोंका होगा.’’

”हां आशुतोषजी!’’ माधुरी ने भर्राए स्वर में कहा, ”गलती मेरी थी, मुझे सच्चे प्यार की परख नहीं थी. मैं प्यार को जिस्म की हसरतें पूरी करने का माध्यम मान कर रोशन के हाथों लुटी. उस दिन महक रेस्टोरेंट में मैं ने रोशन की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा कर बहुत बड़ी भूल की थी. वह मुझे बार में ले गया और शराब पिलाई, फिर मुझे किसी होटल में ले कर गया, वहां पर रोशन ने अपने 3 दोस्तों के साथ मेरी अस्मत से खिलवाड़ किया. उस ने मेरी अश्लील फिल्म बना ली और डराधमका कर मुझे दोस्तों के आगे परोसता रहा.

”कई दिनों तक वह मेरे जिस्म की कमाई खाता रहा, फिर मुझे वह मुंबई में ले आया. यहां उस ने रेशमा बाई के कोठे पर मुझे मोटी कीमत में बेच डाला और उस गलीज धंधे में मुझे धकेल कर वह भाग गया. यदि रात सुधा रेशमा बाई के कोठे पर रेड ने डलवाती तो मैं उसी नरक में सड़सड़ कर किसी दिन मौत के मुंह में समा जाती.’’ माधुरी अपनी बात खत्म करके रोने लगी.

”मैं तुम से हमेशा कहती थी माधुरी, प्यार पूजा और इबादत का ही दूसरा नाम है. प्यार के लिए सच्चे मन से जीया जाता है.

आज के दौरान प्रेम पर वासना हावी हो गई है. आज प्रेमी प्यार की आड़ ले कर प्रेमिका के जिस्म को पाने की फिराक में लगा रहता है, जो लड़कियां प्रेमी के झांसे में आ जाती हैं, एक दिन शरम और अपमान में पछताती हैं. कुछ आत्महत्या कर लेती है, कुछ देह के धंधे में उतर कर समाज को गंदा करती रहती हैं.

”प्यार को सच्चे मन से पूजने वाले प्रेमी अब बहुत कम मिलेंगे. मुझे देखो माधुरी, मैं ने अपने प्यार आशुतोष को ठोंकबजा कर परखा था, यह मुझे सच्चा प्यार करते थे. आज परिवार की रजामंदी से हमारा विवाह हुआ और हम सुखी गृहस्थ जीवन जी रहे हैं.

”आशुतोष यहां मुंबई में एसबीआई बैंक में मैनेजर हैं. हमारा यहां मालाबार हिल में फ्लैट है. मैं यह ‘सहारा’ एनजीओ चलाती हूं. आज से तुम मेरे इस एनजीओ में असहाय लोगों की सेवा का भाव ले कर जिओगी. यूं समझो, आज से तुम्हें नया जन्म मिला है.’’

सुधा ने माधुरी के कंधे पर प्यार से अपना हाथ रखा तो माधुरी सुधा के गले से लिपट गई. उस की आंखों से अभी भी आंसू बह रहे थे. आशुतोष के होंठों पर मीठी मुसकान थी. Hindi Best Stories

 

 

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