Rajasthan Crime News : शादीशुदा मोनू का अपनी जवानी पर कंट्रोल नहीं था. फैक्ट्री में साथ काम करने वाली विवाहिता आशा पर वह इस कदर लट्टू हो गया था कि उसे हासिल करने के लिए उस ने परिवार, समाज और देश के कायदेकानून तक ताक पर रख दिए. फिर जो हुआ, वह किसी अनहोनी से कम नहीं था…
जयपुर के सांगानेर सदर इलाके में स्थित कई फैक्ट्रियों में कुरती बनाने की भी एक फैक्ट्री थी. वहीं मोनू पंडित और आशा मीणा काम करते थे. उस का पति राजाराम मीणा भी उसी फैक्ट्री में काम करता था. मोनू और आशा हमउम्र थे. विवाहित थे. जब कभी फुरसत में होते, तब इधरउधर की बातें करते थे. उन के बीच होने वाली कुछ मिनटों की बातों में उन्हें अच्छा सुकून मिलता था. कई बार घरेलू समस्याओं से बेखबर एकदूसरे की तारीफ भी कर दिया करते थे.
आशा की तारीफ करते हुए जब मोनू कह देता कि तुम आज बहुत सुंदर दिख रही हो, तब वह शरमा जाती थी. मुसकराती हुई उस के कसरती बदन को बनाए रखने के लिए खानेपीने पर ध्यान देने की सलाह दे डालती थी. एक दिन जब आशा ने बातोंबातों में अपने 4 साल के बच्चे के बारे में जिक्र किया, तब मोनू चौंंक गया. उस ने तुरंत टिप्पणी कर दी, ”तुम्हें देख कर कोई नहीं कहेगा कि तुम 4 साल के बच्चे की मां हो! आखिर तुम्हारी इस खूबसूरती का राज क्या है…जरा मुझे भी बताओ!’’
इस तरह की मीठीमीठी बातों का असर आशा के मन में गहराई से होने लगा था, जबकि मोनू उस के रूपरंग और अदाओं पर मर मिटा था. वह उस की खूबसूरती, चालढाल और बोलचाल की शैली को ले कर जबतब छेडऩे भी लगा था. सच तो यह था कि मोनू का उस के साथ खुल कर बात करना आशा को भी अच्छा लगने लगा था. वे फैक्ट्री में लंच साथसाथ करने लगे थे, जबकि अधिकतर लड़कियां अपने साथ काम करने वाली महिलाओं के साथ ही लंच करती थीं. मोनू उसे अपनी तरफ से कुछ बाहरी खानेपीने की चीजें, आइसक्रीम, चौकलेट, बिसकुट, चाय वगैरह भी देने लगा था.
आशा और मोनू के बीच नजदीकियां बढ़ चुकी थीं. मोनू की मीठी बातें और उस का खयाल रखने को ले कर आशा को बहुत कुछ समझने में देर नहीं लगी कि वह उस का दीवाना बन चुका है… और उस की चाहत क्या है? कई बार उस ने उस की निगाहों को उस की देह पर टिके होने का भी एहसास किया. एक दिन मोनू ने जब अपने प्यार का इजहार किया, तब वह झेंप गई. उस ने कहा कि वह एक बेटे की मां है. तब मोनू भी बोला, ”तो क्या हुआ? मैं भी एक बेटे का पिता हूं. हमारा दिल तुम पर आ गया है…तो इस में बुराई क्या है?’’
इस के बाद धीरेधीरे आशा और मोनू एकदूसरे के करीब आते चले गए. मोनू ने उसे एक नया एंड्रायड फोन गिफ्ट दिया तो आशा बहुत खुश हुई. आशा अपने कुंवारेपन को याद करती हुई मोनू की ओर एक कदम आगे बढ़ाती तो मोनू उस की ओर 2 कदम आगे बढ़ा देता था. कई महीने तक उन के बीच यह सब चलता रहा. एक रोज इस की भनक आशा के पति राजाराम मीणा को हो गई. पत्नी के प्रेम संबंधों और उसे प्रेमी द्वारा फोन गिफ्ट में देने की जानकारी एक परिचित ने उसे दी. जबकि आशा ने पति को बताया था कि उस के साथ काम करने वाली एक लड़की ने किस्त पर मोबाइल दिलवाया है.
आशा ने अपने फोन में मोनू का नंबर पंडित के नाम से सेव कर रखा था. मोनू का पूरा नाम मोनू उपाध्याय उर्फ मोनू पंडित था. उस नंबर पर आशा के दिन में कई बार कौल करने के रिकौर्ड दर्ज थे. इस पर राजाराम चुप नहीं बैठा. उस ने फोन में सबूत दिखाते हुए नाराजगी दिखाई. साफ लहजे में समझाया कि उस का किसी गैरमर्द के साथ प्रेम संबंध रखना इज्जत नीलाम करने जैसा है. इस का असर उस के बच्चों और परिवार पर होगा. इसलिए यह सब छोड़ कर अपनी नौकरी और परिवार पर ध्यान दे. इस का असर आशा पर हुआ. उस ने पति से माफी मांगी. गलती सुधारने का मौका मांगा. कसम खाई कि वह अब मोनू से बात तक नहीं करेगी.
राजाराम ने अगला कदम उठाते हुए आशा की फैक्ट्री से नौकरी छुड़वा दी. उन दिनों वह भी उसी फैक्ट्री में काम करता था. उस ने भी वहां से नौकरी छोड़ कर आदित्य सोलर कंपनी में नौकरी जौइन कर ली. आशा का मोबाइल भी उस ने अपने कब्जे में ले लिया. इस की जानकारी जब मोनू को हुई, तब वह आगबबूला हो गया. वह आशा से बात करने के लिए तड़पने लगा. उस ने राजाराम को आशा के प्यार का रोड़ा मान लिया. उसे राजाराम पर बहुत गुस्सा आ रहा था, लेकिन वह उस के खिलाफ कुछ करने में विवश था.
अचानक उसे आशाराम मीणा उर्फ गोलू का खयाल आया. वह आशा का देवर था. गोलू को अपनी भाभी आशा और मोनू के बीच प्रेम संबंध के बारे में जानकारी हो चुकी थी. यही कारण था कि मोनू ने जब आशा से बात करवाने को कहा, तब उस ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. गुस्से में मोनू ने गोलू को धमकी दी. कहा कि इस का अंजाम पूरे परिवार को भुगतना होगा, किंतु मोनू का यह प्रयास भी विफल हो गया. फिर तो वह और भी तड़प उठा. उस के बाद वह 26 वर्षीय राजाराम मीणा को ही रास्ते से हटाने की योजना बनाने लगा. दूसरी तरफ जब से मोनू ने गोलू को धमकी दी थी, तब से आशाराम और राजाराम दोनों भाई सतर्क हो गए थे. खासकर आशा के घर से निकलने पर परिवार का कोई न कोई सदस्य उस के साथ हमेशा रहने लगा था.
24 वर्षीय आशा मीणा अपने पति, 4 साल के बेटे, भाई आशाराम मीणा और बहन मीनाक्षी के साथ जोतवाड़ा के शांति विहार में रहती थी. वैसे वे मूलरूप से जयपुर जिले के चाकसू तहसील में कोटखावदा के रहने वाले थे. आशा राजाराम और गोलू जिस कुरती फैक्ट्री में काम करते थे, वहीं यूपी के आगरा जिले के बंडपुरा गांव का रहने वाला मोनू उपाध्याय उर्फ मोनू पंडित भी काम करता था. सांगानेर में मोनू और आशा के घर के बीच की दूरी करीब आधे किलोमीटर की थी. मोनू किराए के मकान में अपनी पत्नी और 3 बच्चों के साथ रहता था. वह कई साल पहले आगरा से आ कर जयपुर काम करने लगा था.
मोनू के दिलोदिमाग पर आशा छाई हुई थी. वह रातदिन उस की याद में तड़पता रहता था. किंतु जनवरी, 2025 के पहले सप्ताह में जब से आशा का मोबाइल फोन पति ने अपने कब्जे में लिया था, तब से मोनू उस से बात करने तक को तरस गया था. आशा की जुदाई और ऊपर से उस पर लगी पहरेदारी से उस की स्थिति पागलों जैसी हो गई थी. उस की रातों की नींद गायब हो चुकी थी. दिन में बावलों की तरह घूमता रहता था. आशा पर भले ही कई पाबंदियां लगी थीं, लेकिन कई बार उसे अकेले में घर से निकलना ही होता था. इसी सिलसिले में 22 जनवरी, 2025 को वह अपने बेटे को स्कूल से लेने के लिए घर से अकेली निकली जरूर थी, लेकिन गोलू काफी पीछे से उस पर नजर रखे हुए था. अचानक मोनू की नजर आशा पर पड़ी. आशा से बात करने की चाहत में वह उस के पीछेपीछे हो लिया.
किंतु जैसे ही उस की निगाह गोलू पर पड़ी वह सहम गया, तुरंत खुद को संभालते हुए गोलू को धमका कर अपनी राह चल दिया. इस घटना की आशा को भनक तक नहीं लगी, लेकिन जब वह बच्चे को ले कर घर आई, तब गोलू ने उसे और पति को मिली धमकी के बारे में बताते हुए और अधिक सतर्क रहने की हिदायत दी. मोनू अब इस उधेड़बुन में रहने लगा था कि राजाराम को रास्ते से कैसे हटाया जाए, ताकि वह आशा को हासिल कर सके. अंतिम निर्णय लिया, क्यों न उसे गोली मार दी जाए? इसी के साथ अगला सवाल उठा कि गोली दागने का इंतजाम कैसे होगा? उस ने इस का भी हल निकाल लिया.
दिमाग में विचार आया, ‘क्यों न पिस्तौल ही खरीद ली जाए…देसी कट्टा ही सही!’ फिर क्या था, इस बारे में प्रयास तेज कर दिया. पता चला कि धौलपुर में उसे पिस्तौल मिल सकती है. अगले दिन 23 जनवरी, 2025 को ही मोनू धौलपुर के बसेड़ी गांव गया और 50 हजार रुपए में एक देसी पिस्तौल और कारतूस खरीद लाया. तब तक शाम हो चुकी थी. उस ने फैक्ट्री में साथ काम करने वाले अपने दोस्त प्रदीप को वीडियो कौल के जरिए पिस्तौल दिखाई. उस से कहा, ”आशा मुझ से बात नहीं करेगी, तब मैं उस के पति राजाराम मीणा को इसी पिस्तौल से मार दूंगा.’’
प्रदीप को वीडियो कौल से पिस्तौल दिखाने का मकसद उस की धमकी को राजाराम तक पहुंचाने का था. हालांकि प्रदीप ने इसे गंभीरता से नहीं लिया था. 24 जनवरी, 2025 की सुबहसुबह मोनू ने राजाराम के मोबाइल पर कई कौल कीं, लेकिन उस का मोबाइल साइलेंट मोड पर होने के कारण कौल का पता नहीं चला. उस के बाद मोनू ने गोलू को कौल कर उसे राजाराम को कई कौल करने की बात बताई. उस ने मोनू को कौलबैक की और बताया कि वह घर पर है. थोड़ी देर बाद उस का भाई गोलू ड्यूटी पर चला गया.
उसी रोज 24 जनवरी, 2025 को मोनू पिस्तौल ले कर दोपहर करीब साढ़े 12 बजे राजाराम के घर के बाहर जा पहुंचा. काफी समय तक घर के बाहर मंडराता रहा. कभी कमर मेें खोंस कर रखे पिस्तौल को टटोलने लगता तो कभी मोबाइल पर नंबर सरकाने लगता. उस की स्थिति एक विक्षिप्त जैसी थी. उस ने राजाराम मीणा को कौल की. उस की कौल का जवाब राजाराम ने चिढ़ते हुए दिया, ”बोलो, क्या बात है? क्यों सुबह से मुझे कौल कर के तंग कर रहे हो?’’
जवाब में मोनू बोला, ”घर आओ, तुम से जरूरी बात करनी है. मैं तुम्हारे साथ दुश्मनी रख कर एक ही मोहल्ले में भला कैसे रह पाऊंगा?’’
राजाराम को भी न जाने क्या सूझी, वह मोनू के कहने पर घर आ गया. पीछे से ताक लगाए मोनू भी राजाराम के घर में घुस आया. उस वक्त घर पर आशा और उस की विवाहित बहन मीनाक्षी मौजूद थी. वह अपने मायके आई हुई थी. मोनू ने उस से कहा कि बाहर उस की सहेली बुला रही है. उस के कहे पर मीनाक्षी बाहर चली गई, किंतु वहां सहेली को नहीं पा कर सामने उस के घर ही चली गई. राजाराम मोनू को ले कर घर के पिछले हिस्से में बने कमरे में ले कर चला गया. वहीं आशा भी आ गई. राजाराम के कुछ भी बोलने से पहले मोनू ही कड़े तेवर के साथ बोला, ”राजाराम, तूने आशा को मुझ से बात करने से क्यों मना किया?’’
उस के कड़े रुख को देखते हुए राजाराम नरमी के साथ बोला, ”देख मोनू, तू बालबच्चे वाला है, मैं भी बालबच्चेदार हूं…ऐसे में तू जो चाहता है वह कैसे हो सकता है? समाजपरिवार भी कुछ होता है या नहीं?’’
”मुझे अच्छेबुरे की तुझ से ज्यादा समझ है… प्यारमोहब्बत भी तो कुछ होता है कि नहीं…इस पर दुनियाजहान टिकी हुई है.’’ मोनू ने तर्क दिया.
”लेकिन तुम जो चाहते हो, वह सरासर गलत है…और जब आशा ही तुम से बात नहीं करना चाहती, तब तुम क्यों उस के पीछे पड़े हो?’’ अब राजाराम भी उस की तरह गर्म लहजे में बोला.
आशा ने बीचबचाव करने की कोशिश की, लेकिन कुछ सेकेंड में ही बात बिगड़ती चली गई. उन तीनों के बीच गरमागरम बहस छिड़ गई. यहां तक कि मोनू और राजाराम एकदूसरे को धमकाने लगे…और उन के बीच हाथापाई तक की नौबत आ गई. आशा बीचबचाव करने लगी. मोनू उसे परे धकेलता हुआ बोला, ”तुम हट जाओ…आज में इसे हमेशा के लिए हटा कर रहूंगा.’’
आशा को जोर का धक्का लगा था, जिस से वह थोड़ी दूर जा कर गिर पड़ी. इस बीच मोनू ने कमर में खोंस कर रखी पिस्तौल राजाराम मीणा की कनपटी पर सटा दी. आशा चीखी, बचाने की गुहार लगाई…किंतु तब तक तो मोनू के सिर पर आक्रामकता का भूत सवार हो चुका था. सेकेंड भर में ही उस ने गोली दाग दी, राजाराम मीणा धड़ाम से वहीं गिर गया. आशा अवाक रह गई!
किंतु जल्द ही वह चीखती हुई मोनू को मारने के लिए उस की तरफ दौड़ पड़ी. मोनू आशा के विरोधी तेवर को देख कर डर गया. उस ने महसूस किया कि आशा को पति की मौत का जबरदस्त सदमा लगा है, इसलिए उस की विरोधी बन चुकी है. उसे पुलिस में पकड़वा सकती है. आशा जैसे ही पास आई, उस ने तुरंत उस की कनपटी पर भी पिस्तौल रख कर गोली दाग दी. आशा भी राजाराम की तरह जमीन पर गिर पड़ी. उस के बाद मोनू फरार हो गया.
इस तरह एक घर में डबल मर्डर की घटना हो गई थी. दोनों रक्तरंजित लाशें जमीन पर पड़ी थीं. जब मीनाक्षी घर आई, तब वह भाई और भाभी की लाश देख कर घबरा गई. उस वक्त राजाराम का बेटा स्कूल में था. मीनाक्षी ने सब से पहले अपने भाई गोलू को इस की सूचना दी. वह भागाभागा घर आया. इस घटना की खबर आग की तरह पूरे मोहल्ले में फैल गई. गोलू पड़ोसियों की मदद से राजाराम और आशा को नारायण अस्पताल ले गया. वहां डौक्टर ने दोनों को मृत घोषित कर दिया.
दोपहर ढाई बजे सदर थाना सांगाने को इस वारदात की सूचना मिल गई. इंसपेक्टर नंदलाल चौधरी दलबल के साथ अस्पताल पहुंचे. घटना की तहकीकात डौक्टरी जांच के आधार पर की, उस के बाद पुलिस घटनास्थल पर गई. इस बीच दोहरे हत्याकांड में मोनू पंडित का हाथ होने की जानकारी मिली. उस के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया. इस घटना की जानकारी एसएचओ नंदलाल चौधरी ने अपने आला अधिकारियों को भी दी. मौके पर डीसीपी (साउथ) दिगंत आनंद अपने अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे.
एफएसएल टीम को भी मौके पर बुलाया गया. जांच टीम ने वहां से साक्ष्य एकत्रित किए. कमरे में बिखरे खून के नमूने लिए. वहीं से खाली कारतूस भी मिले. घटना के बारे में मृतकों के परिजनों में आशाराम मीणा उर्फ गोलू और मीनाक्षी से तमाम तरह की जानकारियां जुटाई गईं. गोलू ने साफतौर पर कहा कि मोनू ने उसे राजाराम को मारने की धमकी दी थी. वह आशा से प्रेम करता था, जिस का राजाराम ने विरोध जताया था.
इस दोहरे हत्याकांड में मुख्य आरोपी मोनू उपाध्याय उर्फ मोनू पंडित फरार हो गया था. उस के घर में तलाशी ली गई, लेकिन वह दूसरे शहर के लिए निकल चुका था. उस के फेमिली वालों को न तो किसी तरह के प्रेमप्रसंग की जानकारी थी और न ही इस तरह की घटना को ले कर कभी संदेह हुआ था. एडिशनल डीसीपी ललित शर्मा के नेतृत्व में पुलिस की टीमें हत्यारे का पता लगाने में जुट गई थीं. घटनाक्रम से पहले वही व्यक्ति था, जो आशा और राजाराम से घर पर बातचीत के लिए आया था.
तीनों के बीच क्या बातें हुईं और पूर्व में किस तरह का कैसा विवाद था? इस बारे में मृतक के परिजनों और फैक्ट्री में काम करने वाले कारीगरों से पूछताछ की गई. उस के पकड़े जाने पर ही वारदात का पूरी तरह से खुलासा हो पाएगा. मोनू की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम ने पहले उस के मोबाइल नंबर से लोकेशन का पता लगाई. इसी के साथ पूरे इलाके के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच की गई. एक फुटेज में मोनू आगरा जाने वाली बस में सवार होता हुआ दिख गया. उस आधार पर पुलिस टीम ने दौसा आगरा की तरफ रुख किया. उस का मोबाइल फोन भी सर्विलांस पर था.
उस ने जैसे ही फोन को औन किया, उस की लोकेशन दौसा की मिल गई. उस आधार पर 25 जनवरी, 2025 की रात को उसे दौसा से महुवा जाने के क्रम में उसे गिरफ्तार कर लिया गया. अगले दिन 26 जनवरी को उसे सांगनेर सदर थाने लाया गया. उस से सख्ती से पूछताछ की गई. उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. उस से पुलिस ने दोनों हत्याओं में प्रयुक्त हुई देसी पिस्तौल भी बरामद कर ली. मोनू को उसी रोज कोर्ट में पेश किया गया, वहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. Rajasthan Crime News