UP Crime News : बलरामपुर की विनीता और उस का पति मदन कुमार आर्य दोनों ही सरकारी नौकरी पर थे. हर महीने मोटी सैलरी मिलती थी. कमाई के चक्कर में मदन कुमार पत्नी की शारीरिक जरूरत को तवज्जो नहीं देता था. ऐसे में 2 जवान बच्चों की 40 वर्षीय मां विनीता का अपने भांजे उमेश कुमार पर दिल आ गया. फिर एक दिन वही हुआ, जिस की…
विनीता आर्य 2 सप्ताह से अपने भांजे उमेश कुमार की काल रिसीव नहीं कर रही थी, जिस से उमेश की उलझन बढ़ती जा रही थी. इसी उलझन में वह शाम करीब 5 बजे विनीता के घर जा पहुंचा. उस ने डोरबैल बजाई तो चंद मिनट बाद विनीता ने दरवाजा खोला. सामने उमेश को देखते ही विनीता तल्ख स्वर में बोली, ”उमेश, तुम्हारे मामा तो घर में हैं नहीं. बेटा मनु भी कोचिंग गया है.’’
”मामी, मामा नहीं, आप तो हैं.’’ कहते हुए उमेश घर के अंदर आ गया और कमरे में पड़े सोफे पर आ कर बैठ गया. उमेश ने एक सरसरी नजर विनीता मामी पर डाली फिर बोला, ”मामी, वैसे भी मैं मामा से नहीं, तुम से मिलने आया हूं. तुम मेरी काल रिसीव क्यों नहीं कर रही थी.’’
”देखो उमेश, अब तुम शादीशुदा और एक बच्चे के बाप हो. इसलिए तुम से फोन पर बतियाना और तुम्हारा घर आना, दोनों ही ठीक नहीं है. वैसे भी पति और बेटा दोनों तुम्हें शक की नजरों से देखते हैं. तुम से नफरत करते हैं.’’
”मामी, मैं पहले भी तो घर आता था. तब तुम खूब हंसती थी, बोलती थी, बतियाती थी. मेरे आने का इंतजार करती थी. 2-4 दिन भी न आऊं तो उलाहना देती थी. अंतरंग क्षणों में तुम्हें सुख की अनुभूति भी होती थी, परंतु अब क्या हो गया है?’’
”तब की बात और थी उमेश. तब मैं तुम से प्यार करती थी. इसलिए खुल कर हंसतीबोलती थी. तुम्हारा बेसब्री से इंतजार भी करती थी. न आने पर बेचैन हो जाती थी. तुम्हारे साथ मिलन में मुझे सुख भी मिलता था. लेकिन अब बात कुछ और है. तुम्हारी खूबसूरत पत्नी है. बच्चा है. अब तुम पतिधर्म का पालन करो और मुझे भूल जाओ. वैसे भी अब मैं तुम से प्यार नहीं करती. मैं ने तुम्हें अपने दिल से निकाल दिया है.’’
”मामी, मैं मानता हूं कि मेरी पत्नी जवान है और खूबसूरत भी है. लेकिन तुम मेरा पहला प्यार हो. तुम्हारे साथ मिलन में मुझे जो सुख मिलता है, वह बीवी के साथ नहीं. वैसे मामी, मुझे पता है कि तुम मुझे क्यों नजरअंदाज कर रही हो और क्यों तुम ने मुझे अपने दिल से निकाल फेंका है. जवान और सुंदर बीवी तो बहाना है.’’
”क्या पता है तुम्हें?’’ विनीता ने अनजान बनते हुए उमेश से पूछा.
”यही कि अब तुम ने अपने दिल में किसी और को बसा लिया है. उसी के साथ गुलछर्रे उड़ा रही हो. इसलिए तुम ने मुझे अपने दिल से निकाल दिया है और मुझे नजरअंदाज कर रही हो. तुम मामा की आंखों में धूल झोंक सकती हो, मेरी आंखों में नहीं.’’
विनीता गुस्से से बोली, ”उमेश, तुम हदें पार कर रहे हो. तुम्हारा इलजाम सरासर गलत है. मैं ने किसी को दिल में नहीं बसाया है और न ही पति की आंखों में धूल झोंक रही हूं. तुम्हें नजरअंदाज करने लगी हूं. इसलिए तुम मेरे चरित्र पर अंगुली उठाने लगे हो.’’
उस रोज विनीता और उमेश के बीच नजर अंदाज को ले कर काफी देर तक नरमगरम बहस होती रही. उस के बाद उमेश वापस घर आ गया. दरअसल, उमेश को शक था कि विनीता ने अपने साथ नौकरी करने वाले एक टीचर से रिश्ता जोड़ लिया है. इसलिए वह उसे नजरअंदाज करने लगी है और उस से दूरी बना ली है. उमेश नहीं चाहता था कि उस की प्रेमिका विनीता उस के अलावा किसी और की बांहों में समाए. इसलिए उस ने विरोध जताया और समझाने का प्रयास भी किया. लेकिन विनीता जब नहीं मानी तो उस ने उसे सबक सिखाने की ठान ली. उमेश ने मन ही मन निश्चय कर लिया कि विनीता उस की नहीं हुई तो वह उसे किसी और की भी नहीं होने देगा.
पहली अप्रैल, 2025 की शाम 5 बजे उमेश अपनी ब्रेजा कार से वीर विनय चौराहे की ओर जा रहा था, तभी उस की नजर विनीता पर पड़ी. वह बाजार की ओर शायद कुछ घरेलू सामान खरीदने जा रही थी. उमेश कार ले कर विनीता के पास पहुंचा और बोला, ”मामी, क्या बाजार जा रही हो? कार में बैठो, मैं तुम्हें बाजार तक छोड़ देता हूं. बाजार करने के बाद मैं तुम्हें घर भी छोड़ दूंगा.’’
”नहीं, नहीं उमेश, मैं बाजार चली जाऊंगी. तुम मेरे लिए परेशान मत हो. जहां जा रहे हो, जाओ.’’
लेकिन उमेश नहीं माना. उस ने फुरती से कार का दरवाजा खोला और विनीता को अगली सीट पर बिठा लिया. उस के बाद स्वयं ड्राइविंग सीट पर बैठ कर कार बढ़ा दी तो विनीता ने पूछा, ”उमेश, तुम मुझे कहां ले जा रहे हो?’’
उमेश मुसकराते हुए बोला, ”मामी, आज बहुत दिनों बाद मौका मिला है. इसलिए हम सैरसपाटे पर जा रहे है. घंटे दो घंटे में वापस आ जाएंगे.’’
”घर न पहुंची तो तुम्हारे मामा परेशान होंगे. इसलिए मैं घूमने नहीं जाऊंगी. तुम मुझे बाजार छोड़ दो. सामान ले कर मैं समय से घर पहुंच जाऊंगी. मुझे खाना भी बनाना है.’’
लेकिन उमेश ने विनीता की बात अनसुनी कर दी. वह उसे बलरामपुर शहर से श्रावस्ती ले गया, फिर वहां से बहराइच होता हुआ गोंडा जिले के खरगूपुर थाना क्षेत्र के गांव परसौनी पहुंचा. यहां उस ने गांव से कुछ दूर विसुहा नदी के पुल के किनारे कार रोक दी. अब तक रात का अंधेरा घिर आया था. आवाजाही न के बराबर थी. उमेश ने विनीता का हाथ अपने हाथ में ले कर पूछा, ”मामी, सचसच बताओ, क्या तुम मुझ से प्यार नहीं करती और तुम ने किसी और को अपने दिल में बसा लिया है?’’ कहते हुए उमेश ने विनीता को अपनी बांहों में भर लिया और मनमानी करने लगा. विनीता बचाव करने लगी.
बचाव के दौरान ही विनीता ने एक तमाचा उमेश के गाल पर जड़ दिया. तमाचा पड़ते ही उमेश का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. उस ने विनीता के गले में पड़ा दुपट्टा उसी के गले में लपेटा और गला कसने लगा. कुछ ही देर में विनीता की जीभ और आंखें बाहर आ गईं और उस की मौत हो गई. हत्या करने के बाद उमेश ने विनीता का मोबाइल फोन व दुपट्टा सुरक्षित किया, फिर शव को कार से निकाल कर विसुहा नदी के पुल के नीचे फेंक दिया. वापस लौटते समय उस ने विनीता का मोबाइल फोन बंद कर दिया. फोन और दुपट्टा दुल्हिनपुर के जंगल में फेंक दिया. इस के बाद वह घर आ गया.
इधर विनीता अपने पति मदन कुमार आर्य से शाम 5 बजे यह कह कर घर से निकली थी कि वह घर का सामान खरीदने सिविल लाइंस बाजार जा रही है. सामान खरीद कर घंटे-दो घंटे बाद वापस आ जाएगी. इंतजार करतेकरते मदन कुमार को 3 घंटे से अधिक का समय बीत चुका था, लेकिन विनीता बाजार से खरीददारी कर वापस नहीं आई थी. पत्नी की खोज में मदन कुमार सिविल लाइंस स्थिति मार्केट भी गया और मार्केट का चप्पाचप्पा छान मारा, लेकिन विनीता उसे कहीं नहीं दिखी. अत: हताश हो कर वह वापस आ गया.
सुबह होते ही अड़ोसपड़ोस में भी विनीता के लापता होने की खबर फैल गई. फिर तो विनीता का लापता होना मोहल्ले में चर्चा का विषय बन गया. मदन कुमार आर्य 2 अप्रैल, 2025 की सुबह 10 बजे थाना सिविल लाइंस पहुंचा. उस समय एसएचओ शैलेश सिंह थाने में मौजूद थे. मदन कुमार आर्य ने उन्हें बताया कि उन की पत्नी विनीता कंपोजिट विद्यालय में अनुदेशिका पद पर कार्यरत है. कल शाम 5 बजे वह सिविल लाइंस बाजार गई थी. तब से वह वापस नहीं आई. उस का फोन भी बंद है. उस की खोज हर संभावित स्थान पर की गई है. लेकिन उस का कुछ भी पता नहीं चल पा रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि विनीता पूर्व विधायक सुखदेव प्रसाद की बेटी की बहू है.
चूंकि मामला पूर्व विधायक के परिवार से जुड़ा था, अत: एसएचओ शैलेश सिंह ने विनीता के लापता होने की जानकारी एसपी विकास कुमार को दी. साथ ही मदन कुमार की तहरीर पर गुमशुदगी दर्ज कर ली. एसपी विकास कुमार ने विनीता की गुमशुदगी को गंभीरता से लिया और उस की खोज के लिए एएसपी नम्रता श्रीवास्तव की अगुवाई में एक विशेष टीम गठित कर दी. इस टीम में एसएचओ शैलेश सिंह के अलावा कुछ तेजतर्रार पुलिसकर्मियों व सर्विलांस टीम को शामिल किया गया. साथ ही कुछ खास खबरियों को भी विनीता की टोह में लगाया गया.
पुलिस टीम ने सब से पहले विनीता के पति मदन कुमार व उन के बेटे मनु से पूूछताछ की, फिर सर्विलांस टीम की मदद से घर से ले कर बाजार तक सड़क किनारे लगे सीसीटीवी कैमरों को खंगाला. टीम को एक बड़ी सफलता तब मिली, जब सिविल लाइंस बाजार के पहले सड़क किनारे लगे सीसीटीवी कैमरे में विनीता दिखी. वह किसी कार सवार युवक से बात कर रही थी. फिर उसी युवक की कार में बैठ जाती दिखी. पुलिस टीम ने वह फुटेज विनीता के पति मदन कुमार आर्य को दिखाई तो वह चौंकते हुए बोला, ”अरे यह तो उमेश कुमार है. कार भी उसी की है. विनीता उसी से बात कर रही है.’’
”यह उमेश कुमार कौन है?’’ एसएचओ शैलेश सिंह ने मदन कुमार से पूछा.
”सर, उमेश कुमार हमारा भांजा है. वह देहात कोतवाली थाना क्षेत्र के गांव गजाधर सिंह डिडवा में रहता है. बलरामपुर शहर के वीर विनय चौराहा स्थित एचडीएफसी बैंक में सेल्स औफिसर के पद पर कार्यरत है. उस का मेरे घर खूब आनाजाना था. मामीभांजे में खूब पटती थी. परंतु इधर कुछ महीने से उस का घर आनाजाना बेहद कम हो गया है. विनीता भी उस से दूरियां बनाए हुए थी. लेकिन सर..?’’
”लेकिन क्या?’’ एसएचओ शैलेश सिंह ने मदन कुमार की आंखों में झांकते हुए पूछा.
”सर, कल हम ने उमेश को कौल लगा कर विनीता के लापता होने की जानकारी दी थी, लेकिन उस ने साफ मना कर दिया था कि विनीता के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है. आखिर उस ने झूठ क्यों बोला? जबकि विनीता उसी की कार में उसी के साथ बैठ कर फुटेज में जाती दिख रही है. सर, मुझे तो दाल में कुछ काला नजर आ रहा है.’’
सेल्स औफिसर उमेश कुमार शक के घेरे में आया तो पुलिस टीम ने उस के घर रात 11 बजे छापा मारा और उसे हिरासत में ले लिया. उसे थाना सिविल लाइंस लाया गया. थाने में एसएचओ शैलेश सिंह ने उमेश से पूछा, ”विनीता कहां है?’’
”सर, मुझे उस के बारे में कुछ भी पता नहीं है.’’ उमेश बोला.
”तुम सरासर झूठ बोल रहे हो. विनीता तुम्हारे साथ ही गई थी. यकीन नहीं तो यह सीसीटीवी फुटेज देख लो.’’ एसएचओ शैलेश सिंह ने कड़ा रुख अपनाया.
उमेश ने सीसीटीवी फुटेज देखी तो वह हक्काबक्का रह गया और बगलें झांकने लगा. इसी समय शैलेश सिंह ने फिर से पूछा, ”अब बताओ, विनीता कहां है?’’
”सर, विनीता अब इस दुनिया में नहीं है.’’ उमेश ने विस्फोट किया.
”क्या तुम ने उसे मार डाला? उस की लाश कहां है?’’ शैलेश सिंह ने पूछा.
”सर, विनीता को मैं घुमाने के बहाने अपनी कार से ले गया था. फिर गोंडा जिले के गांव परसौना के पास कार में ही उस को गला घोंट कर मार दिया और लाश विसुहा नदी के पुल के नीचे फेंक दी थी.’’
एसएचओ शैलेश सिंह ने अनुदेशिका विनीता की हत्या होने व आरोपी के पकड़े जाने की खबर एसपी विकास कुमार को दी तो वह चौंक गए. उन्होंने तत्काल गोंडा के एसपी विनीत जायसवाल से बात की और विनीता का शव विसुहा नदी के पुल के नीचे से बरामद करने को कहा. गोंडा एसपी विनीत जायसवाल की सूचना पर थाना खरगूपुर पुलिस घटनास्थल विसुहा नदी पुल पर पहुंची. एसएचओ शैलेश सिंह भी अपनी टीम तथा आरोपी उमेश को साथ ले कर घटनास्थल पहुंच गए. फिर उमेश की निशानदेही पर पुलिस की संयुक्त टीम ने मृतका विनीता का शव पुल के नीचे से बरामद कर लिया.
बलरामपुर के एसपी विकास कुमार, एएसपी नम्रता श्रीवास्तव तथा गोंडा एसपी विनीत जायसवाल भी घटनास्थल पहुंचे और घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. मृतका विनीता की उम्र 40 साल के पार थी. उस की हत्या गला घोंट कर की गई थी. उस के शरीर पर चोट का कोई निशान नहीं था. उस का रंग गोरा, औसत कद तथा शरीर स्वस्थ था. इधर पत्नी विनीता की हत्या की खबर पा कर मदन कुमार भी अपने बेटे मनु के साथ घटनास्थल पर पहुंच गया. पत्नी का शव देख कर मदन कुमार की भी आंखों से आंसू बहने लगे.
पुलिस अधिकारियों ने निरीक्षण के बाद विनीता के शव को पोस्टमार्टम के लिए गोंडा के जिला अस्पताल भिजवा दिया. उस के बाद पुलिस टीम आरोपी उमेश को थाना सिविल लाइंस ले आई. थाने में एसपी विकास कुमार तथा एएसपी नम्रिता श्रीवास्तव ने आरोपी उमेश कुमार से घटना के संबंध में पूछताछ की. उमेश कुमार ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि मामा मदन कुमार आर्य के घर उस का आनाजाना बना रहता था. इसी आनेजाने में उस का लव अफेयर मामी विनीता से बन गया. कुछ समय बाद मामी ने अपने विद्यालय के एक टीचर को अपने दिल में बसा लिया और उसे नजरअंदाज करने लगी.
मामी का दूसरे से संबंध बनाना उसे नागवार लगा. उस ने मामी को समझाया भी, लेकिन जब वह नहीं मानी तो घटना वाले दिन वह उसे घुमाने के बहाने ले गया और कार में उसी के दुपट्टे से उस का गला घोंट दिया. उमेश ने हत्या में प्रयुक्त दुपट्टा, कार व मोबाइल फोन भी पुलिस को बरामद करा दिया. दुपट्टा व मोबाइल को उस ने दुल्हिनपुर के जंगल में छिपा दिया था.
चूंकि उमेश कुमार ने विनीता की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया था और आलाकत्ल भी बरामद करा दिया था, अत: पुलिस ने मृतका के पति मदन कुमार आर्य की तरफ से बीएनएस की धारा 103(1) तथा 238 के तहत उमेश कुमार निवासी गांव गजोधर सिंह डिडवा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा उसे विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस जांच में मामीभांजे के लव क्राइम की जो कहानी सामने आई, उस का विवरण इस प्रकार है.
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर शहर के सिविल लाइंस मोहल्ले में मदन कुमार आर्य सपरिवार रहता था. उस के परिवार में पत्नी विनीता के अलावा बेटा मनु व एक बेटी थी. मदन कुमार बिजली विभाग में बाबू था. उस की पत्नी विनीता बलरामपुर जिला पंचायत स्थित आदर्श कंपोजिट विद्यालय में अनुदेशिका के पद पर थी. चूंकि पतिपत्नी दोनों सरकारी नौकरी करते थे, अत: उन की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. बेटी पढ़लिख कर जवान हुई तो उन्होंने उस का ब्याह रचा दिया था. वह सुखपूर्वक ससुराल में रह रही थी. मदन कुमार आर्य की मां गंगाजली पूर्व विधायक सुखदेव प्रसाद की बेटी थीं. सुखदेव प्रसाद बलरामपुर शहर की तुलसीपुर विधानसभा सीट से 2 बार विधायक चुने गए थे. सिविल लाइंस वाला बंगला विधायक कोटे के तहत आवंटित हुआ था. विधायक पिता सुखदेव की मृत्यु के बाद गंगाजली अपने बेटे मदन कुमार व बहू विनीता के साथ इसी बंगले में रहने लगी थी.
मदन कुमार व उस की पत्नी विनीता, बेटे मनु को बेहद प्यार करते थे. वह उसे अच्छी शिक्षा दिला कर प्रशासनिक सेवा में लाना चाहते थे. इसलिए वह उस की शिक्षा पर पूरा ध्यान दे रहे थे और पैसा भी खूब खर्च कर रहे थे. मनु भी पढऩे में तेज था. अत: वह पढ़ाई पर जोर दे रहा था. विनीता खुद अच्छा कमाती थी और उस के पति मदन कुमार की भी कमाई खूब थी. घर में किसी चीज की कमी न थी. दोनों खुशहाल थे, लेकिन विनीता को पति की कमी खलती थी. दरअसल, विनीता बलरामपुर शहर में कार्यरत थी, जबकि पति गोंडा शहर में बिजली विभाग में बाबू था.
उस का रोजाना घर आना संभव न था, इसलिए वह गोंडा में ही किराए के मकान में रहता था. महीने में एकदो बार ही घर आता था और 2-3 दिनों बाद वापस चला जाता था. विनीता उन दिनों उम्र के उस दौर से गुजर रही थी, जब औरत को पुरुष की नजदीकियों की ज्यादा जरूरत होती है. विनीता 2 जवान बच्चों की मां जरूर थी, लेकिन उस की उम्र का अंदाजा लगाना मुश्किल था. वह खूब बनसंवर कर रहती थी. वह कुछ समय तक पति की कमी बरदाश्त करती रही. उस के बाद उस का जिस्म अंगड़ाइयां लेने लगा.
एक रोज विनीता सजधज कर घर से निकलने ही वाली थी कि मदन कुमार आर्य का भांजा उमेश कुमार आ गया. विनीता ने उसे आश्चर्य से देखते हुए पूछा, ”अरे तुम, इस तरह अचानक?’’
”मामी, अभीअभी गांव से आ रहा हूं.’’ उमेश कुमार ने मुसकरा कर जवाब दिया.
उस दिन उमेश को मामी बहुत ज्यादा खूबसूरत लगी. उस की निगाहें विनीता के चेहरे पर जम गईं. यही हाल विनीता का भी था. उमेश को इस तरह निगाहें जमाए देखा तो विनीता बोली, ”ऐसे क्या देख रहे हो मुझे? क्या पहली बार देखा है? बोलो, किस संकोच में डूबे हो?’’
”नहीं मामी, ऐसी कोई बात नहीं है. मैं तो यह देख रहा था कि मेकअप में आप कितनी सुंदर लग रही हैं. खुले बालों में तो आप गजब ही ढा रही हो.’’
”बस… बस रहने दो. बहुत बातें बनाने लगे हो. तुम्हारे मामा तो कभी तारीफ नहीं करते. महीने में एक या 2 बार आते हैं. वह भी थकेथके से रहते हैं.’’
”अरे मामी, औरत की खूबसूरती सब को रास थोड़े ही आती है. मामा बिजली विभाग में हैं. ऊपरी कमाई में जुटे रहते हैं, इसलिए वह तुम्हारी कद्र नहीं करते.’’
”तू तो मेरी बहुत कद्र करता है. महीनों बीत जाते हैं, झांकने तक नहीं आता. जा बहुत देखे हैं, तेरे जैसे बातें बनाने वाले.’’
”मुझे सचमुच आप की कद्र है मामी. यकीन न हो तो परख लो. अब मैं तुम्हारी खैरखबर लेने आता रहूंगा. छोटाबड़ा जो भी काम कहोगी, करूंगा.’’ उमेश ने विनीता की चिरौरी सी की. उमेश की यह बात सुन कर विनीता खिलखिला कर हंस पड़ी. फिर बोली, ”तुम आराम से सोफे पर बैठो. मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं.’’ कह कर विनीता ने रसोई का रुख किया.
थोड़ी देर में विनीता 2 कप चाय और नाश्ता ले आई. दोनों गपशप लड़ाते हुए चाय पीते रहे और चोरीछिपे एकदूसरे को देखते रहे. दोनों के ही दिलोदिमाग में हलचल सी मची हुई थी. सच तो यह था कि विनीता उम्र में कई साल छोटे स्मार्ट उमेश को देख कर उस पर फिदा हो गई थी. वह ही नहीं, उमेश भी मामी का दीवाना बन गया था. दोनों के दिल एकदूसरे के लिए धड़के तो नजदीकियां खुदबखुद बन गईं. इस के बाद उमेश कुमार हर सप्ताह विनीता से मिलने आने लगा. विनीता को उस का आना अच्छा लगता था. जल्द ही वे एकदूसरे से खुल गए और दोनों के बीच हंसीमजाक होने लगी. चूंकि दोनों के बीच मामीभांजे का रिश्ता था, इसलिए विनीता चाहती थी कि पहल उमेश कुमार करे. जबकि उमेश चाहता था कि जिस्म की भूखी मामी स्वयं उसे उकसाए.
आखिर जब विनीता से नहीं रहा गया तो एक रोज रात में उस ने उमेश को अपने घर रोक लिया. खाना खाने के बाद उमेश कमरे में जा कर पलंग पर लेट गया और सोने की कोशिश करने लगा. थोड़ी देर बाद विनीता भी उसी पलंग पर उमेश के बगल में लेट गई और उस से लिपट गई. विनीता का स्पर्श पा कर उमेश सिहर उठा. लेकिन वह रिश्ते की मर्यादा समझता था. इसलिए चुपचाप लेटा रहा. विनीता उस वक्त अधोवस्त्र में थी, जिस से उस के कोमल उभार उमेश के शरीर को छू रहे थे. वह उस से सटती ही जा रही थी, लेकिन उमेश रिश्ते की मर्यादा सोच कर चुपचाप लेटा था.
लेकिन वह कब तक चुप रहता? विनीता ने उकसाया तो उस रात दोनों के बीच की हर दीवार टूट गई. मामीभांजे का रिश्ता टूट कर बिखर गया और एक नए रिश्ते ने जन्म लिया, वह था अवैध संबंधों का रिश्ता. उस दिन के बाद विनीता और उमेश अकसर देह सुख प्राप्त करने लगे. विनीता भूल गई कि वह 2 जवान बच्चों की मां है और पति से विश्वासघात कर रही है. उस ने पवित्र रिश्ते को भी ताख पर रख दिया. जवां भांजे की वह दीवानी बन गई.
30 वर्षीय उमेश कुमार बलरामपुर (देहात) कोतवाली के गांव गजोधर सिंह डिडवा का रहने वाला था. उस के पिता सालिक राम किसान थे. 3 भाईबहनों में वह सब से बड़ा था. उमेश पढ़ालिखा स्मार्ट था. वह बलरामपुर शहर के वीर विनय चौराहा स्थित एचडीएफसी बैंक में सेल्स औफिसर पद पर था. उस की कमाई अच्छी थी. अत: ठाट से रहता था. उस के पास बे्रजा कार थी, जिस से वह आताजाता था.
दबंग स्वभाव का उमेश अकसर कार से विनीता के घर आता था और मामी के जिस्म से खेल कर वापस चला जाता था. कभीकभी वह रात को भी वहीं रुक जाता था और दोनों रात भर रंगरलियां मनाते. चूंकि दोनों के बीच मामीभांजे का रिश्ता था, इसलिए कोई शक भी नहीं करता था. लेकिन ऐसे संबंध छिपते नहीं. धीरेधीरे मोहल्ले में उन दोनों के संबंधों की चर्चा होने लगी.
विनीता के पति मदन कुमार को जब विनीता और उमेश के संबंधों का पता चला तो उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई. उस ने इस बारे में पत्नी व भांजे से बात की तो दोनों ने साफ कह दिया कि ऐसी कोई बात नहीं है. लेकिन एक शाम जब उस ने अचानक दोनों को हंसीठिठोली करते देख लिया तो उस ने दोनों को फटकारा. पर उन पर इस का कोई असर नहीं हुआ. उन का मिलन जारी रहा. इसी बीच विनीता ने अपने रिश्तेदार की लड़की ज्योति से उमेश की शादी करा दी. सुंदर पत्नी पा कर उमेश पत्नी में रम गया. साल भर बाद उमेश एक बच्चे का बाप भी बन गया. पत्नी के आ जाने से उमेश का मामी से शारीरिक मिलन बंद सा हो गया. हां, इतना जरूर था कि उस की फोन पर मामी से बात होती रहती थी.
इधर विनीता पुरुष सुख की आदी बन गई थी, अत: जब उमेश से उस का शारीरिक मिलन बंद हुआ तो उस ने एक जवान टीचर से संबंध बना लिए. कुछ समय बाद नई बीवी का नशा उतरा तो उमेश मामी से संबंध स्थापित करने का प्रयास करने लगा. लेकिन विनीता ने तो किसी और को दिल में बसा लिया था, अत: उस ने उमेश को तवज्जो देनी बंद कर दी और उसे नजरअंदाज करने लगी. उमेश को पहले तो कुछ पता नहीं चला, लेकिन उस ने जब गुप्त रूप से जानकारी जुटाई तो उसे पता चला कि विनीता ने किसी और को दिल में बसा लिया है, जिस से वह उसे नजरअंदाज कर रही है. यही नहीं, उस ने उमेश की काल रिसीव करनी भी बंद कर दी.
मामी की बेवफाई से उमेश बौखला गया. आखिर उस ने विनीता को सबक सिखाने की ठान ली और उस की रेकी करने लगा. पहली अप्रैल, 2025 की शाम 5 बजे विनीता सामान लेने सिविल लाइंस बाजार की ओर गई, तभी उमेश की नजर उस पर पड़ी. इस के बाद वह उस के पास पहुंचा और घुमाने के बहाने विनीता को कार में बिठा लिया. देर रात उस ने विनीता को दुपट्टे से गला घोंट कर मार डाला और लाश को भी ठिकाने लगा दिया.
विस्तार से पूछताछ करने के बाद 4 अप्रैल, 2025 को पुलिस ने हत्यारोपी उमेश कुमार को बलरामपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. कथा संकलन तक उस की जमानत लोअर कोर्ट से खारिज हो गई थी. इस के बाद उस के फेमिली वाले जमानत के लिए हाईकोर्ट में पैरवी कर रहे थे. UP Crime News