वेब सीरीज : वेब सीरीज ‘मंडला मर्डर्स’ की कहानी उत्तर प्रदेश के एक काल्पनिक गांव से शुरू होती है, जहां अंधविश्वास में लिपटा एक गुप्त समाज अपने देवता को धरती पर लाने के लिए मर चुके लोगों के अंगों को काट कर एक दूसरे मानव शरीर में जोड़ कर उसे जीवित करने का प्रयास करता है. क्या उन की यह इच्छा पूरी हो पाती है? अचानक होने वाली हत्याओं की गुत्थी सुलझाने में लगे पुलिस अधिकारी क्या हत्यारों तक पहुंच पाते हैं?
कलाकार: वैभव राज गुप्ता, वाणी कपूर, श्रिया पिलगांवकर, सुरवीन चावला, शरत सोनू, सिद्धांत कपूर, रघुबीर यादव, उत्कर्षा नाइक, लीना बलोदी, पीलू विद्यार्थी, साद बाबा, राहुल बग्गा, योगेंद्र विक्रम सिंह, आशीष त्यागी, ईशान सक्सेना, संजीव वत्स, अमन वशिष्ठ, कुलदीप सिंह और बलवान.
निर्माता/निर्देशक: गोपी पुथरन और मनन रावत, लेखक: गेब ग्रेबियल, मैट ग्राहम, अविनाश द्विवेदी, चिराग गर्ग और गोपी पुथरन छायांकन: शाज मोहम्मद, ओटीटी: नेटफ्लिक्स वेब सीरीज ‘मंडला मर्डर्स’ मशहूर लेखक महेंद्र जाखड़ के उपन्यास ‘द बुचर औफ बनारस’ पर आधारित है. यह उपन्यास वर्ष 2014 में प्रकाशित हुआ था. यह वेब सीरीज 25 जुलाई, 2025 को नेटफ्लिक्स पर रिलीज की गई थी, जिस में 8 एपिसोड हैं.
एपिसोड नंबर 1
एपिसोड की शुरुआत में चरणदासपुर गांव में 1952 का दृश्य दिखाया गया है, जहां पर कुछ महिलाएं ऊर्जा को अयास्त यंत्र की मदद से परिवर्तित कर के एक मृत व्यक्ति को जीवित करने का प्रयास कर रही हैं. यह मृत मानव शरीर भी बहुत से मृत शरीरों के अलगअलग अंगों से बनाया गया है. इन सब महिलाओं की मुखिया रुक्मिणी (श्रिया पिलगांवकर) है. गांव में आए दिन मर्डर होने के कारण गांव के सभी लोग रुक्मिणी देवी पर जादू का शक जताते हुए उस के घर आ जाते हैं.
जल्दबाजी में रुक्मिणी उस मृत शरीर को जिंदा करने के लिए एक नीले रंग की मणि मृत शरीर पर लगा देती है तो वह मृत शरीर धूधू कर जलने लगता है. गांव वाले वहां पर आते, तब तक रुक्मिणी अपना अयास्त यंत्र और नीली मणि ले कर वहां से भाग जाती है. अगले दृश्य में हम देखते हैं कि विक्रम सिंह (वैभवराज गुप्ता) जोकि दिल्ली पुलिस का सस्पेंड अधिकारी है अपने पिता विश्वनाथ (मनु ऋषि चड्ढा) के साथ अपने पुश्तैनी गांव चरणदासपुर ट्रेन से जा रहा है.
ट्रेन में विक्रम सिंह की मुलाकात प्रैस फोटोग्राफर अभिषेक सहाय (आकाश दहिया) से होती है और वह भी चरणदासपुर गांव काम से जा रहा है. विक्रम अपने पिता के साथ 20 साल बाद अपने गांव में आया है, जहां से उस की यादें जुड़ी हुई हैं. अगले सीन में व्यंकट (योगेंद्र विक्रम सिंह) प्रैस फोटोग्राफर को फोन कर के बताता है कि मुख्यमंत्री के आदमी के साथ सुजय यादव (राहुल बग्गा) और विजय यादव की 30 करोड़ रुपए की डील हो रही है. अभिषेक वहां जा कर उन के फोटो खींच लेता है, तभी सुजय और विजय के गुंडे अभिषेक को देख लेते हैं और उस का पीछा करते है, लेकिन अभिषेक वहां से बच निकलता है.
अगली सुबह विक्रम के पिता विश्वनाथ नदी में नहा रहे होते हैं तो उन्हें वहां एक लाश दिखाई देती है. वहां पर जब विक्रम लाश के सिर पर लगे चक्र के निशान को देखता है तो वह अपने बचपन के दोस्त प्रमोद साहनी (शरत सोनू) को बताता है कि उसे अपनी मां के पर्स से भी लाश के सिर पर लगा चक्र निशान वाला एक सिक्का मिला था. प्रमोद साहनी भी पुलिस विभाग में है. वह विक्रम से कहता है कि हम दोनों मिल कर तुम्हारी मां को अवश्य ढूंढ लेंगे.
अनन्या भारद्वाज (सुरवीन चावला) को दिखाया गया है, जो एक पौलिटिशियन है. अनन्या का पति जयराज (राहुल सिंह) कमर के नीचे पैरालाइज हो चुका है. दोनों पतिपत्नी की एकदूसरे से बिलकुल भी नहीं बनती. आगे पुलिस थाने में प्रमोद साहनी के पास अभिषेक के खींचे हुए फोटो पहुंच जाते हैं. जब प्रमोद को पता चलता है कि इन सब के पीछे सुजय और विजय हैं तो वह इस केस से दूरी बना लेता है. उन का एक छोटा भाई बंटी (आशीष त्यागी) भी है.
फिर हम देखते हैं कि सुजय और विजय के गुंडों से बच निकलने के बाद किसी ने प्रेस फोटोग्राफर अभिषेक का मर्डर कर दिया है. दरअसल, सुजय और विजय का परिवार बाहुबली टाइप का है. अगले दृश्य में अनन्या मुख्यमंत्री (अगस्त्य शंकर) से मिलने जाती है. मुख्यमंत्री को पुलिस अटैक वाले केस में अनन्या पर शक था, मगर अनन्या मुख्यमंत्री को अभिषेक के खींचे गए फोटोग्राफ्स दिखाती है और कहती है कि सुजय, विजय की 30 करोड़ की डील आप के आदमी के साथ हुई थी. यानी कि इस के असली मुखिया आप ही हो, यदि इस बात को दबाना है तो आप को मुझे एमएलए का टिकट देना होगा.
अब हम सीबीआई औफिसर रिया थौमस (वाणी कपूर) को देखते हैं, जो किसी भी केस में जान लगा कर उस का खुलासा करती रही है. हाल ही में रिया का प्रमोशन भी हुआ है. इस की बात करें तो इस की शुरुआत एक ऐसे विषय से की गई है, जिस में अलगअलग मानव देहों के अंग को ले कर एक मृत मानव देह का निर्माण करना, फिर उस को किसी यंत्र और मणि की सहायता से जीवित करने का प्रयास करना, यह विषय कुछ दकियानूसी सा लगता है, जिस पर विश्वास करना असंभव है. अभिनय की बात करें तो इस एपिसोड में कोई भी कलाकार दर्शकों को प्रभावित करने में सफल नहीं रहा है.
एपिसोड नंबर 2
इस एपिसोड की शुरुआत में विक्रम अपने पिता से उर्मिला (राखी मंसा) के बारे में पूछता है कि हमारे पास में ये लोग रहते थे, जिन के बेटे बबलू के साथ मैं बचपन में खेला करता था, लेकिन उस के पिता को इस बारे में कुछ पता नहीं होता. उस के बाद फ्लैशबैक में 20 साल पहले का दृश्य दिखाया गया है, जब विक्रम के छोटे भाई पवन (नैतिक नाग) की हालत बहुत नाजुक हो गई थी, तब विक्रम की मां उर्मिला काकी और पवन को ले कर वरुणा जंगल में गई थी. वहां पर एक बाबा के पास अयास्त यंत्र था, जिस में एक विशेष सिक्के को डाल कर अपने अंगूठे की बलि देनी होती थी, तभी वरदान मिलता था. विक्रम की मां ने भी ऐसा ही किया था.
बाद में हम उर्मिला को जंगल में बेहोश देखते हैं. इस के बाद फ्लैशबैक में एक दृश्य दिखाया गया है, जिस में सुजय और विजय के पीछे कुछ लोग उन्हें मारने के लिए पड़े हुए हैं. उस के बाद उन की मां जंगल में जा कर अयास्त यंत्र में सिक्का डाल कर अपने अंगूठे की आहुति दे कर अपने दोनों बेटों की जीवन रक्षा और उस के दुश्मनों की मौत का वरदान मांगती है. अगले दृश्य में जैसे ही सुजय और विजय पर हमला होता है, वहां पर मधुमक्खियां आ कर उन के दुश्मनों पर हमला कर देती हैं और उन के बौस की हार्ट अटैक से मौत हो जाती है. फिर सीबीआई अधिकारी रिया थौमस अपनी पूरी टीम के साथ अभिषेक मर्डर की जांच अधिकारी बन कर पहुंच जाती है.
सुजय और विजय के आदमी अनन्या की कार में हमला कर देते हैं. यहां पर रिया अकेले मुकाबला कर के उन को बुरी तरह मारती है. तभी रिया को अपने सामने एक छोटी लड़की दिखाई देती है, जिसे वह पहले भी कई बार अचानक सामने देख कर सुधबुध खो बैठती है. तभी एक गुंडा रिया के सिर पर डंडा मार कर उसे बेहोश कर देता है. यह देख कर अनन्या रिया को वहीं पर छोड़ कर अपनी गाड़ी ले कर भाग जाती है.
दूसरी ओर जब सुजय और विजय को यह पता चलता है कि रिया एक सीबीआई अधिकारी है तो वह उसे अपनी गाड़ी की डिक्की में उस के मुंह में टेप लगा कर डाल देते हैं. उन्हें लगता था कि यदि यह सच बाहर आ गया कि हम ने ही अनन्या और रिया के ऊपर हमला कराया है तो हम दोनों अवश्य ही अभिषेक मर्डर केस में फंस जाएंगे. इस के बाद सुजय और विजय अपने साथियों के साथ जंगल में बाबा से वरदान मांगने जाते हैं.
इन दोनों के गुंडों ने एक बिरजू (विनोद सूर्यवंशी) को पैसों का लालच दे कर अपना अंगूठा देने के लिए राजी कर लिया था. जंगल में पहुंच कर विजय बिरजू से कहता है कि तुम्हें वरदान में यह मांगना है कि हम दोनों की जिंदगी सहीसलामत रहे. हमारे सभी दुश्मन मारे जाएं और साथ ही मुझे चुनाव में लडऩे के लिए टिकट भी मिल जाए. उस के बाद बिरजू उस सिक्के को यंत्र में डालता है. बाबा उस से वरदान पूछता है और फिर बिरजू अपना अंगूठा यंत्र में डाल कर अपने अंगूठे को कटवा देता है. इस में बिरजू ने बाबा से क्या वरदान मांगा था, इस के बारे में बताया नहीं गया है, तभी अचानक सुजय और विजय के लोगों के ऊपर हमला हो जाता है, जिस में वे सभी मारे जाते हैं.
उस के बाद वहां पर एक हरे रंग की गैस उत्पन्न हो जाती है, जिस के कारण सुजय और विजय के सभी अंग निष्क्रिय हो जाते हैं. उस के बाद वहां पर एक नकाबपोश आदमी आता है और सुजय, विजय के दोनों हाथों को काट कर उन्हें फिर जान से मार देता है. अब वह बिरजू के पास आ कर उसे मारने वाला ही होता है कि बिरजू उसे अपना कटा हुआ अंगूठा दिखाता है तो वह अनजान नकाबपोश उसे छोड़ कर वहां से चला जाता है. यह सब देख कर बिरजू बहुत अधिक भयभीत हो जाता है और उधर इन सभी बातों को डिक्की में बंद रिया सुन रही होती है.
अगले दृश्य में विक्रम उर्मिला से जंगल के उसी स्थान पर पहुंच जाता है, जो स्थान उसे उर्मिला ने बताया था. वहां पर विक्रम घबराए हुए बिरजू को देखता है और उसे जब कार की डिक्की से कुछ आवाज सुनाई देती है तो वह डिक्की से रिया को बाहर निकाल लेता है. रिया उसे बताती कि वह एक सीबीआई औफिसर है. तब विक्रम उसे बताता है कि वह भी दिल्ली पुलिस से है. जब रिया और विक्रम सुजय व विजय की लाश के पास पहुंचते हैं तो वे देखते हैं कि दोनों की डैडबौडी से उन के दोनों हाथ गायब थे. इसी के साथ दूसरा एपिसोड समाप्त हो जाता है.
दूसरे एपिसोड की बात करें तो इस में लेखक और निर्देशक काफी भटके हुए से दिखाई दे रहे हैं. एक दृश्य में मधुमक्खियां आ कर गुंडों को डंक मार कर उन्हें जान से मार देती हैं. यह दृश्य बचकाना सा लगता है. एक दृश्य में उर्मिला कुछ भूल चुकी है तो विक्रम टेपरिकौर्ड सुना कर उस की मेमोरी को वापस ला रहा है, जोकि असंभव बात है.
एपिसोड नंबर 3
एपिसोड की शुरुआत में केवल्य शास्त्री (रघुवीर यादव) और उन की पत्नी कालिंदी शास्त्री (पीलू विद्यार्थी) को देखते हैं, जो अपने घर पर पूजा कर रहे हैं. तभी केवल्य शास्त्री को मौत की छाया दिखाई देती है. वह यह बात अपनी पत्नी को बताते हैं. अगले दृश्य में जहां पर सुजय और विजय का मर्डर हुआ था, वहां पुलिस व मीडिया तहकीकात कर कर रही है. विक्रम वहां पर जब गुफा के अंदर रोशनी ले कर जाता है तो वहां उसे एक मानव शरीर दिखता है. उधर रिया बिरजू को अपने औफिस में बुला कर पूछताछ करती है तो बिरजू बताता है कि उस ने हत्यारे को देखा तो था, मगर उस ने मुंह में नकाब लगा रखा था.
फिर विक्रम रिया को वह सिक्का देता है, जो उसे अपनी मां के पर्स से मिला था. तभी वहां पर इन्वैस्टीगेशन रूम में केवल्य शास्त्री पहुंच जाते हैं. केवल्य शास्त्री छाया विद्या के बारे में बहुत कुछ जानते हैं. वह रिया और विक्रम को बताते हैं कि आज मैं ने मौत की छाया को प्रत्यक्ष देखा है. अब अगली मृत्यु मेरी होगी. शास्त्री आगे बताते हैं कि इस बारे में उन्हें उन के दोस्त जिमी खान (जमील खान) ने पहले भी बताया था. जिमी खान चरणदासपुर में हुए मर्डर्स का अध्ययन कर रहे हैं. उन्होंने बताया है कि अगली मृत्यु सोनक की होगी. सोनक का अर्थ गुरु होता है और वह गुरु मैं ही हूं्. क्योंकि मैं लोगों को छाया विद्या सिखाता हूं.
अब रिया पुलिस टीम के साथ केवल्य शास्त्री के घर के आसपास शास्त्री परिवार के बारे में पूछताछ करती है, तब एक नाई रिया को शास्त्री परिवार की जानकारी देते हुए बताता है कि शास्त्रीजी की तो कोई औलाद ही नहीं है. एक बेटा अमृत था, जो काफी समय पहले मारा जा चुका है. तभी रिया की नजर वहां पर जश्न मना रहे लोगों पर पड़ती है जो एक युवक को फूलमालाएं पहना कर जश्न मना रहे होते हैं. रिया को पता चलता है कि यह बिरजू का बेटा अवधेश (ईशान सक्सेना) है, जो 5 साल पहले कहीं गायब हो गया था, जो आज ही लौटा है. इसी खुशी में गांव वाले जश्न मना रहे हैं.
बिरजू रिया को बताता है कि उस रात जब उस ने सिक्का जो विजय ने दिया था, उसे बाबा के यंत्र में डाला तो उन्होंने मेरा अंगूठा काट दिया. वह बताता है कि उस ने विजय का कहा हुआ वरदान नहीं मांगा था, बल्कि यह वरदान मांगा था कि 5 साल पहले उस का खोया हुआ बेटा अवधेश वापस आ जाए. सचमुच अवधेश अब दूसरे ही दिन वापस भी आ गया था. अगले दृश्य में अनन्या और विक्रम एक होटल में जा कर किसी पर नजरें रखे कैमरे से तसवीरें खींच रहे हैं, तब पता चलता है कि यह आदमी कोई और नहीं बल्कि अनन्या का पति जयराज है, जो एक युवती के साथ रंगरलियां मना रहा है. इस का मतलब जयराज पैरालाइज होने का झूठा नाटक कर रहा था. अपने पति की इस नौटंकी को अनन्या पहले ही जान चुकी थी, आज उसे सबूत भी मिल गया था.
दूसरी तरफ हम देखते हैं कि रिया अपनी टीम के कुछ प्रोफेसर के साथ केवल्य शास्त्री के घर पहुंच जाती है. रिया सभी औफिसर को घर के बाहर पहरा देने के लिए कह कर अकेले घर के अंदर चली जाती है. उधर जिम्मी खान विक्रम को सारी चीजें डिटेल में बताता है कि जब मैं ने अपने घर की दीवार मरम्मत करने के लिए तोड़ी तो ये सब चीजें मुझे यहां से ही मिली थीं. ये सभी मौतें एक मंडल से जुड़ी हैं. इस मंडल में 8 कट और 8 ही चिह्नï भी हैं. इन में से 3 को मैं डिटेक्ट कर चुका हूं.
इस में पहले सिंबल का मतलब है दृश्य रति का धड़, मतलब यह निकला कि जब अभिषेक की लाश मिली तो उस के सिर के सिवाय पूरा शरीर मौजूद था. दूसरा चिह्नï कहता है कि शुंभविशुंभ की भुजाएं यानी कि सुजय और विजय की दोनों भुजाओं को निकाल दिया गया. तीसरा चिह्नï है सोनक यानी अब गुरु की मौत होगी. जब रिया केवल्य शास्त्री से पूछताछ करने के बाद वापस जाने लगती है, तभी शास्त्री के शरीर में ऐसी एक्टिविटी होने लगती है, जैसे उन्हें किसी ने जहर दे दिया हो और शास्त्री टेबल पर गिर जाते हैं और उन की मौत हो जाती है.
यह देख कर रिया उन की पत्नी कालिंदी को बुलाने के लिए छत पर जाती है तो वह देखती है कि कालिंदी का सिर उन के शरीर से गायब था. यह देख कर वह हैरान रह जाती है. यहीं पर तीसरा एपिसोड समाप्त हो जाता है. तीसरे एपिसोड में काफी खामियां नजर आ रही हैं. विक्रम पहले जब जिमी से मिलने जाता है तो वह विक्रम को भगा देता है. दूसरी बार लाइट ले कर आता है तो वह सब बता देता है. यह दृश्य भी बचकाना सा लगता है.
इस में लेखक और निर्देशक की बड़ी भारी चूक नजर आ रही है. रिया जो खुद एक बीमारी से पीडि़त है, उसे अकेले जोखिम लेता दिखाया जाना कहीं से कहीं तक भी तर्कसंगत नहीं है. अभिनय की दृष्टि से भी कलाकार केवल भागते नजर आ रहे हैं. दृश्यों में भी एकरूपता नहीं है.
एपिसोड नंबर 4
एपिसोड की शुरुआत में विक्रम और उस की प्रेमिका कविता भारद्वाज (मोनिका चौधरी) के प्रेम संबंधों को दिखाया गया है. दिल्ली में विक्रम पुलिस इंसपेक्टर है तो कविता एक न्यूज रिपोर्टर है. यहां पर कविता एक फैक्ट्री के स्कैम को एक्सपोज करना चाहती है, जिस के लिए विक्रम उसे मना करता है क्योंकि इस में पहले ही मर्डर भी हो चुका है. विक्रम जब कविता के घर से अपने घर लौट रहा होता है, तभी कुछ लोग आ कर विक्रम को गोली मार देते हैं, जिस से वह घायल हो जाता है और वे लोग कविता के सिर पर भी भारी वस्तु से वार कर देता है, जिस के कारण कविता आज तक कोमा में ही है.
अगले दूश्य में रिया और विक्रम शास्त्रीजी के घर पर जहां दोनों पतिपत्नी की मौत हो चुकी है, वहां जांच कर रहे हैं. विक्रम को एक अजीब सी गंध वहां महसूस होती है, जो सुजय और अजय की मौत के स्थान पर भी महसूस हुई. तब रिया को वहां पर वह टैबलेट मिल जाती है, जिस से अजीब सी गंध आ रही थी. तभी उन्हें वहां एक लौकर में मंडल के 8 चिह्नï और यंत्र में डालने वाले बहुत से सिक्के भी मिलते हैं. इसी बीच जिस टैबलेट से धुआं होता है और इंसान सुन्न पड़ जाता है. उस टैबलेट का रैपर विक्रम चुपचाप अपने पास रख लेता है.
रिया और विक्रम इन सारे सिंबलों को जिमी खान के पास ले जाते हैं और उस से कहते हैं कि वह इन 5 चिह्नों की जांच कर हमें जल्दी बताएं ताकि हम मरने वालों को बचा सकें. विक्रम टैबलेट वाली बात अपने दोस्त इंसपेक्टर प्रमोद साहनी को बता देता है. अगले दृश्य में जिमी खान चौथे सिंबल को भी डिटेक्ट कर लेता है. उस के अनुसार एक ऐसी युवती का चेहरा जो राजघराने से संबंध रखती हो और बेहद सुंदर भी हो, यह खबर सुनते ही विक्रम को अनन्या का ध्यान आ जाता है और वह अनन्या को फोन कर के बताता है कि अगला मर्डर तुम्हारा हो सकता है, इसलिए अपनी सुरक्षा बढ़ा लो.
उधर दूसरी ओर रिया अभिषेक के