Crime Stories : उदय कोलते को आस्था से इसलिए नफरत हो गई थी क्योंकि उस की पत्नी उसे छोड़ कर चली गई थी और जेल जाने की वजह से घर वाले उस से नफरत करने लगे थे. इसलिए उस ने बदला लेने के लिए मंदिरों में चोरियां शुरू कर दीं. एक बड़ी चोरी में उस के हाथ मोटा माल लगा भी, लेकिन…
बोरीवली थाने के एपीआई जी.एस. घार्गे डिटेक्शन रूम में अपने सहकर्मियों के साथ एक शातिर बदमाश से पूछताछ कर रहे थे, तभी उन के मोबाइल फोन की घंटी बज उठी. असमय आई इस काल को वह रिसीव नहीं करना चाहते थे. काल डिस्कनेक्ट करने के लिए उन्होंने जेब से फोन निकाला तो उन की नजर फोन की स्क्रीन पर आ रहे नंबर पर पड़ी. उस नंबर को देख कर घार्गे की आंखों में चमक बढ़ गई क्योंकि वह नंबर उन के एक खास मुखबिर का था.
एपीआई घार्गे तुरंत डिटेक्शन रूम से बाहर लौबी में आ गए और काल रिसीव करते हुए कहा, ‘‘यस थर्टी फोर, बहुत दिनों से गायब हो. कोई काम की खबर भी नहीं दे रहे?’’
तभी मुखबिर बोला, ‘‘सर, कोई आप के काम की खबर होती तो जरूर फोन करता. अब जो खबर देने जा रहा हूं उसे सुन कर आप उछल पड़ेंगे.’’
‘‘बताओ क्या खबर है?’’ घार्गे ने उतावलेपन से पूछा.
‘‘सर, रत्नागिरी का कुख्यात सेंधमार और सजायाफ्ता चोर उदय मुंबई में देखा गया है. पता चला है कि वह आज करीब 3 बजे बोरीवली के गोखले कालेज के पास स्थित वामन हरी पेठे ज्वैलर्स के पास वाली गली में किसी को चोरी का मोटा माल देने या बेचने आने वाला है.’’
एपीआई घार्गे ने यह सुना तो उन की आंखों में चमक बढ़ गई. उन्होंने कलाई घड़ी में देखा. उस समय दोपहर के 12 बज रहे थे. उन्होंने मुखबिर से कहा, ‘‘तुम 2 बजे गोखले कालेज के पास पहुंच जाना, मैं स्टाफ के साथ वहीं मिलूंगा. मैं देखता हूं, आज उदय पुलिस के हाथों से कैसे बच कर जाएगा?’’
मुखबिर से बात कर के घार्गे फिर से डिटेक्शन रूम में पहुंच गए. वे मन ही मन संकल्प कर चुके थे कि आज हर हालत में उदय को दबोचना है. उदय नाम के उस सेंधमार ने महाराष्ट्र पुलिस की नींद उड़ा रखी थी. करीब डेढ़ बजे एपीआई घार्गे अपने सहयोगी औफिसर एपीआई जी.डी. पिसाल, हवलदार नेहरू पाटिल, बबन बबाटे, अशोक खोत, शकील शेख, रंजीत शिंदे, निलेश सांबरेकर, सचिन केलजी और सचिन खताते के साथ सादा वेश में प्राइवेट कारों से बोरीवली पश्चिम स्थित शिंपोली रोड पर गोखले कालेज के पास पहुंच गए. मुखबिर वहां पहले से मौजूद था.
वहां पहुंचते ही सभी पुलिसकर्मियों ने 2-2, 3-3 के ग्रुपों में विभाजित हो कर शिंपोली रोड पर अपना जाल फैला लिया. पुलिस को वहां इंतजार करतेकरते साढ़े 4 बज गए लेकिन उदय कहीं नजर नहीं आया. घार्गे को लगने लगा था कि खबर शायद गलत मिली है. वह दूर खड़े मुखबिर से इस सिलसिले में फोन पर बातें कर ही रहे थे कि तभी मुखबिर ने कहा, ‘‘शिकार जाल में फंसने आ चुका है साहब. हाथों में ट्रौली वाली बैग थामे हरे रंग की शर्ट वाला जो शख्स आप की ओर आ रहा है, वही उदय है. आप उसे संभालिए, मैं यहां से जा रहा हूं.’’
घार्गे ने चौंकते हुए सड़क के दूसरे किनारे की तरफ देखा तो सचमुच एक शख्स हाथ में एक ट्रौली बैग उठाए चला आ रहा था. घार्गे ने अपने स्टाफ को इशारा किया और वह खुद भी तेजी से उदय की ओर बढ़ गए. 2 मिनट के अंदर पुलिस दल ने सेंधमार उदय को दबोच कर उस का बैग अपने कब्जे में ले लिया. पूछताछ में उस ने अपना नाम उदय बताया. पुलिस ने जब बैग की तलाशी ली तो उस में देवीदेवताओं की अनेक मूर्तियां व सोनेचांदी के आभूषण निकले. इतना बहुमूल्य सामान देख कर एपीआई घार्गे दंग रह गए थे. पुलिस ने जब पूछा कि ये सोनेचांदी के आभूषण किस के हैं और सारी मूर्तियां वह कहां से लाया है तो वह इस का कोई जवाब नहीं दे पाया.
इस बीच वहां तमाम लोग इकट्ठे हो गए थे. वहां मौजूद लोगों के सामने बैग के सामान की गिनती की गई तो उस में बहुमूल्य धातु की 8 मूर्तियां, चांदी के 8 मुखौटे, सोने की 61 अनुकृतियां, 2 सोने व 2 चांदी की चेन, एक सोने का गंडा (बे्रसलेटनुमा), एक चांदी का पालना, चांदी के 6 पत्ते, चांदी के 15 सिक्के आदि चीजें मिलीं. इस सामान की कीमत अनुमानत: 15-20 लाख रुपए थी. पुलिस को अनुमान नहीं था कि उस के पास से चोरी का इतना सामान मिल जाएगा.
पुलिस उदय को गिरफ्तार कर के बोरीवली थाने ले आई. शातिर चोर के गिरफ्तार होने की बात पता चलते ही डीसीपी बालसिंह राजपूत एवं सीनियर पीआई नारायण खैरे भी बोरीवली थाने पहुंच गए. इस उपलब्धि पर पुलिस अधिकारियों ने एपीआई घार्गे की सराहना की. उदय ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि उस ने सारा सामान मंदिरों से चुराया है. चूंकि उस से विस्तार से पूछताछ करनी थी, इसलिए पुलिस ने उदय को बोरीवली मैट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश कर के 29 नवंबर, 2014 तक के लिए उस का पुलिस रिमांड ले लिया.
रिमांड अवधि में पुलिस ने जब उदय से पूछताछ की तो पता चला कि उस का चोरी का तरीका बिलकुल फिल्मी था. चोरियां करतेकरते यह आस्तिक चोर देवीदेवताओं से अचानक नफरत क्यों करने लगा, इस की एक दिलचस्प कहानी सामने आई. महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले की तहसील लांजा में एक छोटा सा गांव है शिपुशी. इसी गांव के रहने वाले सुधाकर कोलते का बेटा था उदय. उदय बचपन से ही कामचोर और उद्दंड प्रवृत्ति का था. मांबाप के लाड़प्यार में वह बिगड़ गया था.
वह दिन भर गांव के आवारा युवकों के साथ घूमता. उन के साथ रह कर उस ने शराब भी पीनी शुरू कर दी थी. बातबात पर गांव वालों से झगड़ा व मारपीट करने की वजह से गांव में वह दबंग के रूप में जाना जाने लगा था. उस की करतूतों से उस के घरवाले परेशान रहने लगे थे. उन्होंने उसे बहुत समझाया लेकिन उदय ने मांबाप की एक नहीं सुनी. जब उदय के परिजनों को लगा कि उदय उन के समझाने से सुधरने वाला नहीं है तब उन्होंने तय किया कि उस की शादी करा दी जाए. हो सकता है, पत्नी के समझाने पर वह अपनी जिम्मेदारियों को समझे और अपनी बुरी आदतें छोड़ दे. उन्होंने अपने रिश्तेदारों आदि से उदय के लिए कोई लड़की देखने को कहा. पर आवारा, बेरोजगार व शराबी उदय को भला कौन शरीफ बाप अपनी बेटी का हाथ देता.
काफी कोशिशों के बाद भी उदय की शादी नहीं हो सकी तो वह बाजारू औरतों के पास जाने लगा. रोजरोज उन के पास जाने के लिए उसे पैसों की जरूरत पड़ने लगी. शराब व अय्याशी के लिए पैसे जुटाने के लिए उस के कदम जरायम की तरफ बढ़ गए. ज्यादा पैसे कमाने के लिए उस ने दोस्तों के साथ सेंधमारी शुरू कर दी. शुरुआत उस ने पड़ोस के गांव के एक मकान से की थी. मकान मालिक पूरे परिवार के साथ अपने एक रिश्तेदार की शादी में गया हुआ था, तभी उस ने रात करीब 2 बजे खाली पड़े मकान का ताला तोड़ा और घर में रखी नकदी, ज्वैलरी आदि सामान चुरा लिया. मकान मालिक जब घर लौटा तो उस ने घर का कीमती सामान गायब पाया.
इस की रिपोर्ट उस ने थाना लांजा में दर्ज कराई. पुलिस ने इस मामले को लाख खोलने की कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली. पहली वारदात की कामयाबी से उदय की हिम्मत और बढ़ गई. इस के बाद वह धड़ाधड़ वारदातें करता चला गया. एक साल के अंदरअंदर सेंधमारी के करीब 8 मामले लांजा व आसपास के पुलिस स्टेशनों में दर्ज तो हुए परंतु पुलिस उदय तक नहीं पहुंच पाई. दूसरी ओर वारदात की रकम से उदय व उस के साथी ऐश करते रहे. उदय अब बनठन कर रहने लगा. कोई पूछता तो वह कह देता कि वह शहर में बिजनैस करता है.
जब उस के बिजनैस करने की बात फैली तो रंजना नाम की एक लड़की से उस की शादी हो गई. रंजना अत्यंत सुंदर व संस्कारी थी. वह तो यही समझती थी कि उस का पति कोई बिजनैस करता है. इसलिए वह भी ठाठबाट से रहती. लेकिन उसे क्या पता था कि पति का असली बिजनैस चोरी है. कई साल बीत गए लेकिन शातिर उदय ने पत्नी को सच्चाई पता नहीं चलने दी. इस बीच वह 2 बच्चों की मां भी बन चुकी थी. शातिरदिमाग उदय अपने खास दोस्त के साथ ही वारदात करता था. इसलिए उस के कारनामों का किसी को पता नहीं चला. लोग यह तो जानते थे कि उदय दबंग है और लड़नेमरने को तैयार रहता है. लेकिन वह शातिर चोर है, इस हकीकत से कोई वाकिफ नहीं था. इसी के चलते वह एक के बाद एक वारदात करता चला गया.
इस दौरान रत्नागिरी के विभिन्न पुलिस थानों में 24 वारदातें दर्ज की गईं. लेकिन पुलिस यह तक पता नहीं लगा पाई कि इन वारदातों को अंजाम किस ने दिया. उधर अखबारों में पुलिस की नाकामी की खबरें छपने से पुलिस की किरकिरी हो रही थी. इस से संबंधित थानाप्रभारियों पर जिले के पुलिस अधिकारियों का दबाव बढ़ रहा था. इस के बाद पुलिस ने रातदिन एक कर के जैसेतैसे चोर का पता लगा ही लिया. जब उन्हें पता चला कि वह शातिर चोर उदय है तो एक दिन लांजा पुलिस ने उसे उस के घर से गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ करने के बाद पुलिस ने चोरी के कई मामलों का खुलासा किया और उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
रंजना को जब पति की सच्चाई पता चली तो उसे बड़ा दुख हुआ. गुस्से में वह बच्चों को साथ ले कर वहां से चली गई. उस के खिलाफ न्यायालय में कई साल केस चला और उसे 4 साल की सजा सुनाई गई. जेल में रहते हुए उदय को जब पत्नी के चले जाने की जानकारी मिली तो उसे गहरा सदमा पहुंचा. वह इस कुदरत का खेल समझने लगा, इसलिए उसे भगवान के नाम से ही नफरत हो गई. उस ने तय कर लिया कि उस ने अब तक इंसानों के घरों की तिजोरियां साफ की हैं, लेकिन जेल से रिहा होने के बाद अब मंदिरों की दानपेटियों आदि सामान पर हाथ साफ करेगा. उदय ने जेल में रहने के दौरान ही साथी कैदियों से सुना था कि पंचधातु व अष्टधातु की मूर्तियां करोड़ों में बिकती हैं.
रत्नागिरी से उदय का मन पूरी तरह से उचट गया था, इसलिए उस ने तय कर लिया कि वहां से किसी दूसरे शहर चला जाएगा. 4 साल की सजा पूरी करने के बाद उदय जेल से छूट कर घर पहुंचा तो उस ने महसूस किया कि गांव के लोग ही नहीं बल्कि उस के घर वाले भी उसे नफरत की निगाह से देखते हैं. मांबाप की निगाहों में नफरत थी और पत्नी उसे छोड़ कर चली ही गई थी. पुराने यारदोस्त भी उस से कन्नी काटने लगे थे. इन सब के लिए भी वह भगवान को ही दोषी मान रहा था. अब वह ऐसे मंदिरों की तलाश में था जहां से उसे मोटा माल मिल सके. चोरी कर के वह भगवान से प्रतिशोध ले सके. तभी उसे लांजा तहसील से 18 किलोमीटर दूर रुण गांव में स्थित अथलेश्वर काल भैरव मंदिर के बारे में जानकारी मिली.
उसे पता चला कि वहां रोजाना सैकड़ों लोग आते हैं. मुराद पूरी होने पर तमाम लोग वहां नकदी के अलावा कीमती ज्वैलरी आदि भी दान देते हैं. किस तरह काम को अंजाम दिया जाए इस की रेकी करने के लिए वह श्रद्धालु बन कर कई बार उस मंदिर में गया. उसे पता चला कि मंदिर में सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है. वहां सीसीटीवी कैमरे भी नहीं लगे थे. उसे यह भी जानकारी मिली कि सुबह 7 बजे मंदिर का पुजारी गणपत लिंगायत गुरव ही मंदिर के मुख्य गेट का ताला खोलता है. फिर रात 8 बजे की आरती के बाद मुख्य गेट पर ताला लगा कर वह अपने घर चला जाता है. उस का घर पास के ही गांव में था. यानी रात 8 बजे से सुबह 7 बजे तक मंदिर में कोई नहीं होता था. वह समझ गया कि एक ताले के भीतर लाखों की संपत्ति बंद रहती है.
उदय ने तय कर लिया कि इसी मंदिर की संपत्ति व मूर्तियों पर हाथ साफ कर के वह मुंबई भाग जाएगा और वहां अलग नाम व अलग पहचान के साथ शान की जिंदगी जीएगा. इस के बाद वह फिर कभी चोरी नहीं करेगा. रेकी करने के बाद उदय को लगा कि मंदिर से इतने सामान की वह अकेले चोरी नहीं कर पाएगा. इसलिए वह एक ऐसे साथी की तलाश में लग गया जो विश्वसनीय हो. उस ने दिमाग दौड़ाया तो उसे अपना एक पुराना बेराजगार मित्र सचिनधनाजी बुवड याद आया. उदय को भरोसा था कि पैसों के लालच में सचिन उस का साथ देने के लिए तैयार हो जाएगा.
उदय ने सचिन से संपर्क किया और उसे रत्नागिरी के एक बीयर बार में ले गया. बातचीत के दौरान ही उदय जान गया था कि सचिन अब भी बेरोजगार है और वह भुखमरी के दौर से गुजर रहा है. मौके का फायदा उठाते हुए उदय ने उसे अपनी योजना बताई. लालच में आ कर सचिन उस का साथ देने को तैयार हो गया. इस के बाद योजना को किस तरह अंजाम देना है, दोनों ने इस की रूपरेखा तैयार कर ली. 23 सितंबर, 2014 की रात 9 बजे उदय व सचिन ने लांजा में शराब पी और ताला आदि तोड़ने के कुछ औजार ले कर रात करीब 11 बजे बस द्वारा रुण गांव जा पहुंचे. रात 2 बजे तक वे एक खेत में छिपे रहे. सुनसान होने के बाद वे अथलेश्वर काल भैरव मंदिर के मुख्य गेट पर पहुंचे. उदय ने अपने साथ लाए औजार से मुख्य गेट का ताला काट दिया.
ताला काट कर वे दोनों मंदिर के भीतर पहुंच गए. सब से पहले इन लोगों ने दानपेटी का ताला तोड़ कर उस की सारी रकम प्लास्टिक की एक बोरी में भर ली. इस के बाद इन्होंने दूसरी बोरी में मंदिर की सभी 8 मूर्तियां, 6 अनुकृतियां, सोने व चांदी के आभूषण आदि भर लिए. अपना काम करने के बाद वे वहां से निकल लिए. सुबह 7 बजे मंदिर का पुजारी मंदिर पहुंचा तो मंदिर के मुख्य द्वार का ताला कटा देख उस के होश उड़ गए. वह भागाभागा मंदिर के भीतर गया तो वहां न मूर्तियां थीं और न मूर्तियों के आभूषण. दानपेटी भी पूरी तरह खाली थी. मंदिर खुलते ही श्रद्धालु भी आने लगे थे. मंदिर में चोरी की बात सुन कर सभी आश्चर्यचकित रह गए. पुजारी गणपत लिंगायत गुरव ने लांजा थाने में फोन कर के चोरी की सूचना दे दी.
मंदिर में चोरी होने की बात सुन कर थानाप्रभारी भी हैरान रह गए. वह पुलिस टीम के साथ तुरंत मंदिर की तरफ रवाना हो गए. तब तक वहां आसपास के गांवों के सैकड़ों लोग जमा हो चुके थे. थानाप्रभारी की सूचना पर एसपी, डीएसपी, डीएम भी वहां पहुंच गए. मंदिर में इतनी बड़ी चोरी होने पर वहां मौजूद लोगों में आक्रोश था. वे पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करते हुए मंदिर के गेट पर ही धरनाप्रदर्शन करने लगे. मीडियाकर्मी भी वहां पहुंच चुके थे. पुलिस प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश में लगी थी.
पुलिस अधिकारियों ने उन्हें आश्वासन दिया कि पुलिस चोरों को जल्द ही गिरफ्तार कर के चोरी गया सामान बरामद करने की कोशिश करेगी. इस आश्वासन के बाद लोग शांत हुए और उन्होंने प्रदर्शन बंद किया. इस के बाद लांजा पुलिस ने अज्ञात चोरों के खिलाफ मामला दर्ज कर के अभियुक्तों की तलाश शुरू कर दी. पुलिस ने इलाके के तमाम मुखबिरों और आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों से पूछताछ की परंतु लाख कोशिशों के बावजूद वह चोरों तक नहीं पहुंच सकी. इस से लांजा पुलिस की किरकिरी हो रही थी. मीडिया वाले पुलिस की जम कर खिंचाई कर रहे थे. स्थानीय राजनीतिज्ञ भी पुलिस पर दबाव बना रहे थे.
उधर उदय ने सचिन को कुछ आभूषण व नकदी दे कर जिले से बाहर भगा दिया. जबकि वह खुद नहीं भागा. शातिरदिमाग उदय को पता था कि अगर वह घर से गायब हुआ तो पुलिस को उस पर शक हो जाएगा. सारा माल घर के कबाड़ में छिपा कर उदय मामला शांत होने का इंतजार करता रहा. सितंबर से नवंबर तक जब पुलिस उस तक नहीं पहुंच सकी, तब उसे भरोसा हो गया कि अब उस पर कोई भी शक नहीं करेगा. इस के बाद एक ट्राली बैग खरीद कर उस ने सारा माल उस में भरा व चुपचाप मुंबई चला गया.
उस ने सोचा था कि वह चोरी का माल धीरेधीरे बेचेगा. मूर्तियां बेचने के लिए वह किसी ऐसे एजेंट की तलाश करेगा जो सारी मूर्तियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में बिकवा कर ज्यादा पैसे दिलवा सके. अपने मकसद में वह कामयाब होता इस से पहले ही एक मुखबिर की सूचना पर एपीआई घार्गे, एपीआई पिसाल की टीम ने उदय को सारे माल के साथ धर दबोच लिया.
बोरीवली पुलिस की सूचना पर रत्नागिरी के लांजा थाने की पुलिस भी मुंबई पहुंच गई और कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर के वह उदय को अपनी हिरासत में लांजा ले गई. लांजा थाना पुलिस के उदय से विस्तार से पूछताछ करने के बाद उसे न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया. चोरी में शामिल दूसरे अभियुक्त सचिन की तलाश में कई जगहों पर दबिशें डाली गईं, लेकिन कथा संकलन तक वह गिरफ्तार नहीं हो सका. Crime Stories
—कथा पुलिस सूत्रों व जनचर्चा पर आधारित. कथा में कु