Rajasthan News : शादी हो जाने के बाद हर पत्नी चाहती है कि वह अपने घर को अच्छे से संभाले और अपने पति व बालबच्चों की ठीक से देखभाल करे. 3 बच्चों की मां सुनीता भी ये सारी जिम्मेदारियां बखूबी निभा रही थी. फिर एक दिन ऐसा क्या हुआ कि सुनीता ने अपने पति हंसराम उर्फ सूरज की न सिर्फ हत्या कर दी, बल्कि उस की लाश को नीले ड्रम में डाल कर ऊपर से नमक भी डाल दी. आखिर सुनीता ने क्यों की पति की हत्या?
बरसात आते ही ईंटभट्ठे के मुनीम जितेंद्र शर्मा के कहने पर हंसराम उर्फ सूरज 3 महीने के लिए शाहजहांपुर में स्थित अपने घर लौटने के बजाए बीवीबच्चों के साथ उसी के साथ राजस्थान के अलवर जिले के किशनगढ़ वास कस्बा चला आया. उसे भट्ठे पर लोग सूरज के नाम से जानते थे. वह अपनी पत्नी सुनीता और 3 बच्चों के साथ वहां की आदर्श नगर कालोनी में जितेंद्र शर्मा की मां मिथिलेश शर्मा के मकान में किराए पर रहने लगा.
जितेंद्र ने सूरज को एक दुकान पर काम भी दिलवा दिया. इस तरह से सूरज की आमदनी का जरिया बन गया और उस की दिनचर्या शुरू हो गई. वह सुबह काम पर जाता और शाम तक घर वापस लौटता था. घर में उस के पीछे पत्नी सुनीता और 3 बच्चे होते थे. बड़ा बेटा 8 साल का, जबकि 2 अन्य बच्चे 4 साल और डेढ़ साल के थे.
सूरज और सुनीता एक तरह से जितेंद्र के एहसान तले आ गए थे. जितेंद्र जबतब छत पर बने घर में सुनीता के पास आनेजाने लगा था. वह सूरज के नहीं रहने पर भी सुनीता के पास चला जाता था. बच्चों से प्यारदुलार करता था. जल्द ही सुनीता जितेंद्र से भावनात्मक लगाव महसूस करने लगी थी. यह लगाव कब सैक्स अपील की भावना में बदल गया, उन्हें पता ही नहीं चला. यानी उन के बीच अवैध संबंध बन गए. दोनों को जब एकांत की चाहत होती, तब जितेंद्र बच्चों को गेम खेलने के लिए अपना मोबाइल फोन दे कर कमरे से बाहर भेज दिया करता था.
सुनीता और जितेंद्र के बीच एक अनैतिक रिश्ता कायम हो चुका था. जबकि सूरज इस से बेखबर था. सुनीता शुरू से ही अपने पति से संतुष्ट नहीं थी. वह भले ही 3 बच्चों का बाप बन गया था, लेकिन सुनीता की शारीरिक भूख को नहीं मिटा पाता था.
सूरज उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर का रहने वाला था, लेकिन रोजीरोटी की तलाश में राजस्थान के खैरथल तिजारा जिलांतर्गत सूर्या ईंटभट्ठे पर काम करने आ गया था. वहीं उस की भट्ठे के मुनीम जितेंद्र से अच्छी जानपहचान हो गई थी. उन्हीं दिनों रंगीनमिजाज जितेंद्र की निगाह सुनीता पर पड़ी थी. उस के खिलते यौवन और सौंदर्य को देख कर मन ही मन उसे पाने की लालसा से भर गया था.
शायद यही कारण था कि जितेंद्र ने सूरज को परिवार समेत अपने गांव वापसी से रोक दिया था. यही नहीं, उस ने सूरज को शराब की ऐसी लत लगा दी कि वह जितेंद्र का पक्का यार बन गया. यह सब जितेंद्र ने सुनीता को हासिल करने के लिए किया था.
जितेंद्र एक तरह से अपनी योजना में सफल हो गया था और उस ने सुनीता के साथ जैसा रिश्ता कायम करना चाहता था, उस में उसे सफलता मिल गई थी. उस की जब इच्छा होती तो मौका निकाल कर सुनीता को अपनी बाहों में दबोच लेता था.
हालांकि जितेंद्र भी शादीशुदा था. वह एक 8 साल के बेटे आदित्य का पिता भी था. उस की पत्नी की करीब 12 साल पहले करंट लगने से मौत हो गई थी. बेटे की देखभाल उस की मां करती थी और जितेंद्र विधुर की जिंदगी गुजार रहा था.
यही कारण था कि वह स्त्रीसुख की आग में बेचैन रहता था. जब से उस ने सुनीता को देखा था, तभी से उसे पाने के लिए तड़प उठा था. इस के प्रयास में लग गया था और उस ने सुनीता को भट्ठे पर कम काम करवाने और शराबी सूरज को मुफ्त शराब पिला कर संतुष्ट कर दिया था.
वैसे जितेंद्र और सुनीता के बीच अवैध संबंध किशनगढ़ आने के पहले से बने हुए थे. जुलाई में बारिश के दिनों में जब सूरज ने सुनीता से वापस गांव चलने की बात कही, तब उस ने जितेंद्र के प्रस्ताव के साथ हां में हां मिला कर सूरज को राजी कर लिया था.
जितेंद्र ने जानबूझ कर सूरज को अपने घर के छत पर बना कमरा मां से कह कर किराए पर दिलवा दिया था. वहां उस की मां कभीकभार जाती थी. वह जगह सुनीता और जितेंद्र दोनों के लिए महफूज थी. सूरज और सुनीता के वहां रहने पर एक तरह से जितेंद्र की मौज आ गई थी.
बदले में वह उस की मदद करने लगा. एक बार जितेंद्र ने किराया ही अपनी जेब से दे दिया था. जब इस की जानकारी सूरज को हुई, तब वह पत्नी से झगड़ पड़ा. उसे पहले से ही पत्नी के चालचलन और जितेंद्र से अधिक घुलनेमिलने से उस पर संदेह होने लगा था. किराए की बात पर उस का संदेह और गहरा हो गया. शराब के नशे में वह सुनीता पर सच उगलवाने का दबाव बनाने लगा था.
तब उलटे सुनीता पति सूरज से ही उलझ गई, गुस्से में बोली, ”तुम्हारे पास किराए का पैसा नहीं था और जब उस ने किराया चुका दिया है, तब उस का एहसान मानने के बजाए उसी पर लांछन लगा रहे हो.’’
”किराए में दोचार रोज देरी हो जाती तो इस से क्या हो जाता,’’ सूरज बोला.
”तुम्हें नहीं मालूम जितेंद्र की मां किराए के मामले में बहुत कड़क बुढिय़ा है. किराया नहीं मिलने पर तुरंत कमरा खाली करवा देती.’’ सुनीता बोली.
पत्नी के इस तर्क पर सूरज चुप लगा गया, किंतु कुछ दिनों बाद ही बेटे के एडमिशन को ले कर सुनीता पति से झगड़ पड़ी. दरअसल, उस के एडमिशन के लिए जितेंद्र ने पहल की थी. जब इस की जानकारी सूरज को हुई, तब वह गुस्से में आ गया और बोला, ”जितेंद्र कौन होता है मेरे बेटे का एडमिशन करवाने वाला?’’
इस पर फिर सुनीता पहले की तरह पति को ताना देती हुई बोली, ”अगर कोई तुम्हें मदद कर रहा है तो इस में बुराई क्या है?’’
”बुराई उस की मदद में नहीं, उस की नीयत में है. उस ने तुम्हें अपनी गिरफ्त में ले लिया है…तुम मेरे कहने का मतलब अच्छी तरह से समझती हो,’’ सूरज नाराजगी के साथ बोला.
तभी जितेंद्र वहां आ गया. उस ने जब सुनीता और सूरज को तूतूमैंमैं करते देखा, तब माहौल को हलका बनाते हुए बोल पड़ा, ”तुम दोनों फिजूल में लड़ते रहते हो. इतना अच्छा मौसम है. चलो बाजार, आज दारू की बोतल और मछली लाते हैं. यहीं दारू पार्टी करेंगे. सुनीता मछली पकाएगी.’’
दारू और मछली का नाम सुनते ही सूरज के मुंह से लार टपकने लगी. वह तुरंत तैयार हो गया और उस के साथ दारू लाने के लिए बाजार चला गया.
थोड़ी देर में जितेंद्र और सूरज दारू और मछली ले कर आ गए. दोनों वहीं दारू पार्टी करने लगे. मछली पका कर सुनीता लाई, तब जितेंद्र ने उसे भी एक पैग पीने को दे दिया. उस ने भी खुश हो कर 2-3 पैग दारू का आनंद लिया.
शराब के नशे में जितेंद्र ने कहा कि उसे उस की माली हालत पर पर दया आती है, इसलिए वह उस की मदद करता है. अपनी बातों से उस ने सूरज को आश्वस्त किया कि सुनीता और उस के संबंधों को ले कर बेकार में संदेह करता है.
हालांकि यह कहना उस का एक झूठ ही था. हकीकत तो यह थी कि जितेंद्र अकसर सूरज को शराब पिलाता था. उस में सुनीता भी साथ देती थी और जब सूरज नशे में धुत हो जाता था, तब जितेंद्र उस की बीवी के साथ मौजमस्ती करता था.
यह सब चलता रहा. सुनीता अपने अनैतिक संबंधों के बचाव में लोगों से पति को शराब की लत लग जाने का दुखड़ा सुनाने लगी थी. जब भी जितेंद्र की मां से मिलती, एक दुखड़ा सुनाती कि वह अपने शराबी पति से परेशान हो गई है. जितेंद्र की मां उसे नसीहत देती. समझाती थी कि वह पति से झगड़ा नहीं करे, बल्कि प्रेम से उसे समझाएबुझाए.
बात 15 अगस्त, 2025 की है. सूरज दुकान से घर लौट आया था. वह गुस्से से भरा हुआ कमरे में बैठा था. जैसे ही पत्नी आई, उस से झगड़ पड़ा. तभी मकान के नीचे बैठा जितेंद्र उस के कमरे में आ गया. वह बोला, ”क्यों झगड़ रहे हो?’’
”क्या करूं? मेरी जिंदगी नरक बन गई है. दारू पिलाओगे, तब बोलूंगा?’’ सूरज निराश भाव से बोला.
”हां, क्यों नहीं, लो अभी गया और ले कर आया.’’ जितेंद्र बोला.
”कहां से लाओगे, आज तो ड्राई डे है.’’
”तो क्या हुआ, मैं ने इंतजाम कर रखा है.’’ जितेंद्र बोला और वहां से चला गया. थोड़ी देर में लौटा, तब उस के हाथ में एक शराब की बोतल थी.
सूरज और जितेंद्र वहीं दारू पीने लगे. सुनीता गुमसुम उन्हें देखती रही. जितेंद्र ने इशारा किया, तब वह भी अपने लिए एक गिलास ले आई. सूरज उस रोज गुस्से में लगातार पैग पर पैग पिए जा रहा था. हर पैग के साथ सुनीता को गालियां बके जा रहा था. उस पर बदलचलनी का आरोप लगाए जा रहा था. हद तो तब हो गई, जब सूरज उस पर गिलास फेंक कर मार दिया. इस पर जितेंद्र बोला, ”क्यों उसे मारते हो? गलत बात है.’’
नशे में सूरज बोला, ”मैं उसे मारूं या प्यार करूं, तुम कौन होते हो इसे बचाने वाले?’’
”तुम्हें जो कुछ करना है वह मेरे सामने मत करो,’’ जितेंद्र डांटता हुआ बोला.
”मैं मारूंगा इसे, आज इस की सारी हेकड़ी निकाल दूंगा.’’ बोलते हुए उस ने सुनीता की गरदन पकड़ ली थी. सुनीता चीख पड़ी थी. चीख सुन कर जब उस का बेटा उसे बचाने आया था, तब सूरज ने बेटे की भी पिटाई शुरू कर दी. वह गुस्से में बावला हो गया था. बचाव करते हुए जितेंद्र बोल पड़ा, ”अरे बच्चे को मार डालेगा क्या? इतना क्यों पीट रहा है उसे?’’
तभी सूरज की नजर लोहे के एक औजार पर गई. उस ने झट से उसे उठा लिया. तब तक सुनीता और उस का बेटा बचाव में भागने लगे. वे सूरज के आक्रामक तेवर को देख कर समझ गए थे कि वह काफी गुस्से में है. कुछ भी कर सकता है. ऐसा ही जितेंद्र ने भी महसूस किया तो वह भी वहां से जाने को उठा. तब सूरज ने तीनों पर लोहे का औजार फेंक मारा.
उस ने अनापशनाप बकना शुरू कर दिया था. उस रोज नशे में उस ने यहां तक कह दिया कि उन के बीच नाजायज संबंध है. उसे अब खत्म कर के ही चैन लेगा. वह शराब के नशे में बकता हुआ इधरउधर चक्कर लगा रहा था. इसी बीच सुनीता ने जितेंद्र को इशारा किया. हाथों के इशारे से धीमी आवाज में बोली, ”अब क्या किया जाए? इस पर तो भूत सवार है.’’
”जो तुम को सही लगे.’’
फिर क्या था. जितेंद्र ने चक्कर काटते सूरज को दबोच लिया. सुनीता ने उस के पैर पकड़ लिए. सूरज के गरदन पर जितेंद्र की पकड़ मजबूत होती चली गई. सुनीता ने उस को छटपटाने का मौका तक नहीं दिया. जितेंद्र ने एक हाथ से गरदन और दूसरे हाथ से सूरज का मुंह नाक ऐसे दबाई कि वह कुछ मिनट में ही बेजान हो गया. उस वक्त रात हो चुकी थी. सुनीता और जितेंद्र आपस में विचार करने लगे कि अब आगे क्या किया जाए? शव को कैसे ठिकाने लगाया जाए?
तभी जितेंद्र को कमरे के बाहर छत पर रखे नीले ड्रम को देख कर एक आइडिया आया. क्यों न शव को ड्रम में डाल कर उस पर नमक डाल दिया जाए, ताकि शव जल्दी सडग़ल जाए.
उसे यह आइडिया अचानक कुछ महीने पहले मेरठ के सौरभ हत्याकांड से आया. उस ने वही किया. फर्क इतना था कि सीमेंट का गाढ़ा घोल डालने के बजाय सूरज के शव को ड्रम में डाल कर उस में नमक का घोल डाल दिया. उस के मुंह को चादर से ढंक दिया.
संयोग से जब यह सब किया जा रहा था, तब सूरज का बेटा पेशाब के लिए उठा था. वह अर्धनिद्रा में था, उसे कुछ समझ में नहीं आया कि उस की मम्मी और जितेंद्र अंकल ड्रम के साथ क्या कर रहे हैं? जब उस ने पूछा कि वे क्या कर रहे हैं? तब अचानक जितेंद्र बोल पड़ा, ”तुम्हारे पापा को ठिकाने लगा रहे हैं. वह तुम्हें और मम्मी को मार रहा था न!’’
17 अगस्त, 2025 को जितेंद्र की मां मिथिलेश ने महसूस किया कि छत पर रहने वाले किराएदार सूरज के यहां सन्नाटा है, वहां से किसी की आवाज नहीं आ रही है. जबकि सुबह होते ही सुनीता और सूरज के बीच होने वाली बहस की आवाजें आने लगती थीं. कई बार बच्चों के रोने की भी आवाज सुनाई देती थी.
वह छत पर चली गई. कमरे में कोई नजर नहीं आ रहा था. वहां न तो सुनीता थी और न ही सूरज और उस के बच्चे. उस ने महसूस किया कि जितेंद्र भी बीती रात से अपने कमरे में नजर नहीं आया था. तभी वहां उसे अजीब सी दुर्गंध महसूस हुई. जो पास रखे नीले ड्रम से आ रही थी.
उस ने तुरंत अपने पति राजेश शर्मा को यह बात बताई. पति ने पुलिस कंट्रोल रूम में फोन कर छत पर रखे ड्रम से दुर्गंध आने की सूचना पुलिस को दी.
पुलिस कंट्रोल रूम से सूचना पा कर किशनगढ़ वास के एसएचओ जितेंद्र सिंह शेखावत, एसआई दिनेश कुमार मीणा, एएसआई ज्ञानचंद पुलिस दलबल के साथ आदर्शनगर कालोनी स्थित राजेश शर्मा के घर पहुंच गए. पुलिस टीम छत पर रखे नीले ड्रम के पास गई, जहां से दुर्गंध आ रही थी. एक पुलिसकर्मी ने उस का ढक्कन हटाया तो दुर्गंध और तेज हो गई. उस के भीतर चादर ठूंसी हुई थी. जब चादर बाहर निकली, तब दुर्गंध का तेज भभका निकला और अंदर लाश नजर आई.
लाश की पहचान सूरज के रूप में हुई, जो वहीं किराए पर रहता था. एसएचओ ने इस की सूचना किशनगढ़ वास के डीएसपी राजेंद्र सिंह निर्वाण को दे दी. वह थोड़ी देर में ही मौके पर पहुंच गए. उन्होंने उस के कमरे की तलाशी ली. वहां उन्हें सूरज का आधार कार्ड मिला, जिस पर उस का नाम हंसराज दर्ज था. उस पर उस के पिता का नाम खेमकरण और पता नवादिन नवाजपुर, शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश लिखा था. मकान मालकिन को भी यह जान कर हैरानी हुई कि मृतक ने अपना असली नाम उसे नहीं बताया था.
उस वक्त सडऩे की स्थिति में आ चुके शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. पुलिस के सामने सवाल यह था कि मृतक की पत्नी सुनीता और बच्चे कहां गए?
जांच और पूछताछ में यह भी मालूम हुआ कि मकान मालकिन का विधुर बेटा जितेंद्र शर्मा भी 16 सितंबर, 2025 से ही लापता है.
उन का पता लगाने के लिए जांच टीमें गठित कर दी गईं. उन्हें पकडऩे के लिए टीमें पड़ोसी राज्य हरियाणा और उत्तर प्रदेश भेजी गईं. साथ ही सीसीटीवी के फुटेज निकलवाए गए.
दूसरी तरफ फरार जितेंद्र शर्मा 18 अगस्त को सुनीता और उस के तीनों बच्चों को ले कर अलवर जिले के रामगढ़ इलाके के आलावड़ा गांव जा पहुंचा. वहां लोगों ने एक ईंट भट्ठे पर काम मांगा. भट्ठे के मालिक को उन पर संदेह हो गया था. कारण उसे बीते दिनों किशनगढ़ वास में हत्या संबंधी जानकारी न्यूजपेपर और सोशल मीडिया के जरिए मिल चुकी थी, जिस में फरार लोगों के बारे में भी जिक्र किया गया था.
इस संदेह के आधार पर उस ने तुरंत स्थानीय पुलिस थाने को इस की सूचना दे दी. पुलिस वहां पहुंच गई और उन्हें वही हिरासत में ले लिया. इस के बाद उन्हें किशनगढ़ वास लाया गया.
थाने में पहले से ही सूरज के परिजन मौजूद थे. उन्होंने सूरज की लाश की पहचान कर ली थी. सूरज के पेरैंट्स और भाईबहनों का रोरो कर बुरा हाल था.
थाना किशनगढ़ वास की पुलिस ने हंसराज उर्फ सूरज की हत्या का मामला उस के परिजनों की शिकायत पर दर्ज कर लिया गया. हत्याकांड में जितेंद्र शर्मा और सुनीता मुख्य आरोपी बनाए गए.
दोनों ने गहन पूछताछ में हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. उन्होंने हत्या किस तरह से की, पुलिस इस की जांच के लिए उन्हें घटनास्थल पर ले गई. वहां आरोपियों द्वारा क्राइम सीन क्रिएट किया गया.
उन के बयान लिए गए. अपने बयान में जितेंद्र ने बताया कि सूरज की पत्नी सुनीता के प्रेम में वह अंधा हो गया था. सुनीता भी उसे पसंद करने लगी थी. सूरज उन के प्रेम संबंधों में बाधक था, इसलिए उस की हत्या कर दी थी.
पुलिस ने जितेंद्र शर्मा और सुनीता से गहन पूछताछ के बाद उन्हें मजिस्ट्रैट के सामने पेश कर दिया. वहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. Rajasthan News