Crime Kahani : अखबार में विज्ञापन देख कर अधेड़ उम्र फरीद ने अपनी ही उम्र की फलक से शादी की थी. दोनों की शादी को हफ्ता भी नहीं बीता था कि दोनों ने किस के लिए ऐसी कौन सी चाल चली कि वे इस दुनिया में नहीं रहे. चाय पीते हुए फरीद अखबार के विज्ञापन वाला पेज देख रहा था. इन दिनों वह एक कमरे वाले फ्लैट में रह रहा था. फ्लैट छोटा जरूर था, लेकिन काफी अच्छा था. जिस इलाके में फ्लैट था, वहां का किराया काफी महंगा था. इस के पहले वह कई मकान बदल चुका था. वह मकान ही नहीं, शहर भी बदल चुका था. वह जो काम करता था, उस की वजह से वह एक जगह ज्यादा दिनों तक नहीं रह सकता था.

अखबार में उस की नजर वैवाहिक विज्ञापनों पर पड़ी तो वह उस में छपे एक विज्ञापन को ध्यान से पढ़ने लगा, ‘एक सेल्फ डिपेंटेंड बेवा, जो काफी दौलतमंद है. उम्र 38 साल, डिफेंस इलाके में अपना मकान, निजी गाड़ी, अच्छा बैंक बैलेंस. अपने जैसा साथी चाहिए. मर्द अकेला और मर्जी का मालिक हो, बच्चे न हों, देखने में स्मार्ट और हैंडसम हो, उम्र 45 से ज्यादा न हो, तलाकशुदा या रंडवे भी चल सकते हैं.’

फरीद ने उस विज्ञापन पर निशान लगा दिया, क्योंकि वह विज्ञापन उसे मुनासिब लगा था. उस में फोन नंबर के बजाय बौक्स नंबर दिया था. चाय पी कर उस ने अलमारी खोली और उस में से एक कीमती बैग निकाला. बैग से उस ने एक खूबसूरत लेटरपैड निकाला, जिस के एक कोने पर ‘फरीद शहबाज’ लिखा था. उस ने पेन उठाया और लिखना शुरू किया, ‘सलाम, वैवाहिक विज्ञापन में आप का विज्ञापन पढ़ा, सालों से अकेला हूं, शायद इसीलिए इस विज्ञापन पर नजर पड़ गई. पढ़ कर लगा, जैसे यह विज्ञापन मेरे लिए ही है. मैं आप के लिए हूं या नहीं, इस का फैसला आप को करना है. आप का एक उम्मीदवार. पत्र के साथ अपना एक फोटो भी भेज रहा हूं.

—फरीद शहबाज.’

फरीद ने वह पत्र और अपनी एक फोटो, जिस में वह गोल्फ क्लब में स्टिक लिए खड़ा था, लिफाफे में रख कर बंद किया और बैग में रख कर नीचे आ गया. नीचे उस की शानदार कार खड़ी थी. उस कार से वह अखबार के औफिस की ओर चल पड़ा, जो नजदीक ही था. सुबह के समय औफिस में ज्यादा भीड़भाड़ नहीं थी. विज्ञापन विभाग के प्रभारी के सामने अपना लिफाफा रखते हुए उस ने कहा, ‘‘बौक्स नंबर-21 के जवाब में लाया हूं.’’

‘‘ठीक है, इसे बौक्स नंबर-21 में रख दिया जाएगा.’’

फरीद ने पूछा, ‘‘मैडम को कैसे पता चलेगा कि उन के लिए लिफाफा आया है?’’

‘‘वह हमारे यहां फोन कर के पता कर लेंगी.’’

फरीद बात कर ही रहा था कि फोन की घंटी बजी. प्रभारी ने फोन उठा कहा, ‘‘जी मैडम, अभी एक लिफाफा आया है. मैं बौक्स में रखवाए दे रहा हूं. आप जब चाहें, निकाल सकती हैं.’’

फरीद नीचे आ गया. उस ने कार अखबार की इमारत के सामने सड़क के दूसरी ओर खड़ी कर दी. इस के बाद वे ऐसी जगह खड़ा हो गया, जहां से अखबार का औफिस साफ दिखाई दे रहा था. 11 बजे के करीब अखबार के औफिस के सामने एक कार आ कर रुकी. उस में से एक खूबसूरत औरत उतरी. गोरी रंगत वाली उस औरत ने साड़ी पहन रखी थी. आंखों पर सनग्लास लगा था. नीली साड़ी में उस की सुडौल देह पर खूब फब रही थी. वह अपनी कार में बैठ गया. कुछ देर बाद वह औरत औफिस से बाहर निकली तो उस के हाथ में जानापहचाना लिफाफा था. औरत ने लिफाफा पर्स रखा और कार स्टार्ट कर के चल पड़ी.

फरीद ने अपनी कार उस के पीछे लगा दी. किल्फ्टन से होते हुए वे सी व्यू वाली सड़क पर आ गए. औरत डीएचए के एक अपार्टमेंट में दाखिल हुई. गेट पर सिक्यूरिटी थी, इसलिए फरीद बिना किसी पहचान के अंदर नहीं जा सकता था. बहरहाल उस ने औरत और उस के रहने की जगह देख ली थी. वह संतुष्ट था. औरत उसे काफी पसंद आई थी. उसे पूरी उम्मीद थी कि उस के खत का जवाब जरूर आएगा.

फरीद अपने फ्लैट पर लौट आया. उस का सोचना था कि अगर औरत को फोन करना होगा तो आज ही करेगी. अगर नहीं किया तो समझो उस के खत का उस पर कोई असर नहीं हुआ. फोन की घंटी बजी. अजनबी नंबर देख कर फरीद समझ गया कि फोन उसी का है. उस ने फोन रिसीव किया तो दूसरी ओर से एक सुरीली आवाज आई, ‘‘फरीद शहबाज साहब?’’

‘‘जी, बोल रहा हूं.’’

‘‘मैं फलक नाज, आप का खत मुझे मिल गया है.’’

‘‘ओह आप, यह मेरी खुशनसीबी है कि मैं ने आज ही खत भेजा और आज ही आप से बात हो गई.’’ फरीद ने लहजे में मिठास घोलते हुए कहा.

‘‘फरीद साहब, आप की पहले भी शादी हो चुकी है?’’

‘‘जी, मेरी शादी हुई थी, लेकिन 2 सालों बाद ही तलाक हो गया था. तलाक हुए 10 साल हो चुके हैं. अच्छी बात यह थी कि बच्चा नहीं हुआ था, वरना परेशानी हो जाती. वह औरत सिर्फ खुद से प्यार करती थी, ऐसे में बच्चा उस के साथ रहता तो दिक्कत आती.’’

‘‘आई एम सौरी, उस के बाद आप ने शादी नहीं की?’’ फलक ने पूछा.

‘‘कई बार सोचा, क्योंकि मैं आदमी हूं और शादी आदमी की जरूरत है. लेकिन पहले अनुभव से काफी डर गया था, फिर कोई मिला भी नहीं.’’

‘‘ऐसा कैसे हो सकता है? फोटो से तो आप में कोई कमी नजर नहीं आती. बहुत सी लड़कियां आप को पसंद करती होंगी.’’ फलक ने रोमांटिक अंदाज में कहा.

‘‘मेरे खयाल से शादियां भाग्य से होती हैं. शायद अब तक शादी मेरी किस्मत में नहीं थी.’’

‘‘यानी अब आप की किस्मत जाग गई है.’’ फलक ने अर्थपूर्ण लहजे में कहा.

‘‘मुझे ऐसा ही लग रहा है. आप ने तो मेरे बारे में पूछ लिया, अब मैं कुछ पूछना चाहता हूं.’’ फरीद ने कहा.

‘‘आप जो जानना चाहते हैं, जरूर पूछिए.’’

‘‘आप के पति की मौत कब हुई थी?’’

‘‘3 साल पहले. हामिद बहुत अच्छे आदमी थे. वह मुझ से बहुत प्यार करते थे, 3 साल पहले एक एक्सीडेंट में उन की मौत हो गई थी.’’ फलक ने उदास हो कर कहा.

‘‘आई एम सौरी, हामिद साहब करते क्या थे?’’

‘‘एक विदेशी बैंक में मैनेजर थे. वह मेरे लिए काफी कुछ छोड़ गए हैं.’’

‘‘3 साल का लंबा अरसा गुजर गया, इस बीच शादी की ओर आप का ध्यान नहीं गया?’’

‘‘हां, यह सही है. लेकिन इस बीच मैं खुद को दूसरी शादी के लिए तैयार करती रही. आप तो जानते हैं, मर्द की अपेक्षा औरत अपने जीवनसाथी को आसानी से नहीं भुला पाती और न ही उस की जगह किसी दूसरे को आसानी से दे पाती है.’’ फलक ने कुछ सोच वाले अंदाज में कहा.

‘‘हां, आप की यह बात बिलकुल ठीक है.’’ फरीद ने कहा.

‘‘अच्छा यह बताइए, आप करते क्या हैं?’’ इस बार फलक ने सवाल किया.

‘‘कुछ खास नहीं. खरीदफरोख्त का काम करता हूं, कभी कमीशन एजेंट भी बन जाता हूं. मार्केट में मेरी अच्छी साख है, इसलिए लोग मुझ से सौदा करना ज्यादा पसंद करते हैं.’’

‘‘कोई विशेष क्षेत्र है आप का?’’

‘‘ज्यादातर मिडिलईस्ट की पार्टियों के लिए काम करता हूं. वहां से किसी चीज का लाट आता है तो यहां मैं ग्राहक की तलाश करता हूं और अगर किसी चीज को वहां जरूरत होती है तो यहां माल की तलाश करता हूं.’’

‘‘यह तो बड़ा अच्छा काम है.’’

‘‘हां, इस में किसी चीज की जरूरत नहीं है. मेरा कोई औफिस भी नहीं है. सारा काम संबंधों और फोन पर हो जाता है.’’

‘‘इनकम कितनी हो जाती है आप की?’’ बड़े मीठे लहजे में फलक ने पूछा.

‘‘इनकम, कहा तो जाता है कि औरत से उम्र और मर्द से इनकम नहीं पूछी जाती.’’

जवाब में फलक ने हंस कर कहा, ‘‘चलो, मैं अपनी उम्र बताए देती हूं. मेरी उम्र 40 साल है. अब तो बता सकते हैं.’’

‘‘मैं आप से मिला नहीं, आप की लाइफ स्टाइल देखी नहीं, फिर भी मैं आप को यकीन दिलाता हूं कि मेरे साथ कभी आप को किसी तरह की तंगी नहीं होगी. समझ लीजिए कि महीने में करीब 10 लाख रुपए कमा लेता हूं. लेकिन कभीकभी ऐसा भी होता है कि एक रुपया भी नहीं मिलता. कुल मिला कर मेरी इतनी इनकम है कि हमारी जिंदगी ऐश से गुजरेगी. मैं हमेशा फायदे में ही रहता हूं.’’

कुछ देर बाद फलक नाज ने कहा, ‘‘मैं आप से मिलना चाहती हूं.’’

‘‘बड़े शौक से, आज रात डिनर के बारे में क्या खयाल है?’’ फरीद ने कहा.

‘‘डिनर, पर कहां…’’

‘‘जहां आप कहें.’’

फलक नाज ने सी व्यू के एक छोटे से साफसुथरे होटल का नाम बताया तो फरीद ने कहा, ‘‘ठीक 7 बजे मैं वहां आप का इंतजार करूंगा. एकदूसरे को जाननेसमझने के लिए इतना वक्त तो चाहिए ही.’’

‘‘ठीक है, मैं समय पर पहुंच जाऊंगी.’’

फलक नाज को करीब से देख कर फरीद खुश हो गया. गोरी रंगत, तीखा नाकनक्शा, जिस्म थोड़ा भारी, लेकिन सुडौल और लुभाने वाला. उस ने नए फैशन का खूबसूरत सूट पहन रखा था. हलके मेकअप में भी वह गजब की लग रही थी. फरीद अपनी नजरें नहीं हटा पा रहा था. फलक हंस कर बोली, ‘‘देख लिया हो तो अब अंदर चलें?’’

‘‘सौरी.’’ फरीद ने झेंप कर कहा. उस ने होटल में ऐसी जगह टेबल बुक कराई थी, जहां से झिलमिलाती रोशनियों के बीच समुद्र का खूबसूरत नजारा दिख रहा था. माहौल बड़ा ही रोमांटिक हो रहा था. फरीद ने गुलाब का फूल पेश किया तो फलक ने खुश हो कर कुबूल कर लिया. फरीद फलक के दिल में जगह बनाने की पूरी कोशिश कर रहा था. वह अनुभवी आदमी था, इसलिए उसे सारे हथकंडे पता थे. डिनर के दौरान एकदूसरे के बारे में जानकारी लेते रहे. पहले तो फलक थोड़ा झिझकी, लेकिन बाद में बोली कि अब उस से अकेले नहीं रहा जाता. हामिद के बाद 3 साल तो उस ने खुद को संभाला, लेकिन अब वह थक गई है. जिंदगी में सारे सुख होने के बावजूद ऐसा लगता है कि वह किसी मरुस्थल में प्यासी भटक रही है.

‘‘मेरा भी यही हाल है. आप का विज्ञापन देखने से पहले मैं सोच रहा था कि मेरे पास सब कुछ है, लेकिन कोई ऐसा नहीं है, जिसे मैं अपना कह सकूं और वह सिर्फ मेरे लिए हो. शायद हम इसीलिए एकदूसरे से मिले हैं.’’ फरीद ने अपना एक हाथ फलक के हाथ पर रखते हुए कहा?

‘‘फलक ने अपना हाथ नहीं खींचा था, इस का मतलब था, उसे कोई ऐतराज नहीं था. करीब 9 बजे उन का डिनर खत्म हुआ. कुछ देर दोनों समुद्र के किनारे टहलते रहे. एक लहर उन्हें छूती हुई चली गई. फलक ने कहा, ‘‘मुझे पानी से बहुत डर लगता है, जबकि हामिद अच्छे तैराक थे.’’

11 बजे दोनों घरों के लिए रवाना हुए. फलक के अपार्टमेंट पर उतार कर फरीद ने कहा, ‘‘अगर मैं आप के यहां आना चाहूं तो…’’

‘‘मोस्ट वेलकम.’’

2 दिनों बाद शाम को फरीद एक बुके और चौकलेट केक ले कर फलक के घर गया. खासा बड़ा अपार्टमेंट था. गार्ड ने उसे तब अंदर आने दिया था, जब फलक ने इंटरकौम पर इजाजत दी थी. दरवाजा फलक ने ही खोला था. वह तुरंत नहा कर निकली थी. बाल तौलिए में लिपटे हुए थे. उस ने खूबसूरत गाउन पहन रखा था, जिस में उस का जिस्म उसे देखने को उकसा रहा था. फलक बुके लेने के लिए फरीद के करीब आई तो सेंट की खुशबू ने जैसे उसे मदहोश कर दिया. उस ने लपक कर फलक को बाजुओं में भर लिया. फलक ने कोई ऐतराज नहीं जताया तो फरीद की हिम्मत और बढ़ गई. कुछ देर बाद फलक फरीद के कंधे पर सिर रखे अपने शानदार बैडरूम में लेटी थी. दोनों जज्बात में बह गए थे और एक तूफान आ कर गुजर गया था. दोनों ने सारी सीमाएं तोड़ दी थीं.

फलक ने थोड़ा शरमाते हुए कहा, ‘‘मुझे पता नहीं था कि आप इतने तेज निकलेंगे?’’

‘‘जब दावत मिल रही हो तो मैं इनकार कैसे कर सकता हूं.’’

फलक खिसिया गई. चेहरे को हथेलियों से छिपा कर बोली, ‘‘मुझे शरम आ रही है.’’

‘‘सच कहूं, अब मुझे भी शर्मिंदगी हो रही है. अब इस का एक ही हल है कि हम जल्द से जल्द शादी कर लें.’’

फलक खिल उठी, ‘‘मैं भी यही चाहती हूं. अगर आप यह बात न कहते तो मुझे बड़ा बुरा लगता.’’

‘‘मैं तुम से प्यार करने लगा हूं फलक. तुम्हें देखते ही मुझे प्यार हो गया था, मगर इस मिलाप के बाद प्यार और बढ़ गया है. मैं तुम्हें अपना लेना चाहता हूं, लेकिन एक समस्या है.’’

‘‘कैसी समस्या?’’

‘‘मैं जिस फ्लैट में रहता हूं, उस में सारी सुविधाएं हैं, आरामदेह भी है, लेकिन वह काफी छोटा है. तुम्हारी शान के मुताबिक नहीं है. मैं तुम्हारे लिए बड़ा फ्लैट लेना चाहता हूं. लेकिन फिलहाल तो उसी में रहना होगा.’’

‘‘कोई प्रौबलम नहीं है. मैं उस में आराम से रह लूंगी. फिर मेरा भी तो फ्लैट है.’’

फरीद ने उस का हाथ थाम कर कहा, ‘‘सौरी जानू, मैं इस बारे में जरा पुराने खयालात का हूं. मेरे खयाल से शादी के बाद पत्नी की जिम्मेदारी शौहर की होती है और सारी जरूरतें पूरी करना भी उसी का फर्ज है. अगर कुछ दिन तुम मेरे इसी फ्लैट में रह लो तो मैं तुम्हारा अहसानमंद रहूंगा. मैं जल्द ही दूसरा फ्लैट खरीद लूंगा.’’

‘‘मैं उसी में रह लूंगी, क्योंकि अब मैं आप से दूर नहीं रह सकती.’’ फलक ने बड़े ही मोहक अंदाज में कहा.

अगले दिन शाम को फरीद और फलक ने निकाह कर लिया. गवाहों का बंदोबस्त फरीद ने ही किया था. इस के बाद फलक अपने जरूरी सामान के साथ फरीद के फ्लैट पर आ गई. फरीद ने कहा, ‘‘यह फ्लैट तो मेरे नाम है. लेकिन अब जो बड़ा फ्लैट खरीदूंगा, वह हम दोनों के नाम होगा.’’

फलक का चेहरा खुशी से चमक उठा, ‘‘आप मुझ से इतना प्यार करते हैं?’’

‘‘इस से भी ज्यादा. कुछ दिनों में ही मुझे ऐसा लगने लगा है कि मैं तुम्हारे बगैर कुछ भी नहीं हूं. तुम हो तो सब है, वरना कुछ भी नहीं है.’’ फरीद ने प्यार से कहा. रात में फलक थक कर गहरी नींद सो गई तो फरीद उठा और अलमारी से फलक का बैग निकाल कर कमरे से बाहर लाउंज में आ गया. वहां उसे खोल कर देखा तो उस में ऐसा कुछ नहीं मिला, जिस से फलक की आर्थिक स्थिति का पता चलता. पर्स में कुछ हजार रुपए और आइडेंटिटी कार्ड वगैरह थे. सबकुछ वैसे ही रख कर फरीद ने उसे सावधानी से अलमारी में रख दिया. यह सब कर के वह अपनी जगह पर लेट कर सो गया.

उस के सो जाने के बाद फलक उठी. उस ने दबे पांव चल कर अलमारी खोली तो 2 खानों में कपड़े और रोज के इस्तेमाल की चीजें रखी थीं. तीसरे खाने में एक छोटा सा चमड़े का बैग था. फलक उसे ले कर लाउंज में आ गई और उस की तलाशी ली तो उस में 3 चेक बुकें और 3 एटीए कार्ड्स मिले. एक लौकर की चाबी भी थी, लेकिन उस में प्रौपर्टी के कागजात नहीं थे. चेक बुकों के साथ कोई स्टेटमेंट नहीं था, जिस से रकम का अंदाजा नहीं लग सका. फलक ने सब कुछ वैसे ही संभाल कर रख दिया और खामोशी से आ कर अपनी जगह पर लेट गई. उस ने फरीद को देखा, कुछ देर बाद वह गहरी नींद में डूब गई.

अगले दिन जब फलक नाज नहा कर बाहर आई तो फरीद नाश्ता बना कर बौलकनी की छोटी टेबल पर सजा चुका था. फलक खुश हो गई. उस ने मेज की ओर देख कर कहा, ‘‘अरे आप को कैसे पता कि मैं नाश्ते में औरेंज जूस और ब्राउनब्रेड लेती हूं?’’

‘‘मेरा अंदाजा था. चाय या कौफी का मुझे नहीं पता.’’ फरीद ने ट्रे आगे खिसकाते हुए कहा.

‘‘चायकौफी मैं नहीं पीती. सादा खाना खाती हूं. कभीकभी बदपरहेजी भी कर लेती हूं.’’

‘‘अच्छी बात है, इस से वजन कंट्रोल रहता है. वैसे भी स्लिम और स्मार्ट औरतें मुझे अच्छी लगती हैं.’’

‘‘आज का क्या प्रोग्राम है?’’ फलक ने पूछा.

‘‘नईनई शादी हुई है. ऐसे में आदमी का क्या प्रोग्राम होगा. कम से कम 3 दिनों तक न कहीं जाना है और न कुछ करना है. हम दोनों एकदूसरे में मस्त रहेंगे और ऐश करेंगे.’’ फरीद ने शरारत से कहा.

सचमुच आने वाले 3 दिनों तक दोनों एकदूसरे में खोए रहे. दोनों जवानी की उम्र से गुजर चुके थे, लेकिन अधेड़ उम्र में भी काफी फिट, चुस्त और स्मार्ट थे. इसलिए शादीशुदा जिंदगी को खूब इन्ज्वाय किया. चौथे दिन तक जज्बात का तूफान काफी कम हो गया. सुबह के नाश्ते पर फरीद ने कहा, ‘‘आज हम कुछ मकान देखने जाएंगे. उस के बाद तय करेंगे कि मकान कहां लिया जाएगा.’’

फलक खुश हो कर बोली, ‘‘हां फरीद, जल्दी करो. मुझे इतनी छोटी जगह में रहने की आदत नहीं है.’’

‘‘मुझे पता है, इसलिए सब से पहले यही काम करना चाहता हूं.’’ फरीद ने कहा.

‘‘इस फ्लैट का क्या किया जाएगा?’’ फलक ने पूछा.

‘‘इसे रेंट पर लगा देंगे. यहां रेंट अच्छा मिलता है. इस बिल्डिंग में मेरा एक फ्लैट और है.’’

यह सुन कर फलक की आंखों में चमक आ गई. उसी दिन शाम को दोनों बाहर निकले. फरीद ने डिफेंस की कुछ स्टेट एजेंसी में बात कर रखी थी. उस ने डिफेंस के नए इलाके में एक बंगला देखा, जिस की कीमत करीब ढाई करोड़ रुपए थी. कीमत पर बात न बन सकी. दूसरे स्टेट ऐजेंट ने नई बन रही एक बिल्डिंग में एक लग्जरी फ्लैट दिखाया. वह 3 बैडरूम का बड़ा अच्छा फ्लैट था. पहली नजर में दोनों को वह फ्लैट पसंद आ गया. फलक को वह काफी अच्छा लगा था. उस ने कहा, ‘‘मेरी फ्लैटों में रहने की आदत रही है. यह फ्लैट मुझे पसंद है.’’

फरीद भी संतुष्ट था. उस का कहना था, ‘‘फ्लैट में सारी जिम्मेदारी, मेंटीनैंस देने के बाद खत्म हो जाती है. सिक्युरिटी भी रहती है.’’

एक करोड़ 20 लाख रुपए में फ्लैट तय हो गया. फरीद ने कहा, ‘‘कल मुझे एक काम और करना है. मेरे 3 बैंक एकाउंट्स हैं. मैं तीनोें को तुम्हारे साथ ज्वाइंट करना चाहता हूं.’’

‘‘मेरे साथ ज्वाइंट करना है. यह तो बड़ी अच्छी बात है.’’ गाड़ी चला रहे फरीद का गाल चूमते हुए फलक ने कहा.

‘‘हां, मैं ने कहा न, मेरा सब कुछ तुम्हारा है. मतलब हम दोनों का है.’’ फरीद ने मुसकराते हुए कहा.

‘‘मेरा भी जो है, वह भी..?’’ फलक ने जल्दी से पूछा.

‘‘नहीं, मैं तुम्हारे फ्लैट और बैंकबैलेंस में न हिस्सा चाहता हूं न नाम डालना चाहता हूं. जो तुम्हारा है, वह तुम्हारा ही रहेगा.’’

‘‘आप बहुत ही शानदार आदमी हैं. आप ने मुझ से यह भी नहीं पूछा कि मेरे पास क्याक्या है?’’

‘‘यह जानना जरूरी नहीं है. बस जो मेरा है, वह तुम्हारा भी है. मैं ने बताया न मेरा 3 बैंकों में एकाउंट है, 2 फ्लैट और एक प्लौट है. बिजनैस की वजह से रकम हाथ में रखनी पड़ती है कि पैसे की कमी से कभी कोई सौदा हाथ से न निकल जाए.’’

इस बात से फलक परेशान हो उठी. उस ने कहा, ‘‘तो फिर आप इतना महंगा फ्लैट न खरीदें. मेरा फ्लैट तो है ही.’’

‘‘मैं अपना उसूल पहले ही बता चुका हूं. मैं तुम से कुछ नहीं लेना चाहता.’’

‘‘फिर तो मैं इसी छोटे से फ्लैट में गुजारा कर लूंगी.’’

‘‘नहीं मेरी जान. मैं तुम्हें तकलीफ में नहीं रख सकता. तुम मेरी खातिर कुर्बानी दो, यह नहीं हो सकता. जल्द ही मैं इस फ्लैट का सौदा कर लूंगा. सवा करोड़ रुपए की कोई समस्या नहीं है.’’

‘‘लेकिन आप को मेरी एक बात माननी पड़ेगी. अगर आप को बिजनैस के लिए रुपए की जरूरत पड़ती है तो आप मुझ से ले लेंगे. वादा कीजिए, आप हिचकिचाएंगे नहीं.’’

‘‘डियर वादा है, अगर जरूरत पड़ी तो जरूर ले लूंगा.’’

अगले दिन दोनों उन बैंकों में गए, जहां फरीद के खाते थे. यहां उस ने दोनों के नाम पर खाते करवा दिए. तीनों खातों की रकम भी मालूम की, जो करीब 4 करोड़ रुपए थी. एमाउंट के बारे में जान कर फलक की आंखें फैल गईं. रास्ते में फरीद ने कहा, ‘‘जिस एकाउंट में ज्यादा रकम है, उसे मैं बिजनैस के लिए इस्तेमाल करता हूं.’’

फलक ने पूछा, ‘‘आप के बिजनैस के डाक्यूमेंट तो होंगे, आप इनकम टैक्स देते हैं?’’

‘‘बाकायदा टैक्स देता हूं. इस मामले में मेरी सोच अलग है. मैं साल भर की आमदनी का हिसाब रखता हूं और एक फर्म से अपनी रिपोर्ट बनवाता हूं. पिछले साल मैं ने कुल मिला कर 4 लाख रुपए टैक्स दिए थे. अगर मैं चाहूं तो एक रुपए भी टैक्स न दूं, कोई मुझे पकड़ नहीं सकता. लेकिन 4 लाख रुपए बचा कर मुझे क्या मिल जाएगा, सिवाय गुनाह और जुर्म के.’’

‘‘आप की सोच बहुत अच्छी है. मैं बहुत खुशनसीब हूं कि मुझे आप जैसा जीवनसाथी मिला.’’

‘‘खुशनसीब तो मैं हूं कि मुझे आप जैसी खूबसूरत बीवी मिली.’’ फरीद ने उसे प्यार से देखते हुए कहा.

‘‘आप भी तो कितने स्मार्ट हैं. 40 से ज्यादा के नहीं लगते.’’

उस रात जब फलक सो गई तो फरीद चुपचाप उठा और कपड़े बदल कर फ्लैट के बाहर निकल गया. वह निश्चिंत था कि फलक जल्दी नहीं उठेगी, क्योंकि उस ने उसे दूध में नींद की गोली दे दी थी. 20 मिनट बाद वह फलक के अपार्टमेंट के बाहर खड़ा था. गेट से उसे गार्ड अंदर जाने नहीं देते, इसलिए पीछे से कंपाउंड की दीवार फांद कर वह अंदर पहुंचा. 7 फुट ऊंची दीवार वह आसानी से लांघ गया था. झाडि़यों में छिप कर उस ने आहट ली. जब कोई आताजाता नहीं दिखाई दिया तो वह सीढि़यों से फलक के फ्लैट तक पहुंच गया. उस ने साथ लाई डुप्लीकेट चाबी से दरवाजा खोला. यह चाबी उस ने पहले ही बनवा ली थी. उस ने फ्लैट की लाइट जलाने के बजाय टार्च जला कर बैडरूम में आया.

फ्लैट के दरवाजे के अलावा अलमारी की भी उस ने डुप्लीकेट चाबी बनवा रखी थी. उस से उस ने अलमारी खोली. उस के खानों में कपड़े और जरूरत की चीजें रखी थीं. उस ने लौकर खोला तो उस में गहनों, नगद रकम और कुछ दस्तावेज रखे थे. उन्हें देख कर फरीद ज्यादा खुश नहीं हुआ, क्योंकि यह सब उस की उम्मीद से काफी कम था. सारा कुछ देख कर सावधानी के साथ जो सामान जैसा था, उसी तरह रख कर फरीद चुपचाप बाहर निकल आया. जिस तरह इमारत में घुसा था, उसी तरह निकल कर घर पहुंचा तो फलक बेखबर सो रही थी. फरीद ने एक नफरत भरी निगाह उस पर डाली और करवट बदल कर सो गया.

फरीद के पास 2 सिम वाला स्मार्ट टैब मोबाइल था. जो सिम बैंक में रजिस्टर्ड था, वह उसी से इंटरनेट चलाता था. आमतौर पर वह बंद रहता था. फरीद को जब जरूरत होती थी, तभी उसे चालू करता था. फलक को इस सिम के बारे में बिलकुल जानकारी नहीं थी. वह उसे मोबाइल में भी नहीं रखता था. उसे वह वालेट के खुफिया खाने में रखता था, क्योंकि फलक उस के मोबाइल पर भी नजर रखती थी. लेकिन इस सिम की जानकारी उसे नहीं थी.

सुबह उठ कर वह उस पर जान न्यौछावर करने वाला शौहर बन गया. नाश्ता करते हुए उस ने कहा, ‘‘आज बात कर के फ्लैट तय कर लेना है.’’

फलक ने सलाह दी, ‘‘आप एक करोड़ का औफर दें, शायद 1 करोड़ 10 लाख में सौदा तय हो जाए. अगर नहीं मानता तो आप मेरा फ्लैट खरीद सकते हैं.’’  फरीद चौंका. उस के बाद प्यार से बोला, ‘‘यह आइडिया तो बहुत अच्छा है. मगर मुझे वह फ्लैट ज्यादा पसंद है. अगर वहां बात न बनी तो देखेंगे.’’

दोपहर को दोनों हलका खाना खाते थे. रात को अक्सर वे बाहर ही खाते थे, क्योंकि फलक को खाना बनाना पसंद नहीं था. बाहर न जा पाते तो फरीद खाना पैक करा कर ले आता. उस रात वह डिनर के लिए बाहर निकला तो अपना पर्स में रखा सिम लगा कर मैसेज चैक किए. उस के बाद कहीं फोन कर के बात की. उस ने उसे कुछ समझाया. उस का वह काम हो गया, जिस के लिए उस ने फोन किया था. अंत में उस ने पूछा, ‘‘काम होने में कितने दिन लगेंगे?’’

‘‘बस 2-3 दिन.’’ दूसरी ओर से जवाब में कहा गया.

इस के बाद उस ने बैंकों में बात की. बात करने के बाद उस ने सिम निकाल कर उसे वालेट में रख लिया. अब वह पूरी तरह संतुष्ट था. उस के पास 3-4 दिन का समय था. पिछली रात फलक के फ्लैट की तलाशी में उस के सामने जो सच्चाई आई थी, उस से उस ने फैसला कर लिया था कि जो भी करना है, जल्दी करना है. क्योंकि जैसी उस ने उम्मीद की थी, वैसा कुछ नहीं था, फिर भी वह नुकसान में नहीं था. 3 दिनों बाद दोनों डिनर के बाद टीवी देख रहे थे कि फरीद के मोबाइल फोन की घंटी बजी. उस ने फोन रिसीव किया. जबकि सच्चाई यह थी कि यह फोन न हो कर अलार्म था. उस ने अलार्म घंटी रिंगटोन में लगा दी थी. वह उठा और बैडरूम में जा कर अलार्म बंद किया और बातचीत का अभिनय करने लगा.

थोड़ी देर अभिनय कर के उस ने किसी से सचमुच बात की. बातचीत खत्म कर के फलक को बताया कि दुबई से एक पार्टी का फोन था. उसे बढि़या किस्म का बासमती चावल चाहिए.’’

‘‘दूसरा फोन किस का था?’’ फलक ने पूछा.

‘‘हैदराबाद के चावल व्यापारी का. उस के पास नंबर-1 का चावल है. रेट भी कम है.’’

‘‘आप कमीशन पर काम करेंगे, कितना मिल जाएगा?’’

‘‘यह ज्यादा फायदे का सौदा नहीं है, फिर भी 5 लाख तो मिल ही जाएंगे. अगर मैं खुद हैदराबाद जा कर खरीदारी कर के भेजूं तो 10-12 लाख रुपए बच सकते हैं. लेकिन 2 दिन भागदौड़ करनी पड़ेगी.’’

‘‘इतना फायदा है तो आप खुद हैदराबाद चले जाइए. बताइए कब जाएंगे?’’

‘‘ऐसी बात है तो कल शाम को निकल जाता हूं. अगले दिन काम निपटा कर लौट आऊंगा.’’

‘‘लेकिन कल शाम को शौपिंग के लिए जाना चाहती हूं.’’

‘‘कोई बात नहीं डियर, तुम अकेली चली जाना.’’ फरीद ने उस का गाल थपथपा कर प्यार से कहा.

‘‘ठीक है, हम घर से साथ निकलेंगे.’’ फलक ने कहा.

‘‘मैं गाड़ी से नहीं, टैक्सी से जाऊंगा और उसी से वापस भी आऊंगा, क्योंकि रात को मैं हाईवे पर गाड़ी नहीं चलाता.’’

‘‘ठीक है, घर से तो मेरे साथ निकलोगे.’’

रात में दोनों सोने के लिए लेटे तो सोने के बजाय मात्र ऐक्टिंग करते रहे. काफी देर से नींद न आने से फरीद का सिर भारी हो रहा था, जबकि फलक एकदम फ्रेश थी. नाश्ता करने के बाद फरीद बहाने से बाहर निकला तो एक घंटे बाद वापस आया. उस का मूड बहुत अच्छा था. इस के बाद पूरे दिन मियांबीवी हंसतेमुसकराते बातें करते रहे. फलक को नए डिजाइन के कुछ सूट लेने थे. उस ने दो दिनों पहले ही फरीद को बता दिया था. मगर अब उसे अकेली ही शौपिंग के लिए जाना था. तय हुआ था कि फरीद फलक के साथ ही निकलेगा. वह उसे ऐसी जगह उतारेगी, जहां से उसे हैदराबाद जाने के लिए टैक्सी मिल जाए.

सूरज डूबने के बाद दोनों तैयार हो कर बाहर निकलने लगे तो फलक ने कहा, ‘‘एक मिनट, जरा मैं वौशरूम हो कर आती हूं.’’

उस के जाते ही फरीद ने मोबाइल निकाला और किसी नंबर पर मिस्ड काल दे कर फोन काट दिया. फलक एक मिनट में आ गई. फरीद ने देखा उस के हाथ सूखे थे. इस का मतलब वह वौशरूम का बहाना कर के किसी अन्य काम से अंदर गई थी. वह सोचने लगा कि यह अंदर क्यों गई थी?  फलक ने जैसे ही कार निकाली, इमारत के सामने ही एक टैक्सी नजर आई. फलक ने कहा, ‘‘इसी से बात कर लेते हैं. अगर यह जाने को तैयार हो तो इसी के साथ चले जाइए.’’

फलक ने कार रोक ली. ड्राइवर अभी जवान था. फरीद ने करीब जा कर पूछा, ‘‘हैदराबाद जाना है अभी निकलेंगे और कल लौट आएंगे, चलोगे?’’

‘‘चलेंगे साहब, एसी के 5 हजार बगैर एसी के 4 हजार लेंगे.’’

‘‘ठीक है, एसी में चलेंगे.’’ फरीद ने कहा. उस ने फलक की गाड़ी से अपना बैग निकाला. खुदाहाफिज कह कर टैक्सी में बैठ गया. फरीद ने शौपिंग के लिए फलक को अपना एटीएम कार्ड दे दिया था. दोनों गाडि़यां विपरीत दिशाओं में चल पड़ीं. फरीद ने ड्राइवर को एडवांस के रूप में ढाई हजार रुपए दे दिए थे. ढाई हजार आने के बाद देना था. टैक्सी टोल प्लाजा पर पहुंची तो फरीद के मोबाइल की घंटी बजी. उस के होंठों पर मुसकान उभरी. उस ने फोन रिसीव किया तो दूसरी ओर से फलक ने कहा, ‘‘मैं ने आज तक तुम्हारे जैसा घटिया और कमीना आदमी नहीं देखा.’’

‘‘अपने बारे में तुम्हारे क्या खयाल है?’’ धीमी आवाज में फरीद ने पूछा, ‘‘बताओ क्या बात है?’’

‘‘तुम्हारे इस एकाउंट में एक भी रुपया नहीं है.’’

‘‘मेरा अंदाजा ठीक निकला. तुम ने बैंक वालों से पता कर लिया?’’

‘‘यह कोई मुश्किल नहीं था. मैं ने फोन बैंकिंग सर्विस को फोन किया और अपना हवाला दिया तो औपरेटर ने बताया कि इस एकाउंट में कुछ नहीं है.’’ फलक ने तल्खी से कहा.

‘‘डियर इसे कहते हैं जैसे को तैसा. तुम ने मुझ से झूठ बोला.’’

‘‘तुम ने ही कौन सा सच बोला था?’’

‘‘ओके, मैं ने झूठ बोला कि मेरा फ्लैट किराए का है, मेरे पास कोई जायदाद नहीं है. लेकिन मेरे तीनों एकाउंट तो सच थे, तुम्हारे पास क्या है?’’

‘‘मेरे पास जो कुछ है, उसे कोई नहीं जान सकता.’’

‘‘लेकिन मैं ने जान लिया है.’’

फलक गुस्से में बोली, ‘‘बेहद घटिया आदमी हो तुम.’’

‘‘तुम ने भी तो झूठ बोला था कि वह फ्लैट तुम्हारा है. जबकि तुम वहां किराए पर रह रही थी.’’

‘‘हां, लेकिन उस का किराया पता है तुम्हें?’’

‘‘सब पता है. इस से भी बड़ा झूठ कि तुम्हारे शौहर का नाम हामिद था. जबकि इस नाम का तुम्हारा कोई शौहर ही नहीं था. तुम्हें यहां आए मात्र 2 महीने हुए हैं. ठीक है न?’’

उस की इन बातों से फलक की आवाज धीमी हो गई.

‘‘तुम्हें यह सब कैसे पता चला?’’

‘‘कुछ देर पहले तुम ने दावा किया था कि तुम्हारे बारे में कोई नहीं जान सकता. जबकि मैं ने सब जान लिया है.’’

फलक तड़प कर बोली, ‘‘तुम मेरी सोच से ज्यादा कमीने और शातिर आदमी निकले. तुम ने मेरी चाबियों की डुप्लीकेट बनवा ली थी?’’

फरीद मजा लेते हुए बोला, ‘‘तभी तो मैं हकीकत जान सका.’’

दूसरी ओर से गाड़ी के स्टार्ट करने की आवाज आई. फरीद जानता था कि वह कहां जा रही है. रोने जैसी आवाज में फलक ने पूछा, ‘‘क्या तुम ने मेरा वहां से सब निकाल लिया है?’’

‘‘हां, अब वहां कुछ नहीं है.’’

‘‘तुम्हें क्या लगता है कि तुम वह सब आसानी से हजम कर जाओगे? वह सब मेरा और मुझे ही मिलेगा.’’ फलक चिल्लाई. फरीद चौंका, ‘‘क्या मतलब?’’

फलक खुद को संभाल कर बोली, ‘‘अब तुम जान ही गए हो तो मेरे पास बस वही सब है, अब तुम क्या करोगे?’’

‘‘तुम्ही बताओ, मुझे क्या करना चाहिए?’’ फरीद ने पूछा.

‘‘तुम मुझे तलाक दे दो. लेकिन तुम यह मत समझना कि आसानी से तुम्हारी जान छूट जाएगी.’’ फलक ने कहा.

‘‘तो क्या तुम अदालत चली जाओगी? जबकि तुम जानती हो कि हम दोनों में से कोई भी अदालत जाने की हिम्मत नहीं कर सकता.’’

इस के बाद फरीद ने ड्राइवर से गाड़ी किनारे लगवा कर रुकवाई और अपना बैग ले कर नीचे उतर आया. वह टैक्सी से जरा दूर हट कर नाले के किनारे आया, जो हाईवे के साथसाथ बह रहा था. अब उस की आवाज ड्राइवर तक नहीं पहुंच सकती थी.

‘‘तुम अचानक चुप क्यों हो गए?’’ फलक ने पूछा.

‘‘मैं टैक्सी से उतर आया हूं.’’

‘‘अभी कहां हो तुम?’’

‘‘टोल प्लाजा से 8-9 किलोमीटर आगे.’’

‘‘फरीद, जब तुम्हारा कोई बिजनैस ही नहीं है तो जाने का नाटक क्यों कर रहे हो?’’

‘‘जल्दी ही तुम्हें पता चल जाएगा.’’ फरीद ने घड़ी देखते हुए कहा.

‘‘क्या पता चल जाएगा?’’

‘‘फलक, तुम्हें क्या लगता है कि मैं ने आंख बंद कर के तुम से शादी कर ली है?’’

‘‘जैसे मैं ने कर ली है.’’ उस ने जवाब दिया.

‘‘उस के बाद मैं ने तुम्हें अपने एकाउंट्स में शरीक कर लिया.’’

‘‘मुझे यकीन है कि अब उन एकाउंट्स में कुछ नहीं होगा.’’

‘‘नहीं, बस यही एकाउंट खाली है. वह भी सिर्फ आज भर के लिए. कल सुबह उस में बड़ी रकम डाल दूंगा.’’

‘‘तुम ने ऐसा क्यों किया?’’ फलक उलझ कर बोली.

‘‘ये एकाउंट मैं ने अकेले खोले थे और तुम्हें उन में सिर्फ शरीक किया था, इसलिए बैंक वालों ने तुम्हें शर्तें व फायदे नहीं बताए.’’

‘‘कैसे फायदे?’’ फलक ने पूछा.

‘‘तुम्हें नहीं मालूम कि इन तीनों एकाउंट्स होल्डर की फ्री पर्सनल इंश्योरेंस भी होती है. अगर एकाउंट होल्डर मर जाए तो उस के साथी को काफी बड़ी रकम मिलती है.’’

‘‘कितनी रकम मिलेगी? तुम मुझे मरवा कर इंश्योरेंस की रकम वसूल करना चाहते हो?’’ फलक घबरा कर बोली.

‘‘नहीं डियर, मैं तुम्हें मरवाना नहीं चाहता,बल्कि मरवा रहा हूं. तुम्हारे मरने के बाद तीनों एकाउंट्स से मुझे करीब 60 लाख रुपए मिलेंगे. तुम्हारे लौकर से जो मिला है, वह भी 40-50 लाख रुपए का होगा ही? इस तरह मुझे एक करोड़ मिल रहे हैं. ये बुरे नहीं है. कुछ दिन तुम्हारी हसीन जवानी के मजे लिए, अलग से.’’

‘‘तुम मुझे कत्ल करा दोगे?’’ फलक ने डर कर पूछा.

फरीद कुछ देर चुप रहने के बाद बोला, ‘‘हम दोनों ही शिकारी हैं. मेरे खयाल से जो धंधा मेरा है, वही तुम्हारा भी है. मैं ठीक कह रहा हूं न जानेमन?’’

कुछ देर चुप रह कर फंसीफंसी आवाज में फलक बोली, ‘‘हां, तुम ठीक कर रहे हो. अब तक तुम कितनी शादियां कर चुके हो?’’

‘‘यही सवाल मैं तुम से करूं तो..?’’

‘‘ओके, अब तुम से क्या छिपाना. मैं अब तक 7 शादियां कर चुकी हूं.’’ फलक ने सुकून से कहा.

‘‘इसी शहर में?’’

‘‘नहीं, चार अलगअलग शहरों में. अब तुम बताओ, तुम ने क्या स्कोर बनाया है?’’

‘‘मेरा स्कोर तुम से एक ज्यादा है. लेकिन अब तक एक भी तुम्हारे जैसी नहीं थी. काश! तुम शिकारी न होती तो शायद मैं अपना इरादा बदल देता, बाकी जिंदगी तुम्हारे साथ गुजारता. लेकिन…’’

‘‘जरूरी नहीं कि इंसान की हर आरजू पूरी हो जाए. मैं भी मानती हूं कि अभी तक जितने मर्द मेरी जिंदगी में आए, तुम सब से ज्यादा स्मार्ट और सोबर लगे. मैं सच कह रही हूं, अगर तुम शिकारी न होते तो मैं खुशीखुशी सारी उम्र तुम्हारे साथ गुजारती. खैर, अब कोई अच्छा आदमी मिला तो वहीं एंड कर दूंगी.’’

फरीद ने पूछा, ‘‘तुम ने अपने एक्स शौहरों के साथ क्या किया था?’’

‘‘वही, जो तुम ने अपनी एक्स बीवियों के साथ किया और जो अब मैं तुम्हारे साथ करने जा रही हूं.’’

ऐसा लग रहा था, जैसे फलक शाक से बाहर आ गई थी. फरीद एकदम से चौंका, ‘‘यह क्या कहा तुम ने?’’

फलक ने जैसे उस का सवाल सुना ही नहीं. बोली, ‘‘फरीद तुम को डर नहीं लगता कि मैं पुलिस को फोन कर सकती हूं?’’

शौक से करो, लेकिन तुम बताओगी क्या? वैसे भी अब तुम्हारे पास वक्त नहीं है.’’ फरीद ने घड़ी देखते हुए हंस कर कहा. उसी समय गाड़ी किसी चीज से टकराई और गाड़ी के बौडी के रगड़ने तथा शीशे के टूटने की आवाज आई. पहले फलक की दर्दभरी चीख सुनाई दी, उस के बाद वह चिल्लाई, ‘‘फरीद, इसे तुम ने भेजा था?’’

‘‘हां, उसे मैं ने ही भेजा था. यह मौत का फरिश्ता उर्फ टारगेट किलर है.’’

‘‘इसे रोको, वरना तुम भी नहीं बचोगे?’’ फलक चीखी.

‘‘गुडबाय माय डियर वाइफ.’’ इसी के साथ दूसरी ओर से दो गोली चलने की आवाज आई. किसी ने मोबाइल उठा कर धीमे से कहा, ‘‘काम हो गया.’’

फरीद ने हंस कर मोबाइल बंद किया और जेब में रखा. जिंदगी में पहली बार उसे अपनी टक्कर की औरत मिली थी. मगर आखिर में वह भी मात खा गई. फलक अब इस दुनिया में नहीं रही थी. लेकिन उस की कही बातें दिमाग में खटक रही थीं. उसे लगा, पुलिस उस से संपर्क करेगी तो वह हैदराबाद में होगा. वह टैक्सी की ओर मुड़ा, तभी पीछे से खटके की आवाज आई. उस ने पलट कर देखा, हलके अंधेरे के बावजूद ड्राइवर के हाथ में पिस्तौल साफ दिख रही थी, वह उस के निशाने पर था. फरीद के हाथ से बैग छूट गया. उस ने हकलाते हुए कहा, ‘‘यह क्या…?’’

‘‘मेरा काम आसान करने का शुक्रिया.’’ ड्राइवर ने कहा.

अब फरीद की समझ में आया कि फलक ने क्यों कहा था कि ‘सब कुछ मेरा है और मुझे ही मिलेगा.’

उस ने मरने से पहले यह भी कहा था कि वह भी नहीं बचेगा. यानी जो काम वह फलक के लिए कर रहा था, वही काम फलक ने उस के लिए किया था. उस ने भी किराए का कातिल हायर किया था. इत्तफाक से दोनों ने एक दिन और एक ही वक्त चुना था. वह सोच रहा था कि ड्राइवर ने दिल का निशाना ले कर एक के बाद एक 2 गोलियां चलाईं तो फरीद उलट कर नाले में जा गिरा. डूबते जेहन के साथ उस ने सोचा, ‘सचमुच टक्कर बराबर की थी.’ उस ने बंद होती आंखों से देखा तो कातिल अपना काम कर नीचे उस का बैग हथियाने आ रहा था. Crime Kahani

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