Crime News : धर्म के नाम पर चंदा दे कर खुद को बड़ा दानवीर कहलाने वालों की समाज में कमी नहीं है. ऐसे ही अंधविश्वासी लोगों के साथ ठगी व लूट की घटनाएं घटती हैं. जरूरत है, अंधविश्वास का चश्मा उतार कर सावधानी बरतने की. मोदीनगर के रहने वाले अमन वर्मा का कपड़ों का शोरूम था. सुबह उन के शोरूम पर चले जाने के बाद घर में उन की मां ओमवती और पत्नी वर्षा रह जाती थीं. एक दिन ओमवती पड़ोस में चली गईं तो वर्षा घर में अकेली रह गई. उसी बीच उस के यहां 4 लोग आए. उन्होंने बताया कि वे साईं बाबा के नाम पर भंडारा कराने के लिए चंदा इकट्ठा कर रहे हैं. यह पुण्य का काम है, इस से उसे बहुत फायदा होगा. वर्षा उन की लच्छेदार बातों में आ कर नकार नहीं सकी और उन्हें चंदा देने का मन बना लिया.

तभी उन चारों में से एक ने वर्षा से पानी पिलाने को कहा. वर्षा पानी लेने अंदर गई तो इस के बाद जो हुआ, उस की उसे बिलकुल उम्मीद नहीं थी. चंदा मांगने वाले चारों आदमी अंदर आ गए और अंगौछे से वर्षा का गला लपेट कर दबोच लिया. इस के बाद तमंचा दिखा कर घर में रखे गहने और नकद मांगे. वर्षा ने विरोध करना चाहा तो जान से मारने की धमकी दी. चारों ने वर्षा को डरा कर उस के सोने के कुंडल, चेन, चूड़ी उतरवाने के साथ घर में रखे 50 हजार रुपए कब्जे में कर लिए. इस तरह उन्होंने लगभग 2 लाख रुपए के माल पर हाथ साफ कर दिया. लूटपाट करने के बाद बदमाशों ने वर्षा को एक कमरे में बंद कर दिया और हाथ आया माल ले कर चंपत हो गए. मामला पुलिस तक पहुंचा. बाद में पूछताछ में पता चला कि उन लोगों ने अगलबगल के कई घरों से 10-10 रुपए चंदे के रूप में लिए थे.

इंसपेक्टर दीपक शर्मा ने इस मामले की जांच की और लुटेरों को पकड़ भी लिया. चारों लुटेरों से लूट की नगदी और गहने भी बरामद कर लिए. पूछताछ में लुटेरों ने बताया कि वे चारों लंबे समय से धर्म के नाम पर चंदा वसूली का धंधा करते आ रहे थे. उसी की आड़ में वे मौका मिलने पर लोगों को लूट भी लिया करते थे. धर्म के नाम पर अंधविश्वास का कोहरा फैलाने के लिए वे अपने साथ देवीदेवताओं के फोटो लिए रहते थे. चंदे की आड़ में लूट करने वाले इस गिरोह का सरगना रोशन सिंह था. लंबे समय से वह यही करता आ रहा था. उस ने फर्जी रसीदें भी छपवा रखी थीं. यह गिरोह स्थान और शहर बदल कर चंदा वसूली, ठगी और लूटपाट करता था.

धर्म के नाम पर चंदा मांगते लोग अकसर दिख जाते हैं. तरहतरह के दावे करने वाले ऐसे लोगों का सब से आसान शिकार अंधविश्वास में जकड़े वे लोग होते हैं, जो धर्म के नाम पर कुछ भी करने को तैयार रहते हैं या बिना मेहनत के किसी चमत्कार के जरिए अपनी किस्मत बदलने का सपना देखा करते हैं. इस तरह के लोग कब लूट या ठगी का शिकार हो जाएं, इस बात को वे खुद नहीं जानते. पाखंडी भी उन्हें लूटने के तरहतरह के हथकंडे अपना कर धर्म के नाम पर अपना धंधा चमकाए रखते हैं. लूट का यह चक्र हर जगह घूमता है.

घरों में घंटी बजा कर किसी मंदिर, मठ, पीर, गुरुद्वारे के नाम पर चंदे की उगाही करने वाले अकसर आते रहते हैं. उन के हाथों में छपी हुई रसीदें भी होती हैं. वे धर्म के काम में सहयोग की मांग कर के चंदा मांगते हैं. चंदा देने के लिए वे लोगों को मानसिक रूप से तैयार करने के लिए न सिर्फ लच्छेदार बातें करते हैं, बल्कि अंगुलियों में दिखाने वाले अंदाज में बड़े नोट भी फंसा कर रखते हैं, ताकि सामने वाले को विश्वास हो सके कि अन्य लोगों ने भक्तिभाव में मोटा चंदा दिया है. उसी से तमाम लोग झांसे में आ जाते हैं. वे लोगों को ऐसे हसीन ख्वाब दिखाते हैं कि सामने वाला पलभर में लट्टू हो जाए.

मसलन किसी को बड़ा फायदा होने का तो किसी को खजाना मिलने और जल्दी अमीर बनने का लालच देते हैं. लोगों की समझ में यह नहीं आता कि अगर चंदा मांगने वाले इतने ही ज्ञानवान होते तो ये चंदा क्यों मांग रहे होते. मजे की बात यह है कि चंदे की जो रसीद वे देते हैं, उस पर लिखा पता या तो पूरी तरह फर्जी होता है या होता ही नहीं. अगर सही भी हुआ तो कहीं सुदूर का होता है. आमतौर पर कोई उस की पुष्टि करता भी नहीं है. अगर किसी ने पते के बारे में पूछ भी लिया तो वे कहते हैं कि गुप्तदान के लिए रसीद पर पता नहीं दिया गया. तब यह कोई नहीं पूछता कि जब यह गुप्तदान है तो वे सार्वजनिक रूप से क्यों मांगते फिर रहे हैं.

मोहल्ले, गांव, कस्बे और शहर बदल कर ऐसे लोगों का यह धंधा चलता रहता है. चंदा मांगने वालों को हर तरह के लोग मिलते हैं. कुछ धर्मांध लोग उन्हें बैठाते ही नहीं, चायनाश्ता भी कराते हैं. अंधविश्वास से जुड़े किस्सेकहानियां सुनते हैं. अतिथि सत्कार कर के चंदा देते हैं. इस तरह के दानदाता रसीद दिखा कर यह जताने की कोशिश करते हैं कि वे बड़े दानवीर हैं. चंदा मांगने वाले मौका मिलने पर लूटने से भी नहीं चूकते. मांगने वालों को चस्का लगा होता है. उन के इस चस्के को अंधविश्वासी और भी बढ़ावा देते हैं. चंदा मांगने वाले लोग खासतौर पर ऐसा वक्त चुनते हैं, जब घरों में महिलाएं अकेली होती हैं. उन का मानना होता है कि महिलाएं आसानी से बातों में आ जाती हैं और उन्हें आराम से शिकार बनाया जा सकता है.

नोएडा के सेक्टर-62 में रहने वाली चंद्रप्रभा एक शौपिंग मौल में शौपिंग करने जा रही थीं. रास्ते में उन्हें 3 युवकों ने रोक लिया और खुद को गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का सदस्य बता कर चंदा मांगा. युवकों का कहना था कि इस से उन की सभी परेशानियां दूर हो जाएंगी. हर तरह से उन का भविष्य उज्ज्वल होगा. चंद्रप्रभा ने भी अपनी किस्मत बदलने की ठान ली और उन्हें एक हजार रुपए देने का मन बना लिया. उन्होंने जैसे ही पर्स से रुपए निकालने चाहे, युवक पर्स छीन कर भाग गए. पर्स में 6 हजार रुपए थे. लूट का शिकार हुई चंद्रप्रभा ने रिपोर्ट दर्ज करा दी. कुछ दिनों बाद पुलिस ने युवकों को चंदा मांगते हुए गिरफ्तार कर लिया. तीनों युवक दिल्ली के रहने वाले थे और इसी तरह लोगों को ठगने के साथ लूटते भी थे.

खुर्जा की रहने वाली राजबाला चंदौसी दवा लेने जा रही थीं. रास्ते में उन्हें 2 युवकों ने रोक कर एक धर्मस्थल का पता पूछा. राजबाला ने जानकारी होने से इनकार किया तो युवकों ने उन्हें अपनी बातों के जाल में फंसा लिया और भविष्यवाणी करने लगे. राजबाला उन की बातों से प्रभावित हुईं. युवकों ने कलयुग में लूटपाट का डर दिखा कर राजबाला के पहने गहने को पर्स में रखने को कहा. राजबाला ने वैसा ही किया. युवकों ने कहा कि अपने भविष्य को जानने के लिए वह हाथ जोड़ कर आंखें बंद कर के प्रभु का स्मरण करें. विश्वास में ले कर युवकों ने राजबाला से पर्स ले लिया था. राजबाला हाथ जोड़ कर खड़ी हो गईं. जब उन्होंने अपनी आंखें खोलीं तो युवक लापता थे. राजबाला अंधविश्वास में न पड़ी होतीं तो इस तरह ठगी न जातीं. उन्हें शिकार बनाने वाले युवक पकड़ में नहीं आ सके.

इस प्रकार की ठगी करने वालों के लिए अंधविश्वासी लोग सोने के अंडे देने वाली मुर्गी जैसे होते हैं. कुछ मामलों में ठगी का शिकार हुए लोग अपनी इज्जत के लिए चुप रह जाते हैं कि किसी को पता चलेगा तो मजाक ही बनेगा. यह बात अलग है कि उन की बेवकूफियों पर ठगी करने वाले जरूर हंस रहे होते हैं. मजदूर सुबह से शाम तक मेहनत कर के पैसे कमाते हैं, जबकि ऐसे लोग बिना मेहनत के ही अंधविश्वास का फायदा उठा कर खुश रहते हैं. शायद वे जानते हैं कि जब तक इस दुनिया में अंधविश्वासी हैं, उन का धंधा आबाद रहेगा. जानकारों का कहना है कि लोगों को अंधविश्वास में नहीं पड़ना चाहिए. अजनबियों के लिए महिलाएं दरवाजा न खोलें, क्योंकि कभीकभी माल के साथ जान भी गंवानी पड़ सकती है. Crime News

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