Crime News: तेजिंदर सिंह बिना मेहनत के ही करोड़पति बनना चाहता था, ऐसे में अपराध का ही एक रास्ता था, जो उसे करोड़पति बना सकता था. तेजिंदर उस रास्ते पर चला तो लेकिन उस ने गलती कहां कर दी कि पैसे के बजाय उसे जेल मिल गई…

पंजाब के जिला मोहाली के फेज-9 में बलविंदर सिंह अपनी पत्नी जसविंदर कौर, बेटी हरिंदर कौर और नाती मेहरम सिंह संधू के साथ रहते थे. बलविंदर सिंह साधनसंपन्न आदमी थे. उन के यहां किसी चीज की कमी नहीं थी. हरिंदर कौर उन की एकलौती संतान थी. नाजों से पलीबढ़ी हरिंदर कौर का ब्याह खरड़ निवासी निर्मल सिंह के बेटे वरिंदरपाल सिंह संधू के साथ हुआ था. निर्मल सिंह इलाके के दबंग और बड़े किसानों में थे. उन का बेटा वरिंदरपाल सिंह भी उन्हीं जैसा दबंग और मेहनती था. वरिंदरपाल के अलावा उन की एक बेटी परमिंदर कौर थी, जिस का विवाह प्रभजोत सिंह के साथ हुआ था.

शादी के कुछ दिनों बाद हरिंदर कौर पढ़ने के लिए आस्ट्रेलिया चली गई. उस की मां जसविंदर कौर वहीं रहती थीं. कुछ ही दिनों बाद वरिंदरपाल सिंह भी पत्नी हरिंदर कौर के पास आस्ट्रेलिया चला गया. उसे वहां नौकरी मिल गई तो उस ने वहीं रहने का मन बना लिया. शादी के लगभग डेढ़ साल बाद हरिंदर कौर ने एक बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम मेहरम सिंह रखा गया. मेहरम 6 महीने का था, तभी नाती को ले कर जसविंदर कौर मोहाली आ गईं. बेटे के बगैर हरिंदर कौर भी नहीं रह पाई तो कुछ दिनों बाद वह भी भारत आ गई. एकलौती संतान होने के नाते बलविंदर सिंह और जसविंदर कौर का जो भी था, वह हरिंदर कौर और उस के बच्चों का ही था. बलविंदर सिंह और जसविंदर कौर को भी बेटी का ही सहारा था, इसलिए हरिंदर कौर भारत आई तो आस्ट्रेलिया वापस नहीं गई.

वरिंदरपाल चाहता था कि हरिंदर कौर आस्ट्रेलिया आ जाए. लेकिन वह वहां जाने को तैयार नहीं थी. काफी बुलाने के बाद हरिंदर आस्ट्रेलिया नहीं गई तो वरिंदरपाल ने अदालत के माध्यम से तलाक का नोटिस भिजवा दिया, क्योंकि पत्नी में आए बदलाव से वह काफी मर्माहत था. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि हरिंदर में अचानक ऐसा बदलाव कैसे आ गया? उस ने हरिंदर को समझाने की काफी कोशिश भी की, लेकिन वह आस्ट्रेलिया जाने के बजाय तलाक के लिए तैयार थी. लेकिन बाद में न जाने क्या सोच कर वरिंदरपाल सिंह ने तलाक का अपना नोटिस वापस ले लिया. तब हरिंदर कौर ने अपनी ओर से पारिवारिक न्यायालय में गुजाराभत्ता के लिए मुकदमा कर दिया. हरिंदर कौर को मांबाप की ओर से पूरा सहयोग मिल रहा था, इसलिए उसे किसी बात की चिंता नहीं थी. मेहरम ननिहाल में ही पलबढ़ रहा था.

मेहरम 5 साल का हुआ तो नाना बलविंदर सिंह ने कालोनी के पास के ही एक कान्वेंट स्कूल में उस का दाखिला करा दिया. इस समय वह सेकेंड क्लास में पढ़ रहा था. 5 दिसंबर, 2014 को मेहरम का 6ठवां जन्मदिन था, जिस के मनाने की तैयारी बड़े जोरशोर से चल रही थी. 28 अक्तूबर, 2014 की शाम मेहरम घर के सामने वाले पार्क में कालोनी के कुछ बच्चों के साथ खेल रहा था. उसे घर से गए काफी देर हो गई और वह वापस नहीं आया तो हरिंदर कौर उसे लिवाने के लिए पार्क में पहुंची. पार्क में कोई बच्चा खेलता नजर नहीं आया तो उसे चिंता हुई. बच्चे शायद अपनेअपने घर चले गए थे. उस समय बिजली नहीं थी, इसलिए पार्क में अंधेरा था.

बेटे को पार्क में न पा कर हरिंदर कौर के मन में तरहतरह की आशंकाएं उठने लगीं. आसपड़ोस में उस ने मेहरम को ढूंढा, लेकिन उस का कुछ पता नहीं चला. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर वह गया तो गया कहां? मेहरम का जब कहीं पता नहीं चला तो उस ने यह बात पिता बलविंदर सिंह को बताई. नाती के अचानक गायब होने की बात सुन कर वह भी परेशान हो उठे. 2-4 लोगों को साथ ले कर वह मेहरम की तलाश में जुट गए. अब तक मेहरम के गायब होने की बात पूरी कालोनी में फैल गई थी. रात काफी हो गई और मेहरम का कुछ पता नहीं चला तो सभी सवेरा होने का इंतजार करने लगे. बलविंदर के घर मातम मचा था. जसविंदर और हरिंदर का रोरो कर बुरा हाल था.

सवेरा होते ही बलविंदर सिंह मोहल्ले के कुछ लोगों को ले कर थाना फेज-9 जा पहुंचे. थानाप्रभारी कुलवीर सिंह अपने औफिस में ही बैठे थे. बलविंदर सिंह ने नाती के गायब होने के बारे में बता कर जब उन्हें रिपोर्ट दर्ज करने के लिए तहरीर दी तो उसी के आधार पर थानाप्रभारी ने मेहरम के अपहरण का मुकदमा उस के पिता वरिंदरपाल सिंह, दादा निर्मल सिंह, बुआ परमिंदर कौर और फूफा प्रभजोत सिंह के खिलाफ दर्ज करा दिया. बलविंदर सिंह ने यह मुकदमा बेटी हरिंदर कौर द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर दर्ज कराया था. उस ने बताया था कि दोपहर 2 बजे वरिंदरपाल सिंह का फोन आया था. उस ने बेटे को ले जाने की धमकी दी थी. उसी दिन शाम को मेहरम रहस्यमय तरीके से गायब हो गया था.

मामला एक संभ्रांत परिवार के बच्चे के अपहरण का था, इसलिए थानाप्रभारी कुलवीर सिंह ने इस घटना की सूचना पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों, एसएसपी इंदरमोहन सिंह, एसपी (देहात), एएसपी और डीएसपी (नगर) द्वितीय को दे दी थी. सूचना मिलते ही अधिकारी बलविंदर सिंह के घर आ पहुंचे थे. पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में मेहरम के साथ खेल रहे बच्चों से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि शाम को बिजली जाने के बाद अंधेरे में एक युवक मेहरम को अपने साथ ले गया था. अंधेरा होने की वजह से वे उसे पहचान नहीं पाए थे.

बलविंदर सिंह ने जिन वरिंदरपाल सिंह, निर्मल सिंह, परमिंदर कौर और प्रभजोत सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था, थाना फेज-9 पुलिस ने खरड़ स्थित वरिंदरपाल सिंह के गांव और माछीवाड़ा स्थित परमिंदर कौर की ससुराल में छापा मारा. पुलिस को दोनों जगहों पर भले मेहरम नहीं मिला, लेकिन नामजद लोगों में से वरिंदरपाल सिंह को छोड़ कर बाकी लोगों को थाने ले आई और मेहरम के बारे में पूछताछ की जाने लगी. पुलिस ने बच्चों से पूछताछ के आधार पर अपहर्त्ता के 3 अलगअलग स्कैच तैयार कराए और  एसएसपी, डीएसपी और थानाप्रभारी के सरकारी फोन नंबरों के साथ सोशल साइट फेसबुक पर पोस्ट करा दिए. इसी के साथ मेहरम और उस के अपहर्त्ता के बारे में सूचना देने वाले को एक लाख रुपए के इनाम की भी घोषणा की गई.

पुलिस नामजद लोगों को थाने ला कर पूछताछ तो कर रही थी, लेकिन उसे इस बात पर हैरानी जरूर हो रही थी कि एक बाप या दादा अपने ही खून का अपहरण कैसे करवा सकता है? लेकिन जिस दिन मेहरम का अपहरण हुआ था, उसी दिन वरिंदरपाल का फोन आया था, इसलिए पुलिस को हरिंदर की बात पर यकीन करना पड़ रहा था. पुलिस निर्मल सिंह, परमिंदर कौर और प्रभजोत सिंह से लगातार पूछताछ करती रही, लेकिन इस पूछताछ से उसे कोई लाभ नहीं हुआ. उन लोगों का कहना था कि उन्होंने मेहरम का अपहरण नहीं करवाया. उन्हें बिना मतलब इस मामले में फंसाया जा रहा है. पुलिस को उन की बातों में सच्चाई नजर आ रही थी, लेकिन कहीं से कोई सुराग न मिलने से पुलिस उन के पीछे पड़ी थी.

मेहरम के अपहरण के 11 दिनों बाद 7 नवंबर, 2014 को सेक्टर-69 का सफाईकर्मी वीरपाल डंपिंग पौइंट पर कूड़ा डालने गया तो उसे मलबे के ढेर में एक बच्चे का पैर दिखाई दिया. उस में नीले रंग का जूता था. वीरपाल ने शोर मचाया तो आसपास के लोग इकट्ठा हो गए. किसी ने 100 नंबर पर फोन कर के पुलिस कंट्रोल रूम को इस बात की सूचना दी तो पुलिस कंट्रोल रूम ने इस बात की सूचना क्षेत्रीय थाने को दे दी. सूचना मिलते ही थाना पुलिस सेक्टर-69 पहुंच गई. पुलिस ने ड्यूटी मजिस्ट्रेट गुरप्रीत सिंह की उपस्थिति में लाश निकलवाई तो वह एक 6 साल के बच्चे की लाश थी. उस की गरदन टूटी हुई थी. ऐसा लग रहा था, बच्चे को बड़ी बेरहमी से मारा गया था. जहां बच्चे की लाश मिली थी, वहां से थोड़ी दूरी पर उस का जबड़ा और दांत पड़े थे. दूसरे पैर का जूता भी वहीं झाडि़यों में मिला था. उस पर तेजाब पड़ा था.

खून सना एक कपड़ा मिला था, जिसे देख कर लग रहा था कि उस का इस्तेमाल खून पोंछने के लिए किया गया था. इस के अलावा माचिस की एक डिब्बी और खजूर के पत्तों पर तेजाब के निशान मिले थे. इस से यह अंदाजा लगाया गया कि लाश की पहचान छिपाने के लिए उस पर तेजाब डाला गया था. लाश वाले गड्ढे के पास से एक लाल रंग की चुन्नी, दीया और मिट्टी की हांडी भी बरामद हुई थी. बच्चे की लाश मिलने की सूचना बलविंदर सिंह को मिल गई थी. वह भी पत्नी और बेटी के साथ वहां पहुंच गए थे. लाश बुरी तरह सड़ी हुई थी. चेहरा वगैरह बिगड़ चुका था. लेकिन उस के बदन से मिले कपड़े देख कर हरिंदर कौर ने उसे पहचान लिया था. वह मेहरम की लाश थी. बेटे की लाश देख कर हरिंदर कौर गश खा कर गिर गईं. बलविंदर और जसविंदर भी बिलख रहे थे.

लाश की सूचना पा कर बीजेपी के जिला अध्यक्ष गोल्डी भी आ गए थे. फोरेंसिक टीम, डौग स्क्वायड, डाक्टरों की टीम और विधायक बलबीर सिंह सिद्धू भी मौके पर आ पहुंचे. पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया. 4 डाक्टरों के पैनल ने लाश का पोस्टमार्टम किया. शिनाख्त में कोई गड़बड़ी न हो, पुलिस ने डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल भिजवा दिया. 8 नवंबर, 2014 को पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली तो पता चला कि मेहरम की हत्या गला दबा कर की गई थी. रिपोर्ट में शव को 8 दिन पुराना बताया गया था. इस का मतलब था कि अपहरण के 2 दिनों बाद मेहरम की हत्या की गई थी.

मासूम मेहरम की जिस तरह बेरहमी से हत्या की गई थी, पुलिस का अनुमान था कि इस मामले में किसी किडनी निकाल कर बेचने वाले गिरोह का हाथ हो सकता है. एसएसपी इंद्रमोहन सिंह भट्टी ने इस मामले का खुलासा करने के लिए पुलिस की कई टीमें गठित कीं, साथ ही इनाम की राशि एक लाख से बढ़ा कर 5 लाख कर दी. पुलिस नामजद अभियुक्तों में से 3 लोगों, निर्मल सिंह, प्रभजोत सिंह और परमिंदर कौर को हिरासत में ले कर भले ही पूछताछ कर रही थी, लेकिन उसे लग नहीं रहा था कि इस मामले में इन लोगों का हाथ है. कोई भी आदमी अपने बच्चे का खून नहीं कर सकता. इन लोगों को गलत फंसाया जा रहा है. इस के बाद पुलिस ने जांच की दिशा बदल दी.

मेहरम के कातिलों तक पहुंचने के लिए पुलिस ने हरिंदर कौर और वरिंदर पाल सिंह के फेसबुक एकाउंट को खंगाला. हरिंदर कौर के 4 फेसबुक फ्रैंड्स पर शक हुआ तो उन्हें थाने बुला कर पूछताछ की गई. इन का हरिंदर कौर से फेसबुक पर तब से संपर्क था, जब वह आस्ट्रेलिया में रहती थी. इन के साथ वह लगातार चैटिंग करती थी. पुलिस ने सभी से घंटों पूछताछ की. इस पूछताछ में पुलिस को उन चारों से कोई खास जानकारी नहीं मिली तो उन्हें जाने दिया. वरिंदरपाल सिंह के भी इंडियन और विदेशी मित्रों की सूची बनाई गई. इस के अलावा उस के और मेहरम के दादा निर्मल सिंह संधू के फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई गई. इस काल डिटेल्स में भी कोई संदिग्ध नंबर सामने नहीं आया.

पुलिस को पूरा विश्वास था कि इस घटना में किसी ऐसे करीबी या पड़ोसी का हाथ है, जिस के हरिंदर कौर और उस के घर वालों से अच्छे संबंध रहे हों. 12 नवंबर, 2014 को पुलिस की कई टीमों ने फेज-9 जा कर आम से ले कर खास तक के घरों की तलाशी ली. हर घर का एकएक कमरा, बाथरूम, रसोई, गैराज और गाडि़यों तक की जांच की. 16 नवंबर, 2014 को पुलिस ने एक बार फिर हरिंदर कौर से पूछताछ की. इस पूछताछ में पुलिस ने उन लोगों की सूची बनाई, जिन के साथ मेहरम आताजाता था. मेहरम के दोस्तों के बारे में पूछने पर हरिंदर कौर ने बताया कि पड़ोसी तेजिंदरपाल सिंह के रिश्तेदार गुरपाल कौर का बेटा सिरजन मेहरम का दोस्त था. मेहरम और सिरजन साथसाथ खेलते थे.

पुलिस पड़ोस में रहने वाली गुरपाल कौर के घर पहुंची. उस के बेटे सिरजन से प्यार से पूछा गया तो उस ने बताया कि उस दिन शाम को पार्क में तेजिंदर मामा आए थे. उन्होंने मेहरम को चौकलेट दी थी और अपने साथ घुमाने ले गए थे. इस के बाद पुलिस की नजरें तेजिंदरपाल सिंह पर जम गईं. पुलिस ने उस के बारे में जानकारी जुटाई तो वह संदेह के घेरे में आ गया. 19 नवंबर को पुलिस तेजिंदरपाल सिंह को हिरासत में ले कर थाने ले आई. पूछताछ में उस ने पहले तो पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन जब पुलिस ने अपने सवालों से उसे घेरा तो उस ने उगल दिया कि लालच में अंधे हो कर उसी ने मेहरम का अपहरण कर मार दिया था. इस के बाद पुलिस ने मेहरम के अपहरण में नामजद लोगों के नाम हटा कर तेजिंदरपाल सिंह उर्फ गंजू के खिलाफ मेहरम के अपहरण और हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया.

उसी दिन शाम को आईजी परमजीत सिंह गिल ने प्रैस कौन्फ्रैंस बुला कर तेजिंदरपाल सिंह को पत्रकारों के सामने पेश किया. प्रैसवार्ता में उस ने मेहरम के अपहरण और हत्या का अपना अपराध स्वीकार करते हुए पूरी कहानी सुना दी. इस के बाद पुलिस ने उसे अदालत में पेश कर के 14 दिनों के पुलिस रिमांड पर ले लिया. सारे सुबूत जुटा कर उसे एक बार फिर अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. तेजिंदरपाल सिंह ने पूछताछ में मेहरम के अपहरण और हत्या की जो कहानी सुनाई थी, वह इस प्रकार थी.

30 वर्षीय तेजिंदरपाल सिंह उर्फ गंजू मोहाली फेज-9 के रहने वाले शेर सिंह के 3 बेटों में सब से छोटा था. बलविंदर सिंह के मकान के ठीक सामने शेर सिंह का मकान था. शेर सिंह का बड़ा बेटा विदेश में रहता था. दूसरे नंबर का बेटा शातिर किस्म का अपराधी था. विभिन्न थानों में उस के खिलाफ तमाम मुकदमे दर्ज थे. सब से छोटा तेजिंदर घर में ही रहता था. अपने खर्च के लिए वह टैक्सी चलाता था. ड्राइवरों के साथ उठनेबैठने से वह कई तरह के नशे करने लगा था. नशा कर लेने के बाद तेजिंदर अमीर बनने के सपने देखने लगता. वह जल्दी से जल्दी किसी भी तरह करोड़पति बन जाना चाहता था. उसे करोड़पति बनने का कोई उचित रास्ता नहीं दिखाई दिया तो उस ने अपराध के रास्ते पर जाने का विचार किया.

पड़ोसी होने के नाते तेजिंदरपाल सिंह उर्फ गंजू को बलविंदर सिंह की बेटी हरिंदर कौर और दामाद वरिंदरपाल सिंह संधू के बीच चल रहे झगड़े के बारे में पता था. उसे उन की एकएक बात की जानकारी थी. अदालत में दोनों के तलाक का मुकदमा आखिरी पड़ाव पर था. तलाक के बाद हरिंदर कौर को एक बड़ी रकम मिलने वाली थी. उस ने सोचा कि अगर मेहरम के साथ कोई अनहोनी घटना घटती है तो इस की जिम्मेदारी उस के बाप पर जाएगी. ऐसे में अगर वह मेहरम का अपहरण कर के फिरौती वसूलता है तो उस पर कोई शक नहीं करेगा और वह साफ बच जाएगा.

बड़ी रकम के लालच में तेजिंदरपाल सिंह अपराध के दलदल में उतर गया. उस ने मेहरम का अपहरण कर के करोड़ों की फिरौती वसूलने की योजना बना डाली. उस ने सारा काम अकेले ही करने का निश्चय किया. क्योंकि दूसरे को शामिल करने पर उस की योजना का लोगों को पता लग सकता था. योजना को अंजाम देने के लिए वह अपने रिश्तेदार गुरपाल कौर के बेटे सिरजन के साथ मेहरम को भी घुमानेटहलाने के अलावा चौकलेट वगैरह खिलाने लगा. कभीकभी उसे अकेले भी ले कर चला जाता. हरिंदर कौर को लगता था कि जिस तरह अन्य लोग मेहरम को प्यार करते हैं, उसी तरह तेजिंदर भी प्यार करता होगा, इसीलिए वह उसे घुमाताटहलाता और चौकलेट खिलाता है. उसे क्या पता था कि शराफत का नकाब ओढ़ कर तेजिंदर उस के बच्चे के लिए काल बन जाएगा.

5 दिसंबर, 2014 को मेहरम का छठा जन्मदिन था, जिसे मनाने की जोरों से तैयारी चल रही थी. तेजिंदर को इस बात की जानकारी थी ही, इसलिए उस ने जन्मदिन से पहले ही मेहरम के अपहरण की योजना बनाई. उसे लग रहा था कि जन्मदिन से पहले अपहरण करने पर फिरौती की रकम जल्दी मिल जाएगी. योजना के अनुसार, 28 अक्तूबर, 2014 की शाम तेजिंदरपाल सिंह उर्फ गंजू मोटरसाइकिल से पार्क जा पहुंचा. पार्क में मेहरम सिरजन के साथ खेल रहा था. सिरजन ने उसे देख कर पहचान लिया. संयोग से उसी समय बिजली चली गई तो उसी अंधेरे में चौकलेट दिलाने के बहाने मेहरम को मोटरसाइकिल पर बिठाया और गायब हो गया.

तेजिंदर सेक्टर-69 पहुंचा तो उतनी दूर जाने पर मेहरम घबरा गया और रोने लगा. उस के रोने से तेजिंदर बुरी तरह डर गया. मोटरसाइकिल उस ने कालोनी के बाहर सुनसान इलाके के पास रोक दी. वहां घनी झाडि़यां थीं. उस ने पुचकार कर मेहरम को चुप कराया. चुप होते ही मेहरम ने कहा, ‘‘घर पहुंच कर मैं मम्मी से बता दूंगा कि तुम मुझे यहां लाए थे.’’

मेहरम की बात सुन कर तेजिंदर डर गया. उसे लगा कि अगर यह जिंदा रहा तो उस की योजना धरी की धरी रह जाएगी और उस के हाथ कुछ नहीं लगेगा. वह किसी भी कीमत पर पैसा हाथ से नहीं जाने देना चाहता था, इसलिए उस ने तुरंत उस की हत्या करने की ठान ली.  उस ने मेहरम को मोटरसाइकिल से उतार कर खड़ा कर दिया. वहां कूड़ा फेंकने वाले डिब्बे से एक चुन्नी ढूंढ निकाली और उसी चुन्नी से गला घोंट कर मेहरम की हत्या कर दी. तेजिंदर ने मेहरम की हत्या तो कर दी, लेकिन डर के मारे उस ठंड में भी वह पसीने से तरबतर हो गया. पुलिस के डर से उस ने मेहरम की लाश वहीं झाड़ी में फेंक दी और डर कम करने के लिए सीधे बीयर बार पहुंचा, जहां एक बोतल शराब खरीद कर पी. वहां से घर आया और बिना खाएपिए ही सो गया.

हत्या करने के हफ्ते भर बाद तेजिंदर के किसी दोस्त ने बातचीत में बताया कि सैक्टर-69 में किसी जानवर के सड़ने जैसी दुर्गंध आ रही है तो वह बुरी तरह डर गया. दोस्त के जाने के बाद वह मोटरसाइकिल से वहां जा पहुंचा. साथ में वह फावड़ा भी ले गया था. रात का समय था, इसलिए वहां सुनसान था. उस ने झाडि़यों के बीच लगभग डेढ़ फुट गड्ढा खोदा. मेहरम की लाश बुरी तरह सड़ चुकी थी. उस ने लाश की दोनों टांगें पकड़ीं और घसीट कर गड्ढे के पास ले आया. लाश सड़ी हुई थी, इसलिए घसीटने पर शरीर का मांस हड्डियां छोड़ता गया. एक पत्थर से सिर टकरा गया था, जिस की वजह से गरदन टूट गई और मुंह नीचे की ओर हो गया. इस के बाद दांत और जबड़े टूट कर अलग हो गए.

लाश तो उस ने गड्ढे में डाल दी, लेकिन एक पैर बाहर रह गया. अंधेरा होने की वजह से तेजिंदर उसे देख नहीं सका. लाश ढक कर वह इत्मीनान से घर आ गया और निश्चिंत हो कर रहने लगा. उस पर कोई शक न करे, इसलिए मेहरम के घर वालों के साथ वह उसे ढुंढवाता रहा, साथ ही वे क्या कर रहे हैं, यह भी देखता रहा. मेहरम की तलाश में बलविंदर सिंह जहांजहां जाते थे, वह उन के साथ रहता था. मेहरम की लाश मिलने के बाद उस के अंतिम संस्कार में ही नहीं, न्याय की मांग के लिए निकाले गए कैंडिल मार्च में भी वह शामिल हुआ था. आखिर वही हुआ, जो ऐसे मामलों में होता है. तेजिंदर तक कानून के लंबे हाथ पहुंच ही गए. कथा लिखे जाने तक वह जेल में था, उस की जमानत नहीं हुई थी. Crime News

—कथा सोशल मीडिया और पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

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