UP Crime: एडवोकेट मनी बिश्नोई अपने फार्महाउस में काम करने वाले हरिसिंह की बेटी राधिका पर बुरी नजर रखता था. एक दिन उस ने जबरदस्ती करनी चाही, जिस का राधिका ने विरोध किया…
मुरादाबाद से 30 किलोमीटर दूर हरिद्वार रोड पर स्थित है कस्बा कांठ. इसी कस्बे के मोहल्ला पट्टीवाला में नए साल 2015 के पहले दिन दबंगई का एक ऐसा खेल खेला गया, जिस की गूंज मीडिया द्वारा पूरे देश में पहुंच गई. गौर करने वाली बात तो यह है कि इंसानियत को शर्मसार करने वाली इस घटना को रफादफा करने की पुलिस ने पूरी कोशिश की थी. बात पहली जनवरी, 2015 को दोपहर के समय की है. राधिका सैनी अपने घर में कपड़े सिल रही थी. उस समय वह घर में अकेली थी. राधिका बीए द्वितीय वर्ष में पढ़ रही थी. उस के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इसलिए वह खाली समय में घर पर ही कपड़े सिल लिया करती थी, जिस से कुछ पैसों की आमदनी हो जाती थी.
उसी समय कांठ का ही रहने वाला मनी बिश्नोई नाम का एक युवक उस के घर आ गया. वह वकील था. अपने घर में अचानक उसे देख कर वह डर गई. इस से पहले कि वह उस से कुछ कहती, मनी ने उस के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी. राधिका ने इस का विरोध किया, लेकिन वह नहीं माना. राधिका ने शोर मचाने की धमकी दी तो मनी ने अपने साथ लाए डिब्बे का तेजाब उस के मुंह पर उड़ेल दिया. तेजाब की जलन से राधिका चीखनेचिल्लाने लगी. उस की नानी प्रेमवती सैनी उस समय घर के बाहर बैठी कुछ औरतों से बातें कर रही थीं. जैसे ही उन्होंने राधिका के चीखने की आवाज सुनी, वह तेजी से घर की तरफ भागीं. घर से उन्होंने मनी बिश्नोई को भागते देखा, उस के हाथ में प्लास्टिक का एक डिब्बा था. उन्होंने कमरे में राधिका को दर्द से छटपटाते देखा.
उस का चेहरा जैसे उधड़ा हुआ था. कमरे से तेजाब की गंध भी आ रही थी. वह समझ गईं कि मनी ही उस के ऊपर तेजाब डाल कर भागा है. प्रेमवती ने उसी समय शोर मचा दिया तो मोहल्ले के तमाम लोग घर में आ गए. प्रेमवती ने सब को बता दिया कि मनी राधिका के ऊपर तेजाब डाल कर भाग गया है. मनी बिश्नोई का घर थोड़ी ही दूर पर था. वह दबंग परिवार से था, इसलिए सब कुछ जानते हुए भी किसी की हिम्मत नहीं हुई कि कोई उस के यहां जा कर शिकायत करे. खबर मिलते ही राधिका के पिता हरिसिंह सैनी और मां भारती सैनी भी घर पहुंच गईं. वे मनी बिश्नोई के फार्महाउस पर ही काम करते थे. बेटी की हालत देख कर उन का दिल कांप उठा. वे शिकायत करने के लिए दौड़ेदौड़े मनी बिश्नोई के घर गए और उस के पिता अनिल बिश्नोई से इस हादसे की शिकायत की.
अनिल बिश्नोई ने बेटे की करतूत को गंभीरता से लेने के बजाय उलटे जवाब दिया, ‘‘ऐसी कौन सी बड़ी बात हो गई, जो मुंह फाड़े जा रहे हो. बेटे ने गलती कर दी है तो तुम्हारी बेटी का इलाज करवा दूंगा और मनी को भी डांट दूंगा.’’ अनिल ने उन्हें धमकाते हुए कहा, ‘‘यदि कोई पूछे तो बता देना कि टौयलट में रखी तेजाब की बोतल धोखे से गिर गई थी. याद रखो, तुम ने मेरा नमक खाया है यदि नमकहरामी की तो अंजाम बुरा होगा. मैं जो कह रहा हूं, उसी में तुम्हारी भलाई है. इसलिए जो मैं कह रहा हूं, एक कागज पर मुझे लिख कर दे दो और हां, ध्यान रखो कि तुम पुलिस के पास गए तो तुम्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ सकता है.’’
हरिसिंह अपनी पत्नी के साथ उस के फार्महाउस पर काम करते थे. इसलिए जैसा उस ने कहा, मजबूरी में उन्होंने उसे लिख कर दे दिया. उधर तेजाब की जलन से राधिका बुरी तरह तड़प रही थी. वह छटपटा रही थी. अनिल बिश्नोई उस का इलाज कराने के लिए एक निजी चिकित्सक के पास ले गया. वह काफी झुलस चुकी थी. उस की हालत गंभीर बनी हुई थी. डाक्टर ने प्राथमिक उपचार करने के बाद राधिका को सरकारी अस्पताल ले जाने की सलाह दी. लेकिन अनिल उसे मुरादाबाद के सरकारी अस्पताल ले जाने के बजाय उसे उस के घर छोड़ आया. राधिका की हालत गंभीर होने के बावजूद भी उस का इलाज न कराना गांव वालों को भी बुरा लगा. मोहल्ले के कुछ असरदार और पढ़ेलिखे लोगों ने हरिसिंह को थाने जाने की सलाह दी.
यह बात हरिसिंह की भी समझ में आ गई तो वह पत्नी को ले कर थाना कांठ पहुंच गए. थानाप्रभारी को उन्होंने बेटी पर तेजाब डालने वाली बात बताई तो थानाप्रभारी ने मनी बिश्नोई के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर के राधिका को कांठ के सरकारी अस्पताल में भरती करा दिया. उस की गंभीर हालत देख कर कांठ के अस्पताल से उसे मुरादाबाद के सरकारी अस्पताल भेज दिया गया. उस की हालत गंभीर होने की वजह से पुलिस ने कोर्ट में उस के बयान भी नहीं कराए. हालत में सुधार होने पर 2 जनवरी को कोर्ट में बयान कराना था. अनिल को जब पता चला कि हरिसिंह ने उस के बेटे के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी है तो उसे बहुत बुरा लगा. उस ने धमकी दी कि यदि उस ने रिपोर्ट वापस नहीं ली तो पूरे परिवार को खत्म कर देगा.
इतना ही नहीं, 2 जनवरी को अनिल अपने 25-30 समर्थकों के साथ हरिसिंह के घर पहुंच गया और अपनी हेकड़ी दिखाते हुए परिवार को धमकाया तथा उसी समय राधिका के छोटे भाई सचिन का अपहरण कर के ले गया. जाते समय अनिल ने यह धमकी दी थी कि 2 जनवरी, 2015 को राधिका ने कोर्ट में हमारे खिलाफ बयान दिया तो सचिन की हत्या कर दी जाएगी. इस धमकी पर राधिका ही नहीं, उस के घर वाले भी डर गए. भाई की जान बचाने के लिए राधिका ने कोर्ट में वही बयान दिया, जैसा अनिल बिश्नोई चाहता था. उस ने कोर्ट में कहा कि टौयलट में रखा तेजाब उस के ऊपर धोखे से गिर गया था, जिस से वह झुलस गई.
जब मनी के घर वालों को पता चला कि राधिका ने उन के पक्ष में ही बयान दिया है तो वे बहुत खुश हुए. अब उन्हें तसल्ली हो गई कि पुलिस भी उन का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी. पक्ष में बयान देने के बावजूद भी उन्होंने सचिन को रिहा नहीं किया. हरिसिंह ने उस से अपने बेटे को रिहा करने की गुहार लगाई, तब कहीं जा कर 2 दिनों बाद उस ने उसे आजाद किया. उधर मीडिया द्वारा यह तेजाब कांड सुर्खियों में आया तो कई सामाजिक संगठन कांड के विरोध में सामने आ गए. सैनी समाज हरिसिंह के साथ जुड़ गया. मुरादाबाद की समाजसेविका व अधिवक्ता सीता सैनी ने हरिसिंह के परिवार वालों से मुलाकात की और उन्हें विश्वास दिलाया कि वह उन्हें हर तरह का सहयोग देने को तैयार हैं और जब तक उस दरिंदे को सजा नहीं मिल जाती, वह भी चुप नहीं रहेंगी. उन्होंने डरीसहमी राधिका की भी हिम्मत बंधाई और शांत न बैठने की सलाह दी.
उधर मुरादाबाद के सरकारी अस्पताल में भरती राधिका की हालत दिनबदिन बिगड़ती जा रही थी. उस का संक्रमण बढ़ रहा था, जिस की वजह से अस्पताल के डाक्टरों ने भी हाथ खड़े कर दिए. उन्होंने सुझाव दिया कि यदि राधिका का अच्छा इलाज करवाना है तो उसे दिल्ली के बड़े अस्पताल ले जाएं. पीडि़त लड़की के घर वालों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वे उसे दिल्ली ले जाएं. मगर इस काम में राष्ट्रीय मानवाधिकार संरक्षक समिति के सदस्य आगे आए. वे 18 जनवरी, 2015 को राधिका को मुरादाबाद से दिल्ली ले गए और दिल्ली के डा. राममनोहर लोहिया अस्पताल में उन्होंने उसे एडमिट करवा दिया. सीता सैनी और अन्य लोगों के समझाने पर राधिका और उस के घर वालों की उम्मीद जागी कि अब शायद उन्हें न्याय मिलेगा.
फिर 9 जनवरी, 2015 को राधिका के मातापिता ने सीता सैनी के साथ मुरादाबाद के एसएसपी लव कुमार से मुलाकात कर के कहा कि राधिका ने 2 जनवरी को कोर्ट में जो बयान दिया था, वह अपने भाई की जान बचाने के लिए डर की वजह से दिया था. उन्होंने कोर्ट में फिर से बयान दर्ज कराने की मांग की. साथ ही गुहार लगाई कि इस केस की जांच कांठ के थानाप्रभारी के बजाय अन्य किसी अधिकारी से कराई जाए. उन की मांग पर एसएसपी ने यह मामला एसपी (ग्रामीण) प्रबल प्रताप सिंह के हवाले कर दिया और भरोसा दिया कि पीडि़त परिवार की सुरक्षा की जाएगी. घर वालों की मांग पर एसएसपी ने मामले की जांच कांठ के थानाप्रभारी से हटा कर कांठ के सीओ राहुल कुमार को सौंप दी.
एसएसपी के आदेश देते ही कांठ पुलिस हरकत में आ गई. सीओ राहुल कुमार ने अभियुक्त मनी बिश्नोई की गिरफ्तारी के लिए एक पुलिस टीम उस के घर भेज दी. लेकिन उस के घर पर कोई नहीं मिला. घर के सभी लोग फरार हो चुके थे. इस के बाद पुलिस को चकमा दे कर अभियुक्त मनी बिश्नोई ने मुरादाबाद के एसीजेएम-5 के न्यायलय में आत्मसमर्पण कर दिया, जहां से उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. चूंकि अनिल बिश्नोई एक दबंग व्यक्ति था. अपने वकील बेटे के जेल जाने पर वह अपनी बेइज्जती महसूस कर रहा था. इसलिए थाने में दर्ज कराई रिपोर्ट वापस कराने के लिए वह हरिसिंह सैनी को धमकियां देने लगा. हरिसिंह ने इस की शिकायत सीओ से की तो उन्होंने केस में पीडि़त परिवार को धमकाने और अपहरण की धाराएं बढ़ा दीं.
पुलिस को अभियुक्त मनी से पूछताछ भी करनी थी. इसलिए जांच अधिकारी ने अदालत में दरख्वास्त की तो अदालत ने उसे 6 घंटे के पुलिस रिमांड पर दे दिया. रिमांड अवधि में उस से पूछताछ के बाद तेजाब का खाली डिब्बा भी पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया. उस ने राधिका के ऊपर तेजाब फेंकने की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी—
उत्तर प्रदेश के महानगर मुरादाबाद के बंगला गांव निवासी हरिसिंह सैनी की शादी करीब 22 साल पहले कांठ के पट्टीवाला मोहल्ले की भारती के साथ हुई थी, जिस से उस के 2 बेटियां व एक बेटा पैदा हुआ. राधिका परिवार में बड़ी बेटी थी. हरिसिंह पहले मुरादाबाद की ही एक पीतल फर्म में काम करता था. काम मंदा होने पर वह परेशान हो गया’ तब वह अपनी सास प्रेमवती के कहने पर बीवीबच्चों के साथ अपनी ससुराल कांठ चला गया. कांठ के ही अलगअलग स्कूलकालेज में उस ने अपने बच्चों का दाखिला करा दिया. प्रेमवती ने अपनी बेटी भारती और दामाद हरिसिंह की कांठ में ही अनिल बिश्नोई के फार्महाउस में नौकरी लगवा दी.
खेतों में दोनों पतिपत्नी मेहनतमजदूरी कर के जो कमा रहे थे, उस से उन के परिवार की गाड़ी चल रही थी. बच्चों की पढ़ाई भी ठीक चल रही थी. राधिका बीए द्वितीय वर्ष में पढ़ रही थी. 19 साल की राधिका पढ़ाई में होशियार थी. घर पर उस का जो खाली समय बचता था, उस में वह छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ा देती और कपड़े सिल लिया करती थी. जबकि उस के मातापिता अनिल बिश्नोई के फार्महाउस पर काम करने निकल जाते थे. वैसे तो उन्हें खाना देने के लिए उस के छोटे भाईबहन चले जाते थे, लेकिन कभीकभी राधिका भी उन्हें खाना देने फार्महाउस चली जाती थी. उसी दौरान अनिल बिश्नोई के बेटे एडवोकेट मनी बिश्नोई की नजर उस पर पड़ी तो वह उस के पीछे पड़ गया.
राधिका उस के मंसूबों को समझ गई थी, लेकिन वह उस का विरोध इसलिए नहीं कर रही थी कि वह एक दबंग आदमी का बेटा था और दूसरे उस के मांबाप भी उस के यहां काम करते थे. राधिका के चुप रहने पर मनी की हिम्मत और बढ़ गई. अब वह उस से अश्लील मजाक करने लगा. किसी न किसी बहाने उस ने उस के घर भी आना शुरू कर दिया. वहां भी वह उसे ही टकटकी लगाए देखता रहता था. एक दिन राधिका ने मनी की शिकायत अपने मातापिता से कर दी. मातापिता मनी से तो कुछ कह नहीं सकते थे, इसलिए उन्होंने उस बिगड़ैल की शिकायत उस के पिता अनिल बिश्नोई से की. बेटे द्वारा अपने नौकर की बेटी का पीछा करने की बात अनिल बिश्नोई को भी बुरी लगी. उन्होंने मनी को बहुत डांटा और कहा कि यह कदम उठाने से पहले वह कम से कम अपना और उस का स्तर तो देख लेता.
परंतु बेटे के ऊपर तो राधिका को पाने का जुनून सवार था, लिहाजा पिता की डांट और समझाने का उस पर कोई असर नहीं हुआ. वह उसे हासिल करने की जुगत में लगा रहा. कालेज आतेजाते समय वह उसे परेशान करता. इस की शिकायत हरिसिंह ने फिर से अनिल से की. बेटे की शिकायतें सुनसुन कर अनिल भी परेशान हो गया. तब उस ने मनी की यह सोच कर शादी कर दी कि बीवी के आने पर उस की नकेल कस जाएगी. लेकिन अनिल की यह सोच भी गलत साबित हुई. शादी होने के बावजूद भी वह राधिका को परेशान करता रहा. दिसंबर, 2014 के आखिरी सप्ताह में एक दिन उस ने राधिका को रास्ते में रोक लिया और उस ने धमकी दी कि यदि उस ने उस के साथ शादी नहीं की तो उस के पूरे परिवार को खत्म कर देगा.
डरीसहमी राधिका ने कोई जवाब नहीं दिया. घर आ कर उस ने यह बात अपने घर वालों को बता दी. जिस की शिकायत हरिसिंह ने फिर से अनिल बिश्नोई से की. तब अनिल बिश्नोई ने भी मनी को डांटा. इस से मनी और ज्यादा बौखला गया. उस ने घटना से 2 दिनों पहले राधिका को कालेज जाते समय रास्ते में रोक कर कहा कि अगर तू मेरी नहीं हुई तो तेरा चेहरा बिगाड़ दूंगा. राधिका उस की हरकतों से परेशान हो चुकी थी. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. उसे उस से निजात कैसे मिले. पहली जनवरी, 2015 को दोपहर के समय वह अपने घर में बैठी कपड़े सिल रही थी. उस के मांबाप अपने काम पर गए हुए थे, तभी मनी बिश्नोई तेजाब का डिब्बा ले कर उस के यहां पहुंचा. उस ने राधिका के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी. राधिका के विरोध करने पर जब उसे लगा कि उस का मकसद पूरा नहीं होगा तो उस ने डिब्बे में भरा तेजाब उस के चेहरे पर उड़ेल दिया.
अभियुक्त मनी बिश्नोई से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने रिमांड अवधि खत्म होने से पूर्व ही उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया. कथा संकलन तक उस की जमानत नहीं हो सकी थी और राधिका का दिल्ली के डा. राममनोहर लोहिया अस्पताल में इलाज चल रहा था.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित, राधिका परिवर्तित नाम है.






