UP News: यूपी पुलिस के दरोगा आदित्य कुमार लोचन अपनी पत्नी दिव्यांशी चौधरी को लुटेरी दुलहन बता रहे हैं, जबकि दिव्यांशी ने भी पति पर कई तरह के गंभीर आरोप लगाए हैं. यह हाईप्रोफाइल मामला अब कोर्ट में जा चुका है. कोर्ट के फैसले के बाद ही पता लगेगा कि दोनों में से चीटर कौन?
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के बी.बी. नगर का रहने वाला आदित्य कुमार लोचन यूपी पुलिस में दरोगा था. गांव के ही ताऊजी दिव्यांशी चौधरी नाम की युवती का रिश्ता आदित्य कुमार के लिए ले कर आए थे. जब आदित्य कुमार को पता चला कि उसे दहेज में स्कौर्पियो और लाखों के जेवर मिलने वाले हैं तो उस ने शादी के लिए हां कर दी. पर कहते हैं न कि लालच बुरी बला है और इसी बला ने दरोगाजी को घेर लिया.

फरवरी, 2024 की शाम थी. दिन में तेज धूप, शाम को मौसम सामान्य और रात में गुलाबी सर्दी. मौसम का यह मिजाज यहां अकसर देखने को मिलता है. 17 फरवरी, 2024 को भी ऐसा ही मौसम था, जब बुलंदशहर के बी.बी. नगर निवासी दरोगा आदित्य कुमार ने जीवनसाथी के रूप में दिव्यांशी का हाथ थामा था. यह 17 फरवरी, 2024 का वही दिन था, जब आदित्य ने दिव्यांशी से शादी की थी. वह मुसकराती हुई, हल्दी व मेहंदी की खुशबू और कंगनों की खनक के साथ उस के घर आई थी. आदित्य को लगा था कि उस की जिंदगी अब पटरी पर आ जाएगी.
पहली नजर में यह रिश्ता परिवारों के सपनों से सजा लगता था, लेकिन किसी ने भी नहीं सोचा था कि यह रिश्ता कुछ महीनों में सुर्खियों में बदल जाएगा. कुछ ही समय में इस रिश्ते की परतें खुलने लगीं. आदित्य का कहना है कि दिव्यांशी कभी घर रुकती नहीं थी, आए दिन पैसों की मांग करती थी. महीना बीता नहीं था कि तसवीर बदलने लगी. दिव्यांशी का मूड हर दिन कुछ नया बहाना ढूंढता. वह कहती कि यह घर ठीक नहीं, तुम मुझे समझते नहीं, मुझे मायके जाना है, पैसे भेज दो वगैरहवगैरह. आदित्य पहले समझने की कोशिश करता, फिर उसे समझाने की और आखिर में वह थक चुका था.
यूं शुरू हुई दोनों में अनबन
2019 बैच के सबइंसपेक्टर आदित्य कुमार लोचन के पापा ऋषिपाल किसान थे और मम्मी राजेश देवी घरेलू महिला थीं. पापा की मौत के बाद कैंसर से मम्मी की भी मौत हो गई थी. घर में एक भाई है. वह भी दिव्यांग है. यानी एक तरीके से कहें कि सिर्फ दरोगा आदित्य ही घर थे और वही परिवार. एक रिश्ते के ताऊ आदित्य के लिए 29 साल की दिव्यांशी का रिश्ता ले कर आए थे. बताया कि दिव्यांशी की कोठी आदित्य के घर से 50 किलोमीटर दूर मेरठ के मवाना में स्थित है. दहेज में स्कौर्पियो कार, लाखों के जेवर और धूमधाम से शादी की बात ताऊ ने कही. खूबसूरत दिव्यांशी को देख कर दरोगा आदित्य कुमार लोचन और उन के फेमिली वालों ने भी हामी भर दी थी.
शादी को अभी 4 महीने ही हुए थे, पर आदित्य के मन में कुछ खटकने लगा था. दिव्यांशी अकसर कहती, ”मैं बीएड और सीटेट की तैयारी कर रही हूं, मायके में पढ़ाई में ध्यान ज्यादा लगता है. मेरे मायके का घर में बना एक स्टडीरूम मुझे पहचानता है और मैं स्टडीरूम को जानती हूं. मुझे उस में पढऩे की आदत बनी हुई है.’’
पहले आदित्य ने भरोसा किया, फिर धीरेधीरे आदतें शक पैदा करने लगीं. वह मायके में रह कर औनलाइन पैसों की मांग करती, कभी कोचिंग की फीस, कभी किताबें तो कभी फार्म भरने के नाम पर. आदित्य बिना सवाल किए रुपए भेज देता, क्योंकि वह उस की पत्नी थी और भरोसा करना उस के संस्कारों का हिस्सा था, लेकिन हर बार जब वह ससुराल आती, कुछ अजीब करती. अपने मोबाइल से सारे यूपीआई ऐप डिलीट कर देती.
‘इतना क्यों छिपाती है? आखिर क्या है, जो दिखाना नहीं चाहती?’ यह सवाल आदित्य को हर दिन परेशान करता रहा.
एक दिन आदित्य ने उस से कहा, ”दिव्यांशी, अपना मोबाइल दिखाना जरा.’’
बस इतना कहना था कि दिव्यांशी के चेहरे की रंगत उड़ गई. उस ने मोबाइल पकड़ाया. आदित्य ने उस से फोन का पासवर्ड पूछ कर स्क्रीन खोली. जैसे ही उस ने चैक किया, उन की भौंहें सिकुड़ गईं. मोबाइल में एक भी यूपीआई ऐप नहीं था, सब डिलीट. वह धीरे से बोला, ”तैयारी करती हो तो फीस किस से भरी? फार्म किस से जमा किया? किताबें कैसे खरीदीं? इस मोबाइल में यूपीआई या बैंक से संबंधित कोई ऐप डाउनलोड है ही नहीं. जबकि तुम ने जितने भी रुपए मुझ से लिए हैं, सब औनलाइन ही लिए हैं, वो भी अपने फोन नंबर के जरिए.’’
दिव्यांशी कुछ बोल न पाई, बस बारबार होंठ भींचती रही. आदित्य की सारी शंकाएं अचानक आकार लेने लगीं. उस दिन से घर का माहौल ही बदल गया. विश्वास में दरारें साफ दिखने लगीं और दिव्यांशी के झूठ की परतें एकएक कर के खुलती चली गईं.
कमिश्नर औफिस में क्यों किया हंगामा
पिछले साल 25 नवंबर को कानपुर कमिश्नरी कार्यालय में दिव्यांशी ने हाईवोल्टेज ड्रामा किया था. वह एक ठंडी सुबह थी. कमिश्नरी कार्यालय के बाहर भीड़ जमा थी. आरोप है कि वह अपने साथ कई लोगों को ले कर आई थी. भीतर से आवाजें गूंज रही थीं. किसी के रोने की, किसी के समझाने की और किसी के गुस्से से कांपती आवाज थी. यही दिन था, जब दिव्यांशी ने अपने पति आदित्य के खिलाफ आरोपों की झड़ी लगा दी थी. सब के सामने सच उजागर करने का दावा किया था. वह इस समय कमिश्नर के दफ्तर में थी और आदित्य कुमार की शिकायत कर रही थी. रोरो कर अपना दुखड़ा सुना रही थी. चेहरे पर आंसू और आंखों में आग लिए वह पुलिस अधिकारी के सामने बोली, ”इस आदमी ने मेरा सब कुछ बरबाद कर दिया.’’

उस के शब्द हवा में तीर की तरह गूंजे. दिव्यांशी का आरोप था कि पति आदित्य ने उसे महीनों तक मानसिक रूप से परेशान किया और उस की मेहनत की कमाई के 14 लाख 50 हजार रुपए हड़प लिए. लेकिन यह केवल पैसों का मामला नहीं था. दिव्यांशी ने और भी गंभीर आरोप लगाए. उस ने कहा कि आदित्य सोशल मीडिया पर लड़कियों से दोस्ती करता है, मीठी बातें कर उन का भरोसा जीतता है, फिर उन्हें अपने जाल में फंसा लेता है. बाद में उन्हीं की तसवीरें और वीडियो का इस्तेमाल कर उन्हें धमकाता और ब्लैकमेल करता है.
मामला पुलिस के एक दरोगा आदित्य से जुड़ा होने के कारण पत्रकारों की भीड़ कमिश्नरी के बाहर जमा हो गई. कमिश्नर कार्यालय से बाहर निकलते ही यूट्यूबर और चैनलों के पत्रकारों ने भी दिव्यांशी को घेर लिया. दिव्यांशी ने रोरो कर वो सारी बातें पत्रकारों को बताईं, जो शिकायत उस ने कमिश्नर साहब से लिखित में की थी. 14 लाख 50 हजार रुपए दिए जाने के मोबाइल ऐप गूगलपे व सबूत के तौर पर बैंक के लेनदेन के कागज भी पत्रकारों को दिखा रही थी. कमिश्नरी के गलियारों में यह मामला गूंजने लगा.
इस बीच दरोगा आदित्य कुमार भी अपनी सफाई देने कमिश्नर के पास पहुंच गया. यह देख कर मीडियाकर्मी वहीं रुक गए, जिस से कि उस का भी इंटरव्यू लिया जा सके. आदित्य कुमार भी पूरी तैयारी के साथ आया था. एक मोटी फाइल उस के हाथ में थी.
दरोगा ने कमिश्नर को बताई सच्चाई
आदित्य कुमार ने कमिश्नर साहब को सबूत के साथ पूरी जानकारी दी. उस ने कहा, ”मैं ने अपनी खुफिया जांच पत्नी दिव्यांशी घर के आसपास के लोगों से पूछताछ शुरू की थी. पता चला कि वह पहले से ही शादीशुदा है. पहले जिस से शादी हुई थी, दिव्यांशी ने उन लोगों पर मुकदमा दर्ज करा रखा है. इस के बाद मैं ने ई कोर्ट ऐप पर दिव्यांशी की डिटेल डाली तो एक मुकदमा दिव्यांशी वर्सेज प्रेमराज पुष्कर का सामने आ गया.
”मैं ने इस के दस्तावेज निकलवाए. पता चला कि दिव्यांशी ने मेरठ के थाना पल्लवपुर में दरोगा प्रेमराज पुष्कर और उस के भाई भूपेंद्र पुष्कर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. फिर मैं ने मेरठ न्यायालय से इस मुकदमे के दस्तावेज निकलवाए. दिव्यांशी ने दरोगा प्रेमराज पुष्कर और उस के भाई भूपेंद्र पर एफआईआर दर्ज करवाई थी.
”कोर्ट में मजिस्ट्रैट के सामने बयान देते समय पलट गई. उस ने कहा था कि मेरा प्रेमराज पुष्कर से 3 जुलाई, 2019 को प्रेम विवाह हुआ था. मुझे इस के खिलाफ मेरठ के हस्तिनापुर थाने से भी एक रेप की एफआईआर मिली. इस में दिव्यांशी ने पंजाब नैशनल बैंक, हस्तिनापुर के मैनेजर आशीष राज और मवाना मेरठ के बैंक मैनेजर अमित गुप्ता पर भी एफआईआर दर्ज कराई थी. मुकदमे से अमित का नाम निकाल दिया गया था. नाम निकलवाने में भी मोटी रकम वसूले जाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. इस मामले में भी दिव्यांशी कोर्ट में अपने ही बयान से पलट गई. यहां पर बैंक मैनेजर से लाखों रुपए वसूला गया होगा.’’
दरोगा आदित्य कुमार लोचन ने आगे कहा कि मैं ने रेप के आरोप में जेल जा चुके प्रेमराज पुष्कर से बात की तो पता चला कि वह दिव्यांशी के अभी भी संपर्क में है. दिव्यांशी को उस ने मेरी गोपनीय जांच के बारे में बता दिया. इस से दिव्यांशी समझ गई कि अब उस की दाल नहीं गलने वाली है. इस के बाद दिव्यांशी अपने लाखों के जेवरात और कीमती सामान समेट कर मायके चली गई. कुछ दिनों बाद वह मेरे घर पहुंची और मेन गेट का ताला तोड़ कर घर में घुस गई. मकान पर कब्जा कर वहीं रहने लगी. जब मैं वहां नहीं गया तो उस ने संबंधित थाने में तहरीर दी, लेकिन जांच में उस के सभी आरोप झूठे पाए गए.
इस के बाद एक करोड़ रुपए की मांग करने लगी, पूरी नहीं होने पर पूरे परिवार को जेल भिजवाने की धमकी दी. इस के बाद भी कुछ नहीं हुआ तो आज 25 नवंबर को दिव्यांशी कानपुर पहुंची और पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार को मेरे खिलाफ तहरीर दी. मैं ने दस्तावेज पेश किए तो वह भाग गई. आदित्य ने बताया कि जब मैं ने दिव्यांशी के फोन में डिलीट हो चुके सभी यूपीआई ऐप डाउनलोड कराए तो मेरे होश उड़ गए. ट्रांजैक्शन हिस्ट्री में 10 से ज्यादा खातों में करोड़ों का ट्रांजैक्शन किया गया था. खातों के बारे में पूछने के बाद दिव्यांशी मुझ से झगड़ा कर के सब ज्वैलरी व कीमती सामान ले कर मायके चली गई.
पुलिस कमिश्नर ने एडीसीपी को सौंपी जांच
उधर तत्कालीन पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने तुरंत एडिशनल डीसीपी (महिला अपराध) को जांच सौंपी. इस के बाद पुलिस ने दिव्यांशी की जांच शुरू की. पुलिस ने जब दिव्यांशी के खाते की जांच की तो कई चौंकाने वाले सच सामने आए. उस के बैंक खातों में करोड़ों का ट्रांजैक्शन मिला. शक हुआ कि इस के गैंग में कई पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. दिव्यांशी के सनसनीखेज आरोपों के बाद मामले की जिम्मेदारी एडिशनल डीसीपी (महिला अपराध) को सौंपी गई थी.

यह एक जटिल जांच थी, क्योंकि इस में न केवल वित्तीय धोखाधड़ी शामिल थी, बल्कि ब्लैकमेलिंग और डिजिटल सबूतों का एक जाल भी था. सब से पहले, दिव्यांशी का विस्तृत बयान दर्ज किया गया. इस में 14.50 लाख रुपए के लेनदेन का ब्यौरा (बैंक रिकौर्ड, हस्तांतरित दस्तावेज) और पति आदित्य द्वारा किए गए कथित ब्लैकमेलिंग की पूरी जानकारी शामिल थी. उस ने उन सोशल मीडिया अकाउंट्स और चैट हिस्ट्री के स्क्रीनशौट्स भी उपलब्ध कराए, जिन से आदित्य कथित तौर पर अन्य युवतियों को फंसाता था.
पुलिस ने आदित्य के बैंक खातों और संपत्ति के रिकौर्ड की जांच शुरू की, ताकि यह पता लगाया जा सके कि 14.50 लाख रुपए कहां गए? क्या वे किसी अन्य खाते में स्थानांतरित किए गए या किसी संपत्ति की खरीद में इस्तेमाल हुए? पुलिस ने आदित्य को पूछताछ के लिए बुलाया तो उस ने सभी आरोपों से इनकार किया. आदित्य के मोबाइल फोन, लैपटाप और अन्य डिजिटल उपकरणों को जब्त कर लिया गया. फोरैंसिक टीम ने डिलीट की गई चैट्स, वीडियो और फोटो को रिकवर करने का प्रयास किया.

पुलिस ने आदित्य के सोशल मीडिया प्रोफाइल की जांच की और उन युवतियों को तलाश किया. यह जांच का सब से नाजुक हिस्सा था, क्योंकि कई पीडि़त बदनामी के डर से सामने आने को तैयार नहीं होते हैं. असली झटका तब लगा था, जब आदित्य कुमार ने ग्वालटोली थाने में दिव्यांशी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के लिए तहरीर देने की हिम्मत जुटाई. यह बात नवंबर 2024 की है. करीब एक साल तक पुलिस काररवाई में ढील देती रही. कभी दोनों का पारिवारिक मामला आपसी समझौते से ही तय हो जाए. मामला उलझता ही जा रहा था.
17 नवंबर, 2025 की बात है. आदित्य थाने में अपने औफिस में बैठा था. पत्नी दिव्यांशी की फाइल उन के सामने रखी थी. कागज पर लिखे शब्द जैसे उस के सपनों को चीरते जा रहे थे. उस का दिमाग अभी भी उस दिन की यादों में ही उलझा था कि तभी गेट पर जोरजोर से बातें होने लगीं. ड्यूटी पर मौजूद सिपाही ने आ कर बताया, ”सर, दिव्यांशी को गिरफ्तार कर लिया गया है.’’
यह सुन कर आदित्य का दिल एक धड़कन के लिए रुक गया. पुलिस जीप के पीछे से उतारी गई दिव्यांशी का चेहरा वैसा ही शांत था, मानो उसे पता ही हो कि ये सब होने वाला है, पर असली तूफान वो नहीं था. तूफान था उस की फाइल. दिव्यांशी उस से पहले 2 बैंक मैनेजरों से शादी कर चुकी थी, एक दरोगा को भी अपने जाल में फंसा चुकी थी और उन तीनों पर बलात्कार जैसे संगीन मामलों के फरजी मुकदमे लिखा कर मोटी रकम ऐंठ चुकी थी. औफिस के बाहर मीडिया का शोर बढ़ता जा रहा था. कितने लोग फंसे इस में? कौन है इस खेल का असली मास्टरमाइंड? क्या दिव्यांशी अकेली है या किसी और के इशारों पर चल रही है? और सब से बड़ा सवाल कि क्या अगला शिकार आदित्य ही था?
दिव्यांशी को सुरक्षित करते हुए पत्रकारों को पूरी जानकारी डीसीपी (सेंट्रल) श्रवण कुमार सिंह ने दी. डीसीपी श्रवण कुमार सिंह ने प्रैसवार्ता में पत्रकारों को बताया कि आरोपी महिला को गिरफ्तार कर लिया गया है. यह बात सोमवार 17 नवंबर, 2025 की है. उस को मंगलवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा. इस से पहले थाने आने पर आदित्य ने दिव्यांशी की ओर देखा. वह शांत खड़ी थी, जैसे किसी बात का इंतजार कर रही हो. फिर उस ने हलकी मुसकान दी. ऐसी मुसकान, जिस में डर नहीं, बल्कि रहस्य छिपे थे.
पर सवाल अभी भी हवा में लटका था कि क्या यह उस की आखिरी शादी थी या सिर्फ आखिरी गिरफ्तारी? दरोगा के साथ हुए हैरेसमेंट का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उस ने 2 बार सुसाइड करने का भी प्रयास किया था. यह पुलिसकर्मी दिव्यांशी के गिरफ्तार हो जाने के बाद दरोगा आदित्य पर समझौते का दबाव बना रहे थे. कहानी कुछ ऐसी निकली कि पुलिस अफसरों तक के होश उड़ गए. यह हैरानी की बात नहीं सच है, क्योंकि यहां पकड़ी गई दिव्यांशी 8 करोड़ के गेम को अकेले खेलने वाली ऐसी खिलाड़ी निकली, जिस ने कोई 1-2 नहीं बल्कि 4-4 शादियां कीं.
थाने का माहौल उस दिन बेहद तनावपूर्ण था. पुलिस दिव्यांशी को सीधे थाने ले आई, यह जानते हुए कि मामला हाईप्रोफाइल है और हंगामे की पूरी संभावना है.
दिव्यांशी के पक्ष में वकील पहुंचे थाने में
दिव्यांशी चौधरी, जिसे कुछ दिन पहले तक लोग एक सम्माननीय घर की बहू समझ रहे थे, अब सलाखों के पीछे खड़ी थी. उस की गिरफ्तारी के कुछ ही देर बाद, थाने के बाहर अचानक भीड़ जुटने लगी. यह भीड़ थी वकीलों की, जो दिव्यांशी का पक्ष लेने के लिए वहां पहुंचे थे. वकीलों का एक समूह थाने के गेट पर पहुंचा. उन के चेहरे पर गुस्सा और आत्मविश्वास झलक रहा था. उन्होंने दिव्यांशी से मिलने की कोशिश की, लेकिन एसएचओ ने उन से कोर्ट में मिलने को कहा. यह सुन कर वकील एकएक कर लौट गए. थाने के बाहर सन्नाटा छा गया.

अंदर लौकअप में दिव्यांशी चौधरी चुपचाप दीवार से सिर टिकाए बैठी थी. उस के चेहरे पर अब वो मुसकान भी नहीं थी. शादी के नाम पर ठगी करने के आरोप में मेरठ के बड़ा मवाना से गिरफ्तार कर लाई गई दिव्यांशी चौधरी के खिलाफ ग्वालटोली पुलिस ने 18 नवंबर, 2025 दिन मंगलवार को एसीजेएम-7 अमित सिंह की कोर्ट में पेश किया. पुलिस कोर्ट में कोई ठोस साक्ष्य पेश नहीं कर सकी. पुलिस की रिमांड शीट में कई कमियां थीं, जिन का दिव्यांशी के वकील ने विरोध किया. कानपुर पुलिस ने दिव्यांशी चौधरी के खिलाफ बीएनएस की 12 धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था और आगे की पूछताछ के लिए 8 धाराओं में रिमांड की प्रशस्ति मांगी थी, लेकिन अदालत ने स्पष्ट किया कि रिमांड देने के लिए पर्याप्त आधार मौजूद नहीं हैं.
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि रिमांड जैसी कठोर प्रक्रिया के लिए आवश्यक साक्ष्य और आधार पुलिस द्वारा प्रस्तुत नहीं किए गए. कोर्ट ने दिव्यांशी को अरेस्ट करने में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का उल्लंघन पाया. इस के बाद दिव्यांशी को रिहा कर दिया गया. अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा कि ‘मात्र आरोप और अनुमानों’ के आधार पर रिमांड नहीं दी जा सकती. रिमांड खारिज करते हुए अदालत ने दिव्यांशी चौधरी को व्यक्तिगत बंधपत्र पर रिहा करने का आदेश जारी किया. साथ ही निर्देश दिया गया कि आरोपी जांच में सहयोग करेगी और किसी भी प्रकार का दबाव या प्रभाव नहीं डालेगी.
पुलिस की किरकिरी होने पर फौरन डीसीपी (सेंट्रल) श्रवण कुमार सिंह ने अपने औफिस में एक मीटिंग बुलाई. इस में डीसीपी (सेंट्रल), एडीसीपी अर्चना सिंह, विवेचक शुभम सिंह और शिकायत करने वाले दरोगा आदित्य लोचन को बुलाया गया. कानपुर में दरोगा की लापरवाही की वजह से दिव्यांशी चौधरी कोर्ट से रिहा हो गई. इस वजह से आरोपी दिव्यांशी को कोर्ट ने छोड़ दिया. जांच में पता चला कि एक रिटायर सीओ दिव्यांशी की पैरवी में कानपुर पहुंचे थे. वह शुभम के साथ कई घंटे तक रहे.
जौइंट पुलिस कमिश्नर आशुतोष कुमार ने दरोगा शुभम पर विभागीय जांच के आदेश दिए हैं. साथ ही दिव्यांशी के पूरे सिंडिकेट का परदाफाश करने के लिए एक जांच कमेटी बनाई है.
आईओ शुभम से उच्चाधिकारी हुए नाराज
जौइंट सीपी आशुतोष कुमार ने विवेचक शुभम से पूछा कि जब इतने पुलिसकर्मियों का दिव्यांशी से संबंध है तो इन लोगों के बयान क्यों नहीं लिए गए? इन पुलिसकर्मियों और बैंक अफसर की भूमिका की जांच क्यों नहीं की गई? आखिर दिव्यांशी से इन सभी का क्या कनेक्शन है, जो लाखों का ट्रांजैक्शन है? दरोगा शुभम कोई जवाब नहीं दे सका? इस पर जौइंट सीपी ने शुभम को जम कर फटकार लगाई.
जौइंट पुलिस कमिश्नर ने पूरे मामले की जांच में अब एक इंसपेक्टर को भी शामिल किया है. उन्होंने कहा है कि अब इस पूरे सिंडिकेट का खुलासा होना चाहिए. जिन पुलिस अफसरों और बैंक अफसर समेत अन्य की कौल डिटेल्स और लाखों का ट्रांजैक्शन मिला है, एकएक व्यक्ति की जांच होगी. जांच के बाद सिंडिकेट में शामिल सभी के खिलाफ काररवाई की जाएगी. डीसीपी (सेंट्रल) श्रवण कुमार सिंह ने बताया कि अब डीजे कोर्ट में दोबारा सभी साक्ष्यों के साथ अपील करेंगे, ताकि आरोपी को दोबारा अरेस्ट कर के जेल भेजा जाए. पुलिस टीम अब नए सिरे से दोबारा जांच कर के एकएक साक्ष्य जुटा रही है. जल्द ही पूरे सिंडिकेट के खिलाफ पुलिस कड़ी काररवाई करेगी.
दिव्यांशी चौधरी ने रिहा होने के बाद इसे सच्चाई की जीत बताया. कहा, ”मुझे मीडिया में बदनाम किया कि मैं लुटेरी दुलहन हूं. मेरे हसबैंड, जो उसी थाने में पोस्टेड है और जो आईओ है, वो उन का दोस्त है, कहां से फेयर इनवेस्टिगेशन हो जाएगी.’’
दिव्यांशी ने कहा कि मैं थाने खुद गई थी. यह कहने कि आप मेरा भी पक्ष सुनिए, लेकिन उन्होंने उस चीज का फायदा उठाया और मेरे को वहीं से अरेस्ट कर लिया. कौन सी लुटेरी दुलहन शादी में स्कौर्पियो गाड़ी देती है. कौन सी लुटेरी दुलहन 25 लाख की एफडी देगी? मुझ पर सब मनगढ़ंत आरोप हैं. आप शादी से डेढ़ साल पहले से मेरे को जानते हैं.
उस ने बताया कि दरोगाजी मेरे साथ डेढ़ साल से रिलेशन में थे. आप ने मुझ से 14 लाख 50 हजार औनलाइन लिया है. औफलाइन तो जितना लिया है, उस को छोडि़ए. शादी के बाद भी वसूली का रवैय्या खत्म नहीं हुआ. आप की डिमांड खत्म नहीं होती है. आप दरोगा हैं तो इस का मतलब ये थोड़ी न है कि आप कुछ भी करेंगे. अपनी पत्नी को आप ने इस हद तक पहुंचा दिया था कि शायद सुसाइड ही एकमात्र रास्ता रह गया था. अगर मुझे सच्चे वकील वरुण सर न मिलते तो शायद मैं तो मर ही गई होती.
एडवोकेट वरुण ने कहा कि दिव्यांशी पर उस के दरोगा पति ने पैसे के लेनदेन का आरोप लगाया था, उन के ऊपर भी जांच होनी चाहिए. 58 हजार की तनख्वाह है, एक दरोगा की एवरेज महीने की. ढाई-3 करोड़ का दरोगा आदित्य के अकाउंट में ट्रांजैक्शन हुआ है. यह कैसे संभव है? इस की जांच जरूर होनी चाहिए. अदालत के दरवाजे पर सच्चाई और साजिश का दावा करने वाले दोनों पक्ष खड़े हैं, दोनों अपनी बात पर अडिग हैं. कहानी अभी खत्म नहीं हुई, बल्कि न्याय की तलाश में आगे बढ़ चुकी है. अपील की फाइल तैयार हो रही है, साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं. एक तरफ दिव्यांशी का दावा, फंसाई गई हूं. उन के वकील साहब का विश्वास है कि दिव्यांशी मासूम है, निर्दोष है. वकील को उम्मीद है कि सच्चाई की जीत होगी.
दूसरी तरफ पुलिस का दावा दुलहन लुटेरी है, सबूत मजबूत हैं, अपील मंजूर होगी, दिव्यांशी जेल जाएगी. न्याय की जीत होगी. अब यह जंग कोर्ट के फैसले पर टिकी है. क्या दिव्यांशी का जाल फिर बचेगा या सिंडिकेट ढह जाएगा?
उत्तर प्रदेश की यह कहानी अभी अधूरी है. सच्चाई का इंतजार है, कानून का इम्तिहान है. लेकिन एक बात साफ है, प्यार के नाम पर ठगी का खेल अब लंबा नहीं चलेगा. न्याय की घंटी बजनी बाकी है. इस समय न कोई विजेता, न कोई स्पष्ट दोषी है. बस 2 सच, 2 दावे और एक ऐसी लड़ाई जिस का फैसला अब कोर्ट करेगी न कि भावनाएं.
कहानी यहीं खत्म नहीं होती, बल्कि वहीं से शुरू होती है, जहां कानून आखिरी शब्द बोलता है और सच अपनी अगली परत खोलता है. UP News






