Maharashtra Crime New: गरीबी में पलीबढ़ी शशिकला पाटनकर उर्फ बेबी ने महलों में रहने के जो सपने देखे थे, वे पूरे तो कर लिए, लेकिन न जाने कितनों के सपने तोड़ कर. अपने सपने पूरे करने के लिए उस ने जो रास्ता अख्तियार किया, क्या वह उचित था….

महाराष्ट्र के नवी मुंबई पनवेल के खारपाडा टोला नाके के पास जैसे ही एक लग्जरी बस आ कर रुकी, फुरती से उस में एक महिला के साथ कई लोग चढ़ गए. उन में से एकएक आदमी बस के दोनों गेटों के पास खड़े हो गए, ताकि बस से कोई भी आदमी बाहर न जा सके, बाकी लोग ड्राइवर के पीछे वाली सीट पर बैठी महिला के पास जा कर खड़े हो गए. महिला देखने में किसी धनाढ्य परिवार की लग रही थी. बस में चढ़े लोगोेंके साथ चढ़ी महिला ने सीट पर बैठी महिला से कहा, ‘‘मैडम चलिए, आप का सफर खत्म हो गया है. अब आप को हमारे साथ चलना है.’’

सीट पर बैठी उस महिला ने खड़ी महिला को एक बार ऊपर से नीचे तक देखा. इस के बाद थोड़ी नाराजगी जताते हुए बोली, ‘‘क्या मतलब है आप का. आप हैं कौन और मुझ से इस तरह की बात क्यों कह रही हैं?’’

‘‘हम कौन हैं, यह अभी आप को पता चल जाएगा. हम मतलब भी बता देंगे. बहरहाल अभी तो आप को हमारे साथ चलना होगा.’’ उस महिला को सवारी से बहस करता देख बस के ड्राइवर और कंडक्टर को बुरा लगा. उन्होंने सीट पर बैठी महिला का पक्ष लेते हुए उन लोगों से पूछा, ‘‘आप लोग कौन हैं, जो बस में बैठी महिला से इस तरह की बातें कर रहे हैं.’’

इसी के साथ अन्य सवारियों ने भी उन लोगों का विरोध करना शुरू कर दिया. इस के बाद उन लोगों में से एक ने अपना आईडी कार्ड दिखाते हुए कहा, ‘‘हम लोग मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच से हैं. इस महिला की हमें लंबे समय से तलाश थी.’’

जब सभी को पता चला कि ये पुलिस वाले हैं तो फिर किसी की भी बोलने की हिम्मत नहीं हुई. सीट पर बैठी महिला के चेहरे पर भी हवाइयां उड़ने लगीं. पुलिस वालों ने उस महिला को बस से उतार कर अपनी वैन में बैठा लिया. इसी के साथ वे उसी बस में अलगअलग सीटों पर बैठे 3 अन्य लोगों को भी बस से उतार कर उसी वैन में बैठा लिया था. वे तीनों भी उसी महिला के साथी थे. उन चारों को पुलिस क्राइम ब्रांच के हेड औफिस ले आई. बस में बैठा कोई भी व्यक्ति नहीं समझ सका था कि वह महिला कौन थी और क्राइम ब्रांच वाले उसे और उस के साथियों को क्यों ले गए थे?

वह महिला कोई और नहीं, महाराष्ट्र की एक बहुत बड़ी ड्रग्स तस्कर 52 वर्षीया शशिकला मजगांवकर उर्फ बेबी रमेश पाटनकर थी. उस के साथ जिन 3 लोगों को हिरासत में लिया गया था, उस में उस का छोटा बेटा गिरीश पाटनकर, उस का दोस्त और उस की भांजी थी. बेबी को छोड़ कर बाकी तीनों के बयान ले कर पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया था. ड्रग्स तस्कर शशिकला मजगांवकर का नाम पुलिस की लिस्ट में तब आया था, जब सातारा लोकल क्राइम ब्रांच और मरीन लाइंस पुलिस ने उस के एक साथी कांस्टेबल धर्मराज उर्फ धर्मा कालोखे को 122 किलोग्राम मेफेड्रन  (मिथाइलमेथ कैथिनोन) के साथ गिरफ्तार किया गया था.

यह एक सिंथेटिक ड्रग है, जिस की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में करीब 2 करोड़ रुपए से अधिक थी. कांस्टेबल धर्मराज उर्फ धर्मा को ड्रग की इतनी बड़ी खेप के साथ गिरफ्तार कराने में शशिकला की ही मुख्य भूमिका थी. शशिकला ने ही सतारा पुलिस की लोकल क्राइम ब्रांच को इस की खबर दी थी. इस के बाद उस गिरफ्तार सिपाही धर्मराज से पूछताछ के बाद क्राइम ब्रांच ने शशिकला को गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की थी. शशिकला उर्फ बेबी से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस के साथ ड्रग्स तस्करी में लगे उस के दोनों भाई अर्जुन, शत्रुघ्न, उस के बेटे सतीश पाटनकर, ड्राइवर महेंद्र सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया. इस के बाद पुलिस ने उस की लग्जरी कारों को भी बरामद कर लिया.

अब तक की जांच में क्राइम ब्रांच को पता चला गया था कि शशिकला और कांस्टेबल धर्मराज के बीच गहरे रिश्ते थे. धर्मराज सिर्फ शशिकला के लिए ही काम करता था. इस पूछताछ और जांच में एक गरीब परिवार की बेटी शशिकला के ड्रग्स क्वीन बनने की जो कहानी सामने आई, वह कुछ इस प्रकार थी : शशिकला माजगांवकर उर्फ बेबी पाटनकर का जन्म महाराष्ट्र के जनपद सतारा के एक गरीब किसान परिवार में हुए था. शशिकला चंचल स्वभाव की थी. उस की परवरिश गरीबी में हुई जरूर थी, लेकिन वह अतिमहत्त्वाकांक्षी थी. उस के परिवार में मातापिता के अलावा 2 भाई अर्जुन और शत्रुघ्न थे. वह अपने दोनों भाइयों से बड़ी थी. गरीबी की वजह से उन की पढ़ाईलिखाई भी नहीं हो सकी थी.

शशिकला को गरीबी से नफरत थी. उस की चाहत और सपने बड़े थे. वह अकसर धनदौलत के ख्वाब देखा करती थी. उस के सारे सपने और सारी चाहतें तब जल कर खाक हो गईं, जब उस की शादी एक साधारण से युवक रमेश पाटनकर से हो गई. सीधासाधा रमेश पाटनकर महानगर मुंबई के उपनगर वरली के सिद्धार्थनगर की झोपड़पट्टी में रहता था. वहां उस के साथ रहने में शशिकला का जैसे दम घुटता था. लेकिन वह कर भी क्या सकती थी. पति जो भी मेहनतमजदूरी कर के लाता था, उसी में वह जैसेतैसे घर चलाती थी.

समय का पहिया अपनी गति से घूम रहा था. इसी बीच शशिकला 2 बेटों और एक बेटी की मां बन गई. परिवार बढ़ने पर घर के खर्च भी बढ़ गए थे. पति जो कमा कर लाता था, उस से घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया था. उस ने अपने सपनों के साथ तो समझौता कर लिया था, लेकिन उसे बच्चों के भविष्य की भी चिंता थी. वह नहीं चाहती थी कि उसी की तरह उस के बच्चे भी अभावों भरी जिंदगी जिएं. शशिकला पति से आमदनी बढ़ाने की बात करती. लेकिन पति भी कोई ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था, जिस से उसे कोई मोटी तनख्वाह की नौकरी मिलती. लिहाजा चाह कर भी वह अपनी आमदनी नहीं बढ़ा पा रहा था. इसी बात को ले कर शशिकला की पति से अकसर कहासुनी होती रहती थी. आखिरकार   रोजरोज की कहासुनी से तंग आ कर रमेश पाटनकर एक दिन घर छोड़ कर कहीं चला गया.

पति की इस बेरुखी से शशिकला टूट सी गई. अब तीनों बच्चों की परवरिश और पढ़ाईलिखाई की सारी जिम्मेदारी उस के कंधों पर आ गई. अचानक आने वाली इस परेशानी से वह घबराई नहीं, बल्कि अपने पैरों पर खड़ी होने की कोशिश करने लगी. गुजरबसर के लिए शशिकला ने दूध का धंधा शुरू किया. वह सुबह उठ कर वरली की दूध डेयरी पर जाती और वहां से बोतल पैक दूध ला कर अपनी बस्ती के घरघर पहुंचाती. यह बात सन 1981 की है. इस से उस के घर की गाड़ी तो चलने लगी, लेकिन भविष्य के लिए हाथ में कुछ नहीं बचता था. इस के लिए वह हमेशा चिंतित रहती थी. अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए वह किसी हद तक जाने को तैयार थी. इसलिए वह किसी ऐसे काम की तलाश में थी, जिस से उसे भरपूर कमाई हो.

आखिर उसे एक दिन वह काम मिल ही गया, जिसे करने से उसे मोटी आमदनी हो सकती थी. शशिकला जिस बस्ती में रहती थी, वहीं उसे एक ऐसा व्यक्ति मिला, जिस ने उस की जीवनधारा ही बदल दी. उस ने बिना मेहतन के ढेर सारी दौलत कमाने का रास्ता सुझा दिया. वह काम ड्रग्स सप्लाई का था. यह काम थोड़ा जोखिम भरा जरूर था. लेकिन जितनी मेहनत वह दूध बेचने में करती थी, उतनी मेहनत इस काम में कर देने पर उस की झोली में ढेर सारी दौलत आ सकती थी.

शशिकला को उस आदमी की सलाह उचित लगी थी क्योंकि उस की बस्ती के ही तमाम लोग ड्रग्स का सेवन करते थे. उस ने  दूध बेचने के साथसाथ चरस, गांजा, हशीश, ब्राऊनशुगर आदि बेचना शुरू कर दिया. इस से उस की आमदनी बढ़ गई. जब कमाई बढ़ गई तो शशिकला ने दूध बेचने वाला काम बंद कर दिया और अपना पूरा ध्यान नशीले पदार्थों के धंधे पर लगा दिया. धीरेधीरे शशिकला ने बस्ती से बाहर पैर पसारने शुरू किए. इस के बाद उस ने मुंबई यूनिवर्सिटी परिसर को अपना अड्डा बना लिया. शुरूशुरू में ड्रग्स तस्करी में अपना पैर जमाने के लिए शशिकला पाटनकर को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ा था. लेकिन समय के साथ सब ठीक हो गया.

क्योंकि जल्दी ही उस के शहर के कई बड़े ड्रग्स तस्करों से अच्छे संबंध बन गए थे. इस लाइन में आने के बाद उस ने अपना नाम बेबी रख लिया था. बेबी उन्हीं तस्करों से माल ला कर मुंबई में सप्लाई करने लगी थी. गरीबी का अभिशाप दूर करने के लिए उस ने अपने पूरे परिवार, बेटे सतीश, बेटीबहू के अलावा दोनों भाइयों को भी अपने इस व्यवसाय में शामिल कर लिया था. किसी तरह की परेशानी न हो, सभी को उस ने धंधे के गुर भी सिखा दिए थे. मुंबई में अचानक ड्रग्स की विक्री की बाढ़ सी आ गई तो मुंबई पुलिस और क्राइम ब्रांच के अलावा एंटी नार्कोटिक्स (ड्रग्स कंट्रोल सेल) के अधिकारियों के कान खड़े हो गए. क्राइम ब्रांच ने मुखबिरों को सतर्क किया तो उन्हें अपने मुखबिरों से पता चला कि इस सारे रैकेट के पीछे किसी बेबी नाम की महिला का हाथ है.

क्राइमब्रांच और एंटी नार्कोटिक्स सेल के अधिकारी हाथ धो कर बेबी के पीछे पड़ गए तो वह घबरा कर कुछ दिनों के लिए भूमिगत हो गई. उस पर मामला तो दर्ज हो गया, लेकिन उस ने खुद को गिरफ्तारी से बचा लिया. उस के भूमिगत होने से ड्रग्स मार्केट में खलबली मच गई. बाजार में ड्रग्स के न आने से करोड़ो रुपए का नुकसान हो रहा था. बेबी इस बात को ले कर परेशान थी कि अगर कुछ दिनों तक इसी तरह चलता रहा तो उस का करोबार ठप हो जाएगा. वह इस समस्या का समाधान ढूंढने लगी. इसी तलाश में उस की मुलाकात पुलिस कांस्टेबल धर्मराज उर्फ धर्मा कालोखे से हुई, जिस की मदद से उस ने एक बार फिर अपने कारोबार को शिखर पर पहुंचा दिया.

अपना काम निकालने के लिए बेबी ने उसे अपने रूपयौवन के जाल में इस तरह फंसाया कि वह उस में उलझ कर रह गया. यह सन 2002 की बात थी. धर्मराज उसी जनपद का रहने वाला था, जिस जनपद की बेबी रहने वाली थी. धर्मराज उन दिनों पुलिस की नौकरी में नयानया आया था. उसे भरती हुए लगभग 2 साल ही हुए थे. इस नौकरी से मिलने वाले थोड़े से वेतन से वह संतुष्ट नहीं था. उस के वेतन से उस के घरपरिवार का गुजारा बड़ी मुश्किल से हो पाता था. जब बेबी को भरोसा हो गया कि सिपाही धर्मराज उस के रूपजाल में पूरी तरह फंस चुका है तो उस ने उसे अपने कारोबार के बारे में सब कुछ बता कर करोबार को बढ़ाने में मदद मांगी.

बेबी की असलियत जान कर एक बार तो धर्मराज के होश उड़ गए. लेकिन जल्दी ही उस ने खुद को संभाल लिया. क्योंकि बेबी की तरह उस ने भी सुखसुविधाओं वाली जिंदगी के जो सपने देखे थे, वे पुलिस की नौकरी में मिलने वाले वेतन से कभी पूरे नहीं हो सकते थे. इसलिए शुरूशुरू में बेबी के साथ काम करने से भले ही वह घबराया हो, लेकिन जल्दी ही वह उस के साथ जुड़ गया. यह सच है कि पैसा अच्छोंअच्छों की नीयत खराब कर देता है, जबकि धर्मराज तो एक मामूली इंसान था, उस की कमाई न के बराबर थी. इसलिए वह बेबी के साथ जुड़ने से मना नहीं कर सका था.

धर्मराज बेबी के कहने पर उस के कारोबार से जुड़ गया. धर्मराज के जुड़ते ही बेबी के कारोबार को जैसे पंख लग गए. धर्मराज की मदद से बेबी अपना करोड़ो का माल बड़ी आसानी से इधर से उधर पहुंचा देती थी. सिपाही और वरिष्ठ अधिकारियों का ड्राइवर होने की वजह से धर्मराज पर कोई शक भी नहीं करता था. इस के अलावा भी पुलिस वालों के बीच अपनी पैठ बनाने के लिए बेबी खुद भी एक बड़े एनकाउंटर स्पैशलिस्ट की मुखबिर बन गई. विश्वास जमाने के लिए उस ने अपने ही कारोबार से जुड़े कई बड़े तस्करों की मुखबिरी कर के उन्हें पकड़ा दिया. इस से उसे दोहरा लाभ मिला. एक तो अधिकारी को उस पर भरोसा हो गया, दूसरे उस का कारोबार बढ़ गया.

अब वह सीधे राजस्थान के भवानी बाजार और मध्य प्रदेश के रतलाम शहर से भारी मात्रा में ड्रग्स मंगा कर पूरे मुंबई में सप्लाई करने लगी. इस बीच बेबी ने अपने कारोबार में धर्मराज की तरह कुछ अन्य पुलिस, कस्टम और इनकमटैक्स के बड़े अधिकारियों को जोड़ लिया था. जिस का उस ने जम कर फायदा उठाया. कुछ ही दिनों में बेबी गांजा, चरस, हशीश, ब्राऊनशुगर और म्यांऊम्यांऊ यानी एमडी मेफेड्रन जैसे खतरनाक ड्रग्स की महारानी बन गई. ड्रग्स तस्करी से बेबी पर नोटों की बरसात होने लगी. देखते ही देखते वह धन कुबेरों की लाइन में खड़ी गई. ड्रग्स तस्करी के पैसों से उस के सपने साकार होने लगे.

पुलिस जांच में बेबी की कई करोड़ की नामीबेनामी संपत्तियों का पता चला है. उस ने घर के सभी लोगों को सोने के गहनों से लाद दिया था. यही नहीं, सिद्धार्थनगर की जिस बस्ती में वह रहती थी, वहां की 20 चालों को उस ने खरीद लिया था, जिस से उसे मोटा किराया आता था. 4 लग्जरी कारों में उस की 2 कारें इनकमटैक्स विभाग में लगी थीं, जिन्हें उस का भाई देखता था. जरूरत पड़ने पर बेबी उन कारों का भी इस्तेमाल अपने कारोबार के लिए कर लेती थी.

इस के अलावा बेबी का नवी मुंबई में एक बड़ा सा प्लौट, पनवेल में एक फार्महाऊस, मुंबई के बोरीवली गौराई बीच में एक सुंदर सा आलीशान बंगला, पूना लोनावाला में एक बंगला, पूना के कोरेगांव में एक मंजिला गृह संकुल, वाइन शौप और कोकण विदर्भ में काफी जमीनजायदाद थी. पकड़े जाने पर 3 बैंक एकाउंट में 40-40 लाख रुपए कैश मिले थे. बेबी पाटनकर का सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. उस पर पहला मामला सन 2001 में दर्ज हुआ था. लेकिन 2014 में बेबी पर वरली, मुंबई और थाना जनपद वसई में अनेक मामले दर्ज हो गए तो उस का अस्तित्व डगमगा गया. उस ने इन 13 सालों में जिस तरह पुलिस और कस्टम के कई बड़े अधिकारियों को मैनेज कर के अपने कारोबार को फैलाया था, लगातार दर्ज होने वाली शिकायतों से उस की जमीजमाई बुनियाद हिल गई.

इस के बाद वह यह सोचने पर मजबूर हो गई कि कोई ऐसा है, जो उस के साम्राज्य में सेंध लगाना चाहता है. जब उस ने इस बात पर गहराई से विचार किया तो उसे अपने साथी धर्मराज उर्फ धर्मा पर संदेह हुआ. धर्मराज उर्फ धर्मा ही एक ऐसा आदमी था, जो उस के लगभग सभी रहस्यों को जानता था. इस की एक वजह यह भी थी कि अभी तक मुंबई और अन्य उपनगरों में बेबी द्वारा लाई गई ही एमडी बिकती थी. लेकिन इधर धर्मराज द्वारा उस के खंडाला कन्हेरी फार्महाऊस से 150 किलोग्राम एमडी छिपाने के बाद भी बाजार में बिक रही थी. इसी बात से उसे लगा कि धर्मराज ज्यादा पैसों के लालच में उस के साथ गद्दारी कर रहा है. जबकि बेबी का यह एक वहम था. वह 150 किलोग्राम एमडी को ले कर बेबी से थोड़ा नाराज जरूर था, लेकिन वह किसी भी तरह की कोई गद्दारी नहीं कर रहा था.

यह 150 किलोग्राम एमडी बेबी ने पूना के एक तस्कर सैमुअल से खरीदी थी. जबकि वह सैमुअल के बारे में ज्यादा कुछ जानती नहीं थी. बेबी से उसे उस के भाई बादशाह ने सन 2007 में मिलवाया था. सैमुअल बादशाह के साथ आर्थर रोड जेल में बंद रहा था. तभी दोनों में दोस्ती हुई थी. यह 150 किलोग्राम एमडी एसटी (स्टेट ट्रांसपोर्ट) की बस द्वारा 2 बार में लाई गई थी. बेबी ने इसे सिद्धार्थनगर स्थित अपने घर में रखवा दी थी. लेकिन दिसंबर, 2014 में सैमुअल पकड़ा गया तो बेबी डर गई. इस के बाद सारी एमडी उस ने धर्मराज को अपने किसी फार्महाऊस में छिपाने के लिए दे दी. धर्मराज उस एमडी को इस शर्त पर छिपाने के लिए राजी हुआ था कि बेबी उसे 25 लाख रुपए देगी.

बेबी ने शर्त मान ली तो धर्मराज ने उसे ले जा कर खंडाला कन्हेरी के अपने फार्महाऊस में छिपा दिया था. लेकिन बाद में बेबी ने शर्त में माने 25 लाख रुपए धर्मराज को नहीं दिए, जिस की वजह से दोनों के बीच मनमुटाव हो गया था. दरअसल धर्मराज बेबी पाटनकर से मिले इन पैसों को पूना की किसी प्रौपर्टी में निवेश करना चाहता था. उस ने उस प्रौपर्टी के लिए डेढ़ लाख रुपए एडवांस भी दे दिए थे. बेबी के पैसे न देने से वह प्रौपर्टी तो हाथ से निकल ही गई थी, उस के पैसे भी डूब गए थे. इन पैसों को ले कर धर्मराज और बेबी के बीच अकसर कहासुनी होती रहती थी. इस कहासुनी से वह उसे गिरफ्तार कराने की धमकियां भी देता था.

पुलिस वाले कभी किसी के नहीं होते, यह सोच कर बेबी ने धर्मराज को पकड़वा देने में ही अपनी भलाई समझी और अपने ही करोड़ो रुपए के ड्रग को धर्मराज का बता कर सतारा लोकल क्राइम ब्रांच को सूचना दे दी. धर्मराज को अपनी गिरफ्तारी का शक उस पर न हो, इस के लिए वह धर्मराज को साथ ले कर 2 मार्च, 2015 को हिलस्टेशन चली गई थी. वह उस के साथ गोवा, कोल्हापुर, सांवतवाड़ी, रत्नागिरी, महाबलेश्वर और खंडाला जैसे पिकनिक प्वाइंटों पर घूमते हुए उस की गिरफ्तारी का चक्रव्यूह रचती रही. इस मामले में बेबी ने अपने एक विश्वसनीय सिपाही की मदद ली थी. वह सिपाही बेबी पाटनकर के कहने पर अपने एक निलंबित सबइंस्पेक्टर से मिला.

इस के बाद दोनों ने सिपाही धर्मराज के खंडाला कन्हेरी स्थित फार्महाऊस पर छापा मरवाने के लिए पहले पूना के एक कस्टम अधिकारी से बात की. लेकिन पूना के उस कस्टम अधिकारी ने किसी वजह से इस मामले में दिलचस्पी नहीं ली तो दोनों सतारा पुलिस की लोकल क्राइम ब्रांच के औफिस पहुंचे. सतारा क्राइम ब्रांच के अधिकारी तुरंत हरकत में आ गए. उन्होंने धर्मराज के खंडाला कन्हेरी स्थित फार्महाऊस पर छापा मार कर 110 किलोग्राम एमडी बरामद कर ली. धर्मराज उन दिनों मुंबई के मरीन लाइंस पुलिस थाने में तैनात था. वहां उस के लौकर से भी 12 किलोग्राम एमडी बरामद की गई.

9 मार्च, 2015 को पहले सतारा की क्राइम ब्रांच ने धर्मराज उर्फ धर्मा को गिरफ्तार किया. इस के बाद मरीन लाइंस पुलिस ने अपनी सुपुर्दगी में ले लिया. चूंकि सतारा की क्राइम ब्रांच पुलिस को 150 किलोग्राम एमडी की सूचना मिली थी, जबकि बरामद 122 किलोग्राम ही हुई थी. बाकी की 28 किलोग्राम एमडी कहां गई? इस के लिए धर्मराज से पूछताछ के बाद बेबी के बड़े बेटे सतीश पाटनकर को गिरफ्तार किया गया. उस ने पुलिस को बताया कि उस ने बेबी पाटनकर के कहने पर 40 किलोग्राम एमडी निकाली थी, जिस में से 12 किलोग्राम उस ने धर्मराज के लौकर में रखवा दी थी.

बेबी ने सिपाही धर्मराज को तो पकड़वा दिया. लेकिन ऐसा करते हुए वह यह भूल गई कि जिस आग को वह हवा दे रही है, उस आग में उस का खुद का भी दामन जल जाएगा. उस की लगाई आग की आंच जब उस के भाइयों और बेटे सतीश तक पहुंची तो वह समझ गई कि अब उस का भी खेल खत्म हो चुका है. जब उसे लगा कि अब पुलिस कभी भी उसे गिरफ्तार कर सकती है तो वह अपने सारे सोने के गहने गिरवी रख कर मुंबई से फरार हो गई. पुलिस ने उस के कई ठिकानों पर छापा मारा, लेकिन वह हाथ नहीं लगी. 13 मार्च, 2015 को बेबी का छोटा बेटा गिरीश अपनी मां को ले कर नवी मुंबई स्थित कामोठे में रहने वाली अपनी गर्लफ्रैंड के यहां पहुंचा.

गर्लफ्रैंड को भी साथ ले कर वह कार द्वारा सूरत चला गया. 14 मार्च, 2015 को सभी गर्लफ्रैंड की मौसी के यहां रुके. 15 मार्च को प्राइवेट कार से मुंबई के लिए निकले तो 16 मार्च को सुबह मुंबई के बोरिवली पहुंचे. गिरीश ने अपनी गर्लफ्रैंड को वहां छोड़ा और मां के साथ वाशी चला गया. यहां से मुंबई जा कर उस ने जमानत की कोशिश की, पर वकील ने उसे सलाह दी कि वह ऐसा न करे तो वह गिरीश की गर्लफ्रैंड के घर आगरा चली गई. कुछ दिनों तक आगरा में रहने के बाद वह दिल्ली आ गई. दिल्ली से वह कुराड़गांव में रहने वाले अपने एक रिश्तेदार के यहां चली गई. कुराड़गांव से बस द्वारा वह मुंबई आ रही थी, तभी एक सोशल वर्कर की नजर उस पर पड़ गई तो उस ने क्राइम ब्रांच सर्विस सेल के अधिकारियों को सूचना दे दी. इस के बाद वह पकड़ी गई.

इस तरह बेबी के पकड़े जाने पर 40 दिनों तक चले इस चूहेबिल्ली का खेल खत्म हो गया. गिरफ्तार बेबी के मामले की गंभीरता को देखते हुए ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर अतुलचंद्र कुलकर्णी ने आगे की तफ्तीश क्राइम ब्रांच यूनिट-2 प्रौपर्टी सेल के अधिकारियों को सौंप दी है. ड्रग्स क्वीन बेबी और सिपाही धर्मराज उर्फ धर्मा कालोखे से पूछताछ और उन के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स से कई पुलिस वालों और कस्टम अधिकारियों के नाम सामने आए हैं. इन में 30 मई को 4 लोग, एंटी नारकोटिक्स के इंसपेक्टर सुहास गोखले, गौतम गायकवाड़ सुधाकर, हवलदार ज्योतिराम माने और यशवंत पतारे को गिरफ्तार भी किया गया है. आगे की जांच क्राइम ब्रांच अधिकारी कर रहे हैं. इसी बीच उन्हें एक और बड़ी सफलता मिली.

ड्रग्स तस्कर सैमुअल को भारी मात्रा में ड्रग्स सप्लाई करने वाले तस्कर जानपाल दुरई को केरल से गिरफ्तार कर लिया गया. यह गिरफ्तारी सैमुअल के बयान पर हुई थी. जान पाल दुरई भी बेबी की तरह ही नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का मुखबिर था. उस ने नार्कोटिक्स ब्यूरो को कई बड़े टिप दिए थे. बहरहाल कथा लिखे जाने तक क्राइम ब्रांच बेबी से पूछताछ कर रहे थे. Maharashtra Crime New

कथा पुलिस सूत्रों और समाचार पत्रों पर आधारित

 

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