UP Crime: सुमित ने आरती को समझाया कि अब उस की शादी हो गई है, इसलिए वह किसी पराए मर्द से फोन पर बातें करना बंद कर दे. आरती नहीं मानी तो सुमित ने उसे सबक सिखाने के लिए ऐसा क्या किया कि….  उ त्तर प्रदेश के जिला मुरादाबाद से करीब 20 किलोमीटर दूर थाना छजलैट के अंतर्गत आता है एक गांव कुरीखाना. अंकित वर्मा इसी गांव में परिवार के साथ रहता था. गांव में ही उस की ज्वैलरी की दुकान थी. उसी पर वह अपने भाई के साथ बैठता था.

16 अपै्रल, 2015 की दोपहर वह भाई को दुकान पर छोड़ कर खाना खाने के लिए घर गया. उस के लिए खाना परोस कर आया, तभी उस के मोबाइल पर किसी का फोन आया. पता नहीं वह फोन किस का था कि अंकित खाना खाए बगैर ही 15-20 मिनट में लौटने को कह कर चला गया. उस की भाभी बारबार कहती रहीं कि खाना खा ले, लेकिन वह नहीं माना और मोटरसाइकिल ले कर चला गया. अंकित 15-20 मिनट में ही लौटने को कह कर गया था, लेकिन डेढ़, दो घंटे बाद भी वह घर नहीं लौटा तो घर वालों को चिंता हुई. उसे फोन किया गया तो पता चला कि वह बंद है. घर वाले इधरउधर फोन कर के उस के बारे में पता लगाने लगे.

दोपहर करीब 3 बजे पड़ोस के गांव भीकनपुर निवासी जय सिंह टै्रक्टर ले कर अपने खेतों की तरफ गया तो उस ने खेत में एक आदमी की खून से लथपथ लाश देखी. खेत में लाश देख कर वह चौंका. उस ने आसपास के खेतों में काम कर रहे लोगों को आवाज दे कर बुला लिया. किसी ने इस बात की सूचना अंकित के घर वालों को दे दी तो वे रोतेबिलखते घटनास्थल पर पहुंच गए. अंकित की रक्तरंजित लाश देख घर वालों का बुरा हाल था. सूचना मिलने के बाद थाना छजलैट के थानाप्रभारी मुश्तकीम अली भी पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए थे. लाश के पास ही एक मोटरसाइकिल और एक मोबाइल फोन पड़ा था. पता चला कि वह मोटरसाइकिल और फोन मृतक के ही थे.

थानाप्रभारी ने इस हत्या की सूचना जिले के पुलिस अधिकारियों को दी तो एसएसपी लव कुमार और एसपी (देहात) प्रबल प्रताप सिंह भी मौके पर पहुंच गए. लाश का मुआयना करने के बाद पुलिस इस नतीजे पर पहुंची कि अंकित की हत्या रंजिश की वजह से की गई है न कि लूट के इरादे से. लाश का पंचनामा कर के पुलिस ने उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया. एसएसपी ने 26 वर्षीय अंकित वर्मा की हत्या के मामले को सुलझाने के लिए थाना छजलैट के थानाप्रभारी मुश्तकीम अली के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई, जिस में एसआई पी.के. चौहान, संध्या रावत, कांस्टेबल राजीव राठी, दिलशाद, तेजेंद्र, सौरभ आदि को शामिल किया गया. टीम ने जांच की शुरुआत मृतक के घर से की.

पुलिस पूछताछ में घर के सभी लोगों ने अंकित की किसी से कोई दुश्मनी होने से मना कर दिया तो पुलिस ने अंकित के दोस्तों के बारे में पूछा. थानाप्रभारी को यह मालूम ही था कि अंकित के मोबाइल पर किसी का फोन आया था. उस के बाद ही वह मोटरसाइकिल ले कर गया था. वह फोन किस का था, यह जानने के लिए पुलिस ने अंकित के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स से पता चला कि उस के मोबाइल पर अंतिम बार जिस फोन नंबर से फोन आया था. वह फोन नंबर बिजनौर जिले के चांदपुर के रहने वाले सुमित वर्मा का था.

जांच के लिए सुमित वर्मा से पूछताछ करनी जरूरी थी, इसलिए पुलिस टीम आननफानन में चांदपुर स्थित सुमित वर्मा के घर पहुंच गई. लेकिन सुमित वर्मा घर पर नहीं मिला. पुलिस ने उस की पत्नी आरती से उस के मायके के बारे में पूछ लिया. पुलिस का अंदाजा था कि कहीं वह ससुराल में तो नहीं छिपा बैठा. जानने के लिए पुलिस टीम आरती के मायके धामपुर की टीचर कालोनी जा पहुंची, लेकिन वह वहां नहीं मिला. पुलिस को आरती और उस के भाई राजीव की बातों से लगा कि इन्हें सुमित के बारे में पता है, लेकिन ये नहीं बता रहे हैं. दबाव बनाने के लिए पुलिस ने आरती और उस के भाई राजीव को हिरासत में ले लिया.

सुमित वर्मा अलीगढ़ में अपनी एक रिश्तेदारी में छिपा था. उसे जब पता चला कि पुलिस ने उस की पत्नी और साले को हिरासत में ले लिया है तो वह परेशान हो उठा. वह वहां से उत्तराखंड के रुद्रपुर शहर चला गया और वहीं से अपने परिचितों को फोन कर के पत्नी व साले को थाने से छुड़ाने की कोशिश करने लगा. इसी चक्कर में वह अपने दोस्त अंकित कर्णवाल के साथ रुद्रपुर से 21 अप्रैल, 2015 को मुरादाबाद आ गया. पुलिस ने उस के मोबाइल को सर्विलांस पर लगा रखा था, वह उस की लोकेशन पर नजर रखे हुए थी. पुलिस टीम ने उस के मुरादाबाद आते ही धरदबोचा.

दोनों को हिरासत में ले कर पुलिस छजलैट आ गई. थाने में दोनों से अंकित वर्मा के बारे में पूछताछ की तो वे इधरउधर की बातें करने लगे. लेकिन जब सुमित के सामने उस की पत्नी और साले को लाया गया तो वह थोड़ा परेशान हो गया. थानाप्रभारी को लगा कि सुमित आसानी से सच्चाई बताने वाला नहीं है. तब उन्होंने एक चाल चली. उन्होंने सुमित से कहा, ‘‘तुम्हारी पत्नी और साले ने बताया है कि अंकित की हत्या में वे भी शामिल थे.’’

इतना सुनते ही सुमित लाइन पर आ गया. उस ने कहा, ‘‘नहीं सर, अंकित की हत्या में इन लोगों का कोई हाथ नहीं है. उस की हत्या तो मैं ने की थी. ये लोग तो बेकुसूर हैं.’’

थानाप्रभारी यही बात उस के मुंह से सुनना चाहते थे. उन्होंने बेवकूफ बना कर सुमित के मुंह से सच्चाई उगलवा ली थी. इस के बाद सुमित और अंकित कर्णवाल ने अंकित वर्मा की हत्या की जो कहानी बताई, वह प्रेमप्रसंग से लबरेज निकली. सुमित वर्मा बिजनौर जिले के चांदपुर कस्बे की श्रीराम कालोनी में रहता था. उस की बिजनौर के ही फीना कस्बे में सर्राफा की दुकान थी. फरवरी, 2014 में उस की शादी धामपुर के रहने वाले रामकिशन वर्मा की बेटी आरती के साथ हुई थी. दोनों की हंसीखुशी से जिंदगी कट रही थी.

सुमित कभीकभी देखता था कि उस की पत्नी फोन पर किसी से काफीकाफी देर तक बातें करती है. कोई भी आदमी इस तरह अपने किसी नजदीकी से ही बातें करेगा. सुमित को लगा था कि वह अपने घर वालों से बातें करती होगी. लेकिन जब उस ने एक दिन पत्नी को फोन पर रोमांटिक बातें करते सुना तो उस ने पत्नी से पूछा, ‘‘आरती, तुम अभी किस से बातें कर रही?’’

आरती ने कहा, ‘‘मेरा रिश्ते का एक भाई है. उसी से बातें कर रही थी.’’

‘‘कौन सा ऐसा भाई है, जो तुम से फोन पर घंटों तक बातें करता है, जबकि तुम्हारे घर वालों के इतने फोन नहीं आते. आरती अब तुम्हारी शादी हो चुकी है, इसलिए तुम्हें अपने घर की तरफ ध्यान देना चाहिए.’’ सुमित ने पत्नी को समझाया.

‘‘ठीक है, मैं उस से अब ज्यादा बातें नहीं करूंगी.’’ आरती ने कहा.

आरती ने पति से वादा तो कर लिया, लेकिन उस ने उस भाई से बातें करनी कम नहीं कीं. इस पर सुमित ने पत्नी से कहा तो कुछ नहीं, लेकिन उस के मोबाइल की काल डिटेल्ट जरूर देखी. इस से पता चला कि आरती एक ही फोन नंबर पर दिन में कईकई बार लंबीलंबी बातें करती थी. जिस नंबर पर उस की बातें होती थीं, एक दिन उस ने उसी नंबर पर अपने फोन से बात की तो दूसरी ओर से जो आदमी बोला, उस ने अपना नाम अंकित वर्मा बताया. पूछने पर अंकित ने बताया, ‘‘सुमितजी आप का साला राजीव है न वह मेरा दोस्त है. उस के यहां मेरा वर्षों से आनाजाना है. मैं आरती को बहन मानता हूं, इसलिए उस से बातें कर लेता हूं.’’

‘‘जितने फोन तुम उसे करते हो, उतने फोन तो उस का सगा भाई भी उसे नहीं करता. आरती का कोई बड़ा बिजनैस भी नहीं है, जिस से समझ सकूं कि तुम बिजनैस के सिलसिले में उस से बातें करते हो.’’ सुमित थोड़ा गुस्से में बोला.

‘‘लगता है, आप को यह सब बुरा लगा.’’ अंकित ने कहा.

‘‘बिलकुल बुरा लग रहा है. आरती मेरी पत्नी है, इसलिए बुरा तो लगेगा ही. अब मैं कह देता हूं कि तुम उसे फोन हरगिज नहीं करोगे.’’ सुमित ने उस से दो टूक कह दिया.

मगर इस चेतावनी के बाद भी आरती और अंकित वर्मा आए दिन फोन पर बातें करते रहे. इस से सुमित को शक हुआ कि इन दोनों के बीच कोई न कोई चक्कर जरूर है, जिस से ये बातें करना बंद नहीं कर रहे हैं.

एक दिन सुमित वर्मा ने आरती को विश्वास में ले कर और कसम दे कर पूछा, ‘‘आरती, तुम्हारा और तुम्हारे मुंह बोले भाई का क्या चक्कर है, जो एकदूसरे को नहीं भूल पा रहे?’’

तब आरती ने बताया, ‘‘अंकित वर्मा से मेरी कालेज के समय की दोस्ती है. उस का हमारे घर भी आनाजाना था.’’

दोस्ती की बात सुन कर सुमित का दिमाग घूम गया. अगले दिन वह अपनी ससुराल पहुंच गया. उस ने अपने साले राजीव से पूछा, ‘‘यह अंकित वर्मा कौन है और उस का तुम लोगों से क्या संबंध है?’’

इस पर राजीव ने हंस कर कहा कि अंकित ने यहीं रह कर अपनी पढ़ाई की थी. उस से थोड़ीबहुत जानपहचान थी. वैसे वह कुरीखाना गांव का रहने वाला है. अब उस ने वहीं पर सर्राफे की दुकान खोल ली है. पहले आरती की शादी अंकित से ही तय हुई थी. लेकिन उस से शादी के लिए हमारे पिता तैयार नहीं थे, जिस से शादी नहीं हो सकी. इतनी जानकारी मिलने पर सुमित समझ गया कि जब इन की बात शादी तक पहुंच गई थी तो जरूर इन के बीच कोई चक्कर रहा होगा. वह उसी समय घर लौट आया. घर आ कर उस ने आरती को डांटा कि उस ने उस से झूठ क्यों बोला. अंकित वर्मा से शादी की बात चलने वाली बात उसने क्यों छिपाए रखी? जब अंकित उस का भाई है तो उस से शादी की बात कैसे चली?

आरती समझ गई कि सुमित को शायद सच्चाई का पता चल गया है. इसलिए वह कुछ नहीं बोली. बहरहाल सुमित ने उसे एक बार और चेतावनी दी कि वह अंकित से हरगिज बात न करे, वरना उसे सख्त कदम उठाने पड़ेंगे. सच्चाई यह थी कि अंकित वर्मा और आरती के बीच शादी से पहले से ही गहरी दोस्ती थी. आरती के पिता की नाराजगी से जब आरती और अंकित वर्मा की शादी नहीं हो सकी तो दोनों कसमसा कर रह गए. तब आरती ने अंकित से वादा किया कि भले ही उस की शादी किसी और से हो जाए, उस के संबंधों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

यही वजह थी कि सुमित वर्मा से शादी हो जाने के बाद भी आरती और अंकित फोन पर बातें करते रहते थे और मौका मिलने पर मुलाकात भी कर लेते थे. अब पति को शक होने पर आरती परेशान हो उठी. उस ने इस बारे में अंकित से बात की. तब दोनों ने तय किया कि सुमित के अपनी दुकान पर जाने के बाद दोनों कहीं बाहर मिल लिया करेंगे. इस के बाद सुमित जैसे ही फीना की अपनी ज्वैलरी की दुकान के लिए निकलता, आरती अंकित को फोन कर देती. इस के बाद दोनों किसी रेस्टोरेंट में मुलाकात कर लेते. आरती अपने प्रेमी से मिलने में काफी एहतियात बरतती थी. इस के बावजूद भी उस के पति को किसी के द्वारा पता लग गया कि उस के निकलते ही उस की पत्नी घंटों के लिए घर से गायब हो जाती है.

सुमित वर्मा समझ गया कि वह अपने यार से ही मिलने जाती होगी. उस ने न तो आरती से कुछ कहा और न ही अंकित से, बल्कि इस समस्या से निदान पाने के लिए उस ने अंकित वर्मा को ठिकाने लगाने की ठान ली. उस ने सोचा कि ना रहेगा बांस और ना बजेगी बांसुरी. अपनी योजना को आसानी से अंजाम तक पहुंचाने के लिए उस ने अंकित से दोस्ती करनी उचित समझी. करीब 5 महीने पहले वह एक दिन अंकित के घर पहुंचा. अचानक अपने घर सुमित को देख कर अंकित चौंका तो सुमित ने कहा, ‘‘मैं मुरादाबाद जा रहा था, तुम जब मेरे साले के दोस्त हो तो सोचा तुम से मिलता हुआ ही निकल जाऊं.’’

‘‘यह तो आप ने बहुत अच्छा किया, आप हमारे रिश्तेदार हैं. इसलिए जब कभी मन हो, आ जाया करें.’’ अंकित ने कहा.

अंकित ने उस वक्त सुमित की बहुत खातिरदारी की. अंकित की मेज पर उस का एक फोटो फ्रेम में लगा रखा था. किसी बहाने से सुमित ने वह फोटो उस से ले लिया और जाते समय बोला, ‘‘अंकित आज से हम दोस्त हैं. तुम भी हमारे यहां आते रहना.’’

यह सुन कर अंकित वर्मा फूला नहीं समाया कि अब आरती से मिलने का रास्ता साफ हो गया. एकदो बार अंकित वर्मा सुमित के सामने उस के घर आरती से मिलने गया. सुमित का एक दोस्त था, अंकित कर्णवाल उर्फ फौलादी, जो चांदपुर में रहता था. सुमित ने अंकित को ठिकाने लगाने वाली बात उसे बताई. अंकित कर्णवाल दोस्त का साथ देने को तैयार हो गया. योजना के अनुसार, 16 अप्रैल, 2015 को सुमित वर्मा और अंकित कर्णवाल सुबह के समय चांदपुर से मोटरसाइकिल द्वारा अंकित वर्मा के गांव कुरीखाना जा पहुंचे. मेन रोड पर एक होटल के नजदीक पहुंच कर सुमित ने अंकित को फोन किया. अंकित उस समय खाना खाने जा रहा था कि उस के फोन की घंटी बजी.

स्क्रीन पर सुमित का नंबर देख कर वह खुश हो गया. तभी सुमित ने कहा, ‘‘कुरीखाना के लिए जो सड़क जाती है, मैं वहीं होटल पर बैठा हूं, साथ में मेरा एक दोस्त भी है. उसे तुम से ज्वैलरी के विषय में कुछ बात करनी है. इस की बहन की शादी है.’’

‘‘जब यहां तक आ गए हो तो घर आ जाओ. एकएक कप चाय भी हो जाएगी. घर में बैठ कर इत्मीनान से बात करेंगे.’’ अंकित ने कहा.

‘‘नहीं, इस समय हम घर नहीं आ सकते क्योंकि हमें अभी मुरादाबाद जाना है. वहां से इसे शादी के लिए बरतन वगैरह भी खरीदने हैं, तुम 2 मिनट के लिए यहां आ जाओ.’’

अंकित अपनी भाभी से यह कह कर घर से निकल गया कि वह अभी 10-15 मिनट में लौट कर खाना खाएगा. अंकित के होटल पर पहुंचने से पहले ही सुमित ने योजना के तहत अंकित को भीकमपुर वाली रोड पर राजेंद्र एकैडमी के पास गन्ने के खेत में छिपने के लिए भेज दिया. अंकित उस होटल पर पहुंच गया, जहां सुमित उस का इंतजार कर रहा था. उस होटल पर दोनों ने चाय पी. तभी सुमित ने बताया कि मेरा दोस्त गन्ने के खेत में लघुशंका के लिए गया हुआ था. उसे गए बहुत देर हो गई है. चलो पहले उसे बुला लें, बाद में बातें करेंगे.

सुमित ने अपनी मोटरसाइकिल वहीं खड़ी कर दी और अंकित की मोटरसाइकिल पर बैठ कर उस गन्ने के खेत की तरफ चल पड़ा जहां अंकित कर्णवाल छिपा था. गन्ने के खेत के नजदीक पहुंच कर सुमित ने आवाज दी तो अंकित कर्णवाल खेत से निकल आया. मोटरसाइकिल अंकित चला रहा था. योजना के तहत अंकित कर्णवाल बाइक पर बीच में बैठ गया. कुछ दूर चलते ही सुनसान जगह देख कर अंकित कर्णवाल ने अंकित वर्मा के दाहिनी तरफ कमर में चाकू घोंप दिया. चाकू लगते ही अंकित वर्मा लड़खड़ा कर मोटरसाइकिल सहित गिर गया.

तभी फुरती से अंकित कर्णवाल ने उस के हाथ पकड़ लिए तो सुमित ने उस की गरदन, पेट आदि पर चाकू के 7-8 वार कर दिए. थोड़ी देर तड़पने के बाद ही उस की मौत हो गई. फिर दोनों ने उस की लाश पापुलर के बाग में खींच कर डाल दी. इस के बाद वे उसी होटल पर पहुंचे, जहां उन की मोटरसाइकिल खड़ी थी. वहां से उन्होंने अपनी मोटरसाइकिल उठाई और चांदपुर के लिए चल दिए. रास्ते में नूरपुर चांदपुर के बीच पड़ने वाली नदी में उन्होंने खून से सने कपड़े धोए.

सुमित को पता था कि लाश मिलने पर पुलिस उस के पास पहुंच जाएगी, इसलिए वह अपने घर से फरार हो गया था. उस ने बचने की लाख कोशिश की, लेकिन आखिर वह पुलिस के शिकंजे में फंस ही गया. उन की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त चाकू बरामद कर लिया. सुमित वर्मा और अंकित कर्णवाल से पूछताछ के बाद पुलिस ने दोनों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. UP Crime

कथा में मोनिका परिवर्तित नाम है कथा पुलिस सूत्रों पर आधारि

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