Hindi Stories: साधारण परिवार की असमा जावेद प्रोफेसर बनना चाहती थी. अपने ख्वाबों को ख्वाहिशों में बदलने के लिए उस ने पीएचडी भी पूरी की. इसी बीच ऐसा क्या हुआ कि उस के ख्वाब हकीकत नहीं बन सके?

इंटरमीडिएट पास करने के बाद असमा जावेद अपने कैरियर को ऊंचाईयों पर ले जाना चाहती थी. इस के लिए वह चाहती थी कि कोई प्रोफेशनल कोर्स करे, लेकिन उस के पिता की हालत ऐसी नहीं थी कि वह उसे कोई कोर्स करा सकें. उस के पिता हामिद जावेद उत्तर प्रदेश परिवहन निगम में कंडक्टर थे. उन्हें जो तनख्वाह मिल रही थी, उसी से घर चला रहे थे और बच्चों को पढ़ालिखा रहे थे. असमा के अलावा उन के 2 बेटे और एक बेटी थी. वह बड़ी बेटी की शादी कर चुके थे.

जब पिता ने प्रोफेशनल कोर्स कराने में असमर्थता जताई तो काफी सोचनेसमझने के बाद असमा ने अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने की सोची. मगर वहां दाखिला मिलना इतना आसान नहीं था. खैर उस ने मेहनत की. इस का नतीजा यह निकला कि उस ने प्रवेश परीक्षा पास कर ली और उसे बीए में दाखिला मिल गया. उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले की रहने वाली असमा नामी यूनिवर्सिटी में दाखिला मिलने पर बहुत खुश थी. उसे रहने के लिए महिला हौस्टल में कमरा भी मिल गया. चूंकि उस की ख्वाहिशें ऊंचीं थीं, इसलिए वह मन लगा कर पढ़ाई कर रही थी.

सभी कुछ ठीक चल रहा था. उन्हीं दिनों यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर से असमा की मुलाकात हुई. दोनों की मुलाकातों का सिलसिला बढ़ता गया तो वे बेहद करीब आ गए.  फिर पता नहीं अचानक क्या हुआ कि एक दिन असमा ने प्रोफेसर पर यौन शोषण का आरोप लगाते हुए इस की शिकायत यूनिवर्सिटी प्रशासन से कर दी. किसी तरह बात मीडिया तक पहुंची तो असमा जावेद अचानक सुर्खियों में आ गई. असमा के मातापिता ने जब मीडिया में बेटी की इस तरह की खबरें देखीं तो वे चिंतित हो गए. उन्होंने फोन कर के असमा से पूरी हकीकत जानी. यूनिवर्सिटी प्रशासन ने किसी तरह से असमा जावेद और उस प्रोफेसर के बीच समझौता करा दिया.

बेशक यह मामला रफादफा हो गया था, लेकिन असमा जावेद यूनिवर्सिटी के छात्रों की नजरों में एक खास लड़की बन गई. इस घटना के बाद अचानक असमा अपने घर बलरामपुर चली गई. पिता हामिद जावेद इस घटना से काफी परेशान थे. उन्हें इस बात की फिक्र थी कि कहीं असमा के लिए लड़का ढूंढने में उन्हें परेशानी न आए. वह उस की जल्द से जल्द शादी करनी चाहते थे. उन्होंने उस के लिए ठीक सा रिश्ता तलाशना शुरू कर दिया.

किसी रिश्तेदार के माध्यम से हामिद जावेद को असमा के लिए रिश्ता मिल गया. असमा के लिए आदिल अंसारी नाम का जो लड़का बताया था, वह लखनऊ का रहने वाला था और चेन्नै के किसी कालेज में प्रोफेसर था. जावेद उस लड़की को देखने के लिए लखनऊ चले गए. उन्हें आदिल पसंद आ गया. दोनों तरफ से बात होने के बाद असमा का आदिल अंसारी के साथ रिश्ता तय कर दिया गया और निर्धारित तिथि पर उन का निकाह भी हो गया. निकाह के बाद वह पति के साथ चेन्नै चली गई.

शादी के बाद असमा खुश थी. उसे उम्मीद थी कि उस की ख्वाहिशों में अब पति प्यार के रंग भर देगा, पर ऐसा नहीं हुआ. पता नहीं गृहस्थी में कैसे तनाव ने प्रवेश कर लिया. जिस की वजह से उन दोनों के रिश्तों में कड़वाहट पैदा हो गई. तनाव इतना बढ़ गया कि जिंदगी को चलाना भी मुश्किल होने लगा. अंत में असमा ने अपने मायके में लौटने का फैसला कर लिया. पिता के यहां आ कर वह फिर से पढ़ाई में जुट गई. उस का आदिल से तलाक हुआ या नहीं, यह तो पता नहीं, लेकिन आदिल अंसारी देश छोड़ कर साऊथ अमेरिका में जा कर बस गया.

पहले एक प्रोफेसर पर यौनशोषण का आरोप, फिर दांपत्य के टूटने का असमा को गहरा आघात पहुंचा. किसी तरह वह इस आघात से उबरी और दोबारा से पढ़ाई पर ध्यान देने लगी. उस ने यूनिवर्सिटी में छात्राओं के हकों के लिए मोर्चा खोल कर आवाज उठानी शुरू कर दी. इस के बाद एक दबंग लड़की के रूप में उस की छवि सामने आ गई. बीए करने के बाद उस ने उसी यूनिवर्सिटी से हिंदी में एमए किया. वह भी प्रोफेसर बनना चाहती थी. इसलिए अच्छे अंक लाने के लिए खूब मेहनत कर रही थी. यूनिवर्सिटी में उस के कई दोस्त थे. उन सभी से उस के संबंध पढ़ाई की बातों तक ही सीमित थे. वह मर्यादा में रह कर ही उन से बात करती थी.

एक बार अपने एक रिश्तेदार की शादी में असमा की मुलाकत सुलेमान नाम के एक धनाढ्य युवक से हुई, जो एक रेस्टोरेंट का मालिक था. असमा और सुलेमान के बीच फोन पर बातें होने लगीं. दोस्ती बढ़ी तो वे होटल में मुलाकात करने लगे. सुलेमान होटल में बढि़या खाना खिलाने के अलावा उसे महंगे गिफ्ट भी देने लगा. असमा ऐसी ही जिंदगी जीना चाहती थी. मुलाकातों का यह सिलसिला चलने लगा. असमा और सुलेमान के रिश्ते गहरे होने लगे. लेकिन एक दिन जब असमा को पता चला कि सुलेमान शादीशुदा है तो उसे अपने सपनों की खूबसूरत इमारत ढहती नजर आई. यह बात उस ने अपनी एक खास सहेली को बताई तो उस ने असमा को समझाया कि मजहब के मुताबिक सुलेमान 3 शादियां कर सकता है. यह बात असमा की समझ में आ गई.

उसे लगा कि यदि वह सुलेमान पर शादी के लिए दबाव डालेगी तो वह उसे दूसरी बीवी बना सकता है. असमा से नजदीकी बढ़ने पर सुलेमान का पत्नी के प्रति व्यवहार भी बदल गया था. पत्नी को शक हो गया तो वह इस की वजह ढूंढने लगी. जब उसे पता चला कि उस का पति असमा नाम की एक लड़की के साथ घूमताफिरता है तो वह भड़क उठी. उस ने पति से साफ कह दिया कि यह सब नहीं चल पाएगा. तुम अपना रास्ता बदलो, वरना ठीक नहीं होगा.

असमा की वजह से सुलेमान की गृहस्थी में कलह रहने लगी. रोजरोज के क्लेश से सुलेमान को लगने लगा कि दांपत्य में आने वाली दरार का असर जीवन में गलत होगा. घर वालों ने भी उसे असमा से दूर रहने की सलाह दी. लिहाजा उस ने असमा से दूरी बनानी उचित समझी. लेकिन यह बात उस ने असमा को जाहिर नहीं होने दी.

लेकिन असमा तो उसे दिलोजान से चाहने लगी थी. एक दिन उस ने पूछ ही लिया, ‘‘सुलेमान, अब हमें शादी कर लेनी चाहिए.’’

‘‘यह क्या कह रही हो तुम? मैं तो पहले से शादीशुदा हूं.’’ वह चौंकते हुए बोला.

‘‘जानती हूं, पर हमारे संबंध भी तो बहुत गहरे हो चुके हैं. इसलिए मैं चाहती हूं कि हमारे रिश्ते को अब नाम मिल जाना चाहिए.’’ असमा ने कहा.

‘‘यह तो नहीं हो सकता. असमा बात दरअसल यह है कि मैं अपने घर वालों की मरजी के बिना कुछ नहीं कर सकता.’’ सुलेमान ने उसे टालने की कोशिश की.

‘‘मुझ से संबंध बनाते वक्त तो तुम ने घर वालों से सलाह नहीं ली थी. और फिर तुम कोई बच्चे तो हो नहीं.’’ असमा ने गुस्से में कहा.

‘‘देखो असमा, दोस्ती की बात और है, पर सच यह है कि मैं तुम से शादी नहीं कर सकता.’’ सुलेमान ने साफ बता दिया.

‘‘तो क्या तुम मुझे बड़ेबड़े सपने दिखा कर केवल इस्तेमाल कर रहे थे. मैं एक बात बताए देती हूं कि मेरी भावनाओं के साथ खेलने का अंजाम अच्छा नहीं होगा सुलेमान.’’

असमा के तेवर देख कर सुलेमान डर गया. उस ने असमा से किनारा करने की सोच ली. उसी दौरान असमा का रिजल्ट आ गया. उस ने एमए प्रथम श्रेणी में पास कर लिया. मंजिल पाने के लिए वह पीएचडी में प्रवेश की तैयारी करने लगी. आखिर उस की मेहनत रंग लाई और प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद वह संस्कृत विभाग के प्रोफेसर आर.एन. शुक्ला के अंडर में रिसर्च करने लगी. उस का विषय था प्रेमचंद के उपन्यासों में मध्यम वर्ग की दिशा और दशा. असमा प्रो. शुक्ला के निर्देशन में रिसर्च कर रही थी. उस की मेहनत से प्रो. शुक्ला काफी खुश थे. सुलेमान से वह खफा जरूर थी, पर आर्थिक सहायता की भी जरूरत थी. पढ़ाई काफी खर्चीली थी. जबतब सुलेमान से मुलाकात होती तो वह आर्थिक सहयोग कर देता था. लेकिन संबंधों में पहले जैसी मधुरता नहीं थी.

सुलेमान के व्यवहार से असमा टूट सी गई थी. मगर उस से मिलने की उस की मजबूरी थी. सुलेमान की बेवफाई उसे कचोटती थी. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि अपना दर्द किस के साथ बांटे. यूं तो उस के कई दोस्त थे पर कोई ऐसा करीबी नहीं था, जो उस के दर्द को बांट सके. सन 2010-12 में यूनिवर्सिटी में छात्र संघ के चुनाव होने थे. असमा ने तय किया कि वह चुनाव लड़ेगी. सुर्खियों में बने रहने के लिए असमा ने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करा दिया. यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने वाली वह अकेली लड़की थी. इसी वजह से वह मीडिया के जरिए सुर्खियों में आने लगी.

असमा सोच रही थी कि यदि वह चुनाव जीत गई तो पूरी यूनिवर्सिटी पर उस की दबंगई चलेगी. पर ऐसा हुआ नहीं. वह चुनाव हार गई. इसे वह अपने जीवन की बड़ी हार मान रही थी. उसे लगने लगा कि वह हर क्षेत्र में हारी हुई लड़की है. अब वह एक ऐसे मजबूत सहारे की तलाश में थी, जो खंबे की तरह उस के साथ खड़ा रहे. जिंदगी ने एक बार फिर करवट ली और उस की मुलाकात जावेद नाम के एक प्रौपर्टी डीलर से हुई. जावेद उल हसन उर्फ जावेद अलीगढ़ की एडीए कालोनी शाहजमाल का रहने वाला था. उस की शादी करीब 11 साल पहले हो चुकी थी और वह 3 बच्चों का पिता था. असमा से मुलाकात के बाद जावेद उस से दोस्ती बढ़ाने की कोशिश करने लगा. इसी बीच असमा की रिसर्च भी पूरी हो गई और उस को डिग्री भी मिल गई.

पीएचडी पूरी करने के बाद उसे हौस्टल छोड़ना था. नौकरी मिलने तक वह अलीगढ़ में ही रहना चाहती थी. उस के सामने समस्या यह थी कि हौस्टल छोड़ने के बाद वह कहां रहे. इस बारे में उस ने जावेद से बात की. जावेद ने कोशिश कर के उसे सिविल लाइंस इलाके में स्थित अल हम्द अपार्टमेंट में एक फ्लैट किराए पर दिला दिया. उसे उम्मीद थी कि पीएचडी पूरी होने के बाद जल्द ही अच्छी नौकरी मिल जाएगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. काफी भागदौड़ के बाद भी उसे कहीं नौकरी नहीं मिली. वह जिंदगी में जिस स्थिरता को पाना चाहती थी, वह उसे नहीं मिल रही थी.

सन 2014 में वह जावेद के साथ लैक्चरार पद की परीक्षा देने के लिए इलाहाबाद गई. बाद में इस परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ तो उसे असफलता मिली. ज्योंज्यों समय गुजर रहा था, असमा निराश होती जा रही थी. अपने घर से दूर अकेली वह परेशानियों से जूझ रही थी. दोस्तों में भी कोई वफादार नहीं दिख रहा था. जावेद थोड़ाबहुत खर्चा उठा रहा था. इस की वजह यह थी कि वह उस से प्यार करता था. असमा की जावेद के साथ नजदीकियां तो थीं, पर वह उस के प्रति ज्यादा गंभीर नहीं थी. काफी सोचविचार के बाद असमा ने बीटीसी ट्रैनिंग करने की सोची. क्योंकि बीटीसी करने के बाद नौकरी मिलनी तय थी. उस ने बीटीसी करने के लिए हाथरस में दाखिला ले लिया. असमा को लगने लगा कि अब मंजिल से वह ज्यादा दूर नहीं है.

जावेद ही उसे सुबहशाम अपनी बाइक से बसअड्डे तक पहुंचाने और वहां से लाने का काम करता था. वह अपनी कोशिशों से असमा के दिल में अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहा था. इस के लिए उस ने असमा को एक टैबलेट भी भेंट में दिया था. बीवीबच्चों के होते हुए भी वह उस के साथ अपनी दुनिया बसाना चाहता था. पर उस के बारे में असमा की क्या सोच थी, उसे पता नहीं था. असमा के जीवन में जो कुछ घटित हुआ था, उस से उस के मन में कभीकभी घोर निराशा पैदा हो जाती थी. जिन ख्वाबों को उस ने ख्वाहिश बना लिया था, उस का पता दूरदूर तक नहीं था.

यूनिवर्सिटी के साथियों का साथ छूट चुका था. अब जो दोस्त थे, वे विश्वसनीय नहीं थे. इसलिए उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह किस पर विश्वास करे, किस पर नहीं. पुराने दोस्त सुलेमान से भी वह कभीकभी मिल लेती थी. लेकिन मुलाकात में पहले जैसी शिद्दत नहीं होती थी. जावेद का भी अजीब हाल था. वह जानता था कि असमा अभी भी सुलेमान से मिलतीजुलती है. वह सुलेमान को छोड़ नहीं पा रही थी. जबकि जावेद नहीं चाहता था कि असमा सुलेमान से मिले. वह उन दोनों के बीच दूरी बढ़ाना चाहता था, ताकि असमा का झुकाव पूरी तरह से उस की तरफ हो जाए.

एक दिन उस ने असमा से कहा, ‘‘असमा, सुलेमान ने तुम्हें धोखा दिया है. तुम उसे सबक क्यों नहीं सिखाती?’’

‘‘मैं क्या कर सकती हूं? वह बड़ा आदमी है.’’

‘‘तभी तो कह रहा हूं, उसे ऐसे मामले में फंसा दो कि उसे अपनी औकात समझ में आ जाए.’’

सुलेमान का खयाल आते ही असमा का दिलोदिमाग गुस्से में उबलने लगता था. क्योंकि सुलेमान ने उसे धोखा दिया था और वह उस के खिलाफ कुछ भी नहीं कर पा रही थी. जावेद की बातों में आ कर असमा ने 20 जनवरी, 2015 को सिविल लाइंस थाने में सुलेमान और उस के बड़े भाई के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी. बदनामी की वजह से सुलेमान डर गया. बाद में असमा ने सुलेमान से 5 लाख रुपए ले कर समझौता कर लिया. असमा को मोटी रकम मिलने के बाद उस के तेवर भी बदल गए. उस की अन्य जनों से भी दोस्ती हो गई. जावेद को शक होने लगा कि असमा दूसरे लोगों से देर तक बातें करती है. जबकि उस से बात करने के लिए उस के पास टाइम नहीं होता. एक दिन उस ने उस से कह भी दिया, ‘‘असमा, आजकल तुम मेरा फोन अटैंड नहीं करती हो. जब मैं तुम्हें फोन मिलाता हूं, तुम्हारा फोन अकसर बिजी होता है.’’

‘‘जिस समय तुम ने फोन मिलाया होगा, किसी से बात कर रही होऊंगी.’’ असमा ने लापरवाही से कहा.

‘‘देखो, यह सब ठीक नहीं है.’’ जावेद बोला.

‘‘क्या ठीक नहीं है. तुम कहना क्या चाहते हो?’’ इस बार उस के स्वर बदले हुए थे.

‘‘तुम छुट्टी वाले दिन कहां जाती हो? अकसर फ्लैट पर ताला लगा मिलता है.’’ उस ने पूछा.

‘‘क्या मैं तुम्हारी खरीदी हुई हूं? जावेद, तुम मेरे दोस्त हो, शौहर नहीं. इसलिए यह बात दिमाग से निकाल दो कि एक बीवी की तरह मैं तुम्हारी गुलामी करूंगी.’’

यह बात जावेद के दिल को चुभ गई. वह मन ही मन कसमसाने लगा. वह असमा को दिलोजान से चाहता था. वह नहीं चाहता था कि असमा उस के अलावा किसी और से मिले. उसे इस बात का शक था कि उस के किसी और से भी संबंध हैं, इसलिए वह उस से रूखी बातें कर रही है. जावेद उस के दोस्तों के बारे में जानना चाहता था. इस के लिए उस ने कई बार चाहा कि उस का टैबलेट चैक करे, पर असमा ने उसे टैबलेट नहीं दिया. 8 मई, 2015 की शाम को जावेद ने असमा को अलीगढ़ बसअड्डे से रिसीव किया और उस के फ्लैट पर ले गया. थकी होने की वजह से वह पलंग पर लेट गई. तभी जावेद बोला, ‘‘असमा, मैं तुम्हारा टैबलेट देखना चाहता हूं.’’

‘‘क्यों?’’ वह बोली.

‘‘बस यूं ही.’’ जावेद ने कहा.

‘‘तुम बड़े शक्की आदमी हो और शक्की लोग मुझे बिलकुल भी पसंद नहीं हैं.’’ असमा ने मन की बात कह दी.

‘‘असमा, तुम जानती हो कि मैं तुम्हें कितना चाहता हूं. लेकिन तुम ने जिस अंदाज में मुझ से बात की, वह मुझे अच्छी नहीं लगी.’’

‘‘अजीब आदमी हो. तुम तो बात के पीछे पड़ गए. अच्छा यह बताओ कि तुम मेरी जासूसी करने वाले होते कौन हो? मेरा जिस से दिल चाहेगा मिलूंगी, बोलूंगी और दोस्ती करूंगी. आज तक मेरे बाप ने मुझ पर शक नहीं किया तो तुम कौन हो शक करने वाले.’’

अब जावेद अपने गुस्से पर काबू नहीं रख पा रहा था. असमा की एकएक बात दिल में तीर की तरह चुभती जा रही थी. उस ने असमा को पकड़ कर झिझोड़ दिया. असमा ने गुस्से में उसे धक्का दिया तो जावेद का गुस्सा और बढ़ गया. उस ने दोनों हाथों से असमा का गला दबा दिया. असमा कुछ ही देर में लुढ़क गई. असमा की हालत देख कर जावेद के पसीने छूटने लगे. उसे यह भी डर लग रहा था कि अगर वह जिंदा बच गई तो उसे जेल भिजवा कर ही रहेगी. इसलिए उस ने उस के सिर पर किसी भारी चीज से कई वार किए. जब उसे विश्वास हो गया कि वह मर गई है तो उस ने उस का पर्स टटोला और उस का एटीएम कार्ड निकाला. टैबलेट और मोबाइल भी अपने कब्जे में लिया फिर बाहर निकल गया. जाते समय उस ने फ्लैट का ताला बंद कर दिया.

8 मई, 2015 को असमा के भाई सलमान ने उसे फोन किया, लेकिन उस का फोन स्विच्ड औफ जा रहा था. अगले 3 दिनों तक जब असमा का फोन नहीं मिला तो घर वाले परेशान हो गए. तब असमा के घर वाले 11 मई          को बलरामपुर से अलीगढ़ आ गए. उन्हें उस के फ्लैट का पता मालूम ही था. इसलिए वे सीधे फ्लैट पर पहुंचे. फ्लैट पर ताला लगा देख कर उन्होंने पड़ोसियों से पूछा तो कोई कुछ बता नहीं पाया.  घर वाले थाना सिविल लाइंस पहुंच गए. इंसपेक्टर सूर्यकांत से मिले और सारी बात बता कर असमा के अपहरण की आशंका जताई. सलमान की तहरीर पर पुलिस ने असमा के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कर ली. पुलिस 12 मई को असमा के फ्लैट पर पहुंची तो वहां से बदबू आ रही थी.

अड़ोसीपड़ोसी इस बदबू से परेशान थे. पुलिस ने ताला तोड़ा तो अंदर पलंग पर असमा की लाश मिली. लाश देख कर घर वालों की चीख निकल गई. बिस्तर पर खून के धब्बे थे. मृतका के गले पर गहरे निशान थे और सिर पर चोट थी. पुलिस ने पड़ोसियों से बात करने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. मृतका के पिता हामिद जावेद ने अपना शक सुलेमान पर जताया. जावेद एक हमदर्द की तरह हामिद के साथ था. उधर सुलेमान को पता चला कि उस पर असमा की हत्या का इलजाम थोपने का प्रयास किया जा रहा है तो वह परिजनों के साथ थाने पहुंच गया. उस ने पुलिस को बताया कि उसे इस मामले की कोई जानकारी नहीं है.

असमा के घर वालों के साथ लगे हुए जावेद की हरकतें पुलिस को संदिग्ध लग रही थीं. एसएसपी जे रविंद्र गौड़ ने थानाप्रभारी को जल्द से जल्द केस खोल कर हत्यारे को गिरफ्तार किए जाने के आदेश दिए. दबाव बढ़ने पर पुलिस भी केस की खोलने में जुट गई. पुलिस ने असमा के मोबाइल की काल डिटेल्स की जांच की तो पता चला कि उस की एक फोन नंबर पर ज्यादा बातें होती थीं, वह नंबर जावेद का निकला. पुलिस ने पूछताछ के लिए जावेद को हिरासत में ले लिया. पुलिस की हिरासत में आते ही जावेद के पैरों तले से जमीन खिसकने लगी. क्योंकि उसे पूरा विश्वास था कि इस मामले में वह सुलेमान को फंसा देगा. उस ने सुलेमान के खिलाफ असमा के पिता और भाई के कान भी भरे थे. तभी तो उन्होंने सीधे सुलेमान पर शक जताया था.

पांसा पलटता देख वह घबराने लगा. पुलिस ने उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने कबूल कर लिया कि उसी ने असमा की हत्या की थी. उस ने यह भी बताया कि उस की हत्या करने का उस का कोई इरादा नहीं था, लेकिन हालात ऐसे बन गए कि गुस्से में उस का गला दबा दिया. उस ने बताया कि वह असमा से प्यार करता था और उस पर खूब पैसे खर्च करता था. उसे इस बात का शक था कि असमा उस के अलावा किसी और के चक्कर में थी. इस बारे में वह उस से बात कर रहा था कि असमा उस के ऊपर भड़क गई. गुस्से में वह भी नियंत्रण खो बैठा और गला दबा कर उस की हत्या कर दी.

जावेद की निशानदेही पर पुलिस ने असमा का टैबलेट, फ्लैट की चाबियां, एटीएम कार्ड व 2 सिमकार्ड बरामद कर लिए. असमा के एटीएम कार्ड से उस ने 2 दिनों में 20 हजार रुपए निकाल लिए थे. उन में से पुलिस ने उस से 13 हजार रुपए बरामद कर लिए. असमा यदि सही रास्ते पर चलती तो उस का भविष्य उज्ज्वल हो सकता था. मगर हसरतों ने उसे बेकाबू कर दिया था. Hindi Stories

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित सुलेमान परिवर्तित नाम है.

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