वेब सीरीज जनावर : वेब सीरीज ‘जनावर: द बीस्टइन’ की कहानी रहस्य और रोमांच से भरी है. सीरीज में पुलिस अधिकारी हत्या की जांच करने निकलता है तो अन्य कई हत्याओं के भंवर में उलझ जाता है. जाति प्रथा के ऊंचनीच के भेदभाव को सीरीज में बहुत ज्यादा महत्त्व दिया गया है. यह सब सहन करते हुए पुलिस अधिकारी इस तरह तफ्तीश को आगे बढ़ाता है कि…

कलाकार: भुवन अरोड़ा, भगवान तिवारी, अतुल काले, दीक्षा सोनलकर, वैभव यशवीर, नीति कौशिक, इशिका डे, विनोद सूर्यवंशी, अमित शर्मा, अराध्या साहू, पुष्पेंद्र सिंह, आलोक मिश्रा, मंदिरा नायक, मृदुल शर्मा, देवेश वर्मा, तेजू पवार, जयराम भगवानी, सुनील साहू

निर्माता: दिनेश खेतान, अभिषेक रेगे, हरीश शाह, निर्देशक: शचींद्र वत्स, ओटीटी: जी 5, लेखक: सोनाली गुप्ता, श्रेयस अनिल, लोक्लेकर

आजकल ओटीटी प्लेटफाम्र्स पर वेब सीरीज और फिल्में देखने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, इन सभी में खासकर क्राइम और सस्पेंस थ्रिलर कंटेट की मांग तेजी से बढ़ी है. इसी ट्रेंड को देखते हुए 26 सितंबर, 2025 को एक नई वेब सीरीज ‘जनावर: द बीस्ट विदइन’ ओटीटी प्लेटफार्म जी 5 पर रिलीज हुई है, जिस में कुल 7 एपिसोड हैं. इस वेब सीरीज की कहानी तब शुरू होती है, जब पुलिस स्टेशन से एक पुलिस अधिकारी को फोन कर एक जंगल में बुलाया जाता है, जहां पर एक डैडबौडी मिलती है, जिस का सिर धड़ से अलग होता है.

यह कहानी सबइंसपेक्टर हेमंत कुमार के इर्दगिर्द घूमती है, जो अपनी गर्भवती पत्नी की देखभाल और जातिगत भेदभाव से जलते हुए एक जटिल हत्या के मामले की जांच कर रहा होता है. उस के बाद जब जांच आगे बढ़ती है तो और भी कई लाशें सामने आती हैं और रहस्य गहराता जाता है.

एपिसोड नंबर 1

पहले एपिसोड का नाम ‘देवता और दंड’ है, जिस की अवधि 27 मिनट है. एपिसोड की शुरुआत में छत्तीसगढ़ के छंद गांव में एक जंगल को हम देखते हैं, जहां पर रात को पुलिस कांस्टेबल विच्छेंद्र सिंह ठाकुर (अमित शर्मा) रात को पेट्रोलिंग ड्यूटी पर होता है. तभी उस की नजर जंगल के भीतर पड़ती है, जहां पर एक आदमी एक सड़ी हुई लाश की गरदन काट रहा होता है. तभी कांस्टेबल विच्छेंद्र की पत्नी गौरी फोन करती है तो विच्छेंद्र तुरंत फोन सुन कर अपने घर वापस लौट जाता है.

दूसरे दिन सुबह पुलिस स्टेशन छंद को दिखाया जाता है, जहां के एसएचओ इंसपेक्टर दयानंद कोसले (अतुल काले) और उन के साथ एसआई हेमंत कुमार (भुवन अरोड़ा), एएसआई बलवंत पांडे (वैभव यशवीर), विमला एक्का (इशिका डे) और मुंशी हैडकांस्टेबल मोतीलाल शर्मा (विनोद सूर्यवंशी) अपनेअपने कामों में व्यस्त हैं. कैलाश (बदरुल इसलाम) सभी पुलिस वालों को चाय पिलाने के साथसाथ उन के छोटेमोटे काम भी कर दिया करता है. तभी कैलाश एसआई हेमंत से कहता है कि गांव वाले आप सभी लोगों की नाग देवता पूजा के लिए इंतजार कर रहे हैं.

इंसपेक्टर दयानंद अपने सभी पुलिस वालों के साथ मंदिर पहुंच जाता है, जहां पर गांव वाले पूजा करने के लिए वहां एक बकरे की बलि दे कर प्रसाद तैयार करते हैं. पुलिस वालों के वहां पहुंचने पर गांव वाले बकरे का मांस और केला प्रसाद के रूप में देते हैं. जबकि हैडकांस्टेबल मोतीलाल शर्मा को ब्राह्मण और शाकाहारी होने के कारण सोयाबीन की सब्जी वाला खाना परोसा जाता है.

तभी खाना बांटने वाले से भूल से खून से सना हुआ केला हैडकांस्टेबल मोतीलाल के खाने में चला जाता है, जिस से मोतीलाल उस आदमी की बुरी तरह पिटाई करने के साथसाथ उस आदमी को नीची जाति का होने के कारण काफी भलाबुरा कहने लगता है. इंसपेक्टर दयानंद को अपने पोते के मुंडन में जाना होता है, इसलिए वह एसआई हेमंत को शाम तक थाने का चार्ज सौंप देता है. इधर हेमंत की पत्नी भी गर्भवती होती है, इसलिए हेमंत कैलाश के हाथ एक टिफिन में बकरे का मांस भिजवा देता है.

 

जैसे ही हेमंत पुलिस स्टेशन पहुंचता है तो वहां पर स्थानीय विधायक जगताप (आलोक मिश्रा) उस पर बुरी तरह से भड़कते हुए कहता है कि उस का छोटा भाई सरजू (मृदुल शर्मा) कई दिनों से घर पर नहीं आया है. हेमंत उसे एफआईआर लिखाने के लिए कहता है तो विधायक जगताप उसे धमकाते हुए कहता है कि उस की डीएसपी अनिरुद्ध पाठक (भगवान तिवारी) से बात हो चुकी है. तुम बिना रिपोर्ट दर्ज किए मेरे भाई को जल्द से जल्द ढूढो.

विधायक के जाते ही वहां पर संकेत नाम का एक वकील गांव के गणेश चंद्राकर (पुष्पेंद्र सिंह) को ले कर थाने आ कर कहता है कि ये मेरे साढ़ू भाई चंद्राकर हैं, जिन के घर से 25 लाख का सोना चोरी गया है. आप उस चोर को ढूंढिए, क्योंकि एफआईआर लिखाने में लड़की वालों की बदनामी हो जाएगी. हेमंत जब उन्हें एफआईआर लिखाने को कहता है तो वकील संकेत हेमंत को धमकी देते हुए कहता है कि मेरी डीएसपी अनिरुद्ध पाठक से बात हो गई है. वह मेरे क्लासफेलो रह चुके हैं. तुम लोग जल्दी गहनों के चोरों को ढूंढो.

तभी वहां पर हैडकांस्टेबल उन की बात सुनकर आता है और थाने में बंद एक क्रिमिनल गज्जू (रमेश बघेल) से पूछताछ करता है. गज्जू चोरों का सरदार है, उसे सभी पुलिस वाले बुरी तरह से पीटते हैं. इस बीच कैलाश आ कर हेमंत को बताता है कि गरिमा मैडम ने उन का भेजा हुआ खाना नहीं खाया. वह कह रही हैं कि वह अपने पति हेमंत के साथ ही खाना खाएंगी. यह सुनते ही हेमंत अपनी गर्भवती पत्नी गरिमा (दीक्षा सोनलकर) के पास पहुंच कर उसे खाना खिलाता है. गरिमा उसे कहती है कि उसे नहाना है.

हेमंत अपनी पत्नी को नहलाने लगता है. हेमंत और गरिमा बातें करते हैं तभी एक अनजान नंबर से काल कर के हेमंत को जंगल में किसी लाश की खबर मिलती है. हेमंत अपनी बाइक पर बलवंत को ले कर जाता है तो उसे वहां पर एक सड़ी हुई लाश मिलती है, जिस की गरदन में बड़ा घाव होता है. यह खबर मोतीलाल डीएसपी अनिरुद्ध पाठक को दे देता है तो डीएसपी घटनास्थल पर पहुंच कर इंसपेक्टर दयानंद को न पा कर उसे फोन पर डांटता है. उस के बाद डीएसपी पाठक एसआई हेमंत को इस मर्डर का जांच अधिकारी बना देता है और हेमंत की एक हफ्ते की छुट्टी कैंसिल कर देता है.

डीएसपी जाने लगता है तो हेमंत हैडकांस्टेबल मोतीलाल को लाश के पास छोड़ कर डीएसपी को गाड़ी तक छोडऩे जाता है, लेकिन मोतीलाल लाश से डरकर हेमंत के पीछेपीछे चला जाता है. जब हेमंत और मोतीलाल लाश के पास आते हैं तो वह यह देख कर चौंक जाते हैं कि तब तक कोई लाश की गरदन वहां से गायब कर चुका होता है. यहीं पर पहला एपिसोड खत्म हो जाता है. पहले एपिसोड का विश्लेषण करें तो इस में काफी खामियां नजर आ रही हैं. कांस्टेबल विच्छेंद्र का लाश को देखने के बाद भी अपनी पत्नी का फोन आने पर घर चले जाना और दूसरे दिन यह खबर अपने थाने पर न देना, यह कहानी जम नहीं पा रही है.

हेमंत और गर्भवती पत्नी का स्नान का दृश्य भी शायद वेब सीरीज की टीआरपी बढ़ाने के लिए जबरदस्ती ठूंसा गया लगता है. इस के अतिरिक्त डीएसी पाठक अपने कांस्टेबल को गाली दे रहा है, यह भी दृश्य ठीक नहीं लग रहा है. इस के अलावा डीएसपी का नाम ले कर उस की शह ले कर एफआईआर विधायक और वकील द्वारा दर्ज न कराना भी कहीं से कहीं तक तर्कसंगत नहीं लगता. डीएसपी को हीरो की तरह प्रस्तुत किया गया है जैसे वह एक माफिया हो, गुंडा हो और पूरे इलाके का सर्वेसर्वा हो, लेकिन विधायक का गुलाम भी हो.

एपिसोड नंबर 2

दूसरे एपिसोड का नाम ‘और एक गांठ’ रखा गया है, जिस की अवधि लगभग 20 मिनट की है. एपिसोड की शुरुआत में हेमंत पुलिस टीम के साथ होता है, तभी वह गांव वालों को सामान ले जाते देखता है. वे लोगों के सामान को चैक करते हैं, लेकिन उन्हें उन में कटा हुआ सिर नहीं मिलता. मोतीलाल सिर के गायब होने की खबर डीएसपी पाठक को दे देता है. डीएसपी अब इंसपेक्टर दयानंद को धमकी देता है कि यदि लाश का सिर बरामद नहीं हुआ तो तुम सब की नौकरी चली जाएगी.

अब इंसपेक्टर दयानंद पूरी टीम के साथ रात को जंगल में गांव के लोगों के साथ सर्च अभियान चलाता है तो जंगल में शंभू नाम का एक व्यक्ति घूमता मिला. उस से मारपीट कर के जब पुलिस पूछताछ करती है तो वह लाश या कटे हुए सिर के बारे में अनभिज्ञता जाहिर करता है. तभी हौस्पिटल से फोन आता है कि गरिमा को लेबर पेन होने के कारण यहां पर भरती कर दिया गया है. इंसपेक्टर दयानंद हेमंत को एएसआई बलवंत के साथ हौस्पिटल भेज देता है. जब हेमंत हौस्पिटल पहुंचता है तो उस की सास उस पर बिगड़ जाती है. असल में हेमंत नीची जाति का था और उस की पत्नी गरिमा उच्च जाति से थी. दोनों ने घर से भाग कर शादी कर ली थी, इसलिए गरिमा के मातापिता शुरू से ही हेमंत को नापसंद करते थे.

इस बीच गरिमा की डिलीवरी हो जाती है. जब तक हेमंत वहां पर जाता, उस के पहले ही उस के सासससुर गरिमा के पास पहुंच जाते हैं. हेमंत का बेटा भी हो जाता है, लेकिन फिर भी वह अपने बेटे को देख नहीं पा रहा था. जब इस बात का पता गरिमा को चलता है तो वह नर्स से कहती है कि बच्चे को सब से पहले उस के पिता हेमंत ही गोद में लेगा. यह कहते हुए वह अपने मातापिता को अपने कमरे से चले जाने को कहती है. दूसरे दिन सुबह जब हेमंत पुलिस स्टेशन जाता है तो वहां मोतीलाल कैलाश से अपने पैरों की मालिश कराता हुआ दिखाई देता है. जब कैलाश जोर से उस की टांग को खींचता है तो मोतीलाल उसे लात मार कर उसे गंदीगंदी गालियां देने लगता है. यह देख कर हेमंत को बहुत दुख होता है.

अब एसआई हेमंत पोस्टमार्टम करने वाले उस डौक्टर के पास जाता है, जिस ने उस संदिग्ध सड़ी लाश का पोस्टमार्टम किया था. डौक्टर हेमंत को बताता है कि उस लाश में कहीं न तो जोरजबरदस्ती की गई है और न ही इसे जहर दे कर मारा गया है. डौक्टर बताता है कि ऐसा ही एक केस पास वाले गांव से आया था. इस लाश से भी सिर गायब था, जिस के कारण वह केस और ये वाला केस भी पेंडिंग है. तभी वहां पर विधायक जगताप लाश की शिनाख्त करने आता है और डौक्टर से लाश का सीधा हाथ दिखाने को कहता है.

उसे देख कर विधायक इस बात की पुष्टि कर देता है कि यह लाश उस के छोटे भाई सूरज का नहीं है, क्योंकि सूरज के सीधे हाथ की एक अंगुली पहले एक दुर्घटना में कट गई थी. यह सब सुन कर जांच अधिकारी हेमंत का सिर चकरा जाता है, क्योंकि एक तो लाश का सिर गायब था और दूसरा यह लाश सूरज की भी नहीं थी. तो फिर सूरज आखिर कहां था? यह सड़ी लाश किस की हो सकती है? उस के साथ ही गहनों की चोरी वाला केस भी अभी तक पेंडिंग था. इस के साथ ही दूसरा एपिसोड यहीं पर समाप्त हो जाता है.

दूसरे एपिसोड की बात करें तो यहां पर ऊंची जाति और नीची जाति को बारबार दिखाने का प्रयास किया गया है. उन सब के साथ भेदभाव करते हुए नकारात्मक पहलू के रूप में इस तरह से प्रस्तुत किया है जिस से हमारे समाज में यह भावना अभी तक भी वैसी ही है. एक मुंशी मोतीलाल खुलेआम एक दलित को लात मारता है, उसे गालियां देता है जबकि उस का सीनियर सबइंसपेक्टर हेमंत चुपचाप रहता है. जिस में असलियत कम और नाटकीयता अधिक दिखाई दे रही है.

एपिसोड नंबर 3

तीसरे एपिसोड का नाम ‘जाति कभी नहीं जाती’ रखा गया है, जिस की अवधि 23 मिनट है. एपिसोड की शुरुआत में मुंशी मोतीलाल हेमंत को बताता है एक बिना गरदन वाले केस में पकड़े गए आरोपी को केस बंद होने के कारण छोड़ दिया गया था, जो अभी पास के देवला गांव में रहता है. हेमंत अपनी टीम के साथ देवला गांव पहुंच जाता है, जहां पर गांव वाले अपने आराध्य नाग देवता की पूजा कर रहे होते हैं. वहां पर महंत के बेटे रघुराम (हर्षवर्धन पटनायक) पर नाग देवता की सवारी आ जाती है. तभी हेमंत को एक संदिग्ध व्यक्ति नजर आता है.

जैसे ही वह उस व्यक्ति तक पहुंचता है, रघुराम उस संदिग्ध व्यक्ति को पकड़ कर हेमंत की ओर देखते हुए कहता है कि उसे जो चाहिए वह मिल जाएगा. तभी हेमंत को एएसआई विमला फोन पर बताती है कि उस की पत्नी गरिमा की आंखों में इंफेक्शन होने के कारण वह उसे हौस्पिटल ले जा रही है. हेमंत की समझ में अब यह नहीं आता कि वह अभी हौस्पिटल जाए या उस संदिग्ध व्यक्ति को पकड़े. वह उस संदिग्ध व्यक्ति के पास जाने को होता है तभी रघुराम जोर से चिल्लाते हुए एक लाश का सीधा हाथ जमीन के अंदर से निकालता है, जिस के हाथ के बीच की अंगुली नहीं थी. इस का मतलब पुलिस को वहां पर सरजू की लाश मिल जाती है.

अगले दिन हेमंत को पता चलता है कि सरजू ने अपनी पत्नी के भाई मामा से मारपीट कर उस का सिर फोड़ा था, इसलिए यह सोच कर कि कहीं मामा ने ही तो सरजू का मर्डर नहीं किया है, मामा से पूछताछ करने अपनी पुलिस टीम के साथ मामा के घर पर जाता है. वहां पर हेमंत की नीची जाति होने के कारण मामा उस से सही तरीके से बात नहीं करता. तभी घर के अंदर से सूरज की पत्नी सुधा आ कर हेमंत को बताती है कि मेरे भाई मामा ने और उस के बेटे ने ही सूरज का मर्डर किया है.

उस के बाद वह गुस्से से लकड़ी उठा कर अपने भाई मामा के सिर पर वार करने वाली होती ही है कि तभी हेमंत सुधा का हाथ पकड़ लेता है. हेमंत के हाथ पकडऩे के कारण अब सुधा भी हेमंत को नीची जाति का होने के कारण डांटने लग जाती है कि उस ने मुझे अपवित्र कर दिया. अब हेमंत किसी तरह अपने को काबू में कर बलवंत को सुधा के बयान लेने को कहता है. उस के बाद हेमंत मामी और उस के बेटे को गिरफ्तार कर पुलिस स्टेशन ला कर उन दोनों से मारपीट कर पूछताछ करता है.

बलवंत जब मामा से मारपीट करता है तो मामा की लैट्रिन निकल जाती है, तब सभी पुलिस वाले बदबू के कारण बाहर आ कर कैलाश से मामा की सफाई वाले करवाते हैं. तभी पुलिस स्टेशन में इंसपेक्टर दयानंद आ कर हेमंत से चंद्राकर के गहनों की चोरी के केस के बारे में पूछता है. इस के बाद हेमंत चंद्राकर के घर जाता है तो वहां पर चंद्राकर की अपाहिज बीवी उपासना (मंदिरा नायक) व बेटी सावित्री होते हैं. उपासना हेमंत को धमकी देते हुए कहती है कि यदि उस के 25 लाख रुपए के गहने नहीं मिले तो वह वकील संकेत से कह कर हेमंत की वरदी उतरवा देगी.

जब हेमंत पुलिस स्टेशन पहुंचता है तो लोगों की भीड़ देखता है, जो शंभू को रिहा करवाने के लिए पुलिस के खिलाफ नारे लगा रही होती है. तभी मोतीलाल चुपके से आ कर हेमंत को बताती है कि शंभू कोई हरकत नहीं कर रहा है. कहीं मारपीट के कारण वह मर तो नहीं गया. हेमंत घबरा जाता है, तब कांस्टेबल विच्छेंद्र सिंह बीड़ी से शंभू को हिलाने की कोशिश करता है तो शंभू एकदम से होश में आ जाता है. इस के बाद हेमंत शंभू को रिहा कर देता है. अब हेमंत ने पुलिस स्टेशन में महंत और उस के बेटे रघुराम को पूछताछ के लिए बुलवा लिया था, जहां पर हेमंत रघुराम से यह जानने की कोशिश करता है कि सरजू की लाश क्या नाग देवता ने ही निकाली थी या फिर कहां रघुराम नाग देवता की आड़ में अपने किसी अपराध को छिपाने की कोशिश तो नहीं कर रहा था.

यह सुन कर रघुराम हेमंत पर गुस्सा हो कर चिल्लाने लगता है कि वरदी पहन लेने से किसी इंसान की जाति बदल नहीं जाती. तीसरे एपिसोड में भी लेखक ने नीची जाति के बारे में अपनी भड़ास निकालने की भरपूर कोशिश की है. एक दृश्य में मामू की मारपीट के दौरान उस की लैट्रिन आने और फिर कैलाश द्वारा उस की सफाई कराए जाना भी कहीं से कहीं तक तर्कसंगत नहीं लगता. अभिनय की दृष्टि से भी कलाकारों को लेखक व निर्देशक ने अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर ही नहीं दिया है.

लेखक व निर्देशक ऊंची जाति और नीची जाति की कल्पना में कहानी को बस केवल इधरउधर घुमाते हुए दिखाई दे रहे हैं.

एपिसोड नंबर 4

चौथे एपिसोड का नाम ‘पुराना पाप’ रखा गया है. इस की अवधि 21 मिनट की है. एपिसोड की शुरुआत में लोगों द्वारा बारबार नीची जाति का उलाहना से व्यथित हेमंत नाग देवता के मंदिर पर जाता है और वहां पर रघुराम द्वारा कही गई बातों पर विचार करता है. वापस लौटते समय उसे रास्ते में कैलाश मिलता है, जिस की साइकिल का टायर पंक्चर हो गया था. कैलाश हेमंत से कहता है कि वह साइकिल ठीक करा कर पुलिस स्टेशन आ जाएगा.

पुलिस स्टेशन में अब इंसपेक्टर दयानंद अपनी पुलिस टीम के साथ हवालात में बंद मामू और उस के बेटे से पूछताछ करता है तो वे बताते हैं कि आप लोग हमें न मारें, हम दोनों ने पहले सरजू के सिर पर कुल्हाड़ी से वार किया और बाद में मामू ने सरजू का गला दबा कर उसे मार डाला. इसे सुन कर हेमंत समझ गया था कि ये दोनों झूठ बोल रहे थे, क्योंकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ऐसा कोई तथ्य सामने नहीं आया था.

जब दोनों से सख्ती से पूछताछ की जाती है तो वे दोनों बताते हैं कि उन्हें मोतीलाल और कैलाश ने झूठा जुर्म कुबूल करने को कहा था और फिर कोर्ट में मुकर जाने को कहा था. इस से वे दोनों पुलिस की मार से बच सकते थे. हेमंत अब मामू और उस के बेटे का गांव से बाहर न जाने की हिदायत दे कर पुलिस कस्टडी से रिहा कर देता है. अब पुलिस स्टेशन में जगदीश साहू नाम का एसआई आ कर बताता है कि वह उस सिर कटी लाश का जांच अधिकारी था, जो घटना पड़ोस के गांव में घटी थी.

वह बताता है कि उसे यह शक था कि वह लाश उन के गांव से गायब हुए युवक शिवा की हो सकती है, जो गांव की एक युवती से प्यार करता था, पर अब शिवा के साथसाथ वह युवती भी गायब है. जगदीश साहू यह भी बताता है कि लाश का सिर नहीं मिल पाया था, इसलिए यह कंफर्म नहीं हो पाया था कि वह शिवा की ही लाश थी. पर लाश की कदकाठी शिवा की तरह ही थी. यह सुन कर हेमंत काफी परेशान हो जाता है तो उस के सहयोगी उसे टेंशन न लेने व अपनी पत्नी गरिमा व बच्चे के साथ कुछ वक्त बिताने की सलाह देते हैं ताकि उस की टेंशन कुछ कम हो सके.

अब हेमंत उन की बात मान कर अपनी पत्नी और बेटे के पास जाता है, तभी उसे पता चलता है कि गांव के चंद्राकर के घर के पास दूसरे एक घर में चोरी होने वाली है. हेमंत तुरंत वहां बलवंत के साथ पहुंच जाता है तो वहां पर सचमुच चोरी करने आए 2 लोग उन के हाथ लग जाते हैं. तभी वहां पर कैलाश भी अपनी बेटी गरिमा (आराध्या साहू) के साथ आ जाता है. पहले हेमंत कैलाश से पुलिस स्टेशन में कैलाश के साथ बलवंत द्वारा की गई मारपीट के लिए माफी मांगता है और फिर कैलाश की बेटी गरिमा को कुछ पैसे देता है. गरिमा पैसे लेने से इंकार करते हुए कहती है कि उस के पापा कैलाश उस की हर इच्छा पूरी कर देते हैं.

अगले दिन एएसआई विमला को यह पता चलता है कि दूसरे गांव से गायब हुए शिवा के मोबाइल पर किसी बल्लू नाम के आदमी ने अपनी सिम डाल कर 3 लोगों से बात की थी. उन में से एक पंडी नाम के आदमी को भी फोन किया गया था, जिस के मोबाइल की लोकेशन शिवा की लोकेशन से मैच कर रही थी. यह खबर मिलते ही हेमंत एएसआई बलवंत के साथ पंडी के पास पहुंच जाता है जो एक सब्जी विक्रेता था. पंडी से बल्लू को कौल कराए जाने पर पता चलता है कि वह तो अपने पड़ोस के घर में एक दोस्त के घर पर है.

हेमंत और बलवंत वहां पहुंच जाते हैं, उसे मारपीट कर जब शिवा के बारे में बलवंत पूछताछ करने लगता है, तभी हेमंत को उस घर के अंदर कैलाश की बेटी गरिमा दिखाई देती है. बल्लू बताता है कि कैलाश उस का दोस्त है. यह सुन कर तो अब हेमंत के होश ही उड़ जाते हैं. उसे यह समझ आ रहा था कि शिवा का फोन आखिर कैलाश के पास कैसे पहुंच गया. जब कैलाश से हेमंत और बलवंत पूछताछ करते हैं तो वह साफसाफ मना कर देता है कि उस के पास तो कोई मोबाइल फोन ऐसा है ही नहीं. मगर हेमंत इस लीड को हाथ से नहीं जाने देना चाहता था, इसलिए वह बलवंत के साथ मिल कर कैलाश के घर की तलाशी करने लगते हैं तो वहां पर कैलाश के कमरे की अलमारी की तिजोरी के अंदर उन्हें शिवा का मोबाइल फोन मिल जाता है.

जिसे देख कर कैलाश घबराते हुए कहता है कि कोई उसे फंसाने की कोशिश कर रहा है, उस के पीछे पड़ा हुआ है, क्योंकि उस के पास सचमुच कभी भी ऐसा कोई मोबाइल था ही नहीं. इसी के साथ यहीं पर चौथा एपिसोड भी समाप्त हो जाता है. चौथे एपिसोड की बात करें तो यहां पर मोतीलाल शर्मा जोकि खुद हैडकांस्टेबल है और थाने का मुंशी भी है, लेकिन वह अपनी मनमरजी से काम करते और ऐश करता हुआ दिखाया गया है. उस के ऊपर हेमंत तो दूर की बात है, थाने के एसएचओ इंसपेक्टर दयानंद का डर तक नहीं है.

यह दिखलाया जाना दर्शकों की समझ से बाहर है. क्या लेखक ने यह दर्शाने का प्रयास किया है कि चाहे वह छोटी पोस्ट पर ही क्यों न हो, यदि ऊंची जाति का है तो वह अपनी मनमरजी कर सकता है? यह लेखक का एक बहुत कमजोर पक्ष साफसाफ दिखा रहा है.

एपिसोड नंबर 5

पांचवें एपिसोड का नाम ‘अप्सरा’ है, जिस की अवधि 22 मिनट की है. एपिसोड की शुरुआत में बलवंत बिल्लू को पुलिस स्टेशन की कोठरी में ले जा कर उस की जम कर पिटाई करता है, जबकि कैलाश को कोठरी के बाहर बिठाया जाता है. उस के बाद बलवंत अब कैलाश की भी पिटाई करने लग जाता है तो विमला हेमंत से कहती है कि मुझे तो कैलाश निर्दोष लगता है, आप उसे बचाइए न!

इस पर हेमंत कोठरी के अंदर जा कर बलवंत को रोकता है और कैदाश को सहारा दे कर बाहर लाता है और उस से पूछताछ भी करने लगता है. तब कैलाश हेमंत को बताता है कि वह मोबाइल फोन उस ने एक शराबी से सस्ते दामों पर अपनी बेटी गरिमा के लिए खरीदा था. थाने में अब हेमंत और बलवंत उन दोनों चोरों को पीटते हैं जिस से कि वह चंद्राकर के गहनों की चोरी के बारे में कुछ बता सकें. ये दोनों वही चोर हैं, जिन्हें कैलाश की निशानदेही पर चंद्राकर के घर के नजदीक से हेमंत और बलवंत ने गिरफ्तार किया था.

वे दोनों चोर चंद्राकर के घर में चोरी के बारे में तो कुछ नहीं बता पाते, लेकिन चोरी के गहने जो सुनार खरीदा करता था, उस के बारे में हेमंत को बता देते हैं. यह सुनते ही हेमंत बलवंत को ले कर सीधा उस सुनार के पास पहुंच जाता है और वह सुनार मार के डर से सारा चोरी हुआ सोना हेमंत को सौप देता है. इतने में पुलिस स्टेशन में वकील संकेत अपने साले चंद्राकर को ले कर आता है और दयानंद से कहता है कि उस ने गरीब और नीची जाति का होने के कारण जानबूझ कर चंद्राकर के चोरी हुए गहनों की खोज में लापरवाही की है.

इंसपेक्टर दयानंद फिर कैलाश से 2 चाय मंगवाता है. एक वह संकेत को देता है और एक कप खुद पीने लगता है. अब संकेत उस चाय को नहीं पीता, क्योंकि कैलाश एक नीची जाति का था. तब इंसपेक्टर दयानंद संकेत को खूब खरीखोटी ऊंची जाति और नीची जाति के बारे में सुनाता है. तब इंसपेक्टर दयानंद वहां पर हेमंत को बुला कर सुनार से मिले सोने की पूछताछ करता है. तभी वहां पर एएसआई विमला आ कर बताती है कि सुनार के घर से बरामद सोने में चंद्राकर का सोना नहीं है. यह सुन कर चंद्राकर रोने लग जाता है कि वह अब अपनी बेटी सावित्री की शादी कैसे कर पाएगा.

उस के बाद इंसपेक्टर दयानंद सुनार के घर से बरामद सोने में से एक लाख रुपए का सोना चंद्राकर को देने के लिए मान जाता है, क्योंकि ये सभी सोने की बरामदगी पुलिस द्वारा करने के बाद ये सब सरकारी खजाने में ही जाने वाला था. तभी वहां पर विधायक जगताप आ कर सरजू मर्डर केस को लाश की पहचान वाली फाइल पर सिग्नेचर करने लगता है. उस समय हेमंत को कुछ याद आ जाता है और वह चोरी हुए गहनों में से एक सोने की चेन ले कर जगताप के पास आता है, क्योंकि वह चैन सरजू के पिता ने उसे दी थी.

अब यह साफ हो गया था कि वह सोने की चेन सरजू तो खुद नहीं बेच सकता था. जिस ने भी सुनार को यह सामान बेचा था, वही सरजू व अन्य का कातिल हो सकता था. इस के बाद जब सुनार की पिटाई होती है तो उसे याद आ जाता है कि उसे एक ही आदमी ने पूरा सोना बेचा था. वह कैलाश ही था. यह सुन कर हेमंत की खोपड़ी तो पूरी की पूरी घूम जाती है. अब अगले दिन हेमंत कांस्टेबल विच्छेंद्र से कैलाश की बीवी मंदा (नीति कौशिक) के बारे में पूछताछ करता है तो विच्छेंद्र बताता है कि मंदा इतनी सुंदर थी कि गांव के सभी मर्द उस पर लट्टू थे.

तभी हेमंत को याद आता है कि कैलाश अपनी बेटी गरिमा से अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता है. इसलिए हेमंत गरिमा को उस की दादी के साथ पुलिस स्टेशन कैलाश से मिलने के लिए बुला देता है. फिर कैलाश यह स्वीकार कर लेता है कि उसी ने सरजू का मर्डर किया था. यह सुन कर तो हेमंत हक्काबक्का ही रह जाता है, क्योंकि कैलाश जैसा सीधासादा इंसान जिस के ऊपर गांव वालों और पुलिस को तक शक नहीं हो पाया था, वह एक मर्डर कर भला इतनी शांति से कैसे रह सकता है. इसी के साथ पांचवां एपिसोड यहां पर समाप्त हो जाता है.

पांचवें एपिसोड में भी काफी खामियां साफसाफ दिखाई दे रही हैं. लेखक ने यह दिखाया है कि इंसपेक्टर ने अपनी मरजी से सुनार से बरामद सोना चंद्राकर को देने के लिए तैयार हो जाता है, क्योंकि वह सारा सोना तो सरकारी खजाने में ही जाने वाला था. लेखक एक तरह से पुलिस को चोरी करने का एक तरीका बताने का प्रयास कर रहा है. लेखक के कैलाश के चरित्र को सीधासादा दिखा कर उसे एक गंभीर शातिर अपराधी के रूप में प्रोजेक्ट कर के केवल रोमांच पैदा करने की कोशिश की है.

एपिसोड नंबर 6

छठवें एपिसोड का नाम ‘और कौन’ रखा गया है, जो 32 मिनट का है. शुरुआत में फ्लैशबैक में दिखाया जाता है कि सरजू कैलाश के घर सब्जियां देने जाता है, क्योंकि सरजू के पुराने घर से नए घर में शिफ्ट कराने में कैलाश ने उस की काफी मदद की थी. कैलाश सरजू को चाय पीने घर के अंदर बुला कर अपना पत्नी मंदा को चाय बनाने को कहता है. तभी मंदा कहती है कि घर में दूध खत्म गया है, इसलिए कैलाश सरजू को घर में बिठा कर कर खुद दूध लेने चला जाता है. सरजू तो मंदा पर पहले से ही फिदा था, वह दरवाजा धीरे से बंद कर के मंदा को अपनी बांहों में भर कर उस से इंटीमेट होने लगता है.

यहां पर मंदा भी उस के साथ सहयोग कर रही थी, लेकिन तभी वहां पर कैलाश आ कर उन दोनों को उस हालत में देख लेता है. वह सरजू को तो कुछ नहीं कह पाता, लेकिन मंदा को काफी भलाबुरा कह कर फिर खुद जमीन में बैठ कर रोने लग जाता है. अब सरजू भी उस से अपने किए की माफी मांग कर वहां से चला जाता है तो कैलाश पीछे से सरजू पर अपना चप्पल फेंक कर मार देता है. फ्लैशबैक में जब मंदा गायब हुई थी तो कैलाश तालाब के किनारे बैठा था तो सरजू कैलाश के साथ बैठ कर खूब शराब पीने लगता है. नशे के दौरान वह कैलाश से कहता है कि तुम मंदा को जल्दी ढूंढ लो, वह बहुत अच्छी है. बस केवल एक रात के लिए उसे मेरे पास जरूर भेज देना.

यह सुन कर पहले तो कैलाश सरजू को एक लात मारता है और फिर पत्थर से उस का सिर फोड़ कर उसे मार डालता है. उस के बाद कैलाश उस की गरदन से सोने की चेन निकाल कर सरजू को देवला गांव में दफना देता है. अब सीन वर्तमान में आ जाता है. कैलाश के मुंह से यह सब सुन कर इंसपेक्टर दयानंद, हेमंत और सभी पुलिस वाले हैरान रह जाते हैं. दयानंद यह खबर डीएसपी पाठक को तो हेमत अपनी पत्नी गरिमा को बताता है. तब कैलाश मंदा को डांट कर रोने लग जाता है. उस के बाद एक टीचर अपनी अंगुली से सोने की अंगूठी निकाल कर कैलाश को दे कर यह कहता हुआ चला जाता है कि यह बात किसी को पता नहीं लगनी चाहिए.

टीचर के जाते हो कैलाश खुश हो कर अंगूठी को देखने लग जाता है, क्योंकि असल में कैलाश और मंदा यह प्लान बना कर गांव वालों को लूट रहे थे. बदनामी के डर से आदमी उन्हें कुछ न कुछ जरूर दे कर जाते थे. अब सीन वर्तमान में आ जाता है, जहां पर टीचर हेमंत को बताता है कि यह अंगूठी उसे शादी में मिली थी और उस की पत्नी यह अंगूठी वापस चाहती थी, इसलिए अपनी पत्नी के डर से वह बारबार कैलाश से वापस अपनी अंगूठी मांग रहा था. उस के बाद टीचर से अन्य लोगों के नाम मालूम होने पर हेमंत उन सब से पूछताछ करता है तो यही बात पता चलती है कि जो सरजू और टीचर के साथ हुआ था, वही उन के साथ भी हुआ था.

अब सरजू मर्डर केस तो लगभग पूरा हो चुका था, लेकिन उस का सिर बरामद नहीं हो सकता था, इसलिए हेमंत इस केस के लिए कुछ और वक्त मांगने के लिए डीएसपी पाठक से कहता है. इस के बाद हेमंत सभी पुलिस वालों से कहता है कि उस की मरजी के खिलाफ कोई भी कैलाश से कुछ नहीं कहेगा, उस को स्वतंत्र छोड़ दिया जाता है. हेमंत कैलाश से कहता है कि यह केस तो अब क्लोज हो गया है, जिस में कैलाश को 7 साल की सजा ही होगी, लेकिन यदि बाद में कुछ और कैलाश के खिलाफ आएगा तो फिर उस की सजा काफी लंबी हो सकती है.

हेमंत उसे कहता है कि वह भी कैलाश की तरह नीची जाति का है, इसलिए वह उसे सब कुछ सचसच बता देगा तो वह उस की सजा कम करा सकता है. उस के बाद कैलाश बताता है उस ने अब तक बहुत मर्डर किए हैं, जिन में सरजू, शिवा, भवनेश्वर, मुरगन, कृष्णा, अभय जगन्नाथ सहित कई नाम शामिल थे. उस के बाद बाहर आ कर पहले हेमंत पानी पीता है, उस के बाद इंसपेक्टर दयानंद को बाहर उस जगह पर ले कर जाता है, जहां पुलिस स्टेशन के नोटिस बोर्ड पर मिसिंग परसन के नाम लिखे हुए थे. जिन सभी को कैलाश ने मारा था.

दूसरी तरफ पुलिस स्टेशन की कोठरी में कैलाश मजे से बीड़ी पी रहा होता है. उस के चेहरे से साफसाफ पता चलने लगता है कि वह किस तरह का साइको किलर था. इसी के साथ छठां एपिसोड यहीं पर समाप्त हो जाता है. छठें एपिसोड की बात करें तो उस का टाइटिल ‘और कौन’ रखा गया है, जिस का इस एपिसोड से कोई ताल्लुक जैसा बिलकुल भी नहीं लग रहा है. इस के अलावा जब टीचर हेमंत को बताता है कि वह अपनी शादी वाली अंगूठी कैलाश से वापस लेने के लिए उसे बारबार फोन किया करता था, यह तथ्य भी काल्पनिक सा लगता है. अगर हम अपनी वही शादी वाली अंगूठी कैलाश से वापस चाहिए थी तो वह पैसों का लालच दे कर उसे वापस मांग सकता था. यह तथ्य और दृश्य भी नाटकीय सा लग रहा है.

एपिसोड नंबर 7

सातवें और आखिरी एपिसोड का नाम ‘साला जनावर’ रखा गया है, जिस की अवधि 33 मिनट है. एपिसोड की शुरुआत में हम देखते हैं कि इतने सारे कत्ल स्वीकार करने के बाद भी कैलाश को अभी भी हिरासत में न ले कर खुला ही छोड़ा हुआ था. इस बीच कैलाश से पूछताछ करने पर हेमंत को चंद्राकर के बारे में एक खास बात पता चल जाती है. हेमंत अब तुरंत चंद्राकर के घर पर जा कर पूछताछ करने लगता है. पहले तो बताने में चंद्राकर आनाकानी करता है, मगर जब हेमंत उसे कहता है कि उसे कैलाश ने सब कुछ बता दिया है तो चंद्राकर बताता है कि वह भी मंदा से प्यार करने लगा था. मगर नंदा और कैलाश उसे धीरेधीरे ब्लैकमेल कर पैसे ऐंठने लगे थे.

यहां तक कि चंद्राकर ने खुद ही कैलाश से अपने घर गहनों की चोरी कराई थी, इसीलिए पुलिस स्टेशन में उस ने जानबूझ कर अपने ही गहनों को पहचानने से इंकार किया था. हेमंत ये सभी बातें इंसपेक्टर दयानंद को फोन पर बताता है. अगले दिन डीएसपी पाठक कैलाश को बुरी तरह से पिटवाता है तो अब कैलाश बिलकुल भी अपना मुंह तक नहीं खोलता. दयानंद तब डीएसपी से कहता है कि यदि कैलाश का मुंह खुलवाना है तो वापस हेमंत को यह केस देना होगा, इसलिए अब डीएसपी पाठक हेमंत को बुला कर यह केस उसे दे देता है.

हेमंत अब कैलाश को लौकअप से निकाल कर कपड़े पहनने को देता है, फिर उस का डौक्टर के पास इलाज करवा कर उसे खाना खिलाता है. उस के बाद वह कैलाश को उस की बेटी गरिमा से मिलाता है, यह सब कैलाश को अच्छा लगता है. अब हेमंत कैलाश को ले कर जंगल में एक झरने के पास ला कर वहां पर बातें करने लग जाता है. हेमंत उसे बताता है कि वह एक नीची जाति से है, इसलिए उसे भी बचपन से काफी प्रताडऩा सहनी पड़ी थी, मगर अब वह अपने बेटे को अपनी अच्छाई और तजुर्बे से इतना मजबूत बनाना चाहता है कि उसे अपनी जाति पर गर्व महसूस हो सके.

कैलाश को अब अपनी बेटी गरिमा की याद आने लगती है, जिसे वह भी खुद बड़ा बनाना चाहता है. इसलिए जब हेमंत उस से लाशों के बारे में पूछता है तो कैलाश उसे सब बताने लगता है. कैलाश बताता है कि उस का भाई मंदा को भगा कर ले आया था, लेकिन शादी वाले दिन उस के भाई की एक हादसे में मौत हो गई. जिस के कारण मंदा से सहमति पा कर उस ने मंदा से शादी कर ली थी. इस बीच उन की जिंदगी में गरिमा आई तो कैलाश ने उस के लिए अपनी हर खुशी कुरबान कर दी, लेकिन दूसरी तरफ मंदा को न तो कैलाश की फिक्र थी और न ही गरिमा की, मंदा तो अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए दूसरे लोगों के साथ अवैध संबंध बनाने लगी थी.

एक दिन ऐसा भी आया, जब वह अपने एक आशिक के साथ उसे और गरिमा को छोड़ कर भाग गई थी. कैलाश बताता है कि मंदा के जाने के बाद पैसे की कमी के कारण कैलाश ने मंदा के पहले से बने हुए शिकारों को लूटना शुरू कर दिया था. जो उसे समय पर पैसा दे दिया करता था, उन का वह कुछ नहीं करता था, लेकिन जो उस के साथ दुव्र्यवहार करते और उसे पैसे देने से इंकार करते थे, वह उन्हें मार कर जंगल में दफन कर दिया करता था.

इन सब बातों को बताने के बाद कैलाश रोना शुरू कर देता है तो हेमंत उसे संभालता है और एक पत्थर पर बिठा देता है. इस के बाद हेमंत एक साइड में जा कर सारी बातें इंसपेक्टर दयानंद को बता देता है. यहां तक कि इस बार कैलाश की सारी बातें हेमंत ने रिकौर्ड भी कर ली थीं. अब हेमंत कैलाश को अपनी बाइक पर बिठा लेता है तो कैलाश उसे सारी लाशें जहां दफन की थीं, उस के बारे में बताने लगता है.

एक जगह कैलाश बाइक रुकवा कर काफी देर तक एक पेड़ के नीचे टायलेट करता है. इस बीच हेमंत अब फोन कर के एसआई बलवंत, मुंशी मोतीलाल और कांस्टेबल विच्छेंद्र की जंगल में बुला लेता है, अब एकएक कर के कैलाश वह जगह बताने लगता है, जहां पर उस ने लाशें गाड़ी थीं. बलवंत, मोतीलाल और विच्छेंद्र गड्ïढा खोदखोद कर के कंकाल निकालते हैं और काफी थक जाते हैं. बाद में फिर शिवा का कटा हुआ सिर भी बरामद हो जाता है. इस तरह हेमंत के सभी मर्डर केस सौल्व हो जाते हैं और कैलाश को लंबी सजा हो जाती है.

लेकिन अब जेल में बंद कैलाश एकदम निश्चिंत था, क्योंकि उस ने ये बातें हेमंत को बताई भी थीं कि उसे अपनी बेटी गरिमा की बहुत चिंता है. क्योंकि कैलाश जानता था कि हेमंत उस की बेटी गरिमा को एक अच्छा भविष्य जरूर देगा. अब हेमंत कैलाश की बेटी को कानूनी रूप से अडाप्ट कर अपने घर ले जाता है, जहां पर उस की पत्नी गरिमा छोटी गरिमा को देख कर खुश हो कर उस का स्वागत करती है. अब तक हेमंत ने अपने बेटे का नाम सत्यकुमार रख दिया था. अपने बेटे सत्यकुमार का नाम बताने के बाद हेमंत, उस की पत्नी गरिमा और सत्यकुमार घर के अंदर चले जाते हैं और इसी के साथ यहीं पर यह वेब सीरीज भी समाप्त हो जाती है.

इस एपिसोड में एक जगह कैलाश एसआई हेमंत को बताता है कि उस की पत्नी मंदा व्यभिचारिणी थी, उस ने कई लोगों के साथ अवैध संबंध बना रखे थे, जबकि पैसे लूटते समय लोगों को पैसे के लिए ब्लैकमेल करते समय खुद कैलाश भी उस के साथ था. यहां पर लेखक की पुरुषवादी मानसिकता साफसाफ दिखाई दे रही है कि पुरुष गलती करे तो कोई बात नहीं, लेकिन स्त्री गलती करे तो व्यभिचारिणी? यदि पूरी वेब सीरीज के बारे में बात करें तो कई जगहों पर कहानी सुस्त सी पडऩे लगती है. वेब सीरीज में किरदारों की संख्या जबदस्ती ठूंसी हुई लगती है और इसी कारण कुछ स्थानों पर कहानी उलझ सी जाती है.

भुवन अरोड़ा

अभिनेता भुवन अरोड़ा का जन्म 27 जनवरी, 1987 को दिल्ली में हुआ था. इस ने स्नातक किया हुआ है. इस के पापा भारतीय सेना में अधिकारी थे और मम्मी एक सरकारी कर्मचारी थी. इस ने अपनी शुरुआती शिक्षा दिल्ली के मानव स्थली स्कूल और आम्र्ड नेवल पब्लिक स्कूल से पूरी की. भुवन अरोड़ा ने 2008-2011 में पुणे के भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान से अभिनय में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की. यहां पर भुवन को नसीरुद्दीन शाह, ओमपुरी और सौरभ शुक्ला जैसे प्रसिद्ध कलाकारों से प्रशिक्षण प्राप्त हुआ.

भुवन ने अपने अभिनय की शुरुआत यशराज फिल्म्स के साथ 2013 में फिल्म ‘शुद्ध देसी रोमांस’ से की थी. इस के बाद उस ने फिल्म ‘फर्जी’ (2023) अमेजन प्राइम वीडियो को इस क्राइम ड्रामा सीरीज में अभिनेता शाहिद कपूर के दोस्त फिरोज की भूमिका निभाई. इस के लिए उन्होंने आईएमडीबी स्टारमीटर अवार्ड भी मिला. वेब सीरीज ‘द टेस्ट केस’ (2018) में इस ने एक सेना अधिकारी रोहन राठौड़ की भूमिका निभाई. ‘चंदू चैंपियन’ (2024) जीवनी पर आधारित कार्तिक आर्यन की इस फिल्म में भुवन अरोड़ा ने सहायक भूमिका निभाई. ‘अमरन’ (2024) एक तमिल जीवनी पर आधारित ‘युद्ध’ फिल्म में भुवन ने सिपाही विक्रम सिंह के किरदार को निभाया.

दीक्षा सोनलकर

दीक्षा सोनलकर का जन्म 23 मई, 1993 को मुंबई में हुआ था. दीक्षा का असली नाम दीक्षा कंवल सोनलकर है. दीक्षा ने अपनी शुरुआती शिक्षा मुंबई के जसुद्दीन एम.एल. स्कूल से पूरी की. उस के बाद की शिक्षा सोफिया वूमन कालेज से प्राप्त की. दीक्षा ने अपना ग्रैजुएशन मास मीडिया में मुंबई के आर.डी. नैशनल कालेज से किया है. दीक्षा भले ही पंजाबी परिवार से नहीं थी, मगर उस की मम्मी के पंजाबी होने के कारण कलर्स चैनल पर आने वाले धारावाहिक ‘वानी- इश्क दा कलमा’ में पंजाबी किरदार में उस की भूमिका को बहुत सराहा गया.

इस धारावाहिक में दीक्षा ने जस्सी का किरदार निभाया था, जो इस सीरियल की मुख्य किरदार वानी की छोटी बहन थी. जस्सी के किरदार से दीक्षा टेलीविजन पर बहुत लोकप्रिय हो गई थी, लेकिन यह धारावाहिक 2013 में बंद हो गया. दीक्षा को इस के बाद 2014 में सोनी टीवी पर प्रसारित होने वाल एक और शो ‘इत्ती सी खुशी’ में भी लिया गया था. यह धारावाहिक केवल 4 महीने ही प्रसारित हुआ और बाद में कम टीआरपी के कारण इसे बंद करना पड़ा, लेकिन इस किरदार में भी दीक्षा ने उत्कृष्ट अभिनय किया था.

दीक्षा के परिवार में उन की एक छोटी बहन है, जिन का नाम दीया सोनलकर है. दीक्षा एक प्रशिक्षित शास्त्रीय नृत्यांगना है. दीक्षा का टीवी सीरियल ‘भारत का वीर पुत्र महाराणा प्रताप’ (2015) का एक चर्चित टीवी सीरियल है, जिस में उस ने राजकुमारी चंद कवर का किरदार निभाया था, जो आज भी दर्शकों में काफी लोकप्रिय है. दीक्षा अविवाहित है. वेब सीरीज जनावर

 

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