Hindi Crime Story: कामिनी गांव के ही रहने वाले मार्तंड यादव से शादी करना चाहती थी. लेकिन घर वालों ने उस की शादी पवन से कर दी. इस का परिणाम यह निकला कि निर्दोष पवन मारा गया.

गांव में भागवत कथा होने की वजह से काफी चहलपहल थी. कथा में जाने के लिए हर कोई उत्साहित था, क्योंकि वहां बहुत ही सुंदर कथा होती थी. उस के बाद हवन होता था. कामिनी भी वहां रोजाना अपनी सहेली मीना के साथ कथा सुनने जाती थी. उस दिन वह मीना के साथ कथा सुनने पहुंची तो वहां का नजारा ही कुछ और था. गांव के कई लोग पंडितों द्वारा किए जाने वाले मंत्रोच्चारण के साथ हवन कर रहे थे. उस से जो धुआं उठ रहा था, वातावरण सुगंधित हो रहा था. कामिनी और मीना ने हाथ जोड़ कर सिर झुकाया और वहां बिछी दरी पर बैठ गईं. अचानक कामिनी की नजर दूसरी ओर बैठे एक युवक पर पड़ी, जो एकटक उसी को ताक रहा था. वह कोई और नहीं, उसी के गांव का मार्तंड यादव उर्फ पिंकू था.

कामिनी उम्र के उस दौर में पहुंच गई थी, जब लड़कों का इस तरह ताकना लड़कियों को अच्छा लगता है. यही वजह थी कि कामिनी ने भी उस की ओर उसी तरह ताका. नजरें मिलीं तो मार्तंड मुसकराया, लेकिन कामिनी ने नजरें झुका लीं. लेकिन यह भी सच है कि इस स्थिति में लड़की पहली बार भले ही नजरें झुका ले, लेकिन पलट कर जरूर देखती है. और कहते हैं कि अगर पलट कर देख लिया तो समझो मामला फिट है यानी वह भी चाहती है. कामिनी से रहा नहीं गया, उस ने नजरें उठाईं तो मार्तंड को अपनी ओर ताकते पाया. उसे उस तरह ताकते देख कामिनी को हंसी आ गई.

बस, फिर क्या था, कामिनी की इस हंसी पर मार्तंड मर मिटा. एक तो कामिनी ने पलट कर देखा था, दूसरे हंसी थी, इसलिए मार्तंड को लगा, अब मामला फिट है. अब वह सबकुछ भूल कर सिर्फ कामिनी को ही देख रहा था. कामिनी का भी कुछ ऐसा ही हाल था. उसे इस तरह बारबार उधर देखते देख कर मीना ने पूछा, ‘‘क्या बात है, जो तू बारबार उधर लड़कों की ओर देख रही है?’’

कामिनी इस तरह सिटपिटा गई, जैसे उस की चोरी पकड़ी गई हो. उसे जवाब तो देना ही था, इसलिए उस ने मीना को प्यार से झिड़कते हुए कहा, ‘‘यार, तुम भी न जाने क्याक्या सोचती रहती हो? इस तरह की जगहों पर कोई क्या देखेगा? तुम्हारे दिमाग में हमेशा खुराफात ही चलता रहता है.’’

अब तक हवन खत्म हो गया था. प्रसाद ले कर कामिनी मंडप से बाहर आई तो मार्तंड भी उस के पीछेपीछे बाहर आ गया. वह उस से थोड़ी दूरी बना कर चल रहा था. उसे अपने पीछे आते देख कामिनी का दिल तेजी से धड़कने लगा कि मीना के सामने ही वह उसे कुछ कह न दे. अब वह उसे अपना सा लग रहा था. कुछ ऐसा ही मार्तंड को भी महसूस हो रहा था. वह उस से अपने दिल की बेचैनी कहना तो चाहता था, लेकिन मीना की उपस्थिति उसे ऐसा करने से रोक रही थी. कुछ भी रहा हो, मार्तंड की नजरें उसी पर टिकी थीं. कामिनी भी बारबार पलट कर उसे देख रही थी. आखिर मीना ने उस की चोरी पकड़ ही ली. उस ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘अच्छा तो यह बात है, अब समझ में आया, यह महाशय हमारे पीछेपीछे क्यों चले आ रहे हैं?’’

‘‘क्या बकवास कर रही है? कोई पीछेपीछे आ रहा है तो इस का मतलब यह तो नहीं हुआ कि मैं उस पर मर मिटी हूं. चलो, घर चलो, नहीं तो तुम इसी तरह बकवास करती रहोगी.’’ कामिनी ने कहा.

‘‘मैं कहां कह रही हूं कि तुम यहीं रुको. चलो न घर.’’ मीना ने कामिनी का हाथ पकड़ कर कहा और तेजी से घर की ओर चल पड़ी.

मार्तंड कामिनी को तब तक देखता रहा, जब तक वह उस की आंखों से ओझल नहीं हो गई. घर पहुंच कर कामिनी मार्तंड के खयालों में डूब गई. पता नहीं क्यों वह उस के दिल में बस गया था, जबकि वह बहुत खूबसूरत भी नहीं था. गांव में उस से भी खूबसूरत लड़के थे, जो उस पर मरते थे. लेकिन उस ने कभी किसी को भाव नहीं दिया था. दूसरी ओर मार्तंड भी कामिनी के खयालों में डूबा था. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि कामिनी जैसी खूबसूरत लड़की का दिल उस के लिए धड़क सकता है. इसलिए अगले दिन के इंतजार में उसे नींद नहीं आई. वह जानता था कि कामिनी रोज कथा सुनने आती है. इसलिए उस ने तय कर लिया था कि अगर अगले दिन कामिनी मिल गई तो कैसे भी वह उस से अपने दिल की बात जरूर कह देगा.

संयोग से अगले दिन कामिनी अकेली ही वहां आई. शायद उसे विश्वास था कि उस के सपनों का राजकुमार मार्तंड अवश्य वहां आएगा और उस से बात करने की कोशिश भी करेगा. उसे बात करने में कोई संकोच न हो, यही सोच कर वह मीना को साथ नहीं लाई थी. जब वह वहां पहुंची तो उसे यह देख कर हैरानी हुई कि मार्तंड वहीं बैठा था, जहां कामिनी एक दिन पहले बैठी थी. शायद वह उसी का इंतजार कर रहा था. मार्तंड की नजरें उस से मिलीं तो दोनों के होठों पर मुसकान तैर उठी. कामिनी आ कर उस से थोड़ी दूरी पर महिलाओं के झुंड में बैठ गई. दोनों बैठे तो भागवत कथा सुनने थे, लेकिन दोनों के मन में तो कुछ और ही चल रहा था.

आखिर  नहीं रहा गया तो मार्तंड ने कुछ इशरा किया. उस के बाद कामिनी उठ कर चल पड़ी. लोगों की नजरें बचा कर मार्तंड भी उस के पीछेपीछे चल पड़ा. सुरक्षित स्थान पर आ कर जरा भी संकोच किए मार्तंड ने कामिनी का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘कामिनी, अब मुझे यह कहने की जरूरत नहीं है कि मैं तुम से प्यार करता हूं. तुम्हारे हावभाव से ही मुझे पता चल गया है कि तुम भी मुझे प्यार करती हो, इसलिए चलो एकांत में कहीं बैठ कर बातें करते हैं.’’

गांवों में एकांत कहां होता है, बागों या खेतों के बीच. दोनों गेहूं के खेतों के बीच बैठ कर बातें करने लगे. मार्तंड ने उस एकांत में कामिनी के कंधे पर हाथ रख कर कहा, ‘‘कामिनी, यह जिंदगी हमारी है, इसलिए इस के बारे में सिर्फ हमें ही निर्णय लेने का हक है. तुम मुझ से मिलने के लिए रोज यहीं आना. यहां लोगों की नजर हम पर नहीं पड़ेगी. बोलो, आओगी न?’’

‘‘मैं जरूर आऊंगी मार्तंड. तुम मेरा इंतजार करना.’’ कामिनी ने कहा और अपने घर चली गई.

मनचाहा प्रेमी मिल जाने से कामिनी खुश थी. वह मार्तंड की यादों में खोई रहने लगी. अब उसे हमेशा उस समय का बेसब्री से इंतजार रहता, जब उसे मार्तंड से मिलने जाना होता. मार्तंड उस से जब भी रोमांटिक बातें करता, वह शरमा जाती. वह उस की सुंदरता की तारीफें करते हुए कहता, ‘‘तुम्हारी इसी सुंदरता ने मेरा दिल चुरा लिया है. अब मेरे इस दिल को तुम संभाल कर रखना, इसे कभी तोड़ना मत.’’

कामिनी कहती, ‘‘तुम भी कैसी बातें करते हो, मैं भला तुमरे दिल को क्यों तोड़ूंगी, अब तो वह हमारा हो चुका है.’’

‘‘मैं कितना भाग्यशाली हूं, जो तुम जैसी प्यार करने वाली मिल गई. शायद तुम मेरे भाग्य में लिखी थी.’’

ऐसी ही बातें कर के मार्तंड ने कामिनी को लुभा कर उस से शारीरिक संबंध भी बना लिए. दोनों मन से तो एक थे ही, तन से भी एक हो गए. उत्तर प्रदेश के जिला रायबरेली के थाना शिवगढ़ के निमडवल गांव में रहते थे रामेश्वर प्रसाद. वह खेती कर के अपना गुजरबसर करते थे. उन के परिवार में पत्नी रमा और 2 बेटियां तथा 2 बेटे थे. कामिनी उन के बच्चों में सब से छोटी थी. उन के बाकी बच्चों का विवाह हो चुका था. कामिनी ने जवानी की दहलीज पर कदम रखा ही था कि उसे मार्तंड से प्यार हो गया.

कामिनी ने गांव के ही सरकारी स्कूल से आठवीं तक पढ़ाई की थी. वह खूबसूरत थी, इसलिए जवान होते ही गांव के मनचले लड़के उसे अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश करने लगे थे. उन्हीं में मार्तंड भी था. आखिर में उसी ने बाजी मार ली थी. वह प्रभाकर यादव का बेटा था. वह नल वगैरह ठीक करने का काम करता था. गांवों में इस तरह की बातें ज्यादा दिनों तक छिपी नहीं रह पातीं, इसलिए मार्तंड और कामिनी के संबंध भी उजागर हो गए. जब बेटी की करतूत का पता रामेश्वर प्रसाद को चला तो उन्होंने कामिनी की खूब पिटाई की और सख्त हिदायत दी कि अब वह मार्तंड से बिलकुल नहीं मिलेगी. उस के घर से बाहर निकलने पर भी पाबंदी लगा दी गई.

इस हालत में रामेश्वर जल्द से जल्द कामिनी की शादी के बारे में सोचने लगा. क्योंकि उस की वजह से उन की गांव में बदनामी हो रही थी. रामेश्वर का एक रिश्तेदार हरभजन लखनऊ के थाना नगराम के गांव सेंधूमऊ में रहता था. सेंधूमऊ के बगल में ही एक गांव है बघौली. उसी गांव में ललई प्रसाद अपने परिवार के साथ रहता था. वह भी खेती करता था. उस के परिवार में पत्नी रामकली के अलावा 2 बेटियां और एकलौता बेटा पवन था. उस ने दोनों बेटियों की शादी कर दी थी. बेटे की अभी शादी नहीं हुई थी. वह गोसाईगंज के दयाल इंस्टीट्यूट से बीबीए कर रहा था.

हरभजन पवन से परिचित था. वह जानता था कि पवन बहुत ही नेक और पढ़ालिखा लड़का है. इसलिए उस ने उस से कामिनी से रिश्ते की बात चलाई तो वह बात आगे बढ़ाने को राजी हो गया. उस ने अपने पिता से बात की तो उन की सहमति मिलने के बाद सभी कामिनी को देखने गए. कामिनी के घर वालों को भी पवन और उस का घरपरिवार पसंद था, इसलिए बातचीत के बाद शादी तय हो गई. कामिनी ने पवन के सामने ही विवाह से मना कर दिया था, लेकिन रामेश्वर प्रसाद ने किसी तरह बात संभाल ली थी. 20 मई, 2015 को कामिनी और पवन का विवाह धूमधाम से हो गया. कामिनी को न चाहते हुए भी पवन से विवाह करना पड़ा. जबकि वह मार्तंड से शादी करना चाहती थी.

शादी के बाद भी वह उसे एक पल के लिए नहीं भूल पा रही थी. क्योंकि उस ने उसी के साथ जिंदगी गुजारने का सपना जो देखा था. लेकिन घर वालों ने उस के सपनों को तोड़ दिया था. पग फेरा में कामिनी मायके आई तो मार्तंड से मिली. तब वह उस से गले मिल कर बिलखबिलख कर रोई. मार्तंड की भी आंखें नम हो गईं. कामिनी की हालत देख कर वह बेचैन हो उठा. उस ने कामिनी को ढांढ़स बंधा कर कहा, ‘‘कामिनी हम कभी अलग नहीं होंगे, कोई भी हमें जुदा नहीं कर सकता. हम हमेशा इसी तरह मिलते रहेंगे.’’

इस के बाद मार्तंड ने एक सस्ता सा मोबाइल फोन खरीद कर कामिनी को दे दिया, जिस से उन में बराबर बातें हो सकें. कामिनी जब तक मायके में रही, मार्तंड से बराबर मिलती रही. ससुराल आने पर मिलना तो बंद हो गया, लेकिन मोबाइल से सब की चोरी वह उस से बातें कर लेती थी. 12 अगस्त, 2015 की शाम साढ़े 6 बजे पवन घर लौटा और कपड़े बदल कर आराम करने लगा. रात 8 बजे कामिनी ने उसे सौ रुपए का नोट देते हुए कहा कि उसे कोल्ड ड्रिंक पीनी है, जा कर ला दे. पवन उन्हीं कपड़ों में दहेज में मिली हीरो पैशन प्रो बाइक से कोल्ड ड्रिंक लेने चला गया.

कोल्ड ड्रिंक की दुकान उस के घर से लगभग 3 सौ मीटर की दूरी पर थी. थोड़ी देर बाद पवन का फोन आया कि गांव के बाहर उस की बाइक खड़ी है, किसी से मंगवा लें. वह किसी जरूरी काम से जा रहा है. इस के बाद पवन के पिता वहां गए और गांव के एक लड़के से कह कर बाइक ले आए. सुबह गांव के कुछ बच्चे गांव के बाहर तालाब पर शौच के लिए गए तो उन्होंने वहां झाडि़यों में पवन की लाश पड़ी देखी. बच्चों ने यह बात तुरंत पवन के घर वालों को बताई तो घर वाले रोतेबिलखते वहां पहुंचे. पवन के पिता ललई प्रसाद ने इस घटना की सूचना थाना नगराम पुलिस को दे दी.

सूचना मिलने के थोड़ी देर बाद थाना नगराम के थानाप्रभारी सुधीर कुमार सिंह पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. मृतक पवन ने नीले रंग पर सफेद धारी वाली कैपरी और सफेद शर्ट पहन रखी थी. उस के गले और मुंह पर किसी तेज धारदार हथियरा के घाव थे. सुधीर कुमार सिंह घटनास्थल और लाश का निरीक्षण कर रहे थे कि सीओ राकेश नायक भी आ गए. पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए लखनऊ मैडिकल कालेज भिजवा कर पूछताछ शुरू की. इस के बाद थाने आ कर सुधीर कुमार सिंह ने मृतक के पिता ललई प्रसाद की ओर से अज्ञात के खिलाफ पवन की हत्या का मुकदमा दर्ज करा दिया. थानाप्रभारी मामले की जांच के लिए बघौली गांव जाने की तैयारी कर रहे थे कि किसी ने फोन कर के उन्हें बताया कि मृतक पवन की पत्नी कामिनी अपना सामान बांध कर कहीं जाने की तैयारी कर रही है.

यह सुन कर सुधीर कुमार सिंह को हैरानी हुई. जिस औरत के पति की हत्या हुई हो, अभी उस की लाश भी न दफनाई गई हो, इस दुख की घड़ी में ससुराल वालों का साथ देने के बजाय वह घर से जाने की तैयारी कर रही है. उन्हें लगा, कहीं ऐसा तो नहीं कि इस घटना के पीछे उसी का हाथ हो. सीओ राकेश नायक भी थाने में मौजूद थे. कामिनी के बारे में सीओ साहब को बताया तो उन्होंने भी कामिनी पर शक जाहिर किया. फिर क्या था, थानाप्रभारी ललई प्रसाद के घर जा पहुंचे. उन्हें जो सूचना मिली थी, वह सही थी. कामिनी अपना बैग तैयार कर के बैठी थी. शक के आधार पर सुधीर कुमार सिंह ने बैग की तलाशी ली तो उस में से कपड़ों और व्यक्तिगत सामान के अलावा 1 हजार रुपए, एक सिम और एक युवक की फोटो बरामद हुई. उन्होंने बैग में नीचे लगे पैड के अंदर हाथ डाला तो उस में से एक मोबाइल फोन बरामद हुआ.

घर वालों से उस मोबाइल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. इस के पास जो मोबाइल था, उसे तो पवन ने पहले ही ले लिया था.

सुधीर कुमार सिंह ने जब कामिनी से उस के पास मिले फोटो के बारे में पूछा तो वह काफी देर तक उस फोटो को देखती रही, उस के बाद बोली, ‘‘यह युवक उस के गांव का रहने वाला है.’’

पुलिस कामिनी को हिरासत में ले कर थाने आ गई. थाने में महिला कांस्टेबल के जरिए उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने कई नाम बताए. उन सभी को पुलिस ने थाने ला कर पूछताछ की तो पता चला कि वे निर्दोष थे. कामिनी ने जो नाम बताए थे, वे उस के पुराने आशिक थे, जिन्हें वह फंसाना चाहती थी. सुधीर कुमार सिंह ने कामिनी का मोबाइल खंगाला तो उस में सिर्फ एक ही नंबर मिला, जिस से उस में लगभग रोज ही फोन आए थे. घटना वाले दिन भी उस नंबर से अंतिम बार रात 11 बजे फोन आया था. जब उस नंबर के बारे में कामिनी से सख्ती से पूछा गया तो उस ने बताया कि उस नंबर से फोन करने वाला और फोटो वाला युवक एक ही है. उस का नाम मार्तंड यादव उर्फ पिंकू है, जो उस के मायके निमडवल में रहता है.

सुधीर कुमार सिंह ने उसी मोबाइल से उस नंबर पर स्पीकर औन कर  के कामिनी से बात करने को कहा. कामिनी ने उस नंबर पर फोन किया तो दूसरी ओर से फोन रिसीव करने वाले ने कहा, ‘‘सब ठीक कर दिया मैं ने, किसी को शक भी नहीं हुआ.’’

‘‘क्या कह…’’ कामिनी इतना ही कह पाई थी कि सुधीर कुमार सिंह ने उसे कुछ भी बताने से मना कर दिया.

‘‘मैं ने अपने दोस्तों के साथ सब कुछ बहुत सही ढंग से कर दिया है. अब हम एक साथ रह सकेंगे.’’ दूसरी ओर से कहा गया.

‘‘लेकिन यह सब कर के तुम ने मुझे फंसा दिया. पुलिस मुझ पर शक कर रही है. तुम आ कर मुझे बचाओ. तुम कहां हो?’’ कामिनी इतना ही कह पाई थी कि मार्तंड को शायद शक हो गया. उस ने तुरंत फोन काट दिया. दोबारा फोन किया गया तो फोन बंद हो चुका था. इस के बाद मार्तंड के घर छापा मारा गया, लेकिन वह घर पर नहीं मिला. तब उस के पिता को हिरासत में ले कर थाने लाया गया. लेकिन वह भी मार्तंड के बारे में कुछ नहीं बता सका. उसी दिन यानी 14 अगस्त को एक मुखबिर की सूचना पर दोपहर साढे़ 12 बजे सुधीर कुमार सिंह ने मार्तंड यादव और उस के दोस्त विक्रम यादव को समेसी के पास एक नहर के किनारे से गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ के बाद 15 अगस्त को पुलिस ने मार्तंड के एक अन्य दोस्त सूरजलाल को छतौनी से गिरफ्तार कर लिया. मार्तंड से की गई पूछताछ में पवन की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी.

मार्तंड द्वारा दिए गए मोबाइल से कामिनी चोरीछिपे उस से बात कर लिया करती थी, लेकिन किसी दिन पवन ने कामिनी को मोबाइल पर बात करते देख लिया. फिर तो उसे समझते देर नहीं लगी कि कामिनी का किसी के साथ चक्कर चल रहा है. उसी ने यह मोबाइल कामिनी को दिया है. पवन ने कामिनी को मारापीटा ही नहीं, उस का मोबाइल भी छीन लिया. कामिनी वैसे ही मार्तंड से दूर हो कर तड़प रही थी. ऐसे में बात करने का जरिया मोबाइल भी छिन गया तो वह गुस्से से भर उठी. आग में घी का काम किया पवन की पिटाई ने. कामिनी ने किसी तरह मार्तंड तक मोबाइल छिन जाने की बात पहुंचा दी.

इसी के साथ यह भी कहा कि अगर वह किसी तरह पवन को ठिकाने लगा दे तो वह हमेशाहमेशा के लिए उस की हो जाएगी. उस के बाद उन्हें मिलने से कोई नहीं रोक पाएगा. मार्तंड तो हर हाल में कामिनी को अपनी बनाना चाहता था. उस ने कामिनी से कहा, ‘‘तुम चिंता मत करो, मैं जल्द ही उसे ठिकाने लगा दूंगा.’’

मार्तंड ने अपने 2 दोस्तों, विक्रम और सूरजलाल को दोस्ती का वास्ता दे कर पवन की हत्या में साथ देने को कहा तो वे तैयार हो गए. इस के बाद योजना भी बन गई. अपनी उसी योजना के अनुसार, मार्तंड अपने दोस्तों के साथ 2 मोटरसाइकिलों से कामिनी की ससुराल उस समय पहुंचा, जब पवन घर पर नहीं था. यह बात कामिनी ने मार्तंड को पहले ही बता दी थी. जब तीनों वहां पहुंचे तो कामिनी ने अपनी सास रामकली को बताया कि तीनों उस की सगी मौसी के बेटे हैं. रामकली के हटते ही मार्तंड ने एक मोबाइल फोन कामिनी को दे दिया और पूरी योजना बता दी. इस के बाद वह दोस्तों के साथ चला आया.

13 अगस्त की शाम मार्तंड ने कामिनी को फोन किया कि वह रात 8 बजे तक दोस्तों के साथ उस के गांव के बाहर पहुंच जाएगा. शाम साढ़े 6 बजे तक पवन घर आ जाता था. रात 8 बजे जब मार्तंड गांव के बाहर आ गया तो उस ने कामिनी को फोन कर के पवन को भेजने को कहा. इस के बाद कामिनी ने पवन को कोल्डड्रिंक लाने के बहाने बाहर भेज दिया. पवन मोटरसाइकिल से कोल्डड्रिंक ले कर लौट रहा था तो रास्ते मे दोस्तों के साथ मार्तंड ने उसे हाथ दे कर रोक कर कहा, ‘‘भाई मेरी मोटरसाइकिल खराब हो गई है. जरा देख लीजिए.’’

पवन ने अपनी मोटरसाइकिल खड़ी कर के जेब में पड़ी टौर्च निकाली. उस ने टौर्च जलाई तो मार्तंड के चेहरे पर पड़ी. उस का चेहरा देख कर पवन ने कहा, ‘‘मैं तुम्हें पहचानता हूं, तुम तो मेरी ससुराल के हो, यहां कैसे, कामिनी से मिलने आए थे क्या?’’

‘‘नहीं, यहीं पास में मेरी एक रिश्तेदारी है, वहीं आया था. लेकिन यहां पहुंचते ही मेरी मोटरसाइकिल खराब हो गई.’’

इस के बाद उन में बातें होने लगीं. उसी बीच मार्तंड ने शौच जाने की बात कही तो पवन उसे तालाब की तरफ टौर्च की रोशनी में ले जाने लगा. इस के पहले उस ने फोन कर के अपनी मोटरसाइकिल मंगवा लेने के लिए घर वालों को कह दिया था. मार्तंड पवन से बातें करते हुए तालाब की ओर जा रहा था, तभी पीछेपीछे चल रहे विक्रम ने कपड़ों में छिपा हंसिया निकाल कर पवन की गरदन पर पूरी ताकत से प्रहार कर दिया. अचानक हुए इस हमले से पवन लड़खड़ा कर गिर पड़ा. वह संभल पाता, उस के पहले ही मार्तंड ने विक्रम से हंसिया ले कर पवन पर ताबड़तोड़ कई वार कर दिए.

पवन तड़पने लगा. और फिर बिना चीखेचिल्लाए मौत के मुंह में समा गया. इस के बाद तीनों उसे घसीट कर झाडि़यों में ले गए. वहां उस की जेब से दोनों मोबाइल निकाल कर तालाब में फेंक दिए. हत्या में प्रयुक्त हंसिया भी वहीं झाडि़यों में फेंक दिया. इस के बाद वे मोटरसाइकिल से चले गए. उन्होंने सोचा था कि वे पकड़े नहीं जाएंगे, लेकिन पुलिस ने उन्हें पकड़ ही लिया. सुधीर कुमार सिंह ने उन की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त हंसिया, तीनों मोबाइल, दोनों मोटरसाइकिलें बरामद कर ली थीं. इस के बाद पुलिस ने मुकदमे में धारा 120बी तथा 34 के अलावा एससी/एसटी की धारा 3(2)5 भी बढ़ा दी थी.

पुलिस ने पूछताछ के बाद सभी अभियुक्तों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. Hindi Crime Story

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

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