West Bengal News: अधिकांश लड़कियां आजकल बहुत जल्द ही अपने प्रेमी पर विश्वास कर लेती हैं. बातचीत के दौरान वह उस के स्वभाव को नहीं समझ पातीं. नादिया की रहने वाली इशिता मलिक अपने क्लासमेट 23 वर्षीय देशराज सिंह के जिद और गुस्से वाले स्वभाव को पहचान लेती तो शायद उसे अपनी जान गंवानी नहीं पड़ती.
जब इशिता मलिक ने प्रेमी देशराज सिंह से दूरी बना ली और बात तक करने से मना कर दिया तो देशराज उस से चिढ़ गया और उस ने इशिता को देख लेने की धमकी तक दे डाली थी. इतना ही नहीं, देशराज ने इशिता को सदासदा के लिए हटा देने की एक भयंकर योजना भी बना ली थी. इस के लिए वह छिप कर इशिता की हर गतिविधि पर नजर रखने लगा था. इस काम के लिए उस ने हथियार और गोलियों की व्यवस्था भी कर ली थी.

25 अगस्त, 2025 की दोपहर को देशराज अपने इसी इरादे के साथ पश्चिम बंगाल के जिला नादिया के कृष्णानगर सिटी में रहने वाली प्रेमिका इशिता के घर के आसपास की रेकी कर रहा था, जब उसे इस बात की पुष्टि हो गई कि इस समय इशिता घर में अकेली है, उस के फेमिली वाले बाहर गए हुए हैं तो वह पिस्तौल ले कर सीधे उस के दोमंजिले घर में चला गया. इशिता उस समय कमरे में बैठी पढ़ाई कर रही थी.
देशराज को एकाएक अपने सामने देख कर इशिता ने उस से गुस्से में कहा, ”देशराज, अब तुम ने मेरे घर तक आने की हिम्मत भी कर डाली. निकल जाओ अभी मेरे घर से वरना मैं चिल्लाचिल्ला कर लोगों को यहां बुला लूंगी.’’
यह सुन कर देशराज ने अपनी कमर से पिस्तौल निकाल कर उसे धमकाते हुए कहा, ”इशिता, आखिरी फैसला करने आया हूं. तुम मुझ से फिर से दोस्ती कर लो या फिर मरने के लिए तैयार हो जाओ.’’
”देशराज, मैं तुम जैसे इंसान से प्यार करने की बात तो दूर, दोस्ती करना भी पसंद नहीं करती. मुझे तुम से और तुम्हारी सूरत तक से नफरत है. दफा हो जाओ अभी मेरी नजरों से.’’ इशिता ने चीखते हुए कहा.
यह सुन कर देशराज उस के पास आया और उस के सिर से सटा कर 2 गोलियां चला दीं. जब इशिता जमीन पर मुंह के बल गिर गई तो उस ने एक और गोली उस के सिर पर मार दी और वहां से भाग गया. इस प्रकार इस जुनूनी प्यार का भयंकर अंत हो गया.
इत्तफाक से उसी समय इशिता की मम्मी कुसुम मलिक अपने बेटे के साथ घर लौट रही थीं. उन्होंने जब अपने घर से धमाके की आवाजें सुनीं तो उन का दिल अनजानी आशंका से भयभीत हो गया था. उन्होंने उसी समय एक युवक को अपने घर से बाहर निकलते देखा. कुसुम ने उस युवक से पूछा, ”भाई, तुम कौन हो? हमारे घर में गोलियों की आवाज कैसे सुनाई दे रही है?’’
तब उस युवक ने कुसुम से कहा, ”देखो आंटी, अभी मुझ से बात मत करो. मैं अपने होशोहवास में नहीं हूं. इस के बाद कुसुम ने देखा कि उस के हाथ में एक पिस्तौल थी. उस युवक ने उस के बाद पिस्तौल से हवा में फायर करने के लिए 2 बार स्ट्रिगर दबाया, मगर शायद पिस्तौल में गोलियां खत्म हो चुकी थीं, इसलिए फायर नहीं हो सके.
तब तक कुसुम और प्रतीक समझ चुके थे कि कुछ अनहोनी सी बात हमारे घर में अवश्य हो चुकी है. इसलिए प्रतीक चाह रहा था कि उस की मम्मी कुसुम इस युवक से यदि दूर ही रहे तो अच्छा होगा. प्रतीक अपनी मम्मी को उस युवक से दूर ले जाने की कोशिश कर रहा था. जब सामने कोई नहीं रहा तो वह युवक अपनी पिस्तौल लहराता हुआ अगले ही पल वहां से फरार हो चुका था. कुसुम मलिक अब तेजी से जीना चढ़ कर जब ऊपर के कमरे में पहुंचीं तो दरवाजा आधा खुला हुआ था. उस के बाद जब उन की नजर अंदर कमरे में पड़ी तो खौफनाक दृश्य देख कर उन की आंखें फटी रह गई थीं.
वह जोरजोर से चिल्लाने लगीं. सामने उन की बेटी इशिता मलिक लहूलुहान पड़ी थी. कुसुम मलिक की दर्दनाक चीखों की आवाजों को सुन कर वहां पर आसपास के लोग अब तक काफी संख्या में एकत्रित हो चुके थे. तभी किसी ने कृष्णानगर कोतवाली में इस हादसे की सूचना दे दी थी. अगले ही पल पश्चिम बंगाल के नादिया जिले की कोतवाली कृष्णानगर के एसएचओ अमलेंदु बिस्वास कुछ पुलिसकर्मियों के साथ घटनास्थल पर पहुंच चुके थे. दिन दोपहरी को हुई इस वारदात की सूचना पाते ही कृष्णानगर के एसपी के. अमरनाथ भी घटनास्थल पर पहुंच चुके थे.
ताज्जुब की बात तो यह थी कि जिस मकान में हत्या की गई थी, उस के बगल में ही एसपी और जिला मजिस्ट्रैट का औफिस था. दूसरी तरफ कृष्णानगर महाविद्यालय था. इतने हाईप्रोफाइल इलाके में घर में घुस कर की गई इस वारदात से स्थानीय निवासी आक्रोश और दहशत में आ गए थे. पुलिस ने विस्तृत छानबीन करनी प्रारंभ की तो उन्होंने देखा कि मृतका इशिता के सिर पर 3 गोलियां दागी गई थीं. 2 गोलियां दाईं ओर और एक गोली सिर के पीछे से मारी गई थी. एक घाव पर गन पाउडर स्पष्ट दिखाई दे रहा था, जबकि अन्य दोनों घावों पर गन पाउडर नहीं था.
अब तक घटनास्थल पर मृतका के पापा दुलाल मलिक भी पहुंच गए थे. पुलिस ने मृतका इशिता मलिक के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया और मृतका के फेमिली वालों से शुरुआती पूछताछ करनी शुरू कर दी. मृतका की मम्मी कुसुम ने गोलियों की आवाज और घर में मिले उस अनजान युवक के बारे में बता दिया. मृतका के भाई ने पुलिस को बताया कि वह उस युवक को पहचानता था. उस ने बताया कि पहले जब हम लोग कांचरापाड़ा में रहते थे तो वह युवक वहां मैदान में खेलने आया करता था. उस ने यह भी बताया कि वह युवक उस की बहन के साथ कांचरापाड़ा में एक ही स्कूल में पढ़ता था.
उस ने पुलिस को यह जानकारी भी दी कि उस युवक का नाम देशराज सिंह है. मृतका के पापा दुलाल मलिक ने पुलिस को बताया कि हमें इस बारे में कुछ भी पता नहीं था कि आरोपी हमारी बेटी का दोस्त था भी या नहीं. हमें इस बारे में भी कुछ पता नहीं कि लड़के ने हमारी लड़की को फोन किया था या नहीं या उन दोनों का पहले से एकदूसरे से कोई संपर्क या जानपहचान थी या नहीं. हम ने तो उन दोनों को कभी भी एकदूसरे के साथ नहीं देखा था. पुलिस ने दुलाल मलिक की ओर से धारा 103(1), 3 (5) बीएनएस के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया.
कृष्णानगर के एसपी के. अमरनाथ इस जघन्य हत्याकांड का खुलासा करने के लिए तत्काल डीएसपी शिल्पी पाल के नेतृत्व में 15 सदस्यीय पुलिस टीम का गठन कर दिया और पूरी टीम को उचित दिशानिर्देश दे कर अपने खास मुखबिरों को भी सक्रिय कर दिया. गठित टीम ने देशराज सिंह की पारिवारिक पृष्ठभूमि की जानकारी एकत्रित की. जांच में पता चला कि उत्तर 24 परगना के जेठिया-धरमपुर में रहने वाला 23 वर्षीय देशराज सिंह मूलरूप से उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के करौता का रहने वाला था. उस के पापा राघवेंद्र प्रताप सिंह बीएसएफ में हैडकांस्टेबल हैं और वर्तमान में राजस्थान के जैसलमेर में पोस्टेड हैं. देशराज सिंह वर्तमान में अपनी मम्मी पूनम सिंह और बहन के साथ रहकर 24 परगना जेठिया-धरमपुर में पढ़ाई कर रहा था.
पुलिस को यह जानकारी भी मिली कि देशराज के पापा राघवेंद्र प्रताप सिंह, चाचा सरजू सिंह तथा शैलेंद्र सिंह पर वर्ष 2020 में हत्या और साक्ष्य मिटाने की धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ था. हालांकि जांच में आरोप सिद्ध न होने पर इस मुकदमे में अंतिम रिपोर्ट लगा दी गई थी. इस के बाद वर्ष 2024 में राघवेंद्र प्रताप सिंह और उस के भाई मनोज सिंह पर आईटी ऐक्ट के तहत 2 अलगअलग मुकदमे दर्ज हुए, जिस में पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल कर रखा है. देशराज के पिता राघवेंद्र प्रताप सिंह 4 भाई हैं.

पुलिस को जांच में यह भी पता चला कि आरोपी देशराज सिंह और इशिता मलिक सहपाठी थे. धीरेधीरे दोनों के बीच प्रेम संबंध बन गए, लेकिन बाद में किसी बात पर दोनों के बीच विवाद हो गया और वे अलग हो गए. शायद उसी प्रतिशोध की भावना से देशराज सिंह ने इस खूनी घटना को अंजाम दिया था. बंगाल के कृष्णानगर से 3 अलगअलग पुलिस टीमें उत्तर प्रदेश भेज दी गई. इस से पहले बंगाल पुलिस ने 29 अगस्त, 2025 को गुजरात के जामनगर से हत्यारे देशराज सिंह के मामा कुलदीप सिंह को गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल कर ली थी. पता चला कि कुलदीप सिंह ने ही अपने जीजा राघवेंद्र प्रताप सिंह के कहने पर देशराज सिंह को हत्या के बाद फरजी दस्तावेजों के सहारे भागने में मदद की थी.
पुलिस ने कुलदीप सिंह से गहन पूछताछ की तो पुलिस को देशराज सिंह के ठिकाने के बारे में पता चला. इस के साथसाथ गहरे सदमे में होने के बावजूद भी मृतका इशिता मलिक के परिजन पुलिस को अपना पूरा सहयोग व कई जानकारियां उपलब्ध करा रहे थे. जिस के फलस्वरूप उत्तर प्रदेश पुलिस के सहयोग से बंगाल पुलिस ने सोमवार पहली सितंबर, 2025 सुबहसुबह नेपाल सीमा के पास उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के नौतनवा कस्बे से आरोपी देशराज सिंह को गिरफ्तार कर लिया.
पकड़े जाने के समय हत्यारोपी देशराज सिंह फरजी दस्तावेजों के सहारे एक वाहन से नेपाल भागने की कोशिश कर रहा था. पुलिस ने आरोपी देशराज सिंह को गिरफ्तार कर नादिया की अदालत में पेश किया. एसपी के. अमरनाथ ने मीडिया को बताया कि इशिता मलिक की हत्या करने के बाद देशराज सिंह अयोध्या गया और अपने अपराधी रिश्तेदारों की मदद से आधार कार्ड और सीमा सुरक्षा बल का एक फरजी पहचान पत्र जैसे कुछ फरजी दस्तावेज हासिल किए, ताकि नेपाल में शरण ले सके.
इस मामले में एक और नया मोड़ तब आया, जब आरोपी देशराज सिंह के पापा बीएसएफ के हैडकांस्टेबल राघवेंद्र प्रताप सिंह के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया. पुलिस इनवैस्टीगेशन में यह बात सामने आई कि राघवेंद्र ने अपने बेटे को पुलिस से छिपाने में मदद की थी. पुलिस को पूरा शक था कि हत्या के बाद भी बापबेटे के बीच में लगातार संपर्क बना हुआ था. राघवेंद्र प्रताप सिंह अपने साले कुलदीप सिंह के साथ लगातार फोन और वाट्सऐप पर संपर्क में रह कर आरोपी देशराज सिंह को भगाने में मदद कर रहा था.
इशिता मलिक हत्याकांड की जांच में ‘फ्री फायर’ नाम के एक मोबाइल गेम का खुलासा भी हुआ है. बंगाल पुलिस ने खुलासा किया कि आरोपी इस गेम के लिए जुनूनी हो गया था कि उस का मन हर समय एक आभासी दुनिया में भटकता रहता था. कल्पना और वास्तविकता की दुनिया उस के लिए इस कदर घुलमिल गई थी कि उसे अपनी प्रेमिका इशिता के सिर पर 3 गोलियां दागने में कोई दिक्कत नहीं हुई. इतना ही नहीं देशराज को वर्चुअल गेम्स में भी खून देखने की एक आदत सी हो गई थी. पुलिस इनवैस्टीगेशन और आरोपी देशराज सिंह से विस्तृत पूछताछ के बाद इशिता मर्डर की जो खौफनाक कहानी सामने आई, वह कुछ इस प्रकार थी.
पश्चिम बंगाल के जिला नादिया का कृष्णानगर एक बड़ी आबादी वाला शहर है. इसी शहर में मानिकपाड़ा के निवासी थे दुलाल मलिक. दुलाल मलिक पहले सेना में थे, जब उन के बच्चे स्कूल जाने के योग्य हुए तो उन्होंने कांचरपाड़ा के नजदीक एक मकान किराए पर ले लिया और वहां पर पत्नी कुसुम व बेटेबेटी के साथ रहने लगे. कांचरापाड़ा में केंद्रीय विद्यालय था, इसलिए दुलाल मलिक ने अपनी बेटी इशिता और प्रतीक का एडमिशन केंद्रीय विद्यालय कांचरापाड़ा में करा दिया था. वर्ष 2023 में इशिता जब हाईस्कूल में पढ़ रही थी, उसी समय उस की क्लास में देशराज सिंह ने भी एडमिशन लिया था.
देशराज के पापा बीएसएफ में थे, इसलिए उस का दाखिला भी केंद्रीय विद्यालय में आसानी से हो गया था. देशराज अपनी मम्मी पूनम सिंह व छोटी बहन सुहानी के साथ 24 परगना जेठिया धरमपुर में किराए के मकान में रहता था, जबकि उस के पापा बीएसएफ में हैडकांस्टेबल के पद पर सीमा पर तैनात थे. एक दिन इशिता की एक सहेली का जन्मदिन था, इसलिए उन्होंने एक कैफे में जन्मदिन की पार्टी रखी थी, जिस में क्लास के सभी लड़के और लड़कियां थे. वहां पर सहेली अपनी ओर से पार्टी दे रही थी.

थोड़ी देर के बाद जन्मदिन की पार्टी खत्म हो गई थी. सभी लड़केलड़कियां कैफे से बाहर निकल कर अपनीअपनी राह पर जाने लगे थे. कुछ के पास अपनी बाइक व स्कूटी थी. एकएक कर के सभी वहां से चले गए. वहां से इशिता का घर काफी दूरी पर था, इसलिए वह अपने घर जाने के लिए औटोरिक्शा तलाश करने लगी, लेकिन कोई औटो वाला नहीं मिल रहा था. इशिता को परेशान देख कर देशराज को लगा कि अभी इशिता से बात करने का सुनहरा अवसर है, इसे गंवाना नहीं चाहिए. इसलिए वह तुरंत इशिता के पास पहुंच गया और उस से बोला, ”इशिताजी, आप काफी परेशान दिखाई दे रही हैं, आखिर आप को अभी जाना कहा है?’’
”देशराजजी, आप यह बात खुद समझ सकते हैं कि अब शाम पूरी ढल चुकी है, लेकिन आटो वाले मेरे घर की तरफ जाने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं.’’ इशिता ने कहा.
”इशिताजी, आखिर आप रहती कहां पर हैं?’’ देशराज ने पूछा.
”वैसे तो हमारा पुश्तैनी घर कृष्णानगर मानिकपाड़ा में है. मेरे पापा आर्मी में थे, रिटायर हो गए हैं, इसलिए वहां पर पुराने घर को तोड़ कर नया घर बनवा रहे हैं. आजकल हम लोग कोचरापाड़ा में एक किराए के मकान में रह रहे हैं.’’ इशिता ने कहा.
अब देशराज का घर भी उसी तरफ था, इसलिए वह इस बात को सुन कर काफी खुश हो गया था. वह इशिता से बोला, ”अरे इशिताजी, यह तो सोने पे सुहागा जैसी बात हो गई है. देखो, कैसा संयोग है आप के पापा आर्मी में हैं दूसरी तरफ मेरे पापा बीएसएफ में हैं. मैं, मेरी मम्मी और मेरी छोटी बहन भी किराए पर जेठिया धरमपुर में रहते हैं. आप का घर पहले आएगा और मेरा बाद में. यदि आप को कोई आपत्ति न हो तो क्या आप मेरे साथ मेरी बाइक पर बैठ सकती हैं, मैं तुम्हें रास्ते में ही ड्रौप कर दूंगा.’’
”यह तो वाकई सोने में सुहागा हो गया है, जैसा कि अभीअभी आप ने भी कहा था. मुझे इस आप के नेक काम में भला क्या आपत्ति हो सकती है. आप की बाइक कहां है?’’ इशिता बोली.
”इशिताजी, मेरी बाइक देखिए, वह सामने खड़ी है. काले रंग की बुलेट है.’’ देशराज ने अपनी बाइक की तरफ बढ़ते हुए कहा.
”देशराजजी, आप तो बड़े दिलचस्प लगते हैं. बाइक चलाने के अलावा तुम्हारे और क्याक्या शौक हैं?’’ इशिता ने उस की बाइक पर बैठते हुए कहा.
”देखिए इशिताजी, अपना एक शौक तो आप जान ही चुकी हैं. दूसरा शौक ‘फ्री फायर’ वीडियो गेम है और तीसरा सब से महत्त्वपूर्ण शौक खूबसूरत लोगों से दोस्ती करना है.’’ यह कहते हुए देशराज ने अपनी बाइक आगे बढ़ा दी थी.
कुछ देर बाद इशिता ने बाइक रुकवाते हुए देशराज से कहा, ”देशराजजी, मेरा घर अब नजदीक में ही है, इसलिए मुझे आप यहीं पर उतार दीजिए.’’
”इशिता, मैं ने तो सोचा था कि तुम मुझे अपने घर में ले जाओगी, चायनाश्ता कराओगी, मगर तुम ने तो मेरा दिल ही तोड़ डाला.’’ देशराज ने कहा
”देशराजजी, यदि मेरे घर वालों ने या पड़ोसियों ने मुझे आप के साथ देख लिया तो लोग तरहतरह की बातें बनाएंगे. मैं क्या जवाब दूंगी उन सब को?’’ इशिता बोली
देशराज थोड़ी देर तक इशिता की आंखों में एकटक देखता रहा और उस के बाद उस ने अगले ही पल अपने दिल की बात जुबान से कह ही डाली, ”इशिता, तुम बहुत खूबसूरत हो, मुझे पहली ही नजर में तुम से प्यार हो गया है. आई लव यू इशिता.’’
यह सुनते ही इशिता के गोरेगोरे गालों पर लाज की एक अलग सी सुर्खी फैल गई. शरम के मारे उस की नजर झुक गई. वह धीमे से मुसकरा कर देशराज की बाइक से नीचे उतर गई.
”इशिता अब जातेजाते अपना मोबाइल नंबर तो बता दो,’’ देशराज ने विनयपूर्वक कहा.
इशिता ने जल्दी से अपना मोबाइल नंबर बताया, जिसे देशराज ने अपने मोबाइल में सेव कर लिया और इशिता मुसकराते हुए पलट कर तेजी से अपने घर की ओर बढ़ गई. देशराज उसे तब तक अपनी प्यासी नजरों से देखता रहा, जब तक इशिता उस की ओर से ओझल नहीं हो गई. उस दिन के बाद से क्लास में हो या कहीं बाहर अकेले, उन दोनों की नजदीकियां अब बढऩे लगी थीं. इधर इशिता अपनी पढ़ाई पर भी काफी फोकस बनाए रखती थी, क्योंकि 10+2 की परीक्षा पास करने के बाद उस का इरादा डौक्टरी की पढ़ाई करने का था, लेकिन दूसरी तरफ देशराज अपनी पढ़ाई की ओर अधिक ध्यान न दे कर मटरगश्ती करने में ज्यादा आगे रहा करता था.

इस के अलावा देशराज इशिता के प्रति कभीकभी काफी आक्रामक भी हो जाता था. वह चाहता था कि इशिता उस के अतिरिक्त किसी भी अन्य लड़के से दोस्ती करने की बात तो दूर बात भी न करे.
एक दिन की बात है. उस दिन शाम को इशिता लाइब्रेरी में जा कर अपनी पढ़ाई के लिए नोट्स तैयार कर रही थी. लाइब्रेरी में उस समय इशिता के अलावा और कोई नहीं था. देशराज उसे काफी समय से फोन कर रहा था, लेकिन उस ने अपना मोबाइल फोन पढ़ाई में व्यस्त होने के कारण साइलेंट मोड में रखा हुआ था. देशराज को पता था कि शाम को कभीकभी इशिता पढ़ाई करने लाइब्रेरी चली जाया करती है. इसलिए वह उसे ढूंढते हुए लाइब्रेरी पहुंच उस को पढ़ाई में व्यस्त देख कर देशराज उस पर भड़क गया.
”इशिता, मैं कब से तुम्हें फोन कर रहा हूं. क्या कर रही हो तुम यहां पर अकेले? चलो, मेरे साथ कहीं बाहर घूमने चलते हैं.’’
”देखो देशराज, हमारे फाइनल एग्जाम सिर पर हैं, इस के अलावा मैं नीट की परीक्षा की तैयारी में भी लगी हुई हूं. देख रहे हो न, मेरे आसपास किस तरह से किताबें फैली हुई हैं. तुम भी अभी अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो,’’ इशिता के उसे समझाते हुए कहा.
”अरे इशिता, क्या करोगी इतना सब पढ़लिख कर, हमारे पास में गांव में काफी खेती है. अपने घर का इकलौता बेटा हूं मैं, कोई बिजनैस कर लूंगा. ठाठ से रखूंगा तुम्हें, चलो तुम्हें चाट खिला कर लाता हूं.’’ देशराज ने कहा.
उस की इस बात को सुन कर इशिता को बड़ा गुस्सा आया, पर गुस्से पर काबू करते हुए वह बोली, ”देशराज, अब एग्जाम के केवल 5 दिन बाकी रह गए हैं. मुझे पढऩे दो, मैं अभी तुम्हारे साथ बिलकुल भी नहीं आ सकती.’’
”देखो इशिता, लोग इसलिए पढ़ाई करते हैं कि एक अच्छी नौकरी लग जाएगी ताकि ढेरों पैसे कमाए जा सकें, लेकिन मेरे घर में पैसों की कोई कमी नहीं है. जैसे ही मैं कोई नया बिजनैस शुरू करूंगा, तुम्हारे कदम पर दौलत का ढेर लगा दूंगा.’’ देशराज ने शेखी बघारते हुए कहा.
”देशराज, मेरे भी अपने खुद के सपने हैं, मैं अपने जीवन में अपने बलबूते पर कुछ बनना चाहती हूं. मेरी तो तुम से भी यही गुजारिश है कि अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो. अपने दम पर कुछ बन कर दिखाओ, फेमिली वालों के दम पर तो सभी शेखी बघारने लगते हैं.’’ इशिता ने उसे समझाया.
लेकिन दूसरी तरफ देशराज को इशिता की बात का बहुत बुरा लगा और उस ने अगले ही पल एक झन्नाटेदार थप्पड़ इशिता के गाल पर दे मारा. यह देखकर इशिता भी एक पल के लिए जैसे सहम सी गई थी. उस ने तुरंत वहां से अपनी किताबें इकट्ठा कीं और गुस्से से पैर पटकती हुई वहां से चली गई. रास्ते भर इशिता देशराज के इस कृत्य से रोती रही. बस उसी दिन और उसी पल मन देशराज के लिए खट्टा हो गया था. इशिता को उस समय इस बात का पूरापूरा अहसास हो चुका था कि देशराज को न तो इशिता की भावनाओं की चिंता है और न ही वह स्वयं कुछ करना चाहता है. उसे तो केवल अपने फेमिली वालों की दौलत का घमंड था.
वह अपने आप को एक ऐसे वीडियो गेम के दुष्चक्र में फंसा चुका था कि वह कभी भी अपना और अपने साथसाथ इशिता का जीवन भी तबाह कर सकता था. धीरेधीरे इस का नतीजा यह हुआ कि देशराज अब इशिता के मन से काफी दूर जा चुका था. अब इशिता को यह महसूस होने लगा था कि उस ने देशराज के साथ प्रेम संबंध बढ़ा कर बहुत ही जल्दबाजी कर दी थी, क्योंकि देशराज कहीं से भी उस के सपनों का राजकुमार तो बिलकुल भी नहीं था. देशराज के लिए तो वीडियो गेम और उस के घर वालों की जमीन और दौलत का महत्त्व सर्वोपरि था.
इस के बाद देशराज ने कई बार इशिता से मिलने और बात करने की कोशिश भी की थी, लेकिन इशिता ने तो यह सोच लिया था कि जिस जीवनसाथी की उस ने अपने मनमस्तिष्क में कल्पना कर रखी थी, वह किसी भी रूप में उस का एक आदर्श प्रेमी या जीवनसाथी तो कतई नहीं हो सकता था. इसलिए इशिता ने इस भ्रमित प्रेम संबंध को तोडऩे के लिए देशराज से दूरी बनानी शुरू कर दी. देशराज बारबार उसे परेशान करता रहता था, इसीलिए अब इशिता ने अपना पुराना वाला सिम भी तोड़ कर फेंक दिया था.
धीरेधीरे समय गुजरता गया. 10+2 पास करने के बाद इशिता ने विक्टोरिया कालेज में दाखिला ले लिया था. यहां देशराज ने कई बार इशिता से मिल कर बात करने की कोशिशें की, परंतु इशिता ने उस से अब सारे रिश्ते ही खत्म कर लिए थे. वह अब पढ़ाई के साथ ही साथ नोट तैयार करने में भी लगी थी. इधर देशराज ने इशिता की एक सहेली से इशिता का नया मोबाइल नंबर भी ले लिया था. देशराज बारबार इशिता से बात कर माफी मांगा करता था, वह उस से अपने रिश्ते को दोबारा से बनाने के लिए हमेशा कहता रहता था. इशिता ने उसे इग्नोर कर दिया तो जुनूनी आशिक देशराज सिंह ने गोली मार कर उस की हत्या कर दी.
उस के बाद पश्चिम बंगाल पुलिस ने उत्तर प्रदेश पुलिस की मदद से देशराज सिंह को गिरफ्तार कर लिया और उस की निशानदेही पर एक 7 एमएम का पिस्तौल भी बरामद कर लिया. कहानी लिखे जाने तक पश्चिम बंगाल पुलिस उस के पापा राघवेद्र प्रताप सिंह को भी गिरफ्तार कर चुकी थी और दोनों को जेल भेज दिया गया था.
बच्चों पर दुष्प्रभाव डाल रहा है ‘गरेना फ्री फायर’ गेम
गरेना फ्री फायर गेम जिसे ‘फ्री फायर बैटलग्राउंड’ या ‘फ्री फायर’ गेम के नाम से भी जाना जाता है, जो ऐक्शन-एडवेंचर बैटल रोयल गेम है, जो मोबाइल के लिए उपलब्ध कराया गया है. इस गेम को 111 डौट्स स्टूडियो द्वारा विकसित किया गया है और गारिना द्वारा प्रकाशित किया गया है. यह मोबाइल गेम 20 नवंबर, 2017 को बीटा रिलीज किया गया था और 4 दिसंबर, 2017 को आधिकारिक तौर पर एंड्राइड और आईओएस के जरिए जारी किया गया था. इस मोबाइल गेम के 500 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ता हैं.
इस खेल में 50 से अधिक खिलाड़ी होते हैं, जो दूसरे खिलाडिय़ों को मारने के लिए हथियारों और उपकरणों की तलाश में एक द्वीप पर पैराशूट के सहारे गिरते हैं. इस में खिलाडिय़ों को अन्य खिलाडिय़ों को मार कर जीतना होता है. जो खिलाड़ी जीत जाता है उसे बूयाह (क्चह्रह्रङ्घ ्र॥) दिया जाता है. इस खेल में 4 नक्शे होते हैं. पहले का नाम बरमुडा है, जो सब से पुराना नक्शा है. दूसरे नक्शे का नाम परगेटारी है, तीसरा नक्शा कलाहारी है, जो हाल ही में प्रकाशित किया गया था. इस के अलावा बरमुडा का नया संस्करण लाया गया है. इस चौथे नक्शे का नाम बरमुडा रीमास्टर्ड है.
फ्री फायर एक वीडियो गेम है, जिस में विभिन्न प्रकार के इन-गेम इवेंट्स शामिल हैं. ये इवेंट्स पेड के रूप में हो सकते हैं या फिर खिलाडिय़ों को गेम में इनाम और बोनस कमाने का मौका दे सकते हैं. पेड इवेंट, जैसे कि एलिट पास के बाद बैटल पास की जगह आया है. डायमंड रौयल खिलाडिय़ों को एक्सक्लूसिव कौस्मेटिक्स और अन्य आइटम्स खरीदने की अनुमति दे देते हैं, जबकि दूसरे इवेंट्स में आमतौर पर सभी खिलाडिय़ों के लिए उपलब्ध रहते हैं और उन्हें भाग लेने के लिए कोई भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होती है. इन इवेंट्स में खिलाडिय़ों को गेम में बिना भुगतान किए बेहतर आइटम्स को अनलौक करने का मौका मिलता है. इन आयोजनों का विषय और समय अलगअलग हो सकता है.

फायर गेम खेलने के कई दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं. इस से फायर गेम खेलने की लत लग सकती है, जिस के कारण वास्तविक दुनिया की गतिविधियों की उपेक्षा होती है. गेम को खेलने के कारण बच्चे चिड़चिड़े, आक्रामक, सामाजिक रूप से अलगथलग होने लग जाते हैं. इस के अतिरिक्त गेमिंग में पैसे खर्च करने, आंखों की रोशनी कम होने और शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पडऩे जैसे खतरे भी सामने आने लगते है.ल इस गेम की लत से बच्चे दिन भर पढ़ाई करने के बजाय गेम खेलते रहते हैं और खेलना व परिवार के साथ वक्त बिताना छोड़ देते हैं. इस गेम को लंबे समय तक खेलने से मानसिक संतुलन तक बिगड़ सकता है.
बच्चे अपनी मनपसंद चीजें खरीदने के लिए खुद ही पैसे इस गेम में खर्च कर सकते हैं, जिस के कारण परिवार में वित्तीय संकट पैदा होने की आशंका बनी रहती है. इस से बच्चों को दूर रखने के लिए मातापिता को अपने बच्चों पर निगरानी रखने व बच्चों को ऐसे हिंसक गेम खेलने से रोकने के लिए बच्चों को समझाने की आज विशेष आवश्यकता है.
14 फरवरी, 2022 को भारत सरकार के इलेक्टौनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भारत के संविधान के सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69ए के तहत भारत की गोपनीयता और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाले 53 अन्य ऐप्स के साथ ‘गरेना फ्री फायर’ गेम पर प्रतिबंध लगा दिया था, प्रतिबंध लगाने के बावजूद यह गेम आज भी युवाओं और बच्चों के द्वारा खेला जा रहा है, जिस पर तत्काल रोक लगाए जाने की विशेष जरूरत है. West Bengal News






