25 सितंबर, 2019 तक मध्यप्रदेश में उजागर हुए सैक्स स्कैंडल जिसे मीडिया ने हनीट्रैप नाम दिया था, का मुकम्मल बवाल मच चुका था. हर दिन इस स्कैंडल से जुड़ी कोई खबर सनसनी पैदा कर रही थी. राजनैतिक और प्रशासनिक गलियारों में काम कम इस देशव्यापी स्कैंडल और उस से जुड़े अधिकारियों और नेताओं की चर्चा ज्यादा हो रही थी कि इस में कौनकौन फंस सकते हैं.

लेकिन जब सरकार ने इस स्कैंडल की जांच के बाबत विशेष जांच दल का गठन कर दिया तो चर्चाएं और खबरें धीरेधीरे कम होने लगीं और दीवाली आतेआते लोगों की जिज्ञासा भी खत्म होने लगी.

जो लोग यह जानने को उत्सुक थे, उन नेताओं और अधिकारियों के असल चेहरे और नाम उजागर होंगे, जिन्हें ब्लैकमेल किया जा रहा था, उन की उत्सुकता भी ठंडी पड़ गई थी.

लोगों ने मान लिया कि इस कांड का हाल भी व्यापमं घोटाले जैसा होना तय है, जिस में कोई नहीं फंसा था और जो फंसे थे वे सीबीआई जांच के बाद दोषमुक्त हो गए थे.

अगर यही होना था तो इतना बवंडर क्यों मचा, इस सवाल का सीधा सा जवाब यही निकलता है कि मकसद चूंकि इस में फंसे शौकीन रंगीनमिजाज राजनेताओं और अधिकारियों को और ज्यादा ब्लैकमेलिंग से बचाना था, इसलिए इंदौर नगर निगम के एक इंजीनियर हरभजन सिंह को बलि का बकरा बनाया गया और आरोपियों को जेल भेज कर बाकियों को कुछ इस तरह बचा लिया गया कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे.

इस सैक्स स्कैंडल की सनसनी का इकलौता फायदा यह हुआ कि जो दूसरे मर्द इस तरह की ब्लैकमेलिंग का शिकार हो रहे थे, उन में से कुछ को हिम्मत बंधी कि अगर पुलिस में रिपोर्ट लिखाई जाए तो ब्लैकमेलिंग से छुटकारा मिल सकता है. क्योंकि इंदौर भोपाल के सैक्स स्कैंडल में काररवाई ब्लैकमेल करने वाली बालाओं के खिलाफ हुई थी और पीडि़त पुरुष साफ बच गए थे.

मुमकिन है कि आने वाले वक्त में कुछ बड़े नाम सामने आएं, लेकिन यह अंजाम कांड के आगाज जैसा हाहाकारी तो कतई नहीं होगा.

ऐसे ही एक शख्स हैं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के युवा हार्डवेयर व्यापारी चेतन शाह, जिन्हें मध्य प्रदेश की सनसनी से लगा कि अगर पुलिस की मदद ली जाए तो ब्लैकमेलिंग से मुक्ति मिल जाएगी. शर्त बस इतनी सी है कि पहले पुलिस को ईमानदारी से सच बता दिया जाए कि वे प्रीति तिवारी नाम की खूबसूरत बला के बिछाए प्रीत जाल में कैसे फंसे थे और अब तक कितना पैसा उस पर उड़ा चुके थे या फिर ब्लैकमेल हो कर मजबूरी में दे चुके थे.

अक्ल आई तो चेतन पहुंचे एसपी के पास  रायपुर के पौश इलाके वीआईपी एस्टेट तिराहा के पास पाम बेलाजियो बी-201, मोहबा पंढरी में रहने वाले चेतन की दुकान का नाम बाथ स्टूडियो है जो देवेंद्र नगर में है.

25 सितंबर की शाम कोई पांच साढ़े पांच बजे चेतन मन में उम्मीदें और आशंकाएं दोनों लिए रायपुर के सिटी एडीशनल एसपी के औफिस पहुंचे. चेतन की रायपुर में अपनी एक अलग साख और पहचान है, जिस से हर कोई वाकिफ है.

बीते 5 सालों से उन पर क्या गुजर रही थी, इस का अंदाजा किसी को नहीं था. यह दास्तां सिलसिलेवार उन्होंने एडीशनल एसपी प्रफुल्ल ठाकुर को सुनाई तो उन की आंखें चमक उठीं कि कहीं ऐसा तो नहीं कि प्रीति के तार भी मध्य प्रदेश के सैक्स स्कैंडल और गिरोह से जुड़े हों.

चेतन ने प्रफुल्ल ठाकुर को जो बताया, वह भोपाल इंदौर के मामलों से मेल खाता हुआ था, जिन में सैक्सी सुंदरियों ने पूरी दबंगई से अच्छेअच्छे अफसरों और रसूखदार नेताओं को अपनी अंगुलियों पर नचाया था, क्योंकि उन के पास वे वीडियो थे जिनमें ये नेता, अधिकारी उन्मुक्त हो कर रंगरलियां मना रहे थे. ये वीडियो अगर उजागर हो जाते तो ये लोग समाज में कहीं मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाते.

यही हाल चेतन का था, 6 साल पहले जिन की दोस्ती प्रीति तिवारी से फेसबुक पर हुई थी. 28 वर्षीय चेतन का करोड़ों का कारोबार था और घर में या जिंदगी में किसी चीज की कमी नहीं थी. वे दिनरात अपने कारोबार में डूबे रहते थे और बचा वक्त पत्नी और नन्ही बेटी के साथ गुजारते थे.

आमतौर पर ऐसा होता है कि जब आदमी कामयाबियों की सीढि़यां चढ़ रहा होता है तो उस के सामने कई तरह के प्रलोभन आते हैं, जिन से समझदार आदमी तो बच कर आगे बढ़ जाता है, जबकि नासमझ इस में फंस कर अपना सब कुछ गंवा बैठते हैं. यही चेतन के साथ भी हुआ था.

20 वर्षीय प्रीति तिवारी मूलत: अनूपपुर की रहने वाली है, जहां उस के पिता कांट्रेक्टर हैं. उन की बड़ी इच्छा थी कि बेटी डाक्टर बने लेकिन प्रीति पढ़ाईलिखाई में औसत थी. इसलिए वह मैडिकल की एंट्रेस परीक्षा पास नहीं कर सकी.

पिता ने भागादौड़ी कर यह सोचते हुए उसे बिलासपुर के एक डेंटल कालेज में दाखिला दिला दिया था कि चलो डेंटिस्ट ही बन जाएगी तो प्रीति के नाम के आगे डाक्टर तो लग जाएगा. फिर उस की शादी भी किसी डाक्टर या दूसरे काबिल लड़के से कर वह अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेंगे.

जिस माहौल में प्रीति की परवरिश हुई थी, उस में कोई खास बंदिशें नहीं थीं और नसीहतें भी उतनी ही थीं जितनी आम मध्यमवर्गीय लड़कियों को हर घर में मिलती हैं. उसे कभी पैसे की कमी भी महसूस नहीं हुई थी. अनूपपुर में तो वह सलीके से रही लेकिन जब बिलासपुर आई तो न केवल खुद बदल गई बल्कि उस की जिंदगी भी बदल गई.

पिता ने पैसे और पहुंच के दम पर उसे डेंटल कालेज में दाखिला तो दिला दिया था, लेकिन प्रीति का मन पढ़ाई में बिलकुल नहीं लगता था. वह दिनरात सोशल मीडिया पर व्यस्त रहती थी, नतीजतन फेल होने लगी. चैटिंग के दौरान उस ने कई पुरुष मित्र बना डाले थे. इन की दीवानगी और बेताबी देख प्रीति को मजा आने लगा था. हर कोई उस से अंतरंग यानी सैक्सी बातें करना चाहता था.

अब तक उस का इरादा केवल टाइम पास करना और मजे लूटना था, इसलिए वह किसी के साथ हद से ज्यादा नहीं बढ़ी थी लेकिन 4 साल फेल होतेहोते जब यह तय हो गया कि वह और आगे पढ़ाई नहीं कर पाएगी तो वह घबरा उठी. इस घबराहट की पहली वजह उस आजादी का छिन जाना था जो बिलासपुर आ कर उसे मिली थी, दूसरा थोड़ा डर या लिहाज मातापिता का था कि उन्हें कैसे बताएगी कि लगातार सब्जेक्ट ड्राप लेतेलेते उसे कालेज से बाहर किया जा रहा है.

ऐसे में उस के दिमाग में एक खतरनाक खयाल आया और आया तो उस ने इस पर अमल भी कर डाला. इसी दौरान उस से चेतन की दोस्ती हुई थी. दोनों हल्कीफुल्की चैटिंग भी करते थे. इसी बातचीत में प्रीति को पता चला कि चेतन करोड़ों की आसामी है. तब उस ने सिर्फ इतना भर सोचा कि अगर चेतन उस के हुस्न जाल में फंस जाए तो जिंदगी ऐशोआराम से कटेगी.

प्रीति थी भी ऐसी कि उसे देख कर कोई भी उस पर न्यौछावर हो जाता. भरेपूरे गदराए बदन की मालकिन, तीखे नैननक्श, गोरा रंग, रहने का अपना शाही स्टाइल और माशाअल्लाह अदाएं. वह अकसर इतने टाइट कपड़े पहनती थी कि उस के उन्नत उभार बरबस हर किसी का ध्यान अपनी तरफ खींच ही लेते थे.

कुल जमा प्रीति नए जमाने की एक ऐसी तितली थी जिस ने बिलासपुर में रहते कोर्स को तो न के बराबर पढ़ा लेकिन औनलाइन प्यार और सैक्स का सिलेबस इतना पढ़ डाला था कि अगर कोई यूनिवर्सिटी इस में डाक्टरेट की उपाधि देती होती तो प्रीति का नाम उस की लिस्ट में सब से ऊपर होता.

फेसबुक से हुई शुरुआत   प्रीति ने मौजमस्ती की जिंदगी गुजारने का जो प्लान तैयार किया था, उस में चेतन उस के निशाने पर थे. प्रीति से चैट करतेकरते उन्हें नएपन और रोमांस की जो फीलिंग आती थी, वैसी तो शायद जवानी में और शादी के पहले भी नहीं आती थी.

धीरेधीरे दोनों सोशल मीडिया पर खुलने लगे तो चेतन को भी मजा आने लगा कि एक निहायत खूबसूरत मैडिकल स्टूडेंट उन्हें प्यार करने लगी है और वह भी इतने उतावलेपन से कि उन पर अपना सब कुछ न्यौछावर करने को तैयार है.

जब चैटिंग से बजाय सुकून मिलने के बेकरारी बढ़ने लगी तो दोनों का दिल मिलने को मचलने लगा. चेतन उस से बातें तो हर तरह की कर रहे थे लेकिन यह कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे कि जानू और मत तड़पाओ अब ये दूरियां बरदाश्त नहीं होतीं, मन तो मिल ही चुके हैं अब तन भी मिल जाएं तो इश्क मुकम्मल हो जाए.

ऐसा शायद इसलिए था कि चेतन पर कारोबारी और पारिवारिक दबाव था और वे प्रीति के सामने अपनी इमेज पाकसाफ रखना चाहते थे. लेकिन स्क्रीन पर उस की कसी और गदराई देह देख खुद को जब्त भी नहीं कर पा रहे थे.

फिर एक दिन प्रीति ने उन की कशमकश यह कहते दूर कर दी कि आ जाओ बिलासपुर. इस खुली पेशकश पर वे और घबरा उठे. शायद यही नहीं तय है कि चेतन की हिम्मत अपनी प्रतिष्ठा, मर्यादा और संस्कार तोड़ने की नहीं हो रही थी और प्रीति इस कमजोरी को बखूबी समझ रही थी.

चेतन की इस कमजोरी में ही उसे अपना सुनहरा भविष्य नजर आ रहा था, क्योंकि कोई और छिछोरा, लंपट या मजनूं टाइप का आयटम होता तो पैरों के बल दौड़ता, लार टपकाता बिलासपुर आता और अपनी जरूरत या हवस पूरी कर चला जाता.

इस समीकरण को भांपते खुद प्रीति ही एक दिन रायपुर पहुंच गई और वहां के एक महंगे नामी होटल में रूम ले कर ठहरी. चेतन को जब उस ने फोन किया तो उन की बांछें खिल गईं और दिल में नएनए प्रेमियों जैसा डर भी बैठ गया कि न जाने क्या होगा पहली मुलाकात में. शाम को जब वे प्रीति के होटल पहुंचे तो आलीशान और भव्य कमरे में जो हुआ वह उन की कल्पना से परे था. प्रीति केवल बेपनाह खूबसूरत ही नहीं थी, बल्कि सैक्स के खेल में भी उतनी ही उन्मुक्त थी, जितनी कि रहनसहन में थी.

वह एक ऐसी शाम थी जिस पर चेतन अपना सब कुछ लुटा देने को तैयार हो गए. हालांकि जब वे यह सोच रहे थे कि प्रीति से उन की प्रीत या दोस्ती यहीं तक सीमित रहेगी लेकिन प्रीति जो सोच रही थी, उस का वे अंदाजा भी नहीं लगा सकते थे.

मनचाहा मजा दे कर प्रीति रायपुर से वापस बिलासपुर लौट तो गई लेकिन चेतन के दिल और जिंदगी में मुकम्मल खलबली मचा गई. जाने के बाद दोनों के बीच फोन और सोशल मीडिया पर बातचीत होती रही और दोनों उस रात की यादें और अनुभव साझा करते रहे.

फंसे फिर धंसते गए  चेतन का मन अब चैटिंग से नहीं भर रहा था, लिहाजा उस रात जैसा लुत्फ हर कभी उठाने के लिए वे खुद बिलासपुर जाने लगे. वे भी वहां के महंगे होटलों में ठहरते थे, इस से एक फायदा यह था कि ऐसे होटलों में कोई आप के प्राइवेट मामलों में दखल नहीं देता कि कौनकौन आजा रहा है और कमरे के अंदर क्या हो रहा है. प्रीति होटल के उन के रूम में आती थी दोनों मौजमस्ती भरा मनचाहा सैक्स करते थे और एकाध दो दिन बाद चेतन रायपुर लौट जाते थे.

जाने से पहले वे प्रीति को बेशकीमती तोहफे दिलाते थे और उस पर दिल खोल कर खर्च करते थे. यही प्रीति चाहती भी थी. उस का मकसद मुफ्त के मजे लेना और पैसा हथियाना था. लेकिन इस दौरान वह चेतन को यह अहसास जरूर कराती रहती थी कि वह कोई ऐसीवैसी बाजारू लड़की नहीं है, बस उसे तो उन से प्यार हो गया है.

चेतन के मन में कोई संशय न रहे इस बाबत भी प्रीति ने साफ कर दिया था कि वह जानती है कि उन की पत्नी है, छोटी सी बेटी है, अपनी इज्जत है, घरगृहस्थी और कारोबार है. वह इस में कभी अड़ंगा नहीं बनेगी, उसे तो बस अपने हिस्से का वक्त और प्यार चाहिए.

बिस्तर में कुलांचे भरने वाली प्रीति की यह अदा भी चेतन को आश्वस्त करती थी कि वह उन्हें चाहती है. खुद के बारे में भी वह बता चुकी थी कि उस के पिता मनेंद्रगढ़ में ठेकेदारी करते हैं और उन के पास पैसों की कोई कमी नहीं है.

वह चेतन को बताती थी कि तुम में जाने क्या है जो मैं कइयों को ठुकरा कर तुम पर मर मिटी. खैर, मर ही मिटी हूं तो जब तक तुम चाहोगे तुम्हारी रहूंगी और नहीं चाहोगे तो भी तुम्हारे नाम की माला जपती रहूंगी.

चेतन के पास पैसों की कोई कमी तो थी नहीं, कारोबार मुनाफे में चल रहा था लिहाजा लाख 2 लाख रुपए तो वे अपनी इस समर्पित प्रेमिका पर यूं ही उड़ा देते थे. देखा जाए तो प्रीति एक तरह से चेतन की रखैल बन गई थी. उधर चेतन को बेफिक्री यह थी कि इस से उन का कुछ नहीं बिगड़ रहा था, बल्कि स्वर्ग जैसा जो सुख मिल रहा था, उस का कोई मोल नहीं था. लिहाजा प्रीति पर पैसे लुटाने की तादाद बढ़ती जा रही थी.

अब तक शायद प्रीति के मन में भी यही था कि जितना हो सके मालमत्ता लपेट लो बाद की बाद में देखी जाएगी. वह चेतन को अपने हुस्न जाल और सैक्सी अदाओं से फंसाए रखने का कोई टोटका नहीं छोड़ती थी. उस के लिए चेतन एक तरह से सोने का अंडा देने वाली मुर्गी था.

प्रीति की पैसों की जरूरत तो पूरी हो रही थी, लेकिन वह जानती थी यह अस्थाई है और अगर यह स्थाई हो जाए तो फिर जिंदगी भर कुछ नहीं करना पड़ेगा. इधर कालेज छोड़ने का वक्त भी नजदीक आ रहा था. ऐसे में अगर वह अनूपपुर वापस चली जाती तो चेतन के साथसाथ उस की दौलत भी छूट जाती.

लिहाजा उस ने एक दिन दुखी होने का नाटक करते हुए चेतन को वे बातें बता दीं जिन का अपना एक मकसद भी था. चेतन को भी यह जान कर झटका लगा कि अगर प्रीति घर वापस चली गई तो सब कुछ आज जैसा आसान नहीं रह पाएगा. लेकिन क्या किया जाए, इस का हल उन्हें नहीं सूझ रहा था.

प्लान के मुताबिक यह समस्या भी प्रीति ने ही यह कहते हुए दूर कर दी कि अगर तुम मुझे रायपुर में फ्लैट दिला दो तो मैं वहीं रह जाऊंगी. फिर हमारी मौजमस्ती में कोई अड़चन पेश नहीं आएगी. इस सुझाव पर चेतन को भी लगा कि सौदा घाटे का नहीं है क्योंकि अभी वे होटलों में ठहरने, खानेपीने और तोहफों पर जो खर्च कर रहे हैं, वह बच जाएगा और प्रीति से मिलने जाने में कोई डर नहीं रहेगा.

लिहाजा उन्होंने प्रीति को रायपुर के गायत्री नगर इलाके में 50 लाख रुपए का फ्लैट दिला दिया और अपनी एक हुंडई कार भी दे दी, जिस से उसे उन की गैरहाजिरी में घूमनेफिरने में कोई परेशानी न हो. प्रीति फ्लैट में शिफ्ट हो गई और चेतन के पैसों पर ऐश की जिंदगी गुजारने लगी. जब भी जरूरत होती वह चेतन से खर्च के नाम पर पैसे मांग लेती थी और चेतन भी मांगा हुआ पैसा उसे दे देते थे.

जिंदगी अब मजे से गुजर रही थी, चेतन का जब मन होता था तब वे प्रीति के साथ मौजमस्ती करने चले जाते थे. अब मन में रहासहा डर भी खत्म हो गया था. क्योंकि लंबे समय से वे यही कर रहे थे और किसी को हवा भी नहीं लगी थी. प्रीति भी इस बात का ध्यान रखती थी कि जब चेतन कारोबार में व्यस्त हों या फिर घर पर हों, तब उन्हें डिस्टर्ब नहीं करना है.

मांबाप भी जान गए प्रीति की हकीकत  अब तक मांबाप से झूठ बोल कर तरहतरह के बहाने बनाने वाली प्रीति को अब अपना भविष्य गारंटीड दिख रहा था, इसलिए साल 2015 में उस ने अपनी मम्मीपापा को भी रायपुर बुला लिया. इन दोनों ने बेटी से उस की आलीशान जिंदगी के बारे में क्या पूछा और जवाब में उस ने क्या बताया यह तो पता नहीं, लेकिन उन की समझ यह जरूर आ गया था कि यह सब चेतन की मेहरबानियां हैं, लिहाजा जब यह नाजायज दामाद आए और प्रीति के बैडरूम में जाए तब उन्हें उन को डिस्टर्ब नहीं करना है.

चेतन के लिए यह सोने पे सुहागा जैसी बात थी, क्योंकि प्रीति अब परिवार सहित रह रही थी जो उन के लिए एक तरह का सुरक्षा कवच ही था.

चेतन प्रीति के लिए एक ऐसी एटीएम मशीन बन गया था जिस में वह अपनी सैक्सी अदाओं का पासवर्ड डाल कर मनचाहा पैसा निकाल लेती थी, जिस पर अब उस के मांबाप भी ऐश कर रहे थे.

अब तक चेतन प्रीति की प्रीत पर करीब डेढ़ करोड़ रुपए उड़ा चुके थे और 5 साल का लंबा वक्त गुजर जाने के बाद उन्हें लगने लगा था कि प्रीति के चक्कर में अब व्यापार पहले सा नहीं चल रहा है और घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है.

दूसरी ओर प्रीति की मांगें और फरमाइशें कम होने के बजाय बढ़ती जा रही थीं. आखिर वह चेतन की ब्याहता पत्नी तो थी नहीं, जो इस और ऐसी बातों का खयाल रखती. उसे तो बस पैसों से मतलब था.

जब चेतन इस मतलब को और पूरा करने में असमर्थता जताने लगे तो प्रीति को समझ आ गया कि अब वक्त आ गया है कि आखिरी दांव खेला जाए. एक दिन जब चेतन ने उस के फ्लैट पर और पैसे देने से कुछ गिड़गिड़ाते और कुछ सख्ती दिखाते हाथ खड़े कर दिए तो प्रीति ने अपना असली रंग दिखाते हुए उन के सामने वे वीडियो दिखा दिए, जिन में दोनों तरहतरह से रतिक्रीड़ाएं करते नजर आ रहे हैं. ये वीडियो वक्तवक्त पर प्रीति छुपे कैमरे से बनाती रही थी.

चेतन के होश उस वक्त और फाख्ता हो गए, जब प्रीति ने खुली धौंस दे डाली कि अगर पैसे नहीं दिए तो ये वीडियो तुम्हारी पत्नी को दिखा दूंगी और पूरे रायपुर में वायरल भी कर दूंगी. मेरा जो बिगड़ेगा मैं भुगत लूंगी, तुम अपनी सोचो और बताओ क्या करना है.

अब चेतन की चेतना जागी कि वे सरासर ब्लैकमेल किए जा रहे हैं. साथ ही यह बात भी उन की समझ में आ रही थी कि कल तक रखैल की तरह खुशीखुशी तैयार रहने वाली प्रीति क्यों कुछ महीनों से उन से शादी करने को कह रही थी. वह जानती थी कि चेतन पत्नी, बच्ची और सामाजिक प्रतिष्ठा की वजह से कभी शादी के लिए तैयार नहीं होंगे, लिहाजा उन पर मानसिक दबाव बनाया जाए.

एंट्री रिंकू शर्मा की  आज नहीं तो कल, चेतन पैसे देना बंद कर देगा यह बात भी प्रीति को समझ आ गई थी. लिहाजा कुछ दिन पहले ही उस ने फेसबुक पर एक दूसरा मुर्गा खोज लिया था. इस नए आशिक का नाम था रिकचंद शर्मा उर्फ रिंकू. हरियाणा के इस कारोबारी को भी प्रीति ने वैसे ही फांसा था जैसे 6 साल पहले चेतन को फांसा था.

अब तक प्रीति चेतन को इतना निचोड़ चुकी थी कि यह करोड़पति कंगाली के कगार पर आ पहुंचा था. चेतन ने प्रीति की मांग पूरी करने के लिए रिश्तेदारों से भी पैसा उधार लिया था और व्यापारियों से भी. इतना ही नहीं, उन्होंने शंकरनगर के इलाके का अपना आलीशान मकान भी 1 करोड़ 42 लाख रुपए में बेच दिया था, जिस का बड़ा हिस्सा उधारी चुकाने में चला गया था.

इस के बाद भी वह फाइनल सेटलमेंट के तौर पर आखिरी किस्त के 50 लाख रुपए की मांग कर यह भरोसा दिला रही थी कि इस के बाद वह विदेश चली जाएगी और फिर कभी चेतन को ब्लैकमेल नहीं करेगी.

दरअसल, प्रीति रिंकू को भी रायपुर बुलाने लगी थी और वही मौजमस्ती उस के साथ कर रही थी, जिस का सिलसिला कभी बिलासपुर से चेतन के साथ शुरू हुआ था. रिंकू को बुलाते वक्त वह इस बात का ध्यान रखती थी कि उस का और चेतन का आमनासामना न हो.  वह यह भी नहीं चाहती थी कि चेतन और उस के संबंधों का राज रिंकू पर खुले, क्योंकि रिंकू भी उस पर खुले हाथ से पैसा खर्च कर रहा था.

रिंकू भी प्रीति की कसी देह और अदाओं पर मर मिटा था. उस का इरादा विदेश में कहीं बस कर कारोबार करने का था. यह बात जान कर प्रीति को लगा कि अब वक्त आ गया है कि चेतन से जितना हो सके, पैसा झटक लो और फिर रायपुर से उड़नछू हो जाओ.

लेकिन एक दिन उस वक्त गड़बड़ हो गई जब सरप्राइज देने की गरज से रिंकू हरियाणा से बिना बताए प्रीति के घर जा पहुंचा और वह भी सीधे बैडरूम में, जहां चेतन और प्रीति गुत्थमगुत्था पड़े थे.

पोल खुल गई तो प्रीति घबरा उठी कि रिंकू अब पता नहीं क्या करेगा. चेतन बहुत कुछ समझने की कोशिश करते हुए चुपचाप कपड़े पहन कर चले गए तो प्रीति ने रिंकू को सब कुछ साफसाफ बता देने में ही बेहतरी समझी.

उसे उम्मीद या डर था कि रिंकू उस पर गरजेगाबरसेगा, बेवफाई का इल्जाम लगा कर उलटे पांव हरियाणा लौट जाएगा लेकिन रिंकू उस का भी उस्ताद निकला. उस ने उसे अपनी बांहों के शिकंजे में कस कर धीरे से कहा कि जब उसे लूट ही रही हो तो पूरा लूट लो फिर हम दोनों इत्मीनान से विदेश में जा कर बस जाएंगे.

देखतेदेखते बंटी और बबली की इस नई जोड़ी ने मिल कर चेतन को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया. प्रीति ने चेतन से यह कहा था कि 50 लाख और दे दो क्योंकि मुझे वीजा बनवाना है. विदेश जा कर तुम्हारामेरा रिश्ता और सब कुछ खत्म हो जाएगा फिर तुम इत्मीनान से अपना घर और कारोबार देखना. क्योंकि मैं रिंकू से शादी करने वाली हूं.

लेकिन चेतन के पास अब कुछ नहीं बचा था. प्रीति की प्रीत की असलियत सामने थी और अब तो उस में रिंकू भी शामिल हो गया था. पाईपाई को मोहताज हो चले चेतन को मध्य प्रदेश के सैक्स स्कैंडल से हिम्मत बंधी तो वह सीधे एडीशनल एसपी प्रफुल्ल ठाकुर के चैंबर में जा पहुंचे और अपनी आपबीती सुना कर इंसाफ की मांग की.

यूं फंसी पुलिसिया जाल में  प्रफुल्ल ठाकुर ने चेतन की कहानी इत्मीनान और विस्तार से सुनी और उन्हें उस पर तरस और गुस्सा दोनों आए. चूंकि अपनी कहानी के साथसाथ चेतन ब्लैकमेलिंग के सारे सबूत उन्हें दे चुके थे कि उन्होंने कबकब कितने पैसे प्रीति को दिए, इसलिए उन्होंने प्रीति के खिलाफ रायपुर के पंडरी थाने में रिपोर्ट दर्ज करा कर जाल बिछा दिया.

दरअसल, प्रीति ने चेतन को 50 लाख रुपए की आखिरी किस्त के बाबत 26 सितंबर की तारीख दी थी, इसलिए उसे रंगेहाथों पकड़ने का मौका पुलिस ने नहीं छोड़ा. इस के पहले प्रीति चेतन की 2 और महंगी कारें रिंकू के सहयोग से छीन कर अपने कब्जे में ले चुकी  थी. जाहिर है, विदेश जाने से पहले वह इन्हें भी बेच देने का मन बना चुकी थी.

26 सितंबर को पुलिस के प्लान के मुताबिक चेतन ने प्रीति को फोन कर पैसों का इंतजाम हो जाने की खबर दी तो प्रीति के पर फड़फड़ाने लगे कि अब मकसद पूरा हो गया. रकम देने रायपुर की जगह कंचना रेलवे क्रौसिंग तय हुई. बातचीत में प्रीति ने बताया भी कि वह पैसे लेने अकेली आएगी और चेतन चाहेगा तो उसे आखिरी बार वह शारीरिक सुख भी देगी जो पहली बार बिलासपुर में दिया था.

प्रफुल्ल ठाकुर ने आननफानन में महिला पुलिसकर्मियों को सादे कपड़ों में कंचना रेलवे क्रौसिंग के आसपास तैनात किया और चेतन को एक सूटकेस में नोटों के आकार के कागज के टुकड़े भर कर दे दिए.

शाम को जैसे ही प्रीति ने चेतन से रुपयों का सूटकेस लिया तो पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. इस पर प्रीति सकपका उठी, जिसे सपने में भी चेतन के पुलिस के पास जाने की उम्मीद नहीं थी. लेकिन जो भी था, वह सामने था. पंडरी थाने में पहले तो वह ब्लैकमेलिंग की बात से मुकर गई लेकिन जल्द ही टूट भी गई. उस ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया.

ताबड़तोड़ काररवाई हुई और प्रीति के फ्लैट पर छापा मार कर पुलिस ने नकदी और वे जेवरात भी बरामद किए जो वक्तवक्त पर चेतन उसे उपहार में देते रहे थे.

प्रीति के कंप्यूटर, मोबाइल और लैपटौप भी जब्त कर फोरैंसिक जांच के लिए भेज दिए गए. फिर पुलिस रिंकू के पीछे पड़ गई जो प्रीति की गिरफ्तारी की खबर सुन कर फरार हो गया था. इस कहानी के लिखे जाने तक रिंकू गिरफ्तार नहीं हो पाया था.

मांबाप भी थे शामिल  छानबीन आगे बढ़ी तो यह भी स्पष्ट हुआ कि ऐसा होना मुमकिन ही नहीं था कि मांबाप को यह न मालूम हो कि प्रीति यह पैसा कैसे कमा रही थी. जब चेतन का उन के फ्लैट पर आनाजाना था और इस के बाद रिंकू का भी तो पुलिस को यकीन हो गया कि प्रीति के पिता रमाकांत तिवारी भी इस ब्लैकमेलिंग में शामिल हैं और वह भी बेहद शर्मनाक तरीके से.

अब तक पुलिस का अंदाजा था कि प्रीति के तार मध्य प्रदेश के सैक्स स्कैंडल से जुड़े होंगे, लिहाजा पुलिस प्रीति और रमाकांत को ले कर इंदौर आई जहां सैक्स स्कैंडल का खुलासा हुआ था. लेकिन धीरेधीरे यह स्पष्ट हो गया कि इन दोनों मामलों का सीधे कोई लेनादेना नहीं था. हां, इतना जरूर है कि रमाकांत तिवारी को ठेकेदारी में जबरदस्त घाटा हुआ था इसलिए प्रीति ने मांबाप को रायपुर बुला कर कपड़े की दुकान खुलवा दी थी, जोकि एक कांग्रेसी नेता की थी.

छानबीन में यह भी पता चला कि रमाकांत तिवारी की अनूपपुर और मनेंद्रगढ़ में खासी इज्जत है और उन के परिवार के एक दिग्गज भाजपाई नेता से भी संबंध हैं. लेकिन इन सब बातों का ब्लैकमेलिंग से संबंधित होना नहीं पाया गया.

इधर प्रीति की मां मीडिया के सामने बेटी के बेगुनाह होने की बात यह कहते हुए करती रहीं कि वह बेकसूर है उसे फंसाया गया है और जो पैसा था वह प्रीति के मंगेतर रिंकू का दिया हुआ था. इस बात में कोई दम नहीं था क्योंकि चेतन प्रीति को दिए गए पैसों का ब्यौरा मय सबूत के पुलिस को दे चुके थे. (देखें बॉक्स)

यानी रिंकू के साथसाथ प्रीति के मातापिता भी चेतन को ब्लैकमेलिंग में शामिल थे. फिर अकेली प्रीति को कैसे गुनहगार ठहराया जा सकता है. अब प्रीति और रमाकांत ब्लैकमेलिंग के आरोप में जेल में हैं और चेतन ने मुकम्मल बदनामी झेलने के बाद चैन की सांस ली है कि चलो पिंड छूटा.

शायद वे इकलौते शख्स होंगे जो मध्य प्रदेश के सैक्स स्कैंडल के आभारी होंगे, जिस के चलते वे पुलिस के पास जा कर ब्लैकमेलर्स गैंग से टकराने और निपटने की हिम्मत जुटा पाए.

लेकिन एक बात जिस से वे भी मुकर नहीं सकते, वह यह है कि शुरुआत में वे अपनी बेवकूफी और हवस के चलते प्रीति की प्रीत में फंसे थे. तब प्रीति की मंशा भी उन्हें ब्लैकमेल करने की नहीं, बल्कि सिर्फ मौजमस्ती की थी. लेकिन बाद में हालात ऐसे बनते गए कि उसे ब्लैकमेलिंग पर उतारू होना पड़ा. पिता को ठेकेदारी में घाटा और रिंकू का साथ भी इस खेल में अहम रहा.

यह सैक्स स्कैंडल और ब्लैकमेलिंग कांड दिलफेंक मर्दों के लिए एक सबक है, जो देह की चिकनी सड़क पर पांव रखते ही फिसल जाते हैं और फिर गाढ़ी कमाई का बड़ा हिस्सा अपनी करतूतें ढंकने के लिए ब्लेकमेलर्स पर लुटाने को मजबूर हो जाते हैं.

किस्तों में कंगाल हुआ करोड़पति जिस नाजायज रिश्ते को छिपाने के लिए चेतन ने 2 करोड़ रुपए प्रीति पर लुटा डाले, उसे देख लगता है कि अगर उन के पास और पैसा होता तो वे यूं ही लुटते रहते. लगता ऐसा भी है कि ब्लैकमेलिंग की घोषित शुरुआत 2015 से हुई, जिस का आभास चेतन को हो चला था, इसलिए वे प्रीति को दी जाने वाली रकम का हिसाबकिताब रखते थे और उन की हर मुमकिन कोशिश डिजिटल पेमेंट की होती थी, जिस से सनद रहे और वक्तबेवक्त काम आए और ऐसा हुआ भी.

प्रीति बाद में इतनी जबरदस्ती पर उतारू हो गई थी कि उस ने चेतन की 3 कारें उड़ा ली थीं. इसी साल जनवरी में चेतन ने शंकर नगर स्थित अपना आलीशान मकान 1 करोड़ 42 लाख रुपए में प्रीति मारवाह को बेचा था, जिस में से अधिकतर पैसा उस उधारी को चुकाने में चला गया जो उन्होंने दोस्तों और रिश्तेदारों से प्रीति को देने के लिए ली थी.

चेतन ने पुलिस को 46 लाख रुपए के ट्रांजैक्शन के सबूत दिए जो उन्होंने प्रीति के खाते में ट्रांसफर किए थे. इस के अलावा लगभग 30 लाख रुपए की ज्वैलरी वे उसे ब्लैकमेलिंग में दे चुके थे, जिसे पुलिस ने प्रीति के फ्लैट से जब्त भी किया.

घूमनेफिरने और होटलबाजी पर भी चेतन ने तबियत से पैसा फूंका था, जिस के चलते वे कंगाली के कगार पर आ गए थे. अगर यह मान भी लिया जाए कि 5 साल में उन्होंने अपनी अय्याशी पर करीब 2 करोड़ रुपए लुटाए, साथ ही वह ब्लैकमेलिंग के चक्कर में प्रीति पर सालाना 40 लाख रुपए खर्च कर रहे थे.

इस के बाद भी यह नाजायज रिश्ता छुपा नहीं रह सका, उलटे खुद चेतन को ही इसे उजागर करना पड़ा.

पुलिस के अलावा आम लोगों का भी यह अंदाजा सही लगता है कि कई पैसे वाले मर्द इस तरह की ब्लैकमेलिंग का शिकार हैं, लेकिन डर के चलते खामोश रहने मजबूर रहते हैं.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...