अपने परिजनों के राजनीतिक रसूख के चलते कोई बिगड़ैल नवाब अगर पैसे उधार लेकर आंखें दिखाने लगे, पैसे देना ना चाहे, तो उसका परिणाम जतिन राय जैसा हो सकता है.

रायपुर के खमताराई थाना इलाके में जतिन राय अभी नाबालिग ही था. उम्र थी 20 वर्ष और पार्षद अंजनी विभार का भतीजा था. चाचा भी प्रदेश में सत्ता में धमक रखते हैं.

राजधानी रायपुर के थाना खम्हारडीह इलाके में एक सूटकेस से जतिन राय नाम के युवक की लाश मिली. पुलिस इस हत्याकांड को अंजाम देने वाले प्रदीप नायक, सुजीत तांडी और केवी दिवाकर को गिरफ्तार तो कर लिया मगर संपूर्ण घटनाक्रम को देखें तो जहां यह घटना एक बड़ा संदेश देती है कि अगर परिजन राजनीति में है, प्रभावशाली है तो बच्चे किस तरह “बिगड़े नवाब” बन सकते हैं. दूसरी तरफ पुलिस हत्या जैसे गंभीर अपराध पर भी कैसा लचीला रुख अपनाती है और अगर राजनीतिक प्रभाव ना हो मुख्यमंत्री तक पहुंच नहीं हो तो कुंभकर्णी नींद में सोती रहती है.

अपनी मौत का सामान लेकर आया जतिन!

आरोपियों ने जो घटनाक्रम पुलिस के समक्ष बयां किया है उसके अनुसार जतिन राय को कहा गया था कि अपने साथ एक बड़ा सुटकेश ट्रॉली बैग लेकर आना. क्योंकि हमें कहीं बाहर जाना है. जतिन ने अपनी मां से बैग मांगा, उन्होंने बैग देने से मना कर दिया.दूसरी तरफ आरोपी बार-बार उसे कॉल कर बुला रहे थे.

जतिन ने आखिरकार अपने पड़ोसी अभय से एक बड़ा सूटकेस लिया और प्रदीप से मिलने के लिए निकला.आरोपी प्रदीप के बताए स्थान पर पहुंचने के बाद थोड़ी देर में अपने 20 हजार रुपए लौटाने को लेकर दोनों के बीच विवाद शुरू हुआ. फिर प्रदीप ने अपने साथियों के साथ मिलकर जतिन की गला दबाकर हत्या कर दी. उसकी लाश को उसी सूटकेस में भर दिया जिसे लेकर वह पहुंचा था. वे आरोपी जतिन का स्कूटर लेकर चंडीनगर में सुनसान इलाके के कुएं में लाश भरे बैग को डाल कर आराम से अपने अपने घर चले गए.

राजनीतिक रसूख!

9 फरवरी 2021को जतिन के लापता होने की शिकायत खमतराई थाने में परिवार ने दर्ज करवाई गई . मगर 5 दिनों तक पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही जहां परिजनों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. थाने तक महापौर एजाज मेंबर और पर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा आ पहुंचे. मामला मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दरबार तक पहुंचा और पुलिस को तत्परता से आरोपियों को खोजने का निर्देश मिला.और कहते हैं न, जब पुलिस अपने पर आ जाए तो आरोपी बच नहीं सकते. इस घटनाक्रम में भी यही हुआ सख्ती बरतने पर प्रदीप, उसका साथी सूरज और केवी दिवाकर पुलिस के समक्ष सच स्वीकार कर लिया.

दरअसल, करीब एक महीने पहले हत्या के आरोपी प्रदीप ने अपनी बाइक गिरवी रखी थी. इसके बदले में उसे 30 हजार रुपए मिले थे. इसमें से 20 हजार रुपए मांगने पर प्रदीप ने जतिन को दिए थे. और अब इन रुपयों को जतिन लौटा नहीं रहा था. जब भी प्रदीप पैसा मांगता तो जतिन बहाने बनाने लगता और ऐसा व्यवहार करता कि रुपए तो नहीं मिलेंगे जो करना है कर लेना. हालांकि जतिन के परिवार वालों का कहना है कि प्रदीप, जतिन से चिढ़ता था, इसलिए उसकी हत्या की और अब झूठ ही रुपयों की देनदारी की बातें कर रहा है.

“क्राइम पेट्रोल” देख बनाया प्लान

इस सनसनीखेज हत्याकांड के संदर्भ में पुलिस ने हमारे संवाददाता को बताया कि इस हत्याकांड के पीछे जहां पैसों की लेनदेन थी, रुपए नहीं मिलने से नाराज प्रदीप को “क्राइम पेट्रोल” का एक एपिसोड देखकर यह सुझा कि क्यों ना जतिन राय को कुछ इस तरह सजा दे दी जाए. पुलिस के समक्ष यह भी सच सामने आ गया है कि प्रदीप घटना से पहले जतिन को लगातार फोन कर रहा था, वो उसे बुला रहा था, जतिन जाने से इनकार कर चुका था. मगर वह बार-बार दोस्ती की दुहाई दे रहा था.

जतिन जब प्रदीप के पास भनपुरी स्थित मकान में पहुंचा तो यहां दोस्तों ने उसका स्वागत किया और मिलकर शराब पार्टी की. प्रदीप ने जानबूझकर जतिन को ज्यादा शराब पिलाई. प्रदीप ने तीव्र आवाज में म्यूजिक चला रखा था ताकि किसी को कोई आभास ना मिले. इसके बाद हत्यारों ने मौका मिलते ही उसकी गला घोंट कर हत्या कर दी और जो सूटकेस जतिन लेकर आया था उसी में उसके शव को डालकर खम्हारडीह में फेंक दिया गया.

तीन दिन बाद कचरा बीनने वाले एक बच्चे की नजर कुएं में पड़े बैग और उसमें से निकले पैरों पर पड़ी थी. और मामला पुलिस तक पहुंचा. मगर पुलिस जांच में उदासीन रही जब जतिन राय के चाचा और परिजनों ने हंगामा किया तब जाकर पुलिस के उच्च अधिकारियों के कान में जूं रेंगी और मामले की जांच में में तेजी आई और अंततः मामले का खुलासा हुआ.

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