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कलाकार: अक्षय कुमार, रकुलप्रीत सिंह, सरगुन मेहता, चंद्रचूड़ सिंह, हृषिता भट्ट, गुरप्रीत घुग्गी, सुजीत शंकर,  जोशुआ लेक्लेयर आदि

निर्देशक: रंजीत एम. तिवारी

निर्माता: वाशु भगनानी, जैकी भगनानी,  दीपशिखा देशमुख

लेखक: राम कुमार और असीम अरोड़ा

पटकथा: तुषार त्रिवेदी

छायांकन: राजीव रवि

संपादन: चंदन अरोड़ा

ओटीटी: डिज्नी प्लस  हौटस्टार

फिल्म ‘कठपुतली’ (Cuttputlli) एक ऐसे सीरियल किलर (Serial Killer) की कहानी है जो स्कूल में मैजिक शो (Magic Show) कर के टीनएज लड़कियों को पहले इंप्रैस करता है और फिर उन का मर्डर करता है. सीरियल किलर खूबसूरत लड़कियों का मर्डर बेदर्दी के साथ करता है. लड़कियों के चेहरे पर वह वार करता है, उन के दांत तोड़ता है और आंखें निकाल लेता है. सीरियल किलर का रोल यूके के  कलाकार जोशुआ लेक्लेयर (Joshua LeClair) ने निभाया है.

निर्माता वाशु भगनानी (Vashu Bhagnani), जैकी भगनानी (Jackky Bhagnani), दीपशिखा देशमुख की डिज्नी प्लस हौटस्टार (Disney Plus Hotstar) पर आई फिल्म ‘कठपुतली’ विष्णु विशाल की तमिल फिल्म ‘रत्सासन’ (Ratsasan) का हिंदी रीमेक है, जिस में अक्षय कुमार (Akshay Kumar), रकुलप्रीत सिंह (Rakulpreet Singh), चंद्रचूड़ सिंह (Chandrachud Singh), सरगुन मेहता (Sargun Mehta) समेत कई स्टार्स हैं. इस का निर्देशन ‘बेल बौटम’ वाले डायरेक्टर रंजीत एम. तिवारी ने किया है.

निर्देशक रंजीत एम. तिवारी का निर्देशन औसत दरजे का है. ड्रामे को वह मनोरंजक नहीं बना पाए. फिल्म का पहला घंटा बेहद सुस्त लगता है. ऐसा लगता है कि कहानी को बिना मतलब की बातों से खींचा गया है.

तमिल फिल्म ‘रत्सासन’ साल 2018 में आई थी और यह परदे पर हिट साबित हुई थी. किसी भी फिल्म का रीमेक बनाने की सब से बड़ी चुनौती यह होती है कि वह हूबहू न लगे और दर्शकों को कुछ नया मिले. लेकिन निर्माता कुछ नया परोसने में नाकामयाब ही रहे. फिल्म तो रीमेक है ही, राइटर्स ने डायलौग भी यहांवहां से जुटाए हैं.

फिल्म में अक्षय कुमार ने एसआई अर्जन सेठी का रोल किया है. एक जगह वह स्कूल टीचर दिव्या बख्शी से कहता है, ‘पहले रब होते हैं, फिर होते हैं मांबाप. फिर आते हैं भाईबहन, फिर रिश्तेदार, फिर दोस्त, फिर पड़ोसी और उस के बाद आते हैं टीचर्स.’

इस के बाद दिव्या का रोल कर रही रकुलप्रीत सिंह कहती है, ‘क्या आप के घर में कुत्ते नहीं हैं? आप उन का नाम भी अपनी लिस्ट में रख लेते.’ यह डायलौग मशहूर कौमेडियन भुवन बाम के एक स्केच से उठाया हुआ है.

फिल्म ‘कठपुतली’ (Cuttputlli) को मसूरी और देहरादून में शूट किया गया था, लेकिन फिल्म में कहीं भी मसूरी और देहरादून के लोकेशन का जिक्र ही नहीं. इन सभी लोकेशन को हिमाचल प्रदेश के कसौली में होना बताया गया है. जिसे ले कर भी दर्शकों में नाराजगी है. क्योंकि मूवी के हीरो अक्षय कुमार को शूटिंग के दौरान ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ब्रांड एंबेसडर बनाया था, बावजूद इस के फिल्म में उत्तराखंड का नाम नहीं है.

अक्षय कुमार की फिल्म ‘रक्षाबंधन’ फ्लौप होने के बाद ‘कठपुतली’ के फिल्म मेकर्स को अंदेशा था कि सिनेमाघरों में यह फ्लौप न हो जाए, यही सोच कर स्टार नेटवर्क को इस के राइट्स 150 करोड़ में बेचे गए हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘कठपुतली’ का बजट 100 करोड़ रुपए है.

इंट्रो के बाद ‘कठपुतली’ फिल्म की कहानी शुरू होती है, हिमाचल प्रदेश के परवाणू शहर की सुबह से. मल्होत्रा साहब कुत्ते को जंजीर से बांधे टहलने निकले हैं,  पीछे से बोहरा साहब आवाज दे कर उन के साथ हो लेते हैं.

दोनों की बातचीत के दौरान उन का कुत्ता हाथ छोड़ कर एक तरफ दौड़ लगा देता है, जहां उस के पीछे दोनों पहुंचते हैं. वहां पर पौलीथिन में लिपटी एक डैडबौडी मिलती है. पुलिस फोन करने पर पुलिस आती है और जांच में पता चलता है कि लाश एक 15 साल की स्कूल में पढऩे वाली लड़की की है.

फिल्म के अगले दृश्य में अर्जन सेठी (अक्षय कुमार) एक अखबार की न्यूज की कतरन अपने कमरे की दीवार पर चिपका कर अपने रूममेट को बताता है कि वह सीरियल किलर पर फिल्म बनाना चाहता है और पिछले 7 सालों से वह सीरियल किलर पर रिसर्च कर रहा है. उस का इंटरेस्ट सीरियल किलर की साइक्लोजी पर ज्यादा रहता है. उस के पिता पुलिस में थे और उस के पास साइक्लोजी का डिप्लोमा भी है.

इसी दौरान एक बुजुर्ग अंकल उस के कमरे में आ कर पूछते हैं कि उन की बीवी तो यहां नहीं आई तो अर्जन कहता है कि उन को गुजरे हुए 4 साल हो गए हैं. फिर वह बुजुर्ग मुसकरा कर नाचते हुए चले जाते हैं.

रूममेट के पूछने पर अर्जन बताता है कि यह अल्जाइमर के मरीज हैं. फिल्म में डाले गए इस अंकल वाले सीन को दिखाने की क्या आवश्यकता थी, यह दर्शकों की समझ से परे है.

उस के बाद अर्जन अपने रूममेट के साथ अपनी स्क्रिप्ट ले कर चंडीगढ़ जाता है और कई प्रोड्यूसरों से मिल कर सीरियल किलर पर फिल्म बनाने को कहता है. लेकिन उसे निराशा ही हाथ लगती है, क्योंकि प्रोड्यूसर उसे कुछ और ही लिखने को कहते हैं.

दोनों वापस आटोरिक्शा से लौटते हैं तो उस का दोस्त उसे समझाता है कि लंदन की पैदाइश कब तक आटो में धक्का खाएगा, कुछ पंजाब में रौक शौक क्यों नहीं लिख लेता. मगर अर्जन उस की बात मानने के बजाय उस से अगले दिन राखी के त्योहार पर कसौली जाने की बात कहता है.

सीन फिल्माने में दिखीं खामियां

अगले दिन अर्जन कसौली अपनी बहन सीमा (जिस का किरदार हृषिता भट्ट ने निभाया है) के घर जाता है, जहां उस का जीजा नरिंदर सिंह (चंद्रचूड़ सिंह) पुलिस इंसपेक्टर है. खाना खाते समय बहन उस से कुछ कामधंधा करने को कहती है, तभी जीजा उसे बताता है कि वह थोड़ी सी मेहनत कर पुलिस इंसपेक्टर बन सकता है. अर्जन जीजा की बात मान कर परीक्षा दे कर फिजिकल टेस्ट में भी पास हो कर सबइंसपेक्टर बन जाता है और उस की पोस्टिंग भी कसौली में हो जाती है.

अर्जन सेठी का सब इंसपेक्टर की परीक्षा पास करना और जल्द ही एसआई बनना इतना आसान बताया गया है कि यकीन ही नहीं होता. देश में बेरोजगारी चरम पर है और नौकरी के लिए करोड़ों बेरोजगार अपनी चप्पलें घिस रहे हैं, मगर अर्जन को उस के बाप की अनुकंपा नियुक्ति की तरह नौकरी आसानी से मिल जाती है, यह बात गले नहीं उतरती.

पहले दिन ड्यूटी पर जाते समय उस का जीजा नरिंदर उसे समझा देता है कि जो भी काम मिले, सिर हिला कर उसे करना है. थाने में सीनियर इंसपेक्टर रविचंद्र मचान (शाहिद लतीफ) उसे किसी मुलजिम को मारने को कहता है तो अर्जन मारने के बजाय उसे कहानी सुनाने लगता है. सीनियर इंसपेक्टर कहता है कि क्राइम इस के बस का नहीं है,  इसे स्टेशनरी सेक्शन में लगा देना चाहिए.

अगले सीन में एक लड़की अमृता घर से स्कूल जाने के लिए निकलती है और सड़क पर अपने डौगी को देख कर उसे पकड़ कर लाने को कहती है. तभी सड़क पर एक कार आ कर रुकती है. कार का अगला शीशा खुलता है और वह लड़की कार के पास जा कर मुसकराती है.

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इस के बाद के दृश्य में अमृता की मम्मी कुकर की सीटी की आवाज के साथ शेरू के भौकने पर अमृता के लिए आवाज लगाती है. वह बारबार आवाज देती है, मगर कोई जवाब नहीं मिलता तो वह घर से बाहर निकल कर आती है तो शेरू दिखाई देता है, जिस के गले में एक बौक्स बंधा हुआ है.

इस के बाद अमृता के मम्मीपापा उस की गुमशुदगी दर्ज कराने कसौली थाने पहुंचते हैं. एसएचओ गुडिय़ा परमार (सरगुन मेहता) को सारी डिटेल्स बता कर एक बौक्स दिखाते हैं जो शेरू ले कर आया था.

अमृता के सुबह स्कूल निकलने और तुरंत बाद उस के घर पर मम्मी द्वारा उसे खोजने और पुलिस थाने में गुमशुदगी दर्ज कराने को डायरेक्टर द्वारा बहुत जल्दबाजी में फिल्माया गया है. इस से पता ही नहीं चलता कि वह स्कूल से एक बजे आ जाती है और उस दिन शाम 6 बजे तक नहीं आई तो पुलिस में शिकायत की गई.

एसएचओ परमार जब बौक्स को खोलती है तो उस में बड़े बालों की एक सिंड्रेला डौल (कठपुतली) निकलती है, जिस के चेहरे पर खरोंच के निशान हैं. अर्जन बाहर से इस कठपुतली को बड़े गौर से देखता है. कत्ल के बाद बौक्स में जो सिंड्रेला डौल मिलती है, उसे कठपुतली समझ कर फिल्म का नाम रखा गया है, जो किसी भी लिहाज से ठीक नहीं है.

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दरअसल, कठपुतली राजस्थान की एक लोककला है, जिस में लकड़ी, कपड़े से बनाई पुतलियों (गुडिय़ों) को धागे के सहारे अंगुलियों से नचाया जाता है.

घर में जीजा नरिंदर शराब लेते हुए अर्जन को समझाता है कि मिसिंग केस के चक्कर में न पड़ कर वह स्टेशनरी का काम ही देखता रहे. जीजा नरिंदर अंदर बर्फ लेने जाता है, तभी भांजी पायल (रेने तेजानी) अपने स्कूल के रिपोर्ट कार्ड पर उस के सिग्नेचर करवाती है  और कल स्कूल ड्रौप करने को कहती है. दूसरे दिन वह भांजी को बाइक से उस के स्कूल ले कर जाता है और क्लास टीचर से मिलता है.

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