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मृतक राजेश्वर उदानी की काल डिटेल्स में पुलिस को मुंबई और नवी मुंबई की कई लड़कियों के मोबाइल नंबर मिले, जिस में अधिकतर बार बालाएं, डांसर और टीवी एक्ट्रैस थीं. मगर टीवी अभिनेत्री देवोलीना से उन की अधिक बात होती थी, इसलिए पुलिस को देवोलीना पर ज्यादा शक था.

पुलिस जब उस के निवास पर पहुंची तो पता चला कि वह भी उसी दिन अपने पैतृक घर गुवाहाटी चली गई थी, जिस दिन सचिन पवार गायब हुआ था. इस पर पुलिस अधिकारियों ने असम की गुवाहाटी पुलिस से संपर्क कर उसे इस मामले की जानकारी दी और फिर अपनी एक स्पैशल टीम गुवाहाटी के लिए रवाना कर दी.

मुंबई पुलिस ने गुवाहाटी पुलिस की मदद से टीवी अभिनेत्री देवोलीना भट्टाचार्य को गिरफ्तार कर लिया. साथ ही सचिन पवार भी गुवाहाटी से गिरफ्तार हो गया. सचिन पवार और देवोलीना भट्टाचार्य को पुलिस मुंबई ले आई.

जब उन दोनों से पूछताछ की गई तो उन्होंने न सिर्फ राजेश्वर उदानी की हत्या में अपना हाथ होने की बात स्वीकार की, बल्कि हत्या में शामिल 5 और लोगों के नाम भी उजागर कर दिए. उन में उसी थाने का एक निलंबित कांस्टेबल दिनेश दिलीप पवार भी शामिल था, जिस पर पहले से ही बलात्कार का एक मुकदमा दर्ज था. फिलहाल वह जमानत पर बाहर था.

इस के अलावा जो अन्य 4 लोग थे, उन में एक मौडल निखिल उर्फ जारा मोहम्मद खान, शाइस्ता सरबर खान उर्फ डौली, महेश भास्कर भोईर और प्रवीण भोईर शामिल थे. इन सब को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ के आधार पर हीरा व्यापारी और बिल्डर राजेश्वर उदानी की मर्डर मिस्ट्री की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

इस मर्डर मिस्ट्री का मास्टरमाइंड सचिन पवार था. वह महत्त्वाकांक्षी युवक था. उस के पिता दिवाकर पवार एक निजी कंपनी में नौकरी करते थे और मां महानगर पालिका के स्कूल में टीचर थीं. सचिन पवार अपने 6 भाईबहनों में सब से छोटा था.

पिता की मृत्यु के बाद परिवार की सारी जिम्मेदारी उस की मां के कंधों पर आ गई थी. ऐसे में घर की आर्थिक स्थिति चरमरा गई. इस के बावजूद मां ने बच्चों की परवरिश बड़ी मेहनत और लगन से की.

सचिन पवार की प्रारंभिक पढ़ाई कौनवेंट स्कूल में हुई थी. मां को सचिन से काफी आशाएं थीं, इसलिए वह उस पर बहुत ध्यान देती थीं. मां सचिन को एक कामयाब इंसान बनाना चाहती थीं. सचिन पवार भी मां के सपनों की इज्जत करता था. उस की पढ़ाई का बोझ मां के कंधों पर ज्यादा न पड़े, इस के लिए वह एक डेयरी से दूध ले कर घरघर जा कर सप्लाई करता था.

सचिन पवार पढ़ाई में होशियार तो था ही, इस के अलावा वह बेहद चालाक भी था. वह अकसर अपने फायदे के रास्ते खोजा करता था. कालेज की पढ़ाई के बाद उस का रुझान राजनीति की तरफ हो गया. वह घाटकोपर भाजपा के नगर सेवक मंगलदास भानुशाली और ए.एस. राव के संपर्क में आ गया था.

वहां वह जिम्मेदारी से काम करने लगा. पार्टी के प्रति उस के समर्पण को देख कर विधायक प्रकाश मेहता उस से बहुत प्रभावित हुए. उन्होंने उसे अपने यहां रख लिया और उसे भाजपा युवा मोर्चा का पदाधिकारी बना दिया.

इस बीच जब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो प्रकाश मेहता को प्रदेश सरकार में गृह कल्याण मंत्री बना दिया गया. उन्होंने सचिन पवार को अपना सचिव नियुक्त कर लिया. मंत्री के औफिस में रह कर सचिन ने पैसे तो कमाए ही, साथ ही अपनी पहचान महाराष्ट्र से ले कर दिल्ली तक बना ली.

इसी पहचान की बदौलत वह राजनीति में अपना अलग मुकाम हासिल करना चाहता था. सन 2009 में जब घाटकोपर के रमाबाई अंबेडकर नगर में महानगर पालिका का चुनाव आया तो सचिन पवार ने भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने के लिए पार्टी से टिकट मांगा, लेकिन पार्टी ने वहां का टिकट किसी और को दे दिया.

यह बात सचिन को अच्छी नहीं लगी. चुनाव लड़ने की बात को उस ने अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया, इसलिए पार्टी पदाधिकारियों के मना करने के बावजूद वह निर्दलीय रूप से पालिका सदस्य का चुनाव लड़ा. इस पर विधायक प्रकाश मेहता नाराज हो गए और उन्होंने उसे अपने सचिव पद से हटा दिया. इस से उस का युवा मोर्चा का पद भी चला गया.

सन 2002 से ले कर 2009 तक सचिन पवार ने विधायक प्रकाश मेहता के साथ किया था. इस बीच वह शहर के कई छोटेबड़े कारोबारियों के संपर्क में आया था. उस ने उन के काम भी कराए थे. इन्हीं कारोबारियों में एक नाम करोड़पति हीरा व्यापारी और बिल्डर राजेश्वर उदानी का भी था.

राजेश्वर उदानी के संपर्क में आने के बाद सचिन पवार ने उन के कंस्ट्रक्शन कारोबार में काफी पैसे भी लगाए थे, जिस से दोनों की गहरी दोस्ती हो गई थी.

सचिन पवार पार्टी पद से हटाए जाने के बाद भी चुप नहीं बैठा. वह घाटकोपर भाजपा इकाई में पार्टी कार्यकर्ता के रूप में जुड़ा रहा और पार्टी विरोधी काम करने लगा. अपने फेसबुक प्रोफाइल में उस ने खुद को विधायक प्रकाश मेहता का सचिव ही दर्शाया. जब पार्टी के स्थानीय पदाधिकारियों को पता चला कि वह पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त है तो पार्टी ने उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया.

पार्टी ने भले ही सचिन को निकाल दिया था लेकिन वह खुद को भाजपा से जुड़ा हुआ दिखाता बताता रहा. किसी न किसी तरह वह अपनी पत्नी साक्षी पवार को पार्टी में शामिल करवाने में कामयाब हो गया.

2017 में सचिन ने रमाबाई अंबेडकर नगर के महानगर पालिका का चुनाव भाजपा के टिकट पर पत्नी को लड़वा दिया. उस की पत्नी साक्षी ने तो भाजपा में अपनी पैठ बना ली लेकिन सचिन पवार को वह जगह नहीं मिली, जिस की उसे चाह थी.

हां, इतना जरूर हुआ कि पत्नी की सिफारिश से सचिन पवार को वापस पार्टी में ले लिया गया, लेकिन उसे कोई पद न दे कर पार्टी के आउटडोर विज्ञापन का काम सौंप दिया था.

भाजपा के विज्ञापनों का काम करतेकरते सचिन बौलीवुड की कई हस्तियों के संपर्क में आया तो उस का झुकाव बौलीवुड की तरफ हो गया.

अपने संपर्कों के आधार पर वह फिल्मों में भी अपनी किस्मत आजमाने की कोशिश करने लगा. उसे कई फिल्मों में छोटेमोटे रोल मिले, लेकिन कामयाबी नहीं मिली. अलबत्ता इस से वह कई एक्स्ट्रा एक्ट्रैस और टीवी एक्ट्रैस के संपर्क में जरूर आ गया.

देवोलीना भट्टाचार्य भी उन्हीं में एक थी. उस समय वह भी बौलीवुड और टीवी धारावाहिकों में अपना कैरियर तलाश रही थी. इसी दौरान सचिन पवार और देवोलीना भट्टाचार्य की मुलाकात हुई और दोनों में गहरी दोस्ती हो गई. यह दोस्ती इतनी आगे तक जा पहुंची कि वह सचिन पवार के साथ लिवइन रिलेशन में रहने लगी.

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