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यशराज फिल्म्स को जारी किए गए लीगल नोटिस में दस्तगीर परिवार ने कहा था कि यह कहानी उन के पिता गुलाम दस्तगीर की कहानी है, इस पर फिल्म बनाने का अधिकार उन्होंने पहले ही स्माल बौक्स प्रोडक्शन कंपनी को दे दिया था.

शादाब दस्तगीर ने कहा, ''आधेअधूरे फैक्ट्स के साथ सीरीज 'द रेलवे मेन’ के 4 एपिसोड बना दिए. आखिरी एपिसोड में बताया गया कि स्टेशन मास्टर श्मशान तक पहुंच जाते हैं, जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है, हमारे पिता तो खुद चल कर घर तक आए थे.

''वाईआरएफ ने हमारे परिवार से मिलना तक उचित नहीं समझा. अगर निर्माता और निर्देशक हमारे परिवार से मिलते तो हम उन्हें बेहद दिलचस्प और करीबी तथ्यों से अवगत करवा देते. इसलिए यह वेब सीरीज उन के पिता की छवि को दर्शकों के सामने सही ढंग से पेश नहीं करती.’’

नोटिस के जवाब में यशराज फिल्म्स की ओर से दस्तगीर परिवार को कहा गया कि पब्लिक डोमेन से मिली जानकारी का इस्तेमाल कर के यह फिल्म बनाई गई है. 50 सेकेंड के टीजर के आधार पर यह कैसे कह सकते हैं कि इस से आप के पिता या परिवार की छवि को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है?

साथ ही यह तत्कालीन डिप्टी स्टेशन सुपरिटेंडेंट गुलाम दस्तगीर की बायोपिक नहीं है. वहीं, जुलाई 2021 में राइट्स किसी अन्य प्रोडक्शन हाउस को दिए जाने पर जवाब मिला कि यह सीरीज उस से पहले ही बन कर तैयार हो गई थी. इसलिए यशराज फिल्म्स और नेटफ्लिक्स ने किसी भी तरह का कोई उल्लंघन नहीं किया.

हालांकि, अब पूरी सीरीज रिलीज होने पर दस्तगीर परिवार ने निर्माता यशराज फिल्म्स पर मुकदमा करने और अदालत का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है.

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