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डिजिटल तकनीक के इस युग में बैंक अकाउंट में सेंध लगाने वाले जालसाज भी नईनई तरकीबें अपना रहे हैं. इन जालसाजों का नेटवर्क भारत में ही नहीं विदेशों में भी फैला हुआ है. रोमानिया के एक जालसाज ने भोपाल और इंदौर के ग्राहकों के बैंक अकाउंट से दिल्ली के एटीएम बूथों से लाखों रुपए उड़ा दिए. भोपाल क्राइम ब्रांच की टीम ने एक महीने तक दिल्ली शहर में रुक कर इन जालसाजों को आखिर कैसे खोज निकाला?

भोपाल के रहने वाले सैयद फारुख अली ने बैंक औफ बड़ौदा की ब्रांच में लगी पासबुक प्रिंटिंग मशीन में अपनी पासबुक डाली तो कुछ ही देर में उन की पासबुक प्रिंट हो कर बाहर निकल आई. बैंक से बाहर निकल कर उन्होंने पासबुक चैक की तो एक एंट्री देख कर वह चौंक पड़े.

इसी साल जुलाई की 9 तारीख को उन के बैंक खाता नंबर 3537010000xxxx से 75 हजार रुपए की रकम की निकासी एटीएम कार्ड के जरिए होनी दिखाई गई थी. सैयद फारुख अली को आश्चर्य इस बात पर हो रहा था कि उन्होंने यह रकम निकाली ही नहीं थी. वह हैरान थे कि यदि किसी और ने यह रकम निकाली है तो उन के मोबाइल पर ओटीपी क्यों नहीं आया. फारुख अली ने फिर से बैंक काउंटर पर जा कर इस की शिकायत की तो बैंक क्लर्क ने उन्हें डपटते हुए कहा, ‘‘आप ने एटीएम कार्ड से रुपए निकाले हैं, इस में बैंक क्या कर सकता है.’’

सैयद फारुख अली मुंह लटकाए अपने घर आ गए. वह प्रौपर्टी के कारोबार से जुड़े हुए हैं. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की बीडीए कालोनी कोहेफिजा में रहने वाले 38 वर्षीय सैयद फारुख अली जानना चाहते थे कि उन के खाते से ये पैसे किस ने निकाले हैं. लिहाजा 10 जुलाई, 2023 को वह साइबर क्राइम ब्रांच में एक शिकायत ले कर पहुंच ही गए.

थोड़ी देर इंतजार कर वह साइबर क्राइम ब्रांच के डीसीपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी के पास पहुंचे तो अरजी ले कर उन के सामने हाजिर फरियादी को देखते ही डीसीपी बोले, ‘‘कहिए, क्या समस्या है?’’

फारुख अली ने कागज पर लिखी अरजी उन की टेबल पर रखते हुए कहा, ‘‘साहब, मेरे बैंक खाते  से 75 हजार रुपए किसी जालसाज ने निकाल लिए हैं, जबकि मैं ने ऐसा कोई ट्रांजैक्शन नहीं किया है.’’

‘‘कौन से बैंक में है आप का अकाउंट?’’

‘‘जी सर, बैंक औफ बड़ौदा में मेरा अकाउंट है.’’ फारुख अली ने बताया.

‘‘किसी को ओटीपी तो नहीं बताया, मोबाइल पर किसी लिंक पर क्लिक तो नहीं किया?’’ डीसीपी सोमवंशी ने फारुख से पूछा.

‘‘नहीं सर, न तो कोई ओटीपी आया और न ही किसी लिंक पर मेरे द्वारा क्लिक किया गया है,’’ फारुख हाथ जोड़ कर बोले.

डीसीपी सोमवंशी ने सैय्यद फारुख की अरजी को ले कर उन्हें भरोसा दिलाया कि जल्द ही साइबर पुलिस जांच कर के जालसाज तक पहुंचेगी और उन के अकाउंट से फरजी तरीके से निकाली गई रकम उन्हें वापस दिलाई जाएगी.

डीसीपी सोमवंशी के निर्देश पर फारुख अली की तरफ से अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420 के तहत मामला दर्ज किया कर लिया गया.

अनेक लोगों के साथ हुई ऐसी ही धोखाधड़ी

इस शिकायत के अगले दिन अशोका गार्डन, भोपाल के विनोद सहदेव और सतीश बजरंगी ने भी अपने बैंक अकाउंट से रुपए निकाले जाने की शिकायत थाने में दर्ज कराई. फारुख अली की शिकायत के बाद 5 दिन के भीतर ही भोपाल के अलगअलग पुलिस थानों में  53 लोगों ने अपने साथ हुए इसी तरह के फ्रौड की शिकायतें दर्ज कराईं.

इसी तरह इंदौर के विभिन्न थानों में अनेक शिकायतें दर्ज हुईं. ताज्जुब की बात यह थी कि ये सारे फ्रौड बैंक औफ बड़ौदा के ग्राहकों के साथ ही हुए थे.

2023 के जुलाई महीने में हुए इस फ्रौड को पुलिस और बैंक अधिकारी भी नहीं समझ पा रहे थे. शिकायतकर्ताओं का कहना था कि न उन के पास कोई ओटीपी आया, न कोई काल आई, न ही कोई लिंक आया, न ही कहीं एटीएम में कार्ड यूज किया, न ही फोन पर उन्होंने कोई ऐप डाउनलोड किया, इस के बावजूद उन के अकाउंट से लाखों रुपए निकाल लिए गए.

पुलिस टीम ने दिल्ली में डेरा डाल आरोपियों को खोज निकाला

मामले की गंभीरता को देखते हुए भोपाल के पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा के निर्देश पर एक पुलिस टीम बनाई. एसआई रमन शर्मा के नेतृत्व में टीम दिल्ली पहुंची. टीम में हैडकांस्टेबल, आदित्य साहू, कांस्टेबल तेजराम सेन, प्रताप सिंह, सुनील कुमार को शामिल किया गया था. जांच में पुलिस टीम को यह जानकारी मिली कि ज्यादातर पैसे दिल्ली में स्थित एटीएम कियोस्क से निकले हैं, इसलिए टीम दिल्ली पहुंच गई.

टीम को पता चला कि जालसाजों ने दिल्ली के अलगअलग क्षेत्रों में स्थित 9 एटीएम कियोस्कों से पैसे निकाले थे, इसलिए टीम ने सब से पहले उन 9 एटीएम कियोस्कों के सीसीटीवी कैमरे खंगाले, जहां से जालसाजों द्वारा पैसे निकाले गए थे. ये एटीएम कियोस्क ग्रेटर कैलाश, चाणक्यपुरी और नेहरू प्लेस में स्थित थे. जिन खाताधारकों के फोन पर एटीएम से पैसे निकालने के मैसेज आए थे. पुलिस को उन की टाइमिंग मैच करते हुए आसपास के 200 सीसीटीवी कैमरों के फुटेज देखे, मगर कोई भी क्लू हाथ नहीं आ रहा था.

इस की वजह यह थी कि आरोपी एटीएम से रुपए निकालते वक्त पहचान छिपाने के लिए टोपी और स्कार्फ से खुद को ढंक लेते थे. रुपए निकाल कर वे आटो से या पैदल आते और गलियों में गायब हो जाते थे.

डस्टबिन से मिला जालसाजों का सुराग

भोपाल क्राइम ब्रांच की टीम को दिल्ली में आरोपियों की पतासाजी करते हुए 20 दिन से अधिक हो गए थे. अपने घरपरिवार से दूर रहते हुए पुलिस टीम के सदस्यों को घर की याद भी सता रही थी.

एक दिन हैडकांस्टेबल आदित्य साहू अपने टीम लीडर एसआई रमन शर्मा से बोले, ‘‘सर, हम ने दिल्ली के सैकड़ों एटीएम बूथों को चैक कर लिया है, लेकिन आरोपियों का कुछ पता नहीं चल रहा है. अब तो हमें वापस लौटना चाहिए.’’

‘‘सभी लोग कुछ दिन और धैर्य रखें, हमारी मेहनत जरूर सफल होगी, कोई न कोई क्लू हमें अपराधियों तक जरूर पहुंचाएगा.’’ एसआई रमन शर्मा बोले.

इस के बाद टीम फिर नए जोश के साथ आरोपियों की पतासाजी में जुट गई. पुलिस टीम जब दिल्ली के नेहरू प्लेस के कैमरों की आखिरी फुटेज देख रही थी तो इस फुटेज के आखिरी कुछ सेकेंड्स में हर बार पैदल या आटो से रवाना हो जाने वाले ये लोग एक टैक्सी में बैठ कर जाते दिखे. इस फुटेज में टैक्सी का नंबर भी साफ दिख रहा था.

टैक्सी के इसी नंबर के सहारे पुलिस टैक्सी प्रोवाइडर कंपनी रंजीत ब्रदर्स के औफिस पहुंच गई. वहां पुलिस टीम को बताया गया कि इस टैक्सी को फिरोज नाम के किसी शख्स ने बुक किया था. कंपनी से पुलिस को टैक्सी बुक करने वाले का मोबाइल नंबर और घर का पता भी मिल गया. जब पुलिस ने उस मोबाइल पर काल करने की कोशिश की तो वह नंबर बंद था.

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