Cyber Crime : जिस तरह से देश के अलगअलग हिस्सों से साइबर ठगी की खबरें आ रही हैं, वह बेहद चिंताजनक हैं. साइबर ठगी के शिकार वे उम्रदराज लोग ज्यादा हो रहे हैं, जिन्होंने जीवन भर की गाढ़ी कमाई अपने बुढ़ापे के सहारे के लिए जोड़ रखी होती है. करोड़ों की इस ठगी को रोकने में सरकारी सिस्टम क्यों हो रहा है फेल?
उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) के सेक्टर-75 की गार्डनिया गेटवे सोसाइटी में 78 साल के विराज कुमार सरकार अपनी पत्नी के साथ रहते थे. उन्होंने रिजर्व बैंक औफ इंडिया से अपने करिअर की शुरुआत की थी. बाद में वह एक निजी बैंक के फाइनैंस मैनेजर के पद से रिटायर्ड हुए. 25 फरवरी, 2025 को दोपहर में वह टीवी पर कोई प्रोग्राम देख रहे थे, तभी उन के मोबाइल नंबर पर एक अनजान नंबर से काल आई. उन्होंने इस काल को जैसे ही रिसीव किया, दूसरी तरफ से आवाज आई, ''हैलो, मैं ट्राई से बोल रहा हूं, क्या 8989433333 आप का कोई दूसरा मोबाइल नंबर है?’’
''नहीं यह नंबर वर्तमान में मेरा नहीं है, इस नंबर का सिमकार्ड मेरे पास पहले था, जिस का उपयोग मैं ने 6 महीने पहले बंद कर दिया था.’’ विराज कुमार बोले.
''देखिए मिस्टर, झूठ मत बोलिए यह नंबर ट्राई में विराज कुमार सरकार के नाम से रजिस्टर्ड है.’’ धमकाते हुए उस व्यक्ति ने कहा.
''आप मेरी बात भी तो सुनिए...’’
विराज कुमार आगे बोलते इस के पहले ही काल करने वाले ने कहा, ''आप के खिलाफ कोलाबा, मुंबई में शिकायत दर्ज हुई है. खन्ना सर लाइन पर हैं, उन से बात कर लीजिए.’’ कालर ने विराज कुमार को कोलाबा पुलिस स्टेशन से जोड़ते हुए कहा. कोलाबा पुलिस स्टेशन से कथित आईपीएस विजय खन्ना ने उन से बातचीत की. इस के बाद केस को सीबीआई में ट्रांसफर किया गया, जहां से अपने आप को सीबीआई अधिकारी बताते हुए राहुल गुप्ता ने बातचीत करते हुए कहा, ''नरेश गोयल को आप जानते हैं? आप के मोबाइल नंबर का प्रयोग मनी लौंड्रिंग और निवेश में धोखाधड़ी करने के लिए किया गया है, इस के लिए आप को कोलाबा पुलिस स्टेशन आना पड़ेगा.’’