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27 दिसंबर, 2022 की बात है. बैतूल के रानीपुर थाना क्षेत्र में वन विभाग के बीट गार्ड शांतिलाल पचोरिया दोपहर के वक्त इलाके में गश्त कर रहे थे. उन्होंने महसूस किया कि हनुमान डोल के आसपास से बदबू आ रही थी. मौके पर जा कर उन्होंने देखा तो एक मरा हुआ बैल दिखाई दिया. उसे देख कर वह वापस लौट आए. दूसरे दिन 28 दिसंबर को जब बदबू ज्यादा आने लगी तो उन्होंने आसपास के इलाकों में सर्च की.

सर्चिंग के दौरान हनुमान डोल मंदिर से करीब 50 मीटर दूर एक पुलिया के नीचे प्लेटफार्म से सटी रेत पर चादर से लिपटा एक शव बीट गार्ड को दिखाई दिया. शव मिलने की सूचना जब तक उस ने थाना रानीपुर को दी, तब तक शाम हो चुकी थी. तीसरे दिन 29 दिसंबर, 2023 को जब रानीपुर पुलिस फोरैंसिक टीम के साथ वहां पहुंची तो देखा कि शव के सिर्फ पैर दिख रहे थे. शव पत्थर और रेत में ढंका हुआ था. जब पुलिस टीम ने शव बाहर निकाला तो एक धड़ मिला, जिस के शरीर से सिर गायब था.

कपड़ों के लिहाज से यह लाश किसी महिला की थी. मौके पर पहुंचे एसडीपीओ रोशन जैन, टीआई अपाला सिंह को महिला का शव जिस हालत में मिला, उस से लग रहा था कि वह किसी मिडिल क्लास परिवार से है. जंगल में लाश मिलने की खबर सोशल मीडिया पर वायरल होते ही इलाके में दहशत का माहौल बन गया. घटना की सूचना तत्काल ही बैतूल जिले के आला अधिकारियों को दी गई.

सूचना मिलते ही जिले की एसपी सिमाला प्रसाद, एडिशनल एसपी नीरज सोनी, एसडीओपी रोशन जैन ने भी घटनास्थल पर पहुंच गए. लाश का मुआयना करने के बाद एसपी ने टीआई को केस का जल्द खुलासा करने के निर्देश दिए. जरूरी काररवाई करने के बाद टीआई अपाला सिंह ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

सिर कटी लाश बनी पहेली

बैतूल जिले की पुलिस के लिए महिला की सिरकटी लाश पहेली बनी हुई थी. सिर न होने से महिला की शिनाख्त नहीं हो पा रही थी. लाश की शिनाख्त के लिए करीब 500 गुम महिलाओं की जानकारी जुटाने की कोशिश की गई, मगर पुलिस को कोई सुराग नहीं मिल रहा था. पुलिस ने इस लाश से जुड़ी जानकारी अन्य थानों में देने के साथ सूचना देने वाले को 10 हजार रुपए का ईनाम देने की घोषणा भी की थी. एसपी सिमाला प्रसाद ने इस मामले में स्पैशल इनवैस्टीगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया.

एसआईटी ने बैतूल और सीमावर्ती जिले होशंगाबाद, छिंदवाड़ा, हरदा, खंडवा, खरगोन के अलावा भोपाल, इंदौर के साथ महाराष्ट्र के सीमावर्ती जिलों से गुम महिलाओं की जानकारी प्राप्त की, जिस में करीब 500 महिलाओं की जानकारी प्राप्त कर शव की पहचान करने की कोशिश की गई, मगर फिर भी कोई पुख्ता सुराग पुलिस को नहीं मिल सका.

राधा की गुमशुदगी से हुआ खुलासा

मध्य प्रदेश के बैतूल में विवेकानंद वार्ड की रहने वाली 41 साल की राधा राजपूत अपने पति और 14 साल के बेटे शौर्य और 9 साल के शक्ति के साथ रहती है. राधा का मायका देवरी जिला सागर में है. पिछले 2 महीनों से राधा का भाई दिलीप डांगी कई बार अपनी बहन राधा से बात करने के लिए संपर्क कर चुका था, लेकिन उस से बात नहीं हो पा रही थी. बहनोई शैलेंद्र को भी वह कई बार फोन कर चुका था, मगर उस का फोन आउट औफ कवरेज रहता था.

होली के दिन की बात है. रात में खाना खा कर दिलीप ने अपने जीजा को फोन मिलाया तो इस बार शैलेंद्र ने फोन काल रिसीव करते हुए पूछा, ‘‘हां बोलो दिलीप भाई, बहुत दिनों के बाद याद किया. क्या हालचाल हैं तुम्हारे?’’

“अरे जीजाजी सब ठीक है, बहुत दिनों से हमारी राधा दीदी से बात नहीं हुई तो सोचा आज होली का त्यौहार है, इसी बहाने उस से बात कर लूं.’’ दिलीप ने शैलेंद्र से कहा.

“लेकिन तुम्हारी जीजी तो 8-10 दिन पहले ही देवरी जाने की बोल कर गई है, क्या तुम्हारे पास नहीं पहुंची?’’ शैलेंद्र ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा.

“अरे जीजा, काहे मजाक कर रहे हो. चलो जल्दी से राधा से बात कराओ,’’ दिलीप बोला.

“अरे भाई, मैं मजाक नहीं कर रहा, सच बोल रहा हूं. राधा घर पर यही बोल कर निकली है कि काफी दिनों से वह अपने मायके नहीं गई है, इसलिए होली पर गुलाल लगाने भाई के घर जा रही है. यकीन न हो तो शक्ति और शौर्य से बात कर लो.’’

शैलेंद्र ने दिलीप को यकीन दिलाते हुए मोबाइल अपने बड़े बेटे शौर्य को पकड़ाते हुए कहा. शौर्य ने दिलीप को बताया, ‘‘मामाजी, मम्मी तो यहां से यही बोल कर गई है कि कुछ दिनों के लिए मामा के यहां जा रही हूं.’’

पड़ोसियों की बातों से बढ़ा शक

दिलीप को काटो तो खून नहीं वह अपनी बहन राधा को ले कर चिंतित हो गया, दिलीप को पता था कि उस का जीजा राधा से पैसों को ले कर आए दिन झगड़ा करता रहता है. राधा के बारे में उस के मन में तरहतरह के खयाल आ रहे थे. दिलीप ने उस के दूसरे रिश्तेदारों से राधा की खैरखबर मांगी, लेकिन उसे निराशा ही हाथ लगी.

आखिर में दिलीप रंगपंचमी पर बहन के घर बैतूल पहुंचा तो उस का जीजा शैलेंद्र घर पर नहीं मिला. अपने भांजे शौर्य और शक्ति से जब बात की तो वे भी कोई संतोषजनक जबाब नहीं दे पाए. राधा के दोनों बेटे भी डरेसहमे से घर पर मिले. पड़ोस में रहने वाली महिलाओं ने बताया कि राधा को उन्होंने करीब 2 माह से नहीं देखा. जब बच्चों से पूछते हैं तो वे यही जबाब देते हैं कि मम्मी मामा के यहां गई हुई हैं.

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