अगले दिन राकेश की हत्या की जांच का काम तेजी से शुरू हो गया. कातिल तक पहुंचने के लिए पुलिस के पास बस अब एक ही रास्ता था कि वह इलाके में लगे सीसीटीवी की फुटेज का सहारा ले कर पता लगाए कि राकेश को गोली मारने वाले कौन लोग थे.
हांलाकि इस दौरान क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर धर्मेंद्र पंवार ने अपनी टीम के साथ इलाके में सक्रिय लूटपाट गिरोह से जुड़े कई बदमाशों को हिरासत में ले कर पूछताछ कर ली थी. सत्यता की जांच के लिए तमाम बदमाशों के मोबाइल नंबरों की लोकेशन भी देखी गई, मगर इस वारदात में किसी के भी शामिल होने की पुष्टि नहीं हो सकी.
सीसीटीवी से खुलना शुरू हुआ राज
इधर थानाप्रभारी अवनीश गौतम ने स्टेशन से घटनास्थल तक लगे 6 सीसीटीवी कैमरों की जांच की, तो पता चला कि उन में से एक खराब था. कुल बचे 5 सीसीटीवी कैमरे बाकायदा काम कर रहे थे. पुलिस को पूरी उम्मीद थी कि अगर हत्यारे काफी दूर से राकेश रूहेला का पीछा कर रहे थे तो कहीं न कहीं वे सीसीटीवी फुटेज में जरूर कैद हुए होंगे.
थाना पुलिस ने क्राइम ब्रांच की मदद से इन सभी सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखनी शुरू कर दीं. इसी बीच 12 अप्रैल को कोतवाली प्रभारी अवनीश गौतम का तबादला हो गया. उन की जगह जितेंद्र सिंह कालरा आए.
जितेंद्र सिंह कालरा को यूपी पुलिस में सुपरकौप के नाम से जाना जाता है. कार्यभार संभालते ही नए थानाप्रभारी का सामना सब से पहले राकेश रूहेला के पेचीदा केस से हुआ. उन्होंने इस मामले में अब तक की गई जांच पर नजर डाली.
राकेश हत्याकांड के हर पहलू को बारीकी से समझने के बाद कालरा को लगा कि जांच आगे बढ़ने से पहले उन्हें उन सीसीटीवी फुटेज को जरूर देखना चाहिए.
कालरा ने क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर धर्मेंद्र पंवार और उन की टीम के साथ बैठ कर फुटेज देखने का काम शुरू किया. 5 घंटे तक फोरैंसिक एक्सपर्ट के साथ सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद आखिर पुलिस को एक बड़ी कामयाबी मिली.
पता चला कि जिस जगह राकेश रूहेला को गोली मारी गई थी, उस से 50 कदम की दूरी पर एक इलैक्ट्रौनिक शौप से राकेश ने कुछ सामान खरीदा था. उसी समय 2 युवक राकेश का पीछा करते हुए दिखे. इन में से एक के हाथ में तमंचे जैसा हथियार दिखाई दे रहा था.
हालांकि उन के चेहरे पूरी तरह तो नहीं दिख रहे थे, लेकिन आकृति देख कर ऐसा कोई भी व्यक्ति जिस ने उन लोगों को पहले कभी देखा हो, पहचान कर बता सकता था कि वे कौन हैं. सब से पहले थानाप्रभारी ने उस रात घटनास्थल के चश्मदीदों, इस के बाद मुकेश को थाने बुला कर उन से फुटेज देख कर कातिल की पहचान करने को कहा.
राकेश रूहेला की पत्नी कृष्णा व दोनों बेटियों तथा कृष्णा के देवर मुकेश ने सीसीटीवी में दिखे उन 2 लोगों को पहचानने से साफ इनकार कर दिया. लेकिन पुलिस को 2 ऐसे व्यक्ति मिल गए, जिन्होंने जांच को एक नई दिशा दे दी.
जिस किराने की दुकान के सामने राकेश को गोली मारी गई थी, उस समय उस दुकान के पास शैलेंद्र सिंह और राकेश का बेटा विशाल खड़े थे, उन्होंने सीसीटीवी में दिख रहे संदिग्धों की पहचान कर ली. शैलेंद्र ने फुटेज में दिख रहे दोनों युवकों की पहचान कर बताया कि राकेश को गोली मार कर जो युवक भागे थे, उन की आकृति बिलकुल सीसीटीवी फुटेज में दिखाई पड़ रहे युवकों जैसी ही थी.
संदेह गहराता गया, दायरा छोटा होता गया
शैलेंद्र ने बताया कि इन में से एक युवक को उस ने कई बार उसी गली में आतेजाते देखा था, जहां राकेश का घर था. कालरा ने गली के नुक्कड़ पर खड़े रहने वाले कुछ दूसरे लोगों से कुरेद कर पूछा तो उन्होंने भी दबी जुबान से बताया कि उन्होंने उस युवक को कई बार दिन में राकेश के घर आतेजाते देखा था.
इस के बाद थानाप्रभारी कालरा ने मृतक के परिजनों को भी सीसीटीवी फुटेज दिखाई. परिवार के सभी सदस्यों में से सिर्फ राकेश के 20 वर्षीय बेटे विशाल ने बताया कि सीसीटीवी में दिख रहे युवक का नाम समीर है, जो उस की बहन वैष्णवी उर्फ काव्या का पूर्व सहपाठी है और अकसर काव्या से मिलने के लिए भी आता था.
यह बात चौंकाने वाली थी. क्योंकि जब सीसीटीवी में दिख रहे युवक को राकेश की पत्नी व बेटियां जानतीपहचानती थीं तो उन्होंने उसे पहचानने से इनकार क्यों किया.
थानाप्रभारी कालरा को साफ लगने लगा कि दाल में कुछ काला है. क्योंकि जबजब उन्होंने कृष्णा और उस की दोनों बेटियों से पूछताछ की, तबतब वो रोनेबिलखने के साथ पूछताछ के मकसद को भटका देती थीं.
कालरा ने मृतक की पत्नी कृष्णा और उस के बच्चों के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि कृष्णा की छोटी बेटी काव्या और समीर के बीच घटना के 2 दिन पहले से दिन और रात में कई बार बातचीत हुई थी. इतना ही नहीं जिस वक्त वारदात को अंजाम दिया गया, उस के कुछ देर बाद भी 3-4 बार दोनों के बीच लंबी बातचीत हुई थी. समीर के मोबाइल नंबर की लोकेशन भी घटनास्थल के पास की मिली.
अब पूरी तरह साफ हो चुका था कि राकेश रूहेला की हत्या में कहीं न कहीं समीर शामिल है. पुलिस को यह भी पता चल गया कि समीर मोहल्ला हाजीपुरा नाला पटरी में रहने वाले डा. जरीफ का बेटा है.
समीर आया पुलिस की पकड़ में
थानाप्रभारी कालरा के पास अब समीर को पूछताछ के लिए हिरासत में लेने के लिए तमाम सबूत थे. उन्होंने टीम के सदस्यों को उस का सुराग लगाने को कहा. आखिर एक कांस्टेबल की सूचना पर उन्होंने 17 अप्रैल को नाला पटरी के पास खेड़ी करमू के रेस्तरां से उसे हिरासत में ले लिया. उस समय उस के साथ मृतक राकेश की बेटी काव्या के अलावा समीर का चचेरा भाई शादाब भी था.
थानाप्रभारी ने समीर को थाने ले जा कर पूछताछ की तो उसे टूटने में ज्यादा वक्त नहीं लगा. समीर ने कबूल कर लिया कि राकेश रूहेला की हत्या उस ने ही अपने चचेरे भाई शादाब के साथ मिल कर की थी और हत्या करने के लिए काव्या ने ही उसे मजबूर किया था. समीर से पूछताछ के बाद हत्या की जो हैरतअंगेज कहानी सामने आई, वह चौंकाने वाली थी.
काव्या की समीर के साथ पिछले 3 सालों से दोस्ती थी. वे दोनों हाईस्कूल में साथ पढ़ते थे. इंटरमीडिएट तक पढ़ाई के बाद काव्या कैराना स्थित एक कालेज से बीएससी करने लगी, जबकि समीर को उस के घर वालों ने एमबीबीएस की कोचिंग करने के लिए राजस्थान के कोटा में अपने एक रिश्तेदार के पास भेज दिया.