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रुखसार और अबू फैजल के दिन मजे से बीतने लगे. अबू फैजल बीवी की हर ख्वाहिश पूरी करता. जिस दिन उस की फैक्ट्री में छुट्टी होती, वह उसे घुमाने के लिए शहर में ले जाता था. उस दिन वह किसी रेस्तरां में खाना खाते थे.

इस तरह हंसीखुशी से रहते हुए 3 साल कब बीत गए, उन्हें पता ही नहीं चला. इस दौरान उस ने एक बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम रिजवान रखा. बेटे के जन्म के बाद घर में खुशियां और बढ़ गईं.

इस के बाद रुखसार ने अपनी अम्मी से फोन पर बात करनी शुरू कर दी. तब शमशाद बेगम ने भी उसे माफ कर दिया. फिर रुखसार ने अपने मायके जाना भी शुरू कर दिया था.

रिजवान के जन्म के बाद घर का खर्च बढ़ा तो अबू फैजल पहले से अधिक मेहनत करने लगा. वह जूता फैक्ट्री में ओवरटाइम करने लगा था. ज्यादा कमाई के लिए अब उस का ज्यादातर समय फैक्ट्री में बीतता था. वह पत्नी को पहले की तरह दिलोजान से चाहता था. मगर पहले की तरह वह उस के लिए समय नहीं निकाल पा रहा था. इस कमी को रुखसार महसूस करती थी.

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रुखसार खुद तो ज्यादा पढ़ीलिखी न थी, लेकिन वह अपने बेटे रिजवान को अच्छी तालीम दिलाना चाहती थी. इसी मकसद से उस ने बेटे का दाखिला एक कौन्वेंट स्कूल में करा दिया था.

यद्यपि अबू फैजल अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते बेटे का दाखिला मदरसे में कराना चाहता था. लेकिन बीवी के आगे उस की एक न चली. दाखिले को ले कर मियांबीवी में कुछ बहस भी हुई थी.

गृहस्थी का खर्च, मकान का किराया और बच्चे की पढ़ाई का खर्च बढ़ा तो अबू फैजल की आर्थिक स्थिति खराब हो गई. इस का परिणाम यह हुआ कि मियांबीवी में झगड़ा शुरू हो गया. रुखसार शौहर पर दबाव डालने लगी कि वह कमाई का जरिया बढ़ाए, लेकिन अबू फैजल की समझ में नहीं आ रहा था कि वह आमदनी कैसे बढ़ाए.

उन्हीं दिनों अबू फैजल की मुलाकात मोहम्मद आलम से हुई. वह भी जूता फैक्ट्री में कारीगर था और उसी के साथ काम करता था. लेकिन उस ने नौकरी छोड़ दी थी और काठमांडू चला गया था. वहां भी वह जूता फैक्ट्री में काम करता था और अच्छा पैसा कमा रहा था.

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अबू फैजल ने उस से अपनी आर्थिक स्थिति का रोना रोया तो मोहम्मद आलम ने उसे सलाह दी कि वह भी उस के साथ काठमांडू चले. दोनों मिल कर वहां अच्छा पैसा कमाएंगे.

इस बारे में अबू फैजल ने अपनी बीवी से विचारविमर्श किया. रुखसार ने पहले तो नानुकुर की लेकिन बाद में इजाजत दे दी. इस के बाद अबू फैजल दोस्त के साथ काठमांडू चला गया.

इस के बाद वह हर माह रुखसार को पैसा भेज देता. इस पैसे से रुखसार घर का खर्च चलाती. अबू फैजल रुखसार को बहुत चाहता था. अत: हर दूसरे तीसरे रोज वह मोबाइल से उस से बातचीत कर लेता था. रिजवान भी अपने अब्बू से फोन पर बतिया लेता था और जल्दी वापस आने की जिद करता था.

अबू फैजल के काठमांडू जाने के बाद रुखसार को उस की याद सताने लगी. उस का दिन तो जैसेतैसे कट जाता था, लेकिन रातें काटे नहीं कटती थीं. रात भर वह करवटें बदलती रहती थी. पति के सान्निध्य के लिए वह अब बेचैन रहने लगी थी. उस दौरान उस की नजरें किसी ऐसे मर्द को तलाशने लगीं जो उसे शारीरिक सुख के साथ उस की आर्थिक मदद भी कर सके.

एक रोज रुखसार गल्लामंडी में घरेलू सामान खरीदने गई तो उस की मुलाकात शाहरुख नाम के युवक से हुई. पहली ही नजर में दोनों एकदूसरे के प्रति आकर्षित हुए. दोनों में कुछ औपचारिक बातें हुईं. उसी दौरान उन्होंने एकदूसरे को अपने मोबाइल नंबर दे दिए. इस के बाद दोनों में मोबाइल पर हंसीमजाक और बातचीत होने लगी. रात की तनहाइयों में रुखसार शाहरुख से घंटों तक बतियाती थी.

25 वर्षीय अविवाहित शाहरुख नौबस्ता में रहता था और गल्लामंडी में काम करता था. 3 भाईबहनों में वह सब से बड़ा था. लेकिन उस की अपने परिवार वालों से पटती नहीं थी. इसलिए वह परिवार से अलग रहता था. वह जो कमाता था, अपने ऊपर ही खर्च करता था. वह उस से नजदीकियां बढ़ाने और अपना बनाने के लिए प्रयत्न करने लगा.

शाहरुख को पता चल गया था कि उस का शौहर नेपाल में काम करता है, इसलिए अब वह रुखसार के घर जाने लगा. रुखसार और उस के बेटे रिजवान के लिए वह खानेपीने का सामान ले जाता था. वह कभीकभी आइसक्रीम खिलाने के बहाने रिजवान को बाहर भी ले जाता.

घर आतेजाते शाहरुख और रुखसार की नजदीकियां बढ़ीं तो दोनों एकदूसरे का सान्निध्य पाने के लिए बेचैन रहने लगे. आग और घी पास हो तो घी पिघल ही जाता है. शाहरुख और रुखसार की निकटता भी कुछ ऐसा ही रंग लाई. फिर एक दिन दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन गए.

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नाजायज रिश्ता एक बार कायम हुआ फिर तो इस का सिलसिला ही चल पड़ा. जब भी मौका मिलता, शाहरुख रुखसार के यहां चला जाता और उस के बच्चे रिजवान को पैसे दे कर बाहर भेज देता, फिर दोनों देह की दरिया में गोते लगाने लगते. कभीकभी शाहरुख रुखसार को अपने कमरे पर भी ले जाता था. शाहरुख अब अपनी सारी कमाई रुखसार पर खर्च करने लगा.

लेकिन शाहरुख और रुखसार के नाजायज संबंध ज्यादा दिनों तक पासपड़ोस में रहने वाले लोगों से छिपे नहीं रहे. लोग उन्हें शक की निगाह से देखने लगे.

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