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श्यामबाबू की शिकायत पर पुलिस अधीक्षक ने इस मामले की जांच शिकायत प्रकोष्ठ के अधिकारी राजेंद्रपाल सिंह को सौंप दी. उन्होंने घटनास्थल पर जा कर गांव वालों से गहन पूछताछ की. इस पूछताछ में उन्हें पता चला कि गुडि़या ने अपने प्रेमी गोलू श्रीवास्तव के साथ मिल कर कंचन की गला दबा कर हत्या की थी. इस के बाद गोलू ,पड़ोसी बाबूराम निषाद और सोनम की मदद से गुडि़या कंचन की लाश को मारुति वैन से घोंघी रऊतापुर के जंगलों में ले गई और पेट्रोल डाल कर आग लगा दी. जिस मारुति वैन से लाश ले जाई गई थी, उसे गंगाघाट की ही मिश्रा कालोनी का रहने वाला रवि पांडेय चला कर ले गया था.

इस जानकारी के बाद राजेंद्रपाल सिंह ने सच्चाई का पता लगाने के लिए रवि पांडेय की तलाश शुरू कर दी. संयोग से जल्दी ही वह उन के हाथ लग गया. थाना गंगाघाट ला कर उस से पूछताछ की गई तो पहले उस ने पुलिस को बरगलाने की कोशिश की. लेकिन पुलिस अपनी पर आ गई तो उसे सच्चाई बतानी ही पड़ी.

रवि के बताए अनुसार, गुडि़या का प्रेमी गोलू श्रीवास्तव उस का गहरा दोस्त था. 14 नवंबर की रात गोलू ने उसे फोन कर के कहा कि उस की बेटी की तबीयत खराब हो गई है, इसलिए उसे डाक्टर को दिखाने के लिए अस्पताल ले जाना है. वह मारुति वैन ले कर उस के घर आ जाए.

गोलू के बुलाने पर रवि मारुति वैन यूपी 78एक्स 2585 ले कर गोलू के घर पहुंचा. गोलू ने सोनम और अपने पड़ोसी बाबूराम निषाद को बुला कर वैन में बैठने को कहा. इस के बाद वह एक लड़की को उठा कर ले आया. देखने से ही लग रहा था कि वह जिंदा नहीं है. गोलू के कहने पर वह वैन ले कर कानपुर लखनऊ हाईवे पर चल पड़ा. रास्ते में उस ने एक पेट्रोल पंप से 2 सौ रुपए में एक केन पेट्रोल खरीदा और आजाद मार्ग पर लौट आया.

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